प्रमोद भार्गव का आलेख - बीमारियों को महामारी में बदलने का खेल

SHARE:

भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में साधारण बीमारियों को महामारी में बदलने का खेल चल रहा है। यह खेल बहुराष्‍ट्रीय दवा कंपनियां अरबों-खरबों क...

pramod bhargav

भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में साधारण बीमारियों को महामारी में बदलने का खेल चल रहा है। यह खेल बहुराष्‍ट्रीय दवा कंपनियां अरबों-खरबों का कारोबार करने के लिए खेल रही हैं। हाल ही में कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जिनसे खुलासा हुआ है कि संक्रमण रोगों की रोकथाम के लिए पिछले ढाई दशक से चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों की पृष्ठभूमि में निजी कंपनियों का यह मुनाफे से जुड़ा कारोबार है। जिस स्‍वाइन फ्‍लू को महामारी माना जाकर पिछले एक साल से पूरी दुनिया में हल्‍ला मचा हुआ है, उससे अब तक केवल 60 लोगों के मरने की पुख्‍ता खबर है। जबकि बीते साल अप्रैल में जेनेवा में आयोजित एक आपात बैठक में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की महानिदेशक माग्रेट चाम ने कहा था कि स्‍वाइन फ्‍लू के कारण पूरी मानवता खतरे में है। हमारे केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भारत की एक तिहाई आबादी को इस बीमारी की चपेट में बताते हुए देश के हरेक जिले के लिए दस हजार खुराक दवा खरीद ली थी। एड्‌स, पोलियो हेपेटाइटिस-बी, बर्ड फ्‍लू, एंथ्रेक्‍स जैसी अनेक बीमारियों को जीव जगत के लिए महामारी का सुनियोजित खतरा जताकर दवा कंपनियां और स्‍वास्‍थ्‍य अमला लाभ के धंधे में लगे हैं।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की कार्यशैली पर अब सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में दिल्‍ली में इस संगठन की संपन्‍न हुई एक बैठक में एक अधिकारी ने खुद यह सच्‍चाई कबूली कि स्‍वाइन फ्‌लू को विश्‍वव्‍यापी महामारी घोषित करने का जो काम विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने किया है, वह झूठा था। ऐसा केवल बड़ी व विश्‍वस्‍तर पर दवा का व्‍यापार करने वाली कंपनियों को लाभ पहुंचाने के नजरिये से किया गया। दरअसल इस बीमारी के जो विशेषज्ञ इसके उपचार के प्रति जवाबदेह होने चाहिए थे, वे इसे महामारी घोषित करने में लगे थे, क्‍योंकि उनके कुछ दवा कंपनियों से व्‍यावसायिक संबंध थे। स्‍वाइन फ्‌लू के विश्‍वव्‍यापी हल्‍ले के बाद अब इस तथ्‍य की पुष्‍टि हो गई है कि इस कथित महामारी से कुल साठ मौंते हुई हैं। अमेरिका में कुल 4298 स्‍वाइन फ्‌लू के रोगी सामने आए, जिनमें से केवल इकत्‍तीस मौंते हुईं। इस रोग के लक्षण पाए तमाम रोगियों को तो बुखार तक नहीं आया। जबकि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चान ने इसे दुनिया की मानवता के लिए खतरा बताया था। इस खौफ के ऐलान के बाद करीब बीस दिन मेक्‍सिको शहर का कारोबार ठप्‍प रहा। हमारे देश के केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री गुलाम नवी आजाद ने भी बीते साल अगस्‍त में चेतावनी दी थी किं भारत की एक तिहाई आबादी इस बीमारी की चपेट में है। मीडिया ने इस बयान को प्रचारित कर पूरे देश को एक काल्‍पनिक बीमारी से डरा दिया था।

भारत में विभिन्‍न बीमारियों के उन्‍मूलन के दृष्‍टिगत राष्‍टव्‍यापी अभियान विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की देख-रेख में चलाए जा रहे हैं। पोलियो के सिलसिले में दावा किया गया था कि 2005 तक पोलियो को निर्मूल कर दिया जाएगा। लेकिन बीस सालों में करीब छह अरब डॉलर खर्चने के बावजूद देश को पोलियो के संक्रमण से छुटकारा नहीं मिला। अब तक पूरी दुनिया में पोलियो की खुराक लेने के बावजूद पोलियो संक्रमण से प्रभावित दो हजार से भी ज्‍यादा मामले सामने आ चुके हैं। भारत के अकेले उत्‍तर प्रदेश में 2005 में एक साथ 66 मामले सामने आए थे। बाद में इनकी संख्‍या बढ़कर 380 तक पहुंच गई थी।

इसी दौरान इस जानकारी की पुष्‍टि हुई थी कि देश के 12 राज्‍यों के 87 जिले पोलियो के बीषाणुओं से ग्रसित हैं। इससे मुक्‍ति के उपायों को तलाशने की बजाय नई अवधारणा गढ़ी गई कि वीषाणु की प्रकृति पर नियंत्रण के लिए तकरीबन 10 खुराक दवा पिलाई जाए। लिहाजा अब पांच साल की उम्र तक के बच्‍चों को दवा पिलाने का अनवरत सिलसिला शुरु हो गया। जबकि जरुरत यह थी कि दवा पिलाने के बाद पोलियो के मामले क्‍यों सामने आ रहे हैं इसकी जड़ों को खंगाला जाए। क्‍योंकि इसी समय पोलियो की दवा बिवकॉल के सिलसिले में इसकी गुणवत्‍ता को लेकर सवाल उठाए गए थे। पोलियो वेक्‍सीन में पंजाब में कीड़े तक पाए गए थे। पंजाब सरकार की चिट्‌ठी के जवाब में केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने 24 अप्रैल 2006 के पत्र में हवाला भी दिया था कि बिवकॉल नामक दवा में कीड़े हैं इसलिए उंची गुणवत्‍ता की दवा तैयार कराकर पोलियों की खुराक पिलाई जाए। दवा में कीड़े पाने की असलियत सामने आती इससे पहले बुलंदशहर में दवा का निर्माण कर रही इस कंपनी के दवा नमूनों को ही बदल दिया गया। दिल्‍ली के ओखला क्षेत्र में पेनेशिया नाम की कंपनी भी पोलियो भी दवा बनाने का काम करती है। इन दवा निर्माण कंपनियों के साथ शर्त जुड़ी होती है कि इनके संयंत्र ऐसे क्षेत्रों में लगे हों जहां दो किलोमीटर के दायरे में अन्‍य कोई निर्माण न हो, जिससे इसके विषाणु न पनपें। लेकिन दोनों ही कंपनियों के संयंत्र मानव बस्‍तियों के बीच स्‍थापित हैं। बहरहाल स्‍तरहीन दवा का निर्माण और उसकी खुराक की खपत का सिलसिला जारी हैं।

दरअसल हमारे देश में ऐसी नीतियां अमल में लाई जा रही हैं जो स्‍तरहीन दवा उद्योग को प्रोत्‍साहित करने वाली हैं। इस ऐवज में पिछले कुछ सालों के भीतर भारत सरकार की उन दवा कंपनियों को भी हतोत्‍साहित करने की कोशिश की गई जो पोलियो व अन्‍य महामारियों के उचित गुणवत्‍ता वाले सस्‍ते टीके तैयार करती हैं। इन कंपनियों को बंद कर देने तक की साजिश रची गई। लेकिन कंपनियों में सेवारत कर्मचारियों और संसद में हल्‍ला मचने पर कंपनियों की तालाबंदी रोकी गई। अलबत्‍ता इतना जरुर किया गया कि सरकारी दवा निर्माण कंपनियों में उन टीकों का उत्‍पादन बंद कर दिया गया जिनकी खपत टीकाकरण मुहिम के अंतर्गत देशव्‍यापी होती थी। इसके बाद निजी क्षेत्र की कंपनियों को लाभ पहुंचाने के नजरिये से पांच महामारियों का एक टीका पेंटावेंलेंट बनाने की योजना भी बनाई गई। हालांकि विरोध के चलते अभी इस योजना पर भी अमल संभव नहीं हो सका।

स्‍वाइन फ्‌लू, पोलियो, एड्‌स,, एंथे्रक्‍स और हेपेटाइटिस बी की तुलना में तपेदिक मसलन टीबी एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिसके प्रभाव से करीब 17 लाख लोग हर साल मारे जाते हैं। टीबी के जीवाणु माइक्रो बैक्‍टीरियम ट्‌यूबरक्‍लोसिस के संक्रमण से ग्रस्‍त करीब एक लाख महिलाओं को उनके पति छोड़ देते हैं। केन्‍द्र सरकार भी इस पर काबू के लिए करीब तीन सौ करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करती है। इसके बावजूद इस वास्‍तविक बीमारी पर रोकथाम के उचित उपायों की बजाय उन काल्‍पनिक बीमारियों को महामारियों में तब्‍दील करने का हौवा खड़ा करते रहते हैं, जिनसे तपेदिक के मुकाबले बहुत ही कम लोग काल कवलित होते हैं। हालांकि अब भारतीय वैज्ञानिकों ने एमटीबी के जीनोम की पहचान कर उन सभी चार हजार कोशिकाओं को चिन्‍हित कर लिया है जो इसकी जड़ में हैं। अब तक केवल एक हजार कोशिकाओं की ही वैज्ञानिकों को जानकारी थी। इस नए अनुसंधान से यह उम्‍मीद जगी है जब दवा क्षेत्र में चल रहे मुनाफे के कारोबार से तपेदिक की दवाओं का निर्माण और उपचार को अलग रखा जाएगा। लेकिन बीमारियों को काल्‍पनिक महामारी बना देने की मुहिम से देश को कैसे छुटकारा मिले, यह सवाल बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के मजबूत वर्चस्‍व के चलते यथावत है।

----

प्रमोद भार्गव

शब्‍दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी

शिवपुरी म.प्र.

लेखक प्रिंट और इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्‍ठ पत्रकार है।

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. इस देश में जब तक ,देश भर से इमानदार लोगों को ढूंढ़ कर सामाजिक जाँच में लगाकर हर सरकारी निति ,खर्चों,घोटालों की सामाजिक जाँच नहीं करायी जाने लगेगी तबतक इस देश की व्यवस्था में सुधर नहीं होने वाला / आपके इस बिचारोत्तेजक रचना के लिए आपका धन्यवाद / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

    जवाब देंहटाएं
  2. honesty project democracy ji ki baat ne prabhavit kiya
    acchi jaankari di aapne

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - बीमारियों को महामारी में बदलने का खेल
प्रमोद भार्गव का आलेख - बीमारियों को महामारी में बदलने का खेल
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/S9ehMyTCPII/AAAAAAAAH30/1E-QwARmu6M/pramod%20bhargav_thumb.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/S9ehMyTCPII/AAAAAAAAH30/1E-QwARmu6M/s72-c/pramod%20bhargav_thumb.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2010/04/blog-post_6807.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2010/04/blog-post_6807.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content