आर. के. भारद्वाज का व्यंग्य :

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दाग अच्छे हैं............. आजकल टी.वी. पर एक विज्ञापन दिखाया जा रहा है, शायद एक डिटर्जेन्ट का है जिसमें एक स्लोगन दिया गया है कि ’’ दाग अच...

दाग अच्छे हैं.............

आजकल टी.वी. पर एक विज्ञापन दिखाया जा रहा है, शायद एक डिटर्जेन्ट का है जिसमें एक स्लोगन दिया गया है कि ’’ दाग अच्छे हैं’’ । मैं उस विज्ञापन बनाने वाली कम्पनी, उसके क्रिएटिव निदेशक, स्क्रिप्ट राइटर को अपना साधुवाद प्रेषित करता है कि उन्होने वास्तव में बहुत ही सोच विचार के बाद यह स्लोगन दिया है। आप माने या न माने वास्तव आज के परिप्रेक्ष्य में ’’दाग अच्छे हैं’’ स्लोगन बहुत ही काम की चीज है। उनका इशारा शायद अपने उत्पाद को बेचना है जिससे किसी भी प्रकार के जिद्दी दाग को साफ किया जा सकता है..................मैं स्वयं उसी उत्पाद का प्रयोग करता हूं ।

लेकिन आज के समाज में वास्तव में क्या दाग अच्छे हैं, एक अच्छा स्लोगन नहीं हैं।

यदि दाग नहीं लगा तो क्या जीवन जिया । है कोई ऐसा जो आज बेदाग हो जब सब ही को दाग लग रहा है तो फिर मानना ही पड़ेगा कि दाग अच्छे हैं.................।

क्या चांद में दाग नहीं हैं, क्या भगवान आशुतोष के कण्ठ में दाग नहीं है। जब ईश्वर तक को पता है कि दाग अच्छे हैं तो फिर आप और हम क्या चीज है...........

इतिहास को पलट कर देख लें सब के जीवन में दाग लगा है, जिनका जीवन साफ सुथरा था उन्होंने खुद दाग लगाया । राजा जनक एक तत्वदर्शी राजा थे , उनके जीवन में कोई दाग नहीं था, लेकिन अपनी पुत्री के विवाह के अवसर पर उन्होंने यह कहकर कि पूरी पृथ्वी पर अब कोई क्षत्रिय नहीं बचा है और लक्ष्मण के द्वारा उन्हें फटकारना क्या इससे उनके जीवन पर दाग नहीं लगा । माता कैकयी एक विदुषी महिला थी राम को बहुत प्यार करती थी, लेकिन जीवन पर कोई दाग तो था नहीं इसलिये उन्होने पंगा लेकर राम को वनवास दे दिया और अपने स्वच्छ जीवन में दाग लगा लिया । राम ने खुद बाली को मारकर अपने जीवन में दाग लगाया। बालि ने कहा भी ’’ मै बैरी सुग्रीव प्यारा’’ लेकिन भगवान राम को भी दाग प्यारा था। माता सीता को अग्नि परीक्षा से गुजारा उनके पवित्र जीवन में दाग लगाया । क्योंकि दाग अच्छे हैं.................। रावण कितना बड़ा राजा था, विद्वान था, मृत्यु उसके पैरों के नीचे रहती थी, सोने की लंका थी....चुरा लिया माता सीता को...... और लगा लिया दाग....क्योंकि उसे पता था कि दाग अच्छे हैं।

महाभारत कालीन समय में अर्जुन ने कही भी युद्ध से मुंह नहीं मोड़ा, पाक साफ जीवन था कोई दाग धब्बा नहीं लेकिन ऐन लड़ाई के समय कह दिया मै युद्ध नहीं करूंगा, लगा लिया न दाग....क्योंकि दाग अच्छे हैं। महाराज युधिष्ठिर ने कभी झूठ नहीं बोला लेकिन अश्वत्थामा वाले एपिसोड में उन्होंने भी झूठ बोलकर दाग लगा लिया । बलशाली भीम ने हिडिम्बा जैसी राक्षसी से विवाह कर दाग लगाया । द्रौपदी का जीवन कितना साफ सुथरा, पतिव्रता स्त्री, विदुषी महिला लेकिन दुर्योधन को यह कह कर कि अन्धे के अन्धे होते हैं लगा लिया दाग...क्योंकि दाग अच्छे हैं। धृतराष्ट्र एक सुयोग्य शासक, एक अच्छे प्रजापालक थे, एक अच्छे नीतिशास्त्र के ज्ञाता थे लेकिन अपने प्रिय पुत्र का पक्ष लेकर महाभारत करा दिया और लगा लिया दाग.....क्योंकि दाग अच्छे हैं।

ऐसी कितनी ही घटनायें इतिहास में दर्ज हैं जिनका जीवन पाक साफ था उन्होंने जानबूझ कर अपने जीवन में दाग लगाया क्योंकि सबको पता है कि दाग अच्छे हैं।

आज के परिप्रेक्ष्य में कितने ही डाक्टर, अभियन्ता, वकील, प्रोफेसर, व्यवसायी ऐसे हैं जिन्हें दाग बहुत प्यारे हैं और कुछ हो न हो लेकिन दाग लगना जरूरी है। बिना दाग का आदमी तो ऐसा है जैसे बिना सूण्ड का हाथी, बिना सींग का भैंसा, बिना पूंछ का घोड़ा, बिना पानी के मछली, अरे भाई दाग जीवन का एक बहुत ही अच्छा पहलू है। जिसके जीवन में जितना बड़ा दाग वह उतना बड़ा आदमी । उतना मशहूर और मारूफ ।

हमारी सी0बी0आई0...................... आज तक कोई अपराधी उनकी नजरों से बच नहीं सका, शतप्रतिशत केस हल किये कइयों को जेल के सींकचों में पहुंचाया लेकिन उन्हें भी पता है कि दाग अच्छे हैं इसलिये आरूषि हत्याकाण्ड आज तक हल नहीं कर पाये लगवा लिया दाग.... तो भैया मान जाओ कि दाग अच्छे हैं।

भोपाल गैस काण्ड, 25 सालों से चल रहा है अदालत में अब पता चला कि एण्डरसन को भगाने में मध्य प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार का हाथ था लगा लिया दाग.......चारा घोटाला, स्टाम्प घोटाला, शेयर घोटाला, न जाने कहां कहां से लोग दाग खोजते हैं और लगाते हैं........... मजे से जीवन चल रहा है,........... क्योंकि दाग अच्छे हैं।

बड़े बड़े कारपोरेट घराने के सी0एम0डी0, एम0डी0 अध्यक्ष, कई कारपोरेशन के मेयर, नेता आदि खोज खोज कर दाग लगा रहे हैं प्रसिद्धि पा रहे हैं क्योंकि दाग अच्छे हैं। मेरा तो यहां तक कहना है कि सुख सम्पत्ति पहले आती है........... दाग बाद में लगता है।

है कोई ऐसी राजनैतिक दल जिसके पास बेदाग नेता हो, क्योंकि बेदाग होना राजनीति की पहली असफलता है, आप कितने ही बड़े आदमी है इमानदारी से काम करते हैं, इंसाफ से काम करते हैं आप को पता है कि लोग आपके पीछे आपको क्या कहते हैं.....बेवकूफ...नकारा....काम काज में टांग अडाने वाला....और कई इसी तरह के दाग लगाये जाते हैं जो आप खुद ही साफ कर सकते हैं..........बड़ा आदमी बनना है तो दाग लगना सीखना जरूरी है...क्योंकि दाग अच्छे होते हैं।

और अन्त में ......

..............अब तक रचनाकार पर कोई दाग नहीं लगा, इमानदारी के साथ सबकी रचना इसमें छपती है । अब अगर यह रचना छपती है तो ऐसी बेकार, बेवकूफी भरी रचना छापने का दाग लग जायेगा और अगर नहीं छपती है तो यह दाग लगेगा कि ऐसा नहीं होता कि सभी रचना छपती हों।.......दोनों में फायदा है न.....क्योंकि दाग अच्छे हैं।

-------.

RK Bhardwaj

151/1 Teachers’ Colony, Govind Garh,

Dehradun (Uttarakhand)

E mail: rkantbhardwaj@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. दाग इसलिए भी अच्‍छे है कि डिटरजेंट बिकता है। दाग इसलिए भी अच्‍छे हैं कि बेईमानी शाश्‍वत बनी रहती है। बहुत अच्‍छा व्‍यंग्‍य बधाई।

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