षष्टिपूर्ति - 29.7.10 पर सतत संघर्षशील व्यक्तित्व -डा़.प्रो.सी.पी.जोशी यशवन्त कोठारी सी.पी.जोशी एक कर्मठ राजनेता, अदभुत प्...
षष्टिपूर्ति - 29.7.10 पर
सतत संघर्षशील व्यक्तित्व -डा़.प्रो.सी.पी.जोशी
यशवन्त कोठारी
सी.पी.जोशी एक कर्मठ राजनेता, अदभुत प्रतिभा के धनी, संघर्षशील व्यक्ति है। उनमें संगठन, पार्टी और सरकार की गहरी समझ है। उनमें गजब की संगठन क्षमता और राजनैतिक सूझबूझ है। राजनीति के सिद्धान्तों को चुनाव क्ष्ोत्रों में अपनाना और सफल होना उनकी विशेषता है। अकेले दम पर उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार को उखाड़ फेंका उनसे मेरा परिचय काफी पुराना है। नेतृत्व करने के गुण सी.पी. में प्रारम्भ से ही थे। उन्होंने नाथद्वारा के हायर सैकण्डरी स्कूल में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ग्यारहवीं के बाद सी.पी.जोशी उदयपुर जाकर पढ़ाई करने लग गये। मैंने नाथद्वारा कालेज में दाखिला ले लिया। मगर हमारा सम्पर्क बराबर बना रहा। मोहनलाल सुखाड़िया से मिलने हम लोग एक-दो बार साथ-साथ गये थे। सी.पी. ने भौतिकशास्त्र में एम.एस.सी. किया नौकरी मिली मगर नहीं की। मैंने राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से रसायन विज्ञान में एम.एस.सी. कर नौकरी शुरू कर दी। सी.पी. ने एम.बी. कालेज के छात्रसंघ व उदयपुर विश्वविद्यालय के चुनाव लड़े। जीते।
नौकरी मिली मगर सी.पी. के मन में तो देश की सेवा की इच्छा थी। सी.पी. ने मनोविज्ञान में एम.ए.पी.एचडी भी की। कानून की पढ़ाई पूरी की। विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हो गये। एम.एल.ए. का टिकट नाथद्वारा से मिला चुनाव लड़ा। जीता। एम.एल.ए. के रूप में भी सी.पी. का काम प्रभावशाली रहा। नाथद्वारा में कामरेड की होटल पर या तृप्ति केफे में हम लोग अक्सर समय मिलने पर बैठते। नाथद्वारा राजस्थान के विकास की चर्चा करते। चाय पीते। हंसी मजाक करते । मैं, विष्णु, जमनादास, जगजीवन तलेसरा, मुरली भाटिया साथ-साथ विचरण करते। सी.पी. की राजनीतिक प्रखरता के हम लोग कायल थे। चारू मजुमदार, चेग्वारा के विचारों का विश्लेषण होता वे महात्मा गांधी, नेहरू के विचारों से प्रभावित थे।
उन्हीं दिनों सी.पी.जोशी का एक्सीडेन्ट हो गया था। उसका घर ही हम सब के लिए मिलन स्थल बन गया। बात चीत के साथ-साथ समय भी तेजी से चलता रहा। बनास नदी में काफी पानी बह गया था। सी.पी. ने मोहनलाल सुखाडिया से राजनीति की गहरी सीख ली। बहुत कुछ सीखा। बाद के वर्पो में मास्टर किशनलाल जी शर्मा -गौरूलाल जी तथा हरिदेव जोशी से भी बहुत कुछ जाना समझा। बीच में एक दौर राजनैतिक वनवास का भी आया। सी.पी. एक चुनाव हार गये और एक बार टिकट नहीं मिला। लेकिन सी.पी. ने हिम्मत नहीं हारी। सतत संघर्प करते रहे वे विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, बाद में प्रोफेसर बने वे राजनीति की भी सीढ़ियां चढ़ते रहे। वे गहलोत सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। फिर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे, एक वोट से एम.एल.ए. का चुनाव हार गये। फिर सांसद का चुनाव लड़ा, जीता और केन्द्र में केबिनेट मंत्री के पद को सुशोभित किया। उनके नेतृत्व में ग्रामीण विकास के क्ष्ोत्र में देश नयी मंजिलें तय करेगा।
सी.पी. के दामन पर कोई दाग नहीं है वे चरित्रवान है। इर्मानदारी, स्पप्टवादिता, और जो कहो सेा करो, सी.पी. के ध्येय वाक्य है। वे शुरू से ही राजनीति में अर्थ शुचिता के पक्षधर है। अपने लगभग तीस वर्पो के राजनैतिक केरियर में उन पर आजतक किसी ने उंगली नहीं उठाई , उनके विरोधी भी उनकी इज्जत करते है। भाषा, धर्म, जाति की राजनीति से वे कोसों दूर हैं। लम्बे समय बाद मेवाड़ क्ष्ोत्र से किसी को केबिनेट मंत्री पद मिला है। राजस्थान से फिलहाल वे एक मात्र केबिनेट मंत्री है। मेवाड़ का परचम उन्होंने ही फिर लहराया है। आपाधापी के इस युग में वे एक धीर गम्भीर राजनेता की छवि रखते है जो सुकून देती है।
मनोविज्ञान में बर्न-आउट सिद्धान्त पर उन्होंने पी.एचड़ी.की है। उनके शोधपत्र भी प्रकाशित है। ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में सी.पी. जोशी ने नरेगा का नाम महात्मा गांधी के नाम पर रख कर एक अत्यन्त महत्वपूर्ण योजना को अच्छा नाम दिया गया है। पंचायती राज मंत्री के रूप में उन्होंने पंचायती राज चुनावों में महिलाओं को पचास फीसदी आरक्षण का कानून बनवा कर एक क्रान्तिकारी कदम उठाया है। पिछले दिनों राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत कर उन्होंने राजस्थान में मृतप्रायः क्रिकेट को नव जीवन प्रदान किया है।
सी.पी. जोशी हौसलों के सहारे उड़ते है और अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं। उनका व्यक्तित्व अब एक राष्ट्रीय राज नेता के रूप में विकसित हो गया है। मिलन सरिता और सहज उपलब्धता के कारण सी.पी. जोशी सब के चहेते हैं और उनके दरवाजे सब के लिए हर समय खुले हुए हैं। त्वरित निर्णय लेने में उन्हें महारत हासिल है तथा निर्णयों को वे टालते नहीं है।
कांग्रेस संगठन की बागडौर भी उन्होंने प्रभावशाली तरीके से सम्भाल रखी है वे केवल दिल की आवाज सुनते हैं। उन्होंने हमेशा मोटा खाया। मोटा पहना। उनका दर्शन है कि भारत से भूख, गरीबी मिटे और सभी को समान अवसर मिले। सभी को स्वास्थ्य शिक्षा, शुद्ध पेयजल और रोजगार मिले। ग्रामीण रोजगार योजना से यह लाभ ग्रामीण भारत तक पहुंचाने का महता काम वे कर रहे हैं। षष्टिपूर्ति के इस पावन पर्व पर मैं उनका अभिनन्दन करता हूं तथा उनके दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। वे सौ वर्ष जिये। सौ वर्ष देखें और सौ वर्ष सुनें, तथा ये सौ वर्ष देश की गरीब जनता की सेवा में लगायें।
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यशवन्त कोठारी, 86, लक्ष्मी नगर, ब्रह्मपुरी बाहर, जयपुर - 2, फोन - 2670596
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