महेश ‘दिवाकर’ का चरितकाव्य : वीरांगना चेन्नम्मा अंतिम सर्ग

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(पिछले अंक से जारी…) अंतिम सर्ग   अंग्रेजी-सेना इधर करने चली विश्राम। उधर हुई कित्तूर में, चर्चा आम-तमाम।। विपुल सैन अंग्रेज की, पहुँच...

(पिछले अंक से जारी…)

mahesh diwaker

अंतिम सर्ग 

अंग्रेजी-सेना इधर करने चली विश्राम।

उधर हुई कित्तूर में, चर्चा आम-तमाम।।

विपुल सैन अंग्रेज की, पहुँची सीमा पार।

प्रात काल कित्तूर में, होगा युद्ध अपार।।

तुलना में अंग्रेज की, अल्प सैन्य कित्तूर।

किन्तु, मनोबल, वीरता, साहस अमित जरूर।।

रानी को कहते सभी, दुर्गा-का अवतार।

रानी के संकेत पर, मिटते सौ-सौ बार।।

लोगों की थी धारणा, जनता का यह सांच।

आने भी देंगे नहीं, चेन्नम्मा पर आंच।।

जाग रहे कित्तूर के, नर-नारी सब वृन्द।

देशभक्ति के गा रहे, हो उत्साहित छन्द।।

सब जनता कित्तूर की, युद्ध हेतु तैयार।

हृदय में सबके भरा, चेन्नम्मा हित प्यार।।

किये सुरक्षा के सभी, रानी सरल उपाय।

रखा आक्रमण-डोर को, अपने हाथ सजाय।।

जनता में कित्तूर की, दिया प्यार-रस घोल।

देशभक्ति की भावना, बोली मधुरिम बोल।।

‘वीरों! अब कित्तूर में, होगा अन्तिम युद्ध।

हार-जीत का फैसला, दुर्गा करे विशुद्ध।।

जीत गये तो देश में, सदा रहेगा नाम।

हुई वीरगति तो मिले, परम ईश का धाम’।।

इधर चेन्नम्मा भर रही, जनता में उत्साह।

उधर चैपलिन सो रहा, होकर बेपरवाह।।

देख चैपलिन कुमुक को, मन में था आश्वस्त।

कर देगी कित्तूर को, गोरी सेना ध्वस्त।।

रात्री का चौथा प्रहर, मन्द-मन्द-सा भोर।

खगकुल कलरव कर रहा, बड़ा मनोरम शोर।।

उठा चैपलिन नींद से, सुन खगकुल संगीत।

निखिल सृष्टि भी गा रही, मधुर-मधुर नवगीत।।

दूर तलक सोयी हुई, सारी गोरी सैन।

केवल पहरेदार के, पड़ें सुनायी बैन।।

जगा चैपलिन ने दिये, सेना-प्रमुख-कोर।

कहा-‘सैन तैयार कर, चलो नगर की ओर।।

प्रातः की प्रथम किरण, निकले जब कित्तूर।

गोरी सेना घेर ले, तब तक नगर जरूर’।।

अल्प समय में हो गयी, सब सेना तैयार।

अलग-अलग सब टुकड़ियाँ, बाँध लिये हथियार।।

कहा चैपलिन ने तभी, करे सैन प्रस्थान।

छोड़ा सीमा पर सभी, व्यर्थ लगा सामान।।

रहे असैनिक कुछ वहाँ, नौकर-चाकर शेष।

रक्षाहित अस्वस्थ की, सैनिक रखे विशेष।।

अभी झुकमुका लग रहा, मानो हुआ न भोर।

घेर लिया कित्तूर को, किये बिना ही शोर।।

गोरों ने रणनीति से, घेरे सारे द्वार।

पीछे तोपें दीं लगा, आगे अश्व सवार।।

विपुल सैन अंग्रेज की, ऐसी कसी कमान।

चप्पा-चप्पा चैपलिन, घूमे साथ जवान।।

शिवबसप्पा ने जो कहा, रखा चैपलिन ध्यान।

द्वार पश्चिमी दुर्ग पर, दिया बहुत संज्ञान।।

आज युद्ध की नीति का, मुख्य रहा आधार।

द्वार पश्चिमी पर करें, तोपों से प्रहार।।

शेष द्वार पर दुर्ग के, सेना रही सचेत।

थोड़ी-सी हलचल मचे, करे दें उसे अचेत।।

लिया चैपलिन ने नहीं, कोई ख़तरा मोल।

बाँट दिया कित्तूर को, व्यूह बनाकर गोल।।

अपना-अपना मोर्चा, सबने लिया संभाल।

कहा चैपलिन ने तभी, युद्ध करें तत्काल।।

किया तोपची ने शुरू, एक साथ विस्फोट।

द्वार पश्चिमी पर पड़ी, सीधी आकर चोट।।

चेन्नम्मा यह देखकर, हुई बहुत हैरान।

द्वार पश्चिमी पर डटे, गोरे ज्यों शैतान।

गोलों के विस्फोट जब, लगे तोड़ने द्वार।

रानी ने भी कह दिया, ‘मत चूको इस बार’।।

रानी की ‘जयनाद’ से, गयी धरा सब डोल।

टूट पड़ा कित्तूर सब, ‘हर-हर, बम-बम’ बोल।।

भाले-बरछी चल रहे, उछल रहे हथियार।

तोपें-बन्दूकें चलीं, चमक रहीं तलवार।

इधर तोप कित्तूर की, दाग रहा गजवीर।

उधर तोप अंग्रेज की, रही रोशनी चीर।।

धुँआ-धुँआ आकाश तक, बरस रही थी आग।

मारो-पकड़ो-काट दो, मचती भागमभाग।।

झपट सिंह ज्यों हिरन को, पल में देता चीर।

त्यों गोरों को काटते, चेन्नम्मा के वीर।।

चेन्नम्मा ने युद्ध में, किया बहुत संहार।

मैकलियड-मनरो सहित, कर्नल गये सिधार।।

देख चैपलिन युद्ध को, भूल गया सब जोश।

गोरों को कित्तूर ने, भुला दिया सब होश।।

विद्युत जैसी चमकती, रानी की तलवार।

कभी इधर, पल में उधर, लड़ती अश्व सवार।।

ऊपर रानी काटती, अश्व मारता टाप।

एक साथ गोरे कई, मर जाते थे आप।।

चेन्नम्मा का अश्व था, मनो देश का लाल।

मुड़ जाता था जिधर को, उधर टूटता काल।।

मारे चारों पैर से, मुँह से देता चीर।

चेन्नम्मा को पीठ पर, साध रहा ज्यों वीर।।

गोरे सैनिक भागते, देख अश्व तत्काल।

गोरी सेना का किया, रानी ने बदहाल।।

लपक-गपक औ’ झमक कर, चमक रही तलवार।

पल में धड़ से काटती, गिरते अश्व सवार।।

देख चैपलिन युद्ध को, मन में हुआ निराश।

कर्नल-मेजर-कैप्टन, कितने हुये विनाश।।

पान तंबोली काटता, कृषक कतरे ईख।

चेन्नम्मा त्यों काटती, निकल न पाती चीख।।

बालण्णा व रायण्णा, करते युद्ध दिलेर।

लपक-झपक कर मारते, जैसे बाज बटेर।।

इधर तोप बरसा रहीं, बहुत दुर्ग से आग।

खेल रहा गजवीर था, मानो खूनी फाग।।

गोरी-सेना का गया, उधर मनोबल टूट।

गोरे सैनिक भागते, मनो जेल से छूट।।

देख रहा सब चैपलिन, छुपा विटप की ओट।

रानी पर बन्दूक से, लगा निशाना चोट।।

देख चैपलिन को लिया, आगे बढ़ा दिलेर।

हटा चेन्नम्मा को दिया, हुआ शेर ख़ुद ढ़ेर।।

गिरता देख दिलेर को, युद्ध भूमि के बीच।

रानी के आँसू झरे, गये वीर को सींच।।

हाय! अरे! यह क्या हुआ, भैया! वीर दिलेर।

काल-सर्प ने डंस लिया, भारत माँ का शेर।।

धन्य! वीर कित्तूर के, गये वीरगति धाम!

रानी को जीवन दिया, किया अनूठा काम।।

धन्य! तुम्हारी वीरता, धन्य! समर्पण-त्याग।

याद रहे कित्तूर को, सदा तुम्हारा राग।।

भारत के इतिहास में, सदा रहेगा नाम।

रानी नत मस्तक हुई, करती वीर! प्रणाम।।

रानी ने देखा उधर, शिवबसप्पा मुस्काय।

खड़ा चैपलिन साथ में, रहा उसे बतियाय।।

रानी पर बन्दूक से, करना चाहा बार।

तब तक रानी ने किया, भाला फैंक प्रहार।।

जाकर भाला घुस गया, शिवबसप्पा के पेट।

सावधान था चैपलिन, गया भूमि पर लेट।।

आंत-ओझड़ी पेट से, बाहर लटकी आय।

निकल जीभ लम्बी हुई, आँख गयी पथराय।।

मौत मिली ग़द्दार को, डूब गया अभिमान।

बीच पड़ा रणभूमि के, लगे झपटने श्वान।।

चेन्नम्मा करने लगी, पुनः भयंकर युद्ध।

अस्त्र-शस्त्र थे चल रहे, मानो होकर क्रुद्ध।।

युद्ध देख कित्तूर का, हुआ चैपलिन पस्त।

मानो गोरों का हुआ, दिन में सूरज अस्त।।

विपुल सैन अंग्रेज की, पीछे हटती जाय।

सेना भी कित्तूर की, उसको रही हटाय।।

सेना जब कित्तूर की, जीत रही थी जंग।

‘बम-बम, हर-हर’ बोलती, ऐसी भरी उमंग।।

जीत सामने थी खड़ी, उलटा विधिक विधान।

बिना हवा-तूफ़ान के, पलटे मनो विमान।।

बालण्णा व रायण्णा, करते युद्ध अपार।

गोरे अश्व सवार ने, घोंपी पेट कटार।।

ढेर वहीं पर हो गये, दोनों माँ के लाल।

धोखा देकर खा गया, दो वीरों को काल।।

हाय! अरे! दुर्भाग्य ने, किया देश का नाश।

कातर नैन निहारती, रानी खड़ी विनाश।।

इधर वीर दोनों हुये, युद्ध भूमि में ढ़ेर।

टूट पड़े कित्तूर पर, गोरे घायल शेर।।

गोरों ने कित्तूर के, द्वार दिये सब खोल।

नर-नारी कित्तूर के, लड़ते बम-बम बोल।।

चेन्नम्मा को लग गया, अब न बचे कित्तूर।

राजमहल पहुँची तुरत, होकर अति मजबूर।।

वीरव्बा से नैन भर, रानी बोली बैन।

बेटी! अब कित्तूर में, आने वाली रैन।।

करो शीघ्र कित्तूर से, बेटी! अरे! प्रयाण।

अँग्रेज़ों से मैं लडूँ, जब तक तन में प्राण।।

देसाई बालक अभी, ले जाओ उस ओर।

मिले नहीं अंगे्रज को, तनिक कहीं भी छोर।।

यह बालक कित्तूर का, है भावी युवराज।

ले जाओ कित्तूर की, छुपा धरोहर आज।।

जाय साथ में आपके, गुरूसिद्दप्पा दीवान।

गुप्त मार्ग से महल के, करो शीघ्र प्रस्थान।।

जैसे हो युवराज को, लेना बहिन! बचाय।

तुम्हें शपथ कित्तूर की, यही हमारा दाय।।

वीरब्बा के नैन से, बहने लगा प्रवाह।

धन्य! राजमाता अरे! धन्य! आपकी चाह।।

गुरूसिद्दप्पा को दिया, रानी ने आदेश।

ले जाओ युवराज को, वीरब्बा के देश।।

विदा किया युवराज को, दिया सुरक्षा भार।

चले गये कित्तूर से, गुप्त महल के द्वार।।

बचा लिया युवराज को, किया स्वयं का दान।

रानी मन हर्षित बड़ी, व्यर्थ नहीं बलिदान।।

रानी ने रणभूमि को, फिर से लिया संभाल।

रणचण्डी अब बन गयी, ली तलवार निकाल।।

गोरों की सेना घुसी, गली-गली बाजार।

लूटपाट होती रही, मारकाट हर द्वार।।

जनता में कित्तूर की, भरा हुआ उत्साह।

देशभक्ति की धार का, रुकता कहाँ प्रवाह।।

पहुँची रानी दुर्ग पर, जहाँ लड़ रही तोप।

थका हुआ गजवीर भी, आग रहा था झोक।।

तोपें अब कित्तूर की, करने लगीं सलाम।

चलते-चलते अश्व की, जैसे खिंचे लगाम।।

रानी ने गजवीर से, पूछा क्या यह हाल?

क्यों तोपें कित्तूर की, हुई आज बदहाल’।।

विवश कहा गजवीर ने, ‘हुआ बड़ा षडयंत्र।

असफल अपना हो गया, सब बारूदी तंत्र।।

हाय! मनुज कित्तूर का, गोरे हाथ बिकाय।

रानी जी! बारूद में, गोबर दिया मिलाय।।

अब गोले चलते नहीं, आग न करती काम।

गीली सब बारूद है, तोप हुई नाकाम’।।

कहते-कहते नैन से, लगा छलकने नीर।

रानी जी! कित्तूर का, हार गया गजवीर।।

इसी बीच गजवीर के, हुआ पास विस्फोट।

टुकड़े-टुकड़े तन हुआ, खा गोले की चोट।।

गया वीर कित्तूर का, माँ की गोद समाय।

मन की मन में रह गयी, करता कौन उपाय??

खड़ी चेन्नम्मा देखती, मुँह से निकली हाय!

धन्य! वीर कित्तूर के, धन्य! तुम्हारी माय।।

चले गये कित्तूर से वीर! छोड़कर साथ।

माता खड़ी पुकारती, रहा अकेला हाथ।।

चेन्नम्मा के नैन से, झरती आँसू धार।

मानो अब कित्तूर की, हुई सुनिश्चित हार।।

आँसू अपने पोंछकर, होकर अश्व सवार।

रानी तेजी से चली, करके युद्ध विचार।।

सुमिरन करके इष्ट का, ले दुर्गा का नाम।

रानी कूदी युद्ध में, करने अन्तिम काम।।

रानी पर कित्तूर का, ऐसा चढ़ा जुनून।

काट-काट अंग्रेज-सिर, लगी बहाने खून।।

जनता भी कित्तूर की, उधर लड़ रही साथ।

भाले-बरछी चल रहे, दिखा रहे सब हाथ।।

छः घण्टे कित्तूर में, गली-गली बाजार।

रण-चण्डी रानी बनी, अगणित गोरे मार।।

खोज चैपलिन को रही, रानी अश्व सवार।

यदि आ जाये सामने, लेती शीश उतार।।

छुपा कहीं पर चैपलिन, लेकर कोई ओट।

जिससे छुपकर कर सके, वह रानी पर चोट।।

रानी ने कित्तूर में, मचा दिया कुहराम।

काट-काट धड़-सिर किये, गोरे क़त्ल तमाम।।

जहाँ मिले, जैसे मिले, कटे झुण्ड के झुण्ड।

गोरे सैनिक दीखते, काट दिये नर-मुण्ड।।

गोरों से कित्तूर को, रानी लिया उबार।

दिये मौत के घाट पर, गोरे सभी उतार।।

गोरे सैनिक भागते, रहा चैपलिन रोक।

जीत रहे कित्तूर हम, कहता सबको टोक।।

‘चेन्नम्मा की जय’ इधर, गूँज रहा जयकार।

किया चैपलिन ने उधर, फिर से उलटा बार।।

गोरों की सेना घुसी, पुनः नगर कित्तूर।

अब चेन्नम्मा घिर गयी, हा! विधि रचा फितूर।।

चेन्नम्मा ने म्यान से, बाहर की तलवार।

पड़ी लपक कर, टूटकर, मानों सिंह सवार।।

गोरे सैनिक लड़ रहे, खड़ा चैपलिन दूर।

चेन्नम्मा के युद्ध से, कांप उठा वह शूर।।

कर्नल फ्रिंकन लड़ रहे, लड़ें कई कप्तान।

चेहरे सभी उदास थे, गहरे लहूलुहान।।

जाकर बोला चैपलिन, कर्नल फ्रिंकन पास।

सुनो! ध्यान से बन्धुवर! युक्ति मिली है ख़ास।।

रानी अश्व सवार है, लड़ती होकर क्रुद्ध।

लेकिन, रानी से अधिक, अश्व लड़ रहा युद्ध।।

चेन्नम्मा के अश्व पर, छुपकर करो प्रहार।

अश्व मरे, रानी गिरे, करो बार पर बार।।

रानी से सीधे लड़े, मिली हमें नित हार।

गोरे अफसर सैकड़ों, दिये चेन्नम्मा मार।।

चेन्नम्मा वीरांगना, अजब शक्ति अवतार।

जब तक जीवित यह रहे, मिले सदा ही हार।।

छल से बल से युद्ध को, हम सकते हैं जीत।

अश्वहीन रानी करो, यही चैपलिन नीत।।

मान चैपलिन का कहा, गोली करी प्रहार।

चेन्नम्मा के अश्व पर, किया बार पर बार।।

एक साथ गोली कई, लगी अश्व के पेट।

गिरा अश्व मैदान में, गया भूमि पर लेट।।

रानी संभली देखकर, भाला लिया उठाय।

जब तक फ्रिंकन संभलता, उस पर दिया चलाय।।

ढ़ेर वहीं फ्रिंकन हुआ, घुसा पेट में जाय।

दूर चैपलिन देखता, कुछ भी नहीं बसाय।।

अश्वहीन रानी हुई, करती-फिरती मार।

टूट पड़े अंग्रेज सब, पैदल-अश्व सवार।।

रानी पर करने लगे, सभी वार पर वार।

घायल हेाती सिंहिनी, माने कभी न हार।।

बदन-बदन छलनी हुआ, घेरे खड़े सवार।

मृत्यु सामने देखकर, पल में किया विचार।।

बनूँ बन्दिनी मैं नहीं, दूँगी अपने प्राण।

रानी यह कित्तूर की, नहीं चाहती त्राण।।

खींच कटारा हाथ में, जपा राम का नाम।

माते! दुर्गा! आ रही, बेटी! तेरे धाम।।

बुझी कटारी छाहर में, लिया पेट में घोंप।

चेन्नम्मा ने जिंदगी, दी माता को सोंप।।

चेन्नम्मा का हो गया, पल में काम तमाम।

जीते जी वीरांगना, बनती नहीं गुलाम।।

देख रहा था चैपलिन, रानी का अवसान।

धन्य! धन्य! रानी तुम्हें, भारत की दिनमान।।

रानी के शव के निकट, आकर किया प्रणाम।

चेन्नम्मा के साथ ही, घोषित युद्ध विराम।।

जनता सब कित्तूर की, करती जय-जय कार।

धन्य! धन्य! वीरांगना गूँज रहा जयकार।।

किया चैपलिन ने बड़ा, रानी का सम्मान।

राज्योचित गौरव दिया, किया महाप्रस्थान।।

रानी के शव पर किये, पुष्प अमित उपहार।

विधि-विधान से कर दिया, चेन्नम्मा-संस्कार।।

करा दिया कित्तूर में, ‘कल्मठ’ में निर्माण।

अमर हुई वीरांगना, बनी समाधि प्रमाण।।

रानी के कित्तूर में, ऐसी जली मशाल।

धीरे-धीरे आग यह, बनकर हुई विशाल।।

गोरों को जाना पड़ा, छोड़ हिन्द का राज।

आख़िर उसी मशाल ने, हमको दिया स्वराज।।

आजादी के युद्ध में, हुए अमित उत्सर्ग।

अमर सभी दिव्यात्मा, मिला सभी को स्वर्ग।।

व्यर्थ कभी जाता नहीं, किया हुआ बलिदान।

आजादी हमको मिली, भारत बना महान।।

पुरवैया में बह रहा, मधुर-मधुर संगीत।

बच्चा-बच्चा देश का, गाता था यह गीत।।

गीत

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।

उठो! देश के वीर बाँकुरों! माँ ने हमें पुकारा है।।

आज देश की सीमाओं पर

भीषण संकट छाया है।

शान्ति लूटने इधर लुटेरा

दूर देश से आया है।।

रोज छूटती तोपें-गोली, करता खून किनारा है।

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।1

कश्मीर है मुकुट मात का,

हाय! गिराया जाता है।

रोज सैकड़ों ललनाओं का,

शील मिटाया जाता है।।

हाय! करें क्या? खून खौलता, चलता शीश कुठारा है।

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।2

घोर रूदन करती भारत-माँ

देख-देख बर्बादी को।

लूट रहा है वेष बदलकर,

बेटा खुद आज़ादी को।।

चोर, सिपाही बना हुआ है, यह दुर्भाग्य हमारा है।

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।3

उत्तर-दक्खिन, पूरब-पश्चिम,

शीत हवायें चलती हैं।

मैदानों की गर्म हवायें

शीश झुका, कर मलती हैं।।

बोल नहीं ओठों से निकलें, हिम ने पैर पसारा है।

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।4

सूख गयी हैं रक्त-शिरायें,

भाव अमित उपहास लिए।

बिना त्याग के मृत्यु मिल रही,

हाय! कहाँ विश्वास जिए??

विद्रोही हो उठी भावना, किसने भवन उजारा है??

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।5

माना आज अराजकता है,

चारों ओर अन्धेरा है।

रोम-रोम को भारत माँ के,

आधि-व्याधि ने घेरा है।।

धीरे-धरो! प्राची में देखो! उगता लाल सितारा है।

मातृभूमि के स्वाभिमान ने, आज हमें ललकारा है।।6

आजादी हित कर दिये, प्राण सहज बलिदान।

धन्य अमर वीरांगना, भारत-माँ सन्तान।

युग-युग तक संसार में, सौरभ रहे विकीर्ण,

बच्चा-बच्चा देश का, सदा करे गुणगान।।

(समाप्त)

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डॉ० महेश ‘दिवाकर’ - एक परिचय

नाम : डॉ० महेश चन्द्र साहित्यिक नाम : ‘दिवाकर’

जन्म तिथि : २५.१.१९५२

जन्म स्थान : ग्राम- महलकपुर मॉफी, देहली-राष्ट्रीय राजमार्ग,

पो० पाकबड़ा (मुरादाबाद) उ०प्र०, भारत

पिता का नाम : स्व० कृपाल सिंह पंवार

माता का नाम : श्रीमती विद्या देवी पंवार

पत्नी का नाम : डॉ० चन्द्रा पंवार, पी-एच०डी० (हिन्दी)

शिक्षा : पी-एच.डी., डी.लिट.(हिन्दी), पी.जी. डिप्लोमा इन जर्नलिज्म

सम्प्रति : एशोसिएट प्रोफेसर, अध्यक्ष एवं शोध निदेशक,

पत्रकारिता, उच्च हिन्दी अध्ययन एवं शोध विभाग

गुलाबसिंह हिन्दू (स्नातकोत्तर) महाविद्यालय, चाँदपुर-स्याऊ (बिजनौर) उ०प्र०, भारत

सम्बद्धता : एम०जे०पी०रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, (बरेली) उ०प्र०, भारत

लेखन विधाएं : कविता, नयी कविता, गीत, मुक्तक, कहानी, निबन्ध,

रेखाचित्र, संस्मरण, शोध, समीक्षा, सम्पादन, पत्रकारिता, यात्रावृत्त, जीवनी, अनुवाद, साक्षात्कार।

प्रकाशित कृतियाँ :

(क) मौलिक कृतियाँ :

(अ) शोध ग्रंथ

१.हिन्दी नयी कहानी का समाजशास्त्रीय अध्ययन (पी-एच०डी०) -१९९०

२.बीसवीं शती की हिन्दी कहानी का समाज-मनोवैज्ञानिक अध्ययन (डी०लिट्०) ९२

३.हिन्दी गीति काव्य- २००९

(आ) समीक्षा-ग्रंथ

४.सर्वेश्वर का कवितालोक -१९९४

५.नवगीतकार डॉ०ओमप्रकाश सिंह : संवेदना और शिल्प- २०१०

(इ) साक्षात्कार संग्रह

६.भोगे हुए पल (बीस साक्षात्कारों का संग्रह)-२००५

७.आपकी बात : आपके साथ (इक्कीस साक्षात्कारों का संग्रह)-२००९

(ई) नयी कविता संग्रह

८.अन्याय के विरूद्ध -१९९७

९.काल भेद -१९९८

(उ) गीत संग्रह

१०.भावना का मन्दिर -१९९८

११.आस्था के फूल -१९९९

(ऊ) मुक्तक-गीति संग्रह

१२.पथ की अनुभूतियाँ -१९९७

१३.विविधा -२००३

१४.युवको! सोचो! -२००३

१५.सूत्रधार है मौन! -२००७

१६.रंग-रंग के दृश्य -२००९

(ओ) खण्ड काव्य

१७.वीरबाला कुँवर अजबदे पंवार -१९९७

१८.महासाध्वी अपाला -१९९८

१९.रानी चेन्नम्मा -२०१०

(औ) यात्रा-वृत्त

२०.सौन्दर्य के देश में - २००९

(ख) सहलेखन कृतियाँ :

१.डॉ० परमेश्वर गोयल की साहित्य साधना- २००५

२.बाबू बाल मुकुन्द गुप्त : जीवन और साहित्य- २००७

(ग) सम्पादित अभिनन्दन ग्रंथ :

१.बाबू सिंह चौहान : अभिनंदन ग्रंथ (’९८)

२.प्रो० विश्वनाथ ाुक्लः एक शिव संकल्प(अभिनंदन ग्रंथ) (२००२)

३.गंधर्व सिंह तोमर ‘चाचा’ : अभिनन्दन ग्रंथ (२०००)

४.प्रो० रामप्रकाश गोयल : अभिनन्दन ग्रंथ (२००१)

५.बाबू लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल : अभिनंदन ग्रंथ (२००७)

६.प्रवासी साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ अभिनन्दन ग्रंथ (’०९)

७.महाकवि अनुराग गौतम : अभिनन्दन ग्रन्थ (’०९)

८.प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी : अभिनंदन ग्रंथ (’१०)

(घ) सम्पादित स्मृति ग्रंथ :

१.स्व० डॉ० रामकुमार वर्मा : स्मृति ग्रंथ (’०१)

२.स्व० कैलाशचन्द्र अग्रवाल : जीवन और काव्य-सृ`ि ट (’९१)

(ङ) सम्पादित कोश :

१.रूहेलखण्ड के स्वातंत्रयोत्तर प्रमुख साहित्यकार : संदर्भ कोश (’९९)

२.भारत की हिन्दी सेवी प्रमुख संस्थाएँ : संदर्भ कोश (२०००)

३.दोहा संदर्भ कोश (२००७)

४.गीति-काव्य संदर्भ कोश (यंत्रस्थ)

५.ग्रामीण शब्दावली-कोश (यंत्रस्थ)

(च) सम्पादित काव्य संकलन :

१.यादों के आर-पार (’८८)

२.प्रणय गंधा (’९०)

३.प्रेरणा के दीप (’९२)

४.अतीत की परछाइयाँ (कहानी संकलन)(’९३)

५.नेह के सरसिज (’९४)

६.काव्यधारा (’९५)

७.वंदेमातरम् (देशभक्ति की गीति रचनाएँ)(’९८)

८.नई ाती के नाम (’०१)

९.हे मातृभूमि भारत! (देशभक्ति की गीति रचनाएँ)(’०१)

१०.आखर-आखर गंध (’०२)

११.क्या कह कर पुकारूँ? (भक्ति एवं आध्यात्मिक गीति रचनाएँ)(’०३)

१२.बाल-सुमनों के नाम (’९६)

१३.समय की शिला पर (दोहा संकलन)(’९७)

१४.आजू-राजू (’९८)

१५.नन्हें-मुन्नें (’९८)

(छ) सम्पादित काव्य संकलन (विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम में समाहित) :

१.विद्यापति वाग्विलास (’८३) (एम०ए० प्रथम वर्ष हिन्दी के लिए)

२.विद्यापति सुधा (’८५) (एम०ए० प्रथम वर्ष हिन्दी के लिए)

३.एकांकी संकलन (’९०) (बी०ए० द्वितीय वर्ष हिन्दी के लिए)

(ज) सम्पादित काव्य संकलन (साहित्यकार विशेष)

१.नूतन दोहावली (’९४)

२.ओरे साथी! (’०६)

(झ) सम्पादित विशिष्ट ग्रंथ

१.तुलसी वांगमय (’८९)

२.अभिव्यक्ति : समाज और वाङ्गमय (’०२)

३.हिन्दी पत्रकारिता : स्वरूप, आयाम और सम्भावना (’०६)

४.पर्यावरण और वांगमय (’०७)

अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :

संस्थापक अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य कला मंच

पूर्व संयुक्त सचिव - हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद (राज्यपाल उ०प्र० द्वारा नामित)(१३ दिसम्बर, २००१ से १३ दिसम्बर, २००४)

तीन दर्जन से अधिक शोध छात्रों को पी-एच०डी० उपाधि निर्देशन

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ का साहित्यः संवेदना और शिल्प शीर्षक पर रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में वैशाली माँगलिक को पी-एच०डी० प्रदत्त।

मुरादाबाद जनपद के साहित्यकारों के सन्दर्भ में डा० महेश ‘दिवाकर’ के साहित्य का अध्ययन शीर्षक पर रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में मिथिलेश को पी-एच०डी० प्रदत्त।

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ : सृजन के विविध आयाम (४०० पृ ठ) - १९९५

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ : सृजन के बीच (२०० पृ ठ) - १९९९

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ : व्यक्ति और रचनाकार शीर्षक पर लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से एम० फिल० लघु शोध प्रबंध- २००३

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ का जीवन व साहित्य शीर्षक पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से एम०फिल० लघु शोध प्रबंध- २००३

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ की प्रकाशित कृतियों का समीक्षात्मक अध्ययन शीर्षक पर एम० जे० पी० रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से एम०ए० लघु प्रबंध।

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ के काव्य में रा ट्रीय चेतना शीर्षक पर एम० जे० पी० रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से एम० ए० लघु शोध प्रबंध

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ के काव्य में विविध स्वर शीर्षक पर एम० जे० पी० रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से एम० ए० लघु शोध प्रबंध

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ : संवेदना व शिल्प शीर्षक पर एम० जे० पी० रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली से एम० ए० लघु शोध प्रबंध

डॉ० महेश ‘दिवाकर’ : की साहित्य साधना शीर्षक पर कामराज मदुरै विश्वविद्यालय से एम०फिल० - २००७

वीरबाला कुँवर अजबदे पंवार (खण्डकाव्य) पर गुरूनानकदेव विश्वविद्यालय, अमृतसर (पंजाब) से एम०फिल-२००८

अकाशवाणी और दूरदर्शन से समय-समय पर अनेक रचनाएँ प्रसारित।

रा ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयो, महाविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में आयोजित अनेकशः संगोष्ठियों और सेमिनारों में विविध विषयों पर व्याखान।

देश-विदेश की अनेकशः पत्र-पत्रिकाओं और काव्य संकलनों में समय-२ पर विविध विधाशः रचनाएँ प्रकाशित।

नार्वे और स्वीडन की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक यात्रा- ५ दिसम्बर २००८ से १६ दिसम्बर २००८ तक।

देश-विदेश की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विविध अलंकरण एवं सम्मान।

सम्पर्क :

डॉ० महेश ‘दिवाकर’, डी०लिट्०

‘सरस्वती भवन’,

मिलन विहार, दिल्ली रोड, मुरादाबाद (उ०प्र०) पिन - २४४००१

E-mail: maheshdiwakar@yahoo.com

mcdiwakar@gmail.com

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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र 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मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
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रचनाकार: महेश ‘दिवाकर’ का चरितकाव्य : वीरांगना चेन्नम्मा अंतिम सर्ग
महेश ‘दिवाकर’ का चरितकाव्य : वीरांगना चेन्नम्मा अंतिम सर्ग
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