“…पति पति है , पतित क्यों नहीं है ? इस विषय पर भी मैंने चिन्तन किया है और आप सभी की जानकारी की वृद्धि हेतु यह बताना चाहता हूं कि अधिकांश ...
“…पति पति है, पतित क्यों नहीं है ? इस विषय पर भी मैंने चिन्तन किया है और आप सभी की जानकारी की वृद्धि हेतु यह बताना चाहता हूं कि अधिकांश पति पतित होते हैं।…” – इसी व्यंग्य से.
विश्व पति-प्रधान है। भारत भी पति-प्रधान है। पति अपनी दृष्टि में आदरणीय पत्नी की दृष्टि में दयनीय प्राणी है ।
पति का संबंध पत्नी से है। पति में मात्रा छोटी है लेकिन पत्नी में बड़ी है और यही कारण है कि पति हमेशा छोटा और पत्नी हमेशा बड़ी होती है। इधर देश के कर्णधारों ने पतियों की गिरती हुई अवस्था पर चिन्ता व्यक्त की है। चूंकि खबर मास्को से दिल्ली होते हुए मेरे शहर में आई है अतः मेरा भी पुनीत कर्तव्य है कि मैं भी इस चिन्ता पर अपनी चिन्ता व्यक्त करूं ।
चिन्ता व्यक्त करने के बाद अब मैं काम की बात करता हूं। वास्तव में पतियों पर अभी तक शोध नहीं होने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण तो ये है कि शोध की ही नहीं गई अतः शोध नहीं हुई। दूसरा कारण यह है हर पति के पास फालतू समय नहीं कि विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्षों की सेवा करें। वैसे आजकल शोध विषयों का अकाल-सा पड़ गया है, अतः मैंने पति पर एक प्रतिशोध प्रलाप का विषय चुना है। इस लघु भूमिका के बाद अब मैं मूल विषय की और अग्रसर होता हूं ।
पति पति है, पतित क्यों नहीं है ? इस विषय पर भी मैंने चिन्तन किया है और आप सभी की जानकारी की वृद्धि हेतु यह बताना चाहता हूं कि अधिकांश पति पतित होते हैं। यह पतन चारित्रिक, शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक वगैरा-वगैरा किस्म का पाया जाता है। मैं बड़े गर्व के साथ पतियों के वर्गीकरण के नये सिद्धान्तों का भी प्रतिपादन कर रहा हूं (बेन्थम, हुकर व अन्य प्राणीशास्त्री भी ध्यान देें)-
(अ) शादीशुदा पति
(आ) गैर शादीशुदा पति
(अ) शादीशुदा पति - इस प्रकार के पति प्रायः विकासशील देशों, कस्बों और आदिवासी इलाकों में पाए जाते हैं। ये यदाकदा अपनी पत्नियों को पीट-पाटकर पतिधर्म का निर्वाह करते हैं। ये वे पति हैं जो दहेज लेना धर्म समझते हैं ।
(आ) गैर शादीशुदा पति - ये वे पति हैं जो बिना शादी-वादी के चक्कर में पड़े पतिधर्म का लाभ प्राप्त करते रहते हैं। ऐसे पति प्रायः विकसित देशों, महानगरों और कविसम्मेलनों के मंच पर पाए जाते हैं ।
शादीशुदा पतियों का भी आगे वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है ः-
(1) पण्डिताऊ पति
(2) रजिस्टर्ड पति
(3) शोहदे पति
पंडिताऊ पति - ये वे पति हैं जो शादी सात फेरों से तोरण मार कर करते हैं। दहेज के बारे में तोरण मारने से पहले सब कुछ तय कर लेते हैं। वास्तव में अग्नि ही ऐसे पतियों को साक्षी देती है ।
रजिस्टर्ड पति - ये वे पति हैं जो कोर्ट में जाकर सिविल मैरिज करते हैं और दूसरे ही दिन तलाक हेतु नोटिस भी देते हैं। वास्तव में ये बड़े बेचारे किस्म के पति हैं, जिनकेा न माया मिलती है और न ही राम।
शोहदे पति - या लबाड़ी या टेम्परेरी और सेकिण्ड हैण्ड पतियों को परिभाषा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे पति हर चौराहे पर पिटते दिखाई देते रहते हैं। वैसे चौपड़ों पर ये बहुतायत से पाए जाते है। विदेश से लौटे मेरे एक मित्र बताते हैं कि विदेशों में पिटने का अपना रिकार्ड है। वहां पर लगभग पचास प्रतिशत पति हर रोज अपनी पत्नी से प्रसाद प्राप्त करते हैं। तब से ही मैंने विदेश यात्रा का लोभ छोड़ दिया है ।ं
पतियों के इस वृहद वर्गीकरण के बाद आपको मैं कुछ प्रमुख पतियों के जेनेरा व स्पेसीज से भी अवगत कराना चाहूंगा ः-
(क) प्रोफेसर पति -
ये वे पति हैं जो पति कम और नौकर अधिक दिखाई देते हैं। सेवेरे घर से निकलते समय पत्नी इन्हें एक रूपया देती है जो ये शाम को वापस बाइज्जत लौटा देते हैं। है न ‘ज्यों की त्यों धर दिन्ही चदरिया' का पतीय रूपान्तरण !
(ख) अफसर पति -
ये वे पति हैं जो घर पर चपरासी और आफिस में अफसर होते हैं। वास्तव में इनमें से कई पति तो दफ्तर में ही पति-धर्म का भी निर्वाह कर लेते हैं। इसक परिणामस्वरूप कई बार इनकी पत्नी-धर्म का लाभ इसी आफिस के अन्य कर्मचारियों से प्राप्त करती हैं ।
(ग) नेता पति -
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नेता न तो पति होता है और न ही परमेश्वर। बस नेता होता है। ठीक उसी प्रकार नेता पति न तो कुछ करता है और न ही किसी को कुछ करने देता है हां अगर पतियों का कोई संगठन बनने वाला हो तो उसका अध्यक्ष पद जरूर इनके लिए सुरक्षित रहना चाहिए। ऐसे पतियों के ही कारण सामाजिक प्रतिष्ठा मुफ्त में ही प्राप्त हो जाती है, ऐसा सयानों का कहना है ।
(घ) प्रयत्नशील पति -
ये वे पति हैं जिन्हें पति बनने का रोग लग जाता है। ये प्रारम्भ में बड़े ऊंचे स्थानों पर पति बनने की कोशिश करते हैं , लेकिन असफल रहते हैं। धीरे-धीरे ऐसे असन्तुष्ट पति लघु पत्रिका रूपी पत्नियों से जी बहलाते हैं ।
(च) सम्पादक पति -
अब अन्त में मैं आपको सम्पादक पतियों के बारे में बताता हूं। वास्तव में ये वे पति हैं जो कई बार अपनी पत्नी को भी सधन्यवाद सखेद वापस कर देते हैं और फलस्वरूप मारे जाते हैं ।
इधर पति बनने की कोशिशों ने कई हिंसात्मक मोड़ ले लिए हैं। पुलिस सबसे बड़ी बलात्कारी पतियों की फौज है। अतः पाठिकाओं, आप उधर मत जाना, उधर पुलिस है ।
आपका
व्यंग्यकार पति
0 0 0
यशवन्त कोठारी
86, लक्ष्मीनगर ब्रह्मपुरी बाहर,
जयपुर 302002 फोन 2670596
बहुत बढिया व्यंग्य्।
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर सोचता भी रहा और मंद-मंद मुस्कुराता भी रहा. आज रात को सोच कर कल बताऊंगा की इनमे से में कोनसा पति हु.(अगर समय मिला तो)
जवाब देंहटाएंधन्यवाद