आर के भारद्वाज का व्यंग्य - पंगा

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आ जकल समाज में एक शब्‍द का प्रचलन बहुत अधिक हो रहा है और वह है पंगा शब्‍द। अब इस शब्‍द की उत्‍पत्‍ति कहां से हुई यह जानकारी मेरे पास नहीं है...

जकल समाज में एक शब्‍द का प्रचलन बहुत अधिक हो रहा है और वह है पंगा शब्‍द। अब इस शब्‍द की उत्‍पत्‍ति कहां से हुई यह जानकारी मेरे पास नहीं हैं अमर कोष, गल्‍प,पुराण, वेद, शास्‍त्रों, हिन्‍दी शब्‍द कोष में भी यह शब्‍द देखने को नहीं मिला जिससे कि इसका वास्‍तविक अर्थ जाना जा सके । लेकिन यह शब्‍द समाज में इस प्रकार से व्‍याप्‍त है जिस प्रकार भ्रष्‍टाचार।

जहां तक मेरी खोज का प्रश्‍न है मुझे ऐसा लगा कि यह शब्‍द पंजाब से आया है क्‍योंकि अधिकतर मैने उन्‍हीं लोगों को इस शब्‍द का उच्‍चारण करते पाया है, मै यह मानकर चल रहा हूं कि यह शब्‍द पंजाब से चलकर समस्‍त भारत में ही नहीं अपितु पूरे ब्रहमाण्‍ड में गूंज रहा है।

आप यह मानकर चलिये कि पंगा शब्‍द कितना वजनदार हैं इसका अर्थ किन किन स्‍थानों में किया जा सकता है देखने वाली बात यह है । इसका वास्‍तविक अर्थ जानने का पंगा मत लें।

पंगा लेना का सीधा अर्थ जो मेरी समझ में आया है वह है किसी से टक्कर लेना। लेकिन यह मेरा अर्थ हुआ । मान लीजिये कि मैने एक आदमी को बिना बात थप्‍पड मार दिया और उस आदमी ने मेरी मरम्‍मत कर दी । देखने वालों को मै यह कहूंगा कि अरे यार जबरदस्‍ती उस आदमी से पंगा ले लिया था उधर वह आदमी कहेगा कि अरे यार मेरे से पंगा ले रहा था। अर्थात जितने वाला और हारने वाला दोनों को ही इस शब्‍द का प्रयोग करने की आजादी है।

पंगा शब्‍द को आप कहीं पर भी प्रयोग कर सकते हैं मान लीजिये मेरे बडे भाई को शाम को अपना गम गलत करने की आदत है(शराब पीने की) अब अगर वह भाभी से यह कहें कि मै अपना गम गलत करने जा रहा हूं तो भाभी कभी भी जाने नहीं देगी लेकिन अगर भाई यह कहें कि मै जरा पंगा लेने जा रहा हूं लेकिन कहें जरा धीर गम्‍भीर आवाज में तो भाभी न सिर्फ सामने से हठ जायेगी बल्‍कि जब तक वह वापस नहीं आ जाते शंका में डूबी रहेगी और भाई्र जब वापस आयेगें तो वह यह पंगा नहीं लेंगी कि आप गम गलत करके आ रहे हैं बल्‍कि यही कहेगी कि अच्‍छा हुआ आपने किसी से पंगा नहीं लिया । इस शब्‍द की इतनी महत्‍ता है कि आप हारने और जितने पर भी इसे आसानी से प्रयोग कर सकते हैं। मैने तो पंजाबी लोगों को अपने सहोदर,मित्र को भी प्‍यार से यह कहते सुना हैं कि '' डोन्‍ट टेक पंगा, पंगा इज नॉट चंगा''।

पंगा लेने की आदत हमारे पूर्वजों को भी थी, रावण ने राम से पंगा लिया, कौरवों ने पाण्‍डवों से पंगा लिया, बाली ने राम से पंगा लिया(तारा के समझाने के बाद भी)। गॉधीजी ने ब्रिटिश शासन से पंगा लिया, पाकिस्‍तान ने, चीन ने, हिन्‍दुस्‍तान से पंगा लिया, जनता पार्टी ने कांग्रेस से पंगा लिया, सद्‌दाम हुसैन ने अमेरीका से पंगा लिया, तालिबान ने अमेरिका से पंगा लिया,गद्‌दाफी ने अन्‍य मित्र राष्ट्रों से पंगा लिया, अर्थात पंगा लेने की कला काफी पौराणिक हैं साथ ही आधुनिक भी भले ही अब इसे कोई और नाम दे दिया जाये। अब इस चक्‍कर में मत पड़ें कि कौन जीता कौन हारा, यह तो उस पर निर्भर करता है कि पंगें का जवाब पंगे से कैसे मिला ।

अब आप देखिये कि अन्‍ना हजारे जी ने लोकपाल बिल पर सरकार से पंगा ले लिया, या यह कह सकते हैं कि सरकार इस पर अन्‍ना हजारे जी से पंगा लेने से नहीं डर रही है । अब देखिये कि दोनों तरफ से किस तरह अपने अपने दावों को मजबूत किया जा रहा है, कोई भी दल खुले आम अन्‍ना जी के साथ नहीं हैं और जो लोग अन्‍ना जी के साथ हैं वह कितने पानी में हैं यह दो चार दिनों बाद पता चल जायेगा कि अन्‍ना जी के पंगें के साथ कितने लोग पंंगा लेने को तैयार है। सरकार तरह तरह के दावों के साथ अन्‍ना जी के प्रस्‍ताव को ठुकरा रही है, मानो अन्‍ना जी कोई गलत बात कह रहे हैं। मेरे ख्‍याल से तो सरकार को संविधान में यह संशोधन भी कर देना चाहिये कि भ्रष्‍टाचार करने पर किसी भी व्‍यक्‍ति के प्रति कोई कार्यवाही नहीं होगी, छोटे लोग छोटा भ्रष्‍टाचार कर सकते हैं तथा बडे लोग बडा भ्रष्‍टाचार कर सकते हैं, यदि आज आपके पास 1000/- रुपये हैं और विधायक, नेता, सांसद, सी0ई0ओ0, किसी कम्‍पनी या निगम का प्रबन्‍ध निदेशक, अथवा अध्‍यक्ष बनने के बाद आपके पास एक करोड हो जाते हैं तो वह आपकी मेहनत की कमाई मानी जायेगी। यदि आप घूस, रिश्‍वत,चोरी चकारी, मिलावट, विदेशों में काला धन जमा करते हैं तो आपके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी इसके विपरीत यदि आप ईमानदारी से काम करते है तो सरकार,निगम या अन्‍य कोई संस्‍था जिसमें आप कार्यरत है आपसे पंगा लेने को स्‍वतन्‍त्र होगी। यदि इस प्रकार का और कोई सुझाव हों तो सरकार के पास भिजवायें ताकि संविधान में संशोधन किया जा सके तथा कोई सरकार से पंगा नहीं लें ।

बाबा रामदेव अच्‍छे भले योग को चला रहे थे, दुकान भी ठीक-ठाक चल रही थी, दवायें भी अच्‍छी खासी बिक रही थी, समाज में नाम भी था,दाम भी था, इज्‍जत शौहरत सब कुछ था, सुबह सुबह टी0वी0 पर लोगों को जगा देते थे फिर भला सरकार से पंगा लेने की क्‍या जरूरत थी, क्‍यों मंगाना चाहते थे विदेशों से काला धन, क्‍या काला धन आये बगैर हिन्‍दुस्‍तान चल नहीं रहा था, अब पंगा ले लिया तो भुगतो, भाई लोगों पंगा लेने की भी कला आनी चाहिये, मेरे विचार से तो सरकार को एक कैबिनेट स्‍तर का मंत्री, पंगा मंत्री बना देना चाहिये जिसका नाम पंगा विकास मंत्रालय होना चाहिये, इस मंत्रालय के अधीन सभी मंत्रालय हो जाने चाहिये, चाहे पाकिस्‍तान पंगा ले, चाहे चीन पंगा लें, राष्‍ट्रीीय स्‍तर या अर्न्‍तराष्‍ट्रीय स्‍तर का कोई भी पंगा हो उससे निबटने का काम पंगा मंत्री का होना चाहिये।

पंगा लेने या न लेने में प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति स्वतन्त्र है, क्‍योंकि पंगा सभी अर्थों में प्रयुक्‍त होता है मान लीजिये किसी पहलवान ने मेरे को टैक्‍निकल रूप से दुरूस्‍त कर दिया अब अगर मैं उससे पंगा लेता हूं तो लोग यही कहेंगे कि क्‍या जरूरत थी पंगा लेने की दुबारा अपनी मैन्‍टीनैन्‍स करवाने की, उधर अगर मैं उससे पंगा नहीं लेता हूं तो यह कह सकता हूं कि अरे उसे तो मैं वैसे ही ठीक कर सकता हूं लेकिन मैं पंगा नहीं लेना चाहता, अब देखिये दोनों ओर से जीत मेरी ही है।

मेरे ख्‍याल से पंगा लेने का तरीका कैसा हो इस पर जगह जगह दुकानें, कालेज प्रशिक्षण लेने के लिये खुल जाने चाहियें इससे दो फायदे होगें एक तो बेरोजगारी कम होगी, दूसरे लोगों को पंगा लेने का तरीका भी आ जायेगा, सरकार की सिर दर्दी भी कम होगी क्‍योंकि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को यह कला आ जायेगी, आज के नौनिहाल अर्न्‍तराष्‍ट्रीय स्‍तर के पंगेबाज बन जायेगें।

अस्‍तु अब यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि इस आलेख को पढ़ने के बाद इसे आप किस प्रकार का मोड़ देने की कोशिश करेंगे क्‍योंकि इसे लिखकर मैने तो रचनाकार के सम्‍पादक से पंगा ले ही लिया अब वह इसे आप तक पहुंचाकर कैसे मेरे पंगे का उत्‍तर देते हैं यह उन पर निर्भर करता है। तो भाई लोगों पंगा लेने की टैक्‍नीक को डिवलप करो और दिखाओ जमाने को कि आप भी पंगा लेना जानते हैं।

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आर0के0भारद्वाज

151/1, टीचर्स कालोनी

गोविन्‍द गढ,देहरादून

rkantbhardwaj@gmail.com

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रचनाकार: आर के भारद्वाज का व्यंग्य - पंगा
आर के भारद्वाज का व्यंग्य - पंगा
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