नये पुराने - मार्च 2011 - 10 : बुद्धिनाथ मिश्र - संचयन 1

SHARE:

  जाल फेंक रे मछेरे! एक बार और जाल फेंक रे मछेरे! जाने किस मछली में बन्धन की चाह हो! सपनों की ओस गूँथती कुश की नोक है हर दर्पण में उभरा...


 

जाल फेंक रे मछेरे!

एक बार और जाल फेंक रे मछेरे!

जाने किस मछली में बन्धन की चाह हो!

सपनों की ओस गूँथती कुश की नोक है

हर दर्पण में उभरा एक दिवालोक है।

रेत के घरौंदों में सीप के बसेरे

इस अंधेर में कैसे नेह का निबाह हो!

उनका मन आज हो गया पुरइन पात है

भिंगो नहीं पाती यह पूरी बरसात है। ......

 

नये पुराने

(अनियतकालीन, अव्‍यवसायिक, काव्‍य संचयन)

मार्च, 2011

बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता

पर आधारित अंक

कार्यकारी संपादक

अवनीश सिंह चौहान

संपादक

दिनेश सिंह

संपादकीय संपर्क

ग्राम व पोस्‍ट- चन्‍दपुरा (निहाल सिंह)

जनपद- इटावा (उ.प्र.)- 206127

ई-मेल ः abnishsinghchauhan@gmail.com

सहयोग

ब्रह्मदत्त मिश्र, कौशलेन्‍द्र,

आनन्‍द कुमार ‘गौरव', योगेन्‍द्र वर्मा ‘व्‍योम'

---

संचयन

जाल फेंक रे मछेरे!

बुद्धिनाथ मिश्र

जाल फेंक रे मछेरे!

एक बार और जाल फेंक रे मछेरे!

जाने किस मछली में बन्धन की चाह हो!

सपनों की ओस गूँथती कुश की नोक है

हर दर्पण में उभरा एक दिवालोक है।

रेत के घरौंदों में सीप के बसेरे

इस अंधेर में कैसे नेह का निबाह हो!

उनका मन आज हो गया पुरइन पात है

भिंगो नहीं पाती यह पूरी बरसात है।

चंदा के इर्द-गिर्द मेघों के घेरे

ऐसे में क्यों न कोई मौसमी गुनाह हो!

गूँजती गुफाओं में पिछली सौगंध है

हर चारे में कोई चुम्बकीय गंध है।

कैसे दे हंस झील के अनन्त फेरे

पग-पग पर लहरें जब बाँध रही छाँह हों।

कुंकुम-सी निखरी कुछ भोरहरी लाज है

बंसी की डोर बहुत काँप रही आज है।

यों ही न तोड़ अभी बीन रे संपेरे!

जाने किस नागिन में प्रीत का उछाह हो!

 

मुमकिन है

लिख गयी पूरी सदी

पागल हवा के नाम

राख में चिनगी

दफन हो जाय

मुमकिन है।

एक पहिया घूम

आया त्रासदी के पास

इस खुशी में बेतरह

रौंदे गये मधुमास।

जंग खाये स्तोत्र

फिर गूँजे सुबह से शाम

सिर बँधी पगड़ी

कफन हो जाय

मुमकिन है।

सख्त हैं सच की तरह

होते नहीं दोहरे

आइनों से हैं बहुत नाराज

कुछ चेहरे।

भीड़ की जागीर है

जंगल उठाओ जाम

आग बस्ती में

सपन हो जाय

मुमकिन है।

हर कलम की पीठ पर

उभरी हुई साटें

पूछती-हयमेध का

यह दिन कहाँ काटें।

मंत्र-जो जयघोष में पिछड़े

हुए गुमनाम

यह हँसी चिढ़कर

घुटन हो जाय

मुमकिन है।

 

जिजीविषा

नदी रुकती नहीं है

लाख चाहे सेतु की कड़ियाँ पिन्हा दो

ओढ़ कर शैवाल वह चलती रहेगी।

धूप की हल्की छुअन भी

तोड़ देने को बहुत है

लहरियों का हिमाच्छादित मौन

सोन की बालू नहीं

यह शुद्ध जल है

तलहथी पर

रोकने वाला इसे है कौन?

हवा मरती नहीं है

लाख चाहे तुम उसे तोड़ो-मरोड़ो

खुशबुओं के साथ वह बहती रहेगी।

आँधियों का आचरण

या घना कोहरा जलजला का

काटता कब हरेपन का शीश?

खेत, बेहड़ या कि आँगन

जहाँ होगी उगी तुलसी

सिर्फ देगी मुक्तकर आशीष।

शिखा मिटती नहीं है

लाख अंधे पंख से इसको बुझाओ

आँचलों की ओट वह जलती रहेगी।

 

इन्द्रधनु कँपने लगा

एक प्रतिमा के क्षणिक संसर्ग से

आज मेरा मन स्वयं देवल बना।

मैं अचानक रंक से राजा हुआ

छत्र-चामर जब कोई आँचल बना।

मैं अजानी प्यास मरुथल की लिये

हाँफता पहुँचा नदी के द्वार पर

रक्तचंदन की छुअन अंकित हुई

तलहथी की छाप-सी दीवार पर।

तुम बनी मेरे अधर की बाँसुरी

मैं तुम्हारे नैन का काजल बना।

यह तुम्हारा रूप-जिसकी आब से

घाटियों में फूल बिजली के खिले

इन्द्रधनु कँपने लगा कन्दील-सा

जब कभी ये होठ सावन के हिले।

खिलखिलाहट-सी लिपट एकान्त में

चाँदनी देती मुझे पागल बना।

तुम मिले जबसे, नशीले दिन हुए

नीड़ में खग-से सपन रहने लगे

मैं तुम्हें देखा किया अपलक-नयन

देवता मुझको सभी कहने लगे।

जब कभी मैं धूप में जलने लगा

कोई साया प्यार का, बादल बना।

मैं अचानक रंक से राजा हुआ

छत्र-चामर जब कोई आँचल बना।

 

मारिशस

वे हमारे ही पिता तो थे।

जो गये थे सात सागर पार

सभ्यता की ईख बोने

आचरण की भीख देने

औ बहाने एक सुरसरि-धार

वे हमारे ही पिता तो थे।

परकटे थे वे

अहेरी के छलावे में-

बिक गये थे, चंद सपनों के

भुलावे में

बन गये थे बाज के आहार

वे हमारे ही पिता तो थे।

तोड़कर जब से गये थे

वे सुनहरी पाँख

फिर कभी बोली न

माँ की डबडबायी आँख

लख न पाया जिन्हें नन्हा प्यार

वे हमारे ही पिता तो थे।

लाख वे रौंदे गये

फिर भी जले प्रतिपल

तन बिका था

किन्तु मन था शुद्ध गंगाजल

रच दिखाया इक नया संसार

वे हमारे ही पिता तो थे।

 

यह तपन हमने सही सौ बार!

चिलचिलाहट धूप की

पछवा हवा की मार

यह तपन हमने सही सौ बार।

सूर्य खुद अन्याय पर

होता उतारू जब

चाँद तक से आग की लपटें

निकल पड़तीं।

चिनगियों का डर

समूचे गाँव को डँसता

खौलते जल में

बिचारी मछलियाँ मरतीं।

हर तरफ है साँप-बिच्छू के

जहर का ज्वार

यह जलन हमने सही सौ बार।

मुंह धरे अंडे खड़ी हैं

चीटियाँ गुमसुम

एक टुकड़ा मेघ का

दिखता किसी कोने!

आज जबसे हुई

दुबरायी नदी की मौत

क्यों अचानक फूटकर

धरती लगी रोने?

दागती जलती तवे-सी

पीठ को दीवार

यह छुअन हमने सही सौ बार।

तलहटी के गर्भ में है

वरुण का जीवाश्म

इन्द्र की आत्मा स्वयं

बन गयी दावानल

गुहाचित्रों-सा नगर का

रंग धुँधला है

गंध मेंहदी की पसारे

नींद का अँाचल।

चौधरी का हुआ

बरगद-छाँह पर अधिकार

यह घुटन हमने सही सौ बार।

 

बबूल वन

रोपें हम क्यों बबूल वन

आंगन में।

काँटों की क्यों सहें चुभन?

आँगन में।

इच्छा अपनी असीम है

छोटे, पर, हाथ-पाँव हैं

एक खुशगवार जिन्दगी

जीने को कहाँ ठाँव है?

क्यों चेहरे पर उगे शिकन?

आँगन में।

बारहसींघे की सींगें

उलझा-उलझा कर मारें

पीछा उस पार तक करें

मन की अनसुनी पुकारें।

कौन पिये उम्र भर घुटन?

आंगन में।

नीम गाछ उतरा सारस

राग-विद्ध पंख समेटे

संन्यासी रवि सिवान पर

संध्या को चीवर भेंटे।

बाँधेंगे क्यों भरे नयन?

आँगन में।

रोपें हम क्यों बबूल वन

आँगन में।

 

विजय के फूल

हम विजय के फूल हैं

चुपचाप धरती को

समर्पित हो लिया करते।

हम कभी उत्सव न

तोरणद्वार बनते हैं

तोड़ सन्नाटा

महज कुछ

मंत्र गुनते हैं।

हम नदी के कूल हैं

रहकर अबोले

घाव अन्तर के

लहर से धो लिया करते।

धूप-वर्षा जो हमें

आकाश देता है

सह उसे चुपचाप

वन सिर झुका लेता है

हम सड़क की धूल हैं

रहकर अजाने

सूर्य के रथचक्र को

बस, ढो लिया करते।

हम विजय के फूल हैं

चुपचाप धरती को

समर्पित हो लिया करते।

 

एक किरन भोर की

एक किरन भोर की

उतरायी आँगने

रखना इसको संभालकर

लाया हूँ माँग इसे

सूरज के गाँव से

अँधियारे का खयाल कर।

अंगीठी ताप-ताप

रात की मनौती की

दिन पूजे धूप सेंक-सेंक

लिपटाकर बचपन को

खांसते बुढ़ापे में

रख ली है पुरखों की टेक।

जलपाखी आस का

बहुराया ताल में

खुश है लहरें उछालकर

सोना बरसेगा

जब धूप बन खिलेगा मन

गेंदे की हरी डाल पर।

सरसों के खेतों में

तितलियाँ उड़ाते-से

डहडहे पहर चले गए

दुख है बस इतना

हर मौसम के हाथों

हम बार-बार क्यों छले गये!

गुनगनी उसाँस को

देहरी से बाँधूँ या

बाँट दूँ इसे निकालकर?

भला नहीं लगता

यह सर्द-सर्द सम्बोधन

सेज के नये पुआल पर।

 

आर्द्रा

घर की मकड़ी कोने दुबकी

वर्षा होगी क्या?

बायीं आँख दिशा की फड़की

वर्षा होगी क्या?

सुन्नर बाभिन बंजर जोते

इन्नर राजा हो!

आँगन-आँगन छौना लोटे

इन्नर राजा हो!

कितनी बार भगत गुहराये

देवी का चौरा?

भरी जवानी जरई सूखे

इन्नर राजा हो!

आगे नहीं खिसकता सूरज के

रथ का पहिया

भुइँलोटन पुरवैया सिहकी

वर्षा होगी क्या?

छाती फटी कुआँ-पोखर की

धरती पड़ी दरार

एक पपीहा तीतरपाखी घन को

रहा पुकार

चील उड़े डैने फैलाये

जलते अम्बर में

सहमे-सहमे बाग-बगीचे

सहमे-से घर द्वार।

लाज तुम्हीें रखना पियरी की

हे गंगा मइया!

रेत नहा गौरैया चहकी

वर्षा होगी क्या?

 

बागमती

अबकी फिर बागमती

घर-आँगन धो गयी।

बेजुबान झोपड़ियाँ

बौराये नाले

बरगद के तलवों में

और पड़े छाले।

अँखुआये कुठलों में

मडुआ के दाने

कमला को भेंट हुए

ताल के मखाने।

बालो पंडितजी की मड़ई

डुबो गयी

अबकी फिर बागमती

घर-आँगन धो गयी।

छप्पर पर रेंग चुके

कछुओं के बेटे

बीच धार बही खाट

सुजनी समेटे।

पाेँक में सनी गैया

ऊँघती ओसारे

चूल्हे में बैठ

नाग केंचुली उतारे।

दुखनी की आँखों की कोर

फिर भिगो गयी

अबकी फिर बागमती

घर-आँगन धो गयी।

 

पारदर्शी रूप

अनजाने ही तेरी छवि

प्राणों में है इस तरह समायी

जब-जब चित्र बनाऊं अपना

तेरा रूप उभर आता है।

सीख रहा मैं फिर चिर-विस्मृत

पाषाणी गह्वर की भाषा

विफल हुए संकेत पुरातन

सुलगी नव मुद्रा की आशा।

पीड़ाहीन मुक्ति क्या होगी?

ममतामय बंधन की प्यासें

मुझसे कहतीं-आ बन्दी,

प्रस्तर में नव भावना तराशें।

बहते जब वन में बिन रोके

सहसा परिवर्तन के झोंके

कोई फूल बिखर जाता है

कोई फूल सँवर जाता है।

मिटीं लकींरे विष-अमरित की

लिपटा जिस दिन चंदन-तरु से

ढेरों फूल खिले सपनों के

ढेरों शंख दूब पर हरसे।

गीत हुए बोझिल भावों से

भींगी तुहिन-कणों से पांखें

इस जीवन-यात्रा का सम्बल

तेरी ये खंजन-सी आँखें।

तू मेरे हारिल की लकड़ी,

तू मेरी हर साँस उमर की

तेरी छाँह सुनहरी पाकर

मेरा रंग निखर जाता है।

 

सांध्यदीप

मैं दीप जलाऊँ प्राण! तुम्हारी राहों में

तुम मावस की इस रात

सुबह बनकर आना।

तुम जब-जब जाते दूर

तुम्हारी यादों में

खोयी देहरी बरसों

गुमुसुम बैठी रहती।

तुम अँजुरी में भर जिन्हें

प्यार करते थे, उन

गाालों पर काजल की

जमुना बहती रहती।

तुम किसी सुहागिन के

माथे की बिंदिया हो

यह बात तुम्हें सौगन्ध

कभी ना बिसराना।

तुम बिन सूना-सूना लगता

सारा जीवन

रीता-रीता लगता है

मन का ताजमहल।

मछली तड़पे जैसे

कछार की रेती पर

मैं तड़पूँ सूनी सेज पिया!

करवटें बदल।

ये गलियाँ, ये चौबारे तुमको

याद करें

तुम नरम धूप बनकर

इनको सहला जाना।

तुम आओ, तो

गजरे-सी गले लिपट जाऊँ

बंदनवारों-सी खड़ी रहूँ

अगवानी में।

रात का चाँद क्या जाने

कुम्हलाती कैसे

नलिनी दिन में

जब आग लगी हो पानी में।

पत्थर की एक अहल्या को

जीवन देने

भूले-भटके हे राम!

कभी तुम आ जाना।

 

तुम्हारी याद

नदिया के पार जब दिया टिमटिमाए

अपनी कसम,

मुझे तुम्हारी याद आए।

जब कोई चाँद, कोई फूल मुस्कुराए

अपनी कसम

मुझे तुम्हारी याद आए।

प्यासा हिरन मेरा मन आज तरसे

पानी को पानी न पाय

माटी भी सोना बने जिसके परसे

ऐसी जवानी न पाय

तुममें घुला ऐसे मैं जैसे आँसू

मुस्कान में घुल जाय

बारी उमरिया की धानी चुनरिया-सी

निंदिया मेरी उड़ जाय।

जब कोई अँचरा से दियना बुझाए

अपनी कसम

मुझे तुम्हारी याद आए।

चंदन की वीणा-सी देह यह तुम्हारी

अंग-अंग बजती सौगंध

किसने गढ़ी है ये सोने की मूरत

किसने रचा यह प्रबन्ध

ओ मेरी अँधियारी रातों के सपने!

आओ बंधें एक छन्द

होठों से जोड़ें हम पिछले जनम के

टूटे हुए अनुबंध।

जब मेरी विनती मूरत ठुकराए

अपनी कसम,

मुझे तुम्हारी याद आए।

छूटा है संग जो पान-लता का

मुरझा गझिन कचनार

आँखें बचाके बहुत मन रोया

जब भी पड़ा त्योहार

बीती हुई मोरपंखों की शामें

तुमको रही हैं पुकार

रह-रहके मेरा दहिन अंग फड़के

रह-रह उमड़ आए प्यार।

जब सभी अपने हैं लगते पराये

अपनी कसम

मुझे तुम्हारी याद आए।

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. कृपया एक एक कर रचना दें तो अच्छा रहेगा या फिर पूरे संग्रह को एक फाइल के रूप में..

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: नये पुराने - मार्च 2011 - 10 : बुद्धिनाथ मिश्र - संचयन 1
नये पुराने - मार्च 2011 - 10 : बुद्धिनाथ मिश्र - संचयन 1
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzjyTliumtmbuPBvUAxb5FEUzVDK-2xoEejNRdC5fvBAaDV16Nm-KguXZNH_lc29N-DtN4fhak8DDUwEu5yvA0r54Lhn5B9V9zmI0hZzsSgwt5TLJQfAO_A_rK7RPk2A47IwT1/s1600/naye-purane+%2528Mobile%2529.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzjyTliumtmbuPBvUAxb5FEUzVDK-2xoEejNRdC5fvBAaDV16Nm-KguXZNH_lc29N-DtN4fhak8DDUwEu5yvA0r54Lhn5B9V9zmI0hZzsSgwt5TLJQfAO_A_rK7RPk2A47IwT1/s72-c/naye-purane+%2528Mobile%2529.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/08/2011-10-1.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/08/2011-10-1.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content