कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - इंडियन राइटर्स लीग बतर्ज़ आईपीएल

SHARE:

जनार्दन जी की स्वीकृति और आशीर्वचन मिलने के बाद से मैं अपनी गिनती स्वयंभू लेखकों में करने लगा हूँ . लेखकीय वाइरस से संक्रमित होने के कारन व...

जनार्दन जी की स्वीकृति और आशीर्वचन मिलने के बाद से मैं अपनी गिनती स्वयंभू लेखकों में करने लगा हूँ . लेखकीय वाइरस से संक्रमित होने के कारन व्यंग्य, गीत, ग़ज़ल, कहानी, लेख में थोड़ा-थोड़ा हाथ पैर मारने के बाद अब उपन्यास में हाथ आज़माना चाहता हूँ . मुझे इस मामले में अपनी औकात का भरपूर अंदाजा है फिर भी स्वयं को मैं झोला-छाप साहित्यकारों की श्रेणी में रखने को कत्तई तैयार नहीं हूँ . जनार्दन जी जीवट और उत्साह से ओतप्रोत हैं ही और उनके संगत में मुझे भी इसे अपने साथ रखने की प्रेरणा मिलती रहती है . सचमुच बड़े भाग्य से किसी को अपने गुणों को पहचानने वाला मिलता है. मेरे गुणों को पहचानने वाला उनके जैसा गुणग्राहक कहाँ मिलेगा, इस बात से मैं शत-प्रतिशत आश्वस्त हो गया हूँ.

जनार्दन जी के पास मैं अपने ज़हन में अपने भावी उपन्यास के लिए पल रहे पात्रों के बारे में सलाह-मशविरा करने गया तो देखा कि वे बहुत ही उत्साहित मुद्रा में विराजमान हैं. दरअसल, उनके गंभीर और संजीदे हाव-भाव के मुकाबले उनकी यह मुद्रा मुझे अच्छी लग रही थी परिणामतः मैं भी उत्साहित महसूस करने लगा. कुछ देर हम दोनों इसी हाल में रहते पर वे स्वयं बीच में आ गए और पूछने के अंदाज़ में बोले- 'आप के शहर में कितना बड़ा इवेंट होने जा रहा है, आप भी कुछ अता-पता रखते हैं.' इस सिलसिले में कुछ भी मालूम न होते हुए भी मैंने पूरे अदब से कहा कि हमारे अदब और तहजीब के शहर में रैलियों और प्रदर्शनों के अलावा अक्सर ही जलसे, महफ़िलें, मुशायरे, महोत्सव और दीगर इवेंट्स होते ही रहते हैं.

जनार्दन जी को मुझसे अपेक्षित जानकारी नहीं मिली तो वे कहने लगे कि 'यह तो ठीक है कि हमारे शहर में चहल-पहल और गहमा-गहमी का माहौल बना ही रहता है पर किसी भी इवेंट के छोटे या बड़े, भारी या हलके, क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्टार के होने से उतना फर्क नहीं पड़ता जितना इस बात से कि ऐसे आयोजनों के पीछे की भावना और आगे की संभावित उपलब्धियां क्या हो सकती हैं. वैसे मैं उन आयोजनों को बड़ा और भारी मानने लगा हूँ जिसमे भारी और बड़े लोग जुड़े हों, भारी धन लगा हों और भारी भीड़ जुटी हो. जो जितना हिलाए, जितना बहलाए और जितना सहलाए उतना ही वजनदार होगा,

जनार्दन जी ने वजनदार की चर्चा की तो मैंने भी अपने दिमाग पर हल्का-सा वजन डालने की सोचने लगा. मेरे सोच की प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुयी थी कि जनार्दन जी ने एक नए आयोजन के होने की जानकारी से पर्दा उठाया और बताने लगे कि कुछ स्वनामधन्य और बहुत सारे आप जैसे स्वयंभू साहित्यकारों का एक डेलिगेशन सरकार से मिलने और अपनी मांगे रखने की योजना बना रहा है. इन लोगों की यह भी योजना है कि सरकार के सामने एक प्रस्ताव यह भी रखा जा सकता है कि आईपीएल की तरह आई.डब्लू.एल (इंडियन राइटर्स लीग) का गठन और संचालन किया जाय जिसके अंतर्गत लेखकों और कवियों की खरीद और नीलामी की जाय और इनकी प्रतिभा का इस्तेमाल देश के स्वर्गस्थ और मृत्युलोक के समकालीन राजनेताओं को समर्पित अभिनन्दन ग्रन्थ, महात्म्य, शतक, काण्ड, विरदावली, रासो, चालीसा और ग्रंथमाला आदि रचने के लिए किया जाय.

खरीद और नीलामी की बात पर मन थोड़ा उचाट और खट्टा इस बात के लिए हुआ कि चाहे क्रिकेटर हो या लेखक, स्टार हो या सारिकाएँ सभी हैं तो इंसान हैं और इनकी खरीद और बिक्री कहाँ तक जायज़ है. 'साहित्यकार भी बिक सकता है' सोचकर वितृष्णा से मन भरने लगा. फिर ज़हन ने इसे जायज़ ठहराने की कोशिश की कि हमारे कई पर कुछ नेता भी तो आदमी ही होते हैं और बिकने को भी तैयार होते हैं. फिर मैंने सोचा कि मैं इस झमेले में क्यों पडूं. रही बात साहित्यकारों की तो बिकने या नीलामी होने के बजाय बोंड या कान्ट्रेक्ट के ज़रिये भी उन्हें इंगेज किया जाता है तो भी वे बंधुआ कहलायेंगे ही.

जो भी हो मुझे यह सोच और स्कीम दोनों ही धांसू लग रहे थे क्योकि कहीं मेरे फिट होने का रास्ता निकाला जा सकता था. इतने में जनार्दन जी ने दूसरा खुलासा किया और बताया कि एक योजना यह भी है कि सरकार काश्मीर, उत्तरपूर्व, बुंदेलखंड को मिलने वाले पॅकेज की तरह किसी पॅकेज का ही एलान करे और संस्थानों द्वारा दिए जा रहे सम्मानों और पुरस्कारों से वंचित और उपेक्षित (मेरे जैसे) राइटर्स के सुख सुविधा का भी सरकार ध्यान रखे.

जनार्दन जी यह अच्छी तरह समझ रहे थे कि उनकी बातों से मैं आल्हादित होने की स्थिति में आने लगा हूँ. वे नहीं चाहते थे कि अभी कुछ देर तक ही सही मैं इस मनोदशा से बाहर आऊं. लगे हाथ उन्होंने यह भी संभावना जताई कि हो सकता है कि सरकार इस यज्ञ के लिए टेंडर प्रणाली का सहारा ले और इसमे पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह सारी प्रक्रिया 'ऑनलाइन' की जाय. डर और आशंका इस बात को लेकर भी मन में घर करने लगी थी कि नीलामी की योजना का हश्र कही 'टूजी' और ‘थ्रीजी’ स्पेक्ट्रम वाला न हो जाय. मेरे मन को इस बात से खुशी हो रही थी कि संभव है कि हमारे जैसे लोग प्रकाशकों की दादागीरी और तिरस्कार-शोषण-दोहन की सांसत से बच जांय.

इस सब के आगे अब मैं स्कीमों और योजनाओं के बारे में जानने और सुनने के बजाय इस बात में रूचि लेने की सोचने लगा कि इनमे से मेरे हाथ क्या लग सकती है या मैं क्या हथियाने की जुगाड़ कर सकता हूँ. मैंने सोचा कि लगे हाथ जनार्दन जी से यह भी जान लूँ कि किन विषयों अथवा विभूतियों को ये सारे लेखन समर्पित होंगे. मेरी बेताबी बढ़ने लगी थी. इतना उतावलापन मैंने कभी भी नहीं महसूस किया था. लेखकों-कवियों के लिए किसी पॅकेज या अनुदान योजना आदि में मेरी कोई दिलचस्पी नही थी. मेरी मन में इकलौती हसरत घर कर चुकी थी कि मुझे कोई खरीदे और मैं किसी के हाथ बिकू. मैं बिक जाने के बाद भी स्वान्तःसुखाय कुछ ऐसा रच जाना चाहता था जिससे आने वाली सात-सात पीढियां मुझे याद रखती. तत्काल मैंने दंडवत की मुद्रा में जनार्दन जी से आग्रह किया कि वे उन ग्रंथों, महात्म्यों, और विरदावालियों से मुझे अवगत कराएं जिसमे से दो-चार पर अपना हक जमाने की कोशिश कर सकूँ.

जनार्दन जी मेरी पीड़ा समझ रहे थे, मेरी मेधा और प्रतिभा का अनुमान उन्हें था ही. उन्होंने सबसे पहले लेडीज़ फ़र्स्ट को दृष्टिगत रखते हुए उन महिला विदुषियों का उल्लेख किया जिन पर महात्म्य की रचना की जा सकती थी. इस श्रेणी में सोनिया, सुषमा, ममता, जयललिता, माया, उमा, मीरा, वृंदा का नाम आया तो मुझे लगा कि देवियों के लिए समर्पित की जाने वाली रचनाएँ महात्म्य के रूप में ही उपयुक्त लगेंगी. इसके बाद बारी आयी विरदावालियों की तो जिसके लिए अटल, आडवाणी , मनमोहन, प्रणव, सोमनाथ, ज्योति, फारुख, शरद, रामविलास जैसे नामों पर सहमति बनती लग रही थी. मुझे कुछ और वीरों और धुरंधरों की याद आ रही थी कि इस बीच जनार्दन जी बोल पड़े कि कुछ चालीसा और पचीसी टाइप साहित्य की भी रचना की जा सकती है और इसके लिए लालू, मुलायम, नायडू, बादल, चौटाला, नितीश आदि को लिया जा सकता है. जैसे-जैसे शीर्ष और शिखर भद्र पुरुषों और महिलाओं की सूची जनार्दन जी मेरे सामने रखते जा रहे थे उससे मेरे मन में एक भय और शंशय पलने लगा था कि कही कोई नाम उनसे छूट या रह गया तो कही लेने के देने न पड़ जाय हालाँकि मेरे ऊपर कोई बात आने के बजाय संभवतः उन्ही के पल्ले पड़ती. मुझे लगा कि जोर्ज और एनडी की अनदेखी सही नहीं होगी. तभी मेरा ध्यान छोटे भाई की और गया और उनके लिए अमर-रहस्य-पुराण का रचा जाना ज़रूरी लगा.

मैं चाहता था कि कुछ और विकल्प सामने आये तो उनमे से दो-चार का वरण करूँ. मैं मौन रहा तो जनार्दन जी ने सूची आगे बढ़ाई. अब वे पुराणों पर आते हुए बताने लगे कि वैसे तो एक पुराण 'भ्रष्टाचार पुराण' में कईयों को समेटा और लपेटा जा सकता है पर इससे लेखकों-कवियों के लिए उपलब्ध ऑप्शन कम और सीमित हो जायेंगे अतः अलग-अलग विभूतियों के लिए पुराणों को रचने के अलावा एक 'महा भ्रष्टाचार पुराण' का सृजन किया जा सकता है जिसे काल-खंडो में और प्रसंगों के अनुसार बांटा जा सकता है. जनार्दन जी शंकाग्रस्त इस बात को लेकर हुए कि काल-खण्डों और प्रसंगों की बात मेरे समझ में नहीं आने वाली है इसलिए उन्होंने स्पष्ट किया कि पंचवर्षीय कालखंड के रूप में घोटालों का वर्णन करने के साथ-साथ इनसे जुड़े विषयों जैसे बोफोर्स, पशुपालन, हवाला, दूरसंचार, चारा, बराक मिसाइल, तहलका, ताज कोरीडोर , तेल के बदले अनाज, कैश फ़ॉर वोट, सत्यम, आदर्श सोसाइटी, राष्ट्रमंडल खेल और टूजी स्पेक्ट्रम, मनरेगा, स्वास्थ्य मिशन आदि को कवर किया जा सकता है. मुझे आभास हो रहा था कि भले ही इन्हें घटित होने में बीस-बाईस साल ही लगे हों पर उन पर किसी महापुराण लिखने में तो सदियाँ लग जायेंगी.

इस आभास के साथ मेरा यह अहसास भी मेरे ज़हन से बाहर आने लगा कि जनार्दन जी से कुछ विषय अथवा प्रसंग अनजाने ही छूट रहे थे. पर जनार्दन जी से कुछ छूट या रह जाय ऐसा तो हो ही नहीं सकता था इसलिए उन्होंने फ़ौरन अपनी अब तक की बात में आगे यह जोड़ ही दिया कि हर्षद मेहता, केतन पारेख, तेलगी, सुखराम, राजा, सुरेश, मधु कौड़ा, मोदी(ललित) पर तो अलग-अलग प्रसंग या एपिसोड लिखे जा सकते हैं. मैंने जनार्दन जी से अत्यंत विनम्र भाव से पूछा कि क्या रासो के लिए भी कुछ सख्सियतों का चयन किया गया है. उन्होंने मुझसे भी ज़्यादा विनम्र और सविनय स्वरों में बताया कि विनय, उद्धव, राज आदि पर रासो रचे जाने पर विचार किया जा सकता है. उन्हें संभवतः यह महसूस हुआ कि इसके लिए राहुल का नाम भी लिया जा सकता है तो उन्होंने राहुल के साथ ही अखिलेश, उमर आदि को रासो लिखे जाने की सूची में रख ही लिया.

अब तक यह स्पष्ट हो गया था कि केवल सियासी लोगों को ही इस योजना के अंतर्गत शामिल किया जा रहा है लेकिन तभी अन्ना की हुंकार, रामदेव की चेतावनी और श्री श्री के सत्संग की लहर का स्मरण होते ही जनार्दन जी अपराध बोध से ग्रस्त होते लग रहे थे क्योंकि राजनीति में इनके हस्तक्षेपरहित रूचि की बात जगजाहिर हो रही थी. इसीलिये उन्होंने अन्ना के लिए वांग्मय, बाबा के लिए अभिनन्दन-ग्रन्थ और संत और मनीषी के लिए विरदावली के सृजन का प्रस्ताव रखा.

यकायक जनार्दन जी गंभीर हो गए. इस परिवर्तन का सबब जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि किंचित विभूतियों का उल्लेख संभवतः छूट या रह गया हो पर ऐसा सायास रहा हो ऐसी बात नहीं है और फिर अंत में 'भूल चूक लेनी देनी' का प्रावधान तो होता ही है. मुझे लगने लगा कि इस मुहर का प्रयोग वे अपनी बात के समापन के लिए कर रहे है पर ऐसा नहीं था. उन्होंने मुझसे यह बात पूरे बलपूर्वक कहा कि दिवंगत और स्वर्गस्थ देशरत्नों के लिए विशिष्ट श्रद्धांजलि विशेषांक की रचना देश के मूर्धन्य साहित्यकारों के पैनल द्वारा कराया जाएगा.

मैं मन ही मन स्वर्गीय महान आत्माओं के बारे में सोचने लगा और फिर यह भी लगने लगा कि उनके नामों की चर्चा तभी की जायेगी जब यह योजना आगे बढ़ेगी. जनार्दन जी ने इस बारे में अपनी जो मंशा बतायी वह मेरी सोच की प्रमाणित सत्य प्रतिलिपि ही थी. जनार्दन जी अब कुछ आगे कहते या बताते अथवा मैं अपनी कोई जिज्ञासा या शंका उनके सामने प्रस्तुत करता इससे पहले ही मेरा ह्रदय परिवर्तन होने लगा था. देश के कर्णधारों और खेवनहारों की प्रशंसा और यशगान राष्ट्रद्रोह न होकर परम पुनीत राष्ट्रीय दायित्व है इसलिए उन पर ग्रन्थ, पुराण, महात्म्य, चालीसा और चरित सार आदि लिखना सौभाग्य ही कहा जा सकता है. मेरा मन अब इस सौभाग्य से वंचित रह जाने के प्रति आकर्षित होने लगा तो क्षण भर के लिए मुझे अपने ऊपर अचम्भा होने लगा और फिर मन उचाट और खिन्न इस बात को लेकर होने लगा कि स्वयंभू अथवा झोलाछाप लेखक ही सही परन्तु क्या एक साहित्यकार होते हुए मैं किसी खरीद-फरोख्त या नीलामी का हिस्सा होकर अपनी बिरादरी के नाम पर कलंक का कारण कभी बनाना चाहूँगा. मेरे स्वयं से पूछे गए इस प्रश्न का त्वरित उत्तर मेरे अंतस ने दिया. वह इसके लिए रंच मात्र भी तैयार नहीं था. समय रहते ही मेरे अंतःकरण ने मुझे सही दिशा और सही राह दिखा दिया, इस बात से मैं अभिभूत था. मन की मन में समेटे मैं जनार्दन जी से अलविदा कहते हुए अपनी राह पकड़ ली.

**********************

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - इंडियन राइटर्स लीग बतर्ज़ आईपीएल
कृष्ण गोपाल सिन्हा का व्यंग्य - इंडियन राइटर्स लीग बतर्ज़ आईपीएल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPokI8Zy3eCq86Ij60lWh2SEwQLBiWVCU2tldpNhYssn3OX8YmM-TYKZYqbypLix3YWtmrWP7jhKC6NHlYLeL6BABxgk8KrxUIpORmf6QhK5eZuUzxl4MX5o5lxuw5ICkC8Edp/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPokI8Zy3eCq86Ij60lWh2SEwQLBiWVCU2tldpNhYssn3OX8YmM-TYKZYqbypLix3YWtmrWP7jhKC6NHlYLeL6BABxgk8KrxUIpORmf6QhK5eZuUzxl4MX5o5lxuw5ICkC8Edp/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2011/11/blog-post_4526.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2011/11/blog-post_4526.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content