आज शाम से ही उमा आंसुओं की बरसात में भीगी जा रही थी। रमेश के बार-बार समझाने पर भी उसका मन नहीं बहल रहा था। बस बार-बार वह उस पल को कोस रही थ...
 
आज शाम से ही उमा आंसुओं की बरसात में भीगी जा रही थी। रमेश के बार-बार समझाने पर भी उसका मन नहीं बहल रहा था। बस बार-बार वह उस पल को कोस रही थी जब उसने अल्ट्रासाउंड कराकर भ्रूण की हत्या करवाई थी।
आज भी उसे वो दिन अच्छी तरह याद है जब उसने सुना कि उसके गर्भ में लड़की है तो उसने अपनी डाक्टर से कहा कि उसका अबार्शन करवा दें। डाक्टर ने उसे समझाया भी कि यह उसकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा और अबाॅर्शन कराना गलत है, पर उस पर तो मानो पागलपन सवार था।
अंततः उसने एक दूसरी डाक्टर ढूंढ़ ही लिया, जो पैसे लेकर अबार्शन करती थी। कितनी खुश थी वह उस दिन, मानो अपना अंश नहीं बल्कि शरीर का कोई फोड़ा निकलवाकर आई हो। चहकते हुए उसने रमेश से कहा था कि इस बार हम शुरू से ही पूरा ध्यान रखेंगें कि लड़का ही पैदा हो।
वक्त पहिये लगाकर चलता रहा। जब कई महीने बाद भी उसे गर्भ नहीं ठहरा तो डाक्टर के पास पहुँची। डाक्टर ने उसके कई चेक-अप कराये पर होनी को कुछ और ही मंजूर था। डाक्टर ने उसे गौर से देखा और कहा- “सारी, पर अब आप कभी माँ नहीं बन सकतीं।“
”......लेकिन डाक्टर साहिबा, भला ऐसा कैसे हो सकता है ?”
”मैंने तो आपका पहले ही समझाया था पर आप नहीं मानीं......”
ऐसा लगा मानो उसके ऊपर वज्रपात हो गया हो, उसका सारा शरीर सुन्न सा पड़ गया। उसके सारे अरमान एक ही पल में बिखर गए। अगर उस दिन यह भारी भूल न की होती तो आज वो भी माँ बन चुकी होती। लेकिन अब तो ताउम्र यह बांझपन उसके साथ रहेगा।
अचानक उसे लगा कि कोई उससे चीख-चीख कर कह रहा है, ”आखिर तुमने मुझे क्यों मारा, मैं भी तो तुम्हारा ही अंश थी।”...उसने अपना चेहरा दोनों हाथों के बीच छुपा लिया और जोर-जोर से रोने लगी। डाक्टर ने उसे ढांढस बँधाया था।
उसने सिसकते हुए यही कहा था कि- “डाक्टर साहिबा, मेरी आपसे एक विनती है कि अब आपसे कोई भी माँ कभी अबार्शन के लिए कहे तो उसे मेरी ये दास्तां जरूर सुनाना। हो सकता है मेरी ये दुर्दशा समाज को आइना दिखा सके और उसके हाथों होने वाले पाप से वह मुक्त हो जाय।“
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आकांक्षा यादव :
साहित्य, लेखन और ब्लागिंग के क्षेत्र में चर्चित नाम। 30 जुलाई, 1982 को सैदपुर, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्म. शिक्षा- एम. ए. (संस्कृत). कविताओं के साथ-साथ लेख एवं लघुकथाओं का सृजन। देश-विदेश की शताधिक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं- इण्डिया टुडे, कादम्बिनी, नवनीत, साहित्य अमृत, वर्तमान साहित्य, अक्षर पर्व, आजकल, उत्तर प्रदेश, मधुमती, हरिगंधा, हिमप्रस्थ, दैनिक जागरण, जनसत्ता, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, हिन्दी चेतना (कनाडा) इत्यादि पर रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। दर्जनाधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों /संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। ‘क्रांति-यज्ञ: 1857-1947 की गाथा‘ पुस्तक का कृष्ण कुमार जी के साथ संपादन। आकाशवाणी पोर्टब्लेयर से वार्ता, रचनाओं इत्यादि का प्रसारण।
इंटरनेट पर ब्लॉग के साथ-साथ विभिन्न वेब पत्रिकाओं- अनुभूति, सृजनगाथा, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, वेब दुनिया हिंदी, रचनाकार, ह्रिन्द युग्म, हिंदीनेस्ट, हिंदी मीडिया, हिंदी गौरव, लघुकथा डाट काम, उदंती डाट काम, कलायन, स्वर्गविभा, हमारी वाणी, स्वतंत्र आवाज डाट काम, कवि मंच, इत्यादि पर रचनाओं का निरंतर प्रकाशन. विकीपीडिया पर भी तमाम रचनाओं के लिंक्स उपलब्ध। व्यक्तिगत रूप से ‘शब्द-शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.com/) और युगल रूप में ‘बाल-दुनिया’ (http://balduniya.blogspot.com/), ‘सप्तरंगी प्रेम’ (http://saptrangiprem.blogspot.com/) व ‘उत्सव के रंग’ (http://utsavkerang.blogspot.com/) ब्लॉग का संचालन।
व्यक्तित्व-कृतित्व पर डा. राष्ट्रबंधु द्वारा सम्पादित ‘बाल साहित्य समीक्षा’ (कानपुर) का विशेषांक जारी। विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर, बिहार द्वारा डाक्टरेट (विद्यावाचस्पति) की मानद उपाधि। भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ‘डा0 अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान‘ व ‘वीरांगना सावित्रीबाई फुले फेलोशिप सम्मान‘, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद द्वारा ’भारती ज्योति’, ‘एस0एम0एस0‘ कविता पर प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पुरस्कार सहित विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु दर्जनाधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त।
ब्लागिंग की त्रिवेणी से जुडी आकांक्षा जी के पति श्री कृष्ण कुमार यादव भी चर्चित साहित्यकार और ब्लागर हैं, वहीँ इस दंपत्ति की सुपुत्री अक्षिता (पाखी) भी 'पाखी की दुनिया' (http://pakhi-akshita.blogspot.com/ ) के माध्यम से अभिव्यक्त होती रहती है. अक्षिता को वर्ष 2010 में परिकल्पना समूह द्वारा 'श्रेष्ठ नन्हीं ब्लागर' घोषित किया गया. हाल ही में अक्षिता को कला और ब्लागिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2011' प्राप्त करने का गौरव मिला है, वहीँ ब्लागिंग के क्षेत्र में भी प्रथम राजकीय सम्मान -पुरस्कार पाने का गौरव भी इनके खाते में दर्ज है.
एक रचनाधर्मी के रूप में रचनाओं को जीवंतता के साथ सामाजिक संस्कार देने का प्रयास. बिना लाग-लपेट के सुलभ भाव-भंगिमा सहित जीवन के कठोर सत्य उभरें, यही लेखनी की शक्ति है.
संपर्क -
आकांक्षा यादव 
द्वारा - श्री कृष्ण कुमार यादव 
निदेशक डाक सेवाएँ 
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101
kk_akanksha@yahoo.com  
							    
							    
							    
							    
oh sach mei kanya brun hatya mahapaap hai
जवाब देंहटाएंआदरणीय मैडम अकांक्षा जी आपकी यह लघुकथा "सरस्वती सुमन" के लघुकथा विशेषांक में भी पढ़ी थी|यहाँ फिर पढ़ने को मिली बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद लघुकथा है | हार्दिक बधाई स्वीकारें |
जवाब देंहटाएंAankhen khol denewaalee katha!
जवाब देंहटाएंजागरूक करती लघुकथा
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