असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (3)

SHARE:

(पिछले अंक से जारी...) दृश्‍य : चार (चाय की दुकान। अलीमउद्दीन चायवाला, जावेद मिर्जा, पहलवान अनवर, सिराज, रज़ा, नासिर काज़मी बैठे हैं। अलीम...

(पिछले अंक से जारी...)

दृश्‍य : चार

(चाय की दुकान। अलीमउद्दीन चायवाला, जावेद मिर्जा, पहलवान अनवर, सिराज, रज़ा, नासिर काज़मी बैठे हैं। अलीमुउद्दीन चाय बना रहा है। पहलवान अनवर, सिराज और रज़ा चाय पी रहे हैं।)

पहलवान : ओव अलीम, इधर कितने मकान एलाट हो गए।

अलीम : इधर तोर समझो गली की गली ही पलाट हो गई।

पहलवान : मोहिन्‍दर खन्‍ना वाला मकान किसे एलाट हाुआ है।

अलीम : अब मैं क्‍या जादूं पहलवान... ये जो उधर से आए हैं अपनी तो समझ में आए नहीं... छटांक-छटांक भर के आदमी...लस्‍सी का एक गिलास नहीं पिया जाता उनसे...

पहलवान : अबे ये सब छोड़... मैं पूछ रहा था मोहिन्‍दर खन्‍ना वाले मकान में कौन आया है।

अलीम : कोई सायर है... नासिर काज़मी।

पहलवान : तो गया मोहिन्‍दर खन्‍ना का भी मकान... और रजन जौहरी की हवेली।

अलीम : उसमें तो परसों ही कोई आया है... तांगे पर सामान-वामान लाद कर... उसका लड़का कल ही इधर से दूध ले गया है... उधर कुछ मुसीबत हो गयी है पहलवान। कुछ समझ में नहीं आ रिया।

पहलवान : क्‍या बात है।

अलीम : अरे रतन जौरी की मां... तो हवेली में रह रही है।

पहलवान : (उछलकर) नहीं।

अलीम : हां हां पहलवान... वही लड़का बता रहा था... बेचारा बड़ा परेशान था। कह रहा था... छ : महीने बाद मकान भी एलाट हुआ तो ऐसा जहां कोई रह रहा है।

पहलवान : तुझे कैसे मालूम कि वो रतन जौहरी की मां है।

अलीम : लड़का बता रहा था उस्‍ताद...

पहलवान : (धीरे से) वह बच कैसे गयी... इसका मतलब है अभी और बहुत कुछ दाब रखा है उसने...

अनवर : बाइस कमरों की तो हवेली है उस्‍ताद कहीं छुपक गयी होगी।

सिराज : एक-एक कमरा छान मारा था हमने तो।

पहलवान : रज़ा, तू चला जा और उसे लड़के को बुला ला...

अलीम : किसे?

पहलवान : अरे उसी को जिसे रतन जौहरी की हिवेली एलाट हुई है।

अलीम : पहलवान... उसके बाप को एलाट हुई है।

पहलवान : अरे तू लड़के को ही बुला ला...

रज़ा : ठीक है पहलवान।

(रज़ा निकल जाता है।)

पहलवान : अभी दही और मथा जाएगा... अभी घी और निकलेगा।

अनवार : लगता तो यही है उस्‍ताद।

पहलवान : अबे लगता क्‍या पक्‍की बात है।

(नासिर काज़मी आते हैं पहलवान उनकी तरफ़ शक्‍की नज़रों से देखता है)

अलीम : सलाम अलैकुम काज़मी साहब।

नासिर : वालकुम सलाम... कहो भाई चाय-बाय मिलेगी?

अलीम : हां-हां बैठिए काज़मी साहब... बस भट्टी सुलग ही रही है।

(नासिर बेंच पर बैठ जाते हैं)

पहलवान : आपकी तारीफ़।

नासिर : वक्‍त के साथ हम भी ऐ नासिर

ख़ार-ओ-ख़स की तरह बहाये गए।

अलीम : वाह-वाह क्‍या शेर है... ताज़ा ग़ज़ल लगती है नासिर साहब... पूरी इर्शाद हो जाए।

नासिर : चलो चाय के इंतिज़ार में ग़ज़ल ही सही... (ग़ज़ल सुनाते हैं।)

शहर दर शहर घर जलाए गए

यूं भी जश्‍ने तरब मनाए गए

एक तरफ़ झूम कर बाहर आई

एक तरफ़ आशयां जलाए गए

क्‍या कहूं किस तरह सरे बाज़ार

अस्‍मतों के दिए बुझाए गए

आह तो खिलवतों के सरमाए

मजम-ए-आम में लुटाए गए

वक़्‍त के साथ हम भी ऐ नासिर

खाऱ-ओ-ख़स की तरह बहाए गए।

(नासिर चुप हो जाते हैं)

अलीम : आजकल के हालात की तस्‍वीर उतार दी आपने।

पहलवान : ला चाय ला।

(अलीम चाय का कप पहलवान और नासिर के सामने रख देता है)

नासिर : (चाय की चुस्‍की लेकर पहलवान से) आपकी तारीफ़?

पहलवान : (फ़ख़्र से) क़ौम का ख़ादिम हूं।

नासिर : तब तो आपसे डरना चाहिए।

पहलवान : क्‍यों?

नासिर : ख़ादिमों से मुझे डर लगता है।

पहलवान : कया मतलब।

नासिर : भई दरअलस बात ये है कि दिल ही नहीं बदले हैं लफ़्‍ज़ों के मतलब भी बदल गए हैं... ख़ादिम का मतलब हो गया है हाकिम... और हाकिम से कौन नहीं डरता?

अलीम : (ज़ोर से हंसता है) चुभती हुई बात कहना तो कोई आपसे सीखे नासिर साहब!

नासिर : भई बक़ौल ‘मीर'-

हमको शायर न कहो ‘मीर' के हमने साहब

रंजोग़म कितने जमा किए कि दीवान किया।

तो भई जब तार पर चोट पड़ती है तो नग़्‍मा आप फूटता है।

(रज़ा और अलीम जावेद के साथ आते हैं)

पहलवान : सलाम अलैकुम...

जावेद : वालेकुमस्‍स्‍लाम।

पहलवान : आप लोगों को रतन जौहरी की हवेली एलाट हुई है।

जावेद : जी हां।

पहलवान : सुना उसमें बड़ा झगड़ा है।

जावेद : आपकी तारीफ़?

(पहलवान ठहाका लगाता है)

अलीम : पहलवान को इधर बच्‍चा-बच्‍चा जानता है... पूरे मुहल्‍ले के हमदर्द हैं... जो काम किसी से नहीं होता पहलवान बना देते हैं।

सिराज : परिशाह के अखाड़े के उस्‍ताद हैं पहलवान।

अनवर : हम सब पहलवान के चेली चापड़ हैं।

पहलवान : हां तो क्‍या झगड़ा है?

जावेद‘ रतन जौहरी की मां हवेली में रह रही है।

पहलवान : ये कैसे हो सकता है।

जावेद : है... हमने उसे देखा है, उससे बात की है...

पहलवान : तब... क्‍या सोचा है?

जावेद : अजीब बुढ़िया है... कहती है मैं कहीं नहीं जाऊंगी हवेली में ही रहूंगी।

पहलवान : ज़रूर तगड़ा मालपानी गाड़ रखा होगा। तो तुमने क्‍या किया।

जावेद : अब्‍बा कस्‍टोडियन के दफ़्‍तर गए थे। दफ़्‍तर वाले कहते हैं, हवेली खानी कर दो। तुम्‍हें दूसरी दे देंगे।

पहलवान : वाह ये अच्‍छी रही... बुढिऋया से नहीं खाली करायेंगे... तुमसे करायेंगे... फिर?

जावेद : फिर क्‍या, हम लोग तो बड़े परेशन हैं।

पहलवान : अरे इसमें परेशानी की तो कोई बात नहीं है।

जावेद : तो क्‍या करें?

पहलवान : तुम कुछ न कर सकोगे... करेगा वही जो कर सकता है।

(नासिर उठकर चले जाते हैं)

जावेद : क्‍या मतलब?

पहलवान : साफ़-साफ़ सुनो... जब तक बुढ़िया ज़िन्‍दा है हवेली पर तुम्‍हारा क़ब्‍ज़ा नहीं हो सकता... और बुढ़िया से तुम निपट नहीं सकते... हम ही लोग उसे ठिकाने लगा सकते हैं... लेकिन वो भी आसान नहीं है... पहले जो काम मुफ़्‍त हो जाया करता था अब उसके पैसे पड़ने लगे हैं... समझे।

जावेद : हां, समझ गया।

पहलवान : अपने अब्‍बा से कहो... दो-चार हज़ार रुपए की लालच में कहीं लाखों की हवेली हाथ स न निकल जाए।

---

दृश्‍य : पांच

(हमीदा बेगम बैठी सब्‍ज़ी काट रही हैं। तन्‍नो आती है।)

तन्‍नो : अम्‍मां, बेगम हिदायत हुसैन कह रही हैं कि उनका नौकर टाल पर कोयले लेने गया था, वहां कोयले ही नहीं हैं। कह रही हैं हमें एक टोकरी कोयले उधार दे दो... कल वापस कर देंगे।

हमीदा बेगम : ऐ बीवी होशों मेें रहो... हमें क्‍या हक़ है दूसरों की चीज़ उधार देने का... कोयले तो रतन की अम्‍मां के हैं।

तन्‍नो : अम्‍मां, हिदायत साहब ने कुछ लोगों का खाने पर बुलाया है। भाभी जान बेचारी बेहद परेशान हैं। घर में न लकड़ी है ना कोयले... खाना पक्‍के तो काहे पर पक्‍के।

हमीदा : ए तो मैं क्‍या बताऊं... रतन की अम्‍मां से पूछ लो... कहे तो एक टोकरी क्‍या चार टोकरी दे दो।

(तन्‍नो सीढ़ियों की तरफ़ जाती है और आवाज़ देती है।)

तन्‍नो : दादी... दादी मां... सुनिए... दादी मां...

(ऊपर से आवाज़)

रतन की मां : आई बेटी आई... तू जुग जुग जिये (आते हुए) मैं जादवी तेरी आवाज सनदी आं... मनूं लगदा हय कि मैं जिन्‍दा हां...

(रतन की मां सीढ़ियों पर से उतर कर दरवाज़े में आती है और ताला खोलने लगती है।)

रतन की मां : तेरी मां दी तबीअत कैजी है।

तन्‍नो : अच्‍छी है।

रतन की मां : कल रत किस दे कन विच दर्द हो रिआ सी।

तन्‍नो : हां, अम्‍मां के ही कान में था।

रतन की मां : अरे ते तेरे मां दवा लै लैदी... ए छोटे-मोटे इलाज ते मैं खुद कर लेंदी हूं।

(रतन की मां चलती हुई हमीदा बेगम के पास आ जाती है।)

हमीदा बेगम : आदाब बुआ।

रतन की मां : बेटी... तू मेरी बेटे दे बराबर है... मां जी बुलाया कर मैंनूं।

हमीदा बेगम : बैठिए मांजी।

(रतन की मां बैठ जाती है।)

रतन की मां : मैं कय रही सी कि छोटी-मोटी बीमारियां दी दवाइयां मैं अपने कोल रखदी हां। रात-बिरात कदी ज़रूरत पै जाये ते संकोच नई करना।

तन्‍नो : दादी, पड़ोस के मकान में हिदायत हुसैन साहब हैं न।

रतन की मां : कौन से मकान विच, गजाधर वाले मकान विच?

तन्‍नो : जी हां... उनकी बेगम को एक टोकरी कोयलों की ज़रूरत है। कल पावस कर देंगी... आप कहें तो...

रतन की मां : (बात काट कर) लो भला ये भी कोई पूछन दी गल है। एक टोकरी नहीं दो टोकरी दे दो।

हमीदा बेगम : ये बताइए मां जी यहां लाहौर चचीड़े नहीं मिलते? हमारे यहां लखनऊ में तो यही मौसम है चचीड़ों का... कड़वे तेल और अचार के मसाले में बड़े लज़ीज़ पकते हैं।

रतन की मां : चचीड़े... कैसे होते हैं बेटी, मुझे समझाओ... हमारे पंजाबी में क्‍या कहते हैं उन्‍हें।

हमीदा बेगम : मांजी ककड़ी से थोड़ा ज़्‍यादा लम्‍बे-लम्‍बे। हरे और सफ़ेद होते हैं... चिकने होते हैं।

रतन की मां : अरे लो... हमारे यहां होते क्‍यों नहीं... खूब होते हैं... उन्‍हें यहां खिराटा कहते हैं... अपने बेटे से कहना सब्‍ज़ी बाज़ार में रहीम की दुकान पूछ ले... वहां मिल जायेंगे।

हमीदा बेगम : ऐ ये शहर तो हमारी समझ में आया नहीं... यहां निगोडमारी समनक नहीं मिलती।

रतन की मां : बेटी लाहौर तो बड्‌डा दूरा शहर तो साड्‌डे हिंदुस्‍तान च है ही नहीं... मसल मशहूर है कि जिस लाहौर नई देख्‍या ओ जन्‍मया ही नई।

हमीदा बेगम : ऐ लेकिन लखनऊ का क्‍या मुक़ाबला।

रतन की मां : मैं तां कदी लखनऊ गयी नहीं... हां चालीस साल पहले दिल्‍ली ज़रूर गई सी... बड़ा उजड़या-उजड़या जा शहर सी।

हमीदा बेगम : मां जी यहां रुई कहां मिलती है।

रतन की मां : रुई... अरे रुई तो बहुत बड़ा बाज़ार है... देखो जावेद से कहो यहां से निकले रेज़ीडेंसी रोड से गली हारीओम वाली में मुड़ जाये, वहां से छत्ता अकबर खां पहुंचेगा... वहां दो गलियां दाहिने बायें जाती दिखाई देंगी... एक है गली रुई वाली... सैंकड़ों रुई की दुकानें हैं।

(सिकंदर मिर्ज़ा अन्‍दर आते हैं। रतन की मां को देख कर बुरा-सा मुंह बनाते हैं।)

रतन की मां : जीते रहो पुत्तर... कैसे हो।

सिकंदर मिर्ज़ा : दुआ है आपकी... शुक्र है अल्‍लाह का।

रतन की मां : (उठते हुए) बेटी लाहौर विच सब कुछ मिलदा है... जद कोई दिक्‍कत होय तां मनुं पूछ लेणा... चप्‍पे-चप्‍पे तो वाकिफ हां लाहौर दी... अच्‍छ दीजी रह... मैं चलां।

(चली जाती है।)

सिकंदर मिर्ज़ा : (बिगड़कर) ये क्‍या मज़ाक़ है... हम इनसे पीछा छुड़ाने के चक्‍कर में हैं और आप इन्‍हें गले का हार बनाये हुए हैं।

हमीदा बेगम : ए नौज, मैं क्‍यों उन्‍हें बनाने लगी गले का हार। हिदायत हुसैन साहब की ज़रूरत न होती तो मैं बुढ़िया से दो बातें भी करती।

सिकंदर मिर्ज़ा : हिदायत हुसैन की ज़रूरत?

हमीदा बेगम : जी हां... घर में कोयले हैं न लकड़ी... दोस्‍तों को दावत दे बैठे हैं... बेगम बेचारी परेशान थी। लकड़ी की टाल पर भी कोयले नहीं थे। हमसे मांग रही थ जब ही बुढ़िया को बुलाया था। कोयले तो उसी के हैं न।

सिकंदर मिर्ज़ा : देखिए उसका इस घर में कुछ नहीं है... एक सुई भी उसकी नहीं है। सब कुछ हमारा है।

हमीदा बेगम : ये कैसी बातें कर रहे हैं आप।

सिकंदर मिर्ज़ा : बेगम हम इसी तरह दबते रहे तो ये हवेली हाथ से निकल जायेगी...

(तन्‍नो की तरफ़ देखकर, जो सब्‍ज़ी काट रही है।)

तन्‍नो तुम यहां से ज़रा हट जाओ बेटी... तुम्‍हारी अम्‍मां से मुझे कुछ ज़रूरी बात करना है।

(तन्‍नो हट जाती है।)

सिकंदर मिर्ज़ा : (राज़दारी से) जावेद ने बात कर ली है... इस बुढ़िया से पीछा छुड़ा लेना ही बेहतर है... कल को इसका कोई रिश्‍तेदार आ पहुंचेा तो लेने के देने पड़ जायेंगे।

हमीदा बेगम : लेकिन कैसे पीछा छुड़ाओगे।

सिकंदर मिर्ज़ा : जावेद ने बात कर ली है।

हमीदा बेगम : अरे किससे बात कर ली है... क्‍या बात कर ली है।

सिकंदर मिर्ज़ा : वो लोग ऐ हज़ार रुपए मांग रहे हैं।

हमीदा बेगम : क्‍यों... एक हज़ार तो बड़ी रक़म है।

सिकंदर मिर्ज़ा : बुढ़िया जहन्‍नुम वासिल हो जायेगी।

हमीदा बेगम : (चौंकरकर, घबरा, डर कर) नहीं।

सिकंदर मिर्ज़ा : और कोई रास्‍ता नहीं है।

हमीदा बेगम : नहीं... नहीं खुदा के लिए नहीं... मेरे जवान जहान बच्‍चे हैं, मैं इतना बड़ा अज़ाब अपने सिर नहीं ले सकती।

सिकंदर मिर्ज़ा : क्‍या बकवास करती हो।

हमीदा बेगम : नहीं... कहीं हमारे बच्‍चों को कुछ हो गया तो...

सिकंदर मिर्ज़ा : ये वहेम है तुम्‍हारे दिल में।

हमीदा बेगम : नहीं... नहीं बापको मेरी क़सम... ये न कीजिए। उसने हमारा बिगाड़ा ही क्‍या है।

सिकंदर मिर्ज़ा : बेगम एक कांटा है जो निकल गया तो ज़िंदगी भर के लिए आराम ही आराम है।

हमीदा बेगम : हाय मेरे अल्‍लाह, इतना बड़ा गुनाह... जब हम किसी को ज़िंदगी दे नहीं सकते तो हमें छीनने का क्‍या हक़ है?

सिकंदर मिर्ज़ा : वो काफ़िरा है बेगम।

हमीदा बेगम : इसका ये तो मतलब नहीं कि उसे क़ल्‍त कर दिया जाये। मैं तो हरगिज़-हरगिज़ इसके लिए तैयार नहीं हूं।

सिकंदर मिर्ज़ा : अब तुम समझ लो।

हमीदा बेगम : नहीं... नहीं... तुम्‍हें बच्‍चों की क़सम ये मत करवाना।

---

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (3)
असग़र वजाहत का नाटक : जिस लाहौर नइ वेख्या, ओ जमया हि नइ - (3)
http://lh6.ggpht.com/-l2SjfwT1hrQ/T12n79M9VLI/AAAAAAAALUk/ZO7kvZXxfBM/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-l2SjfwT1hrQ/T12n79M9VLI/AAAAAAAALUk/ZO7kvZXxfBM/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/03/3.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/03/3.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content