प्रमोद भार्गव का आलेख - वैज्ञानिक अनुसंधान में पिछड़ता देश

SHARE:

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार फिर यह चिंता जताई है कि भारत विज्ञान एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में लगातार पिछड़ रहा है। बीते...

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार फिर यह चिंता जताई है कि भारत विज्ञान एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में लगातार पिछड़ रहा है। बीते दो दशक में यह स्‍थिति बदतर हाल में सामने आई है। यह बात प्रधानमंत्री ने अमेरिकी पत्रिका ‘सांइस' को दिए साक्षत्‍कार में कही। यही वह समय है जब मनमोहन सिंह द्वारा देश में उदारवादी नीतियां अपनाई गईं और शिक्षा का बड़े पैमाने पर निजीकरण हुआ। जाहिर है यही वे नीतियां हैं जिनके कारण देश विज्ञान के क्षेत्र में तो पिछड़ ही रहा है, आर्थिक विषमता भी बड़ रही है। ये हालात कालांतर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति छात्रों की उत्‍सुक्‍ता और गुणवत्ता में गिरावट लाएंगे। देश के शीर्षस्‍थ वैज्ञानिकों का मनोबल किस तरह टूट रहा है, यह हाल ही में अंतरिक्ष वैज्ञानिक रोड्‌डम नरसिंह के इस्‍तीफे से साफ हुआ है। नरसिंह इसरो के पूर्व वैज्ञानिक प्रमुख जी माधवन नायर और अन्‍य वैज्ञानिकों को विवादास्‍पद एंट्रिक्‍स-देवास सौदे में घसीटे जाने के कारण नाराज थे। उन्‍होंने खुद इस मामले की जांच की थी और कथित तौर से जिन वैज्ञानिकों को इस सौदे के लिए दोषी ठहराया जा रहा था, उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया था। ऐसे हालात में हम कैसे उम्‍मीद कर सकते हैं कि विज्ञान के क्षेत्र में चीन से तुलना की बात तो छोड़िए, भारत 20 साल पहले की स्‍थिति बहाल कर ले यह भी मुश्‍किल है। फिर भी इस स्‍थिति में बदलाव के लिए जरूरी है कि हम देश के प्रमुख वैज्ञानिकों का सम्‍मान तो बहाल करें ही देशज वैज्ञानिक और उनके द्वारा निर्मित उपकरणों की भी कद्र करें।

इस वास्‍तविकता को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भुवनेश्‍वर में विज्ञान कांग्रेस के उद्‌घाटन समारोह में भी स्‍वीकारा था। लेकिन यह दुखद है कि नितांत मौलिक चिंतन से जुड़ी इस समस्‍या का समाधान वे निजीकरण की कुंजी और शोध-खर्च को बढ़ावा देने में तलाश रहे हैं। जबकि हमारी संपूर्ण शिक्षा व्‍यवस्‍था को बाजार के हवाले कर दिया गया है और वह गुणवत्ता की पर्याय बनने की बजाए, डिग्री हासिल कर किसी भी तरह से वैभवपूर्ण जीवन जीने का पर्याय बनकर रह गई है। ये आधार व्‍यक्‍ति के मौलिक चिंतन और शोध की गंभीर भावना को पलीता लगाने वाले हैं। यहां फोर्ब्‍स की उस सूची का जिक्र करना जरूरी है, जो बीते साल के अंत में जारी हुई थी और जिसमें उन देशज वैज्ञानिक आविष्‍कारकों को शामिल किया गया था, जिन्‍होंने ग्रामीण पृष्‍ठभूमि से होने के बावजूद ऐसी अनूठी तकनीकें व उपकरण ईजाद किए थे, जिन्‍हें अपनाने से देशभर के लोगों को जीवन में बदलाव के अवसर मिले। यहां आश्‍चर्य में डालने वाली बात यह भी है कि इनमें से ज्‍यादातर लोगों ने प्राथमिक स्‍तर की भी शिक्षा हासिल नहीं की है। इसलिए यहां यह जरूरी है कि अनुसंधान के अवसर उन लोगों को मुहैया कराएं जो वाकई अनुसंधान के मौलिक-सूत्र बटोरने की जिद ठान लेते हैं।

विज्ञान आधुनिक प्रगति की आधारशिला है। नतीजतन जो देश विज्ञान को जितना महत्‍व देता है, प्रगति के उतने ही सोपानों पर आरूढ़ होता है। 17 वीं सदी की औद्योगिक क्रांति के बाद तो विज्ञान और विकास का रिश्‍ता समानांतर हो गया। लेकिन इस रिश्‍ते की समानता कायम रखने में हम पिछड़ते जा रहे हैं और चीन हमसे कहीं ज्‍यादा आगे निकल गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि उदारवादी अर्थ-व्‍यवस्‍था लागू होने के बाद हमने न केवल आर्थिक विकास पर जोर दिया, बल्‍कि उन शैक्षिक बुनियादी ढांचों को भी बाजारवाद के हवाले करते चले गए जो प्रतिभाओं की आंतरिक सोच को परिमार्जित कर परिपक्‍व बनाते हैं और मौलिक चिंतन को अनुकूल वातावरण उपलब्‍ध कराते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री ने इस कमजोर नस को पकड़ा है। वे कहते हैं ‘अनुसंधान से नई जानकारी मिलती है और हमें समाज के लाभ के लिए इस जानकारी का इस्‍तेमाल करते हुए नवाचार की जरूरत भी है। हमें नवाचार को व्‍यावहारिक सार्थकता देनी है ताकि यह सिर्फ शाब्‍दिक खेल बनकर न रह जाए।'

जाहिर है परमाणु शक्‍ति संपन्‍न होने और अंतरिक्ष में उपस्‍थिति दर्ज करा चुकने के बावजूद कुल मिलाकर विज्ञान के क्षेत्र में हम अन्‍य देशों की तुलना में पीछे हैं। मानव विकास दर में हम 95 वें स्‍थान पर हैं। भूख और कुपोषण हमारा पीछा नहीं छोड़ रहा। किसानों की आत्‍महत्‍या का सिलसिला जारी है और बेराजगारों की फौज में लगातार इजाफा हो रहा है। आर्थिक असमानता की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। आर्थिक व सामाजिक विशेषज्ञों का दावा है कि ये हालात निजीकरण की देन हैं। बावजूद प्रधानमंत्री वैज्ञानिक शोधों को बढ़ावा देने के लिए निजीकरण की राह तलाश रहे हैं। उनके पास शायद सभी मजोंर् की एक ही दवा है, निजीकरण ! इसीलिए उन्‍होंने पूंजीपतियों को आगाह किया है कि वे वैज्ञानिक शोधों को बढ़ावा देने के लिए आगे आएं। इस नजरिए से प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास पर खर्च होने वाली राशि में बढ़ोत्तरी की मंशा भी जताई है। 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम साल में इसे दोगुना किया जा सकता है। जाहिर है, इसमें ऐसे प्रावधान जरूर किए जाएंगे, जो औद्योगिक घरानों के हित साधने वाले होंगे। तय है अनुसंधान की बढ़ी राशि इन घरानों को अनुसंधान के बहाने अनुदान में दिए जाने के रास्‍ते खोल दिए जाएंगे ? यदि ये घराने देशज वैज्ञानिकों को प्रोत्‍साहित करने लग जाएं तो कई तकनीकी आविष्‍कार देश का कायाकल्‍प करने में कारगर साबित हो सकते हैं।

फोर्ब्‍स द्वारा जारी देशज आविष्‍कारकों और अविष्‍कारों की जानकारी से इस बात की पुष्‍टि हुई है कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन शालेय व अकादमिक शिक्षा व कुशल-अकुशल की परिभाषाओं से ज्ञान को रेखांकित किए जाने की मजबूरी के चलते केवल कागजी काम से जुड़े डिग्रीधारी को ज्ञानी और परंपरागत ज्ञान आधारित कार्यप्रणाली में कौशल-दक्षता रखने वाले शिल्‍पकार और किसान को अज्ञानी व अकुशल ही माना जाता है। यही कारण है कि हम ऐसे शोधों को सर्वथा नकार देते हैं, जो स्‍थानीय स्‍तर पर ऊर्जा, सिंचाई, मनोरंजन और खेती के वैकल्‍पिक प्रणालियों से जुड़े हैं। जबकि जलवायु संकट से निपटने और धरती को प्रदूषण से छुटकारा दिलाने के उपाय, इन्‍हीं देशज तकनीकों में अंतनिर्हित हैं। ऐसे में यदि प्रधानमंत्री के इस कथन को कि ‘नवाचार को व्‍यावहारिक सार्थकता देनी है, ताकि यह सिर्फ शाब्‍दिक खेल बनकर न रह जाए' चरितार्थ करना है तो फोर्ब्‍स की सूची में दर्ज ग्रमीण आविष्‍कारकों और आविष्‍कारों को प्रेरणा का अभिमंत्र मानना होगा।

इन वैज्ञानिकों ने आम लोगों की जरूरतों के मुताबिक स्‍थानीय संसाधनों से सस्‍ते उपकरण व तकनीकें ईजाद कर समाज व विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक व अतुलनीय काम किया है। इस सूची में दर्ज मनसुख भाई जगनी ने मोटर साइकिल आधारित ट्रेक्‍टर विकसित किया है। जिसकी कीमत महज 20 हजार रूपए है। केवल दो लीटर ईंधन से यह ट्रेक्‍टर आधे घंटे के भीतर एक एकड़ भूमि जोतने की क्षमता रखता है। इसी क्रम में मनसुखभाई पटेल ने कपास छटाई की मशीन तैयार की है। इसके उपयोग से कपास की खेती की लागत में उल्‍लेखनीय कमी आई है। इस मशीन ने भारत के कपास उद्योग में क्रांति ला दी है। इसी नाम के तीसरे व्‍यक्‍ति मनसुख भाई प्रजापति ने मिट्‌टी से बना रेफ्रिजरेटर तैयार किया है। यह फ्रिज उन लोगों के लिए वरदान है, जो फ्रिज नहीं खरीद सकते अथवा बिजली की सुविधा से वंचित हैं। ट्राईका फार्मा के एमडी केतन पटेल ने दर्द निवारक आइक्‍लोफेनैक इंजेक्‍शन तैयार किया है। ठेठ ग्रामीण दादाजी रामाजी खेबरागढ़े भी एक ऐसे आविष्‍कारक के रूप में सामने आए हैं, जिन्‍होंने चावल की नई किस्‍म एचएमटी तैयार की है। यह पारंपरिक किस्‍मों के मुकाबले 80 फीसदी ज्‍यादा पैदावार देती है। इसी तरह मदनलाल कुमावत ने ईंधन की कम खपत वाला थ्रेसर विकसित किया है, जो कई फसलों की थ्रेसिंग करने में सक्षम है। ‘लक्ष्‍मी आसू' मशीन के जनक चिंताकिंडी मल्‍लेश्‍याम का यह यंत्र बुनकरों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह मशीन एक दिन में छह साड़ियों की डिजाइनिंग करने की दक्षता रखती है।

इस लिहाज से जरूरत है, नवाचार के जो भी प्रयोग देश में जहां भी हो रहे हैं, उन्‍हें प्रोत्‍साहित करने की ? क्‍योंकि इन्‍हीं देशज उपकरणों की मदद से हम खाद्यान्‍न के क्षेत्र में तो आत्‍मनिर्भर हो ही सकते हैं, किसान और ग्रामीण को स्‍वावलंबी बनाने की दिशा में भी कदम उठा सकते हैैं। लेकिन देश के ऐसे होनहार वैज्ञानिकों पर शैक्षिक अकुशलता का ठप्‍पा चस्‍पाकर नौकरशाही इनके प्रयोगों को मान्‍यता दिलाने की राह में प्रमुख रोड़ा है। इसके लिए शिक्षा प्राणाली में भी समुचित बदलाव की जरूरत है। क्‍योंकि हमारे यहां पढ़ाई की प्रकृति ऐसी है कि उसमें खोजने-परखने, सवाल-जबाव करने और व्‍यवहार के स्‍तर पर मैदानी प्रयोग व विश्‍लेषण की छूट की बजाए, तथ्‍यों, आंकड़ों, सूचनाओं और वस्‍तुनिष्‍ठ प्रश्‍नों की घुट्‌टी पिलाई जाती है। यह स्‍थिति वैज्ञानिक चेतना व दृष्‍टि विकसित करने में एक बड़ी बाधा है।

लिहाजा प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक नवाचार के लिए बजट प्रावधान दोगुना करने का जो प्रस्‍ताव रखा है, उसमें देशज वैज्ञानिकों को भी प्रात्‍सोहित करने के लिए अनुदान देने की शर्त रख दी जाए तो हम चीन से आगे निकलने का रास्‍ता आसानी से नाप सकते हैं। क्‍योंकि चीन ने अपने सस्‍ते उत्‍पादों के जरिए ही दुनिया के बाजार में धाक जमाई है। चीन अपने सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का 1.4 फीसद इसी मद में खर्च करता है और वर्ष 2011 में चीन ने 153.7 बिलियन डॉलर खर्च किए। चीन का भी इरादा 2020 तक इस खर्च को दोगुना करने का है। यहां यह भी ख्‍याल रखने की जरूरत है कि चीन इस मद का एक हिस्‍सा देशज वैज्ञानिकों पर भी खर्च करता है और उनके अनुसंधानों की जानकारी मिलने पर उन्‍हें सीधे विश्‍वविद्यालयीन अनुसंधानों से जोड़ता है। यही वजह है कि चीन स्‍थानीय स्‍तर पर सस्‍ते उपकरण ईजाद करने में लगातार कामयाबी हासिल करता जा रहा है। लिहाजा जरूरी है कि हमारे यहां वैज्ञानिक अनुसंधानों पर जीडीपी का जो खर्च महज 0.9 फीसदी है, उसे 2017 मे दोगुना किए जाने पर, देशज वैज्ञानिकों को भी प्रोत्‍साहन राशि बतौर अनुदान दी जाए और उनके अनुसंधानों को वैज्ञानिक संस्‍थानों में परीक्षण की मान्‍यता मिले ? इस काम को औद्योगिक घराने और बेहतर ढंग से अंजाम तक पहुंचा सकते हैं। बशर्ते वे भी डिग्री की अनिवार्यता और अंग्रेजी ज्ञान की मानसिक दासता से मुक्‍त हों।

प्रमोद भार्गव

शब्‍दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी

शिवपुरी (म.प्र.) पिन 473-551

pramod.bhargava15@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद भार्गव का आलेख - वैज्ञानिक अनुसंधान में पिछड़ता देश
प्रमोद भार्गव का आलेख - वैज्ञानिक अनुसंधान में पिछड़ता देश
http://lh6.ggpht.com/-DwMnSFrGox4/Tw05nkQm2UI/AAAAAAAALEc/6VL5f4G3cCM/pramod-photo%252520%252528Custom%252529%25255B4%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-DwMnSFrGox4/Tw05nkQm2UI/AAAAAAAALEc/6VL5f4G3cCM/s72-c/pramod-photo%252520%252528Custom%252529%25255B4%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/03/blog-post.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/03/blog-post.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content