कविताएं और गीत

SHARE:

(ऊपर का चित्र - निवेदिता की कलाकृति) सिराज फ़ैसल ख़ान की ग़ज़लेँ GHAZAL-1 हमारे मुल्क़ की सड़कोँ पे ये मन्ज़र निकलते हैँ सियासी शक्ल मेँ अब मौत...

image

(ऊपर का चित्र - निवेदिता की कलाकृति)

सिराज फ़ैसल ख़ान की ग़ज़लेँ


GHAZAL-1

हमारे मुल्क़ की सड़कोँ पे ये मन्ज़र निकलते हैँ
सियासी शक्ल मेँ अब मौत के लश्कर निकलते हैँ

मेरे दुश्मन तो हँसकर फेँकते हैँ फूल अब मुझ पर
मगर कुछ दोस्तोँ की ज़ेब से पत्थर निकलते हैँ

चली हैँ कौन सी जाने हवायेँ अब के गुलशन मेँ
यहाँ शाख़ोँ पे अब कलियाँ नहीँ ख़न्जर निकलते हैँ

हमेँ मालूम है अब उस दरीचे मेँ नहीँ है तू
मगर फिर भी तेरे कूचे से हम अक्सर निकलते हैँ

मसीहा ठीक कर सकता है तू ऊपर के ज़ख़्मोँ को
कई फोड़े भी हैँ जो रुह के अन्दर निकलते हैँ

हमारे सामने कल तक जिन्हेँ चलना न आता था
हमारे सामने ही आज उनके पर निकलते हैँ

खबर पहुँची है मेरी मुफ़लिसी की जब से कानोँ मेँ
मेरे हमदर्द सब मुझसे बहुत बचकर निकलते हैँ

हमेँ अच्छा-बुरा यारोँ यही दुनियाँ बनाती है
दरिन्दे कोख से माँ की कहीँ बनकर निकलते हैँ

ज़ुबाँ मेँ शहद है जिनकी बदन हैँ फूल के जैसे
परख कर देखिये तो दिल से सब पत्थर निकलते हैँ

GHAZAL-2

घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है

बीच खड़े होकर लाशोँ के इक बच्चे ने ये पूछा
मज़हब किसको कहते हैँ, ये क्या कोई बीमारी है

तुमको पत्थर मारेँगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
मुझसे मिलने मत आओ तुम मुझ पर फ़तवा जारी है

हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई आपस मेँ सब भाई हैँ
इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है

नया विधेयक लाओ अब के बूढ़े सब आराम करेँ
देश युवाओँ को दे दो अब नये ख़ून की वारी है

जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा फिरा कर बात करो
केवल सच्ची बातेँ करना बहुत बड़ी बीमारी है

सारी दुनियाँ ही तेरी है, तू सबका रखवाला है
मुस्लिम का अल्लाह भी तू है, हिन्दू का गिरिधारी है

GHAZAL-3

मुल्क़ को तक़सीम कर के क्या मिला है
अब भी जारी नफ़रतोँ का सिलसिला है

क्योँ झगड़ते हैँ सियासी चाल पर हम
मुझको हर हिन्दोस्तानी से गिला है

दी है क़ुर्बानी शहीदोँ ने हमारे
मुल्क़ तोहफ़े मेँ हमेँ थोड़ी मिला है

हुक्मरानोँ ने चली है चाल ऐसी
आम लोगोँ के दिलोँ मेँ फ़ासिला है

अब नज़र आता नहीँ कोई मुहाफ़िज़
हाँ, लुटेरोँ का मगर इक क़ाफ़िला है

लुट रहा है मुल्क़ अब अपनोँ के हाथोँ
सोचिए आज़ाद होकर क्या मिला है


GHAZAL-4

आख़िर कब तक झूठ छुपाया जा सकता है
कब तक ये धंधा चमकाया जा सकता है

माना फूल का रस किस्मत मेँ नहीँ हमारी
आजू बाजू तो मँडराया जा सकता है

चाँद जो रुठा रातेँ काली हो सकती हैँ
सूरज रुठ गया तो साया जा सकता है

मँहगा पड़ सकता है हद से आगे जाना
रुसवा कर के पीछे लाया जा सकता है

मज़लूमोँ का ख़ून बहाते रहते हैँ जो
उनका भी तो ख़ून बहाया जा सकता है

बात अगर हो दुश्मन को डसवाने की तो
साँपोँ को भी दूध पिलाया जा सकता है

सच्चाई का परचम लेकर फिरते हो तुम
तुमको सूली पर लटकाया जा सकता है

कब तक धोखा दे सकते हैँ आइने को
कब तक ये चेहरा चमकाया जा सकता है

पाप सभी कुटिया के भीतर हो सकते हैँ
हुजरे के अन्दर सब खाया जा सकता है

सिराज फ़ैसल ख़ान

युवा शाइर सिराज फ़ैसल ख़ान का जन्म 10 जुलाई 1991 को शहीदोँ के नगर शाहजहाँपुर(उत्तर प्रदेश) के एक छोटे से गाँव "महानन्दपुर" मेँ हुआ।
बचपन से अदब मेँ दिलचस्पी रखने वाले फ़ैसल की पसंदीदा विधा ग़ज़ल है।
उनकी ग़ज़लेँ पत्र-पत्रिकाओँ और ब्लॉग वगैरह पर निरन्तर प्रकाशित हो रही हैँ।
इन्टरनेट पर हिन्दी काव्य के सबसे बड़े संग्रह "कविताकोश" मेँ भी उनकी रचनायेँ शामिल की गयी हैँ।

पुरस्कार:7 अगस्त 2011 को जयपुर मेँ सिराज फ़ैसल ख़ान को कविताकोश नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सम्पर्क:
sirajfaisalkhan@ymail.com
07668666278
---

 


कैस जौनपुरी की कविताएँ


1


कितना अच्छा होता
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती
मैं तुम्हें खूब प्यार करता
न किसी को दिक्‍कत होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की बीवी होती 
तुमसे खूब बातें करता
न किसी को दिक्‍कत होती
मैं तुम्हारे पास बैठता
न कुछ सोचने की जरूरत होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की बेटी होती
न इतने पहरे होते, न इतने खतरे होते
हम कहीं भी मिल लेते
न किसी को दिक्‍कत होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की बहन होती
न तुम्हारी शिकायत होती
न किसी को दिक्‍कत होती
बस मैं होता, बस तुम होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की बहु होती
न तुम्हें डर लगता
हम खुल के मिल सकते
न किसी को दिक्‍कत होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की मां होती
न तुम फिकर करती
न किसी को दिक्‍कत होती
हम तुम बच्‍चों की तरह खेलते
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
न तुम किसी की ननद होती
न तुम्हारी चुगली होती
हम कैसी भी बात करते
न किसी को दिक्‍कत होती
कितना अच्छा होता
तुम एक छोटी सी बच्‍ची होती


कितना अच्छा होता
तुम सिर्फ, एक छोटी सी बच्‍ची होती
 



------


2


मैं तुम्हें कुछ दे नहीं सकता
मैं तुम्हारे हाथों में
सोने के मोटे कंगन तो नहीं पहना सकता
किसी टहनी से एक डंठल तोड़कर 
तुम्हें दे सकता हूँ
जिसके हरे पत्‍ते
तुम्हारे होंठों जैसे लगते हैं
जितने पत्‍ते
उतने तुम्हारे होंठ
गिनती जाओ
हंसती जाओ
मुझे तुम्हारे होंठों पे
गहरी लाली नहीं फबती
मुझे तुम्हारे सुर्ख, रूखे, सूखे होंठ
बड़े अच्छे लगते हैं
मैं तुम्हें खुश रखने को
ढ़ेर सारी दौलत तो नहीं जुटा सकता
एक फूल दे सकता हूँ
जो तुम्हारे चेहरे जैसा लगता है
एक फूल देखता हूँ
तो तुम्हारा चेहरा दिखता है
वही फूल
तुम्हारे चेहरे के आगे रख सकता हूँ
मैं तुम्हें दुनिया की
सैर तो नहीं करा सकता
तुम्हारे साथ किसी पेड़ के नीचे
जब तक चाहो बैठ सकता हूँ
मैं तुम्हें दिखावे का
समाज तो नहीं दे सकता
हाँ, तुम्हारी जरूरत पे
तुम्हारे साथ खड़ा हो सकता हूँ
मैं तुम्हारे साथ, दिन-रात
रह तो नहीं सकता
तुम कभी बीमार रहो
तो मुझे पता चल सकता है
मैं तुम्हें रोज नए
कपड़े तो नहीं दे सकता
हाँ, तुम्हें अपने हाथों से
कुछ ऐसा पहना सकता हूं
जिसमें तुम परी लगो
कभी जब तुम इन
मोटे कंगनों के भार से थक जाओ
मेरी तरफ हाथ बढ़ाना
मैं तुम्हारे साथ हूं
कभी जब तुम दुनिया की सैर करके
थक जाओ, तसल्‍ली से थोड़ी देर बैठना चाहो
मुझे आवाज देना
मैं तुम्हारे साथ हूं
कभी रोज नए कपड़े अच्छे न लगें
चली आना उसी एक जोड़े में
जिसमें तुम परी लगती हो
कभी तुम्हारा समाज
तुम्हें अनसुना करे
मुझसे कहना
मैं तुम्हारे साथ हूं
मैं तुम्हारे साथ हूं
बिना किसी शर्त
बिना किसी बात
मैं तुम्हारे साथ हूं
तो बस एक ही है बात
कि तुम हो
सबसे अलग
सबसे जुदा
और तुममें दिखता है
मुझे मेरा खुदा


----------


प्रभुदयाल श्रीवास्तव के 5 तांका



                      [1]
 
           खाते हैं सब‌
           माल मजे मजे से
           पकड़े गये
          तो चोर कहलाये
          नहीं तो साहूकार‌
 
                 [2]
 
         तवा गर्म है
         सेक लेना रोटियां
         दूसरे का है
         अपना  बचा रखें
         कुसमय के लिये
 
                 [3]
 
           बंदूक तेरी
           कंधा किसी और का
           यही सीखना
            जिंदगी आनंद में
           कटेगी मेरे मित्र
 
                [4]
 
           मत चूकना
           मौका, मिले खाने का
           तो खूब खाना
           बिना डकार लिये
            हज़म कर जाना
 
                   [5]
 
             किसी तरह
            जब भी मौका मिले
             सत्ता पाले
            अपना घर भर‌
             छ: पीढ़ी का कमाले


---


कृष्‍ण कुमार चन्‍द्रा का साक्षरता गीत


ज्ञान की चाबी से खुले, अज्ञानता का ताला।

आखर झांपी लेकर आया, अपनी पाठशाला।


अक्षर-अक्षर शब्‍द बना के और बना लो पद।

वाक्‍यों के प्रयोग से ही, ऊँचा होता कद।

वादा है बेहतर होगा कल, आने वाला।

ज्ञान की चाबी से...


अ से अटकन, ब से बटकन, द से दही चटाकन।

क से काम करले बबुआ, म से हो मनभावन।

ग से गिनती सीखना है, जोड़ घटाने वाला।

ज्ञान की चाबी से...


नील गगन से मुसकाती, है भारत की बहना।

बहनाओं से कहे सुनीता, पढ़ना-लिखना-बढ़ना।

फिर न कहना पढ़े-लिखों से, पड़ गया है पाला।

ज्ञान की चाबी से...


भारत साक्षरता मिशन ने, छेड़ा है अभियान।

अंतिम छोर के इंसा तक, पहुँचाना है ज्ञान।

लोक शिक्षण केन्‍द्र खुले हैं, आओ अब बाला।

ज्ञान की चाबी से...


कृष्ण कुमार चन्द्रा का गीत

अनुमोदन


नारी नर से विनती पूर्वक, प्रणय निवेदन करती है।

नर इस पर अनुशंसा कर दे, ये आवेदन करती है।


सदियों साथ रहे फिर भी नर क्‍यों तंग रहता आया

नारी तो नतमस्‍तक है, नर क्‍यों बेरंग रहता आया

नर की खुशहाली के लिये, वो ईश्‍वर वंदन करती है।


नारी नर पर न्‍यौछावर है, नर ही तो बस यायावर है

नारी को नर भोग रहा, नर तो कितना हमलावर है

नर कितना भी गिरगिट हो, नारी संवेदन करती है।


एक धोबी के इशारे पर, नर नारायण काज करे

नारी को वनवास मिला है, नर महलों में राज करे

पतिव्रता भारत की नारी, तो भी अभिवादन करती है।


सीता और सावित्री, सुकन्‍या, नारियों की प्रतिनिधि हैं

फिर भी राम औ कृष्‍ण यहाँ, पुरूषों के क्‍यों नही निधि हैं

कुम्‍भकरण अब नींद से जागो, नारी प्रवदन करती है।


जब तब नारी ने समझाया, पौरूष आड़े आया है

भावों का व्‍यापारी है नर, अत्‍याचार ही ढाया है

देख तमाशा रावण वाला, नारी क्रंदन करती है।


नारी केवल चित्र नही है और न मूर्ति पत्‍थर है

नारी श्रद्धा ही नही है और बहुत कुछ बढ़कर है

नारी को हक चाहिए, नारी अनुमोदन करती है।

 

कृष्‍ण कुमार चन्‍द्रा (शिक्षक)

बेलाकछार,�बालको नगर

जिला- कोरबा (छ.ग.)

मो.- 8815258394

----------


मोतीलाल की कविताएँ


विधवा


मैँ बहुत दूर हूँ उनके सपनोँ से
उनके बाँहोँ से


जाने क्या है मेरे भीतर
कि नहीँ चाहने पर भी
कुछ खुश्बूएँ उड़ती हैँ
चाँदनी से भरे उन तमाम रातोँ मेँ
और विछावन की सलवटोँ मेँ
कहीँ गुम हो जाती है


मैँ बहुत दूर हूँ अपनी जड़ोँ से
कि नहीँ भाती है मुझे नदियोँ का कलकल चिड़ियोँ का कलरव
और नाव के पँछी सा
बार बार लौटना पड़ना है उसी नाव पर और नहीँ नाप पाती हूँ
अपने भीतर की गहराईयोँ को


चीजेँ मेहमान की तरह दीवारोँ से सटी है और रंगोँ के कुछ छीँटे
बेशक उतर आती है उन सफेद दीवारोँ मेँ जहाँ आजतक कभी नहीँ ठहरा
निगोड़ी सूर्य की किरणेँ
और सभी भावोँ का समुद्र
मेरे बगीचे मेँ दफन हो गया है


जब भी शब्द की संध्या मेँ उतरती है
मेरे बालकनी के बोँसाई
और बारूद की लकीरेँ
नहीँ लिख पाती है
मेरे भावोँ का संगीत
तब छुट जाता है
जीवन के तमाम रंग
उस पिँजरे मेँ ही कहीँ
बहुत ढूँढती हूँ उसे
और नहीँ मिल पाती
कोई चाँदनी
उन ठूंठ सी रातोँ मेँ


हाँ दूर हूँ मैँ आज
अपने अहसासोँ से भी।


---


उनका घाट

जोबाघाट की सुबह 
कोयल नदी की हिलोरे
और माझी की तान
सबकुछ जैसे
तोड़ देते हैँ
मेरे तटबंध
और उमड़ पड़ते हैँ
ह्रदय का पराग
नाव खेते माझी के संग

बीच धारा मेँ डोलती नाव
चप्पु की थप-थप
कानोँ को रस घोलती सी
माझी का आलाप
और चेहरे की रेखाएँ
विलीन होते जाते हैँ
लहरोँ के पीछे
बनते-बनते बिगड़ जाते हैँ
आलाप का स्वर
और जा बैठते हैँ
उसकी मोतियाबिँद की आँखेँ
चूल्हे की आँच मेँ

आलाप का स्वर
ऊँचा उठता हुआ
हठात गिर पड़ता है
पानी को काटने के लिए
चप्पु सा
और बन जाता है नाव
पूरी की पूरी रसोई
पर पकवान की सुगन्ध
उसके चेहरे पर
नदी की तरह बह जाती है ।

* मोतीलाल/राउरकेला
* 9931346271

---


 

शेर सिंह की कविता



वर्षा


 



काजल से अटा आकाश

मंद पड़ा सूर्य प्रकाश

मेघों से बूंदें लगी टपकने

आ गई वर्षा ।


धूल लगी पुछने

पत्‍ते लगे चमकने

हरीतिमा लगी फैलने

सब को हर्षा रही वर्षा ।


टप - टप की गूंज

झींगुरों की साज

खेत खलीयानों में

एकरस को आतुर माटी और वर्षा ।


निकले रंग बिरंगे छाते

सड़कों में जाम

भीगे तन भीगे मन

सब को अघा रही वर्षा ।


बूंदों की संगीत सरगम

नदी नाले उफान पर

जीव जंतु आनंद विभोर

सब को हर्षा रही वर्षा ।


कहीं बाढ़ कहीं खुशहाली

कहीं हर्ष कहीं विषाद

हर किसी का अपना मनोभाव

जो भी हो, हर्षा रही सब को वर्षा ।

-----------------------------------------------------------------

शेर सिंह

के. के.- 100 कविनगर

गाजियाबाद - 201 001

E-Mail :shersingh52@gmail.com






-----------


सतीश चन्द्र श्रीवास्तव की कविताएँ



सवालों के बीज

 

आकाश

कितना भी सूना क्यो न हो

क्या वो मेरे मन से भी अधिक सूना होगा

कि हर बार भीतर जाने के बाद भी

सिवाय रिक्तता के कुछ हाथ नहीं आता

ऎसा नहीं था कि

मुझे अपनी सम्भावनाओ का पता न था

फिर भी मोती की मॄगतॄष्णा ने

मुझे सीपी से भी वंचित रखा

सोचो !

मैं तुम्हारे भीतर भी तो गया था

पर क्या पाया!

सिवाय एक भटकाव के,

ऎसा नही कि तुम्हारे प्रति

मेरे हॄदय मे कोई उत्कंठा

अभिलाषा और उत्साह न था

पर मैं स्वयं से हताश था

तुम्हारे प्रेम का वॄक्ष

जो कभी मेरे भीतर उग आया था

ऎसा नहीं था कि

मैने उसे अस्वीकॄत कर दिया हो

पर स्वीकार की सीमा तक पहुंच कर भी

उसे स्वीकारने का बिन्दु

मैं नहीं खोज पाया

अपने ग़ुम हो जाने के बावजूद

मैं चाहता हूँ

कि जाँऊ अपने भीतर

और ढूंढू उन सवालों के बीज

अनुत्तरित तुम्हारी आखों में थे

और देखते ही देखते वॄक्ष बन गए.

 



दर्द किसी से मत कहो

दर्द जब

सहन और बर्दास्त से

हो जाए बाहर

तो उसे व्यक्त कर दो

मगर सवाल ये है

कि कहे तो किससे कहे !

इंसान है संग दिल

और दीवारो के सिर्फ़ कान ही नहीं

हज़ारों ज़ुबान भी है

जहाँ से निकल कर दर्द

कहकहा बन कर

हवाऒं में लगता है गूंजने

और कानो में पिघले हुए

शीशे की तरह गिर कर

बढ़ा देते है दर्द ।

रहम किसी के पास नहीं है

और हमदर्दी की फ़िजूलखर्ची

कोई करता नहीं,

दर्द को लफ़्ज दो

और क़ैद कर लो पन्नों पर,

जितना सह सकते हो सहो

पर दर्द किसी से मत कहो ।

 

सतीश चन्द्र श्रीवास्तव

५/२ ए रामानन्द नगर

अल्लापुर, इलाहाबाद


---


सुवर्ण शेखर दीक्षित की दो ग़ज़लें


(1)

मुहब्बत कुछ नही बस रब की ही सौगात होती है

अकीदत और क्या होती है तेरी बात होती है

 

ख़ुदाया रोशनी तो कम से कम तक्सीम कर सबको

कहीं सूरज का सजदा है, कहीं पर रात होती है

 

कभी तो इब्तिदा होने में भी लगते ज़माने हैं

कभी पर्दे के उठते इन्तहां की बात होती है

 

कहीं फूलों की किस्मत मे कोई तूफाँ नही होता

कहीं गुल खिल नही पाते कली बर्बाद होती है

 

भँवर वो बारहा जो प्यार की कश्ती डुबोता हैं

कभी कुछ भी नही होता ज़रा सी बात होती है

 

मिरी तालीम अम्मा की दुआ से कितनी मिलती है

के जब कुछ भी नही होता ये तब भी साथ होती है

 

--

(2)

जो दुनिया से कहूँ मुश्किल तो वो अहसान करती है.

फिर मैं जी तो लूँ लेकिन मेरी ख़ुद्दारी मरती है.

 

मेरा दिल चाहता है उसको तख़्तो ताज सब दे दूँ

मेरी ग़ुरबत मगर दरियादिली पर तंज़ करती है.

 

जहाँ चिडियों को होना था वहाँ साँपों को चुन भेजा

कि जनता जानती सब है औ फिर भी भूल करती है

 

बडी ख़्वाहिश है तनहाई मे खुद के साथ भी बैठे

किसी की याद लेकिन महफ़िलों के रूप धरती है

 

हमारे दौर में ग़ुरबत, शराफ़त ऎसी बहने हैं

कि जिनमे दूजी को मारो यकीनन पहली मरती है

 

है इतनी सी दुआ मौला कि हरदम जीत हो उसकी

ये चिडिया हौसलों के दम से जो परवाज़ करती है.

----

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कविताएं और गीत
कविताएं और गीत
http://lh4.ggpht.com/-py7TlShra74/UB-QGPQU72I/AAAAAAAANPc/EmW9W1pPZLE/image3.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-py7TlShra74/UB-QGPQU72I/AAAAAAAANPc/EmW9W1pPZLE/s72-c/image3.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/08/blog-post_6.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/08/blog-post_6.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content