कुबेर की कहानियाँ - 5 घट का चौंका कर उजियारा

SHARE:

कुबेर की कहानियाँ 5 घट का चौंका कर उजियारा हिन्दू पंचांग के अनुसार वह कार्तिक का महीना था, और उजले पाख की चौदहवीं तिथि थी। चौदह दिन पहल...

image2

कुबेर की कहानियाँ

5 घट का चौंका कर उजियारा

हिन्दू पंचांग के अनुसार वह कार्तिक का महीना था, और उजले पाख की चौदहवीं तिथि थी। चौदह दिन पहले ही दीवाली मनाई गई थी। नंदगहिन काकी के घर उत्सव का माहौल था। आमंत्रित रिश्तेदार, भाई-भतीजे, जान-पहचान वाले, सुख-दुख में साथ देने वाले, सभी जुटे हुए थे। बेटी-दामाद, नाती-नतनिनें सभी आए हुए थे। सुबह सात बजे ही घर की छानी पर पोंगा रख दिए गये थे। पोंगा बजाने वाले से काकी ने साफ-साफ कह दिया था कि भजन के अलावा और किसी प्रकार का गाना नहीं बजाना है।

घर के नाम पर मिट्टी की दीवारों से बने, सामने की ओर बरामदे में खुलने वाले दो कमरे हैं। घर में जब कोई मांगलिक काम संपन्न होना हो तो घर की साफ-सफाई लिपाई-पुताई तो जरूरी होता है। दीवारों को अभी, दीवाली के समय, सफेद छुई मिट्टी से पोता गया था, पीली छुर्ई मिट्टी से खुंटियाया गया था। चमक अभी भी कायम है; फिर भी नेग के लिये पीली छुई मिट्टी खुंटियाने का रस्म निभाया गया है। कच्चे फर्श को गोबर लीपा गया है।

घर के सामने बहुत बड़ी खाली जगह है जिसे गोबर से लीप कर चिकनाया गया है। काफी बड़ा शामियाना लगाया गया है। एक कोने में रसोई बन रहा है। दार-चाँउर, नून-तेल, लकड़ी-फाटा आदि, की जिम्मेदारी सुकवारो काकी ने ले रखा है। सुकवारो काकी और नंदगहिन काकी की मिताई गाँव में प्रसिद्ध है। दोनों हम-उम्र हैं, एक ही साल गौना होकर आई हैं इस गाँव में।

बेटी और दामाद, दोनों, मेहमानों और आमंत्रितों के स्वागत सत्कार में जुटे हुए हैं। सब काम ठीक-ठाक निबट रहा है, फिर भी नंदगहिन काकी को बड़ी चिंता है, कहीं जग हँसाई न हो; बार-बार कबीर साहेब से दुआ मांग रही है - 'हे साहेब! मोर लाज ह अब तोरेच् हाथ म हे। सहित रहिबे।'

इसी साल, अषाड़ की बात है। एक दिन सांझ के समय नंदगहिन काकी खेत से लौटी, और आते ही खाट पर पसर गई। सोई तो उठ नहीं पाई। बदन दर्द से टूट रहा था, और तवे के समान तप भी रहा था। घर भर का कंबल-कथरी ओढ़ कर भी वह लदलद-लदलद कांप रही थी। घर में और कोई होता तो कुछ करता। सुकवारो का ध्यान आया, दो घर छोड़कर उनका घर है; पर वहाँ तक भी जाने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। अपने अनुभव से उसने समझ लिया था कि यह मलेरिया का प्रकोप है।

अंदर, रसोई में बहू रात का भोजन बनाने में व्यस्त थी। पोते को गोद में लेकर सुकवारो काकी आंगन में टहल रही थी। मन बेचैन हुआ जा रहा था; आखिर नंदगहिन को आज क्या हुआ, अब तक नहीं आई? जिंदगी में कभी, कोई ऐसा दिन बीता है, जब इस समय वह मिलने न आती हो? सोचते हुए वह बाहर, गली में निकल आई। निगाहें गली के उस ओर मुड़ गई जिधर नंदगहिन का घर पड़ता है।गली के दोनों ओर कतार में घर बने हुए हैं। सबकी छानी में से सफेद-नीले रंग के घुँए की लकीरें निकल रही थी। रात का भोजन बनाने का समय जो था; पर नंदगहिन के घर की छानी से बिलकुल भी धुँआ नहीं उठ रहा था। सुकवारो की चिंता और बढ़ गई,। मन में कुछ अनहोनी का अहसास होने लगा और दिल की धड़कनें तेज हो गई। महिलाओं का दिल कोमल और कमजोर तो होता ही है। तेज कदमों से उसने नंदगहिन के घर की राह ली।

दरवाजे पर पहुँते ही उसने आवाज लगाई - 'नंदगहिन गोई?'

दरवाजा अंदर से बंद नहीं था, और हाथ के हल्के दबाव से ही खुल गया। घबराई हुई सुकवारों 'नंदगहिन गोई' की आवाज लगाते हुए घर के अंदर तक आ गई, जहाँ पर नंदगहिन की खाट पड़ी होती है। चादर-कथरियों में लिपटी सोई और बुरी तरह काँपती-कराहती नंदगहिन को देखकर सुकवारो की घिघ्धी बंध गई। दिल जोरों से धड़कने लगा। आँखें डबडबा गईं। आँचल के कोर से बह आए आँसुओं को पोंछते हुए कहा - ''तोला का हो गे मोर बहिनी? कइसे लागत हे? काबर सुते हस?''

तेज बुखार की हालत में भी नंदगहिन सचेत थी, पैरों की आहट से सुकवारों के आगमन को भांप गई थी, कहा - ''कुछू नइ होय हे मंडलिन, मलेरिया बुखार कस लागत हे। घंटा दू घंटा म उतर जाही।''

पर सुकवारो कहाँ मानने वाली थी। डॉक्टर बुलाने के उसने तुरंत अपने किसन बेटा को भेज दिया। एक अकेली बेचारी नंदगहिन, बेटी है जो अपने ससुराल में रहती है, यहाँ कौन हे नंदगहिन का उसके सिवाय?

गाँव के झोला झाप डॉक्टर का इलाज शुरू हुआ। सप्ताह भर तक दोनों समय इंजेक्शन लगाए गये। टॉनिक दी गई, गोलियाँ खिलाई गई, पर बुखार नहीं गया। गाँव के बैगा-गुनिया लोगों से झाड़-फूंक भी कराया गया, नंदगहिन फिर भी ठीक नहीं हुई। बेटी-दामाद दोनों दूसरे दिन सुबह से ही सेवा-जतन में जी-जान से जुटे हुए थें। अब तो इन्हें भी चिंता होने लगी; बीमारी बढ़ती ही जा रही थी। गाँव के झोला छाप डॉक्टर ने जवाब दे दिया।

गाँव की नर्स बाइग् और सुकवारो काकी कब से जिद्द कर ही थी कि इसे तुरंत राजनांदगाँव के बड़े अस्पताल में भरती कर देना चाहिये। आखिर उन्हीं का सलाह काम आया।

0

दो दिन तक खून, पेशाब और कई तरह के जांच किए गये। तीसरे दिन सिस्टरों ने बताया कि मलेरिया का असर दिमाग तक पहुँच गया है। पीलिया और टॉयफाइड अलग है। तुरंत खून चढ़ाना पड़ेगा, फिर भी अब केवल ऊपर वाले का ही सहारा है।

ऊपर वाले की ही कृपा थी कि नंदगहिन बच गई। और अब तो वह टंच भी हो गई है। जन्म से ही चुलबुली और हँसमुख स्वभाव की नंदगहिन, पाँव घर में कब थिराते हैं? पुराना रेवा-टेवा फिर शुरू हो गया। दामाद खोज-खबर लेते रहता है। बेटी बराबर आती-जाती रहती है, चिंता हुई कि बदपरहेजी में और कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाय? एक दिन उन्होंने कहा - ''दाई, अब तोर गत्तर खंगत आ गे हे। चल हमर संग। संग म रहिबे। इहां घर के सिवा अउ का रखे हे?''

नंदगहिन निरक्षर है तो क्या हुआ, स्वाभिमानी है, दीन-धरम का उसे खयाल है, मान-मयार्दा की सीमाओं को भी अच्छी तरह पहचानती है; कहा - ''तुंहला खाली घर भर नजर आथे मोर बेटी-बेटा हो। बने कहिथव। घर म का रखे हे। आज हे, काली नइ रहही। फेर ये गांव म मोर सुख-दुख के बंटइया मोर संगी जहुंरिया हें। सबर दिन के संगवारी खेत-खार, नंदिया-तरिया, रुख-राई, धरसा-पैडगरी हें। मोर खरतरिहा के आत्मा हे। पुरखा मन के नाव-निसानी हे। इही अंगना म मोर डोला उतरे रिहिस। अब इहिंचेच ले मोर अरथी घला उठही। बेटी-बेटा हो, अपन घर, अपन देहरी, अपन गांव, अपन देस, अपनेच होथे ग। कइसे ये सब ल छोड़ के तुंहर संग चल देहूं? अउ फेर सुकारो बहिनी के राहत ले इहां मंय अकेला नइ हंव। तुहंर अतकेच मया मोर बर गजब हे।''

माँ की भावनाओं को समझते हुए बेटी ने कहा - ''दाई, तंय बने कहिथस। फेर एक बात अउ हे। तंय बीमार रेहेस। बांचे के आसा नइ रिहिस। मंय कबीर साहेब ल बदना बद परे रेहेंव कि हे साहेब, मोर दाई ल एक घांव बचा दे, तुंहर चौंका आरती कराहूँ। साहेब ह मोर बिनती ल सुन लिस। अब वचन पूरा करे परही।''

भावविभोर होते हुए नंदगहिन काकी ने कहा - ''तुंहर सेवा अउ साहेब के किरपा से मंय नवा जनम धरे हंव बेटी। जउन बदना बदे हस, वोला पूरा करे म देरी झन कर। केहे गे हे कि काल करे सो आज कर।''

इस तरह कार्तिक शुदी चौदस के दिन चौका आरती का होना तय हुआ था। और नियत तिथि के अनुसार आज नंदगहिन काकी के घर इसी की तैयारियाँ चल रही है।

0

दस बजते-बजते महंत साहेब अपने दीवान और आधा दर्जन चेले-चपाटियों के साथ पहुँच गए। साहेब को स्वच्छ और सुंदर आसन पर बिठया गया। महंत साहब का चरण पखारने के पश्चात् पूरे परिवार सहित नंदगहिन काकी ने चरणामृत पान किया, आरती उतारा गया।

महंत रामा साहेब का नाम कौन कबीर-पंथी नहीं जानता होगा। बहुत बड़े साधक हैं, बड़े ज्ञानी और तत्वदर्शी हैं, बीजक के एक-एक अक्षर की बड़ी विषद् व्याख्या करते हैं, जाने-माने प्रवचनकार हैं। पर उतने ही बड़े कर्मकाण्डी और नेम-धरम मानने वाले भी हैं। जिसके गले में कंठी न बंधा हो उसके हाथ से कुछ भी ग्रहण नहीं करते। नल और बोरिंग के पानी को हाथ भी नहीं लगाते; मोटर-पंपों में चमड़े, रबर या प्लास्टिक का वायसर जो लगा होता है। केवल नारियल के रेशे की रस्सी और धातु की बाल्टी से खींचा गया कुँए का पानी पीते है; प्लास्टिक की रस्सी-बाल्टी से खींचा हुआ नहीं।

दामाद को पहले ही ताकीद किया जा चुका है, पूरी व्यवस्था इसी के अनुरूप की गई है।

साथ मे आये हुए सारे चेले-चपाटी खंजेरी बजा-बजाकर निर्गुनिया भजन गाने में मंस्त हैं। दीवान साहब चौंका पोतने में लगे हुए हैं। दामाद ने दी गई सूची के अनुसार, बाजार से खरीद कर लाने वाला सारा समान बड़े से एक झोले में पहले ही दीवान साहब को सौंप दिया है। पान, सुपारी, नारियल, खारिक-बादाम सहित सभी प्रकार के मेवे, कपड़े, कपास, तेल, घी, आटा सब है। थाली, लोटा, कोपरा, आम और केले की पत्तियाँ जैसे कई सामान अब भी जुटाए जाने हैं, इस काम में दामाद स्वयं लगा हुआ है; पता नहीं कब, किस सामान की जरूरत पड़ जाय?

अब की बार तेल मंगाया गया। कांच की बड़ी सी, सुंदर सी चौकोर शीशी में तेल लेकर नंदगहिन काकी स्वयं हाजिर हो गई। रख कर लौटने ही वाली थी तभी महंत साहब की वाणी सुनकर वह ठिठक गई।

महंत साहब पूछ रहे थे - ''क्या लेकर आई हो माई?''

''तेल ताय साहेब।''

''किसमें लाई हो?''

''सीसी म तो लाय हंव साहेब।''

''किस चीज की शीशी है?''

''रस्ता म परे रिहिस हे साहेब। बने दिखिस त ले आयेंव। चार साल हो गे। मंय अपढ़, का जानंव, का के होही?''

घुड़कते हुए महंत साहब ने कहा - ''माई! तुम केवल अपढ़ ही नहीं हो, मूर्ख और अज्ञानी भी हो। खुद का धरम तो नाश कर ही रही हो, गुरू को भी धर्मभ्रष्ट करने पर तुली हुई हो। दारू की बोतल में तेल देती हो?''

दारू की बात सुनकर और गुरु को क्रोधित देखकर नंदगहिन काकी सिर से पांव तक कांप गई। हिम्मत जुटा कर बोली - ''बने कहिथव साहेब। हम मूरख, अज्ञानी; दारू मंद के मरम ल का जानबोन। जानतेन त अइसन अपराध काबर करतेन साहेब। आप मन गुरू हव, ज्ञानी-धियानी हव, तउन पाय के जानथव।''

यद्यपि नंदगहिन काकी ने ये बातें बड़ी सहजता, सरलता और विनीत भाव से कही थी, परंतु महंत साहब को चुभ गई। शरीर क्रोध से कांपने लगा। कहा - ''अरी पापन! एक तो पाप करती है, ऊपर से गुरू का अपमान करती है।''

''दारू ह नसा करथे कहिथें साहेब। चार साल हो गे, ये सीसी के तेल ल खावत, गोड़-हाथ म चुपरत। हमला तो आज ले नसा नइ होइस। तुंहला तो देखेच म नसा हो गे तइसे लागथे?''

नंदगहिन काकी का जवाब सुन कर महंत साहब से कुछ कहते नहीं बना, परंतु क्षोभ और अपमान के आवेग में वह उठ खड़ा हुआ। शरीर क्रोध से जला जा रहा था।

गुरू का यह विकराल रूप देखकर नंदगहिन काकी सिर से पांव तक कांप गई। सोच रही थी, 'हे भगवान! पता नहीं किस जनम में कौन सा पाप किया था कि भरी जवानी में पति को खोया, सारी जिंदगी दुख भोगा। अब गुरू को नाराज करके अपना परलोक भी बिगाड़ लिया।' आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली। उसे अपनी दुनिया में अँधेरा ही अँधेरा दिखने लगने लगा। गुरू की शरण में जाने से ही भला हो सकता है। गुरू के पांवों में गिर कर बिलखते हुए कहा - ''हे गुरू, मंय जनम भर के पापिन, तुंहर अपमान करके अउ पाप म बूड़ गेंव। मोर तो चारों खूंट अंधियारेच अंधियार हे। पाप ल छिमा करो साहेब।''

महंत साहब का क्रोध अब शांत हो चुका था। काकी के इस आत्म समर्पण ने उनके शुष्क हृदय को भावों की तरलता से भर दिया। आँखें नम हो गई। कहा - ''माई! उठो। तुम पापन नहीं हो। पाप तो मेरे अंदर भरा हुआ था। पाप के अंधकार में तो मैं डूबा हुआ था। कबीर साहब ने कहा है - 'अहंकार अभिमान विडारा, घट का चौंका कर उजियारा।' तुम्हार घर और तुम्हारा घट तो उजियारे से जगमगा रहे हैं। अहंकार का अंधियारा तो मेरे अंदर छाया हुआ था जिसे तुमने दूर कर दिया। तेरी देहरी में आकर तो मेरे सारे पाप ही धुल गए। तुम्हारे रूप में आज मैंने गुरू को पा लिया है।''

000

कथाकार - कुबेर

जन्मतिथि - 16 जून 1956

प्रकाशित कृतियाँ

1 - भूखमापी यंत्र (कविता संग्रह) 2003

2 - उजाले की नीयत (कहानी संग्रह) 2009

3 - भोलापुर के कहानी (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2010

4 - कहा नहीं (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) 2011

5 - छत्तीसगढ़ी कथा-कंथली (छत्तीसगढ़ी लोककथाओं का संग्रह) 2013

प्रकाशन की प्रक्रिया में

1 - माइक्रो कविता और दसवाँ रस (व्यंग्य संग्रह)

2 - और कितने सबूत चाहिये (कविता संग्रह)

संपादित कृतियाँ

1 - साकेत साहित्य परिषद् की स्मारिका 2006, 2007, 2008, 2009, 2010

2 - शासकीय उच्चतर माध्य. शाला कन्हारपुरी की पत्रिका 'नव-बिहान' 2010, 2011

पता

ग्राम - भोड़िया, पो. - सिंघोला, जिला - राजनांदगाँव (छ.ग.)

पिन - 491441

मो. - 94076 85557

ई. मेल - kubersinghsahu@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कुबेर की कहानियाँ - 5 घट का चौंका कर उजियारा
कुबेर की कहानियाँ - 5 घट का चौंका कर उजियारा
http://lh5.ggpht.com/-7ocaQVaI59s/USM9nfCsSiI/AAAAAAAAT_U/X5pW9SWPl3k/image2_thumb.png?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-7ocaQVaI59s/USM9nfCsSiI/AAAAAAAAT_U/X5pW9SWPl3k/s72-c/image2_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/02/5_19.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/02/5_19.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content