प्रमोद यादव की कहानी - मैं, तुम और वह

SHARE:

मैं, तुम और वह / प्रमोद यादव नीता लगातार रोये जा रही है और नवीन उसे चुप कराने की कोशिश में नाकाम-सा हो गया है. वह खुद को भी सम्हाल नहीं पा ...

मैं, तुम और वह / प्रमोद यादव

clip_image002

नीता लगातार रोये जा रही है और नवीन उसे चुप कराने की कोशिश में नाकाम-सा हो गया है. वह खुद को भी सम्हाल नहीं पा रहा है.डबडबाई आँखों पर बार-बार रुमाल फेर नीता को समझाए जा रहा है कि जो कुछ भी घटा.,.वह महज एक हादसा है..उसका कोई दोष नहीं..लेकिन नीता स्वयं को अपराधी मान रोये जा रही है. नवीन की ट्रेजडी यह कि वह खुलकर रो भी नहीं पा रहा.. रो लेता तो शायद मन हल्का हो जाता. बार-बार कोशी के अधूरे पत्र के शब्द कानों में अब भी टकरा रहे थे ..” आखिर तुमने दामन छुडा ही लिया न...फिर भी खुश हूँ..तुम्हारे लिए.....”

नौ साल पहले की एक-एक बातें बिजली की तरह दिमाग में कौंध रही है...

तब नवीन कितना मासूम हुआ करता. कोशी से उसकी दोस्ती किन हालात में हुई और दोस्ती कब प्यार में तब्दील हो गई..उसे अब याद नहीं पड़ता..लेकिन अच्छी तरह याद है.. कोशी के साथ बीते वे सारे पल जो बेहद सपनीले और मीठे हुआ करते. आज वो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसकी एक-एक बातें, एक-एक यादें रह-रहकर जेहन में कौंध रही है.

बड़ी खुबसूरत और गुणी लड़की थी कोशी. बी.ए.पास थी. हमेशा मीठा बोलती और कोयल सी चहकती-गाती थी.उसकी आवाज बड़ी प्यारी थी.. आम प्रेमी-प्रेमिकाओं की तरह उनके बीच भी एक जातिगत सामाजिक दीवार थी. पर इसे वे बहुत ही कम अहमियत देते.. दोनों के बीच एक समझौता-सा था कि शादी तो असंभव है लेकिन प्यार के पवित्र रिश्ते को अच्छे दोस्त की तरह जन्म-जन्मांतर निभाएंगे. शुरू-शुरू में नवीन को लगा कि कोशी केवल शारीरिक-स्तर पर सयानी है, मानसिक-स्तर पर वह बच्ची लगती..अनजाने ही अक्सर वह बचपना कर डालती ..और नवीन गुस्सा हो जाता..लेकिन तुरंत ही खुद को संयत भी कर लेता...इस आस से कि धीरे-धीरे वक्त बीतने पर कोशी मानसिक तौर पर भी सयानी हो जायेगी..और सचमुच जैसे-जैसे वक्त बीतता गया... वह समझदार होती गई. एक समय ऐसा भी आया कि उसे लगने लगा कि कोशी से ज्यादा समझदार और प्यारी लड़की कहीं संभव ही नहीं. उसे लगा कि वह उसके स्वभाव के अनुरूप ढल गई. वह उसे बेहद प्यार करती और उसके बगैर पागल सी हो जाती. कई बार नवीन सोचता कि इतनी अच्छी जीवन-संगिनी उसे शायद ही मिले.पर कोशी के निश्छल किन्तु स्वतंत्र, बेबाक और बिना झिझक वाले पुरुषोचित व्यवहार से उसे अक्सर दुःख होता.

वह जानता था कि कोशी उसे पूरे मन से प्यार करती है.मगर न जाने क्यों वह नहीं चाहता था कि वह किसी के सामने खुलकर हँसे और शरमों-हया के दायरों से हटकर बातें करे...यह जानकर भी कि कोई कितना भी प्रभावशाली व्यक्तित्व आ जाए, उसकी जगह तक कोई नहीं पहुँच सकता..यह जानते हुए भी कि उसके प्यार में कहीं खोट नहीं है. अजीब काम्प्लेक्स था उसे. वह औरों के साथ हंसती, बोलती तो उसे बेहद तकलीफ होती. वह बहुत कोशिश करता कि उसके हर रूप को प्यार करे मगर चाहकर भी कर नहीं पाता. कई बार कोशी उसके पास होती तो वह बेहद खुश रहता लेकिन अनायास ही मन में ढेरों उदासियाँ छा जाती. उसे लगता कि वह पूरी तरह से उसकी होते हुए भी उसकी नहीं...उसकी स्वतन्त्रता, उसकी हठधर्मिता और बेबाकीपन उसे एक दीवार की तरह लगने लगती.जो गाहे-बगाहे बीच में खड़ी हो जाती.

नवीन आज भी उस दिन को नहीं भूला जब इसी हठधर्मिता और खुलेपन को लेकर उन दोनों में मतभेद हुआ था. गुस्से में उसने कोशी को एक लंबा खत लिखा..लेकिन जवाब में उसे जो मिला, वह अपमान का एक भारी टुकड़ा था. इस हादसे के एक महीने पूर्व ही घरवालों की जिद पर और कोशी के समझाने-बुझाने पर वह शादी के लिए लड़की देखने गया था. लड़की देख आने पर उसने कोशी से काफी नोंक-झोंक,हंसी-मजाक किया था. तभी उसने पहली बार महसूसा कि अनजाने ही कोशी भी उसे कहीं गहरे तक प्यार करती है...क्योंकि शादी की बात से ही उसका चेहरा बुझ-सा जाता... कोशी ने खत के जवाब में जो लिखा, उसका एक-एक शब्द जहर बुझा-सा था. पढकर वह कराह गया था. आत्मसम्मान को बड़ी ठेस लगी. वह बर्दाश्त न कर सका था. इतने अपमान भरे शब्द थे..जो कम से कम कोशी के मुंह से सुनना उसे बिलकुल गवारा न था. उसने अविलम्ब अपना फैसला लिख कोशी को दे दिया. उसने स्पष्ट लिखा था- “ सारे सम्बन्ध तोड़ रहा हूँ..और तुम्हारा यह सोचना सर्वथा गलत है कि मेरी शादी होने वाली है इसलिए दामन छुडा रहा हूँ..मेरी शादी होगी तो तुम्हे जरुर बुलाऊंगा..और भगवान न करे कभी मेरी शादी हो..”

तीन-चार दिन उसने इन्तजार किया.. लेकिन न खत आया और न ही कोशी आई. गुस्से और अकड ने नवीन को और कठोर बना दिया. उसने खुद मिलना भी उचित नहीं समझा औरइस तरह दूरियां बढती गई..बढती गई. दोनों के बीच एक मौन ही था जो तनाव सा ताना था... दोनों में से कोई भी चाहता तो मौन तोड़कर इस जटिल स्थिति को नार्मल बना सकता था लेकिन ऐसा न हुआ . अंततः नवीन ने अपने गृहनगर से अन्यत्र ट्रांसफर ले लिया.

कहते हैं- वक्त हर जख्म को भर देता है लेकिन नवीन का जख्म कभी नहीं भरा. एक-दो साल घर के लोग उस लड़की के साथ शादी के लिए उसे जोर देते रहे जिसे कभी वह कोशी के कहने पर देख आया था. लेकिन नवीन ने इनकार कर स्पष्ट कह दिया कि इस विषय में अब कभी चर्चा न की जाए.. फिर घरवालों ने पूछना छोड़ दिया. शहर से क़स्बा, कस्बे से शहर..जगह-जगह वह ट्रांसफर लेता रहा.लेकिन यादों का एक लंबा हुजूम जो उसके साथ था, कहीं भी पीछा न छोड़ा. इस तरह पूरे नौ साल बीत गए. कई बार वह पागलपन की हद तक उसे याद करता और सोचता कि कोशी को एक बार देख आऊ.पर उसके अपमान भरे शब्द याद आते ही वह सारे ख्याल छोड़ देता.

नौ साल बाद एकाएक नीता मिली तो उसने पहचाना तक नहीं. भला पहचानता भी कैसे ? जब उसे शादी के लिए पसंद करने गया था, तब कितनी दुबली और छोटी थी. उसके अचानक आने का उद्देश्य सुन वह आश्चर्यचकित रह गया था. उसने बताया कि अभी तक शादी नहीं की. नवीन के इंतजार में बैठी है और उसकी इस जिद ने उसे परिवार से हमेशा- हमेशा के लिए अलग कर दिया. अध्यापन- कार्य करके जिंदगी गुजार रही है. सब कुछ सुनकर नवीन सोचने पर मजबूर हो गया कि वह क्या करे ?

नीता ने स्पष्ट शब्दों में उस दिन कहा था- “नवीन..मेरी विवशता शायद तुम्हें मेरी बेशर्मी लगे..लेकिन स्पष्ट कहती हूँ..मैंने पहली बार तुम्हें देखा तभी फैसला किया था कि शादी करुँगी तो सिर्फ तुमसे.अन्यथा किसी से भी नहीं.. अपनी जिद की भारी कीमत चुकानी पड़ी मुझे. माँ-बाप, भई-बहन सबसे बिछुड गई हूँ और बगावत की इस स्थिति में पहुँचने में मुझे पूरे नौ साल लगे. मैं सुन्दर तो नहीं पर बुरी भी नहीं हूँ. तुम्हारी गृहस्थी सम्हाल लूंगी...हाँ..अपनी बात स्पष्ट कर दो..कोई मजबूरी हो तो वह भी साफ़ बता दो..मैं सुन लूंगी..”

तब नवीन ने उसे बेझिझक कोशी की कहानी सुना दी. सुनकर नीता बेहद विचलित हो गई थी, उसके अविवाहित रहने का रहस्य जानकार. उसने कहा था- “ नीता.. कोशी के आखिरी शब्दों को कभी न भुला सकूंगा..उसने लिखा था-‘ तुम्हारी शादी होने वाली है.. इसलिए दामन छुडा रहे हो.’ उसके इस एक वाक्य में ढेरों दर्द छुपा था...मुझे लगने लगा कि शादी कर लूँगा तो वह खुद को सम्हाल नहीं पाएगी.. मर जायेगी..इसलिए मैंने शादी न करने का ही ठान लिया था.”

कोशी की कहानी सुन नीता ने तब कहा था- “ तुम्हारे प्यार के प्रति मुझे हमदर्दी है नवीन लेकिन कोशी अभी कहाँ है?कैसी है?यह तो न तुम जानते हो न मैं....पर मैं तो तुम्हारे सामने हूँ..मेरी सारी स्थितियां तुम्हारे सम क्ष है. मेरे विषय में तुमने क्या सोचा है ? अतीत को लेकर चलना कहाँ तक उचित है ? और फिर जिस लड़की ने कभी अपनी गलती तक महसूस नहीं की..उसकी यादों को पकडे रहने का क्या औचित्य है ? “

उस रात नीता नवीन के पास ही ठहरी. रात भर इसी विषय में गंभीर चर्चा हुई.अंततः नीता ने उसको काफी समझा-बुझाकर शादी के लिए तैयार कर ही ली . इत्तफाक से दूसरे दिन सुबह वाली ट्रेन से नवीन का पूरा परिवार घूमने-फिरने के उद्देश्य से नवीन के घर आ पहुंचा. शादी की बात, वह भी नीता से, सुन घरवाले खुशी से झूम उठे.. और दो-चार दिनों के भीतर ही शादी वहीँ संपन्न कराने की बात तय हो गई..

नवीन की इच्छा थी कि कोशी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे.पर इतनी जल्दी उसका आना संभव नहीं था. नीता का कहना था कि एकाएक उसे जाकर ‘सरप्राइज’ देंगे.. अंततः परिवार के चंद सदस्यों की उपस्थिति में ,आनन्-फानन में शादी समपन्न हो गई पर शादी के दौरान पूरे वक्त वह कोशी को याद करता रहा. कोशी की अनुपस्थिति उसे सालती रही. चाहकर भी वह एक सामान्य दुल्हे की तरह अपने को खुशमिजाज न रख सका. उसे लगता रहा कि कोशी की सपनीली आँखें उसे घूर रही है.

शादी की पहली रात...जब फूलों की सेज पर नवीन पहुंचा तो चौंक ही पड़ा...सेज पर कोशी दुल्हन के लिबास में बैठी मुस्कुरा रही थी...तभी अचानक बिजली चली गई..वह चीख पड़ा था..” कोशी..” बिजली लौटी तो नीता को करीब पाया. उसने नीता को बताया तो उसने इसे मात्र वहम कहा और उसको नार्मल करने की कोशिश करने लगी. सुहाग की वह रात यूं ही गुजर गई.

आज ही नवीन अपने परिवार और नीता के साथ अपने गृहनगर लौटा. स्टेशन पर उतरते ही वह नीता को लेकर कोशी के घर की ओर चल पड़ा.पर कोशी के घर पहुँच उसे काठ मार गया. कोशी तो नहीं मिली, उसका लिखा एक अधूरा पत्र मिला जिसमे उसने इतना ही लिखा था- ‘ आखिर तुमने दामन छुडा ही लिया न..फिर भी खुश हूँ..तुम्हारे लिए..’

नीता की सिसकी अब कुछ थमी है. कोशी के पिता बता रहे हैं कि एकाएक बारह मई की रात एक बजे वह चल बसी...न बीमार थी न आहत ..बस एक बार जोरों से चीखकर लुढक गई थी....यह वही वक्त और दिन था...मेरी सुहागरात का...जब कोशी को मैंने सेज पर मुस्कुराते देखा था..और जिसे नीता ने वहम की संज्ञा दी थी. कोशी के पिता नीता को एल्बम दिखा रहें है और नवीन घर की दरों-दीवारों को ताक रहा है जिसके जर्रे-जर्रे में उसे कोशी दिख रही है.

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

प्रमोद यादव

दुर्ग, छत्तीसगढ़

मोबाइल- 09993039475

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद यादव की कहानी - मैं, तुम और वह
प्रमोद यादव की कहानी - मैं, तुम और वह
http://lh6.ggpht.com/-QMjjuloXCxk/UkvSVTMN8aI/AAAAAAAAWFg/EFoDCd4WNVM/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh6.ggpht.com/-QMjjuloXCxk/UkvSVTMN8aI/AAAAAAAAWFg/EFoDCd4WNVM/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_6177.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_6177.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content