सूक्ति–सागर : नरेश अग्रवाल की 1000 सूक्तियाँ

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  डॉ . नरेश अग्रवाल - एक परिचय   ''नरेश का मिजाज एक चिन्तक का है, वे जीवनानुभवों की गहराई में उतरने का माद्दा रखते हैं।''...

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डॉ. नरेश अग्रवाल-एक परिचय

 

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''नरेश का मिजाज एक चिन्तक का है, वे जीवनानुभवों की गहराई में उतरने का माद्दा रखते हैं।'' - इंडिया टुडे

इन प्रेरक सूक्तियों की रचना के पीछे लेखक का एक दीर्घ संघर्षमय जीवन जुड़ा है, साथ ही भारतवर्ष में संभवतः यह पहला प्रयास होगा जब किसी लेखक

द्वारा 1000 सूक्तियाँ हिन्दी भाषा

में लिखी गयी। नीचे डॉ. नरेश अग्रवाल का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है, जो उनके व्यक्तित्व को समझने में मदद करेगा।

1. 16 वर्ष की आयु में शतरंज खेल का कठिन अभ्यास किया तथा जमशेदपुर की तरफ से बोकारो में आयोजित राज्य स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता में भाग लिया तथा पुरस्कृत हुए। साथ ही जमशेदपुर में जिला स्तरीय शतरंज संघ की स्थापना की।

2. 18 वर्ष की आयु से लेकर वर्तमान तक व्यापार में पूर्णरुप से समर्पित।

3. पौधों की बोनसाई विद्या में पूर्ण रुप से पारंगत तथा हजारों र्दुलभ पौधे इनके संग्रह में शामिल। बोनसाई में अनेक पुरस्कार मिले तथा अनेक बोनसाई पौधों की स्तरीय प्रदर्शनी लगाने का अनुभव । बोनसाई विद्या पर एक पुस्तक भी लिखी। कलकत्ता में राज्य स्तर पर आयोजित बोनसाई प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में चुने गए। अनेक शहरों में बोनसाई पर कार्यशाला का आयोजन किया।

4. ज्योतिष एवं हस्त रेखा विद्या का विस्तृत अध्ययन तथा अच्छा ज्ञान प्राप्त किया।

5. होम्योपैथी में कई साल तक विस्तृत अध्ययन तथा अच्छी जानकारी अर्जित की।

6. पढ़ने का बचपन से शौक रहा और लगभग 5000 पुस्तकें उनके निजी पुस्तकालय में संग्रहित।

7. स्तरीय साहित्यिक कविताओं की 6 पुस्तकों का प्रकाशन तथा शिक्षा सम्बन्धित 5 पुस्तकों का प्रकाशन। साहित्य जगत में रचित पुस्तकों को अच्छी ख्याति प्राप्त। 'इंडिया टुडे' एवं 'आउटलुक' जैसी पत्रिकाओं में भी इनकी समीक्षाएँ एवं कविताएँ छपी हैं। देश की सर्वोच्च साहित्यिक पत्रिका 'आलोचना' में भी इनकी कविताओं को स्थान मिला है। लगभग सारी स्तरीय साहित्यिक पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित।

8. 'मरुधर' रंगीन द्विमासिक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन पिछले चार वर्षों से लगातार कर रहे हैं, जो आर्ट पेपर पर छपती है।

9. 'हिंदी सेवी सम्मान', 'समाज रत्न' सम्मान आदि अनेक सम्मानों से सम्मानित।

10. शहर में पुष्प प्रदर्शनी, कवि सम्मेलन, बोनसाई प्रदर्शनी आयोजन का लम्बा अनुभव।

11. फोटोग्राफी विद्या में पूर्ण रुप से दक्ष तथा अपने भ्रमण के दौरान हजारों तस्वीर का संग्रह इनके बेवसाईट पर उपलब्ध।

12. यात्रा के बेहद शौकीन तथा अनगिनत जगह की यात्रा की तथा यह सिलसिला जारी है।

सूक्ति-सागर

रचयिता - डॉ. नरेश अग्रवाल

सर्वाधिकार सुरक्षित - डॉ. नरेश अग्रवाल

इस 'ई-पुस्तक' का प्रकाशन डॉ. नरेश अग्रवाल द्वारा स्वयं किया गया है तथा

पुस्तक के रुप में प्रकाशन- प्रकाशन संस्थान, नई दिल्ली द्वारा किया गया है।

प्रकाशन वर्ष - सन् 2014

प्रकाशन संस्थान

4715/21 दयानंद मार्ग, दरियागंज, नई दिल्ली – - 110002 फोनः 23253234, 65283371

 

'सूक्ति-सागर' के कुछ मुक्ता

जल्दबाजी

जल्दबाजी से हमारे द्वारा किये गये कार्य ओस की तरह हल्के होने लगते हैं। ये बजाए हमें कुछ देने के, हमारा साथ छोड़ने लगते हैं।

दुर्लभता

दुर्लभता का अस्तित्व वहीं तक है, जब तक हम वहाँ नहीं पहुँचते है।

पेड़

पेड़ काटने वाले को भी अपनी छाया का अंतिम सुख देकर ही जमीन पर गिरते हैं।

पिता

पुत्र के चेहरे की थकान, पिता के मन की थकान बन जाती है।

भोजन

बबूल का पेड़ आपकी नजरों में काँटों से भरा है और

ऊँट की नजरों में भोजन से।

भीड़

भीड़ में खड़ा होना आपका मकसद नहीं है; बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ी है वह बनना आपका मकसद है। सच

सच कटु होता है, फिर भी लोग सच ही सुनना पसन्द करते हैं, बजाए झूठ के।

राज्य

डालियाँ काटों को पनाह देती है और फूलों को भी; एक राज्य के साथ ऐसी मजबूरी हमेशा जुड़ी रहती है।

व्यवसायी जो व्यवसायी स्वयं अपने एवं लोगों के श्रम, पूंजी, भवन, मशीनों, भण्डार, आदि की गति एवं स्थिति के एक-एक पल का हिसाब रखते हैं, वे ही सही उद्यमी होते हैं।

संघर्ष

प्रत्येक संघर्ष में एक आशा की किरण हमेशा दिखलाई पड़ती रहती है।

अनुपात

उचित अनुपात के मेल से ही दुनिया के सारे काम आगे बढ़ते हैं।

शहर

एक ऐतिहासिक शहर में उसका बुढ़ापा और जवानी साथ-साथ दिखेंगे।

ज्ञान परिपक्व ज्ञान अपने चमत्कार दिखाने में देर नहीं करता।

अपशब्द

अपशब्द एक चिनगारी है जो कानों में नहीं मन में जाकर जलती है।

कला

जब आपके पास कला है तो आप साधारण को भी असाधारण बना सकते हैं।

कलाकार

एक कलाकार मिट्टी से भी सबसे अच्छे कण चुनने की

योग्यता रखता है।

क्रोध

क्रोध वह हथोड़ा है, जो किसी भी जोड़ को कुछ पलों में तोड़ देता है।

दौड़

अपने को मजबूत रखिये, लम्बी दौड़ में भाग लेने का मौका कभी भी आ सकता है।

धरोहर

सफलता की बहुत सारी गुप्त युक्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार की धरोहर बनकर रहती है।

बेटी

पिता बेटी के घर आने की खुशी नहीं; बल्कि ससुराल से मिली खुशी को देखना चाहता है।

यह 'सुक्ति-सागर'

जिस व्यक्ति को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के कार्यों में संलग्न लोगों से मिलने-जुलने तथा उनसे बराबर बातचीत करने तथा उनके कार्य-व्यवहारों को देखने तथा समझने का अवसर प्राप्त हो जाता है, तो एक प्रकार से वह व्यक्ति मानव मनोविज्ञान का पारखी ही बन जाता है। इस प्रकार के किसी गुणी व्यक्ति से आपकी मुलाकात यदा-कदा ही हो सकती है। कुछ ऐसे ही व्यक्तित्व के स्वामी हैं- डॉ. नरेश अग्रवाल।

डॉ. नरेश अग्रवाल मूलतः एक व्यवसायी तथा उद्यमी है, इस कारण उनका सम्पर्क विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों से सदा होता रहता है। एक व्यवसायी तथा उद्यमी होने के साथ-साथ उनकी अभिरुचियों का क्षेत्र बड़ा व्यापक है। साहित्य के क्षेत्र में अब तक उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा वे बहुरंगी पत्रिका 'मरुधर' के संपादक भी हैं। इस दृष्टि से वह व्यापारी तथा उद्यमी होने के साथ-साथ एक साहित्य-सेवी और विचारक भी हैं।

अपने जीवन में डॉ. नरेश अग्रवाल ने जो विविध अनुभव प्राप्त किए हैं और उन पर चिंतन करते हुए उन्होंने अपने विचारों को एक विशेष विधा में अभिव्यक्त करने का सफल प्रयास किया है। यह विधा है- सूक्ति। आज यह विधा साहित्य की अन्य विधाओं की तरह बहुचर्चित नहीं है। यह भी कहा जा सकता है कि अब एक प्रकार से यह उपेक्षित विधा बन गई है। डॉ. नरेश अग्रवाल बराबर नया सोचने और नया करने के पक्षधर रहे हैं। इस बार उन्होंने सूक्तियों की रचना करने की चुनौती स्वीकार की है। उन्होंने एक हजार से अधिक स्वरचित सूक्तियों की रचना कर, आज की लगभग सर्वथा उपेक्षित, पर अनिवार्य विधा का पूनरुद्धार करके एक अत्यंत प्रशंसनीय तथा उल्लेखनीय कार्य किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पुस्तक में सम्मिलित उनकी सूक्तियाँ मौलिक हैं। इनके इस 'सूक्ति-सागर' में उतरने के लिए बहुत हाथ-पैर मारने की आवश्यकता नहीं है। विश्राम तथा बैठे-ठाले क्षणों में भी इस 'सूक्ति-सागर' में अवगाहन कर कोई भी व्यक्ति इनसे प्राप्त बहुमूल्य मुक्ताओं को सहज ही प्राप्त कर सकता है।

केवल आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास के साथ यह कहा जा सकता है कि डॉ. नरेश अग्रवाल के सूक्ति-सागर का मुक्तकंठ से स्वागत किया जाएगा।

श्रवणकुमार गोस्वामी

पूर्व सदस्य, हिन्दी सलाहकार समिति, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नयी दिल्ल्ी-1 आश्रय, नयी नगड़ा टोली चौथी गली (पूरब)

राँची – 834001

 

पूर्व लिखित पुस्तकों पर सम्मतियाँ

''नरेश का मिजाज एक चिन्तक का है, वे जीवनानुभवों की गहराई में उतरने का माद्दा रखते हैं।''

- इंडिया टुडे

''सब कुछ को सलीके से छिपाकर वे अपने पाठक को सरल से सरल भाषा में दृश्य-दर-दृश्य, कुछ अनसुने, अनदेखे और अनजाने को सुनने, देखने और जानने के लिये उकसाते हैं। इसलिए उस मर्म और तत्व को ढूँढ़ते हुये, वहाँ तक पहुँचने की प्रक्रिया में वे पाठक को खोजकर पाने के सुख से सुखी कर देना चाहते हैं। उसे अपने ढंग से अपने लिये पाकर पाठक के मन में उसके विस्तार और उसके प्रदर्शन की सबसे ज्यादा सम्भावना बनती है।'' लीलाधर जगूड़ी

(पद्मश्री एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित)

''ये कविताएँ ह्रदय का उद्गार हैं, ह्रदय की बात है। प्रभविष्णु कविचित पर जीवन के प्रसंगों ने जो तरंगें उत्पन्न की, उनकी अक्षत अभिव्यक्ति सरल-सगु म भाषा में कवि का अभीष्ट है। ये जीवन-प्रसंग जाने-पहचाने, रोज-ब-रोज के होते हुए भी एक विस्तृत सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत होकर नया अर्थ ग्रहण करते हैं।''

- अरुण कमल, कवि एवं सम्पादक

''नये घर में प्रवेश, नये घर में प्रवेश नहीं, कवि का अपनी अन्तश्चेतना की चौखटों को पारकर अपने आप को पाने, खोजने का प्रयत्न हे। गहन आत्मविश्लेषणात्मक है कवि का दृष्टि। दुनिया के सारे कुएँ से लेकर-कई कविताएँ।''

-चित्रा मुद्गल, उपन्यासकार

''श्री नरेश अग्रवाल की इन कविताओं में समय और परिवेष के प्रति कवि की विनम्रता आकर्शित करती है। इनमें किसी प्रकार का भावुक आवेश या आक्रामक उबाल नहीं है, न अनुभव और भाषा की स्फीति। अभिव्यक्ति का यह अनुशासन इन कविताओं को प्रौढ़ और चिन्तनपरक बनाता है।''

-श्री विश्वनाथ तिवारी कवि एवं सम्पादक, दस्तावेज ''आपकी सृजनात्मकता ने नये धरातलों को स्पर्श किया है। अपने आसपास के जीवन से यह संलग्नता इनकी एक विषिश्ट पहचान बनाती है। संवेदनात्मक गहराई में डूबी हुई इन कविताओं को पढ़कर बहुत अच्छा लगा। आपकी मार्मिकता मन को छूती है।''

- विजय कुमार, कवि एवं आलोचक

''आपकी प्रकृति आधारित कविताएँ भी मात्र दृश्यचित्र नहीं हैं, उनमें मन बोलता है। कश्मीर को आपने सैरगाह की जगह संवेदना बनाया है। अगर इन पुस्तकों का वितरण ठीक प्रकार से किया जाए तो ये समाज के लिये उपयोगी सिद्ध होंगी।''

- ममता कालिया, साहित्यकार

''आपकी कविताओं में बड़ी सहजता है। अनुभवों का निर्व्याज आवेग है। बड़ी आत्मीय स्वतः स्फूर्तता है।''

- विजेन्द्र, कवि एवं सम्पादक

 

विषय-सूची

अचानक, अनभिज्ञ, अनिद्रा 24

अनुपात, अपशब्द, अनुभव, अपमान, अनुभव, अच्छीबात 25-26 असफल, अनुशासित, अतिथि, अन्तर,अफसोस,असमंजस 27

अभावग्रस्त, असुरक्षा, अच्छेलोग, अन्न, अवसर 28

अच्छाई, आचरण, आग, आलस

29

आत्मनिर्भरता, आलोचना, आवाज, आदत, आविष्कार, आभामंडल

30-31

आलस, आशीर्वाद, आदी, आश्वासन

32

आशंका, आचरण, आहट, आदेश, आनन्द, आभूषण

33

आग, आवश्यक, आत्मा, आतुरता, आलसी, अंगुलिया

34

आँख, आँखें, आँच, औरत इ

35-36

इच्छा, इच्छापूर्त्ति, इच्छाएँ, इमारत, इरादे, इस्तेमाल

36-37

इज्जत, इलाज, ईमानदारी, इंतजार

38

उपलब्ध्यिाँ, उपकार, उत्सुकता, उत्पत्ति, उपचार, उपाय

39-41

उपदेश, उद्यमी, उद्योग, उपलब्धियाँ, उपद्रव, ऊर्जावान, उत्तरदायित्व, उद्गम

41-45

ऊर्जा, उत्पत्ति, ऊँचाई

46

एकाग्रता क

47

कर्म, कर्ज, कलम, कहानी, कला, कर्मचारी, कठिनाई

48-49

कलाकार, कलाकृति, कल्पनालोक, कबूतर

50-52

काम, कार्य, कार्यप्रणाली, कामचोर, कोशिश, क्रोध

52-55

कीचड़, कैद, कुर्सी, कुआं, कुएँ, कुल्हाड़ी, कुव्यवस्था, क्रोध, काँटे

55-57

खुशी, खुशियाँ, खुश, खाना, खेल

57-59

गभर्, गहरा, गहराई, गर्व, गलती, गलतियाँ

59-61

गुणीजन, गुलामी, गुमराह, गोपनीयता, ग्रहणशील, गाँव, गृहस्थी

61-62

घर, घोड़े, घोड़ा, घुटने, घोंसला

63-64

चमत्कार, चतुराई, चलना, चरवाहा, चरित्र, चातुर्य 65-66 चालाक, चाल, चोर, चुपचाप, चुभन 67 चिड़ियाँ, चील, चाँद 68

जल्दबाजी, जन्मदिन, जन्मजात, जटिलकाम, जमीन, 69-71 जगह, जरूरत

जानकारी, जीवन, जीनेकाढंग, जीभ, जिंदगी, जिद्दी,जिद 71-73 जिम्मेवारी, जोखिम, जेब, जंगल, जौहरी, जुआ, 74-76 जूता, ज्वार-भाटे

झोली, झूठ 76

ठोकर 77

डर, डालियाँ 77

तरीका, तनाव तलवार, तर्क, तराजू, 77-80

तत्परता, तराशना, ताजगी, ताल-मेल, ताकतवर,तारीफ तारीफ, तुलना, तॉक-झाँक, तोहफा, तंगी, तैरना, तेज, 81-83 तिलक, तृष्णा, तिनके

थकान, थैला 83

दयावश, दहशत, दर्पण, दही, दरवाजे 84 दर्द, दान, दायित्व, दुर्लभता 85

दुर्घटना, दुष्ट, दुनिया, दुश्मन, दुःख, देवता, दूर 86-88

दूरियाँ, दीये, दिशा, दिमाग, ढृढ़ता, 89 दृश्य, दंड़, दौड़

धन, धनार्जन, धरोहर, धार, धैर्य, ध्यान 90-91

नदी, नन्हे, नकल, निर्माण, निमंत्रण, नयापन 92-93 नाराजगी, नियंत्रण, निगरानी, नियम, निपुण, 94-97

निपुणता, निर्माण, निर्देश, निद्रालोक, नीयत, नींद

नुकसान, न्याय, नौकरी 97-98

परिवार, पक्षी परिपक्वता, परिश्रम, पति

99-101

पर्व-त्योहार, पतंग, पत्र, पन्ने, परामर्श

102-103

परेशानियाँ, परेशानी, पतंग, पहरा, पसन्द, परीक्षा, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, पानी

103-104

पेड़, पिता, पुरस्कार, प्रतिभा, प्रयास, प्रेरणा, प्रबंधन

104-113

प्रबंधक, प्रदूषण, प्रसिद्धि, प्रवास, प्रशंसा

114

प्रेम, प्रतिभा, प्रतिस्पर्धा, प्रगति, प्रार्थना, प्रलोभन, प्रवाह, प्रशासन, प्रेरणा

115-118

पेशा, पैसा, पुस्तकें, पुस्तक, पूजा, प्यार, पीठ, पोषण

119-121

पौधे, पुर्जा, पुत्र, पीड़ा, प्यार, ब

122-123

बलवान, बचपन, बच्चे, बच्चों, बदला, बल, बहाने

123-124

बहुरूपिये, बर्दाश्त, बाजार, बुद्धिमान

125-126

बौद्धिकता, बुजुर्ग, बीज, बीमार, बोझ, बुरा

126-127

बेटी, बुढ़ापा, बुद्धि, बाहर, बेवकूफ भ

128-129

भय, भविष्य, भयभीत, भरोसा, भाग्य, भोजन, भिक्षुक, भीड़, भूमि, भूल, भ्रांति, भ्रष्ट

129-133

मदद, महँगाई महत्त्वपूर्ण, महत्त्वाकांक्षी, मन, मनोबल 134-136 मनमुटाव, मनुष्य, महत्व, मस्तिष्क, मजबूत 137-138 मनगढंत, मातृभूमि, मातृभाषा, मालिक, माहौल, 139-144 मार्ग, माँ, मेहनत, मोह, मौत, मौसम

मौन, मूर्ख, मूर्खता, मुखिया, मुश्किलें, मुश्किल, मुखौटा 144-146

मुसीबतें, मुलाकात, मुस्कान, मूल्यवान, मूल्य, 147-148

मंत्रणा, मिट्टी य

यातना, यातनाएँ, यात्रा, यात्री, याद, योजना, योजनाएँ, योग्यता, युक्ति र

149-151

रफ्तार, रस्सी, रक्तदाता, राह, राज्य

152

रास्ता, रास्ते, राजनीति, रात, रोटी, रिश्ता, रिश्ते

153-155

रोजगार, रोशनी, रुकावटें, रुचि ल

156-157

लगाव, लज्जा, लगन, लपटें, लाभ, लोभ, लोभी, लोग, लोहार, लोकप्रियता, लेखन, लेखक व

158-161

वाणी, वासना, व्यवस्था, व्यवसाय, व्यवसायी, व्यापार, व्यापारी

162-169

व्यथित, व्यक्ति, व्यक्तित्व, व्यवहार, व्यायाम 170

विश्वसनीयता, विरोध, विस्तार, विशेषज्ञ 171

विशिष्टता, विचार, विकास, विधवा 172

विधुर, विकल्प, विदाई, विष, विलम्ब 173

विकल्प, विद्वत्ता, विद्वान, विज्ञान, विवाह, विश्वास 174

विचार, विवाद 175

शक्ति, शत्रु, शब्द, शक 176

शरीर, शहर, शरीर शरण, शासक, शादी 177-178

शांति, शंका, शांत 179

शोर, शैली, शोभा, शोक, शिक्षा, शौक, 180-181

शिकारी, शिकार, शुरुआत

समानता, सक्षम, सहयोग, समाधान, स्वाद 182

समूह, सफलता, समय, सपना, सच, समुद्र, साधारण 183-185

सामंजस्य, सच्चाई, सरलता, समुदाय, स्वर, सत्य 186

सहयोग, समीक्षा, समुद्र, समर्पण, सद्बुद्धि 187

सपना, सतर्कता, सतर्क, सफल, सजगता, सहारा 188

समस्याएँ, समस्या, सहनशील 189

सहृदयी, सम्मोहन, सफलता, संसार, सामर्थ्य, 190-192

सामर्थ्यशाली, साहित्य, साथी, साथ, सेवा

सेवक, सेवा, स्वाद, स्वाद

193-194

संतुष्ट, संवाद, स्फूर्ति, संरचना

195

संसर्ग, स्वादिष्ट, संसार, संबंध, संगीत, स्त्री, स्वार्थी, स्मृति

196-197

स्वरूप, स्वाभाषी, सोना, संघर्ष, स्वार्थ

198

स्पर्द्धा, स्त्रियाँ, स्वर, सुख, सुरक्षा, सुविधाएँ, सीढ़ियाँ, सीमा

199-200

सृजन, सूचित, सूक्तियाँ, सुन्दरता, सूर्योदय

201

सूई, सुरक्षा, सुरक्षित, सुविधा

202

सुख, सुन्दरता, सुशासन, सुख, संघर्ष, संकेत, संतुष्ट, संवाद

203-204

संचार, सीढ़ियाँ, सीढ़ी, सीमा, सिंचाई, सोचने, सूरज, साँप, सौदा ह

205-206

हल्कापन, हल, हत्या, हस्ताक्षर, हास्य, हाथ, हार, हानि, हुनर क्ष

207-209

क्षमता

ज्ञ

210

ज्ञान, ज्ञानी

श्र

210-212

श्रम, श्रेय, श्रेष्ठ, श्रेष्ठता

212-213

 

सूक्ति-सागर

अचानक

प्रयासरत लोगों में से एक व्यक्ति अचानक आगे निकलकर सबसे अधिक सफल हो जाता है।

अनभिज्ञ

एक बैलगाड़ी में बहुत कुछ लादा और उतारा जाता है। बैल पीछे की स्थिति से हमेशा अनभिज्ञ रहता है। एक नाकाम मनुष्य की स्थिति भी इन बैलों जैसी ही रहती है।

अनिद्रा अनिद्रा से ऐसा चिड़चिड़ापन उपजता है जो अपनों को

भी ठीक से नहीं पहचानता है।

अनुपात

उचित अनुपात के मेल से ही दुनिया के सारे काम आगे बढ़ते हैं।

अपशब्द

अपशब्द एक चिनगारी है जो कानों में नहीं मन में जाकर जलती है।

अनुभव अनुभव अंधकार में भी खोजने के लिये आँखें देता है।

अपमान

किसी की भलाई करने के बाद सम्मान चाहने पर अपमान भी मिल सकता है, लेकिन केवल संतुष्टि चाहने पर, इसे कोई नहीं रोक सकता।

अनुभव

जीवन अनुभव देगा आपको लेकिन एक पक्षी की तरह हमेशा अपने पंख खोलकर रखने होंगे।

अनुभव

कभी-कभी हमारी उलझनें भी हमारे लिये ढेर सारा ज्ञान और अनुभव बटोर लाती है।

अनुभव

अनुभव की असंख्य आँखें होती है, इनसे कोई चीज छुप नहीं सकती और न ही बच सकती है।

अनुभव

जीवन में अनुभव देने की क्षमता असीम है, अंतकाल तक आपको अनुभव प्राप्त होते रहते हैं।

अनुभव

सड़क की यात्रा बहुत सारे मानव प्रदेश और निर्जन को पार करते हुए की जाती है, इसलिए टुकड़े-टुकड़े में भी बहुत सारा अनुभव आपको दे जाती है।

अनुभव परेशानियों के रंग ढेर सारे हैं, फिर भी ये चेहरे पर एक जैसे ही दिखाई देते हैं, लेकिन अनुभवी लोगों के पास इतने अनुभव हैं कि वह हर तरह की मौजूदा

परेशानी के रंगों को पढ़ लेते हैं।

अच्छी बात

एक अच्छी बात अपने आप को बहुत सारी भाषाओं में अनुवादित करवा लेती है।

असफल

जो सोचता है कि चाँद को आसमान से ही हटा दूँगा, वह अपने उद्देश्य में प्रयास से पहले ही असफल हो चुका होता है।

अनुशासित

लोगों को आजादी देने से पहले उन्हें अनुशासित करना जरूरी होता है।

अतिथि अतिथि बार-बार नहीं आते, इसलिए अतिथि हैं।

अन्तर

जिसे पके हुए और जले हुए चावल में अन्तर नहीं मालूम, वह क्या कभी सही आँच दे पायेगा?

अफसोस

अफसोस करने के लिए सौ बातें भी कम पड़ जाती हैं, जबकि खुश होने के लिए सिर्फ एक ही काफी है।

असमंजस

हमें वकील, डॉक्टर, किसान, चरवाहा, ग्वाला, मोची, वैज्ञानिक, इंजीनियर, चोर, डाकू, अवारा, कवि, लेखक, सम्पादक, नेता, पुलिस आदि जैसे किसी न किसी एक पदनाम की पूँछ पकड़कर चलते रहना पड़ता है। जिसने ऐसा नहीं किया है वह या तो अभी असमंजस में है या उसे अभी किसी साँचें में ढाला जाना बाकी है।

अभावग्रस्त

एक संपन्न का भोजन मेज से आँख तक की दूरी पर होता है और अभावग्रस्त के लिए सुबह से शाम तक की दूरी पर।

असुरक्षा

आपका संदेह घबराता है, जब उसे असुरक्षा दिखाई देती है।

अच्छे लोग

अच्छे लोग किसी के लिए बुरा सोचते-सोचते भी अच्छा सोचने लगते हैं।

अन्न आप चाहे कितना भी अन्न सुरक्षित कर लें, आप

खायेंगे तो थोड़ा-थोड़ा ही।

अवसर

विभिन्न तरह की तैयारियों से लोगों में परिपक्वता आती है, वे उचित अवसरों को पहचान पाते हैं और जीतता वही है जो राह में मिलते बहुत सारे अवसरों में से भी सबसे श्रेष्ठ अवसर को चुनकर अपने अंतिम ध्येय तक पहुँच जाता है।

अच्छाई

गंदे तालाब में एक कमल का खिलना उसे खूबसूरत

कर देता है। बुराइयों से भरे मनुष्य में भी उसकी थोड़ी सी अच्छाई उसके सारे अवगुणों को ढक देती है।

आचरण

दूषित आचरण जब आपके स्वजनों में हो तो ये वैसे काँटें है जिन्हें आप काट भी नहीं सकते और न ही चुभने से रोक सकते हैं।

आग

जलती हुई आग को बुझाया जा सकता है लेकिन सृजन की आग को नहीं।

आलस

आलस से भरे लोग अकर्मण्यता को प्राप्त करते हैं और फुर्तीले सक्रियता को।

आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता का एक पाँव अपने केन्द्र में मजबूती से जमा हुआ होता है और दूसरा पाँव नये उद्यमों की तलाश में इसके चारों ओर घूमता हुआ अपने केन्द्र को ही और अधिक मजबूती प्रदान करता रहता है।

आलोचना

जब हमारे स्वर आलोचना से दूर रहते हैं उन्हें प्यार किया जाता है और जब आलोचना के पास उनसे दूरी बनायी जाती है।

आलोचना

जब हम अपने आप को ठीक से समझ जाते हैं तो फिर दूसरों की प्रशंसा और आलोचना कोई खास महत्व नहीं रखती।

आलोचना

व्यक्ति के काम में तल्लीनता के समय उसकी आलोचना करना घोर दुखदायी है, यह छाते के आस-पास मँडरा रही मधुमक्खियों को छेड़ने जैसा ही है।

आलोचना बड़ा भाई तो बड़ा ही होता है। जितना चाहो उस पर भार डालते रहो। वह थोड़ा क्रोधित भी होगा, आलोचना भी करेगा लेकिन उसकी बातों का अंत दया भावना से ही होगा।

आवाज

कर्त्तव्यपरायण और लगनशील व्यक्ति जब काम करता है तो नगाड़े की आवाज को भी सुन नहीं पाता।

आदत

किसी भी चीज के पीछे पड़कर उसे सीखने की आदत

महान लोगों में होती है।

आविष्कार

हर आधुनिक आविष्कार गति, सुविधा एवं बौद्धिकता में बहुत अधिक वृद्धि करते जाते हैं लेकिन जो चीजें समझने और पनपने के लिए समय माँगती हैं, वे

धीरे-धीरे मरती चली जाती हैं।

आभामंडल

सभी के पास अलग-अलग आभामंडल होते हैं जो दूसरे की आँखों में अपने लिए थोड़ी-थोड़ी जगह लेते जाते हैं। मृत्यु तक जो भी देखा गया उसकी सीमा अनन्त के आस-पास हो जाती है।

आलस

एक मेहनती भी आलस से अछूता नहीं रह सकता। इसलिए उसे भी कभी-कभी जगाना होता है।

आशीर्वाद

एक बेटे की यात्रा में माता-पिता का आशीर्वाद भी उसके साथ जाता है।

आशीर्वाद आशीर्वाद का स्मरण आपको हमेशा भयमुक्त रखता है।

आदी

जब आप काँटों पर हाथ रखने के आदी हो जाते हैं तो फिर वे भी प्यारे लगने लगते हैं।

आश्वासन

कानों में आश्वासन भरना सस्ता होता है लेकिन मुख में स्वाद डालना महँगा।

आशंका

कुछ अच्छा होने की आशा में लोग दिन गिनते हैं और बुरा होने की आशंका में रातें खो बैठते है।

आचरण

परिपक्वता ही अच्छे व्यवहार एवं आचरण की समझ देती है।

आहट

मुसीबतें अपने आने की आहट दूर से ही दे देती है, जो केवल सजग लोगों को ही सुनाई देती है।

आदेश चली हुई गोली किसी का आदेश नहीं सुनती।

आनन्द

घूमने-फिरने का आनन्द लेने के लिये आपके पास अच्छी आँखें और बौद्धिक समझ होनी चाहिये।

आभूषण

औरतों को वैसे आभूषण कहाँ नसीब जो प्रकृति ने पहन रखे हैं।

आग

आग की लपटें अफवाहों की तरह है, जिधर इसे फूकें उधर जलाने को दौड़ती है।

आवश्यक

अच्छी तरह से बोलने के बजाए, आवश्यक चीजों को बोलना अधिक जरूरी होता है।

आत्मा

सूखे हुए खेत, बीज की आत्मा के लिए शरीर नहीं बन सकते।

आतुरता

सभी में आतुरता छिपी होती है लेकिन कुछ अलग-अलग हासिल करने की।

आलसी

आलसी व्यक्ति को सवाल-जवाब बहुत अधिक दुखी करते हैं।

अंगुलिया

अंगुलियों पर नचाना बड़ा आसान है लेकिन अंगुलियाँ पकड़कर कुछ सिखाना बेहद मुश्किल।

आँखें

जो आपस में आँखें ही जोड़ न पाया वह प्रेमी कैसा । जिसने हल ही नहीं चलाया वह किसान कैसा। जिसने कभी माला नहीं बनायी वह माली कैसा। जिसने कभी अपने कार्य क्षेत्र की ओर देखा ही नहीं वह सफल इंसान कैसा।

आँखें

जितनी बार आप अच्छी तरह से आँखें खोलते हैं, उतनी बार कुछ न कुछ नया सीख लेते हैं।

आँखें

जिस चीज से हम डरते हैं, उससे आँखें चुराते हैं।

आँखें

जब तक आप अपनी आँखों से नहीं देखेंगे तब तक दूसरों की आँखें आपको भ्रमित करती रहेंगी।

आँख

असल कलाकृति वह है जिससे दर्शकों की आँख ही चिपक जाए।

आँख

कदम-कदम पर दुर्घटना छिपी है, आप आँख खोलकर चलें तो उनसे बच सकते हैं।

आँच

कारीगरों को समय पर पैसे नहीं मिलने पर उनके चूल्हे की आँच धीमी हो जाती है।

औरत

एक औरत को रसोई का अन्तिम कोर खाने की आदत होती है।

इच्छा

अनगिनत सम्भावनाओं से भरी हुई है यह दुनिया। प्रत्येक इच्छा को कोई न कोई सम्भावना सामने खड़ी अवश्य मिलती है।

इच्छा

अधूरी इच्छा से काम करने वाले, काम को उलझा देते हैं।

इच्छापूर्त्ति

आपकी इच्छापूर्त्ति की सम्भावना अनेक स्त्रोतों में छिपी होती है।

इच्छापूर्त्ति

किसी की इच्छापूर्त्ति में बाधा पहुँचाने पर अपने भी पराये हो जाते हैं।

इच्छाएँ हमारे सारे कार्यों के संपादन में सबसे पहले हमारा शरीर फिर हमारी सोच या हमारी इच्छाएँ ही अवरोध डालती हैं। यहाँ से आगे बढ़ने के बाद ही दूसरी कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

इच्छाएँ

कई इच्छाएँ धीरे-धीरे पूरी होती हैं, कई इच्छाएँ धीरे-धीरे मर भी जाती हैं।

इमारत

एक बहुमंजिली इमारत का सारा बोझ उसके आधार को ही ढोना पड़ता है।

इरादे

जब आप में इरादे नदियों की तरह अडिग होते हैं, बड़ी ताकतें भी आपको रोक नहीं पातीं। इस्तेमाल

चोरों की एक खासियत है कि वे रात को भी दिन की तरह इस्तेमाल कर लेते हैं।

इज्जत

शरीर को विश्राम, सुन्दरी को प्रशंसक, मन को मीठी बातें, कारीगर को कद्रदान, बीमार को दवा, बच्चों को प्यार, गलियों को खचाखच भरा समूह, संन्यासियों को भक्त, उद्यमियों को नये अवसर, दुष्टों को हथियार, प्रेमियों को साथी, अंधों को लाठी, गायकों को अच्छे सुर, नेताओं को समाचार पत्र, प्रशासन को भरपूर इज्जत- जब प्राप्त नहीं होती तो वे थक जाते हैं।

इलाज

आपकी मुसीबतों का इलाज स्ंवय आपके द्वारा ही होता है।

ईमानदारी

मक्खी और मच्छरों में एक ईमानदारी जरूर है कि वे अपने शोर से आपको सचेत जरूर कर देते हैं।

ईमानदारी

अपनी ईमानदारी स्थापित करने के लिए आपको अनेक परीक्षाओ से गुजरना पड़ता है। इंतजार

कभी-कभी मामूली चीजों को पाने के लिये भी लम्बा इंतजार करना होता है।

उपलब्ध्यिाँ

जिस तरह से उपलब्धियों के पीछे हम भाग रहे होते हैं, उपलब्धियाँ भी हमारे पीछे भाग रही होती हैं। मजबूत हाथों को वजनदार उपलब्धियाँ मिलती हैं एवं कमजोर को हल्की।

उपकार

माँ-बाप के उपकार को अगर एक-एक करके भी गिनाते जाएँगे तो गिनती तक भूल जाएँगे हम, और उनके साथ बिताये गए छोटे-छोटे क्षण भी वर्ष ही नजर आएँगे।

उपकार

चूहे को बिल्ली से बचा लेने पर भी उसे आपका उपकार समझ नहीं आता, यही हाल मूर्खों का भी होता है।

उपकार

मूर्ख मामूली से उपकार कर ढोल पीटते हैं और ज्ञानी उपकार करके भूल जाते हैं।

उत्सुकता

एक विफल व्यक्ति को अत्यधिक उत्सुकता होती है यह देखने की, दूसरे कैसे उसके छोड़े हुए काम को सफलतापूर्वक करते हैं।

उत्पत्ति

अच्छे-बुरे कामों की उत्पत्ति हमेशा इस संसार में होती रहती है, आप किसी से भी जुड़ नहीं सकते तो तटस्थ

भाव से केवल इन्हें देखते रहना ही उचित होगा।

उपचार हारे हुए लोग प्रोत्साहन खोजते हैं, थके हुये लोग छाया, भयभीत लोग पनाह, रुके हुये लोग परामर्श, राह से भटके हुये लोग व्यक्ति समूह, सताये हुए लोग एक मुखिया, दम तोड़ते हुये लोग साँस। इस तरह से हमारी परेशानियाँ ही हमें प्रेरित करती है, उपचार खोजने के लिये।

उपाय

एक चटाई धरती से हमारा सम्पर्क तोड़ देती है। परदे उस पार के सारे दृश्यों से, कुहासा आँखों के आगे सफेद छाया पैदा कर देता है, रात छुपा देती है सूरज की रोशनी। इस तरह से हर अनचाही चीजों को जीवन में प्रवेश से रोकने के उपाय हैं। इन्हें अपनाने के बाद वे एक तरफ हो जाती हैं और हम दूसरी तरफ।

उपाय

सबसे अच्छा उपाय भी बिना उपयोग के वेबस बना रहता है।

उपदेश

उपदेश सुनने के लिए नहीं बल्कि समझने के लिए होते हैं।

उपदेश

कोरे उपदेश एक निषिद्ध आज्ञा देते हैं, कोई तर्क पूर्ण सलाह नहीं। इसलिए वे ग्रहण करने के बजाय केवल पट्ट्यिों की सजावट तक ही सीमित रह जाते हैं।

उद्यमी

अपने कामगारों की असफलता का हर्जाना उद्यमी को चुकाना पड़ता है।

उद्यमी

उद्यमी जिन कामा में सजगता रखता है, वहाँ उजाला

होता है बाकी में अँधेरा।

उद्यमी कबूतरों की तरह एैसा ठौर तलाशते हैं, जहाँ उनका स्थायित्त्व बना रहे।

उद्यमी

एक उद्यमी की सबसे बड़ी भूख होती है, अधिक से अधिक लोगों को अपने व्यापार से जोड़ना।

उद्यमी

एक उद्यमी की सबसे बड़ी खुशी है ईमानदार एवं कार्य में दक्ष लोगों से उसका घिरा होना न कि चापलूसों से?

उद्यमी

स्तरीय दौड़ में जीत-हार का फासला नगण्य क्षणों के फासले से ही होता है। जो हारे वह भी श्रेष्ठ हैं क्योंकि उनकी क्षमता ने केवल बहुत थोड़ी सी चुक की है। उद्यमी ऐसे लोगों को भी चुन लेते हैं।

उद्यमी

उद्यमी अनुपयोगी लोगों को भी आदर से विदा करते हैं तथा उनके उपयोगी हो जाने पर उन्हें काम देने में भी नहीं हिचकते।

मेढ़क उछलता है क्योंकि वह चल नहीं सकता। कुत्ता बोलता नहीं बल्कि भौंकता है; क्योंकि ये ही उसके स्वर हैं, शेर दहाड़ मारता है और चिड़िया अपनी शून्य सी आवाज लिये घूमती रहती है। इस तरह के गुणों की भिन्नता को समझते हुए एक उद्यमी अपने लोगों को अलग-अलग काम सौंपता है।

उद्यमी

उद्यमी जब अपनी व्यवस्था की पूरी ताकत को निचोड़ पाते हैं तो उनके हाथ में सफलता ही सफलता होती है।

उद्यमी

सारे स्वादों के बीच मिठास को ही सबसे पहले याद रखा जाता है; जो कारण उद्यमी को हमेशा लाभ पहुँचाते हैं, उन्हें वह कभी भूलता नहीं है।

उद्यमी

एक बारात में थाली, गिलास, पानी, खाद्य पदार्थ जिस वेग के साथ आगे बढ़ते दिखाई देते हैं। एक उद्यमी की कल्पनाशीलता में लगभग इसी तरह से चीजों को रफ्तार देने का मकसद मौजूद रहता है।

होशियार उद्यमी प्रत्येक चीज को बेहद जरूरी बनाकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और अपने उत्पाद एवं बिक्री में बढ़ोतरी करते जाते हैं।

उद्योग

उद्योग समूह राष्ट्र का बहुत बड़ा हित है, ऐसा सभी कर्मचारियों को सोचना चाहिए।

उद्योग

जिन लोगों से काम कराया नहीं ं जाता बल्कि वे खुद-बखुद करते हैं, उनके आगे बढ़ने की क्षमताओं का किसी भी उद्योग में बहुत बड़ा मूल्यांकन हो सकता है।

उद्योग

एक उद्योग का ढाँचा सक्षम लोगों की हड्डियों से निर्मित होता है।

उद्योग

ऐसे गुणवानों का समूह जिनकी प्रतिभा को अभी तक पहचाना नहीं गया है, एक नये उद्योग के लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं तथा कम खर्चीले भी।

उपलब्धियाँ

हमारी उपलब्ध्यिाँ छोटी और बड़ी उपलब्ध्यिों का मिश्रण ही है।

उपलब्धियाँ

बुढ़ापे में पूर्व संचित चीजें और उपलब्ध्यिाँ ही जीवन को

आगे बढ़ाने का सहारा बनती हैं।

उपद्रव

उपद्रव हमेशा कमजोर लोगों को ही अधिक परेशान करते हैं।

ऊर्जावान

ऊर्जावान ही अपने काम को तेज गति दे पाते हैं।

उत्तरदायित्व सारा दोष दूसरों पर डालने की बजाए थोड़ा दोष अपने ऊपर लेने से उत्तरदायित्व की भावना का संरक्षण होता है।

उद्गम

जैसे झरनों का उद्गम कहीं दूर छिपा होता है और केवल हमें उनका प्रवाह दिखलाई देता है, वैसे ही केवल बुद्धिजनित कार्य ही प्रत्यक्ष में दिखलायी देते हैं।

ऊर्जा मनपसन्द कार्यों में ऊर्जा का क्षय भी थकान नहीं दता।

उत्पत्ति

लाभ और हानि देखना उद्यमियों का काम है, हार-जीत लड़ाकों का, प्रेम और घृणा संतो का, निरोग या बीमार वैद्यों का, अपराध या क्षमा न्यायाधीशों का, विद्या या अविद्या शिक्षकों का। सभी चीजें अपनी उत्पत्ति के बाद अपने-अपने संरक्षकों के पास जाने का मार्ग ढूँढ़ निकाल लेती है।

ऊँचाई

जब हमारे अनुभवों की रस्सी मजबूत होती है, हम किसी भी ऊँचाई में मौजूद समस्याओं का हल इसके सहारे कर डालते हैं।

ऊँचाई

ऊँचाई पर चढ़ते ही आपको अपनी क्षमता का अंदाजा लगना शुरू हो जाता है।

ऊँचाई

जो लोग ऊँचाई पर चढ़ते हुए इस बात का ध्यान रखते हैं कि बस ठीक नीचे से वापस अपने पुराने धरातल में जाने का रास्ता भी है, वे ऊँचाई पर सतर्कता से चढ़ते तो हैं ही साथ ही वहाँ स्थायित्व के लिये सुरक्षित जगह

भी बना लेते हैं।

एकाग्रता

उलझे हुए काम गहन एकाग्रता माँगते हैं। यह काम किसी गतिशील पक्षी पर निशाना साधने जैसा ही है।

एकाग्रता काम में एकाग्रता न रखने पर, कामगारों की सारी

भूलों का नुकसान उद्यमी को उठाना पड़ता है।

कर्म

सादा कागज बातों से, धरती अपने में छिपी गुणवत्ता से, प्रेम उसमें स्थित ढृढ़ता से, पिता अपने स्नेह से, पुत्र अपनी श्रद्धा से, जीवन अपने सुख से, शांति शब्दहीनता से और कर्म अपने अर्थों से हमेशा महत्त्वपूर्ण होता है। कर्ज

कर्ज नहीं चुकाने की नीयत रखने वाला, अपने आप को हमेशा अनेक प्रकोपों से ग्रसित बतलाता है।

कलम

पन्ने कलम की नोक बर्दाश्त कर लेने के बाद महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं।

कलम

कलम को भी आगे बढ़ने के लिए विचारों का सहारा चाहिये।

कलम

किसी के भी किए गए कार्यों को कलम ही कोई रूप दे सकती है, वरन् काम तो होते रहते हैं, अपनी पहचान खोते रहते हैं।

कहानी

कितने ही होठों से गुजरते हुए कोई दिलचस्प बात एक दिन कहानी का रूप ले लेती है।

कला

जब आपके पास कला है तो आप साधारण को भी असाधारण बना सकते हैं। कला

हर मन से किया हुआ काम एक कला है और प्रत्येक कला को जल्दीबाजी होती है कि कोई उसे देखे ।

कला

बिक्री बढ़ाना एक कला है, बिक्री करके पैसे वसूलना उससे भी बड़ी कला है।

कर्मचारी

उद्यमी बीमार हैं, अगर वह जाग जाएगा तो हमें अधिक काम करना पड़ेगा। ऐसी सोच रखने वाले कर्मचारी सचमुच कड़ी निगरानी से अपने वर्तमान से दुगना उत्पादन करके दे सकते हैं।

कठिनाई

अत्यंत कठिनाई से मिला सुख हमेशा याद रह जाता है। कलाकार

दस बुरे करतब के बीच, एक अच्छा करतब भी एक नौसिखिये कलाकार की कला को बचा लेता है।

कलाकार

कलाकार अपनी कला को समर्पित होता है न कि पैसों को।

कलाकार

कलाकार मूर्तियों की तरह चुप रहकर ही बहुत कुछ बोल जाता है।

कलाकार

एक कलाकार मिट्टी से भी सबसे अच्छे कण चुनने की

योग्यता रखता है। कलाकार

जितने तरह के काम आपने किये हैं, उतनी ही तरह के कलाकार आपके भीतर छुपे होते हैं। कलाकार

कलाकार से अधिक उसके पारखी कला को श्रेष्ठ बनाते हैं।

कलाकार

लोगों की भीड़ भी कलाकार की एकाग्रता में बाधा पहुँचाने का कारण नहीं बनती।

कलाकार

कलाकार अपनी कृति पर खुद ही मोहित होते रहते हैं बजाय दूसरों से उसकी प्रशंसा सुनने के।

कलाकार

मूर्ति के पीछे उसका कलाकार बोलता है और कलाकार के पीछे उसकी कला बोलती है।

कलाकार

श्रेष्ठ कलाकार कभी अवसर के लिए नहीं तरसते।

कलाकृति

एक कलाकृति अच्छी तभी कहलाती है, जब इसमें देखने और समझने के लिए बहुत कुछ होता है।

कल्पनालोक

भ्रमण का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो दृश्य कल्पनालोक की तरह हमारे मन में थे, उन्हें अब उनका वास्तविक शरीर मिल चुका होता है।

कबूतर

एक कबूतर के लिए उसके सहारे पुण्य कमाने वाले सौ हाथ हमेशा मौजूद रहते हैं।

कबूतर

कबूतर मंदिर जैसी शरणास्थली में ही अपना निवास बनाने की चतुराई करते हैं।

कबूतर

एक कबूतर को जो जगह पसन्द आ जाती है, वह उसे

छोड़ता नहीं है। बार-बार घोंसले को तोड़े जाने पर भी हर दिन निर्माण जारी रखता है। एक माता अपने बच्चों से कुछ इसी तरह की ही भक्ति चाहती है।

काम

एक कुशल आदमी अपने काम को तेजी से करके सैकड़ों घंटों बचा लेता है और एक धीमी गति से चलने वाला अपने सैंकड़ों घंटे गँवा देता है।

काम काम सिखाया नहीं जाता बल्कि छीनकर सीखा जाता है।

काम

काम हमेशा त्वरित गति चाहते हैं, शिथिलता नहीं। जहाँ शिथिलता है वहाँ काम का कोई अस्तित्व ही नहीं।

काम

प्रत्येक काम में हमेशा गुंजाइश होती है, उसे और अच्छी तरह से करने की।

काम

काम करने वाले आगे देखते हैं और रुके हुए पीछे। काम

छोटे-छोटे पल मिलकर, एक दिन और फिर एक वर्ष बनते हैं, इन छोटे-छोटे पलों में किये गये काम, वर्षों में बड़े दिखाई देते हैं।

काम

काम का तरीका बदलने से, थकान अक्सर मुस्कान बन जाती है। काम

जिन्हें काम नहीं करना है उनके लिए हर काम बोझ है। काम

जिन्हें काम नहीं करना है, उन्हें पानी की बूंद भी तालाब दिखाई देता है।

काम

मिले हुए काम को देखिए ठीक से, उनमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो आप नहीं कर पाएँगे।

कार्य

वही अच्छा समय है, जो आपसे बहुत सारे दुसाध्य कार्य संपन्न करा लेता है।

कार्य प्रणाली

एक कमजोर कार्य-प्रणाली लाभ के बजाए हानि अधिक पहुँचाती है।

कामचोर

कामचोर, हमेशा काम को अधूरी अवस्था में छोड़ कर चले जाते हैं।

कामचोर

कामचोर व्यक्ति हमेशा एक धुएँ की आड़ लिये बैठा रहता है ताकि लोगों को महसूस हो कि वह पहले से ही बहुत सारी परेशानियों से घिरा है और अधिक काम का बोझ अब वह नहीं उठा पायेगा।

कोशिश

हम कोशिश करके थक जाते हैं, इसलिये अयोग्य है, हम कोशिश करके जीत जाते हैं क्योंकि योग्य हैं।

क्रोध

आपमें ठंडक है तो किसी भी तरह का क्रोध खुद ब खुद संपर्क से षांत हो जायेगा।

क्रोध

कुछ लोगों का नकारने का तरीका इतना प्यारा होता है

कि उनपर हम क्रोध नहीं करते।

क्रोध

क्रोध वह हथोड़ा है, जो किसी भी जोड़ को कुछ पलों में तोड़ देता है। कीचड़

कमल कीचड़ में अधिक खुश नजर आता है और गुलाब बगीचे में।

कैद

अच्छे विचारों का जब लोगों के बीच विस्तार नहीं किया जाता तो वे फिर एक कागज पर ही कैद होकर रह जाते हैं। कुर्सी

कुर्सी आपको भरपूर आराम देती है, ताकि आप दूसरों के लिये कोई आराम का रास्ता निकाल सकें।

कुर्सी

आदर और सम्मान की कुर्सी में समय बहुत अच्छा कटता है।

कुआँ

कुआँ हमेशा अपने तल को मनुष्यों के पाँव के तल से नीचे रखता है।

कुएँ

कुएँ जैसी गहरी चीजों के पास ही कुछ होता है, अपने पास से निकालकर कुछ देने के लिए।

कुल्हाड़ी

अपने ही लगाये पेड़ को काटने के लिये उठायी गयी कुल्हाड़ी हाथों से गिर जाती है।

कुव्यवस्था कुव्यवस्था में उलझन और थकान ही होती है।

कुव्यवस्था

जितनी समाज में कुव्यवस्था होगी, उतनी ही लोगों में उथल-पुथल मची रहेगी।

क्रोध मूर्खों परे क्रोध करना अपने सिर पर हथोड़े मारना है।

काँटे

बच्चों को इतना मालूम होना चाहिए कि पेड़ में बैर लगे हैं, फिर काँटे भी उन्हें रोक नहीं पाते। काँटे

फूल खुशियों की तरह थोड़ी देर के लिए हमारे पास खिलते हैं एवं मुरझा जाते हैं, जबकि काँटे हमारे साथ

एक लम्बा जीवन जीते हैं।

काँटे

अगर आप थोड़ा सा सम्भल कर नहीं चलते हैं तो काँटे तो तैयार ही हैं आपको अपने में उलझाने के लिए।

काँटे

कभी-कभी काँटे भी आपका काम साध देते हैं।

खुशी

एक बार भोजन देने के बाद पशु-पक्षी बार-बार आपसे मिलने की चेष्टा करते हैं। ऐसा वे भूखवश करते हैं ना कि हमसे प्रेम के लिए। लेकिन हमें प्रेम हो जाता है,

भोजन पाने के बाद उनकी खुशी देखकर।

खुशी

किसी को सताकर आप अहंकार पा सकते हैं, लेकिन

खुशी नहीं।

खुशी

प्रत्येक खुशी आपके सिर पर कुछ नये दायित्व भी डाल देती है।

खुशी

दावत ही एक मात्र रास्ता है, सभी को अपनी खुशियों में शामिल करने का।

खुशी

सफर हमेशा खुशी देता है; क्योंकि हम सारी चीजों को पीछे छोड़कर केवल आगे बढ़ रहे होते हैं।

खुशी

खुशी का मौका अगर मुश्किल से मिला हो तो उसे गँवाना नहीं चाहिये।

खुशियाँ

आनेवाली खुशियाँ अपने आगमन का आभास धीरे-धीरे देने लगती है।

खुश

हर दौड़ती हुई चीज चाहे वह रेलगाड़ी हो या बैलगाड़ी, अपने में बैठे यात्रियों को खुश रखती है।

खाना

जो सुख पसंदीदा खाना देता है, वह हजार तरह के पकवान भी नहीं दे पाते।

खेल

खेल, कोई भी आधे मन से नहीं खेल सकता है।

खेल

जब काम में आप पूरे मन से शामिल होते हैं, उस वक्त कोई खेल ही खेल रहे होते हैं।

गर्भ

जिस भूमि पर विवाद और द्वंद पनपने बंद हो जाते हैं, वह भूमि सृजन के लिए गर्भ बन जाती है।

गहरा

जितना गहरा हम सोचते हैं उतना गहरा हम लिख पाते हैं।

गहराई

जिसमें कभी गहराई नहीं देखी, वह कुएँ को भी पूजने लगता है। गर्व

षिक्षित लोग गर्व से सिर उठाते हैं और अशिक्षित शर्म से सिर झुकाते हैं।

गलती

जब आपने एक गलती को सुधारा है, यह कोई खास बात नहीं, लेकिन जब आपने एक काम की अनेक गलतियों को सुधारा है, तो समझिए आपने बहुत कुछ सीख लिया है।

गलतियाँ

गलतियाँ जब हमारी मित्र हो जाती है तो हमें फिर

उनमें कोई दोष नहीं दिखाई देता।

गलतियाँ

गलतियाँ हमेशा छिपी हुई रहती है, वे खोजने पर ही नजर आती हैं।

गलतियाँ सजा देने के बाद ही गलतियॉ अपना स्थान छोड़ती हैं।

गलतियाँ

गलतियाँ सुधारने एवं स्वीकारने में सभी को कष्ट होता है।

गलतियाँ

गलतियाँ आपकी छाया से ढक जाती हैं, इसलिये बाहर के प्रकाश से ही वह आपको दिखलायी देती हैं।

गलतियाँ

कभी-कभी गलतियाँ सुधारने की कोशिश में हम बड़ी गलतियाँ कर बैठते हैं।

गलतियाँ गलतियाँ केवल अनुभवी लोग ही सुलझा सकते हैं।

गलतियाँ

गलतियाँ, शिकायतें और आश्वासन ये तीनों त्रिकोण की तरह जुड़े रहते हैं। वे अपने छोर से हटते हैं तो केवल

एक दूसरे से स्थान बदलने के लिए।

गुणीजन

सभी गुणीजन हैं; क्योंकि बिना गुणों के जीवन किसी को जीने नहीं देता है। लेकिन थोड़े गुण हीन भी हैं;

क्योंकि इसके बिना विपदाएँ कैसे अपना घर बनायेंगी।

गुलामी

कुत्ते मालिकों के घर में बँधे हुए कभी यह समझ नहीं पाते कि गुलामी अच्छी होती है या आजादी। गुमराह सीधे-साधे लोगों को गुमराह करना मुश्किल होता है; क्योंकि वे संतुष्ट होते हैं और उपलब्धियों के लिये कम बेचैन।

गोपनीयता

गोपनीयता को धारण करने के गुण श्रेष्ठ प्रबंधकों में ही होते है।

ग्रहणशील

जिद करने वालों के वनिस्पत लचीले ग्रहणशील लोग अपने तरीकों में सुधार करके आगे बढ़ते चले जाते हैं।

गाँव

एक गाँव अपने सारे लोगों की जानकारी रखता है और

शहर सिर्फ अपनी।

गाँव

एक गाँव से लोगों का पता पूछते जाइए और आपको सभी के उत्तर मिलेंगे।

गाँव

गाँव किसी को अलग नहीं करता बल्कि लोग उससे अलग हो जाते हैं।

गृहस्थी

एक साँप के लिए सबसे सुरक्षित स्थान बिल होता है और औरतों के लिए उनकी गृहस्थी। गृहस्थी

गृहस्थी रिश्तों का निर्वाह है।

घर

पूछते-पूछते हम दूसरों के घर तक पहुँच जाते हैं। बढ़ते-बढ़ते हम एक मंजिल पर अपना घर बना डालते हैं।

घर

अपने लोगों का साथ छोड़ देने वाला न घर का होता है और न घाट का।

घर

हारे हुए सैनिक और परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र घर जाने से कतराते हैं।

घर

अपने काम से संतुष्ट लोग, निश्चित रुप से बहुत सारी

शांति लेकर घर वापस लौटते हैं।

घर जिसे अपने घर में ही सुख नहीं मिला उसे दूसरों का

घर सुखी नहीं कर सकता।

घर पेड़-पौधे के बिना कभी कोई घर सुन्दर नहीं हो सकता।

घोड़े

होशियार लोगों का साथ, तेज घोड़े की सवारी ही है।

घोड़ा

एक बूढ़ा घोड़ा अनुभवी होता है। वह बड़ी सफाई से अपनी थकान को बता देता है।

घोड़े

घोड़े की नाल उसके मरने के बाद ही निकलती है।

घुटने

जो एक बार घुटने टेक देते हैं, फिर बिना सहारे के चल नहीं पाते।

घोंसला

पक्षी तिनके जमा करते हैं और हम पैसे। फर्क बस इतना है, घोंसला बन जाने के बाद वे यह काम छोड़ देते हैं, जबकि हम नहीं।

चमत्कार

चमत्कार हमारे जीवन में अचानक मिली सफलता-बाहुल्य का ही कोई रूप है, जो हमें अचंभित कर देता है लेकिन यह हमारे पूर्व कर्मों को ही प्रगति देता हुआ रूप होता है।

चतुराई

चतुर लोग चतुराई को हमेशा एक नये रूप में प्रस्तुत करते हैं, इसलिये आप इसे समझ नहीं पाते हैं।

चतुराई

गुणों का होना एक बात है, लेकिन उनका चतुराईपूर्ण इस्तेमाल उससे बड़ी बात है।

चतुराई

जो बेहद महत्वाकांक्षी हैं, आजाद किस्म के हैं, स्वतंत्र प्रभार में रहकर काम करते हुए तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं वे कभी किसी की कृतज्ञता को नहीं स्वीकारेंगे बल्कि दूसरों से लाभ लेना अपनी चतुराई का ही एक हिस्सा समझते रहेंगे।

चलना

एक के साथ चलना मुश्किल है, लेकिन अनेक के साथ चलना बेहद आसान है।

चरवाहा

एक चरवाहा सूरज और प्रकृति के सबसे करीब होता है।

चरवाहा

चरवाहा चाहे कितना भी अनपढ़ क्यों न हो, पशुओं को संगठित करने का गुण तो उसके पास है ही।

चरित्र आपसी वैमनस्य फैलाने वाले लोगों के चरित्र पर हमेशा

शक होता है।

चातुर्य

केवल बोलना और देखना ही शरीर द्वारा की जाने वाली सारी क्रियाओं में सबसे अधिक होता है, इसलिए जिसने इन दोनों क्रियाओं को अपने चातुर्य में ढाल लिया तो वह वैसे ही सफल हो जाता है।

चालाक

चालाक लोगों में चालाकियाँ और मूर्खों में मूर्खता हर वक्त उपजती रहती है।

चाल

अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों को बार-बार गिनाना; यह मेंढ़क की ही चाल हुई।

चोर

चोर एक ही चीज से घबऱाते हैं। वह है पीछा करने से। ऐसे वक्त में वे कोई न कोई गलती जरूर कर बैठते हैं।

चुपचाप

चुपचाप वे लोग बैठे हैं, जिनमें सक्रियता के बीज का अभी तक आरोपण नहीं हुआ है। गतिशील हैं वे लोग जिन्होंने सृजन करना अब आरम्भ कर दिया है।

चुभन

जिन काँटों ने आपको चुभन दी थी उससे आप दूर रहना चाहते हैं, तो फिर वैसे मनुष्यों से क्यों नहीं। चिड़ियाँ

वह चिड़िया बच्चे को क्या जन्म देगी जो अपने घोंसले के लिए एक डाल भी चुन नहीं पाती।

चील

पसंदीदा चीज मिलने पर ही चील ऊपर से झपट्टा मारती है, वैसे ही हमारे शौक भी।

चाँद

घटने-बढ़ने की उपमा चॉद में हम हर दिन देख सकते हैं।

चाँद

बच्चों के बहाने आप भी चाँद-सितारे देख लेते हैं।

जल्दबाजी

जल्दबाजी से हमारे द्वारा किये गये कार्य ओस की तरह हल्के होने लगते हैं। ये बजाए हमें कुछ देने के, हमारा साथ छोड़ने लगते हैं।

जल्दीबाजी

हारे हुए लोगों में आपसी मेल-मिलाप की बहुत जल्दीबाजी रहती है।

जल्दबाजी जल्दबाजी भूल की खुराक है।

जल्दबाजी

सक्षम बौद्धिक क्षमता वह है, जो जल्दबाजी में भी आपसे सही निर्णय करवाये।

जन्मदिन

जन्मदिन आदमी के मृत्युकाल तक अपने आपको हर वर्ष दोहराता रहता है। यह आरम्भ में बहुत अधिक खुशी देता है, मध्य में कम और अंत में भय ही पैदा करता है।

जन्मजात

सुन्दर वस्त्रों और गहनों का शौक औरतों में जन्मजात होता है।

जटिल काम

जटिल काम भी किये जाने के बाद आसान लगने लगते है।

जमीन

आप उसी जमीन पर पाँव रखते हैं जो आपको खड़ी रख सके। जगह

दो काँटो की बगल में भी थोड़ी सी जगह होती है, उन्हें

थामने के लिये।

जगह

अच्छी जगह वह है जहाँ से लौटने पर आपका रोम-रोम पुलकित हो उठे।

जरूरत

जो अपनी जरूरतों को ठीक से समझते हैं वह दूसरी ओर भटकते भी कम हैं।

जरूरत

सर्दी के बिना आग तपने वाला कोई नहीं होता; बिना जरूरत के कोई कार्य रूप-रेखा नहीं लेता।

जानकारी

बिना सही जानकारी के, साधनों के आस-पास आप पहुँच नहीं पाते हैं।

जीवन

सभी लोगों के पास जीवन जीने की एक विशिष्ट लय होती है, चाहे वह कमजोर हो या सशक्त, उसे वह किसी

भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता।

जीवन

जीवन की सारी घटनाओं में एक वेग होता है; जैसा कि बीज के अंकुरित होने में या जैसा कि काँटे के चुभने में, इन्हें कोई नहीं रोक सकता। कार्य खत्म होने के बाद इनकी त्वरा स्वयं ही नष्ट हो जाती है।

जीवन

जीवन की मुश्किलें हमेशा रात में अधिक बेचैन करती दिखाई देती हैं, दिन में नहीं, क्योंकि दिन हमें हमेशा मौका देता है उनसे लड़ने का।

जीवन आदमी को केवल जीवन पुरस्कार में मिला है, जीवन

यापन नहीं। यह उसे कभी भूलना नहीं चाहिये।

जीवन

जीवन में हम अपना बहुत सारा समय उनके लिए

गुजार देते हैं, जिन्हें हमारी चिन्ता नहीं होती।

जीवन

सौर्न्दय प्रसाधन बेचने वाले सुन्दरता को मूल्यवान बतलाते हैं औेर दवा बेचने वाले जीवन को।

जीवन

पैसे कमाकर एक सुखी जीवन जिया जाए, इसी में आपकी सफलता है।

जीने का ढंग

एक जीने का ढंग जो आपको सुख देता है, हो सकता है वह दूसरों को दुःख द।

जीने का ढंग

जब एक जीने का ढंग आपको थकाने लगता है तो आप उसे बदलना चाहते हैं।

जीभ

कड़वी चीजों को जब हम जीभ पर रखने नहीं देते तो फिर कड़वी बातों को क्यों?

जिंदगी

औरतें जितना सम्मान और ध्यान अपने लिए चाहती हैं, उतना उसे जिंदगी में नहीं मिल पाता।

जिंदगी पैसों का अभाव में जिंदगी के जीने का दायरा बेहद

छोटा हो जाता है।

जिंदगी

जिंदगी सँवरने के स्वप्न दरअसल हम दिन में ही देखा करते हैं- रात में नहीं।

जिद्दी

जिद्दी लोगों को समझाने से अच्छा है, आप उन्हें समझाने की जिद छोड़ दें।

जिद

आपकी जिद भी कभी-कभी आपसे बहुत बड़े-बड़े काम करवा देती है।

जिम्मेवारी

चतुर व्यक्ति व होते हैं जिन्हें एक काम सौंपे जाते हैं लेकिन अपनी क्षमता दिखाकर दूसरे कई काम भी अपनी जिम्मेवारी में ले लेते हैं और दुगना लाभ हासिल करते हैं।

जोखिम

जहाँ जोखिम है, वहाँ अच्छे लोग अपने से पहले दूसरों की सुरक्षा देखते हैं।

जोखिम

इच्छा के विरुद्ध किसी से काम करवाना, काम को

जोखिम में डालना है।

जेब

आपकी थोड़ी सी सेवा के बाद चापलूसों की नजर आपकी जेब पर होती है।

जंगल

आप चाहे जंगल क्यों न चले जाएँ, वहाँ भी आप अपनी मन-मानी नहीं कर पायेंगे।

जंगल

जंगल आपको आश्रय दे सकता है, लेकिन मनुष्यों जैसा साथ नहीं।

जंगल

बरगद के जंगल नहीं हुआ करते, लेकिन उनकी

मौजूदगी ही एक जंगल को दर्शाती है।

जंगल

शोक शब्द के लिये जंगल में कोई स्थान नहीं है।

जौहरी

कौन सा समय बहुमूल्य है, उसे पहचानने के लिए, आपको एक जौहरी बनना होगा।

जुआ

जीवन में हम हर पल जुआ खेल रहे होते हैं। इसमें कभी जीत जाते हैं तो कभी हार जाते हैं और दोनों से थकने पर आराम करते हैं कुछ देर के लिए।

जूता

नया जूता पाँव के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पाता, इसलिए चुभता रहता है।

ज्वार-भाटे

समय-समय पर औरतों में इच्छाओं के ज्वार-भाटे आते रहते हैं।

झोली

दया और भीख की झोली फैलाने से तो अच्छा है, जो लोग श्रम का मूल्य चुकाते हैं, उनकी शरण में जाया जाये।

झूठ

अपने लाभ के लिए बोला गया झूठ अनगिनत लोगों को नुकसान पहुँचाता है।

ठोकर

ठोकर खाने के बाद गंभीरता से विकल्पों को खोजा जाता है।

डर

हम अपने डर से जल्दी से जल्दी पीछा छुड़ाना चाहते हैं।

डालियाँ

डालियाँ आश्चर्य भरी हैं- कभी इनसे फल टपकते हैं तो कभी फूल। त

तरीका सभी का अपना-अपना कोई प्रिय तरीका होता है, सुरक्षा एवं आराम की स्थिती में रहकर काम करने का। इससे दूर होने या अवरोध होने पर उन्हें कष्ट होता है।

तरीका

अपनी चाहत को पूरा करने का तरीका आपमें धीरे-धीरे जनमता है। तनाव

तनाव काम से नहीं; बल्कि काम से बहुत कुछ हासिल करने की लालसा से आता है।

तलवार

अपने से बहुत कमजोर पर वार करने के बाद एक तलवार भी शर्माने लगती है।

तलवार

एक तलवार को कभी-कभी मालिक के पूरे जीवनकाल में भी सेवा का मौका नहीं मिलता। लेकिन यह कहना गलत होगा कि उसने कोई सेवा नहीं की। क्योंकि जब तक वह कमर में बँधी हुई थी, भयभीत जरूर किया लोगों को।

तर्क

कम पढ़े लिखे लोग चाहे लिख नहीं सकते, लेकिन तर्क अच्छी तरह से कर सकते हैं।

तराजू तराजू से आप वजन तौल सकते हैं लेकिन गुण नहीं।

तराजू

न्याय, सही और गलत को तौलने का एक तराजू है।

तराजू

कुव्यवस्था में न्यायालय के तराजू की डंडी एक डंडे में बदल जाती है।

तत्परता

मच्छरों को भिनभिनाते सुन तंग होकर सो जाना और उन्हें खून पीने का अवसर देना हमारा आलस हुआ और जागते में ही उन्हें भगाने का कोई उपाय कर लेना, यह हमारी तत्परता हुई।

तराशना पत्थरों को तराशना बेहद मुश्किल काम है; क्योंकि इसमें एक गलती भी दोबारा सुधार का मौका नहीं देती। ताजगी

निरर्थक चीजों को कमरे से बाहर कर देने के बाद ताजगी महसूस करेंगे आप।

ताजगी मन की ताजगी की तरह, ताजा चीजों में होता है

स्वाद।

ताल-मेल

कलपुर्जें अपने स्वरूप के साथ ठीक ताल-मेल बैठाने वाली चीजों को ही ग्रहण कर पाते हैं बाकी को ठुकरा देते हैं। मित्र आग्रह करते रह जाते हैं किंतु केवल उनकी तरह के मित्र ही उनसे जुड़ पाते हैं।

तालमेल

पाक कला में निपुण लोग खाद्य पदार्थों के स्वाद एवं उसके आपसी तालमेल को खूब अच्छी तरह से समझते हैं।

ताकतवर

हर ताकतवर चीज के पास जाने में खतरा रहता ही है, वरन् निर्बल आपका क्या बिगाड़ लेंगे। तारीफ

तारीफ के स्वर चाहे छोटे हो या बड़े। ये तीव्र इच्छाशक्ति लेकर ही जुबान से निकलते हैं। इनका वार कभी खाली नहीं जाता। कुछ न कुछ हासिल करके ही लौटते हैं। तारीफ

तारीफ से लोगों को अपने काम में स्वाद आता है, साथ ही यह विश्वास और धारणा भी कि इस तरह के काम लोगों द्वारा पसन्द किये जाते हैं।

तुलना

यह सच है कि कमजोर और बलषाली लोग हमेशा एक साथ इस धरती पर रहेंगे। अगर आप संतुष्ट रहते हैं तो यह आपस की तुलना खत्म हो जाती है।

तॉक-झाँक

दूसरों के काम-काज में ताँक-झाँक करने वालों के बन्दर की संज्ञा दी जा सकती है।

तोहफा

प्यार का तोहफा फूल हो सकता है या प्यारे शब्द। जीवन का तोहफा पैसे और नाम। धर्म का तोहफा बहुत सारे लोग उसके सम्प्रदाय में आये। सेवा का तोहफा कि आँखों से आँसू ही झर आये। मित्र का तोहफा कि गिरते वक्त में हमें सम्भल ले। लेकिन एक सृजक का तोहफा है सृजन के सिवा, सारी कामनाओं को भूल जाना।

तंगी आर्थिक तंगी की छटपटाहट भूखे बच्चे जैसी ही है।

तंगी

आर्थिक तंगी सबसे पहले व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता को नष्ट करती है।

तैरना

हमारी सही दिशा हमें सागर पार करने को नहीं कहती; बल्कि तैरना सीखने का आग्रह करती है।

तेज

हमें इतना धीरे नहीं बढ़ना चाहिए कि पहुँचने का कोई अर्थ ही न रह जाए और इतना तेज भी नहीं कि पहुँचने पर फल कच्चे ही मिले।

तिलक

सम्मान भरा तिलक भी उन्हें को शोभता है, जो इसके लायक होते हैं।

तृष्णा

आप में धन की तृष्णा बहुत अधिक बढ़ने पर एक दिन आप पायेंगे आप जी नहीं रहें हैं, धन के पीछे मर रहे हैं।

तिनके

तिनके भी जब एक साथ जमा हो जाते हैं तो एक तेज अग्नि को प्रज्वलित कर देते हैं।

थकान

सारी शक्तियों को एक साथ लगा देने से आदमी थक जाता है। धीरे-धीरे लगाने से थकान से निजात पाता जाता है।

थैला

थैला सामान के साथ मूल्यवान और खाली होने पर मूल्यहीन हो जाता है।

दयावश

जब किसी से आग्रह में सविनय निवेदन होता है तो, दयावश भी हम उसकी बातें सुनने लगते हैं।

दहशत

एक अनजान परिवेष सभी में थोड़ी देर के लिए एक दहशत पैदा कर देता है।

दर्पण

दर्पण पर इसलिये क्रोध मत कीजियेगा कि वह आपकी

झुर्रियाँ दिखलाता है।

दही

दही की तरह मथने के बाद ही मनुष्यों के गुण बाहर आते हैं।

दरवाजे

सुरक्षित शहर में बंद और खुले दरवाजे में कोई फर्क नहीं रह जाता।

दर्द

चाहे दर्द कहीं पर भी हो- चीख तो जुबान से ही निकलेगी। दर्द

बंदूक, गोली में छिपे दर्द को बाहर निकालती है।

दान सुयोग पात्र को ही दान देना कोई अर्थ रखता है।

दान

एक संपन्न को दान देना, दूसरे जरूरतमंद का हक छीन लेना है।

दायित्व जब पारिवारिक दायित्व अधिक होता है, काम के प्रति रुचि बढ़ जाती है। जब दायित्व का अभाव कम होता है, अनावश्यक कामों में उनकी रुचि अधिक बढ़ जाती है।

दुर्लभता

दुर्लभता का अस्तित्व वहीं तक है, जब तक हम वहाँ नहीं पहुँचते है।

दुर्घटना

जिनकी आँखें बन्द हैं उन्हें बिच्छु डंक मारने के बाद ही दिखाई देता है और जिनके कान बन्द हैं, उन्हें दुर्घटना के बाद ही चेतावनी के स्वर सुनाई देते हैं।

दुष्ट

साँप को दूध पिलाने के बाद भी वह वही आचरण करेगा जो एक दुष्ट नीतिशास्त्र पढ़ने के बाद।

दुनिया

दुनिया में दूसरों का मन रखने की अत्यधिक इच्छा आपको ठीक से जीने नहीं देगी।

दुश्मन

जो आपके लिए बहुत अधिक सोचता है, वह या तो आपका हितैषी हो सकता है या दुश्मन।

दुःख

किसी के दुःख को अगर आप सुनना चाहेंगे तो वह आपको अपने सारे दुख बताना चाहेगा।

दुःख

काम करने वालों को काम का न मिलना ही उनका सबसे बड़ा दुःख है।

दुःख

एक बगीचे का दुःख उसके सूखते हुए फूल और झड़ते हुए फल ही हैं।

देवता

देवता अपने मान-सम्मान, फूल-चढ़ावे सभी को एक दिन के बाद त्याग देते हैं। इन सब चीजों के भार का वहन करना बेहद मुश्किल काम है। ज्ञानी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं।

दूर

जो बहुत दूर निकलना चाहते हैं, वे अकेला चलना पसन्द करते हैं।

दूर

जो लहरों के साथ जुड़ जाता है, वह दूर तक निकल जाता है।

दूरियाँ

फुर्तीले व्यक्ति के लिये दूरियाँ कोई मायने नहीं रखती।

दीये

कभी-कभी काम इतनी आसानी से होते है कि लगता है आपने केवल एक दीया भर जलाया है।

दीये

जलते हुए दीये दिवाली के त्योहार को सुबह तक बचाकर रखने की योग्यता रखते हैं।

दिशा

लोगों को सही दिशा नहीं मिलने पर, गलत दिशा ही उनका विकल्प बन जाती है।

दिशा

जागे हुए लोगों को जगाने की नहीं; बल्कि एक सही दिशा दिखाने की जरूरत होती है।

दिमाग

सुलझी हुई बातें हमेशा स्पष्ट दिमाग से ही बाहर निकलकर आती है।

ढृढ़ता

प्यासे, निर्जन रेगिस्तान में भी पानी तलाशते हैं और मरते हुए सैनिक अंत काल में भी हथियार ही ढूँढते हैं; इच्छाओं की ढृढ़ता ही हमसे कोई बड़ा कार्य करवा पाती है।

दृश्य

सुन्दर दृश्य अपने आप को चारों ओर से खोले हुए रहते हैं। कुछ इनसे लाभ लेते हैं, कुछ लाभ लेना चाहते हैं तो कुछ इनके लाभ को समझ भी नहीं पाते।

दृश्य

जो एक फल की आशा से बगीचे में प्रवेश करता है, उसे बहुत सारे दूसरे फल-फूल और सुन्दर दृश्य भी अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं। उसी तरह काम भी, किसी एक लाभ को पाने के लिए प्रेरित होते हैं लेकिन हमें उपलब्ध करा देते हैं और भी बहुत कुछ।

दंड़

चोर दंड से भागते हैं और जब दंड नहीं होता; वापस लौटकर आते हैं।

दौड़

अपने को मजबूत रखिये, लम्बी दौड़ में भाग लेने का मौका कभी भी आ सकता है।

धन

धन को केवल संचय करने की बजाय जो उसके रूप को विशालता में बदल देता है, वही सही मायने में सच्चा उद्यमी है।

धन

कोई ईमानदार स्थान ही आप के धन को सुरक्षित रख सकता है।

धनार्जन

जो बहुत अधिक धनार्जन कर चुके हैं, उन्हें अब यह जरूर सोचना चाहिए कि अब उन्हें और अधिक धन की आवश्यकता है या सुख एवं शांति की?

धरोहर

सफलता की बहुत सारी गुप्त युक्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार की धरोहर बनकर रहती है।

धार

चाकू में धार न हो तो वह सिर्फ लोहा ही है।

धार

चाकू की धार की तरह दिमाग अपने धारदार हिस्से का प्रयोग दूसरों पर करता है।

धार

जड़ें भी चाकू की धार की तरह अपना हिस्सा काटती हुई जमीन में आगे बढ़ती है।

धार काम में धार होनी चाहिये, वरना वार खाली जाता है।

धार

झुके हुए आदमी के सामने शस्त्र अपनी धार खो देते हैं।

धैर्य

जो धैर्य धरते हैं उन्हें ही छिपा हुआ चाँद दिखलाई देता है।

ध्यान

ध्यान लगाने का अर्थ है अपने आप को प्रकृति को सौंप देने की चेष्टा।

नदी

एक नदी में प्रदूषण, उसकी जीव प्रजनन शक्ति का

नाश करने लगता है।

नदी

एक नदी की व्यथा उसकी गंदी सूरत दर्शाती है।

नदी

नदी का जल आपकी अंजुरि में खेलने लगता है और पशुओं का नहलाने पर रोने लगता है।

नदी

जब आप नदी के किनारे खड़े होते हैं, आप में उसके पार जाने की इच्छा भी जाग्रत हो उठती है।

नदी

जैसे पत्थर नदी की सबसे गहरी जगह को तलाश लेता है, वैसे ही गुणी विद्यार्थी ज्ञान को भी। नन्हे

भीषण गर्मी में भी केवल नन्हे पौधों को सींचा जाता है, बड़े पेड़ों को नहीं।

नकल

जब नकल का दौर चल रहा होता है तो सबकुछ नकली ही उत्पादित होता है।

निर्माण

सबसे सुन्दर निर्माण को भी मालूम नहीं होता कि उसकी आयु कितनी रहेगी।

निमंत्रण लोगों को निमंत्रण देना उनसे जुड़ने की इच्छा रखना है।

निमंत्रण

जब हाथ में अन्न अधिक लेकिन हृदय में भावना कम हो तो, पक्षी भी आँख चुराते हैं। इस तरह से दिया गया निमंत्रण व्यर्थ ही जाता है।

निमंत्रण

एक बीमारी दूसरी अन्य बीमारियों को भी पास आने का निमंत्रण देने लगती है। नयापन

जो निरंतर नया काम सीखते हैं, उनका नयापन कभी लुप्त नहीं होता।

नाराजगी नाखुश लोग आपसे अपनी नाराजगी किसी न किसी रूप में उतारेंगे ही। आपको इसके लिये तैयार रहना चाहिये।

नियंत्रण

नियंत्रण करना एक बेहद मुश्किल काम है; क्योंकि आपकी आँखें जिन-जिन चीजों से हटती जायेंगी, वे नियंत्रण से बाहर होती जायेंगी।

निगरानी आदेशों का अनुपालन तभी हो पाता है, जब कर्ताओं को यह अच्छी तरह से ज्ञात रहता है कि आदेशकर्त्ता उनके द्वारा हर पल किये गये कार्यों की निगरानी एवं जाँच कर रहा है।

नियम

समुद्र पार करने इच्छा रखने वाले जहाज की यात्रा सोचते हैं, तैरने की नहीं। अच्छे फल चाहने वाले वृक्षों में खाद देने की सोचते हैं, प्रार्थना की नहीं। जो धन कमाना चाहते हैं, वे व्यापार की सोचते हैं, जुए की नहीं। भुख केवल भोजन माँगती है, पानी के लिए सोचती है बाद में। ये संसार के नियम हैं, इन्हें तोड़नें की जिद नहीं करनी चाहिए।

निपुण

गैर जिम्मेवार लोग दूसरों के लिए परेशानियाँ खड़ा करने में बेहद निपुण होते हैं।

निपुणता निपुणता अपनी चमक अपने आप दिखलाती है।

निर्माण

कम महत्व एवं बड़े महत्व की चीजें मिलकर भी एक

अच्छा निर्माण कर लेती हैं।

निर्देश

थोड़े से निर्देश देने के बजाए बहुत सारे निर्देश एक साथ दिये जाने पर वे ध्यानाभाव के कारण बन जाते हैं।

निद्रालोक

मेरा लिखा कौन पढ़ेगा? इतनी सारी किताबों को कौन पढ़ेगा? पुस्तकालय क्या केवल नाम की चीज रह जायेगी? ये बातें कितनी बार उत्तर माँगती हैं मुझसे और जब बिस्तर में इन्हीं किताबों के शब्द मुझे निद्रालोक में ले जाते हैं तो मुझे उत्तर मिल गया होता है।

नीयत जब हम प्रेम और अच्छी नीयत से किसी पराये घर में

भी दखलअंदाजी करते हैं तो लोग बुरा नहीं मानते।

नींद जब हमारे पास नींद है तो सब कुछ ठीक है वरन् भूखे

षेर को तो नींद भी सोने नहीं देती।

नींद

महत्त्वपूर्ण काम में जाने के पहले की रात हमेशा एक उथल-पुथल वाली नींद देती है।

नींद

अधूरी नींद फुर्सत को तलाशती है और अधूरे काम मेहनत को।

नींद

जहाँ शोर नहीं, वह जगह केवल नींद ही हो सकती है। नींद मानसिक थकान आपको नींद से वंचित कर देती है और

शारीरिक थकान आपको समय से पहले सुला देती है।

नींद

नींद अपनी खुराक छोड़ेगी नहीं, दिन में भी आपको चैन से बैठने नहीं देगी।

नींद

दिन के श्रम और रात की नींद को बराबर महत्त्व देने वाला ही सुखी जीवन जी पाता है।

नुकसान

नुकसान की आग तिनके से शुरू होकर राख में खत्म होती है।

नुकसान

चूहा आपके घर की सबसे कमजोर जगह से रास्ता बनाकर नुकसान करने पहुँचता है। नुकसान लोग गलतियों से अधिक उससे होने वाले नुकसान से

घबराते हैं।

नुकसान

जब नुकसान की भरपाई दूसरे आय के स्रोतों से होती रहती है, तभी तक वे बर्दाश्त किये जाते हैं।

न्याय

न्याय सच्चे लोग जरूर कर सकते हैं, बशर्ते सच्चाई उन तक पहुँचे।

नौकरी

किसी के लिए भी अच्छी नौकरी के बजाए कोई बड़ा काम सीखने का सुयोग पाना, अधिक लाभकारी होता है।

परिवार

जिस युवक में परिवार के प्रति कर्तव्य का बोध है, घर के लोगों के लिए सीने में प्यार है। एक पिता सारे तालों की चाभी उसी को सौंप कर तसल्ली पाता है।

परिवार

आप सभी से प्रेम निभा सकते हैं, इसलिए संयुक्त परिवार में हैं; आप केवल अपने परिवार से मोह रखते हैं इसलिए अलग हैं।

परिवार

परिवार के लोगों की बीमारियाँ सबसे अधिक औरतों को चिन्तित और परेशान करती हैं।

परिवार

परिवार प्यार और तकरार, दोनों के तालमेल से चलता है।

परिवार

परिवार को आप खुश नहीं रखेंगे तो वहाँ आपका उपहास होगा।

परिवार संयुक्त परिवार में छोटे, बड़ों को इज्जत देते हैं और बड़े, छोटों को सम्भालते हैं; इसी आधार पर टिका होता है इसका ढाँचा।

परिवार संयुक्त परिवार से अलग होकर गए लोगों से पूछिये, क्या जितना उन्होंने खोया है, क्या उससे अधिक पाया है?

परिवार

आपका परिवार से दूर होना छोटी सी सजा है, काम से दूर रहना बहुत बड़ी सजा है।

पक्षी

मन जब उड़ता है तो एक पक्षी के पैरों की तरह

धरातल से अपना सम्बन्ध तोड़ लेता है।

पक्षी गाँव में लोग काम करते हैं और पक्षी उनके सामने

खेलते रहते हैं।

पक्षी

दयनीय लोग, पंख कटे हुए पक्षी की तरह हैं, वे आपकी सारी बातें सुनेंगे, पर करेंगे कुछ भी नहीं।

पक्षी

केवल काले कौए ही एक साथ, एक स्वर में चिल्ला सकते हैं, दूसरे पक्षी नहीं।

परिपक्वता

हर काम में एक जगह आकर रुकना होता है, रुककर कुछ सीखना होता है, सीखकर फिर आगे बढ़ना होता है। इस तरह से धीरे-धीरे परिपक्वता आती है।

परिश्रम

धरती एक बंद बक्से की तरह ही है, इसमें क्या है, इसे कठिन परिश्रम द्वारा ही खोलकर जाना जा सकता है।

पति वेश्याओं को भी एक अच्छे पति की तलाश रहती है। पर्व-त्योहार

गाँव पर्व-त्योहार को शहर की तुलना में बेहद अच्छी तरह से मनाते हैं।

पतंग

पतंग कटने पर दूसरों के नसीब में चली जाती है, लेकिन धागा आपको वापस करके।

पत्र

पत्र लिखना बेहद आसान है लेकिन इससे प्रभावित

करना बेहद मुश्किल काम है।

पन्ने

जब तक हमने लिखकर पन्ने बर्बाद नहीं किए या काम करके अनेक औजारों की धार खराब न की तब तक क्या सीखा? पत्र

एक स्तरीय पत्र अपने कथन को वास्तविकता के

समरूप प्रेषित करने की क्षमता रखता है।

परामर्श

किसी को परामर्श देना, भोजन में बिल्कुल सही नमक मिलाने जैसा है।

परामर्श अत्यधिक परामर्श का दबाव लोग बर्दाश्त नहीं कर पाते।

परेशानियाँ

कई बार क्रम से परेशानियाँ हमारे सामने खड़ी होती हैं और जब तक फिर क्रम से उनका समाधान नहीं किया

जाता, वे शांति से हमें बैठने नहीं देतीं।

परेशानी

रास्ते में जूते का गुम हो जाना, एक अमीर आदमी के लिये भी परेशानी खड़ी कर देता है।

पतंग

जब आप थक जाते हैं तो आपके साथ-साथ आपकी पतंग भी थक जाती है।

पतंग

पतंग धागे का सहारा लेती है लेकिन थामती है हवा की पूँछ को ही, आसमान पर पहुँचने के लिए।

पहरा

रात होने के बाद दरवाजे पहरा देने लगते हैं।

पसन्द

उम्र के साथ-साथ लोगों की पसन्द भी सिमटकर रह जाती है।

परीक्षा

किसी भी ताकत की परीक्षा सिर्फ एक बार में नहीं हो जाती। एक स्थापित पेड़ जब वर्षों-वर्षों तक फल-फूल देता रहता है, तब जाकर उसका मूल्यांकन होता है।

पर्व-त्योहार

पर्व-त्योहार को अमीर पैसे खर्च कर मनाते हैं और गरीब इनमें शामिल होकर।

पर्यावरण

लोग गाँव को शहर में बदल डालते हैं और शहर पर्यावरण को वीरान में।

पर्यावरण

दूषित पर्यावरण एक बड़ी आबादी को भी उसे सहने का आदी बना देता है।

पानी

नदियों को जब जरूरत से अधिक पानी मिलता है तो वे तबाही पर उतर आती हैं।

मौसम का असर सबसे अधिक पेड़ के पत्ते दिखलाते हैं।

पेड़

जो पेड़ के फल-फूल और छाया से संतुष्ट नहीं होता, वही पेड़ काटने का आदेश देता है।

पेड़

अकेला फूलों से लदा पेड़ उतना लुभावना नहीं लगता, जितना कि बगीचे में होने पर।

पेड़

एक पेड़ नयी डालियों के सहारे ही खूबसूरत फूल उपजाता है, वैसी ही राष्ट्र नवयुवकों के माध्यम से

एक अच्छे समाज का निर्माण करता है।

पेड़

जीवन नदियों की तरह एक निश्चित दिशा में नहीं बल्कि पेड़ की डालियों की तरह उलझते-सुलझते आगे बढ़ता है।

पेड़ मीठे फलों के निर्माण में कोई लापरवाही नहीं बरतते।

पेड़

दो पड़ोसी पेड़ भी अपने-अपने हिस्से का भोजन निकाल कर जी लेते हैं।

पेड़

सड़क पर गिरा हुआ पेड़ अपनी जमीन खो चुका होता है, क्षण भर में उसे काट कर फेंक दिया जाता है।

पेड़

पेड़ के पत्ते तोड़ने के बाद आप उन्हें जोड़ नहीं सकते ऐसी ही सम्भावना घनिष्ठ संबंधों के तोड़ने पर हो सकती है।

पेड़

पेड़ से कच्चे फल तोड़कर, उसकी सारी मेहनत पर पानी

फेर देते हैं आप।

अगर आपको चुप रहना नहीं आता है तो एक पेड़ से सीखिये या किसी पहाड़ से।

पेड़

एक पेड़ कटता है तो बादल थोड़े से ऊँचे उठ जाते हैं।

पेड़

फलों से लदे पेड़ की हर छिपी डालियाँ भी साफ-साफ नजर आती हैं।

पेड़

पेड़ काटने वाले को भी अपनी छाया का अंतिम सुख देकर ही जमीन पर गिरते हैं। पेड़

फलों के निर्माण का कार्य, बीच में नहीं छोड़ देते हैं पेड़।

पेड़

बड़ के पेड़ अपना निचला आधार मजबूत हो जाने पर शीर्ष को भी जड़ों से जोड़कर पूर्ण रूप से मजबूत हो जाता है।

पेड़ के पत्तों के नीचे छाया और शांति दोनों होती है, लेकिन इसे पाने के लिए शरीर को वहाँ लेकर जाना भी होगा।

पिता

पिता पुत्र के चेहरे पर कभी हार नहीं देखना चाहता, वह पुत्र से अधिक इन कारणों की तलाश करने लगता है।

पिता

पुत्र के चेहरे की थकान, पिता के मन की थकान बन जाती है।

पिता

एक पुत्र जीवन की उलझनों में बार-बार फँसता है और पिता उसे इनसे हर बार निकालता जाता है। जिस दिन उसमें परिपक्वता आती है, उसकी उलझनों की उम्र खत्म हो चुकी होती है।

पिता

पिता की मृत्यु के बाद पैसे, सम्पत्ति सब कुछ आसानी से मिल जाएँगें बच्चों को, लेकिन उनका नाम हासिल

करने के लिए उन्हें उतनी ही ऊँची छलाँग लगानी पड़ेगी ।

पिता

पिता और पुत्र के काम करने के तरीके एवं जिम्मेदारियों के वहन करने का मिजाज अलग-अलग होता है। इसलिए दोनों को एक-दूसरे के काम में गलतियाँ दिखलाई देंगी। वे प्यार, स्नेह और आस्था के स्तर पर जुड़ सकते हैं लेकिन काम में मुश्किल से ही।

पिता

जैसे एक घुड़सवार घोड़े के सारे कार्यकलापों तथा सामर्थ्य को जानता है वैसे ही एक पिता भी एक पुत्र में छिपी सारी बारीकियों को समझता है।

पिता

जो पुत्र हमेशा पिता के आदेश के लिए लालायित रहता है, उसी से भविष्य में भी सेवा की आशा की जा सकती है। पिता

एक पिता दुविधा में पड़ जाता है, जब उसकी परेशानी उसका बेटा दूर नहीं कर पाता।

पिता

शहर से बच्चे दूर चले जाते हैं लेकिन पिता के प्रेम से नहीं। पिता अपने मन की आँखों से भी पुत्र जो देख रहा होता है, उसे देखने की कोशिश करता है।

पिता

पिता चाहे कितना भी बूढ़ा या असहाय क्यों न हो जाये, लेकिन अपने बच्चों के प्रति प्रेम को मृत्युशय्या तक भी हृदय से सूखने नहीं देता है।

पिता कुछ बच्चे बिल्कुल कमजोर होते हैं तो कुछ काफी तेज,

एक पिता सभी से सामंजस्य बनाकर अपने मन को

खुश रखता है।

पिता

एक पिता की दूरदर्शिता अनेक पीढ़ियों तक लाभ पहुँचाती रहती है।

पिता

पिता की जायदाद पेड़ की तरह है, इससे फल और बीज हासिल कर सकते हैं, लेकिन इसे काटने की कोशिश लगातार होने वाले लाभ से आपको वंचित कर देगी।

पिता

मनुष्य बहुत सारे लोगों से सीखता है, लेकिन पिता की सिखायी बातें उसके दिमाग में बैठ कर रह जाती हैं।

पिता

पिता की सीख से अधिक विश्वसनीय ज्ञान इस धरती पर कम ही है।

पुरस्कार

बड़े पुरस्कार हमेशा मुश्किल से मिलेंगे और छोटे बेहद आसानी से।

पुरस्कार

जो इस बात से प्रेरित है कि उसे कुछ बनना है या कोई बड़ा कार्य करना है, वह कर्मठता की होड़ में बहुत आगे बढ़ चुका होता है।

पुरस्कार

ताले का छेद सभी को दिखलाई देता है लेकिन चाभी हमेशा छुपी हुई होती है। वैसे ही पुरस्कार सभी को लुभाते हैं लेकिन उन्हें पाने का मार्ग कुछ के ही पास होता है।

पुरस्कार

दूसरों के पुरस्कार का स्वाद तुरंत जीभ पर आ जाता है, लेकिन पीड़ा का नहीं। हानि कम तोले जाने पर सभी खुश होते हैं, लाभ को जबरन अधिक चाहते हैं। कालान्तर से चली आ रही इस पवृत्ति का रुकना असम्भव है।

प्रतिभा

अगर किसी में नाम कमाने की ही इच्छा है तो उसे अखबारों की एक दिन की जिन्दगी के बजाये किसी चौराहे पर स्थापित प्रतिमा से कुछ सीख लेनी चाहिये।

प्रयास

कभी-कभी, बार-बार प्रयास करने पर भी सफलता नहीं मिलती, लेकिन एक आखिर प्रयास अब भी बचा होता है, जो सफलता देने के लिए खड़ा होता है।

प्रयास

जब आप किसी को लाभ से वंचित करने का प्रयास

करते हैं तो आप विरोधी हो जाते हैं।

प्रयास

प्रयास समस्या को हल करने की शुरुआत भर है। प्रयास

काम दो ही बातों का उत्तर माँगते हैं, उनका होना या न होना। इसके बीच की स्थिति प्रयास है।

प्रयास

वे कभी हारते नहीं हैं, जिनका प्रयास कभी मरता नहीं है।

प्रयास प्रयास करने से ऊर्जा का संचय होता है, क्षय नहीं।

प्रेरणा

प्रेरणा के स्रोत हमें एक शिकारी की तरह पकड़ना चाहते हैं, और उनसे हम बचना चाहते हैं, यह ही हमारी बेवकूफी है।

प्रबंधन जब आप एक बहुत बड़े समूह को काम देते हैं, देश के एक छोटे से हिस्से का पूरा प्रबंधन आपके पास होता है।

प्रबंधक

एक अच्छे प्रबंधक के पास बहुत सारी सफलताएँ तो होती हैं, लेकिन आजीवन दूसरों की गलतियों को देखने एवं सुधारने का काम भी मिला होता है।

प्रबंधक

जब व्यापार कमजोर प्रबंधक के हाथ में चला जाता है तो वफादार भयभीत होते हैं एवं कामचोर खुशियाँ मनाते हैं।

प्रदुषण

प्रदुषण आपके शरीर के भीतर घुसकर अपनी लड़ाई

छेड़ता है।

प्रसिद्धि

प्रशंसनीय चीजों में अपनी प्रसिद्धि फैलाने की क्षमता हमेशा रहती है।

प्रवास

प्रवास चाहे कुछ ही दिनों का क्यों न हो, उसे भी एक नये तरीके से जीना पड़ता है।

प्रशंसा अग्नि के लिए घी और औरतों के लिये प्रशंसा, दोनों

एक जैसा ही काम करती है।

प्रेम

प्रेम कभी सतह पर तिरता नहीं है, वह पानी की तरह जड़ों तक पहुँचता है।

प्रेम

संयोग ही प्रेम की शुरुआत का सबसे बड़ा कारण है।

प्रेम

जो अनाथ लोगों को शरण देते हैं, उनमें प्रेम की

भावना अत्यधिक होती है।

प्रेम

होली के रंग अपने नहीं, मित्रों के होते हैं; इन्हें बड़े प्रेम से छुड़ाया जाता है।

प्रेम

जो अपनी माता, मातृभूमि और मातृभाषा से प्रेम करते हैं, उनके हाथ कभी खाली नहीं रहते।

प्रेम

सच्चा प्रेम कभी छुपता नहीं, झाड़ियों के पीछे छुपे एक

छोटे से फूल की आहट को भी हम पहचान लेते हैं। प्रेम

लम्बा साथ निभाने वाला प्रेम ही अधिक विश्वसनीय होता है। प्रेम

अपनी जिम्मेवारियाँ पूरा किये बिना आपन परिवार से प्रेम पाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

प्रेम

खून के रिश्तों में हमेशा गाढ़े प्रेम में बदलने की संभावना रहती है।

प्रेम

काम से प्रेम करने वालों को लम्बी नींद के बजाए सुबह जल्दी उठना अधिक पसन्द होता है।

प्रेम

प्रकृति का प्रेम आपको हमेशा छत से बाहर खींचता रहेगा।

प्रेम

बिछुड़ने पर ही मालूम होता है कि प्रेम का वास्तविक

स्वरूप क्या था।

प्रतिभा

आप में अगर सचमुच प्रतिभा है तो आपका साथ देने के लिए बहुत सारे लोग हाथ बढ़ायेंग।

प्रतिभा

दबी हुई प्रतिभा अनुकूल समय आने पर बहुत बड़ा आकार ले लेती है।

प्रतिस्पर्धा आप कोई भी काम करें, प्रतिस्पर्धा आपके सामने होगी।

प्रगति तेजी से पनपते पौधे को देखकर अपनी प्रगति के दिन

याद आने लगते हैं।

प्रार्थना

सबसे बड़ी प्रार्थना हो सकती है- ईश्वर के बजाए, हम उनके कामों में खो जाएँ।

प्रलोभन

आपको पैसे से चाहे प्यार हो न हो, लेकिन पैसा आपको लुभाने की कोशिश हमेशा करता रहेगा।

प्रवाह

झरनों का प्रवाह जब तेज होगा तो नदी का रूप लेंगे वरन् वहीं सिमट कर रह जाएँगे। ऐसी ही स्थिति हमारे

ज्ञान की भी रहती है।

प्रशासन

एकत्र समूह को देखकर प्रशासन हमेशा घबराता है।

प्रेरणा

जो मजबूत और बड़े प्रेरणा-स्रोत को थामकर चलते हैं, उन्हें काफी दूर तक सहारा मिलता है। छोटे और साधारण प्रेरणा-स्रोत थोड़ी देर में ही अपने हाथ ढीले करने लगते हैं।

प्रेरणा

एक चित्रपट में गाती हुई अभिनेत्री का चेहरा तो सामने होता है, लेकिन आवाज किसी दूसरे कलाकार की होती है। एक व्यवसाय में भी लोग जी भर के काम तो कर रहे होते हैं, लेकिन उनके पीछे उनका प्रेरणा स्त्रोत उनका उद्यम ही होता है।

पेशा

वेश्याओं में बढ़ती उम्र के साथ अपना पेशा बदलने की इच्छा प्रबल होने लगती है।

पैसा पैसा इकट्ठा होने पर आपके पाँवों में मजबूती दिखती है।

पैसा

पैसा विवाद पैदा करता है और फिर उसे सुलझाता भी है।

पैसा पैसा चाहे कितना भी सुख क्यों न दे दे, जब जेब से

छूटता है तो कष्ट देता ही है।

पैसा

पैसा आपकी उन्नति में चारों ओर दिखाई देता है ओर अवनति में कहीं भी नहीं।

पैसा

दक्ष लोगों के पास पैसा अपनी वृद्धि के लिए स्वयं चला आता है।

पुस्तकें कुछ पुस्तकें हम हमेशा बचा के रखते हैं, चाहे उन्हें पढ़े या न पढ़ें लेकिन उनसे कुछ न कुछ पाने का मोह आजीवन बना रहता है।

पुस्तक

गुणीजन अपनी दुर्लभ पुस्तक खो जाने पर, आभूषण खो जाने जैसा ही दुख महसूस करते हैं।

पुस्तक

जैसे पुस्तक से कोई एक स्मरणीय बात बाहर निकलकर आती है, वैसे ही कोई अच्छा व्यक्तित्व जनसमूह से।

पुस्तक

कई वर्षों बाद आप एक पुस्तक उठाते हैं और महसूस करते हैं कि अब आप इसे अच्छी तरह से पढ़ सकते हैं।

पुस्तकें

जरूरत के बिना अच्छी पुस्तकें भी लोगों द्वारा नहीं पढ़ी जाती हैं।

पूजा

जब भी पूजा होगी तो दीये से ही होगी, शहर की चकाचौंध रोशनी से नहीं।

पूजा

धार्मिक पुस्तकों को बड़े आदर से उठाया जाता है। चाहे वे हम उनसे कुछ लें या न लें, लेकिन यह तो प्रमाणित करती ही हैं कि ज्ञान हमेशा पूजा जाता है।

प्यार

प्यार जिद और तड़प से नहीं बल्कि सामने वाली की इच्छा से मिलता है।

पीठ

दूसरे जब आगे बढ़ रहे हों तो उनकी पीठ नहीं; बल्कि अपनी पाँव देखने चाहिये।

पोषण

पत्तों को सींचने से कोई लाभ नहीं होगा, प्रत्येक वस्तुओं की जड़ों तक पहुँचना होगा; उसके उचित पोषण के लिए।

पौधे

गमले में लगे सारे पौधे मनुष्य के प्रेम पर ही आश्रित होते हैं।

पुर्जा

एक खराब कल-पुर्जा अपने साथ-साथ पूरी मशीन एवं

व्यवस्था को आराम की स्थिति में ला देता है।

पुत्र

एक पुत्र की पढ़ाई, इच्छाएँ, दोस्त, आराम एवं कष्ट, जीने के तरीके, खुशी के साधन आदि जितनी भी चीजों पर एक पिता नजर रख सकता है, वह रखता है और उसे और भी अधिक सुविधाजनक एवं स्तरीय बनाने का प्रयास करता है। यह बात अलग है कि अपनी उलझनों एवं कार्यों से निकलते-निकलते पिता के लिए पुत्र के पास बहुत कम समय बच पाता है।

पीड़ा कठिन रास्तों में ही तो पीड़ा निवास करती है।

पीड़ा

खेल का एक-एक क्षण आपको खुशी देता है, पीड़ा महसूस होती भी है तो खेल के बाद।

प्यार

जिन्होंने हमें प्यार दिया, उन्हें प्यार लौटाने की इच्छा हमारी रहती है।

बलवान

कई कमजोर लोगों का हक, हमेशा बलवान छीन ले जाते हैं।

बचपन

पुराना घर अच्छा लगता है; क्योंकि यह एक दर्पण की तरह आपको अपना बचपन दिखलाता है।

बच्चे

बच्चे अपनी खुशियों में हमें शामिल करना चाहते हैं, लेकिन हम उनकी तरह खुश तो नहीं हो सकते, हाँ संतोष जरूर कर सकते हैं। बच्चे बच्चे गलतियों को समझ नहीं पाते, जवान गलतियों को छुपाने की कोशिश करते हैं, प्रौढ़ गलतियों को सुधार न पाने का अफसोस करते हैं।

बच्चे

बच्चे मौका पाकर मिट्टी खाने निकल पड़ते हैं और बुरी लत वाले मनुष्य वर्जित वस्तुओं की ओर।

बच्चों

दूसरों के बच्चों को ठगने वाला अपने बच्चों से आँखें मिलाने में डरता है।

बदला

बदला लेने के अवसर कई बार आते हैं, अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम बदला लेते हैं या अपने आप को बदल डालते हैं।

बल

अच्छी आर्थिक स्थिति अपने आप में एक बहुत बड़ा बल है।

बहाने अच्छे बहाने भी कई बार आपको विवाद से बचा लेते हैं। बहुरूपिये

बहुरूपिये और हममें एक समानता है कि जीवन भर हम अपन रूप बदलते रहते हैं और स्वांग करते रहते हैं। लेकिन एक असमानता भी है कि हम यह बेहद चतुराई से करते हैं और बिना किसी कृत्रिम रूप शृंगार और पोशाक के।

बर्दाश्त

सूई की चुभन से घाव नहीं लाभ होता है इसलिए उसे बर्दाश्त किया जाता है।

बर्दाश्त

अच्छे लोग दूसरों को फायदा पहुँचाने के प्रयास में अपनी हानि भी बर्दाश्त कर लेते हैं।

बाजार

किसी चीज की कीमत वही है जो बाजार तय करता है न कि आप।

बुद्धिमान

बुद्धिमान शुरू से ही जानते हैं कि यह रास्ता उनके हक में नहीं है और मूर्ख ठोकर खाने के बाद।

बुद्धिमान बुद्धिमान, आलोचनात्मक विषयों से दूर रहकर अपने ज्ञान एवं विचारों की श्रेष्ठता को जगत् के सामने रखकर

स्नेह पाने में अधिक विश्वास रखते हैं।

बौद्धिकता

छोटी सी आग से बड़ी आग बनाने की कला माचिस बतलाती है। धीरे-धीरे कुछ ऐसी ही बौद्धिकता जब हम पा लेते हैं, हमारा जीवनयापन सरल होता जाता है।

बुजुर्ग

बच्चे हर चीज में खेलने की दिशा ढूंढ़ते हैं, बड़े बहुत बड़ा बनने की और बुजुर्ग इन दोनों के लिए कोई सही दिशा तलाशते रहते हैं।

बीज

बीज एक बार आरोपित किए जाते हैं लेकिन जल बार-बार छिड़का जाता है, उसी तरह से स्थापित काम अब अपनी देख-रेख की उम्मीद हमसे अधिक करते हैं।

बीज

बीज बारिश की नमी का स्पर्श पाकर, रोपे जाने का इंतजार करने लगते हैं।

बीज बोरे में बंद बीज एक समय के बाद जीने की आशा

छोड़ देते हैं।

बीज

जब बीज, मंदिर जैसी कोई जगह ढूँढ़ लेते हैं तो पेड़ बनने पर उनकी पूजा होने लगती है।

बीमार

बीमार शरीर में निराशा भरने लगती है और निराशा सारी जिज्ञासाओं को खत्म कर देती है, और जब जिज्ञासा खत्म हो जाये तो बुद्धिजनित विचारों की तीव्रता सुस्त पड़ जाती है।

बोझ

व्यावसायिक बोझ हल्के हो जाते हैं, जब आप इन्हें

छोटे-छोटे टुकड़ों में अनेक लोगों में बाँट देते हैं।

बुरा

एक फुदकती हुई चिड़ियाँ और उड़ती हुई तितली के लिए बुरा कोई नहीं सोचता।

बेटी

एक बेटी की खुशी बतलाती है कि वह अपनी ससुराल के लिये गर्व करती है।

बेटी

पिता बेटी के घर आने की खुशी नहीं; बल्कि ससुराल से मिली खुशी को देखना चाहता है।

बुढ़ापा

जब आप एक छड़ी की जरूरत महसूस करें, समझ जाए

बुढ़ापा आप में पूरी तरह से प्रवेश कर चुका है।

बुढ़ापा

समय काटने के साधन हों तो फिर बुढ़ापा याद नहीं रहता है।

बुढ़ापा

बुढ़ापा एक ही चीज सबसे अधिक ढूँढता है, वह है किसी का साथ।

बुद्धि

हमेशा दूसरों पर आश्रित रहना, अपनी बुद्धि को गिरवी रख देने जैसा ही है।

बाहर

दूसरों के मामले में उतना ही उलझे, जहाँ से तुरन्त बाहर आ सकें।

बेवकूफ

घमंड आपको, आपके ही बनाये ऊँचे सिंहासन में बैठाकर बेवकूफ बनाये रखता है।

भय

खुली आँखों से सभी भय खाते हैं; क्या पता कब उनके दोष पकड़ लिए जाएँ।

भविष्य हमारा भविष्य हर पल वर्तमान में बदल रहा होता है।

भविष्य

सूई की धार टूटने पर उसका भविष्य समाप्त हो जाता है।

भयभीत

अंधविश्वासों से संचालित मन हमेशा भयभीत रहता है और भयभीत व्यक्ति हमेशा अपना बल खो देते हैं।

भरोसा

पहले आप नाव पर भरोसा करते हैं फिर नाविक पर।

भाग्य

अच्छी पुस्तकों को पढ़ा जाना सबके भाग्य में नहीं होता।

भोजन

भोजन को एक संयमी पुरुष की तरह ही आँच दी जाती है तभी वह ठीक से पकता है।

भोजन

जिस घर के लोग आपको अपना समझते हैं वहीं से केवल भोजन के साथ प्रेम भी मिलता है।

भोजन वही भोजन तृप्ति देता है, जो प्रेम से परोसा जाता है। भोजन

कुत्तों को भी अपने प्राप्त भोजन की रक्षा करनी पड़ती है, कौओं से।

भोजन

जब भोजन अधिक होगा उसे बाँटा जाएगा, जब कम होगा तो उसे छुपाया जाएगा।

भोजन बबूल का पेड़ आपकी नजरों में काँटों से भरा है और

ऊँट की नजरों में भोजन से।

भोजन

भोजन में अधिक नमक डाल देना एक अति है, इसके बाद सुधार का कोई रास्ता नहीं बचता।

भोजन

पक्षी का उड़ने भर का प्रयास ही उन्हें भोजन पाने का मार्ग दर्शा देता है।

भिक्षुक

भिक्षुक इतना कम माँगता है कि गरीब भी उसे संतुष्ट कर दे। लेकिन शाम तक वह इतना प्राप्त कर लेता है कि कुछ गरीब भी इसमें से खा सके।

भिक्षुक

भिक्षुक एक पर आश्रित नहीं रहता इसलिये उसे किसी

से कुछ मिला हुआ याद नहीं रहता।

भीड़

भीड़ में उन्हीं चेहरों को पहचाना जाता है, जिन्होंने अपनी पहचान बना ली है।

भीड़

जब आप किसी भीड़ में जगह चाहते हैं तो यह हमेशा पीछे ही मिलती है।

भीड़

भीड़ में खड़ा होना आपका मकसद नहीं है; बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ी है वह बनना आपका मकसद है।

भूमि

जहाँ इच्छाएँ पनप सकें उसी के अनुरूप भूमि के पास जाना होता है वरन् बर्फ के ऊपर खेती करने का प्रयास विफल ही होगा।

भूल

सजग व्यक्ति अपनी भूल को असर दिखाने स पहले ही, सुधार लेते हैं।

भूल

एक भूल को सुधारने के लिए आपको फिर उसी स्थान पर जाना होता है, जहाँ से यह शुरू हुई थी।

भ्रांति

जब हमारी भ्रांति टूट जाती है तो कुछ देर के लिये हम उदास हो जाते हैं फिर खुश कि चलो गुमराह होकर जिस रास्ते से जा रहे थे, वहाँ से मन तो हटा।

भ्रष्ट

जब जूते दूसरों को कुचलने में कोई संकोच नहीं करते तो समझ लीजिये इन्हें एक अत्यन्त भ्रष्ट व्यक्ति ने पहन रखा है।

मदद

अच्छे लोग थोड़ी सी मदद पाकर कृतज्ञता प्रकट करने लगते हैं, जबकि बुरे मदद पाकर कृतघ्न हो जाते हैं।

मदद

मुश्किलों के अगल-बगल ही मदद छिपी होती है जैसे काँटों की बगल में थोड़ी सी जगह उन्हें थामने के लिये।

मदद

जब आप लोगों के हित के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं तो मदद का भरोसा हमेशा आपके साथ होता है।

मदद

एक बुझती हुई आग को घी की दो-चार बूँद भी फिर से प्रज्वलित कर देती है। इसी तरह ठीक समय पर मिली हुई मदद किसी को भी जीवन दान दे जाती है।

मदद

अनेक सीखे हुए कामों की मदद से ही कोई नया काम आसानी से किया जाता है।

महँगाई

महँगाई का असर खत्म करने के लिए उसी अनुपात में आपको थोड़ा और अधिक कमाना होता है।

महत्त्वपूर्ण

महापुरुषों को जानना नहीं; बल्कि उनसे लाभ उठाना महत्त्वपूर्ण होता है।

महत्त्वपूर्ण

आप महत्त्वपूर्ण हो जाते है, जब कुछ नया करके दिखलाते हैं।

महत्वाकांक्षी

एक महत्वाकांक्षी के लिए उसकी इच्छा पूर्ति ही केवल महत्व रखती है।

मन

मन इच्छाओं को पैदा करता है फिर उन्हें खत्म भी करता है।

मन

जब मन में विचारों की बहुलता होत़ी है तो वही लिखने की प्रेरित करती है।

मन

थका हुआ मन बेहद जरूरी बातों को भी भुला देना चाहता है।

मन

किसी का मन टटोलने से बहुत सी दबी हुई बातें बाहर आ जाती हैं।

मन

हर चुभने वाली बात को काँटों की तरह मन से निकाल देना चाहिए।

मन

खुश मन में लोगों को देने की शक्ति होती है, दुखी मन में लोगों को रुलाने की।

मन

किसी के मन में कोई बात गुप्त नहीं रह सकती। उसे

छुपाने के पहले ही लोग उसे बता चुके होते हैं।

मनोबल

साँप बिना पैरों के तेज गति से चलते हुए अपने मनोबल को ही दर्शाता है।

मनमुटाव

अच्छे होते कामों के बीच, मनमुटाव अक्सर अपनी हाजिरी लगा देता हैं।

मनुष्य

व्यस्त होने पर मनुष्य का एक रूप होता है और फुर्सत में दूसरा।

मनुष्य

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए एक व्यक्ति विशेष का विवरण उसके दोस्तों, परिवार एवं पड़ोसियों के बिना अधूरा ही रहता है।

मनुष्य

प्रत्येक मनुष्य में यह खासियत है कि वह कोई न कोई काम बहुत अच्छी तरह से कर सकता है।

मनुष्य मानवीय भाषा और उनके हाव-भाव को समझने वाले

पषु-पक्षी ही मनुष्य के मित्र होते हैं।

मनुष्य

जिस तरह से लोग अपनी बुराइयों को नहीं छोड़ते, मनुष्य के पास एक खास बात है कि वह अपनी

अच्छाइयों को भी इतनी आसानी से नहीं छोड़ता।

महत्त्व

लोगों के अनुपस्थित रहने पर ही उनका महत्व याद आता है।

मस्तिष्क

आपके द्वारा कुछ भी पढ़ा हुआ मस्तिष्क की पुस्तक के पन्नों में वृद्धि करता रहता है।

मस्तिष्क

दिन और रात जिन्दगी में घुले होते हैं। अच्छा-बुरा जिन्दगी में घुला होता है और दुख-सुख भी। सभी चीजें आपस में मिलकर या तो विवेकशील मस्तिष्क पैदा करते हैं या विवेकहीन।

मजबूत

नगाड़े को बच्चा धीरे से बजाता है और कद्दावर जोर से। दूर बैठा आदमी इस ध्वनि से समझ लेता है, ये हाथ कितने मजबूत होंगे।

मनगढंत

लहरों को गिनने का दावा करने वाला हमेशा झूठा ही होगा और न ही इसका कभी प्रमाण भी दे पायेगा। अपराधियों के बचाने के लिये अक्सर इसी तरह के मनगढ़ंत झूठों का सहारा लिया जाता है।

मातृभूमि

मातृभूमि ने जो हमें दिया है उसके बाद भी बहुत कुछ होता उसके पास देने को, इसलिए दूर जाने पर भी उसकी याद सताती रहती है।

मातृभूमि

मातृभूमि से मिली जड़ें छोड़कर प्रवास में गए लोगों से पूछिए, उनका आधार कहाँ पर है।

मातृभाषा

लोगों से उनकी मातृभाषा छीनने का प्रयास, उन्हें जबरदस्ती गूँगा ही कर देना है।

मातृभाषा

जब आप दूसरों की मातृभाषा में बोलते हैं तो उनके प्यारे हो जाते हैं।

मातृभाषा

जिन बच्चों के कानों में जन्म से ही मातृभाषा के स्वर गूँजते हैं, वे इसे कभी नहीं भूलते।

मालिक

घोड़ों को पैदा होने से पहले ही उसे मालिक मिल चुका होता है।

मालिक

गाय की जो देख-रेख करता है, उसे ही वह अपना मालिक मानने लगती है।

माहौल अच्छा माहौल सभी को प्यारा लगता है।

मार्ग

किसी भी चीज को पाने की छटपटाहट, आपको उस तक पहुँचने का मार्ग बतला देगी।

माँ

गर्भ में आया बच्चा एक माँ के लिए आजीवन सुख का कारण बनता है।

माँ

माँ की बुरी लगने वाली बातों में भी कोई न कोई अच्छा सबक छिपा होता है।

माँ

माँ अपने लिए खर्च करती है तो पहले बच्चों के लिए कुछ खरीदकर ही।

माँ

माँ अपने कष्ट से समझ जाती है कि गर्भ में मौजूद बच्चे को भी कष्ट है।

माँ

एक माँ जब बच्चों के पीछे भागती है तो यह नहीं देखती कि पाँव में जूती है या नहीं।

माँ

षादी से पहले माँ केवल अपने बेटे की होती है, बाद में बहू की भी।

माँ

दुष्ट बेटे को भी गले लगाने के लिए माँ के हाथ हमेशा बढ़े हुए होते हैं।

माँ

बेटे की मृत्यु से माँ के शरीर का जोड़ टूट जाता है और पत्नी के लिये बहुमूल्य साथी।

माँ

आप थक जाएँ तो मेरे हाथ छोड़ दीजियेगा- बच्चे नहीं कहते कभी माँ से; क्योंकि वे जानते हैं माँ थक जाती हैं उनके हाथ छोड़ते ही।

माँ

एक माँ की तकलीफ पैसों से कम, प्यार से अधिक दूर होती है।

माँ

आधी रात में सफर से लौटे बेटे का देखकर, माँ की आँखों में दिन का उजाला लौट आता है।

मेहनत

एक फल के पीछे लाखों जड़ों की मेहनत छिपी होती है। मेहनत

आप पौधों को गिनते हैं लेकिन छिड़के हुए बीजों को नहीं। इसलिये मेहनत के बाद जो हासिल होता है वह ही आपकी उपलब्धि है, न की मेहनत की मात्रा।

मोह

स्वर्ण आभूषण उनसे नाता नहीं जोड़ पाते जिन्हें इनसे कोई मोह नहीं।

मौत दुर्गम पहाड़ी रास्तों में एक ओर आप चलते हैं और ठीक बगल में मौत भी आपके साथ-साथ चलती है।

मौत

एक बड़ी मौत की सारे शहर में चर्चा होती है, छोटी मौत की सिर्फ गलियों में। इसी से मालूम हो जाता है कि वह आदमी कितने बड़े कद का था। लेकिन जब सारा देश चर्चा नहीं बल्कि शोक करता है, तब मालूम होता है, उसका कद बड़ा नहीं बल्कि महत्त्वपूर्ण था।

मौत

मौत को आने के लिए खुले दरवाजे की कोई आवश्यकता नहीं है।

मौसम

अचानक मौसम बदलेगा और वह आपको अपने ठंडे, गीले या गर्म हाथ थमा देगा।

मौत

जिस घर में मौत हुई है वहाँ की रोशनी भी अंधेरा ही बिखेरती है।

मौत

जिन्दगी की सबसे काली रात है, किसी प्रिय की मौत।

मौन

मौन का अभ्यास आपमें सोच समझकर बोलने की प्रवृत्ति को विकसित करता है।

मूर्ख मूर्ख, दी गयी चेतावनी दो पल में तोड़ देते हैं।

मूर्ख

अधूरे कामों से कुछ पाने की इच्छा केवल मूर्ख ही करते हैं।

मूर्ख

मूर्ख लिखे हुए को पढ़कर नहीं बल्कि छूकर जानना चाहते हैं।

मूर्खता

आप मूर्खों को पूरी तरह से दूर नहीं कर सकते, उनकी मूर्खता थोड़ी-बहुत झेलनी ही पड़ेगी।

मूर्खता

अनुभव दुर्ग के भीतर रखी एक सम्पदा है, इसका

सुरक्षा घेरा तोड़कर इसे पाने का प्रयास मूर्खता है।

मूर्खता

सैनिक के परिवार में हिम्मत की शिक्षा देना बेकार है, जो खेत फसलों से भरे हैं वहाँ अब बीज छिड़कना मूर्खता है। सूरज से धूप कम या तेज करने का आग्रह अज्ञानता है। जिस भूमि पर केवल मूर्खता ही पनपती है, वहाँ ज्ञान- रोपण का प्रयास बन्दरों को बातचीत का लहजा सिखाने जैसा ही है।

मूर्खता

कच्चे फलों को तोड़ने की मूर्खता पशु-पक्षी भी नहीं करते।

मुखिया

जब आप सचमुच बहुत सारे लोगों की चिन्ता करते हैं तो आपमें जरूर एक मुखिया का गुण है।

मुखिया

परिवार की देख-भाल को सजा नहीं, अपना दायित्व समझने वाला ही घर का मुखिया होता है।

मुश्किले

मुश्किलें जब आने लगती है तब महसूस होता है कि सही रास्ते का चुनाव नहीं किया गया और हम फँस गए हैं। लेकिन यह फँसना पिंजरे में फँसने जैसा नहीं है बल्कि हम आजाद हैं और यह तय है कि हमारी छटपटाहट ही कोई न कोई उपयुक्त रास्ता जरूर निकाल लेगी।

मुश्किल

दो कागज पर एक साथ लिखने जैसा मुश्किल काम है दो प्रेम को एक साथ निभाना।

मुश्किल

अधिक समय बीतने पर, वादों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।

मुखौटा

जिसने स्वंय पर श्रेष्ठता का मुखौटा लगा रखा है, उसे दूसरे क्या राय देंगे?

मुसीबतें

मुसीबतें इतनी निर्दयी नहीं है कि केवल आपको मार कर ही छोड़ेगी, हो सकता है जाते-जाते आपको कुछ बनाकर ही जाए।

मुलाकात

व्यस्त लोगों को एक छोटी सी मुलाकात में ही प्रभावित करना होता है।

मुस्कान प्रेमपूर्वक मिलाया गया हाथ, आप के चेहरे पर मुस्कान

छोड़ जाता है।

मूल्यवान

पति-पत्नी का सुख मूल्यहीन होकर भी अत्यंत मूल्यवान है।

मूल्य

सस्ते सौदे के लिए बहुत सारे हाथ उठ जाते हैं और बेहद मँहगे के लिए सारे लुप्त। व्यापारी इसी तरह की खींचातानी के बाद तराजू की डंडी सीधी होने पर बेचने का सही मूल्य क्या होगा समझ पाता है और सौदे करता है।

मूल्य

पौधे अपनी सेवा का मूल्य जरूर चुकायेंगे, लेकिन थोड़े समय के बाद।

मूल्य बांस से बाँसुरी बना देने पर उसका मूल्य बढ़ जाता है।

मंत्रणा

घर स नाराज लोग दोस्तों के पास मंत्रणा करने जरूर जाते हैं।

मिट्टी

जहाँ मन रम जाता है वहाँ की मिट्टी भी मस्तक पर

शोभा पाने लगती है।

मिट्टी

जो अपनापन आपकी मिट्टी देगी, वह कोई दूसरा नहीं देगा।

मिट्टी

गाँव की मिट्टी में जो खुशबू है वही लोक भाषा में भी है।

यातना

जरूरी काम समय पर नहीं करने का नुकसान तो हम उठा चुके होते हैं, लेकिन इसका पछतावा भी हमें बाद में यातना देने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

यातनाएँ

जहाँ इच्छाएँ ढृढ हैं, कष्टों का पैमाना सिकुड़ने लगता है, इस वक्त आदमी नहीं रोता, ये यातनाएँ रोती हैं।

यात्रा

यात्रा करते-करते आपके पाँव थक सकते हैं लेकिन मन नहीं। यात्रा अच्छी यात्रा का सुयोग कठिनाई से ही मिल पाता है।

यात्रा

एक यात्रा में सुख के क्षण कम होते जाते हैं, जब काम की परेषानियों को आप साथ लेकर चलते हैं।

यात्रा

पहाड़ों की यात्रा में जबतक आप उसके उच्चतम शिखर

पर नहीं पहुँचते-आपको संतोष नहीं होता है।

यात्रा

कुछ भी मत कीजिये, केवल यात्रा कीजिये, धीरे-धीरे आप गुणी होते जाएँगे।

यात्रा

एक यात्रा से जो मिलता है वह इतना विशाल होता है कि उसे केवल आपका मन ही धारण कर सकता है, दुनिया की कोई दूसरी चीज नहीं।

यात्री

अच्छे यात्री नये शहर को केवल देखकर नहीं, उससे

बातें भी करके लौटते हैं।

याद

थक जाने पर घर की अत्यधिक याद आने लगती है।

याद

हमेशा पुराने दिनों को याद करते रहने से, आपके नये दिन कभी नहीं आते।

योजना

योजना एक के द्वारा बनाई जाती है, बहुत सारे लोगों से उसे पूरा किया जाता है, इसका लाभ अनगिनत

लोगों द्वारा उठाया जाता है।

योजनाएँ

सबसे अच्छी रात हो सकती है जब चोर सोये हों। वह सबसे अच्छा दिन हो सकता है जब चोरों के दिमाग में योजनाएँ सो रही हों।

योग्यता

कभी-कभी बड़ी योग्यता वाले लोगों को भी छोटे-छोटे काम करने पड़ते हैं; क्योंकि उन्हें अभी पहचाना नहीं गया है। अगर पहचाना भी गया तो उनसे योग्य लोगों को पहले मौका दिया जाता है, इन्हें बहुत बाद में।

योग्यता

एक योग्य व्यक्ति को अपनी योग्यता सिद्ध करने के मौके बार-बार मिलते हैं।

युक्ति

कोई न कोई युक्ति अभी भी बची होती है, जो आपकी हार को जीत में बदल दे।

रफ्तार

जो काम जानते हैं वे प्रश्नों के उत्तर रफ्तार से दे लेते हैं।

रस्सी

रस्सी को उलझा देना मूर्खता है लेकिन इसे उलझने से बचाये रखना बुद्धिमानी है।

रक्त दाता रक्त दाता समाज में भाई-चारे का संदेश फैलाते हैं।

राह

जो चीजें हमारे हाथ में नहीं होती, हम केवल उसके आने की राह देख सकते है।

राज्य

अपराधियों को ढूँढ़ने के लिये उनके ही राज्य में जाना होगा। राज्य

डालियाँ काटों को पनाह देती है और फूलों को भी; एक राज्य के साथ ऐसी मजबूरी हमेशा जुड़ी रहती है।

रास्ता

सफलता का रास्ता वही है जो आपने अपने भीतर बनाया है तथा जिसे केवल आप ही जानते हैं।

रास्ता

जब आप एक ही साधन पर सबसे अधिक विश्वास रखते हैं तो फिर सबसे सही रास्ता आपसे दूर हो जाता है।

रास्ता

निरन्तर काम में लगे लोगों को कोई न कोई अच्छा रास्ता जरूर मिल जाता है।

रास्ता

जहाँ रास्ते बंद होते हैं, ठीक उन्हीं की बगल से एक नया रास्ता निकलता है, आपको मंजिल तक पहुँचाने के लिए।

रास्ते

नये रास्ते हमेशा एक अजनबी की तरह व्यवहार करते हैं। रास्ते

रास्ते तो हमेशा टेढ़े-मेढ़े ही मिलेंगे, लेकिन उन्हें पार किया जाएगा सीधे चलकर ही।

रास्ते

हमारे रास्ते वे नहीं होते जो सभी को दिखलाई देते हैं; बल्कि वे होते हैं जो केवल हमें दिखलाई देते हैं, तभी हम आगे बढ़ पाते हैं।

रास्ते

जो रास्ते कंटीले होने पर भी शीघ्रग्रामी होते हैं, उनका अनुकरण करने में लोग हिचकते नहीं हैं।

रास्ते

जो रास्ते आसान होंगे, वहाँ हमेशा भीड़ दिखाई देगी और मुश्किल रास्ते हमेशा सुनसान।

रास्ते

सभी कार्यों को सम्पन्न करने के लिए रास्ते हैं एवं उपाय भी। जो उन्हें जानता है वह उसमें लग जाता है, दूसरे चुपचाप बैठे रहते हैं।

रास्ते

पारदर्शी काँच से रोशनी तो प्रवेश कर जाती है लेकिन हवा केवल दस्तक देती रह जाती है। इसलिए जो रास्ते एक के लिए सुगम होते हैं, दूसरे उनका अनुसरण करके धोखा खा जाते हैं।

राजनीति

राजनीति सबसे कठिन धर्म है; क्योंकि लोग सिर्फ एक बार के उपकार से संतुष्ट नहीं होते, वे बार-बार किसी जल-स्रोत की तरह उससे उपकार की आकांक्षा रखते हैं।

रात

रात को न कोई ढक सकता है और न ही दिन को। इनसे दूर जाने के लिए अपना मुँह ही ढकना पडेगा।

रोटी

जिन्हें रोटी में सबसे अच्छा स्वाद मिलता है, फिर उन्हें पकवान पसन्द नहीं आते।

रिश्ता

आबादी हीन भूमि का कोई भाग्य नहीं, खुले लावारिस पशुओं का कोई मनुष्य दोस्त नहीं, कीट पतंगों की ओर कोई नहीं भागता। जो दुष्कर एवं दुर्लभ है उसे ही पाने की होड़ है यहाँ। साधारण चीजों से नहीं जोड़ता कोई

भी रिश्ता कभी। रिश्ते

रिश्ते केवल बातों से प्रगाढ़ नहीं होते, इसके लिए उपहारों का आदान -प्रदान भी जरूरी है।

रोजगार

इधर रोजगार बढ़ता है उधर देश की समस्या कम होती जाती है।

रोजगार

रोजगार बढ़ाकर, आप अनेक परिवारों का प्रेम पा सकते हैं।

रोजगार

श्रमिक से अधिक उसके परिवार की खुशी रोजगार में प्रवेश करती है।

रोजगार

जो आज आप से रोजगार पाते हैं, कल दूसरों को रोजगार देने लायक बनते हैं।

रोजगार बीज से बीज निकलता है और रोजगार से रोजगार।

रोशनी

रोशनी के कम होने पर कोई न कोई दीये में तेल

डालने वाला आ ही जाता है।

रोशनी

लगातार रोशनी डालने पर ही छिपी हुई चीजें स्पष्ट होने लगती हैं।

रोशनी जिनके पास रोशनी है, अंधेरा उनके आड़े नहीं आता।

रुकावटें

रुकावटें आपकी सफलता की गति को रोकती है लेकिन अनुभव बटोरने के लिए समय भी देती है। रुचि

कभी-कभी लोग हमसे बड़े और बहुत सारे काम करवा लेते हैं; क्योंकि वे हमारी रुची के अनुसार ही हमें काम देते हैं।

रुचि

हर आदमी में काम सीखने के बाद अपने ढंग से उसे करने की रुचि एवं प्रवृत्ति होती है।

लगाव

जिस काम से हमें लगाव है और हमें लगता है कि इसे अभी तुरंत कर सकते हैं तो फिर हम नींद से भी जाग उठते हैं।

लज्जा

एक सास का सबसे बड़ा अनुशासन होता है, उसकी बहू का लज्जा को न त्यागना।

लगन

आपकी अत्यधिक लगन, विषयों के छिपे हुए अनेक पहलुओं को टटोलने लगती है।

लपटें

इस तरह न बोले की जुबान से लपटें उठे बल्कि इस तरह बोलें की दूसरों को यह ठंडक पहुँचाए।

लाभ आप लोगों को स्थायी लाभ की चीजें देकर ही अपनी

ख्याति को स्थायी कर पाते हैं।

लाभ लोगों की परेशानी का सबसे अधिक लाभ साधू, तांत्रिक,

ज्योतिषी, एवं ओझा आदि उठाते हैं।

लाभ असल लाभ वहीं है जो दूसरों को भी लाभ पहुँचाये।

लोभ

कुछ पाने का लोभ सभी को होता हैं, खोने का किसी को नहीं। लेकिन वे यह नहीं समझते कि कुछ पाने का मार्ग शनैः शनैः, खोते हुए ही पाया जाता है।

लोभ

लोभ केवल अपना स्वार्थ देखता है परमार्थ नहीं।

लोभ

सुखी जीवन और अत्यधिक लोभ एक साथ नहीं रह सकते हैं।

लोभ

अत्यधिक लोभ पनपने से दो मित्रों के बीच एक दीवार

खड़ी हो जाती है।

लोभी

अति लोभी को अपने स्वार्थ की सुरक्षा के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सूझता।

लोभी

लोभी अपनी इच्छा को हमेशा दूसरों के सामने किसी न किसी रूप में रखने की चेष्टा करता है।

लोग सफेद बालों से लोग जितना घबराते हैं, उतना अपनी

झुर्रियों से नहीं।

लोहार

एक लोहार लोहे की कूबत को जितनी अच्छी तरह से जानता है, दूसरा कोई नहीं।

लोकप्रियता

सच्ची लोकप्रियता जंगल, झरनों, पर्वतों, बाग-बगीचे जैसे प्राकृतिक स्थलों के पास हैं, ये किसी को बुलाते नहीं, लोग वहाँ तक खुद ब खुद चलकर जाते हैं। लेखन

लेखन की दृढ़ इच्छा से ही अच्छे शब्द कागज पर उतर कर आते हैं।

लेखक

एक लेखक को अपने लिखे पर विश्वास रहता है, लेकिन दूसरे इस पर विश्वास करेंगे या नहीं इस बात का संशय भी।

लेखक

बड़ा लेखक दो शब्द लिखता है और लोग उसका विस्तार कई पन्नों में कर देते हैं।

लेखक

आरम्भ में लेखक को कल्पना की एक छोटी सी ही सीढ़ी मिलती है, जिसका विस्तार वह आसमान तक कर लेता है।

वाणी

आप सौंदर्य प्रसाधनों से चेहरे को खूबसूरत बना सकते हैं, लेकिन आपकी वाणी को नहीं।

वासना वासना अपना काम पूरा होने पर शून्य हो जाती है।

वासना वासना का अन्तिम छोर रिक्तता है।

वासना

वासना से भरे पाँव रिक्त होने के बाद ही पीछे की ओर मुड़कर देखते हैं।

व्यवस्था काबिल व्यक्ति के जब पाँव चलने लगते हैं तो व्यवस्था एक नया मोड़ ले लेती है।

व्यवसाय

एक व्यवसाय में भूमी, पूँजी, श्रम, ऊर्जा, मषीनों आदि सभी को एक साथ मथने पर ही लाभ निकल कर आता है।

व्यवसाय

जब फायदा खुश होकर देखा जाता है और नुकसान आँखें बंद करके; यही व्यवसाय की विफलता का कारण बन जाता है।

व्यवसाय

आमदनी कम और किया जा रहा खर्च अधिक हो तो मूलधन बीमार होने लगता है और सारे व्यवसाय का रक्त-प्रवाह सुस्त पड़ने लगता है। व्यवसाय

व्यवसाय में हो रहे नुकसान की सूचना अचानक मिलती है, जबकि यह हो रहा होता है बहुत पहले से।

व्यवसाय

व्यवसाय में नुकसान का भय किसी न किसी नयी

व्युक्ति को जन्म देता है।

व्यवसायी

व्यवसायी सभी को संतुष्ट नहीं कर सकता। वह उन्हें ही संतुष्ट करता है, जिन्हें करना जरुरी है।

व्यवसायी

बीज छिड़कने के बाद वह जमीन के वश में हो जाता है और तनख्वाह चुकाने के बाद काम व्यवसायी के हक में।

व्यवसायी

एक व्यवसायी को चारों तरफ व्यवसाय दिखता है, जैसे पक्षियों को असंख्य भोजन के स्रोत।

व्यवसायी

एक स्रोत से भी भूखा संतुष्ट हो जाता है; लेकिन

व्यवसायी अनगिनत व्यावसायिक स्रोतों से भी नहीं।

व्यवसायी जो व्यवसायी स्वयं अपने एवं लोगों के श्रम, पूंजी, भवन, मशीनों, भण्डार, आदि की गति एवं स्थिति के एक-एक पल का हिसाब रखते हैं, वे ही सही उद्यमी होते हैं।

व्यवसायी

एक व्यवसायी पहले ढेर सारी चतुराई को सीखता है फिर उन्हें स्मरण में रखते हुए ईमानदारी से न्यायपूर्वक उन्हें बार-बार युक्ति के रूप में लागू करने के बाद ही वह एक बहुत बड़ा उद्यमी बन पाता है।

व्यवसायी

जो व्यवसायी किसी का काम अपनी वजह से रुकने

नहीं देते, बाजार में उनकी शाख गहरी होती जाती है।

व्यवसायी

एक अच्छे व्यवसायी में अपने लाभ को अपने लोगों में बाँटने की प्रवृत्ति होती है।

व्यवसायी अनेक आय स्रोतों को स्थापित कर लेना, एक

व्यवसायी की बहुत बड़ी उपलब्धि होती है।

व्यवसायी

व्यवसायी, लोगों से काम निपटाने की उम्मीद रखते हैं, प्रयास करने की नहीं। प्रयास वहाँ किये जाते हैं जहाँ काम अभी सीखे जा रहे हैं।

व्यापार

व्यापार धीमा पड़ता, हानि की गति बढ़ती है।

व्यापार

व्यापार में उधार उन्हीं को मिलता है, जिनमें लाभ कमाने की दक्षता होती है।

व्यापार

व्यापार में बहुत तेज दौड़ने का प्रयास करने वाले गड्ढों के सामने सम्भल नहीं पाते हैं।

व्यापार

व्यापार में भावनात्मक रिश्तों के लिये कोई स्थान नहीं है।

व्यापार

आप लाख यत्न कर लें लेकिन व्यापार में हानि का अंश नाखून की तरह थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ता ही रहेगा।

व्यापार

अपने व्यापार से संबंधित वस्तुएँ ही व्यापारी को बाजार में सबसे अधिक दिखायी देती है।

व्यापार

नाखुश कर्मचारी व्यापार की धार को कमजोर करने का प्रयास करता है।

व्यापार

व्यापार में कूदने के बाद सदैव हाँथ-पाँव हिलाते रहना होगा; आपकी स्थिरता एक अपूरणीय क्षति में बदल जाएगी।

व्यापार

गोपनीयता सूत्र है व्यापार का, वही नहीं रहा तो फिर बचा क्या।

व्यापार जैसे एक-एक अक्षर कागज पर लिखा जाता है। वैसे ही

एक के बाद एक काम पूरे किये जाते हैं व्यापार में।

व्यापारी

एक कुशल व्यापारी केवल ग्राहक की जेब को पहचानता है।

व्यापारी

कुशल व्यापारी वही बात करता है जिससे उसका लाभ हो, नुकसान पहुँचाने वाली बातों में चुप हो जाता है। व्यापारी

प्रतिद्वंद्वी कब और कहाँ से आएँगे, यह एक व्यापारी के वश में नहीं होता।

व्यापारी

व्यापारी उस धारा का उद्गम है जिससे पूरे व्यापार को आगे बढ़ने के लिए वेग मिलता है।

व्यापारी

चतुर व्यापारी जल्दी ही समझ जाता है कि कौन से ग्राहक के पैसे उसकी ओर आ सकते हैं।

व्यापारी

एक दवा का व्यापारी ही ठीक से जानता है, बीमारियों के अनगिनत रूपों को।

व्यापारी

व्यापारी नदी के दूसरे छोर को निहारते नहीं हैं बल्कि उसे छूना चाहते हैं।

व्यापारी

एक कुशल व्यापारी की दस अँगुलियाँ, एक साथ दस तरह का काम करती हैं।

व्यापारी

जिन कार्यों से लाभ की सम्भावना अधिक रहती है, उनकी देख-रेख व्यापारी सबसे पहले करता है।

व्यापारी

हर तरह की सूझ-बूझ को हथियार बनाकर लड़ता है

एक व्यापारी।

व्यापारी

नुकसान का शुरू होना, भगदड़ मचा देता है व्यापारी में।

व्यापारी

प्यासे को पानी के बाद क्या चाहिये, यह व्यापारी ही समझते हैं।

व्यापारी

एक कुशल व्यापारी की रुचि हमेशा महत्वपूर्ण कामों की ओर होती है।

व्यापारी

अच्छी बिक्री ही व्यापारी की थकान को दूर कर पाती है। व्यथित

माली का एक गमले में भी पानी देना छोड़ देना, मन को व्यथित कर देता है।

व्यक्ति

एक जिम्मेवार व्यक्ति को बहुत सारे लोगों को भार अपने सिर पर रखकर बढ़ना होता है। व्यक्तित्व

हमारी बातें हमारे व्यक्तित्व के ताले की चाभी है, इन्हें सुनते ही आदमी की पूरी गहराई का पता चल जाता है।

व्यवहार

शांत चित्त का व्यक्ति हमेशा आपसे अच्छा व्यवहार ही करेगा ।

व्यायाम

अच्छे व्यायाम के बाद ही शरीर सबसे आराम की स्थिति में पहुँच पाता है।

विश्वसनीयता

जब हम अपनी मन की गति की तरह अपने काम बदलते रहते हैं तो हमारे द्वारा किये गए बहुत सारे अधूरे कामों की शृंखला छिन्न-भिन्न जंजीर की तरह दिखाई देती है, जो अपनी विश्वसनीयता खो चुकी होती है।

विश्वसनीयता

लोगों के हित में संघर्षशील व्यक्ति की विश्वसनीयता अपने आप बढ़ती जाती है।

विरोध

प्रत्येक विरोध हमारे ऊपर काबिज होने से पहले चेतावनी एवं सुलह का एक मौका जरूर देता है।

विस्तार

नयी चीजें शुरुआत में अपना पोषण दूसरों से माँगती है लेकिन स्थिरता आ जाने पर अपना विस्तार स्वयं करने लगती है।

विशेषज्ञ

जिस काम को दो विशेषज्ञ चाहिए। उसे एक से कराने की जिद करना समय तथा सामग्री दोनों को नष्ट करना है।

विशिष्टता

अगर आदमी सिर्फ अपनी एक विशिष्टता का भी सौदा करके प्रचुर धन कमा लेता है तो वह सफल है।

विशिष्टता

आप पैसा कमाने, नाम कमाने या कोई बड़ा आदमी बनने की सोच से हटकर सिर्फ अपने में कोई विशिष्टता पैदा करने की सोचे तो उपर्युक्त सारी चीजें आपको जरूर हासिल होंगी।

विचार

विचार नींद के साथ सो जाते हैं और जागने पर फिर से जाग जाते हैं। लेकिन जो जागते हुए भी निद्रा के अधीन रहते हैं, उनके विचार भी सोये हुए रहते हैं।

विकास

राष्ट्र के औद्योगिक विकास के लिए लोगों को एक साथ बहुत सारी नयी-नयी चीजें, सीखनी और करनी पड़ती हैं। विधवा

विधवा दुनिया की सबसे संघर्षशील महिला होती है। इसे हर दिन अपने खोये हुए सुख को पाने के लिए चेष्टा करनी पड़ती है।

विधुर

एक विधुर को अपनी पत्नी की याद बहुत आती है, जब उसकी बहू को मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं होता।

विकल्प

जब बहुत सारे विकल्प हों तो प्रेम भी चतुराई से श्रेष्ठ से संबंध जोड़ने की कोशिश करता है।

विदाई

माँ छोटे बच्चे को स्कूल जाते समय, किसी बड़े सफर में जाने जैसी ही विदाई देती है।

विष साँप के मुँह में विष होता है और आदमी की जीभ में

क्रोध।

विलम्ब नशा हर काम में विलम्ब कराता है।

विलम्ब

अच्छे निर्णयों को विलम्ब से बचाकर ही द्रुतगति प्रदान की जाती है।

विकल्प अगर आप में आत्मविश्वास है तो वह काम करने के बहुत सारे विकल्प पैदा करता जाएगा।

विद्वत्ता

किसी चीज को प्राप्त करने की अत्यधिक चाहत उससे संबंधित विद्वत्ता आपमें भरती जाएगी।

विद्वान

जहाँ विद्वान जुटेगें वहाँ मूर्खता भरी बातें नहीं होंगी।

विज्ञान

विज्ञान हर छोटी बात को भी सोचने के लिए मजबूर करता है।

विवाह

एक नाबालिग का प्यार विवाह के अलावा कुछ भी नहीं सोचता है।

विश्वास

जो आप पर अत्यधिक विश्वास करते हैं, उन्हें अपने इशारों में नचाना बहुत बड़ी भूल होगी।

विचार

एक ही विचार पर आस्था रखने वाले साथ-साथ चलते हैं।

विवाद

हर चीज में विवाद पैदा करने की गुंजाइश है और हर विवाद को भी सुलझा लेने की गुंजाइश है।

विवाद

जिनसे आपका विवाद होता है उनको आपकी अच्छी सलाह भी समझ में नहीं आती है।

विवाद किसी भी तरह का विवाद आपको रोगी बना देता है।

शक्ति

शक्ति के लिए लालायित लोग शक्तिशाली लोगों से सम्पर्क स्थापित करना चाहते हैं। जबकि जो खुद शक्तिशाली हैं वह कमजोर समूह को अपने निकट रखना पसन्द करते हैं।

शत्रु

दो पक्षों के आपस में जुड़ने में बाधा पहुँचाने वाला दोनों के लिए शत्रु हो जाता है।

शब्द

लिखने की शुरुआत हमेशा ऊपर के हिस्से से होती है और शब्द धीरे-धीरे नीचे के तलों की ओर लौटते हुए पन्नों को भर डालते हैं। हर योजनाए इस तरह से गहराई की ओर खुलती है और निर्माण के लिये

धीरे-धीरे अपने में प्रवेश करती है।

शक लोगों पर शक करने से उनमें सजगता आ जाती है। शरीर

कोई ऐसा शरीर नहीं है जहाँ रोग नहीं है और नहीं कोई ऐसा मन जहाँ विकार न हो।

शहर

एक पुराने शहर से अनगिनत पीढ़ियों का पदचाप सुनाई देता है।

शहर

एक ऐतिहासिक शहर में उसका बुढ़ापा और जवानी साथ-साथ दिखेंगे।

शहर

एक औद्योगिक शहर धीरे-धीरे सुन्दर पक्षियों की तादाद से अपने को वंचित करता जाता है।

शहर

शहर से बाहर होने पर, शहर आपको ढूँढ़ता है और आपकी यादें शहर को।

शरीर उत्साह के बिना शरीर गतिशून्य हो जाता है। शरीर

हँसते रहने से शरीर के जख्मों को आराम मिलता है, रोते रहने से वे हरे के हरे ही रहते हैं।

शरीर

शरीर के भीतर का दर्द, बाहर आकर उपद्रव करता है।

शरीर

सताये जा रहे लोगों के स्वर में एक पीड़ा होती है जो जीभ से नहीं पूरे शरीर के द्वारा प्रेषित होती है।

शरण

सफेद दीवारों में कोई रंग नहीं होता, वे उदासीन और सुस्त सी लगती है लेकिन सारे चित्रों को उभारने के लिये आपको इन्हीं की शरण लेनी होती है।

शासक

प्यादों की कमजोर चाल से ही शासक की प्रशासनिक

क्षमता का आभास लग जाता है।

शादी

शादी तय होने के साथ लोग सपना देखना शुरू कर देते हैं, शादी हो जाने के बाद सपने से वापस लौटना शुरू कर देते हैं।

शांति

हम पाँव छूकर लोगों को अपने उद्गार बाँटते हैं, माथे पर तिलक लगा कर श्रद्धा, कमर में शस्त्र बाँधकर मर्यादा, मस्तक को पगड़ी पहनाकर आदर और चुप

रहकर शांति बाँटते हैं चारों ओर।

शांति

प्रकृति की शांति को महसूस करने के लिये आपको भी उतना ही शांत होना पड़ेगा।

शांति

एक अभिभावक परिवार को संतुष्ट करके ही शांति की नींद सो पाता है

शंका

दरवाजे आधी रात में घर लौटने वालों पर शंका की दृष्टि रखते हैं।

शंका

डर लोग हमेशा दूसरों को शंका की दृष्टि से देखते हैं।

शांत

मन जब बिल्कुल शांत हो, तब उसके भीतर झाँककर अपना जमा किया हुआ ज्ञान का खजाना देखा जा सकता है।

शोर

समुद्र की लहरों में शोर नहीं संगीत होता है।

शैली

बहुत सारे लोग एक ही शैली में काम करते हुए दिखाई देते हैं, फिर भी उनमें समानता नहीं है क्योंकि विचार, गति, सामर्थ्य, बुद्धि, श्रद्धा का जोर सभी में अलग-अलग तरह से हावी हैं।

शोभा

खट्टे संतरों के पेड़ से सभी दूर रहते हैं, घुन लगे अन्न त्याग दिये जाते हैं और बीमार पशु आरामगाह की

शोभा बढ़ाते हैं।

शोक हारी हुई चीज के शोक को छोड़कर हमेशा एक नयी शुरुआत करनी चाहिये।

शोक

दो कमीज एक साथ नहीं पहनी जा सकती, इसलिये उतारे हुए का शोक नहीं करना चाहिये।

शिक्षा

शिक्षा की भूमि पर ही गर्व उपजता है।

शौक आलसी लोग यात्रा का शौक नहीं पालते हैं।

शौक

अपना बड़प्पन दिखाने का शौक भी आदमी को बहुत सारी उलझनों में डाल देता है।

शौक

यह हाथियों को वश में करने का ही शौक है, जो किसी को महावत बना देता है।

शिकारी

पक्षियों की समस्या का निपटारा, शिकारी कैसे कर सकते हैं?

शिकार

शिकार के समय शेर के पंजों में अद्भुत बल दिखाई देता है और हिरण के पैरों में अद्भुत वेग।

शुरुआत

काम की शुरुआत तो कोई भी कर देता है, मुश्किलें तो गड्ढे में उतरने के बाद शुरू होती है।

समानता

अनन्त लोगों ने जीवन जीया है इस धरती पर, किंतु किसी एक में भी समानता नहीं रही।

सक्षम

आप चाहे कितने भी सक्षम क्यों न हो, एक बार में

केवल एक ही सफर पर जा सकते हैं।

सहयोग

आपका रत्तीभर सहयोग भी हो सकता है, सफलता का

पलड़ा मित्र की ओर झुका दे।

समाधान

सभी समस्याओं का समाधान है लेकिन हठी लोग समाधान नहीं, समस्या को बनाये रखने में खुश रहते है।

स्वाद

जल स्वर्ण पात्र में रखकर पीने से भी वही स्वाद देता है।

समूह

काम को अच्छी तरह से करने वाले समूह में उसे

उलझाने वाले लोग भी मौजूद होते हैं।

सफलता

नये लोग अपनी प्रारम्भिक सफलता को ही बहुत बड़ी सफलता मान लेते हैं।

समय

जब हम अनुशासित हो जाते हैं तो हमारा समय भी हमारे अनुसार ही चलता है।

समय

हमें सही ढंग से समय का उपयोग करना चाहिये वरन् एक दिन समय गँवाने की सजा हमें मिलने ही वाली है।

समय

समय की कोई कीमत नहीं होती लेकिन इस समय से जो हमने पाया है, उसकी अवश्य एक कीमत होती है। समय

भिक्षुओं के लिये सुबह का काल बहुत महत्त्वपूर्ण होता है; क्योंकि पुण्य करने वाले इस समय अधिक गतिशील होते हैं और भिक्षा पाने के लगातार अवसर मिलते रहते हैं। जो लोग इस तरह के महत्त्वपूर्ण समय को पहचानते हैं वे हमेशा लाभान्वित होते हैं।

समय

समय उन्हें हाथ का सहारा देकर गति देता है, जिनमें उसके साथ चलने की ऊर्जा और शक्ति होती है। समय उनका साथ छोड़ देता है जो अभी उसके साथ चलने में अयोग्य है।

समय

आपको अपने समय का मूल्य खुद ही लगाना होता है।

समय

योजना के अभाव में हमारे घोड़े बंजर भूमि पर ही दौड़ते रहते हैं। अंत में हम और हमारे सारे लोग थक जाते हैं और गुजरा हुआ समय हम पर हँसता हुआ दूर चला जाता है।

सपना

आपका एक सपना पूरा होता है, दूसरा सामने खड़ा होता है और तीसरे के लिए इच्छा उपजती रहती है।

सपना सबसे अच्छा सपना वही है जो वास्तविकता दिखलाये।

सपना

आपका सपना सच हो सकता है, बशर्ते आपने इसे दिन में देखा हो।

सच

सच कटु होता है, फिर भी लोग सच ही सुनना पसन्द करते हैं, बजाए झूठ के।

समुद्र

समुद्र बड़ा धनवान है, अपना ढ़ेर सारा पानी दिखलाता है, लेकिन उसे पीने नहीं देता।

साधारण

बिना अनुभवों के केवल साधारण सी बातें, ही बड़ी आसानी से लिखी जाती है।

सामंजस्य

नयी जगह पर काम करने वालों को दो काम एक साथ करने होते हैं। पहला नये वातावरण एवं नये लोगों से सामंजस्य बैठाना, दूसरा साथ-साथ अपने काम भी पूरे करते रहना।

सच्चाई

इतिहास हमें जानकारी देता है और उसके अवशेष उसकी सच्चाई पर हमें भरोसा दिलाते हैं।

सरलता

जटिलता से छूटने के बाद ही आप सरलता को अच्छी तरह से समझ पाते हैं।

समुदाय

जिस समुदाय में आपस में मिलकर रहने की प्रवृत्ति होगी वह कभी सिकुड़ेगा नहीं।

स्वर कौओं से कड़वे स्वर सुनने हो तो उन्हें थोड़ा सा

धमकाइये। सत्य

सत्य जब बोला जाता है, बहुत कम शब्दों का सहारा लेता है।

सहयोग

जब आप दूसरों को किसी भी प्रकार से यह महसूस करा पाते हैं कि आपको सचमुच उनके सहयोग की जरूरत है, तभी यह आपको मिल पाता है।

समीक्षा

किसी भी रचना की सच्ची समीक्षा होने पर उसका अच्छा और बुरा स्वरूप निखर कर सामने आ जाता है।

समुद्र

समुद्र से गहरी चीज नहीं लेकिन मन अपने कल्पनालोक से इससे भी बड़ी गहराई पैदा कर लेता है।

समर्पण

प्रेम के बिना समर्पण नहीं और समर्पण के बिना कोई प्रेम नहीं। इस दुनिया में चीजों को एक साथ कई सम्बन्धों से बाँधकर रखा गया है।

सद्बुद्धि

सद्बुद्धि वाले लोग स्वजनों से अपमानित होने पर उनसे अलग हट जाना चाहते हैं लेकिन उनका अहित नहीं सोचते।

सपना

लोगों को सपना मत दिखाईये; बल्कि उन्हें सपने से वास्तविकता में लाईये।

सर्तकता

सही तौल कर देने में जितनी सतर्कता और ईमानदारी चाहिए उतनी ही शीर्ष की ओर बढ़ने की इच्छा रखने वाले में।

सतर्क

चाहे धार हो या काँटे, जहाँ भी पैनापन होता है, मनुष्य उससे थोड़ा सतर्क हो जाता है।

सफल

कई आगे बढ़ते हैं, कई आगे बढ़कर पीछे लौटते हैं। सफल वही हैं जो पहले ही सोच समझकर आगे बढ़ते हैं।

सजगता

दुर्गम पहाड़ियों की यात्रा; सजगता का आभास हमें हर पल कराती रहती है। सहारा

अतृप्त मन कभी अकेला नहीं रह सकता, वह हमेशा

दूसरों का सहारा ढूँढ़ता रहता है।

समस्याएँ

सारी रात जागने वाला दिन की नींद चाहता है, जहाँ अभी प्रेम उदित हो रहा है वह प्रेमी तलाशता है, तो बैल सुस्ताने के लिये नियंत्रण से मुक्ति। सभी समस्याएँ पैदा होते ही अपना हल माँगती हैं।

समस्या

एक समान समस्या से ग्रसित लोग ही दूसरों के लिए अच्छी तरह से लड़ पाते हैं।

समस्या

जब आप समस्या को सुलझा नहीं पाते, वह दूसरों के हाथों में चली जाती है।

समस्या

आपका किसी एक बात पर अड़े रहना ही अपने आप में एक समस्या है।

समस्या

जो अपनी समस्याओं में ही उलझे हुए हैं, उन्हें दूसरों की समस्या कभी दिखलाई नहीं देती है। सहनशील

सहनशील लोगों को पानी की तरह कितनी बार ही

उबलिये, फिर भी पीने योग्य बने रहेंगे।

सहृदयी

बीमार के सामने बैठा प्रत्येक व्यक्ति उसका सहृदयी होता है।

सम्मोहन

शब्दों की सजावट-बनावट एवं उसमें निहित ध्वनियाँ सम्मोहन की तरह गुंजित होकर अपना प्रभाव डालती हैं।

सफलता

एक बड़ी सफलता बहुत सारी छोटी-छोटी सफलताओं का समूह ही है। सफलता

सफलता आपकी दस्तक को आज नहीं तो कल जरूर सुनेगी।

संसार

इस संसार की बड़ी-से-बड़ी खोज भी पक्षियों का एक तिनके को उठाने जैसा ही है। सामर्थ्य

हर रात एक जैसी होती है फिर भी चन्द्रमा अपनी रोशनी से सभी को अलग-अलग तरह से दिखला देता है। ऐसी सामर्थ्य रखने वालों की हमेशा पूजा होती है। सामर्थ्य

मिट्टी में दोष आ जाए तो बीज की सामर्थ्य भी वहाँ

क्या कर सकती है।

सामर्थ्यशाली

जब सामर्थ्यशाली आगे बढ़ते हैं तो छोटी-मोटी रूकावटों को चींटी की तरह कुचल डालते हैं।

साहित्य

लिखने की सार्थकता अच्छे साहित्य की रचना में है, चाहे लोग उसे पढ़े या ना पढें।

साहित्य

साहित्य उसी को कुछ देता है, जो अच्छी तरह से उस तक पहुँच पाते हैं।

साहित्य

साहित्य से ही धर्म पनपता है और संस्कृति से धर्म की रक्षा होती है।

साहित्य

दुनिया में लोग बहुत सारे उद्यम करते हैं, उनमें हानि-लाभ का परिमाण निश्चित नहीं होता और न ही उसे प्राप्त होने की अवधि, लेकिन साहित्य अपने अध्ययन का लाभ तुरंत और निश्चित रूप से अपने पाठकों को देता है।

साथी

जब आपके साथी बात-बात में आपसे विरोध करने लगे हैं इसका अर्थ हो सकता है कि अब धीरे-धीरे वे आपका साथ छोड़ रहे हैं या उन्हें आपसे अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है।

साथ

आप तेज नहीं दौड़ सकते लेकिन थोड़ा पीछे रहकर भी तो उनका साथ दे सकते हैं।

सेवा

सच्ची सेवा करने वाला कभी संतुष्ट नहीं हो सकता, बल्कि उसका हृदय उत्तरोत्तर उससे बड़ी सेवा करने का अनुरोध करता है। यह सिलसिला मृत्युपरांत ही खत्म हो पाता है।

सेवा

लोग चाहे नंगे पाँव जा रहे हैं या जूते पहनकर, बैलगाड़ी से जा रहे हैं या घोड़े पर। सभी की ठोकरों को उस मार्ग को सहन करना पड़ता है। सेवा का मार्ग चुनने वालों को यह सबक हमेशा याद रखना चाहिये।

सेवक

एक अच्छा समाज सेवक चप्पल की भाँति लोगों के दुख-दर्द का बोझ उठाने के लिए हमेशा तैयार रहता है।

सेवा

झूठे आश्वासनों को समझने में देर लगती है। जब तक हम उन्हें समझते हैं। ऐसे लोग हमसे दूर जा चुके होते हैं और हम गँवा चुके होते हैं उनकी सेवा करने में अपना बहुमूल्य समय।

सेवा

सेवा करने वाले चाहे किसी पुण्य की इच्छा क्यों न रखते हों लेकिन सेवा पाने वाले उसके लिये पुण्य की कामना अवश्य करते हैं।

सेवा

मन की सारी बाधाओं को तोड़ने के बाद हमारे भीतर सेवा भाव का जन्म होता है, इसलिए सेवा करने वालों के मार्ग में अवरोध कभी भी नहीं आते।

सेवा

जिनके पास कुछ भी नहीं है, उनके पास तन और मन हैं देने के लिए। जो इसे भी देना नहीं चाहते, उन्हें सेवा

शब्द से ही दूर रहना चाहिये।

सेवा

स्वयं मौजूद रहकर सेवा में योगदान देने वाले लोग स्वतः तो खुश होते ही हैं, इस खुशी का आभास दूसरों में भी भर देते हैं।

स्वाद

भोजन में चाहे कितनी ही शक्कर हो स्वाद तो तपने से ही आता है। जो तपा ही नहीं उसमें जीवन का

स्वाद कहाँ?

स्वाद अच्छा स्वाद तभी पा सकेंगे जब आप में इसे पाने की

रुचि हो।

स्वाद

फलों में स्वाद नहीं रहने से उनका सुन्दर स्वरूप भी नष्ट हुआ जैसा लगता है।

संतुष्ट

आदमी तुलसी के पेड़, धर्म पुस्तक, जलते हुए दीये और देवताओं की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर भी संतुष्ट हो जाता है।

संवाद

श्रोताओं की हर पल ताजगी की ओर बढ़ती हुई आँखें बतलाती हैं कि वक्ता ने मौजूद समूह से अपना संवाद

स्थापित कर लिया है।

स्फूर्ति

नये ग्राहकों को देखकर व्यापारियों में स्फूर्ति आ जाती है।

संरचना

सिर्फ एक दवा से नहीं बल्कि कई तरह की दवाओं से रोग की शिराओं को बाँधा जाता है। मोटर-गाड़ी का एक-एक पुर्जा एक दूसरे से बँधा होता है। एक लेख का एक-एक अक्षर एक-दूसरे को साथ लेकर चलने में विवश है। दुनिया की सारी संरचना इसी तरह से आपस में जुड़ी हुई है। कोई दूर भाग रहा है इसलिए कि कोई उसे बुला रहा है। कोई चुप है क्योंकि उससे बातें करने वाला कोई नहीं है।

संसर्ग

संसर्ग में आयी चीजें धीरे-धीरे अपना मन खोलती हैं, उन्हें जानने के लिए प्रेम की हद तक उनसे जुड़ना होता है। फिर वे अपनी सारी रूप-रेखा, उन्हें वश में करने के तरीके, अपनी आदतें, अपने गुण-दोष, अपने रुझान तक हमारी हथेली पर रख देती है।

स्वादिष्ट

सबसे स्वादिष्ट पाने की इच्छा में हमें सारी स्वादिष्ट चीजों को चखना होता है।

संसार

घोड़े दूरियाँ तय करते हैं और गधे सिर्फ बोझ ढोते हैं। तलवारें सर काटती हैं तो छूरियाँ रोटी के टुकड़े। लोभी सिर्फ अपना लाभ देखता है तो प्रेम दूसरों के लाभ में अपनी खुशी। इस संसार में फायदा और नुकसान देने की प्रवृत्तियाँ सबमें भिन्न-भिन्न होती है।

संबंध

जड़ों से मिट्टी के संबंध और पक्षियों के आकाश से संबंध पर कोई शक नहीं करता। संबंध तभी बनते हैं जब हम हृदय से हाथ मिलाते हैं, या प्रेम से गले मिलते हैं।

संबंध

एक अच्छा संबंध चूहे का बिल का बनाना तथा वहाँ पर निवास करने जैसा ही है। आदमी जहाँ सचमुच जुड़ जाता है फिर वहाँ से हटना नहीं चाहता।

संगीत

एक अच्छा संगीत कानों में असंख्य छेद बनाकर झरने की तरह प्रवेश करता है और हमें अपने सुरीलेपन से

स्नान कराता रहता है।

स्त्री

एक शादीशुदा स्त्री के पाँव रखते ही परिवार में नयापन आना शुरू हो जाता है।

स्वार्थी

स्वार्थी लोगों का अपना साम्राज्य होता है जो केवल अपने लाभ के लिए सोचते हैं और उसे हासिल करने के बाद दूसरों के लिए अपने सारे दरवाजे बंद कर देते हैं।

स्मृति होंठ बन्द कर लेने से बात वहीं खत्म हो जाती है। यादों को भुला दिये जाने से दुख कुछ कम। इस तरह से स्मृति को विस्मृति में बदलने की कला विवादों को नष्ट कर देती है।

स्वरूप

भीगे कोयले आग से अधिक धुँआ देते हैं। मृतप्राय चीजें अपने नष्ट होते हुए स्वरूप को इसी तरह से ही अधिक दर्शाती है।

स्वाभाषी

एक जैसी भाषा बोलने वालों का उच्चारण एवं चेहरे की भाव-भंगिमा लगभग एक जैसी होती है। इसलिये

स्वभाषी बिल्कुल अपने लगते हैं।

सोना सोना गलने पर अपना रूप छोड़ता है लेकिन गुण नहीं।

संघर्ष

जो जीवन के बहुत सारे कठिन संघर्षों को पार कर चुके होते हैं अब उनकी ओर कोई नया संघर्ष डर से झाँकता भी नहीं।

स्वार्थ

जिनका आपसे स्वार्थ सिद्ध नहीं होता, वह आपकी इच्छाओं को मारने की चेष्टा करते हैं।

स्पर्द्धा

स्पर्द्धा की दौड़ में हार-जीत का फैसला हमेशा बदलता रहता है।

स्पर्द्धा

जो सचमुच स्पर्द्धा की दौड़ में शामिल हो जाते हैं, वे कभी हारते नहीं है। वे हारते भी हैं तो भी मैदान नहीं छोड़ते। आशावान बने रहते है कि फासला अब अधिक नहीं है। थोड़ी तेज रफ्तार की जरूरत है बस।

स्त्रियाँ

स्त्रियाँ जब तक स्वयं पर आश्रित होकर जीना नहीं सीख लेतीं तब तक आधा देश गुलाम ही रहेगा।

स्वर

कौओं के स्वर दूसरों को खराब लगे या अच्छे, उनके पास तो केवल यही स्वर हैं।

सुख

अपने भीतर के दुख को भी बढ़ाया जा सकता है और सुख को भी। फर्क सिर्फ इतना है कि सुख तरंगित करता हुआ बढ़ता है और दुख मन को कचोटता हुआ। सुख

आदमी की सबसे बड़ी कमी है, उपलब्ध सुख को भोगने के बजाए, अनुपलब्ध सुख के पीछे भागना।

सुरक्षा

असुरक्षित व्यक्ति पहले अपनी सुरक्षा की जाँच करता है, बाद में काम षुरु करता है।

सुरक्षा

सुरक्षा के नियम उनके पालन के लिए हमसे विनम्र निवेदन करते हैं; क्योंकि दुर्घटना से बचा हुआ एक

व्यक्ति पूरे परिवार को बर्बाद होने से बचा लेता है।

सुविधाएँ

सुविधाएँ अकेली नहीं रह सकतीं, व दूसरी तरह की सुविधाओं को भी अपने पास खींचती रहती हैं।

सीढ़ियाँ

हमने सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली लेकिन अन्तिम नहीं चढ़ी तो कोई लाभ नहीं हुआ।

सीमा

चाहे छोटी भूमि हो, देश हो या संसार। जब-जब बँटवारे के लिए सीमा रेखाएँ खींची जायेंगी। इन रेखाओं के आस-पास तनाव एवं विवाद अपना कब्जा बनाये बैठे होंगे।

सृजन पेड़ फल देने का अपना धर्म पूरा करते ही फिर से नये फलों की बात सोचने लगते हैं। अपनी उपलब्ध्यिों को गिनाना एवं उसके बारे में सोचना वही करता है जो अब नये सृजन नहीं कर सकता है।

सूचित

दुनिया की सबसे सुन्दर बात है सूक्ति और सबसे बूरी बात है उसे पढ़ा न जाना।

सूक्तियाँ

सूक्तियाँ पढ़ने में जिनका मन रम गया, फिर उनकी

भूख कभी समाप्त नहीं होगी। सुन्दरता

वो सुन्दरता ही क्या है, जिसने लोगों को देखने के लिए मजबूर नहीं किया।

सूर्योदय

जिनमें काम करने की अत्यधिक भूख है, उनका सवेरा सूर्योदय से पहले हो जाता है।

सूई

सूई में सुराख अवश्य नजर आयेगा, अगर आप धागा लेकर उसके पास बैठेंगे।

सुरक्षा जहाँ दुर्घटना है, वहाँ सुरक्षा के नियम भी हैं।

सुरक्षा

सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करने पर ही दुर्घटना

अपने कदम आप की ओर बढ़ाती है।

सुरक्षा

धन की अधिकता नहीं; बल्कि उसकी सुरक्षा की चिन्ता आपको प्रताड़ित करती है।

सुरक्षित

दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह वह है जहाँ धन छिपा होता है।

सुविधा

सभी का सुविधा में रहने का अपना-अपना ढंग होता है।

सुख

कृपया डालियों को काटकर उन्हें फल-फूल देने के सुख से वंचित न करें।

सुख

सुख समय के अनुसार आपको अपने नये-नये रूपों से तृप्त करता है।

सुख

आदमी जिस सुख को दूर खोजता है, वह उसके आस-पास ही होता है।

सुन्दरता

सुन्दर दृश्य आपके मन को अपनी सुन्दरता से पूरी तरह से ढक देते हैं।

सुन्दरता

शारीरिक श्रम करने वालों को सुन्दरता प्रकृति से प्राप्त होती है।

सुशासन

सुषासन शतरंज की खेल की तरह सभी मोहरों की ताकत को एक साथ व्यवस्थित करके रखने जैसा है। सुख

अमीरों का सबसे बड़ा सुख है उनके आदेशों का द्रुतगति से पालन होना।

संघर्ष

प्रत्येक संघर्ष में एक आशा की किरण हमेशा दिखलाई पड़ती रहती है।

संकेत

काम में देरी होना, उसके उलझ जाने का संकेत देता है।

संतुष्ट

आप सभी को संतुष्ट कर सकते हैं लेकिन खुद को असंतुष्ट करके ही।

संवाद

जब परेशानियाँ आपसे संवाद कर रही होती हैं, उस वक्त नींद वहाँ से हट जाती है।

संवाद

जहाँ संवाद स्थापित नहीं हो पाता, वहाँ विवाद बना रहता है।

संचार पति-पत्नी का कुछ दिनों का अलगाव, संबंधों में वापस

एक नया संचार ला देता है।

सीढ़ियाँ

सफलता की सीढ़ियाँ बिल्कुल सीधी नहीं बल्कि

रुक-रुक कर चढ़ी जाती है।

सीढ़ी चीजों को जानने की बजाए उन्हें अनुभव करना, आपको एक सीढ़ी ऊपर ले जाता है।

सीढ़ी सीढ़ी का विकल्प कभी रस्सी नहीं हो सकती है।

सीमा

इतनी आजादी भी ठीक नहीं जो आपको सीमा से बाहर जाने के लिये लालायित करे।

सिंचाई

नौसिखिए खेत में सिंचाई करने के बदले उसमें पानी

भरने लगते हैं।

सोचने

जब आपके पास अपने लिए सोचने के लिए कुछ नहीं होता है, उस समय दूसरों के लिए अधिक सोचने लगते हैं।

सूरज

ढलता हुआ सूरज भी मित्रों का साथ धीरे-धीरे छोड़ता है।

सूरज

चाहे सूरज से कितने ही दूर क्यों न हों हम, उसकी किरणें हमेशा हमारे पास हैं।

साँप साँप उन्हीं के गले में खेलता है जो उसके विष से नहीं

डरते हैं।

सौदा

सोना, चाँदी और अनमोल पत्थर कभी पुराने नहीं होते; चाहे कितनी ही बार उनका सौदा हो जाए।

हल्कापन

जो महत्त्वपूर्ण नहीं है वहाँ एक हल्कापन बिना ढूँढे ही दिखलाई देता है और प्रत्येक हल्की चीज लोगों द्वारा हमेशा ठुकराई जाती है।

हल

समस्याओं का हल चुटकी भर में हो सकता है, अगर आप सही व्यक्ति से राय लें।

हत्या

हर हत्या के पीछे उसे प्रेरित करने वाले का हाथ होता है।

हस्ताक्षर

हस्ताक्षर से अधिक प्रमाणिक और सरल अभिव्यक्ति मनुष्य अभी तक खोज नहीं पाया है।

हास्य

हास्य जब घिसी-पिटी चीजों को छोड़कर नयी चीजों और नये माहौल को इंगित करता हुआ कोई नया मुहावरा गढ़ता है तभी सफल हो पाता है।

हास्य जहाँ बेवकूफियाँ होंगी, वहाँ हास्य पैदा होगा ही।

हाथ रात और नींद एक दूसरे का हाथ-पकड़कर चलती हैं।

हार

जब लोग हार जाते हैं तो वे बाकी हारे हुए लोगों की संख्या गिनते हैं, बजाय अपनी हार स्वीकार करने या हार के कारणों का मूल्यांकन करने के।

हार

अपनी हार के लिए पछताने की बजाए जो उसे स्वीकार कर लेता है, वह मानसिक शांति में रहता है।

हानि

जिस हानि ने अभी अपना कोई निश्चित आकार नहीं लिया है, वह व्यापारी को कई दिनों तक असमंजस में

डालकर रखती है। हानि

हम लाभ से हानि निकाल देते हैं तो भी उम्मीद रहती है कि कुछ न कुछ लाभ बचेगा ही, लेकिन जहाँ केवल हानि है, वहाँ से लाभ तो कभी का लुप्त हो चुका होता है।

हानि हानि की आशंका होते ही उपचार जरूरी है।

हानि

प्रचुर लाभ के सामने छोटी सी हानि भी चुभने लगती है।

हानि

लाभ के कुछ ही रास्ते होते हैं, लेकिन हानि के लिए अनेक।

हानि

हम अपनी हानि को देखते हैं लेकिन काम में हो रही चूक को नहीं।

हुनर काम रहम से नहीं, हुनर से मिलते हैं।

हुनर

पहाड़ की ढलान पर भी खड़े होने का हुनर पेड़ों में होता है। हुनर

आपका अच्छा व्यवहार, आपके खराब हुनर को भी छुपा देता है।

क्ष

क्षमता

जब आप अपनी क्षमता के अनुसार ही फल पाने की आशा रखते हैं तो आपको इससे कुछ अधिक ही प्राप्त होता है।

क्षमता

फसलें अच्छी तरह से मिट्टी की क्षमता बतला देती हैं।

क्षमता

कुत्तों में छोड़ी हुई गंध के सहारे, गंध के मालिक तक पहुँचने की क्षमता होती है।

ज्ञ

ज्ञान परिपक्व ज्ञान अपने चमत्कार दिखाने में देर नहीं करता। ज्ञान

अनन्त ज्ञान के केन्द्र मौजूद हैं इस संसार में हमारी चारों तरफ, अब हमें सबसे उपयुक्त को चुनकर उसकी परिधि बन जाना है।

ज्ञान

पुस्तकों से लोग ढेर सारे ज्ञान के बजाय, अपने मन-पसंद ज्ञान को ही प्राप्त करते हैं।

ज्ञान

जिनमें ज्ञान की लालसा है, उन्हें हर चीज ज्ञानवर्द्धक नजर आती है। ज्ञान

ज्ञान को संग्रहीत करते जाने से एक दिन आपके पास बहुत बड़ी पूंजी होगी ज्ञान की।

ज्ञान

जैसे पानी एक क्यारी से दूसरी क्यारी में जाता है वैसे ही ज्ञान पहले पन्ने से आरम्भ होकर अन्तिम तक आपके साथ जाता है।

ज्ञान

ज्ञानियों की भूख बहुत बड़ी होती है, लेकिन सिर्फ ज्ञान के लिए। ज्ञान

मन की स्पष्टता ही ज्ञान को अच्छी तरह से समझने में मदद करती है।

ज्ञान

सुन्दरता समय के साथ ढलने लगती है, लेकिन ज्ञान समय के साथ निखरने लगता है।

ज्ञानी

अनेक उपलब्ध चीजो में से सबसे श्रेष्ठ को देख पाने वाला ही ज्ञानी होता है।

श्र

श्रम

हर नये तरीके प्रारंभ में अत्यधिक श्रम की माँग करते हैं।

श्रेय इस दुनिया में जिसने अँगुलियों से धक्के लगाये थे, वह

भी अपना श्रेय चाहता है।

श्रेय

एक साथ मिलकर किये जाने वाले काम की अपेक्षा अकेले किये जाने वाले काम में आपको श्रेय अधिक मिलता है।

श्रेष्ठ

हमेशा श्रेष्ठ को खुद ही पहचानना होता है तभी आत्मसंतुष्टि मिलती है।

श्रेष्ठ

स्वंय को श्रेष्ठ समझने वाला अपने काम के तरीके कभी नहीं बदलता।

श्रेष्ठता

किसी की श्रेष्ठता का आधार यह है कि वह कितना

लाभान्वित कर पा रहा है दूसरों को।

श्रेष्ठता

उपयोगी जन अपने शुरुआती दौर से ही कठिन प्रक्रियाओं से गुजरते एवं जूझते हुए अपने आप को किसी न किसी विशिष्ट श्रेष्ठता में रूपांतरित कर लेते हैं, जिसके इर्द-गिर्द लोगों का ध्यानाकर्षण बलात् ही बना रहता है।

-समाप्त-

COMMENTS

BLOGGER: 5
  1. शानदार प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रयास है ..बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी5:59 pm

    बहुत ही रोचक तथा साकारात्मक दिशा का एक निर्वाहन प्रकरण परिभाषित कर्ता है सूक्ति सागर

    जवाब देंहटाएं
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श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र 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मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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रचनाकार: सूक्ति–सागर : नरेश अग्रवाल की 1000 सूक्तियाँ
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