द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् हिन्दी की साहित्यिक कृतियों का विदेशी भाषा में तथा विदेशी साहित्यिक कृतियों/लोककथाओं का हिंदी में अनुवाद प्रोफ...
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् हिन्दी की साहित्यिक कृतियों का विदेशी भाषा में तथा विदेशी साहित्यिक कृतियों/लोककथाओं का हिंदी में अनुवाद
प्रोफेसर महावीर सरन जैन
हिन्दी की साहित्यिक कृतियों का अनुवाद:
हिंदी की विभिन्न विधाओं के साहित्य का अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। सबका लेखा जोखा प्रस्तुत करना सम्भव नहीं है। हिन्दी की विभिन्न विधाओं के साहित्य का अंग्रेजी भाषा में भारतीयों के द्वारा हुए अनुवाद कार्यों की सूची बहुत बड़ी है। प्रस्तुत अध्याय में हम इन अनुवाद कार्यों के सम्बंध में विचार नहीं करेंगे। इसी प्रकार कुछ विद्वान उर्दू में अनुवादित कृतियों को विदेशी भाषा में अनुवाद के अन्तर्गत परिगणित करते हैं मगर चूँकि हिन्दी उर्दू भिन्न भाषाएँ नहीं हैं इस कारण इन पर भी विचार नहीं किया जाएगा। इस अध्याय में हम हिन्दी की साहित्यिक कृतियों का निम्नलिखित देशों के विद्वानों के द्वारा निम्नलिखित विदेशी भाषाओं में हुए अनुवाद कार्यों का ही उल्लेख करेंगे –
देश का नाम | अनुवाद की भाषा का नाम |
रूस | रूसी भाषा |
जापान | जापानी भाषा |
जर्मनी | जर्मन भाषा |
इटली | इतालवी भाषा |
इंग्लैण्ड | अंग्रेजी भाषा |
नीदरलैण्ड | डच भाषा |
नार्वे | नार्वेजियन भाषा |
फिनलैण्ड | फिन्निश भाषा |
फ्रांस | फ्रेंच (फ्रांसीसी भाषा) |
पौलेण्ड | पोल्स्की (पोलिश) भाषा |
हंगरी | मग्यार अथवा हंगेरियन भाषा |
रोमानिया | रोमानियन भाषा |
बल्गारिया | बल्गारियन भाषा |
चेक गणराज्य | चेक भाषा |
बेल्जियम | डच भाषा तथा अंग्रेजी भाषा |
चीन | चीनी भाषा |
उज़्बेकिस्तान | उज़्बेकी भाषा |
म्यंनमार | बर्मी भाषा |
1. रूस - अकादमिशियन अलेक्सेइ पेत्रोविच बारान्निकोव ने तुलसीकृत रामचरित मानस का रूसी भाषा में अनुवाद किया। मध्ययुगीन हिन्दी कवियों में कबीर, सूर, तुलसी तथा मीराबाई की रचनाओं के रूसी भाषा में अनुवाद हो चुके हैं। हिन्दी के जिन कहानीकारों की कहानियों के रूसी भाषा में अनुवाद हुए हैं उनमें प्रेमचंद, वृन्दावन लाल वर्मा, यशपाल, जैनेन्द्र कुमार, भगवतीचरण वर्मा, इलाचंद्र जोशी, अमृतलाल नागर, उपेन्द्रनाथ अश्क, फणीश्वर नाथ रेणु, मोहन राकेश, रांगेय राघव, भीष्म साहनी, विष्णु प्रभाकर तथा अमृतराय उल्लेखनीय हैं। उपन्यासों में प्रेमचंद के ‘गोदान’ और ‘कर्मभूमि’; यशपाल के ‘झूठा-सच’ तथा ‘दिव्या’; रेणुकृत ‘मैला आंचल’ के अनुवाद हो चुके हैं। जिन आधुनिक कवियों की चुनी कविताओं के अलग-अलग संग्रह अनूदित होकर प्रकाशित हुए हैं उनमें निराला, पंत, दिनकर, बच्चन तथा रघुवीर सहाय अधिक महत्वपूर्ण हैं। सन् 1973 में ‘दीपावली’ शीर्षक से आधुनिक हिन्दी कविताओं का जो संग्रह प्रकाशित हुआ उस संग्रह में 27 हिन्दी कवियों की 200 रचनाएँ संकलित हैं। इन कवियों में मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी वर्मा, दिनकर, बच्चन, शिवमंगल सिंह सुमन, केदारनाथ अग्रवाल, मुक्तिबोध, अज्ञेय, शमेशर बहादुरसिंह, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, गिरजा कुमार माथुर, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती, श्रीकांत वर्मा, नरेश मेहता, नागार्जुन तथा धूमिल समाहित हैं।
हिन्दी साहित्यिक कृतियों का रूसी भाषा में अनुवाद करने तथा साहित्य सम्बंधी अध्ययन करने वाले अध्येताओं में 1. ई0पी0 चेलीशेव 2. वेकायेवा 3. विश्वेव्स्काया 4. वालिन 5. गफरोवा 6. गुनामोवा 7. सेरेब्रयान्नी आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
2. जापान - आधुनिक हिन्दी साहित्य के रचनाकारों एवं उनकी रचनाओं का जापानी भाषा में विपुल मात्रा में अनुवाद हुआ है।
अज्ञेय, अमरकांत, काशीनाथ सिंह, कैलाश वाजपेयी, कुँवर नारायण, गजानन माधव मुक्तिबोध, केदारनाथ सिंह, जगदीशचंद्र माथुर, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, नागार्जुन, निर्मल वर्मा, पाण्डेय बेचेन शर्मा उग्र, प्रेमचंद, बेढब बनारसी, भगवतीचरण वर्मा, भगवती प्रसाद वाजपेयी, भीष्म साहनी, मधुकर सिंह, मन्नू भण्डारी, मस्तराम कपूर, महादेवी वर्मा, मार्कण्डेय, मिथिलेश्वर, मोहन राकेश, यशपाल, रामधारी सिंह दिनकर, राही मासूम रजा, विजयदेव नारायण साही, विष्णु प्रभाकर, शमशेर बहादुर सिंह, शिवानी, शेखर जोशी, श्रीकांत वर्मा, सुदर्शन, सुभद्रा कुमारी चैहान, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, हजारी प्रसाद द्विवेदी, हरिशंकर परसाई आदि 121 साहित्यकारों की रचनाओं का जापानी भाषा में अनुवाद हो चुका है।
निम्नलिखित अनुवादकों एवं उनके द्वारा अनुवादित कृतियों के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं:
1. प्रोफेसर क्यूया दोइ(प्रेमचंद - गोदान)
2. प्रोफेसर तोशिओ तानाका ( भीष्म साहनी - तमस)
3. प्रोफेसर कात्सुरो कोगा (प्रेमचंद - गोदान)
4. प्रोफेसर अकिरा ताकाहाशि (राजेन्द्र प्रसाद की आत्मकथा , राहुल सांकृत्यायन की कुछ कृतियाँ)
5. प्रोफेसर यूइचिरो मिकि ( उपेन्द्रनाथ अष्क - गिरती दिवारें)
6. प्रोफेसर तेइजि़ साकाता ( हजारी प्रसाद द्विवेदी - हिन्दी साहित्य की भूमिका ,प्रेमचंद की कहानियाँ - दो बैलों की कथा , पूस की रात , नशा , बड़े भाई साहब)
7. प्रोफेसर ताइगेर्न हाशिमोतो ( कबीरदास कृत बीज़क )
8. प्रोफेसर तोमिओ मिज़ोकामि ने सन् 1951 से 1980 की अवधि के हिन्दी के 201 लोकप्रिय फिल्मी गीतों का जापानी लिपि में लिप्यन्तरण तथा जापानी भाषा में अनुवाद किया है।
9. सुश्री हिरोकी नागासाकी (कृष्ण बलदेव वैद - उसका बचपन , मन्नू भण्डारी - यही सच है , कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर - दीप जले शंख बजे)
10.श्री ताताकुरा ने इन्टरनेट पर जापानी भाषा में हिन्दी की अनेक कृतियों के अनुवाद सुलभ कराने का प्रशंसनीय कार्य किया है।
3.जर्मनी – डॉ. (श्रीमती) मारग्रेट गात्स्लाफ ने यशपाल, प्रेमचंद एवं कृशनचन्दर की कहानियों का तथा प्रेमचंद के ‘निर्मला’ एवं भीष्म साहनी के ‘बसंती’ उपन्यासों का जर्मन भाषा में अनुवाद किया है। श्रीमती इरोना त्सेहरा के सम्पादकत्व में ‘आधुनिक हिंदी गीत’ पुस्तक प्रकाशित है। श्री सेतान्दवीर ने ‘सूरदास कृष्णायन’ शीर्षक से दो खण्डों में सूरदास के पदों का जर्मन भाषा में अनुवाद किया है।
4. इटली - वेनिस विश्वविद्यालय की डॉ. मारियोल्ला ऑफरेदी ने प्रेमचंद के‘गोदान’ तथा कुँवर नारायण की काव्यकृति ‘आत्मजयी’ का तथा डॉ. चेचीलिया कोस्सियो ने फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास ‘मैला आंचल’ का इतालवी भाषा में अनुवाद किया है।
5. इंग्लैंड –
1.डॉ. अटकिन्स ने रामचरितमानस का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
2. डॉ. बंगा इमरै ने मीरा, घनानन्द एवं रसखान के काव्य का अनुवाद किया।
3. डॉ. मैकग्रेगर ने नंददास के पदों का अनुवाद किया है।
4. डॉ. रूपर्ट स्नेल ने प्रेमचन्द, अज्ञेय, अमृतराय की रचनाओं का अनुवाद किया है।
6. नीदरलैंड - प्रो0 वेगेल ने प्रेमचंद की कहानियों का डच भाषा में अनुवाद किया है।
7. नार्वे - क्नुत क्रिस्तियान सेन ने प्रेमचंद की कहानियों का नार्वेजियन भाषा में अनुवाद किया है।
8. फिनलैंड - बर्तिल तिक्कनेन ने क्लोस कातुर्नेन के सहयोग से ‘गोदान’ का फिन्निश भाषा में अनुवाद किया है।
9. फ्रांस - श्रीमती वौदवील ने रामचरित मानस, सूरसागर, पद्मावत, ढोल मारू रा दूहा तथा कबीर की रचनाओं की फ्रेंच (फ्रांसीसी भाषा) भाषा में विवेचना की है तथा काव्य-अंशों का फ्रेंच (फ्रांसीसी भाषा) भाषा में अनुवाद किया है।
10. पौलेण्ड - श्री पारनोव्स्की ने ‘मैला आंचल’ का तथा डॉ. मारिया क्षिश्तोफ बृस्की ने लक्ष्मीनारायण लाल और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के नाटकों का अनुवाद किया है। आधुनिक हिंदी लेखकों की रचनाओं का अनुवाद भी हो रहा है। प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जैनेन्द्र कुमार, कृशनचंदर, फणीश्वरनाथ रेणु, ऊषा प्रियंवदा, मन्नूभण्डारी आदि की रचनाओं का अनुवाद पोल्स्की (पोलिश) भाषा में प्रकाशित है। सूत्कोव्सका ने कबीर तथा पारनोव्स्की एवं बृस्की ने प्रेमचन्द की कहानियों का अनुवाद किया है।
11. हंगरी – डॉ. एवा अरादी ने प्रेमचंद तथा आधुनिक हिंदी कहानीकारों की कहानियों का हंगेरियन भाषा में अनुवाद किया है। डॉ. बंगा इमरै ने मीरा के पदों का हंगेरियन भाषा में अनुवाद किया है।
12. रोमानिया - ‘गोदान’ तथा ‘मैला आंचल’ के रोमानियन अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। श्री निकोलाय ज्बेर्या ने हिन्दी के कुछ निबंधों का, श्री स्तेरियान कोर्नेल ने श्री जयंत विष्णु नारलीकर एवं श्री अग्निहोत्री की कुछ वैज्ञानिक कहानियों का तथा दनिल एंका ने प्रेमचंद की 22 कहानियों का सीधे हिंदी से रोमानियन भाषा में अनुवाद किया है।
13. बल्गारिया - ‘गोदान’ तथा ‘निर्मला’ का बल्गारियन भाषा में अनुवाद हो चुका है।
14. चेक – डॉ. ओदोलेन स्मेकल ने प्रेमचन्द के ‘गोदान’ तथा राजेन्द्र अवस्थी के ‘जंगल के फूल’ का चेक भाषा में अनुवाद किया है।
15. बेल्जियम - प्रो0 डॉ. वीनंद कलवार्त ने हिन्दी भक्ति साहित्य के कुछ अंशों का डच एवं अंग्रेजी में अनुवाद किया है। कबीर की रचनाओं का प्रमाणिक संकलन निकालने के लिए आप कार्यरत हैं।
16. चीन –
1. प्रोफेसर जिन दिंग हान ने तुलसीकृत ‘रामचरित मानस’, प्रेमचन्द कृत ‘निर्मला’ और यशपाल कृत ‘झूठा सच’ का चीनी भाषा में अनुवाद किया है।‘निर्मला’ के सह-अनुवादक प्रोफेसर मा0 मड0. काड0 हैं।
2.प्रोफेसर ल्यू आन ऊ ने प्रेमचन्द की 80 कहानियों का अनुवाद किया है।
3. प्रेमचन्द की कहानियों का अनुवाद अन्य चीनी हिन्दी विद्वानों ने भी किया है। इन विद्वानों में उल्लेखनीय नाम निम्नलिखित हैं - (क) प्रोफेसर जिन दिंग हान (ख) श्वेड. च्येन फू (ग) सुन चिड.चओ (ड.) य्वान तिड. (च) ई मिन (छ) मड. फान (ज) शी.पी. च्वाड. (झ) यिन होंग य्वान (ञ) चओ चिख्वान (ट) सुन पाओ कांड (ठ) थान रन हू (ड) चाड. श्वाड्. कू
4. प्रोफेसर येन शाओत्वान ने ‘गोदान’ का अनुवाद किया है।
5. प्रोफेसर मा मड. काड. तथा उनके साथियों ने मिलकर ‘च्वाड. चुड.’ उपनाम से ‘रंगभूमि’ तथा ‘गबन’ का अनुवाद किया है।
6. चओ चिख्वान तथा उनके साथियों ने मिलकर ‘प्रेमाश्रम’ का अनुवाद किया है।
7. प्रोफेसर यिन होंग युएन ने वृन्दावनलाल वर्मा कृत ‘झाँसी की रानी’ तथा इलाचन्द्र जोशी कृत ‘संयासी’ का अनुवाद किया है।
8. श्री थाड. रन हू ने जैनेन्द्र कुमार कृत ‘त्याग-पत्र’ का अनुवाद किया है।
9. डॉ. चाड. चुड. ख्वै ने निराला, महादेवी वर्मा, दिनकर, अज्ञेय, बच्चन, नरेन्द्र शर्मा एवं भवानी प्रसाद मिश्र के काव्यांशो का मार्मिक अनुवाद किया है।
17. उज्बेकिस्तान - उज्बेकी भाषा में महाभारत, रामायण तथा गोदान एवं झांसी की रानी के अनुवाद उपलब्ध हैं।
18. म्यंमार - श्री चन्द्र प्रकाश प्रभाकर ने हिन्दी की अनेक कृतियों का बर्मी भाषा में अनुवाद किया है। गोदान के अनुवाद के लिए म्यंमार सरकार ने आपको ‘श्रेष्ठ साहित्यकार’ पुरस्कार से सम्मानित किया है।
विदेशी साहित्यिक कृतियों/लोककथाओं का हिंदी में अनुवाद-
अंग्रेजी की साहित्यिक कृतियों का भारतीयों के द्वारा हिन्दी में अनुवाद की लम्बी सूची है। हम इस अध्याय में भारतीयों के द्वारा अनुवाद कार्यों का विवरण प्रस्तुत नहीं करेंगे। हम रूसी, पोलिश, चेक, रोमानियन, चीनी, जापानी, बर्मी भाषाओं की साहित्यिक कृतियों अथवा लोककथाओं के हिन्दी में हुए कार्यों के सम्बंध में चर्चा करेंगे।
1.रूस - मार्क्स, लेनिन, दोस्तोव्स्की, तॉलस्तॉय, चेखव, पूश्किन आदि रचनाकारों की कृतियों के हिन्दी अनुवाद प्रगतिशील प्रकाशन गृह (बाद में रा दु गा प्रकाशन) द्वारा प्रकाशित हुए हैं।
2. पोलैंड – डॉ. मारिया क्षिश्तोफ बृस्की ने पोल्स्की (पोलिश) के राष्ट्रीय महाकाव्य ‘आदमत मित्स्क्य एविच’ का हिंदी अनुवाद किया है।
3. चेक – डॉ. ओदोलेन स्मेकल एवं शारदा यादव ने चेक और मोराविया में प्रचलित 27 लोककथाओं का संकलन एवं हिंदी अनुवाद किया है।
डॉ. ओदोलेन स्मेकल तथा उमाशंकर सतीश ने नोबेल पुरस्कार विजेता विश्वविख्यात चेक कवि स्व0 यरोस्लाव साईफर्त की 67 कविताओं का हिन्दी रूपांतर किया है।
4. रोमानिया - कार्मेन काराजिउ ने रोमानियन महाकवि मिहाइ एमिनेस्कु की कुछ कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया है। श्री निकोलाय ज्बेर्या ने ‘रोमानियन दंत कथा’ का हिन्दी अनुवाद किया है।
5. चीन - श्रीमती सू-इन-हुवान ने चीनी लोककथाओं का हिंदी अनुवाद किया है।
6. जापान - श्री गिरीश बख्शी एवं प्रो0 तोमियो मिजोकामि ने 101 जापानीगीतों का हिंदी अनुवाद किया है। इन गीतों को अंतर्राष्ट्रीय स्वर लिपि के साथ-साथ हिंदुस्तानी संगीत की स्वर लिपि में भी प्रस्तुत किया गया है। लोकप्रिय जापानी गीतों के हिंदी में दो सी0डी0 भी निर्मित हुए हैं। प्रोफेसर महेन्द्र साइजि माकिनो ने जापानी बाल-साहित्य की अनेक कथाओं एवं कहानियों का हिन्दी अनुवाद किया है।
7. म्यंमार - श्रेष्ठ बर्मी साहित्य का हिन्दी में अनुवाद हुआ है। अनुवादकों के नाम हैं - टैक्तोफोंनाई, जनक वैद, भो टाया, मौ ठिन, ऊ पारगू, ऊ फेमिंय। बर्मी भाषा की अनेक साहित्यिक कृतियों का हिन्दी में अनुवाद करने वालों में सर्वाधिक प्रसिद्ध नाम श्री चन्द्रप्रकाश प्रभाकर का है। इनकी अनूदित रचनाओं में सर्वाधिक चर्चित कृति म्यंमार (बर्मा) के भूतपूर्व प्रधानमंत्री ऊ नू की आत्मकथा का मूल बर्मी से हिन्दी अनुवाद है। अनुवाद ‘उत्पादी शानिपुत्र’ शीर्षक से सन् 1992 में प्रकाशित हुआ है। (प्रकाशक-इरावदी पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली)।
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प्रोफेसर महावीर सरन जैन
सेवा निवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान
123, हरि एन्कलेव, बुलन्द शहर – 203 001
855 DE ANZA COURT
MILPITAS
C A 95035 – 4504
(U. S. A.)
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