वीरेन्द्र सरल का व्यंग्य - अंग्रेज़ी लाल की हिंदी

SHARE:

अंग्रेजी लाल की हिन्दी वीरेन्द्र सरल सुबह-सुबह घर के बरामदे पर बैठकर मैं चाय पीते हुये अखबार पढ़ रहा था। तभी किसी महिला की सुरीली आवाज सुना...

अंग्रेजी लाल की हिन्दी


वीरेन्द्र सरल


सुबह-सुबह घर के बरामदे पर बैठकर मैं चाय पीते हुये अखबार पढ़ रहा था। तभी किसी महिला की सुरीली आवाज सुनायी पड़ी, ''हाय मिसेज सरल।'' मैं हड़बड़ाया, पहले मैं अपने पहनावे पर ध्यान दिया। पहनावा तो पूर्णतः मर्दाना ही था। श्रृंगार मैंने किया नहीं था। बाल मैंने बढ़ाये नहीं थे, सब कुछ ठीक-ठाक था पर गड़बड़ कहाँ हो गई है? सामने देखा तो एक सुसभ्य महिला मुस्कुराती हुई खड़ी थी। मैंने हाथ जोड़कर कहा-''बहन जी! जरूर आप को धोखा हुआ है, आप जो समझ रही हैं वह मैं नहीं हूँ। शायद आप धोखे से गलत पते पर आ गई हैं।'' वह खिलखिलाकर हँस पड़ी और बोली-''जीं नहीं, मैं बिलकुल सही पते पर आई हूँ। भाई साहब, मैं आपको नहीं आपकी श्रीमती का अभिवादन कर रही हूँ।'' पीछे मुड़कर देखा तो सचमुच मेरी श्रीमती मुसकुरा रही थी। मैं झेंप गया। वे दोनों आत्मीयता से गले मिलते हुये अंदर वाले कमरे में जाकर बातचीत करने लगे


    किसी गहन-गंभीर विषय पर लगभग घंटे भर तक उनकी बातचीत होती रही। शायद वे ध्वनिरोधक जुबान से बातचीत कर रही थी। मजाल है जो कमरे से एक शब्द भी बाहर निकलने की हिम्मत करे। मैं उस महिला को पहचानने का अथक और असफल प्रयास कर रहा था मगर मुझे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी। कुछ देर बाद वह विदुषी चली गई तब मैंने श्रीमती से पूछा-''कौन थी यह?'' श्रीमती आश्चर्य से मुझे घूरती हुई बोली-''अपने चश्मे का नम्बर बढ़वा लीजिये। धिक्कार है, हिन्दी के लेखक होकर भी शहर के सबसे बड़े हिन्दी प्रेमी अंग्रेजी लाल की धर्मपत्नी अंग्रेजी बाई को नहीं जानते?''


    अब मुझे याद आया। सचमुच चेहरा कुछ जाना-पहचाना लग रहा था। जरूर कभी मैंने इन्हें भाई अंग्रेजी लाल के साथ ही कहीं देखा रहा होगा वैसे अंग्रेजी लाल मेरे पुराने और सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं, ये अलग बात है कि अभी बहुत दिनों से मेरी मुलाकात उनसे नहीं हो पाई है। बहरहाल, मैंने  श्रीमती से पूछा-''वैसे अंग्रेजी बाई जी अभी आपसे क्या कह रही थी ?'' श्रीमती ने कहा-''क्या कहेगी बेचारी। हिन्दी की चिन्ता में दुबली हुई जा रही है। पखवाड़े भर से हिन्दी माता के नाम पर व्रत कर रही है और आज हिन्दी दिवस के पावन पर्व पर हिन्दी माता व्रत कथा-पूजन का आयोजन कर रही हैं। उसी का निमंत्रण देने आयी थी।'' इतना बताकर श्रीमती जी उसका दिया हुआ कार्ड मुझे थमाकर अपने काम में ब्यस्त हो गईं।


    मैंने देखा, खूबसूरत और मंहगे निमंत्रण पत्र पर लिखा था कि हिन्दी माता की असीम अनुकंपा से हिन्दी दिवस के पावन पर्व पर आज हमारे यहाँ हिन्दी माता व्रत कथा-पूजा का आयोजन रखा गया है। जिसमें आप सपरिवार पधार कर हमें अनुगृहीत करें। दिनांक चौदह सितम्बर, संध्या पाँच बजे, स्थान अंग्रेजी बंगला हिन्दी कालोनी ।
    इस तरह का यह पहला निमंत्रण कार्ड था इसलिये इसे पढ़कर मेरा दिमाग चकरा गया,  सुनहरे अक्षरों मे छपे इस निमंत्रण कार्ड को पढ़कर मुँह से अनायास ही निकल पड़ा। बाप-रे-बाप! इतना खतरनाक ढंग से हिन्दी प्रेम? नमन है हिन्दी प्रेमी इस दंपत्ति की भावनाओं और हिन्दी दिवस को इस अनुपम ढंग से मनाने के तरीके को। काश! आज अंग्रेजी लाल जी से मेरी भेंट हो जाती तो मैं भी उससे जी भरकर बातें करके अपना जी हल्का कर लेता। वैसे वर्षो से हम चौदह सितम्बर को हिन्दी की दिशा, दशा, दुर्दशा, विकास और महत्व इत्यादि विषयों पर सभा-संगोष्ठी आयोजित करके अपना जी हल्का करने का पुण्य कमा रहे हैं। कुछ ऐसे ही विचारों में खोया मैं फिर से अखबार पढ़ने में व्यस्त हो गया ।


    कुछ ही समय हुआ था कि फिर किसी ने 'गुडमार्निंग सर' कहते हुये मेरा अभिवादन किया। सामने देखा तो अंग्रेजी लाल मुस्कुराते हुये खड़े थे। मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा। हिन्दी माता ने मेरे मन की बातें सुन ली थी और अपनी सदप्रेरणा से अंग्रेजी लाल को यहाँ भेज दिया था। मैंने खुशी से उछलते हुये कहा-''अरे! आओ भाई अंग्रेजीलाल, बाजार से गायब शुद्ध घी की तरह बहुत दिनों के बाद दिखाई दिये हो। ऐसा लग रहा है, मानो चुनाव जीतने के पूरे पाँच साल बाद फिर से वोट माँगने के लिये ही पधार रहे हो।'' वह मुस्कुराते हुये आगे बढ़ा और गर्मजोशी से मुझसे हाथ मिलाते हुये बोला-''हैलो माय डियर फ्रेन्ड, हैप्पी हिन्दी डे, कान्ग्रेच्यूलेशन। थैंक्स गॉड आपने मुझे पहचाना तो सही।''

हम आमने-सामने रखी कुर्सियों पर बैठ गये। फिर उसने शिकायती लहजे में कहा-''क्या यार! देते भी हो तो वही घिसी-पिटी उपमा। अरे कहना है तो कहो, महीने भर से डयूटी से नदारद अधिकारी की तरह वेतन लेने ही पधारे हो और उसने जोरदार ठहाका लगाया।'' फिर उसने पूछा-''अच्छा यार! मेरा निमंत्रण कार्ड मिला य नहीं?'' मैंने कहा-''मिला है भई, मिला है। भाभी जी अभी-अभी देकर गई हैं। मगर हिन्दी माता व्रत पूजा-कथा मेरी समझ से बाहर है। आज तक मैं अन्यान्य देवी-देवताओं के व्रत कथा-पूजन के बारे में ही पढ़ा-सुना है पर हिन्दी माता?'' उसने पहले मुझे किसी पहुँचे हुये महात्मा की तरह देखा, फिर अपनी छाती ठोंकते हुये कहा-''इस शहर में मुझसे बड़ा हिन्दी भक्त शायद ही कोई दूसरा होगा। लोग भले ही सभा-संगोष्ठियां करके हिन्दी पखवाड़ा मना रहे हों मगर मैं एक अकेला आदमी हूँ जो पखवाडे भर से सपत्नीक हिन्दी माता के नाम पर व्रत कर रहा हूँ। आज उसका उद्यापन है जैसे लोग सोलह शुक्रवार तक संतोषी माता का व्रत रखने के बाद कराते हैं, समझा?'' मैंने मूर्खों की तरह सिर हिलाकर जिज्ञासा प्रकट की, शायद आप इसमें पन्द्रह हिन्दी लेखकों को भोजन करायेंगे जैसे लोग नवरात्रि मे नवकन्या भोज कराते हैं, है ना? उसने माथा पीटते हुये कहा-''अब तुम जैसे मूर्ख को कौन समझाये। घर आकर सब कुछ अपनी आँखो से देखोगे तभी समझ पाओगे।'' मैंने सहमति में सिर हिलाया।


    फिर उसने आगे कहा-''अभी तुम मेरे साथ थोड़ा बैंक चलो, मैं तुमको गारंटर बनाना चाहता हूँ।'' मैंने घबराते हुये कहा-''तुम इस शहर के सबसे बड़े हिन्दी भक्त हो इसकी गांरटी भी क्या मुझे लेनी पड़ेगी? हिन्दी दिवस के पावन अवसर पर बैंक में ऐसा कौन-सा काम आ पड़ा?'' उसने गुस्साते हुये घूर कर देखा फिर बोला-''अरे नहीं यार! मैं हिन्दी के विकास और महत्व के लिये कुछ करना चाहता हूँ। देश के दस-बीस बड़े शहरों में अंग्रेजी मिडियम के स्कूल खोलना चाहता हूँ। इसलिये बैंक से लोन ले रहा हूँ, जिसमें तुमको गारंटर बनना हैं।'' मैंने पूछा-''मगर हिन्दी के विकास के लिये अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का क्या योगदान है भई?'' अब उसने मुझे लगभग डांटने वाले अंदाज में कहा-''फिर वही मूर्खों जैसी बातें, सीधी बात भी तुम्हें समझ में आती है य नहीं? बात बिल्कुल साफ है। जब अंग्रेजी पढ़ने-लिखने वालों की संख्या बढ़ेगी और हिन्दी जानने वाले कम हो जायेंगे तब हिन्दी का महत्व नहीं बढ़ेगा क्या?''


मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैंने थूक गटकते हुये कहा-''बाप-रे-बाप! तुम इतने खतरनाक स्तर के हिन्दी प्रेमी हो इसका मुझे अंदाजा नहीं था। मगर भैया मुझे माफ करो कोई दूसरा दरवाजा देखो। तुम्हारे इतने निम्न कोटी के उच्च विचार में मैं कोई सहायता नहीं कर सकता।'' मेरी हिचकिचाहट देख कर उसने अपने सीने पर हाथ रखते हुये कहा-''मैं हिन्दी माता की कसम खाकर कहता हूँ, तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी। तुम्हें मेरी दोस्ती की कसम।'' इस ब्रह्मास्त्र से मैं ढेर हो गया। अन्ततः मुझे उसके साथ बैंक जाने के लिये तैयार होना ही पड़ा।


    मेरे घर के सामने उसकी विलायती कार खड़ी थी। हम दोनों उस पर बैठ गये। गाड़ी वह स्वयं चलाने लगा। बातचीत का सिलसिला फिर शुरू हुआ। मैंने पूछा-''यार! अब तो तुम कार बंगलेदार आदमी हो गये हो। बहुत कम समय में तुमने इतनी तरक्की कैसे कर ली?'' उसने कहा-''सब हिन्दी माता की कृपा और भैया जी का आशीर्वाद है। भैया जी की कृपा से एक अकादमी में पैर जमाये बैठा हूँ।'' मैं उससे कुछ और पूछता तब तक हम बैंक पहुँच गये थे। निर्धारित स्थान पर गाड़ी रखकर हम दोनों बैंक के अंदर गये। मैंने देखा, शाखा प्रबंधक की कुर्सी के ठीक ऊपर एक बैनर टंगा था। जिसमे लिखा था, ''हिन्दी पढ़ना आसान, लिखना आसान, बोलना आसान'' तो छोटी-छोटी बातों से हिन्दी सीखना शुरू करें। शायद प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी वहाँ हिन्दी पखवाड़ा मनाया जा रहा था। प्रबंधक के मेज पर उसके नाम की पट्टिका रखी हुई थी जिसमें उसके नाम के साथ अंग्रेजी में लिखा  हुआ था, ''मे आई हेल्प यू।''


    अंग्रेजी लाल प्रबंधक को नमस्ते श्रीमान कहते हुये अंदर घुसने लगा तो प्रबंधक उसकी इस हरकत से गुस्साते हुये बोला-''ये क्या बदतमीजी है? श्रीमान-श्रीमान रटे जा रहे हो। अदब से सर कहो और परमिशन लेकर अंदर आओ।'' अंग्रेजी लाल हुकुम मेरे आका के अंदाज में झुका और ''मे आई कम इन सर'' कहते हुये पुनः अंदर घुसा। शाखा प्रबंधक मोंगेंम्बो के अंदाज में खुश हुआ। मैं बाहर बैठ कर  अंग्रेजी लाल का इंतजार करने लगा।


    कुछ समय बाद जब अंग्रेजी लाल कर्ज संबंधी दस्तावेज पर जमानतदार के स्थान पर मुझसे हस्ताक्षर कराने के लिये लाया तो मेरा दिमाग घूम गया। सारे कागजात अंग्रेजी में थे। मैं सोचने लगा, आखिर न्यायालय से लेकर  सभी महत्वपूर्ण कार्यालयों के कागजात अंग्रेजी में ही क्यों होते हैं। ये अंग्रेजी भूत आखिर हिन्दी को ऐसे कब तक चिढ़ाता रहेगा। मित्रता के कारण मुझे उन कागजात पर हस्ताक्षर करना पड़ा। शाखा प्रबंधक के पास कागजात जमा करके हम बैंक से बाहर निकल आये और घर की ओर चल पड़े। अंग्रेजी लाल मुझे मेरे घर पर छोड़कर आगे बढ़ गया।


    निर्धारित समयानुसार मैं संध्या पाँच बजे अंग्रेजी लाल के बंगले पर पहुँच गया। बंगले को रंगीन झालरों से खूब सजाया गया था। वहाँ काफी चहल-पहल थी। अंग्रेजी परिधान में सुसज्जित बहुत सारे लोग, हिन्दी माता व्रत कथा-पूजन में भाग लेने आये हुये थे। मैं उस कमरे में गया जहाँ पूजा कार्यक्रम रखा गया था। मैंने देखा, एक उच्चासन पर सफेद कपड़ा रखा गया था। उस पर हिन्दी वर्णमाला को सुंदर तस्वीर की तरह मढ़वा कर स्थापित किया गया था और उसी की पूजा-अर्चना की गई थी। उस पर अक्षत, गुलाल चढ़ाया गया था, पास में ही नारियल फोड़ा गया था और खूशबूदार अगरबत्ती जलाई गई थी। पूरा कमरा महक रहा था, पूजा कार्यक्रम तो सम्पन्न हो गया था। अभी आरती हो रही थी। सब मिल कर 'जय हिन्दी माता, मैया जय हिन्दी माता' गा रहे थे। कमरे का वातावरण बिल्कुल वैसा ही था जैसे सत्य नारायण कथा पूजा में होता है।


    आरती के बाद जब अंग्रेजीलाल की नजर मुझ पर पड़ी तो वह 'वेलकम माय फ्रेन्ड' कहते हुये मेरे पास आया। अंग्रेजी बाई भी किसी महिला को देखकर, 'हाय हाऊ आर यू डियर, प्लीज कम फ्राम हियर' कहते हुये स्वागत कर रही थी। वहाँ बहुत सारे लोग 'हाय' कहते हुये आ रह थे और कुछ लोग 'बाय' कहते हुये जा रहे थे।


    प्रसाद वितरण के पश्चात भोजन ग्रहण करके मैं भी कमरे से बाहर निकल आया था। अपने घर जाने के लिये बस आगे बढ़ा ही था तभी उस बंगले के एक कोने के कमरे से किसी महिला की रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने नजदीक जाकर देखा, दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने खिड़की से झाँक कर देखने की कोशिश की। एक अधेड़ महिला अपने आँचल से मुँह ढांक कर सुबक-सुबक कर रो रही थी। चेहरा पहचान नहीं आ रहा था। तभी अचानक मेरे दिमाग में एक प्रश्न कौंधा, कहीं ये हमारी हिन्दी माता तो नहीं?


वीरेन्द्र 'सरल'
बोड़रा(मगरलोड़)
जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: वीरेन्द्र सरल का व्यंग्य - अंग्रेज़ी लाल की हिंदी
वीरेन्द्र सरल का व्यंग्य - अंग्रेज़ी लाल की हिंदी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXDIwTbwXqR_3rp4P5maszJbDt419UKYJcHFcLQ4K14w0Misv3-ilN9JPatHdBFEzUEwJ6nK9wP5qiDCizuk46lRxAH3YdYl6qG8bc_TlvgVIIMi6INfP4UMEQ8QV-i3RlujPG/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiXDIwTbwXqR_3rp4P5maszJbDt419UKYJcHFcLQ4K14w0Misv3-ilN9JPatHdBFEzUEwJ6nK9wP5qiDCizuk46lRxAH3YdYl6qG8bc_TlvgVIIMi6INfP4UMEQ8QV-i3RlujPG/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_64.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/09/blog-post_64.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content