पंकज त्रिवेदी की कहानी - अजीब दास्ताँ है ये...

SHARE:

कहानी अजीब दास्ताँ है ये... | - पंकज त्रिवेदी उन दिनों में अचानक ही चक्कर आने शुरू हो गए थे ।   कुछ नहीं फिर भी बहुत कुछ लगता रहा | शुरुआ...

कहानी अजीब दास्ताँ है ये... | - पंकज त्रिवेदी

image

उन दिनों में अचानक ही चक्कर आने शुरू हो गए थे  कुछ नहीं फिर भी बहुत कुछ लगता रहा |

शुरुआत में लोग कहते कि तुम्हारे मन का वहम है, मुझे लगता कि ऐसा क्यों कहते हैं सभी? वहम तो मनुष्य के गले से लटका है | हम उसे छोड़ सकते नहीं और उसका भी स्वभाव छूटने वाला नहीं है न ! इन सभी के बीच में लगातार उलझा रहा , मन ही मन घुटन महसूस करता रहा , बीमारी के बारे में कुछ भी जानता नहीं फिर भी बीमारी है ऐसा हमेशा महसूस होता रहा | दिन तो गुज़रते रहे | मानसिकता ने अस्वस्थता का पहनावा पहनकर मेरे सामने नाच शुरू किया | उनके आनंद में मेरी पीड़ा लगातार मथानी सी घूमती रही, चक्कर काटती रही और अंत में मैं हाँफ गया | मुँह झाग झाग हो गया, शरीर में कंपन सा महसूस होता |

जो भी मिलता वो पूछता, चिंता में लगते हो, दुर्बल दिखाई देते हो, कोई तकलीफ़ है क्या?

कुछ एक कहते, पैसों को लेकर बेचैनी मत रखना, हम सब बैठे हैं |

ऐसे मनुष्य सच्चे अर्थ में बैठने के लिए ही जन्म लेते हैं | उनके चेहरे का नूर कभी चमकता नज़र नहीं आता | इंसान जब बात करता है तब भी अपने एहसान का बोझ दूसरों के सिर पर रखकर थकान दूर कर लेता है | वह दु: खी मनुष्य कछुए की तरह अंगों को समेटकर स्थितप्रज्ञ बन जाता है | जब उस स्थिति में किसी को देखकर आनंद की अनुभूति होती है तब मनुष्य का शरीर शैतान का घर बन जाता है |

कभी-कभार आते चक्कर अब लगातार आने लगे हैं | धीरे धीरे समयावधि कम होने लगी | ‘कभी-कभार’ शब्द ‘रोज़’ में परिवर्तित होते देर न लगी | कभी कभी तो वाहन से गिर जाता | तो कभी अपनी डेढ़ साल की बेटी विश्वा को शून्य-मनस्क देखता रहता | ऐसा भी न हो कि यह मेरी बेटी है ! क्योंकि याददाश्त हाथताली देकर कुछ एक क्षण के लिए जाती रहती | मुझ में बैठा एक पिता उसके ही अस्तित्व को पहचान न सके इससे ज्यादा करुण घटना कौन सी हो सकती है ? अचानक घूमने गई हुई याददाश्त तरोताज़ा होकर वापस आये और मैं खुली आँख की नींद से जागकर चौकन्ना हो जाऊँ |

मित्रों की. स्थानीय डॉक्टरों की सलाह रहती कि न्यूरोलोजिस्ट को बताना चाहिए | मैंने ऐसा सोचा तो सही किन्तु सलाह पर भरोसा रखकर न्यूरोलोजिस्ट को दिखाने का निर्णय न कर सका | चंद दिनों में बहुत से डॉक्टरों को दिखाया | ज़्यादातर डॉक्टर कहते कि ब्लडप्रेशर है, कोई कहता दिमाग़ तक लहू नहीं पहुँच पा रहा | एक कश्मीरी डॉक्टर मिले उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा – इस आदमी को कुछ नहीं है, इस दर्द का मूल कान में हैं | घर के सभी सदस्य सोच में पड़ गए | चक्कर आना, याददाश्त खोना –जैसे लक्षण दिमाग़ से सुसंगत ज्यादा लगे | कान के साथ उसका क्या लेना देना? किन्तु दूसरे सभी डॉक्टरों से ये डॉक्टर ज्यादा नज़दीक और अनुभव की दृष्टि से विश्वसनीय थे | उन दिनों उन्होंने जब शारीरिक असर के बारे में जाना – बाद में निर्णय किया | वास्तविकता यही थी कि बचपन में कान में दर्द रहता था और मवाद (परु) निकलता, कुछ एक समय में अपने आप बंद हो जाता | मानों कि कुछ हुआ ही नहीं | हाँ, आवेग या आवेश के दौरान मवाद जरूर निकलता |

फिर से कितने सालों के बाद यह पीड़ा शुरू हुई | स्पेश्यालिस्ट डॉक्टर के पास ऑपरेशन करवाया था किन्तु उनसे बहुत ज्यादा फर्क नहीं था | छह महीने में फिर से मवाद दिखाई दिया | आखिर घरेलू चिकित्सा ने काम किया | मानों कुछ हुआ ही न हों ऐसे दर्द गया | कान में न दर्द न मवाद | सभी ने फिर से चैन की साँस ली किन्तु ऑपरेशन विफल हो गया था | इसलिए डॉक्टर पर भरोसा नहीं रहा |

इतने सालों के बाद चक्कर आना शुरू हुए इसलिए वही अविश्वास के साथ डॉक्टर के द्वार खटखटाए | मनुष्य करें भी तो क्या करें ? जीने के लिए मनुष्य हमेशा लडता रहा है, भटकता रहा है और अंत में घुटनों के बल गिर पडता है, संघर्ष अनिवार्य है मनुष्य के लिए |

मैं लगातार प्रयत्न करता रहा स्वस्थ होने के लिए, एकाग्र मन से रहने के सभी प्रयास किए जिससे कोई भी डॉक्टर की दवाई लेनी न पड़े | मन्नत मानकर श्रद्धा के सहारे अंधश्रद्धा में फिसल गया तब मेरी जात को हीनता की पराकाष्ठा पर मैंने देखा | बहुत दुःख हुआ किन्तु अब की स्थिति ने मुझे निर्लज्ज बना दिया था | तिनका हाथ लगे तब तक जूझने की तैयारी ने अंत में डूबने का विकल्प ही दिया | आखिर एक बार फिर से कान का ऑपरेशन कराना तय हुआ | ऑपरेशन टेबल पर तरतीब ली उससे पहले मेरी जात के साथ समाधान किया | मेरी मौत को स्वीकार करने के लिए कदम रखने थे | मेरी पत्नी और छोटी बेटी बाहर खड़े थे | दूसरे रिश्तेदारों में भाई-भाभीजी | मैंने जब मेरी पत्नी की आँखों में देखा तब विषादयोग चलता था ऐसा लगा | एक क्षण का भी विश्वास नहीं था ऐसा सभी को लगता था | कान के ऑपरेशन की इतनी गंभीरता मैंने कभी सुनी नहीं थी | आखिर उसने सजल आँखों से मूक सहमति दे दी | छोटी बेटी विश्वा के सिर पर हाथ रखकर सहलाया तब मेरे अंदर बैठा बाप अपने आप को संभाल नहीं सका | आँसूं सररर ... गिर पड़े | नर्स के साथ आये वोर्ड बॉय ने हाथ पकड़कर ऑपरेशन थियेटर में खींच लिया |

ऑपरेशन टैबल पर लेटने के बाद कान के अंदरूनी हिस्से में इंजेक्शन दिया गया | कुछ ही क्षणों में उतना हिस्सा सुन्न हो गया | एक के बाद एक औज़ार बदलने की आवाज़, कान के अंदर कुछ टूटने, कुरेदने की आवाज़, कहीं होंकदार चाकू से काटने की आवाज़ और हड्डी के साथ वही घिसते चाकू के खरोंचने की आवाज़ सुनता, औज़ार के माध्यम से मानों कि डॉक्टर खुद मेरे कान में उतर जाते | जैसे घर के कोने कोने को झाडू से सफाई कर रही कोई गृहलक्ष्मी साड़ी के पल्लू को खोंसकर लग जाय उसी प्रकार डॉक्टर भी पूरे कान में घूमने लगा | घर में कोई भूगर्भ तहखाना हो ऐसी स्थिति सामने आयी | डॉक्टर जैसे जैसे आगे बढ़े वैसे कान के अंतिम छोर पर आ पहुंचे | वहाँ पहुंचे तब उस इंजेक्शन के कारण जो सुन्न प्रभाव था वो खत्म हो गया था | एक जोरदार चीख लगाकर मैंने हाथ पटके | फैलाये पैर से एकाध सहकार्यकर को लात मार दी |

डॉक्टर स्थिति की गंभीरता को पहचान गए | तुरंत ही वे रुक गए, उन्होंने सूक्ष्मदर्शक यंत्र से ज्यादा एकाग्रता से देखा | मेरे भाई के साथ धीमी आवाज़ में कुछ मशविरा किया | मैं बात को सुनकर बोला; ‘डॉक्टर, दूसरा विकल्प नहीं है?’

तब उन्होंने मुझे ही कहा; ‘नहीं यार ! अब की स्थिति के बारे में तुम्हें तैयार होना ही पड़ेगा | अगर यहाँ अधूरा छोड़ दिया तो भविष्य में मुसीबतें बढेंगी | मैं सिर्फ डेढ़-दो मिनट का ही समय लूँगा लेकिन सहना तो आप ही को है न?

बड़े भाई नज़दीक आये, मेरा हाथ पकड़कर कहा;

‘थोड़ी देर हिम्मत रख तो जीवनभर सुख है, सहन कर ले मेरे भाई |’

ऐसे समय समझानेवाला भाई अलग व्यक्ति के रूप में नहीं होता किन्तु अपना ही लहू बोलता है | लहू के संबंध ने मुझ में प्राण फूंक दिए और मुझ में बचीखुची ताकत को इकठ्ठा किया | मौत को शिकंजे में लेने मैं तैयार हुआ | मेरे हाथ-पैर मजबूती से टैबल के साथ बाँध दिए गए |

ऑपरेशन आगे बढ़ा | अब कान के अंदर के हिस्से को सुन्न करना संभव नहीं था क्योंकि अंदर का हिस्सा छोटे दिमाग से सीधा स्पर्श करता था | मेडिकल साइंस में इसे मेनेंजाईटीस कहते हैं | इस ग्रंथि में ऐसा प्रवाही पदार्थ होता है जिसके कारण मानसिक संतुलन बराबर बना रहता है | कई बार बचपन में चक्कर- चक्कर फिरे होंगे उसे याद करें तो चक्कर फिरने के बाद स्थिर खड़ा नहीं रहा जाता था | जब तक ये तरल (प्रवाही) पदार्थ स्थिर न हो जाय तब तक मनुष्य अपने शरीर-मन का संतुलन रख ही नहीं सकता |

ऑपरेशन का काम अब वहाँ तक पहुँच गया था कि आगे के हिस्से को एनेस्थेसिया देकर सुन्न किया जाएँ तो जोखिम यह था कि मैं किसी भी समय कोमा में चला जाऊँ | कोमा में गए मनुष्य के जाग्रत होने की प्रतीक्षा आज भी मेडिकल साइंस कर रहा है, उसका कोई ठोस इलाज नहीं हैं | इसलिए डॉक्टर ने ऐसा जोखिम लेना मुनासिब नहीं समझा | उन्होंने भाई के साथ बात की और मैं चौकन्ना हो गया | हमें जानकारी हो कि शरीर के नाज़ुक हिस्से पर कोई चाकू से काटकर, कुरेदकर, दवाइयां लगाएगा तब कैसी स्थिति होगी? अनजाने में लगी ब्लेड का घाव भी कहीं भी परेशान करता है जब कि यहाँ तो सभी बात स्पष्ट थी |

मुझे किसी भी हालत में मन को मजबूत रखकर सहन करना ही था | सोच मात्र से ही पसीना छूट जाता था |

डॉक्टर ने बहुत ही शीघ्रता से कार्य समेटने का प्रयत्न किया | उनकी निष्ठा और मेरी पीड़ा का समन्वय शुरू हो गया | मौत का साक्षत्कार हुआ और उससे पूरे भाव से मैं चिपक गया | दर्द बेचारा लाचार बनकर खड़ा रहा और मैं पीड़ा को सहन कर गया |

ऑपरेशन खत्म हुआ कि तुरंत ही डॉक्टर ने नशे का इंजेक्शन देकर मुझे सुला दिया | संभवत: दूसरे दिन मैं स्वस्थ होकर आँखें खोल रहा था | छोटी बेटी विश्वा ने तोतली ज़बान में पूछा; ‘पापा, तुम्हें क्या हुआ है?’

तब उत्तर में मुझे क्या बोलना है वह समझ में नहीं आया था | पीड़ा के साथ मानों गहरा संबंध हो ऐसा आज भी लगातार महसूस हो रहा है | इसलिए ही शायद साहजिक शब्द आ टपके थे – ‘बेटा, मैं भगवान से मिलने गया था |’

स्वस्थ होने के बाद भी अस्वस्थता से बोले ये शब्दों ने मेरी पत्नी की आँख का महासागर उंडेल दिया | एक ओर मेरे स्वस्थ होने की खुशी थी और दूसरी तरफ़ मेरी पीड़ा की अनुभूति उसे खुद को कितनी दु:खी करती होगी उसे मैं तय नहीं कर सका | किन्तु उनके आनंद मिश्रित आंसूं में भी वही खारापन था जो पीड़ा के आंसुओं में होता है | संभवत: उसे आशंका थी कि ऑपरेशन सफल होगा या नहीं?

मैं आज भी उन्हें समझाता हूँ, मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है मगर सच कहूँ ? मेरे लहू में अब दर्द घुलमिल गया है | ब्लड कैंसर से थोड़ा सा भी कम नहीं | मैं आज भी लगातार उसी दर्द को अलग अलग स्वरूप में महसूस करता हूँ | मगर उस अनुभूति को शब्दस्थ करने की मेरी ताकत नहीं हैं |

हाँ, मेरी पीड़ा का अब मेरे ही साथ मनमेल हो गया है और हम साथ मिलकर जितने क्षणों को जी सकें उतना जीने को बेक़रार हैं |

पता नहीं हमारी संयुक्त यात्रा का मक़ाम भी कहीं तो होगा न? मैं प्रतीक्षारत हूँ | अजीब दास्ताँ कहते कहते... |

-------------------------------------------------------------------------------------------------------

रचनाकार परिचय -

पंकज त्रिवेदी

जन्म- 11 मार्च 1963

पत्रकारिता- बी.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. और एडवांस प्रोग्राम इन जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन (हिन्दी) –भोपाल से

साहित्य क्षेत्र-

संपादक : विश्वगाथा (त्रैमासिक मुद्रित पत्रिका)

लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास ।

पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका ।

अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शिक्षा और सामाजिक कार्य ।

प्रकाशित पुस्तकों की सूचि -

1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती

1996- भीष्म साहनी की श्रेष्ठ कहानियाँ- का- हिंदी से गुजराती अनुवाद

1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी

1998- आगिया (जुगनू) (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती

2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती

2004- माछलीघरमां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती

2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती

2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद

2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली उषा मेहता, अमेरिकन साहित्यकार नोर्मन मेईलर और हिन्दी साहित्यकार भीष्म साहनी की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में।

2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती

2010- झरोखा   (निबंध संग्रह)-हिन्दी

2014- हाँ ! तुम जरूर आओगी (कविता संग्रह)

प्रसारण- आकाशावाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण ।

दस्तावेजी फिल्म : 1994 गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन।
निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोट

प्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण।

स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टुडे, गुजरातमित्र,

फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), गुजरातमित्र (दैनिक)-सूरतः गुजरातमित्र (माछलीघर -कहानियाँ)

सम्मान –

(१) हिन्दी निबंध संग्रह – झरोखा को हिन्दी साहित्य अकादमी के द्वारा 2010 का पुरस्कार

(२) सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन में तत्कालीन विज्ञान-टेक्नोलॉजी मंत्री श्री बच्ची सिंह राऊत के द्वारा सम्मान।

संपर्क- पंकज त्रिवेदी  "ॐ",  गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फ़ीट रोड, सुरेन्द्र नगर, गुजरात - 363002
vishwagatha@gmail.com

-------------------------------

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पंकज त्रिवेदी की कहानी - अजीब दास्ताँ है ये...
पंकज त्रिवेदी की कहानी - अजीब दास्ताँ है ये...
http://lh5.ggpht.com/-3NjogcbfLPo/VGsVl70iUtI/AAAAAAAAbak/w1L20Q6VcxA/image_thumb.png?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-3NjogcbfLPo/VGsVl70iUtI/AAAAAAAAbak/w1L20Q6VcxA/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_34.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/11/blog-post_34.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content