प्रमोद यादव का व्यंग्य - निगोड़े भगोड़े

SHARE:

निगोड़े-भगोड़े / प्रमोद यादव पूरी निष्ठां और ईमानदारी के साथ लगभग नियमित भागने का जो कर्म करता है-उसे भगोड़ा कहते हैं. भगोड़ों के क्षेत्र...

निगोड़े-भगोड़े / प्रमोद यादव

पूरी निष्ठां और ईमानदारी के साथ लगभग नियमित भागने का जो कर्म करता है-उसे भगोड़ा कहते हैं. भगोड़ों के क्षेत्र अलग-अलग हो सकते हैं पर कर्म सबका एक जैसा होता है.कोई स्कूल-कालेज से भागता है तो कोई फैक्ट्री-आफिस से,कोई पत्नी-परिवार से, तो कोई दुनिया-जहाँ से. भागने का सुख अपार है तो दुःख भी कुछ कम नहीं( दुःख तभी जब भागते हुए पकडे जाएँ). मेरे एक मित्र ने अपने एक भगोड़े अफसर की सच्ची कहानी के कुछ सुपर कारनामे बताये तो सुनकर मैं दंग रह गया. प्रस्तुत है-उस निगोड़े-भगोड़े अफसर की सच्ची कहानी- मित्र की जुबानी.

बड़े कड़क किस्म के अफसर थे डाक्टर सिन्हा.(होम्योपेथी के डाक्टर थे) तीन शिफ्टों में ड्यूटी करते थे हम- ‘ए’ शिफ्ट( सुबह छः बजे से दोपहर दो बजे तक), ‘बी’ शिफ्ट(दोपहर दो बजे से रात दस बजे तक) और ‘नाईट शिफ्ट ‘ (रात दस बजे से सुबह छ्ह बजे तक). सिन्हा साहब भी हमारे साथ शिफ्ट ड्यूटी करते. छुट्टी के मामले में बड़े ‘ किच्चक ‘ थे वो.ब्रिगेड का कोई लड़का कभी छुट्टी मांगता या समय से पहले जाना चाहता तो छुट्टी की जगह अक्सर लेक्चर ही देता. बड़े प्यार से कहता- ‘ देखो बेटा, भागना बुरी बात है.. आज काम से भागोगे, कल परिवार से, नाते-रिश्तेदार से..फिर संसार से....भागना- विनाश की ओर जाना है...आज तुम्हे छोड़ दूँगा तो कल कोई दूसरा भागेगा...फिर तीसरा...चौथा...सबके सब भागोगे तो काम का क्या होगा? कंपनी का क्या होगा? कंपनी डूब जायेगी तो तनख्वाह कैसे मिलेगी? तनख्वाह न मिली तो परिवार कैसे चलेगा? भागने का ख्याल मन से बिलकुल निकाल दो बेटा, दोबारा मत आना...जाओ अपना काम करो...’

हर छुट्टी मांगने वाले को वह यही नसीहत देता. पूरा ब्रिगेड उससे खार खाए बैठा था, भागने का कार्यक्रम पूरी तरह बंद जो था. सभी मौके की तलाश में थे कि कब ऊंट पहाड के नीचे आये धीरे-धीरे ब्रिगेड के मित्रों ने उनकी पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू की. ‘ए’ शिफ्ट और ‘नाईट शिफ्ट ‘ में तो वे पूरे शबाब के साथ पूरे समय नजर आते पर ‘बी’ शिफ्ट में वे संदिग्ध दिखते. शाम चार बजे से रात नौ बजे तक अक्सर वे गायब मिलते. दोपहर दो बजे बिलकुल टाईम से पहुचते. दो घंटे इधर-उधर घूमकर जल्दी-जल्दी काम निपटाते और चार बजते तक छूमंतर हो जाते. ब्रिगेड को बताते जाते कि अमुक जगह पर चल रहे काम को देखने जा रहे या फिर कभी कहते- पुराने विभाग के दोस्तों से मिलने जा रहे हैं.

शुरू-शुरू में किसी ने ध्यान नहीं दिया. उनका टिफिन का डिब्बा और एक अदद पढ़ने का चश्मा टेबल पर उनकी उपस्तिथि दर्ज कराते पड़ा रहता. यह क्रम जब कुछ अनवरत-सा हुआ तो एक दिन ब्रिगेड के कुछ जांबाजों( बदमाशों ) ने हिम्मत कर उस टिफिन-बाक्स को खोल ही डाला..देखा तो चकित रह गए....अंदर का स्टील-वाला भाग दर्पण की तरह चमचमाता दिखा, जैसे अभी-अभी ख़रीदा हो. संदेह पुख्ता हो गया. तीन-चार दिनों तक लगातार टिफिन-बाक्स खोल देखते रहे...अंदर का स्टील-वाला भाग हर बार चमचमाता रहा. सब जान गए कि टेबल पर रखा टिफिन ‘ डमी ‘ है और चश्मा भी ‘ डमी ‘ है. ओरिजनल टिफिन को वह स्कूटर की डिक्की में रखता और ओरिजनल चश्मे को सफारी के जेब में. रात नौ-साढ़े- नौ के आसपास डमी टिफिन और चश्मे को आलमारी में बंद कर फुर्र हो जाता. फिर दूसरे दिन लंच के बाद, तीन बजे के आसपास चुपके से ‘ डमी ‘टिफिन और चश्मे को टेबल पर ‘फ्लावर-पाट’ की तरह सजा देता ताकि मातहतों को लगे कि साहब यहीं कहीं आसपास ही है.

पूरा ब्रिगेड उससे नाराज था , सभी चिढे थे उनसे. एक दिन ब्रिगेड के दो उस्तादों ने तय किया कि आज इनका पीछा कर,इनकी ‘वाट’ लगायी जाए. चार बजे के आसपास जैसे ही वे अपनी स्कूटर निकाल बोले कि पुराने विभाग के दोस्तों से मिलने जा रहा हूँ- दोनों ने अपनी स्कूटर उनके स्कूटर के पीछे लगा दी...और लगे पीछा करने. सिन्हा साहब अपनी धुन में सीधे मेनगेट पहुंचे और बाहर निकल फुर्र हो गए. दोनों जांबाज चकित हुए..लेकिन पीछा कर भांडा तो फोडना ही था..सो पीछे-पीछे चलते गए. थोड़ी देर में देखा- साहब अपने कंपनी- क्वार्टर में दाखिल हो रहे हैं. दरवाजे से लगा एक अतिरिक्त कमरा और था जिसमे डाक्टरों-वाला ‘ प्लस ‘ का बोर्ड टंगा था. कमरे का दरवाजा अधखुला-सा था. अंदर दो-तीन लोग बैठे थे. थोड़ी दूर में स्कूटर खड़ी कर दोनों सोचने लगे कि अब आगे क्या करें? फिर देखा- साहब बगलवाले गैरेजनुमा अस्पताली कमरे में दाखिल हो रहे हैं. तुरंत रणनीति बनी कि दोनों में से एक ‘ पेशेंट ‘ बने और दूसरा ‘ अटेंडेंट ‘. दोनों इंतजार करते खड़े रहे कि अंदर के पेशेंट बाहर आयें तो वे अंदर

जाएँ. लगभग घंटे भर बाद जब इत्मीनान हो गया कि अंदर अब कोई नहीं , दोनों सपाटे के साथ दाखिल हो गए. देखते ही सिन्हा साहब चौंके-‘ तुम लोग... तुम लोग यहाँ कैसे आये? तुम दोनों को तो अभी प्लांट में होना था..’ अटेंडेंट बने कर्मी ने मन ही मन कहा-साले...प्लांट में तो तुझे भी होना था..धीरे से जवाब दिया- ‘ बहुत सीरियस केस है साहब..एकाएक इसके पेट में असहनीय दर्द उठा...आपको ढूंढे, आप नहीं मिले..आपके पुराने विभाग भी गए...मालूम हुआ, वहाँ तो आप महीनों से नहीं आये... दर्द बढ़ता ही जा रहा था..मेनगेट खुला दिखा तो सोचा- बाहर किसी को दिखा देंगे...इधर से गुजर रहे थे कि आपके क्वार्टर का दरवाजा खुला दिखा ...सोचा कि सौभाग्य से कहीं आप घर पर हों तो आपको ही दिखा दें....इसलिए चले आये..’

‘ठीक है... ठीक है...चलो, इसे बेंच में लिटा दो...देखता हूँ...वो क्या है ना.. आज सुबह तुम्हारी भाभी की तबियत ठीक नहीं थी..इसलिए देखने आ गया था..’

अटेंडेंट बने दोस्त ने अँधेरे में तीर फेंका, बोला- ‘ डाक्टर साहब...मेरा एक दोस्त राहुल आपके पीछे वाली स्ट्रीट में रहता है,..वो तो कहता है ,अक्सर इस समय आप यहीं होते हैं....’इतना सुनना भर था कि उनका रंग उड़ गया...बात को अनसुनी कर..बहुत ही बेमन और बेदर्दी से उस पेशेंट दोस्त के पेट को पिचकता रहा, पूछता रहा- क्या खाए हो? कब खाए हो? कहाँ खाए हो? गनीमत कि ये नहीं पूछा -क्यों खाए हो? फिर साबूदाने की( होम्योपेथी की) कुछ गोलियाँ उसके मुहं में उंडेल दी और उसे उठ जाने को कहा. दोनों को सामने की कुर्सी पर प्रेम से बिठाया और अपनी आवाज में शहद घोलते कहा- ‘देखो बेटे...मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ... तुम ही लोग तो मेरे अपने हो....मेरे दिल के एकदम करीब...कभी प्लांट से बाहर जाना हो तो चुपचाप मुझे बताकर चल दिया करो...पर वन-बाई-वन...एक दिन तुम....तो एक दिन तुम...लेकिन ब्रिगेड के किसी भी कर्मी से इस बात का जिक्र मत करना...इसी शर्त पर भागने दूँगा..’

अंधा क्या मांगे-दो आँख..दोनों दोस्त गदगद हो, खुशी से झूमते जाने लगे तो साहब बोले- ‘ अरे भई..फीस तो देते जाओ...घोडा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या? ‘ अटेंडेंट बने गधे ने बड़े बेमन से उस घोड़े को बीस का नोट थमाया.

थोड़े ही दिनों में एक नया तमाशा शुरू हो गया....दोनों दोस्त वन-बाई-वन भागने लगे. ब्रिगेड के बाक़ी लोग ...हैरान...परेशांन...माजरा समझने एक दिन सभी ने उन दोनों को खूब चमकाया और सीधे जी.एम्. को बताने की बात कही तो दोनों ने पूरी घटना की उलटी कर दी . कुछ लोगों ने त्वरित गति से पूरी घटना की जानकारी जी.एम् साहब को दे भी दी. सुनकर वे बौखला गए, पूछा- रोज भागकर सिन्हाजी करते क्या हैं? एक ने तुरंत जवाब दिया- ‘ साबूदाना बेचते हैं सर...’ जी.एम्. चौंके- ‘ साबूदाना....व्हाट साबूदाना..? तब कर्मियों ने बताया कि वे होम्योपेथी के डाक्टर हैं..

शिकायत की तस्दीक करने तीन-चार दिन जी.एम् साहब उसी समय वहाँ पहुँचते जब डाक्टर साहब नहीं होते . चौथे ही दिन उन्हें उनके भगोड़े होने का पूरा विश्वास हो गया.

एक दिन जी.एम् साहब ने ब्रिगेड के सभी साथियों को डाक्टर सिन्हा के आफिस में रात नौ बजे इकट्ठे होने का आदेश दिया और ठीक नौ बजे वे स्वयं वहाँ पहुँच, उनकी कुर्सी पर बैठ गए. पांच मिनट बाद ही डाक्टर सिन्हा कुछ गुनगुनाते- गुनगुनाते आफिस में घुसे तो कुर्सी पर जी.एम् को बैठे देख सकपका गए... कुछ बोल पाते कि उसके पहले ही जी.एम् साहब उबल पड़े-‘ तीन घंटों से यहाँ बैठा हूँ...आपके इंतजार में...कहाँ थे आप अब तक?’ ब्रिगेड के सारे लोगों को देख उनकी बोलती बंद हो गयी....फिर धीरे से फुसफुसाया-‘ यहीं तो था सर...देखिये न...मेरा टिफिन , चश्मा..सब यहीं रखा है..’ इतना बोलना भर था कि जी.एम् साहब चीख पड़े- ‘ ये टिफिन- चश्मा वाली सब कहानी .मालूम है.. मत सुनाओ मुझे.. शर्म आनी चाहिए आपको...आपसे लाख दर्जे अच्छे तो ये नान-एक्स हैं जो जी-जान से काम करते हैं..कभी इधर-उधर नहीं भागते और आप अफसर होकर टुच्चा काम करते हैं? भगोड़े आदमी मुझे कतई पसंद नहीं..कल सुबह तक आपको ट्रांसफर आर्डर मिल जायेगा.. उठाईये अपना ये टिफिन- चश्मा..और दफा हो जाईये..’

एक सन्नाटा-सा पसर गया आफिस में. चुपचाप वे टिफिन- चश्मा बटोरने लगे. ब्रिगेड के सारे लोग उनके ‘ बे-आबरू होकर तेरे कूचे से...’वाली सूरत देख अंदर ही अंदर गदगद हो रहे थे.

दूसरे दिन उनका ट्रांसफर एक ऐसे विभाग में हो गया जिसका नाम सुन कई विभाग दूर भागते हैं. टोटल चार लोगों का स्टाफ था वहाँ. महीने भर बाद वही दोनों दोस्त (पेशेंट- अटेंडेंट) नई स्तिथि-परिस्तिथि का जायजा लेने उनके विभाग में गए तो देखा-फिर वही डमी टिफिन और चश्मा..उनके टेबल पर पसरा मुस्कुरा रहा था. वहीँ के एक चपरासीनुमा अफसर से उनके विषय में पूछा तो मालूम हुआ-‘ पुराने विभाग के मित्रों से मिलने गए हैं ‘ सुनकर दोनों अपनी हंसीं रोक नहीं पाए....उलटे पांव लौटे और घंटों पागलों की तरह हँसते रहे

दोस्त की कहानी के चक्कर में भूल रहा हूँ कि आज बुधवार है...आज मेरी बारी है....अब ये मत पूछिए कि भागकर मैं क्या करता हूँ....हाँ..इतना निश्चित मानिये- मैं साबूदाना नहीं बेचता... मैं साबूदाना नहीं बेचता...

xxxxxxxxxxxxxxx

प्रमोद यादव

गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. सुन्दर जानदार प्रैक्टिकल कहानी सच्चाई बयां करती बधाई हो प्रमोद जी

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद यादव का व्यंग्य - निगोड़े भगोड़े
प्रमोद यादव का व्यंग्य - निगोड़े भगोड़े
http://lh3.ggpht.com/-it07IN4Vxig/UfoOz3NhHzI/AAAAAAAAVYo/wa0o9XIc6cw/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=200
http://lh3.ggpht.com/-it07IN4Vxig/UfoOz3NhHzI/AAAAAAAAVYo/wa0o9XIc6cw/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/12/blog-post_68.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/12/blog-post_68.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content