ओमप्रकाश शर्मा का संस्मरण - अहसास

SHARE:

अहसास चार बार तिथियाँ बदलने व विद्यार्थियों को बार-बार हिदायत देने के बाद उस दिन थोड़े से अभिभावकों ने विद्यालय आने का कष्ट किया और बड़ी कठिन...

अहसास

चार बार तिथियाँ बदलने व विद्यार्थियों को बार-बार हिदायत देने के बाद उस दिन थोड़े से अभिभावकों ने विद्यालय आने का कष्ट किया और बड़ी कठिनाई से विद्यालय प्रबन्धन समिति की नवकार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया को पूरा किया जा सका। मेरे मन में सहसा अपने पुराने विद्यालय की उन दिनों की याद ताजा हो गई जब मैं नया-नया उस विद्यालय में स्थानांतरित होकर आया था। बोर्ड की परीक्षाएँ हो चुकी थीं । परीक्षा के संचालन का कार्यभार अर्थशास्त्र के प्रवक्ता श्री मदन जी, जो युवा होने के साथ-साथ विद्वान, कर्मठ, दूरदर्शी, निर्भीक व्यक्तित्व के स्वामी थे के हाथों में था। वे उसी विद्यालय के ही पुराने छात्र थे व अब भी हिमाचल विश्वविद्यालय पी.एच.डी कर रहे थे। उनका मत था- ‘नकल ही एक ऐसी बुराई है जो छात्रों में निट्ठलेपन की भावना को जागृत करती है तथा अध्ययन अध्यापन के कार्य में बाधा उपस्थित करती है। यदि इस बुराई का अन्त कर दिया जाए तो शैक्षिक वातावरण स्वतः ही बन जाता है व तभी सही अर्थो में बालक का सर्वांगीण विकास संभव हो सकता है।‘ उस वर्ष उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं को बोर्ड के उचित मापदण्ड़ो व दिशानिर्देशों के आधार पर संचालित किया था। परिणामतः परीक्षा परिणाम घोषित होने पर पढ़ने वाले बच्चों का प्राप्ताँक प्रतिशत तो अच्छा रहा परन्तु विद्यालय का पास प्रतिशत काफी कम रहा और विशेषकर दसवीं के गणित विषय का। इस पर शिक्षक के भी दो वर्ग बन गए थे। एक वर्ग था जो उनके साहसिक कदम की प्रशंसा कर रहा था तथा दूसरा वर्ग जिसमें गिने चुने अध्यापक थे उन्हें घटिया परीक्षा परिणाम के लिए दोषी ठहरा रहा था।

बाजार आदि में कुछ दिनों तक इसकी चर्चा रही परन्तु धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया लेकिन बड़े आश्चर्य की बात थी कि दो तीन महीने व्यतीत हो जाने पर भी किसी भी बालक के माता-पिता /अभिभावक ने विद्यालय में आकर यह जानने का कष्ट नहीं किया कि उनका बच्चा क्यों या कैसे अनुत्तीर्ण हो गया या उसकी क्यों कंपार्टमैंट आई। कुछ बालकों ने स्कूल छोड़ दिया, कुछ ने पुनः प्रवेश ले लिया तथा कुछ छात्रों ने स्वयं ही अपना विद्यालय-त्याग प्रमाणपत्र लेकर दूसरे विद्यालय में प्रवेश ले लिया। बाहर बाहर चर्चाएँ होती रहीं पर विद्यालय में कोई नही आया।

मैं परीक्षाओं के दौरान ही उस विद्यालय में स्थानान्तरित होकर आया था। चार पाँच महीने तो विद्यालय में स्वयं को समायोजित करते ही व्यतीत हो जाते हैं कि मुझे जिलाधीश के कार्यालय से पंचायत की ग्रामसभा में विद्यालय प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित होने के निर्देश मिले। मैं निश्चित तिथि को निर्धारित समयानुसार उस स्थान पर पहुँचा परन्तु उस समय पंचायत भवन में ताला लगा हुआ था। मैं बरामदे में लगे सूचनापट्ट में चस्पां की गई सूचनाओं को पढ़ने लगा तब मुझे ज्ञात हुआ कि मीटिंग का समय बारह बजे का है। मैं बरामदे के एक कोने में रूमाल बिछाकर बैठ गया। साढे ग्यारह बजे के लगभग चौकीदार वहाँ आया, उसने मेरा अभिवादन किया कमरा खोलकर मुझे भीतर बैठने को कहा। उसके बाद धीरे-धीरे लोगों का आना शुरू हो गया। पंचायत प्रधान उप-प्रधान, मैम्बर इत्यादि भी आ गए थे परन्तु अभी कोरम पूरा नहीं हुआ था। लोग मुझे नहीं पहचानते थे क्योंकि एक तो विद्यालय में मेरा कार्यकाल ही कम था दूसरे वे लोग विद्यालय में कभी आते ही नहीं थे। हाँ मैंने उन लोगों को अकसर बाज़ार की ओर आते जाते तो अवश्य देखा था पर उनसे बात करने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था। पंचायत सचिव का कार्यभार भी एक प्राईमरी स्कूल के अध्यापक को सौंपा गया था उनसे मैं भली-भाँति परिचित था। उसी दोरान एक शिक्षित चतुर महिला ने पंचायत सचिव को संबोधित करते हुए कहा,”भाई साहब इस बार स्कूल का दसवीं का परीक्षा परिणाम तो अच्छा नहीं रहा है।“

सचिव ने अपने सिर से बात टालते हुए तथा मेरी ओर इशारा करते हुए कहा, “इसीलिए तो आज गुरुजी हमारे बीच में उपस्थित हैं वो ही आपको इसके संबंध में सही-सही बतला सकते है।”

मैं उनकी बातों को ध्यान से सुन रहा था व मुझे स्कूल के परिणाम की भी पूरी जानकारी थी परन्तु मैंने फिर भी अनजान बनते हुए पूछा, “आप क्या बताने के बारे में बात कर रहे हैं I” इस पर पंचायत सचिव ने बात को स्पष्ट करते हुए कहा इनका कहना है कि इस बार आपके विद्यालय का परीक्षा परिणाम ठीक नहीं रहा ये इसके कारण के बारे में जानना चाहती हैं।”

“विद्यालय का परीक्षा परिणाम ठीक नहीं रहा मुझे तो ऐसा नहीं लगता।” यह सुनकर वह भड़क गईं और क्रोध मिश्रित भाव में मेरी ओर देखा कर कहने लगीं आप कैसे मास्टर हैं जिन्हें अपने स्कूल के रिजल्ट के बारे में ही नहीं पता?”

“ मैंने उससे विनम्रता से प्रश्न किया, “आपके किस बच्चे का परिणाम ठीक नहीं है, क्या आप मुझे उसका नाम बताने का कष्ट करेंगी?”

“ मेरी बात तो छोड़ो मेरे बच्चे तो बड़े-बड़े हैं और कॉलेज में पढ़ते हैं मैं तो आम लोगों के बच्चों की बात कर रही हूँ।”

“ फिर आप किस प्रकार कह सकती हैं कि परिणाम खराब है जबकि आपका तो कोई बच्चा विद्यालय में पढ़ता ही नहीं?”

“ स्कूल का रिज़ल्ट तो सब लोगों को पता लगता है शायद आपने ने हम लोगों को अनपढ़ गंवार समझ रखा है। आजकल सब लोग थोड़ा बहुत पढ़ लिख लेते हैं। स्कूल का रिजल्ट जानने के लिए अपने बच्चों के स्कूल में पढ़ने की बात तो बिलकुल बेतुकी लग रही है। इसका पता तो आजकल अखबारों से ही चल जाता है।” यह कहते कहते व व्यंग्य की हँसी हँसते हुए उस महिला ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों को इस प्रकार निहारा मानों अपनी बात में लोगों का समर्थन जुटाना चाहती हों।

“मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ। मैं तो परीक्षा परिणाम तब गलत मानता यदि अनुत्तीर्ण हुए छात्रों के अभिभावक हमारे पास आकर पूछते कि आप बताएँ मेरा बेटा या बेटी क्यों परीक्षा में सफल नहीं हुए I जब वे आए ही नहीं तो मैं तो यही मान सकता हूँ कि वे उसी प्रकार के परिणाम की आशा लगाए हुए थे तथा उस परीक्षा परिणाम से संतुष्ट हैं। मेरे विचार से वे ही समझ सकते हैं कि उन्होंने उन्हें पढ़ने का कितना समय दिया है, उनसे और कितने काम लिए है और उनका बालक कितने दिन स्कूल गया है व वहाँ जाकर उसने क्या किया हैI इसके बारे में आप क्या जान सकती हैं जब आपका बच्चा विद्यालय में है ही नहीं| मेरी इस बात को सुनकर सब मेरा मुँह ताकने लगे।

उस महिला ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं भई वे खुद बात करो मैं क्यों पडूँ आपके झमेले में |

तत्पश्चात मैंने सबको समझाने का प्रयास किया कि शिक्षा एक तिकोनी प्रक्रिया है जिसमें छात्र, शिक्षक व अभिभावक तीनों में सामंजस्य होना अति आवश्यक है। यह तो एक तिपहिए वाहन की तरह है। यदि तिपहिए वाहन का एक भी पहिया खराब है तो पूरे वाहन की गति रुक जाती है। इसी प्रकार इन तीनों में से यदि कोई भी अपनी भूमिका का उचित निर्वाह नहीं करता तो शिक्षा के विकास की गति में बाधा आती है। शिक्षा कोई आनिक का इंजैक्शन नहीं जो शिक्षार्थी को लगाया जा सके। जब तक आप लोग अपने बालक के प्रति जागरूक नहीं होंगे तो बालक का सर्वांगीलंण विकास नहीं हो सकता।’’

मेरी इस बात को सुनकर एक महाशय कहने लगे, “हम कृषक है हमारे पास बहुत से काम हैं- खेती बाड़ी पशुओं को चराना, घास पानी का प्रबंध करना। हमारे पास तो मरने की फुरसत नहीं होती।”

“आप यह सब किसके लिए करते हैं ?”

“अपने और अपने बच्चों के लिए।”

“आप अपने पशुओं को दिन में कई बार देखते हैं कि वे कहाँ चर रहे है | आप अपने कुत्ते बिल्लियों का ध्यान रखते हैं परन्तु जिनके लिए आप यह सब काम करते हैं उनके लिए आप महीने में एक आध घंटे का समय भी निकालने की आवश्यकता अनुभव नहीं करते। आप जरा सोचिए यदि वे गलत संगत में पड़कर अपना भविष्य बिगाड लेते हैं तो आपके ये सारे कर्म जो आप उनके लिए कर रहे हैं क्या सब व्यर्थ नहीं हो जाएँगे?” मैंने यह अनुमान लगाते हुए भी कि ये लोग इसका विपरीत अर्थ भी लगा सकते हैं उनसे प्रश्न किया।

अब महाशय थोड़ी सोच में पड़ गए । मैं भी समझ रहा था कि ये लोग अपने बालक को शिक्षित करवाने में अपनी भूमिका को समझ नहीं पा रहे हैं | मैंने उन्हें समझाने के लिए बात को आगे बढ़ाया और उन्हें अवगत करवाया कि आपके गाँवों के कई बच्चे सुबह सात बजे ही स्कूल के मैदान में पहुँच जाते हैं तथा छुट्टी हो जाने पर भी शाम सात-सात बजे तक मैदान में डटे रहते हैं पर किसी भी अभिभावक ने यह जानने का कभी प्रयास किया कि वे विद्यालय में पढ़ते भी हैं या खेलते ही रहते हैं | जब वे छह बजे उठकर घर सें जाते हैं और घर में आठ या नौ बजे प्रवेश करते हैं तो क्या आपको नहीं पूछना चाहिए कि वे इतनी जल्दी क्यों जाते हैं और देर से क्यों आते हैं? इसपर एक अन्य सज्जन कहने लगे, “ पी.टी.आई जी तो हमारे मित्र हैं हम उनसे बच्चों के बारे में पूरी खबर रखते हैं।”

“आप यहीं तो गलती कर रहे हैं। उनका काम तो शारीरिक शिक्षा देना व खेल-कूद करवाना है जो बालक सारा दिन खेलता रहेगा उनके विषय में तो ठीक होगा ही परन्तु वे अन्य विषयों के बारे में थोड़े ही बता सकते हैं। इसके लिए आपको थोड़ा सा समय निकालना ही होगा। आप जब कभी भी महीने दो महीने में स्कूल के पास से गुजरें तो एक चक्कर स्कूल का भी लगा लें। प्रधानाचार्य जी से मिलें वे आपको अन्य अध्यापकों से मिलवाएँगे तथा आपके बच्चे की प्रगति के बारे में सही जानकारी दिलवाने का प्रयास करेंगे। आप लोगों के बच्चों से संबंधित समस्याओं को आप लोगों के समक्षा रखेंगे तथा उसके समाधान के लिए आप लोगों से विचार विमर्श करेंगे।”

अब उन अभिभावकों की समझ में मेरी बात आने लगी थी। कई लोग जिनके बच्चे हमारे विद्यालय में पढ़ते थे शायद उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया था। अब वे जिज्ञासु की भाँति अधिकाधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु उठ-उठकर तरह तरह के प्रश्न करने लगे। मैंने उन्हें यह कहते हुए कि आप हमारे लिए आदरणीय हैं, आप अपना कीमती समय निकालकर इस सभा में आए है आपको खड़े होने की कोई आवश्यकता नहीं है आप बैठकर ही अपने प्रश्नों को पूछकर अपनी जिज्ञासा को पूर्ण कर सकते हैं। इसके पश्चात बहुत सी बातें हुईं काफी विचार विमर्श हुआ। यहाँ तक कि जब मैं वापिस लौट रहा था तो लोग मुझे अपने-अपने घर ले जाने की जिद्द करने लगे मैंने उन्हें अपनी विवशता बतलाई पर वे तब तक मेरे साथ रहे जब तक मैं बस में नहीं बैठ गया और बस चल नहीं पड़ी।

उसके बाद अभिभावकों में एक नई प्रकार की जागृति देखने को मिली। वे जब तब विद्यालय में आने लगे व अपने बच्चों के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगे। इसका परिणाम बहुत संतोषजनक रहा I अध्ययन-अध्यापन के कार्य में कुछ परिवर्तन हुए और आगामी वर्ष की परीक्षाएँ भी उसी प्रकार विधिवत ढंग से ली गईं परन्तु विद्यालय का परिणाम बहुत अच्छा रहा। आज मुझे पुनः ऐसा अनुभव होने लगा कि यहाँ पर भी अभिभावकों में इसी प्रकार की सोच पैदा करने का प्रयास किए जाने की आवश्यकता है तभी शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चला पाना संभव हो सकेगा अन्यथा अध्यापकों द्वारा किए जा रहे सभी प्रयास पूर्णतया सफल नहीं हो पाएँगे।

 

ओम प्रकाश शर्मा,

एक ओंकार निवास, सम्मुख आँगरा निवास छोटा शिमला,शिमला-171002

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ओमप्रकाश शर्मा का संस्मरण - अहसास
ओमप्रकाश शर्मा का संस्मरण - अहसास
http://lh4.ggpht.com/-f2sKLOUz2EM/VJaCX6UuCLI/AAAAAAAAcPQ/upF-IviZW-E/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-f2sKLOUz2EM/VJaCX6UuCLI/AAAAAAAAcPQ/upF-IviZW-E/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/01/blog-post_66.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/01/blog-post_66.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content