चूहे और चूहे - लघु बाल-विज्ञान-उपन्यास

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चूहे और चूहे लघु बाल उपन्यास जे. बी. एस. हैल्डेन हिंदी अनुवाद – अरविंद गुप्ता ब हुत पुरानी बात है। इंग्लैंड में स्मिथ नाम का एक आदमी रहत...

चूहे और चूहे

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लघु बाल उपन्यास

जे. बी. एस. हैल्डेन

हिंदी अनुवाद –

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अरविंद गुप्ता

हुत पुरानी बात है। इंग्लैंड में स्मिथ नाम का एक आदमी रहता था। उसकी सज्जी की दुकान थी। उसके चार बेटे थे। सबसे बड़े लड़के का नाम जार्ज था। यह बात तय थी कि बड़ा होकर जार्ज ही अपने पिता की दुकान संभालेगा।

स्कूल में उसने वनस्पतिशास्त्र की पढ़ाई की। उसने पत्तागोभी की एक सौ सत्तावन किस्मों का अध्ययन किया। पालक की चवालीस किस्मों के बारे में जानकारी हासिल की। पत्तागोभी में रहने वाली सत्तर अलग-अलग नस्लों की इल्लियों को पहचानना सीखा। और पत्तागोमियों पर देसी कीट नाशकों का छिड़काव किया। इसके परिणाम काफी आश्चर्यजनक निकले।

साबुन का घोल छिड़कने पर पत्तागोभियों में से हरे रंग की इल्लियां बाहर निकलीं। तम्बाकू का रस छिड़कने पर चितकबरी इल्लियां निकलीं।

नमक का घोल छिड़कने पर मोटी-मोटी भूरी इल्लियां बाहर निकलीं। जब वह बड़ा हुआ, तो उसकी सब्जी की दुकान पूरे लंदन शहर में सबसे मशहूर हुई। उसकी पत्तागोभी में कभी भी इल्ली या कीड़ा नहीं मिला।

परंतु मिस्टर स्मिथ की सिर्फ एक ही दुकान थी। इसलिए उनके बाकी बेटों को दूसरे धंधों में अपनी किस्मत आजमानी थी। दूसरे बेटे को लोग जिम कह कर बुलाते थे। वैसे उसका असली नाम जेम्स था। वह अंग्रेजी में तेज था। उसने स्कूल में अच्छे निबंध लिख कर इनाम जीते थे। वह स्कूल की फुटबॉल टीम का कप्तान था। वह हाथ की सफाई और जादू के खेल दिखाने में भी बड़ा माहिर था। स्कूल के मास्टर कई बार उसकी शैतानियों का शिकार बने थे।

एक बार उसने चॉक में छेद करके उसमें एक माचिस की तीली धंसा दी। अगले दिन मास्टर जी ने जैसे ही ब्लैक बोर्ड पर चॉक से लिखा, यह जल उठी। उसके बाद अगले पांच मिनटों तक क्लास में कुछ भी पढ़ाई नहीं हो सकी।

दूसरे दिन उसने स्याही की दवातों में मिथिलेटिड स्पिरिट मिला दी। उसका असर यह हुआ 'कि स्याही ने पेन से चिपकना ही बंद कर दिया। तब मास्टर जी को सारी दवातों की स्याही बदलनी पड़ी। इसमें लगभग आधा घंटा लग गया। इसलिए उस दिन फ्रेंच के क्लास में कुछ खास पढ़ाई नहीं हो पायी। वैसे भी जिम को फ्रेंच से चिढ़ थी।

पर वह कभी भी छोटी-मोटी हरकतें नहीं करता था। मिसाल के लिए, उसने कभी भी ताले के छेद में गीला आटा या पुट्टी नहीं भरी। उसने मास्टर जी की दराज में कभी मरे चूहे भी नहीं छिपाए।

तीसरे लड़के का नाम चार्ल्स था। वह गणित और इतिहास में काफी तेज था। वह अपनी क्रिकेट टीम में लेफ्ट हैंड बॉलर भी था। पर अगर वह किसी एक विषय में एकदम काबिल था, तो वह था रसायनशास्त्र यानि 'कैमिस्ट्री। पूरे स्कूल में वह शायद एक मात्र ऐसा लड़का था जिसने कभी पैरा डीमिथाइल अमीनो बेंजलहीहाइड बनाया हो।

इस रसायन को बनाना बेहद कठिन है। वह सड़ी से सड़ी बदबुएं पैदा कर सकता था, क्योंकि वह उनकी रासायनिक विधियां जानता था। परंतु वह एक बहुत अच्छा लड़का था, और उसने ऐसा कभी नहीं किया। अगर वह गंदी बदबुओं को पैदा करता तो शायद उसे कैमिस्ट्री पढ़ने से रोक दिया जाता। परन्तु वह तो जीवन भर केवल कैमिस्ट्री ही पढ़ना चाहता था।

चौथे लडके का नाम जैक था। वह पढ़ने-लिखने में कोई खास लायक नहीं था। न ही वह किसी खेल में बहुत अच्छा था। वह फुटबॉल कभी सीधी नहीं मार पाता था। क्रिकेट के मैच में वह एक बार फील्डिंग करते-करते सो गया था। अगर वह किसी एक चीज में उस्ताद था तो वह था वायरलैस।

उसने अपने घर में खुद एक वायरलैस सैट बनाया था। केवल उसके वाल्व उसने बाजार से खरीदे थे। इस कहानी की शुरुआत के समय वह वाल्व बनाना सीख रहा था। उसकी एक बूढ़ी नानी भी थी। नाम था मटिल्डा। वह बेहद बूढ़ी थीं। लंदन से लेकर डोवर तक की रेल-लाइन उसके बचपन में बिछी थी। वह चल फिर नहीं सकती थी। वह हर वक्त पलंग पर लेटी रहती थी। जैक ने उसके लिए एक जोड़ी 'ईयर फोन ' बना दिए थे 1 उन्हें कान में लगाकर वह दिन भर संगीत सुनती रहती।

जैक बिजली की तमाम चीजें बनाने में माहिर था। उसने बिजली मीटर में एक नई जुगाड़ फिट की थी। उससे बिजली के पंखे चलते. और बल्ब जलते परंतु मीटर आगे नहीं बढ़ता। हफ्ते भर तक उसकी रीडिंग एक ही जगह पर रुकी रही। जब उसके पिता को इसके बारे में पता चला तो वे बहुत नाराज हुए।

उन्होंने कहा, ' 'हमें. इस तरह के गलत काम नहीं करना। हमें बिजली की चोरी नहीं करना चाहिए।' '

' 'मेरे ख्याल से इसमें कोई चोरी नहीं है.'' जैक ने जवाब दिया. '' अव्वल तो बिजली सरकार देती है। आदमी नहीं। दूसरी बात यह है कि बिजली बल्बों से होकर मेनलाइन में वापिस चली जाती है। हम बिजली को कोई अपने पास तो रखते नहीं। हम तो उसे थोड़ी देर के लिए उधार लेते हैं।''

परंतु उसके पिता नहीं माने। उन्होंने जैक से मीटर पर लगी जुगाड़ हटा लेने को कहा। क्योंकि वह एक ईमानदार आदमी थे, इसलिए उन्होंने बिजली कम्पनी का हरजाना भी दिया।

मिस्टर स्मिथ की एक बेटी भी थी। उसका असली नाम लूसेल था। लोग उसे पजी कहते थे। वैसे इस कहानी में उसका कोई खास रोल नहीं है। इसलिए मैं उसका जिक्र आखिर में करूंगा। बचपन में उसके दांत बाहर निकले हुए थे। आखिर में वे अपने सही जगह पहुंच गए।

उस वक्त लंदन के बंदरगाह में चूहों ने तहलका मचा रखा था। ये बडे खूंखार किस्म के चूहे थे। उनके दादा परदादा चाय, अदरक, रेशम और चावल के वीरों में छिपकर स्टीमरों से हांग-कांग से यहां आए थे। क्योंकि इंग्लैंड में अनाज कम पैदा होता है, इसलिए वहां खाने की तमाम चीजें दूसरे देशों से मंगायी जाती हैं। विदेशों से आये खाने के माल को चूहे हजम कर जाते।

वे कनाडा का गेहूं और हालैंड का पनीर खा जाते। वे न्यूजीलैंड से आया मांस और अर्जेंटीना का ताजा गोश्त खा जाते। वे ईरान से आए बेहतरीन कालीनों को कुतर-कुतर कर अपने बिलों में ले जाते। वहां उनसे अपना बिस्तरा बनाते। माल हजम करने के बाद, चीन से आए रेशमी रूमालों से अपने हाथ-मुंह पोंछते।

लंदन के सारे बंदरगाहों के मुखिया को लंदन पोर्ट अथारिटी का चेयरमैन कहते हैं। यह एक बहुत ऊंचा ओहदा है। चेयरमैन के दफ्तर की शोहरत इंग्लैंड की महारानी के महल से कुछ कम नहीं थी। इन चूहों से चेयरमैन बेहद परेशान थे। बाहर से आया सारा माल बंदरगाहों पर उतरता। जब तक कि माल ट्रकों, ट्रेनों और तेलों में लदकर चला न जाता, तब तक उसकी सारी जिम्मेदारी चेयरमैन की होती। इसलिए जो माल चूहे खा जाते, उसका सारा हरजाना चेयरमैन को देना पड़ता।

उन्होंने लंदन के सबसे मशहूर चूहे पकड़ने वालों को बुलाया। परंतु वे भी सौ दो सौ चूहे ही पकड़ पाए। इसका कारण था कि ये चूहे बेहद चालाक किस्म के थे। इन चूहों का एक राजा जमीन के अंदर एक बहुत गहरे बिल में रहता था। बाकी चूहे उसके खाने के लिए एक से बढ़ कर एक पकवान लाते थे।

उसके लिए स्विटजरलैंड की क्रीम-चाकलेट. फ्रांस से आए मांस के व्यंजन और अल्जियर्स से आए पके खजूर लाए जाते थे। सभी चूहे अपने राजा का आदेश मानते। अगर कोई चूहा पकड़ा जाता तो राजा के विशेष दूत बाकी चूहों को खतरे के बारे में बता देते।

राजा के पास दस हजार बहादुर और शेरदिल चूहों की फौज थी। यह सेना किसी भी जानवर से मुकाबला करने की हिम्मत रखती थी। एक कुत्ता आराम से एक दो चूहों को तो मार सकता है. लेकिन उसपर एक साथ सौ चूहे हमला कर दें तो शायद वह तीन चार को ही मार पाएगा, आखिर में वह खुद ही शहीद हो जाएगा।

जिन चूहों के सबसे पैने दांत थे, उन्हें इंजिनियर बनने की ट्रेनिंग दी जाती थी। ये चूहे अपने पैने दांतों से किसी भी चूहेदानी के तारों को काटकर उनमें कैद चूहों को आजाद कराते थे।

एक महीने के अंदर इन चूहों ने एक सौ इक्यासी बिल्लियों और उन्‌नचास कुत्तों को मौत के घाट उतारा। बहुत से कुत्ते और बित्तियां इतनी जख्मी हो गए कि अगर उन्हें दूर से चूहे की खुशबू भी आ जाती तो वे डर के मारे भाग लेते। उन्होंने सात सौ बयालीस चूहों को छ: सौ अट्‌ठारह चूहेदानियों में से मुक्त करवाया था। इसका नतीजा यह हुआ कि चूहा पकड़ने वालों ने चूहा पकड़ने का धंधा ही छोड़ दिया। कैमिस्ट की दुकान से अलग-अलग किस्म के चूहामार जहर लाए गए। उन्हें खाने की चीजों में मिलाकर पूरे बंदरगाह में फैलाया गया। राजा चूहे ने तुरंत आदेश दिया, ' 'चूहे केवल वही खाना खाएं जो सीधे बोरे, डिब्बे या ड्रम से निकला हो। '' -

इसका असर यह हुआ कि केवल वही चूहे मरे, जिन्होंने राजा की बात नहीं मानी। कुछ चूहों ने तो इन अराजक चूहों की मौत पर खुशी भी मनाई । कुत्ते-बिल्लियों, पिंजरों-चूहेदानियों की ही तरह जहर भी चूहों को मार नहीं पाया ।

इससे परेशान होकर लंदन पोर्ट अथारिटी के चेयरमैन ने एक बड़ी मीटिंग बुलाई । इसमें उन्होंने सबसे पूछा. ' 'इन चूहों पर काबू पाने के लिए आपलोग कोई तरीका बताइए ।' ' वाइस-चेयरमैन ने इसके लिए अखबार में एक इश्तहार निकालने का सुझाव दिया ।

अगले हफ्ते सारे अखबारों में यह इश्तहार छपा। इश्तहार पूरे पन्ने का था। एकदम मोटे-मोटे अक्षरों में छपा था. जिससे कि इंग्लैंड के सभी नागरिक इसे पढ़ पाएं। मिस्टर स्मिथ के परिवार के सभी लोगों ने उसे चाव से पढ़ा। केवल नानी मीटल्डा उसे नहीं पढ़ पायी। नानी कभी अखबार पढ़ती ही नहीं थी। वह सारी खबरें रेडियो पर ही सुन लेती थीं।

इस इश्तहार के सामने अखबार में छपी बाकी प्रतियोगिताएं एकदम बचकानी' दिखती थीं। लंदन पोर्ट अथारिटी के चेयरमैन ने बंदरगाह को चूहों से मुक्त कराने वाले को एक लाख पौंड का पुरस्कार देने की घोषणा की थी। साथ में चेयरमैन ने अपनी इकलौती लड़की की शादी भी उस आदमी से करने का वादा किया था। (अगर आदमी पहले से शादी-शुदा हो तो उसे दुबारा शादी की अनुमति नहीं मिलेगी। तब उसकी पत्नी को एक हीरे का कंगन भेंट किया जाएगा।)

इश्तहार में एक लाख पौंड कीमत की सोने की मोहरें दिखाई गई थीं, न कि कागज के नोट। साथ में चेयरमैन की लड़की का फोटो भी छपा था। वह देखने में बेहद सुंदर थी। उसके बाल सुनहरे और घुंघराले थे और आखें नीली थीं। वह वायलिन बजाती थी। उसने तैराकी और स्केटिंग में कई ईनाम जीते थे।

प्रतियोगिता में भागीदार को चूहे मारने का सारा ताम-झाम खुद लाना था। प्रतियोगिता में भाग लेना इस वजह से एक महंगा सौदा बन गया था। इसके बावजूद सैकड़ों हजारों लोगों ने इसमें अपना भाग्य आजमाया। अगली सुबह चेयरमैन के पास इतनी सारी चिट्ठियां आयीं, कि उनको ले जाने के लिए तीन और डाकियों की जरूरत पड़ी। चेयरमैन को इतने लोगों ने टेलीफोन किए कि अंत में गर्म होकर टेलीफोन के तार ही गल गए।

अगले कई महीनों तक तमाम लोग अपना भाग्य आजमाते रहे। कैमिस्ट, जादूगर, वैज्ञानिक, प्राणीशास्त्री, साधु-महात्माओं से लेकर इसमें शेर के शिकारी तक शरीक थे। परंतु कोई भी महारथी चंद चूहों को मारने के अलावा और अधिक कुछ न कर सका। इन लोगों की दखलंदाजी के कारण जहाजों में से माल उतारने में दिक्कत होने लगी। इस वजह से बहुत सारी मक्का को लंदन की बजाय दूसरे बंदरगाहों से विदेश भेजना पडा।

भाग्य आजमाने वालों में जिम, चार्ल्स और जैक स्मिथ भी थे। जिम ने एकदम साधारण-सी दिखने वाली चूहेदानी बनाने की सोची। जैसे स्कूल में मास्टरों को फंसाता था, उसने वैसे ही चूहों को फंसाने की ठानी। उसे बंदरगाह के आस-पास टीन के तमाम पुराने डिब्बे फैले हुए दिखाई पड़े। उसने इन्हीं डिब्बों से एक विशेष प्रकार की चूहेदानी बनाई। चूहे डिब्बे के अंदर की खुशबू सूंघकर उस पर कूदेंगे ही। परन्तु टीन के ऊपरी हिस्से में तो चूहेदानी का दरवाजा था। उसमें से चूहा अंदर तो चला जाएगा परंतु वह फिर बाहर नहीं निकल पाएगा।

जिम अपने सारे खाली समय में डिब्बों की चूहेदानियां बनाता रहता। इसके लिए उसने अपने पिता से दस पौंड कर्ज भी लिए। टीन के डिब्बे बनाने वाले एक बेरोजगार मिस्त्री को भी उसने चूहेदानियां बनाने के काम में लगा लिया था। अंत में कुल मिलाकर उन्होंने एक हजार तीन सौ चौरानवे चूहेदानियां बनायीं। इनमें से सत्रह में कुछ नुक्स रह गया था, इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया।

जिम ने सारी चूहेदानियों को अपने पिता के सब्जी के ठेलो पर लादा और वह वाइस-चेयरमैन से मिलने चला। वाइस चेयरमैन ही 'चूहा मारो अभियान ' की देख-रेख कर रहे थे। उन्होंने कहा:

' 'इतनी चूहेदानियां सभी बंदरगाहों के लिए तो कम होंगी। इसलिए हम पहले इन्हें केवल एक ही बंदरगाह में इस्तेमाल करके देखेंगे।'

इसके लिए 'वेस्ट-इंडिया ' नाम का बंदरगाह चुना गया। यहां जमाईका और उसके आस-पास के द्वीपों से जहाज आते थे। वे अपने साथ-साथ चीनी, रम, शीरा और केले लाते थे। यहां के चूहे तेज- तर्रार थे। शीरे के ड्रमों और कनस्तरों में से अंदर-बाहर आना उनके बांये हाथ का खेल था। कभी-कभी कुछ चूहे शीरे में फंस जाते और वहीं मर जाते। केवल तेज छलांग लगाने वाले और होशियार चूहे ही बचते। इसलिए यहां के चूहे कूदने-फलांगने में काफी उस्ताद हो गए थे।

जिम ने आधी चूहेदानियों में पनीर और आधी में गोश्त के टुकड़े रखे। पहली रात को नौ सौ अट्ठारह चूहे पकड़े गए। इससे जिम बड़ा खुश हुआ। उसे लगा कि अब वह ईनाम जरूर जीत जाएगा। परंतु दूसरी रात केवल तीन ही चूहे पकड़े गए। तीसरी रात केवल दो।

राजा चूहे ने सभी चूहों को टीन के डिब्बों से बचने की चेतावनी दी थी। इसलिए केवल बेवकूफ और आज्ञा न मानने वाले चूहे ही पकड़े गए।

चौथी रात चूहेदानियों को विक्टोरिया बंदरगाह में ले जाया गया। वहां भी केवल चार चूहे ही पकड़ में आए। राजा चूहे की चेतावनी दूर-दराज तक फैल चुकी थी। जिम कुछ खास कर नहीं सकता था। वह मुंह लटकाए घर लौट आया। समय बर्बाद करने के साथ-साथ उसने अपने पिता के दस पौंड भी लुटा दिए थे। स्कूल के शरारती लड़के जिम को 'टीन का चूहा' कह कर चिल्लाने लगे।

चार्ल्स स्मिथ की योजना कुछ अलग थी। उसने एक ऐसे जहर का आविष्कार किया जिसमें न तो कोई स्वाद था और न ही कोई खुशबू। मैं आपको इसे बनाने का तरीका नहीं बताऊंगा, क्योंकि हो सकता है कि कोई हत्यारा इस कहानी को पढ़कर, उस जहर से कुछ लोगों को खत्म कर दे।

चार्ल्स ने काफी मात्रा में इस जहर को बनाया। उसने कई रसायनों को मिलाकर एक ऐसा पदार्थ बनाया जिसमें से राकफोर्ट पनीर की खुशबू आती थी । सभी लोग जानते हैं कि राकफोर्ट पनीर फ्रांस का सबसे मशहूर पनीर है । इस पदार्थ का नाम मिथाइल हेप्टाडेसाइल कीटोन था और इसमें से एकदम पनीर की खुशबू आती थी । चूहों को इस खुशबू से बेहद प्यार है ।

चार्ल्स ने अपने पिता से बीस पौंड उधार लिए । वह बहुत सारा सस्ता और घटिया किस्म का पनीर खरीद लाया । उसने पहले पनीर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा । फिर उन टुकड़ों को जहर में डुबोया । फिर उन पर राकफोर्ट पनीर वाली खुशबू छिड़की । इन टुकड़ों को दस हजार गत्ते के डिब्बों में रखा गया । उसने सोचा कि अगर टुकड़ों को ऐसी ही खुले में बिखरा दिया गया, तो शायद चूहे उनपर शक करें। परंतु डिब्बों में पैक किए पनीर के जहरीला होने पर कौन चूहा शक करेगा?

डिब्बे पतले गत्ते के बने थे जिससे चूहे आसानी से घुस सकें। पूरे दिन भर दो आदमी ठेलों पर उन डिब्बों को लाद-लाद कर बंदरगाह के कोने-कोने में ले गए। चार्ल्स उनके पीछे-पीछे जाता और उन डिब्बों पर पनीर की खुशबू वाला पदार्थ छिड़कता। उस दिन लंदन का समस्त पूर्वी भाग पनीर की खुशबू से महक रहा था।

सूरज ढलने के बाद चूहे अपने बिलों से निकले। उन्होंने एक- दूसरे से कहा, ' 'यह तो कोई गजब का पनीर मालूम होता है। इसके एक छोटे से डिब्बे की खुशबू, एक पेटी भर साधारण पनीर को मात करती है।' ' चूहों ने पनीर को जम कर खाया। वह कुछ पनीर राजा चूहे के भोज के लिए भी से गए। खुशकिस्मती से राजा चूहे ने तभी-तभी पेट भर कर बादाम और अखरोट खाए थे। उसके पेट में बिल्कुल जगह नहीं थी।

जहर को असर करने में कुछ समय लगा। सुबह तीन बजे से चूहों के मरने का सिलसिला जारी हुआ। राजा चूहे का शक एकदम पनीर पर गया। उसने अपने दूतों द्वारा पनीर न खाने का संदेश सारे चूहों में फैला दिया।

एक काफी जालिम किस्म का चूहा था। अपने खुद के बच्चों को खाने के इल्जाम में उसे मौत की सजा हो चुकी थी। राजा चूहे ने उसे थोड़ा सा जहरीला पनीर खाने का आदेश दिया। थोड़ी देर में वह चूहा मर गया। इससे पनीर का जहरीला होना पक्का हो गया। अब राजा ने और दूतों के जरिए अपना संदेश भिजवाया। अगले दिन सुबह चार हजार पांच सौ चौदह मरे हुए चूहे पाए गए। तमाम चूहे बिलों में ही मरे पड़े थे। कई चूहों की तबीयत काफी खराब थी।

चेयरमैन यह देख कर बेहद खुश हुए । उन्होंने चार्ल्स को और पनीर खरीदने के लिए पैसे दिए । परंतु दो दिन बाद आठ हजार डिब्बों में से मात्र दो डिब्बों को खुला पाया गया । मामला साफ था । चूहे आदमियों के मुकाबले ज्यादा चालाक निकले ।

चार्ल्स बेहद दुखी हुआ । वह जीतेगा ही, उसे इस बात का पक्का विश्वास था । चर्च के पादरी को शादी करवाने के लिए पत्र उसने लिख दिया था । उसने सुनार और पादरी को दुबारा पत्र लिखे कि उसने अब शादी करने का इरादा बदल दिया है । सबसे खराब बात यह हुई कि पनीर की खुशबू उसकी चमड़ी के साथ महीना भर तक चिपकी रही । उसे स्कूल ने वापिस लेने से इंकार कर दिया । घर में भी उसे कोयले की कोठरी में सोना पड़ा ।

अंत में जैक ने अपनी योजना बनाई । इसमें खर्चा कुछ अधिक था । उसने अपने पिता से तीस पौंड का कर्ज लिया था, लेकिन वह काफी नहीं था । उसने कुछ वायरलैस सेट मुझे बेचे । कुछ पैसा मुझ से भी उधार लिया । धीरे धीरे उसके पैसों की जरूरत पूरी हुई ।

उसने ढेर सारा लोहे का एकदम महीन बुरादा खरीदा। उसे आटे और चीनी में मिलाकर उनके बिस्कुट बनवाए। बिस्कुटों को बंदरगाह में सभी जगह बिखरा दिया गया। शुरू में तो चूहों ने शक में इन्हें छुआ तक नहीं। बाद में उन्हें बिस्कुटों में कोई नुकसान नहीं .दिखा। तब जाकर उन्होंने खूब बिस्कुट खाए।

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इसी बीच जैक ने सात बड़े-बड़े बिजली के चुम्बकों का जुगाड़ किया। इन्हें अलग-अलग बंदरगाहों में रखा गया। हरेक बिजली के चुम्बक को एक गहरे गडे में रखा गया। फिर बिजली के तार बिछाए गए। बिजली करंट से, चुम्बकों को चालू किया गया।

रेलवे का इलेक्ट्रिकल इंजिनियर संयोगवश जैक का दोस्त निकला। दोनों की वायरलैस में गहरी रुचि थी। दोस्ती के कारण जैक को रेलवे से बिजली उधार लेने में दिक्कत नहीं हुई। जब चूहों ने लोहे का ढेर सारा बुरादा खा लिया तभी चुम्बकों में से करंट बहाया गया।

उसके पहले लोहे, स्टील और निकिल की सभी चीजों को बांध दिया गया। सारे जहाज लोहे के बने होते हैं. इसलिए उन्हें मोटे रस्सों से कस कर बांध दिया गया। उस रात बंदरगाह पर डयूटी पर आए सभी कर्मचारियों को बिना कीलों वाले जूते पहनने पड़े। वाइस- चेयरमैन की बात अलग थी। वह ड्यूक था। उसके जूतों में सोने की कीलें लगी थीं।

आधी रात के वाद करीब डेढ़ बजे लंदन की करीब सभी अंडरग्राउंड ट्रेनों की डयूटी खत्म हुई। तब बिजली का सारा करंट जो ट्रेनों को खींच रहा था-उसे पहले विद्युत चुम्बक में बहाया गया। पहले तो कुछ जंग लगी कीलें और टीन के डिब्बे ही उसकी ओर आकर्षित हुए। फिर कुछ चूहे भी आ चिपके। जिन चूहों के पेट लोहे के बुरादों से भरे थे, वे चुम्बक की ओर खिंचे चले आए।

थोड़ी ही देर में चुम्बक वाला गड्ढा चूहों से खचाखच भर गया। पहला गड्ढा भर जाने के बाद करंट को दूसरे चुम्बक में छोड़ा गया। इसी तरह एक के बाद एक करके सभी चुम्बकों में करंट छोड़ा गया।

पहले तो केवल वही चूहे चुम्बक के चपेट में आए जो अपने बिलों से बाहर थे। फिर हरेक चुम्बक में थोड़ी-थोड़ी देर बाद दुबारा करंट बहाया गया। अब जैसे-जैसे चूहे बिलों से बाहर निकलते, वह झट से चुम्बकों द्वारा पकड़ लिए जाते। धीरे-धीरे बहुत सारे चूहे पकड़े गए। चूहों के राजा को इस गड़बड़ी का आभास हो गया था। उसको लगा कि वह खुद बिल की एक दीवार की ओर खिंचा जा रहा है। उसने अपने दूतों को बाहर भेजा। लेकिन वे दूत दुबारा वापिस नहीं आए। अंत में वह हालचाल जानने के लिए खुद ही बाहर निकला। उसे एक चुम्बक ने खींच लिया।

सुबह होते ही सारे गड्ढों में लबालब पानी भर दिया गया, जिससे सारे चूहे डूब कर मर जाएं। मरे चूहों को जब तोला गया तो उनका भार करीब एक सौ पचास टन निकला। किसी ने मरे चूहों को गिना तो नहीं, फिर भी करीब साढ़े सात लाख चूहे पकड़ में आए।

चूहा पकड़ो अभियान के दौरान कुछ दुर्घटनाएं भी हुई। रात की ड्यूटी पर आया एक चौकीदार बिना कीलों वाले जूते पहनना भूल गया। वह पैरों के बल चुम्बक की ओर खिंचता हुआ गया। गड्ढे के पास आते-आते उसने किसी तरह अपने जूते तो उतार दिए। फिर भी उसके पैरों की उंगलियों से दो चूहे लटके रह गये।

चूहों को चुम्बक ने इतनी ताकत से खींचा कि चौकीदार की उंगलियां टूट कर चूहों के साथ चुम्बक से जा चिपकीं। वह चौकीदार अब छोटे साइज का जूता पहनता है।

दूसरे चौकीदार की किस्मत कुछ अच्छी रही। महायुद्ध से पहले वह बिलियर्ड का एक अच्छा खिलाड़ी था। लडाई के दौरान उसके सिर में कुछ लोहे के छर्रे घुस गए थे। बहुत कोशिशों के बाद भी कोई डाक्टर उन छर्रो को निकाल नहीं पाया। इस वजह से वह बिलियर्ड खेल नहीं पाता था।

परंतु जैसे ही जैक ने चुम्बक में करंट बहाया, वैसे ही चौकीदार के सिर में से लोहे के छर्रे बाहर निकल आए। छर्रे निकालने के बाद उसका दिमाग बिलियर्ड खेलने में दुबारा काम करने लगा। अब वह चौकीदार बिलियर्ड का चैंपियन बन गया है।

दूसरी रात चुम्बकों में दुबारा बिजली दौड़ाई गई। इस बार करीब सौ टन चूहे पकड़े गए। चूहों का राजा पहले ही मारा जा चुका था। इसलिए चूहों को सही रास्ता दिखाने वाला कोई लीडर नहीं बचा था। तीसरी रात भी बहुत सारे चूहे पकड़े गए। इसके बाद जो भी बचे- खुचे चूहे थे, वे डर के मारे इधर-उधर भाग गए।

कुछ चूहों ने लंदन शहर में पलायन किया। वहां के लोगों को परेशान किया। परंतु बंदरगाह में एक भी चूहा नहीं बचा। तमाम कोशिशों के बावजूद चौथी रात एक भी चूहा पकड़ में नहीं आया। अगले कुछ दिनों तक कुत्ते और बिल्लियों की मदद से चूहों को पकड़ने की कोशिश की गई। फिर भी एक भी चूहा पकड़ में नहीं आया।

जैक स्मिथ को एक लाख पौंड मिले। उसकी शादी चैयरमैन की लड़की के साथ एक आलीशान जहाज पर हुई। वह चर्च में शादी नहीं करना चाहता था। रजिस्टार के दफ्तर से भी उसे नफरत थी। उसने एक बड़ा जहाज किराए पर लिया। किनारे से तीन किलोमोटर दूर जाने पर कप्तान ने उनकी शादी की। अगर दूरी ढाई किलोमीटर होती तो कप्तान का ऐसा करना गैरकानूनी होता।

उनके दो बेटी और दो बेटे हुए। जैक को बी.बी.सी. में एक इंजिनियर की अच्छी नौकरी मिल गई। अगर वह चाहता तो उन एक लाख पौंड से सारी जिंदगी बैठ कर खाता। लेकिन उसे वायरलैस से इतना प्रेम था कि वह जीवन भर उसी से खेलते रहना चाहता था। जैक की बहन ने डयूक से शादी कर ली। इसलिए वह डचेज बन गई। उसकी सैंडिल में हीरे की एडी है, जो उसके पति के जूते में लगी सोने की कीलों से मेल खाती हैं। जैक ने अपने दोनों भाइयों-जिम और चार्ल्स-को खूब धन दिया, जिससे वे अपने शौक के मुताबिक कारोबार कर सकें।

जिम ने पैसों से जादू की छड़ी और काला टोप खरीदा। वह आगे जाकर एक मशरू जादूगर बना। बाद में यह चार्ल्स यूनीवर्सिटी में कैमिस्ट्री का प्रोफेसर बना। मैं भी एक प्रोफेसर हूं और उसे अच्छी तरह से जानता हूं। उसके बाद सभी ने एक खुशहाल जिंदगी बिताई।

(साभार – अरविंद गुप्ता टॉयज डॉट कॉम)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: चूहे और चूहे - लघु बाल-विज्ञान-उपन्यास
चूहे और चूहे - लघु बाल-विज्ञान-उपन्यास
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