स्मृति शेष - भवानी प्रसाद मिश्र : हिन्दी जगत का अलबेला कवि

SHARE:

भवानी प्रसाद मिश्र : हिन्दी जगत का अलबेला कवि     मघ्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में 29 मार्च 1913 को जन्में भवानी प्रसाद मिश्र दूसरे सप्तक के...

भवानी प्रसाद मिश्र : हिन्दी जगत का अलबेला कवि
    मघ्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में 29 मार्च 1913 को जन्में भवानी प्रसाद मिश्र दूसरे सप्तक के प्रमुख कवि है। सृजन की भावुकता और जीवन की व्यवहारिकता के बीच के द्वंद्व को बड़े बेबाकी से अभिव्यक्त किया है अपनी कविताओं में भवानी प्रसाद मिश्र ने। ईमानदारी की प्रतिमूर्ति रहे भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाओं में प्रभावपूर्ण शैली, निष्कपट बेबाकी, सत्योद्धाटन की अदम्य क्षमता के साथ-साथ काव्य की मर्यादा का अनुपालन होते देखा जा सकता है।
    भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाओं में पाठक से संवाद करने की क्षमता है। जब हम जीवन में सफल होते हैं तो हममें से अधिकांश के जीवन में भारी-भरकम समानों का दखल ज्यादा हो जाता है, घर के खाली जगहों में मंहगी मोटर कारें खड़ी हो जाती है और जीवन की अनमोल छोटी-छोटी खुशियां इन्ही भारी-भरकम समानों के बीच कहीं खो जाती है। भवानी प्रसाद मिश्र ने हम सभी को अगाह करते हुए लिखते हैं-जिंदगी में कोई बड़ा सुख नहीं हैं
                                  इस बात का मुझे बड़ा दुख नहीं है
                                  क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ
                                  बड़े सुख आ जाएं घर में
                                  तो कोई ऐसा कमरा नहीं है जिसमें उन्हें टिका दूं ।
            यहां एक बात
            इससे भी बड़ी दर्दनाक बात यह है कि,
            बड़े सुखों को देखकर
            मेरे बच्चे सहम जाते है
            मैंने बडी कोशिश की है कि उन्हें
            सिखा दूं कि सुख कोई डरने की चीज नहीं है ।

       प्रेम में अंहकार प्रेम को न सिर्फ मसल देता है अपितु रौंद डालता है। आजकल तो प्रेम में असफल प्रेमी प्रेमिका को रौंद ही डालता है। निष्कपट बेबाकी से प्रेम जैसी कोमल भावना का सत्योद्धाटन करते हुए भवानी प्रसाद मिश्र ने लिखा था-
               उसे मान प्यारा था, मेरा स्नेह मुझे प्यारा लगता है,
               माना मैंने, उस बिन मुझको जग सूना सारा लगता है
               उसे मनाउं कैसे, क्योंकर प्रेम मनाने क्यों जाएगा ?
               उसे मनाने में तो मेरा प्रेम मुझे हारा लगता है ।

    कविता में कहानी कहने की कला में सिद्धहस्त भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'सन्नाटा' एक पागल प्रेमी और उसकी प्रमिका, जो रानी भी थी कि दुखभरी कहानी कुछ इस तरह कहती है-

मैं सन्नाटा हूँ, फिर भी बोल रहा हूँ
   मैं शांत बहुत हूँ, फिर भी डोल रहा हूँ
   यह 'सर-सर' यह 'खड़-खड़-खड़ सब मेरी है
   है यह रहस्य, मैं इसको खोल रहा हूँ ।
    यहां बहुत दिन हुए, एक थी रानी
    इतिहास बताता उसकी नहीं कहानी
    वह किसी एक पागल पर जान दिये थी
    थी उसकी केवल एक यही नादानी ।
शाम हुए रानी खिड़की पर आती
थी पागल के गीतों को वह दुहराती,
तब पागल आता और बजाता बंसी,
रानी उसकी बंसी पर छुप कर गाती ।
    तुम जहां खड़े हो यहीं कभी सूली थी
    रानी की कोमल देह यहीं झूली थी
    हाँ, पागल को भी यहीं, यहीं रानी की
    राजा हँस कर बोला, रानी भूली थी ।

आमजन के कवि भवानी प्रसाद मिश्र के सीने में किसानों के लिए बेशुमार दर्द था। शायद इसलिए कवि भवानी प्रसाद मिश्र के समय किसानों ने आत्महत्या नहीं की थी। आज अगर किसानों के दुख-दर्द को समझने वाला उनके जैसा कवि होता तो शायद आज भी किसान आत्महत्या नहीं करते। उन्होंने किसानों की महता समझाते हुए एक तंजात्मक कविता लिखी-


                                       मैं असभ्य हूँ क्योंकि खुले नंगे पांवों चलता हॅू
                                       मैं असभ्य हूँ क्योंकि धूल की गोदी में पलता हूँ
                                       मैं असभ्य हूँ क्योंकि चीर कर धरती धान उगाता हूँ
                                       मैं असभ्य हूँ क्योंकि ढोल पर बहुत जोर से गाता हूँ
                            आप सभ्य हैं क्योंकि हवा में उड़ जाते है उपर
                            आप सभ्य हैं क्योंकि आग बरसा देते हैं भू पर
                            आप सभ्य हैं क्योंकि धान से भरी आपकी कोठी
                            आप सभ्य हैं क्योंकि जोर से पढ़ पाते हैं पोथी
                            आप सभ्य हैं क्योंकि आपके कपड़े स्वयं बने हैं
                            आप सभ्य हैं क्योंकि जबड़े खून सने हैं ।
               आप बड़े चितिंत है मेरे पिछड़ेपन के मारे
               आप सोचते है कि सीखता यह भी ढंग हमारे
               मैं उतारना नहीं चाहता जाहिल अपने बाने
               धोती कुरता बहुत जोर से लिपटाये हूँं याने ।

    गरीबों के लिए उनके ह्दय में जो स्थान था, उसकी एक बानगी उनकी एक कविता में देखने को मिलती है-सागर से मिलकर जैसे


                  नदी खारी हो जाती है
                  तबियत वैसे ही
                  भारी हो जाती है मेरी
                  सम्पन्नों से मिलकर
    व्यक्ति से मिलने का अनुभव नहीं होता
    ऐसा नहीं लगता धारा से धारा जुड़ी है
    एक सुगंध दूसरी सुगंध की ओर मुड़ी है
                   तब कहना चाहिए
                   संपन्न व्यक्ति, व्यक्ति नहीं है
                   वह सच्ची कोई अभिव्यक्ति नहीं है
                   कई बातों का जमाव है
                   सही किसी भी अस्तित्व का अभाव है
                   मैं उनसे मिलकर अस्तित्वहीन हो जाता हूँ
    दीनता मेरी
    बनावट का कोई तत्व नहीं है
    फिर भी धनाढ्य से मिलकर
    मैं दीन हो जाता हूँ
                   अरति जन संसदि का मैंने
                   इतना ही अर्थ लगाया है
                   अपने जीवन के, समूचे अनुभव को
                   इस तत्व में समाया है
                   कि साधारण जन, ठीक जन है
                   उनसे मिलो-जुलो
                   उसे खोलो, उसके सामने खुलो
                   वह सूर्य है जल है, फूल है फल है
                   नदी है धार है सुंगध है
                   स्वर है घ्वनि है छंद है
                   सधारण का ही जीवन में आनंद है ।

    लीक से हटकर सोचने वाले तथा एक भविष्यद्रष्टा की तरह आने वाले समय पर भी पकड़ रखते थे भवानी प्रसाद मिश्र, लगभग पांच दशक पहले ही कविताओं को बाजार के जाल में फंसते हुए उन्होंने देख लिया था जिसकी तसदीक उनकी कविता 'गीत-फरोश' से होती है-


                                  जी हाँ, हुजूर मैं गीत बेचता हूँ
                                  मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ
                                  मैं सभी किसिम के गीत बेचता हूँं
                        जी माल देखिये, दाम बताउंगा
                        बेकाम नहीं है, काम बताउंगा
                        कुछ गीत लिखे है मस्ती में मैंने
                        कुछ गीत लिखे है पस्ती में मैंने

    भवानी प्रसाद मिश्र की कविताओं से गुजरते हुए पाठक न सिर्फ भावनाओं के विभिन्न आयामों में उब-डुब करता है अपितु यथार्थ के ठोस धरातल पर भी पहुंच जाता है।
    'बुनी हुई रस्सी' कविता के लिए उन्हें 1972 में साहित्य अकादमी पुरूस्कार दिया गया था तथा भारत सरकार द्वारा वे पद्यश्री से भी नवाजे गए थे। 22 पुस्तकों में उनकी विभिन्न कविताएं यथा, 'गीत-फरोश, चकित है दुख, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल संघ्या, परिवर्तन जिए, नीली रेखा तक, सतपुड़ा के घने जंगल' सहित संग्रहित है। कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने संस्मरण, निबंध तथा बाल साहित्य भी रचा। 20 फरवरी 1985 को हिन्दी काव्य जगत का यह अलबेला कवि अपनी कविताओं की थाती छोड़ हमलोगों से हमेशा के लिए विछड़ गया।


राजीव आनंद
प्रोफेसर कॉलोनी, न्यू बरगंडा
गिरिडीह-815301, झारखंड
संपर्क-9471765417

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: स्मृति शेष - भवानी प्रसाद मिश्र : हिन्दी जगत का अलबेला कवि
स्मृति शेष - भवानी प्रसाद मिश्र : हिन्दी जगत का अलबेला कवि
http://lh4.ggpht.com/-7DIcIVYTDek/VKvA-bCjbDI/AAAAAAAAcxc/y-oCjcJGETs/image_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-7DIcIVYTDek/VKvA-bCjbDI/AAAAAAAAcxc/y-oCjcJGETs/s72-c/image_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/03/blog-post_937.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/03/blog-post_937.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content