अरविंद कुमार की लघुकथाएँ - सड़ी हुई मछली, सुविधा शुल्क, सफेद झूट तथा अन्य

SHARE:

  लघु कथा सड़ी हुई मछली   डा0 अरविंद कुमार   मैं कई दिन से सोच रही थी कि अखिल को फोन करूँ, पर अपने आप को कमजोर पाती। आखिर मैंने ही तो ...

 

लघु कथा

image

सड़ी हुई मछली

 

डा0 अरविंद कुमार

 

मैं कई दिन से सोच रही थी कि अखिल को फोन करूँ, पर अपने आप को कमजोर पाती। आखिर मैंने ही तो उससे रिश्ता तोड़ लिया। उसने तो स्वयं मुझे प्रपोज किया था। आज चार महीने के बाद मैं अपने आप को रोक न सकी। उसे फोन मिला दिया।

''हेलो, साधना बोल रही हूँ पहचाना कि नहीं।''

''अपनों को भी कोई भूल जाता है।''

''कैसे हो ?''

''अच्छा हूँ।''

''मैं तुमसे कुछ बात करना चाहती हूँ।''

''क्या ?''

''सुना है तुमने मंगनी कर ली है, बिना मुझसे बताए।''

''कितनी बार मैंने तुमको फोन मिलाया, तुमने एक बार भी फोन रिसीव किया। कम से कम एक बार फोन पर बात तो कर सकती थी।''

''अखिल तुमने मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा, पाँच साल का रिश्ता एक पल में तोड़ दिया।''

''इसका जिम्मेदार मैं नहीं हूँ, तुम हो। तुमसे मैंने कई बार कहा मेरी बात गौर नहीं किया। और फिर तुम्हीं तो लाई थी मेरे लिए दुल्हन। तुम्हारे लिए मैं दुल्हन तलाश करूँगी।''

''मैं मानती हूँ, मैंने अपना पांव कुल्हाड़ी पर मार लिया है। लेकिन तुम तो सोच सकते थे।''

''इसीलिए तुम्हें बार-बार फोन किया, एक बार नहीं अस्सी काल की तुम्हें, तुमने किसी का जवाब दिया ।''

''मैं कुछ नहीं जानती। तुम सिर्फ मेरे हो। तुमने एक बार पूछा तक नहीं। तुमने मुझे सड़ी हुई मछली कि तरह निकाल कर बाहर फेंक दिया।''

मैं रोती रही अपनी बात कहती रही----। और फोन फिर कट गया।

----------

 

सुविधा शुल्क

 

मैं चुपचाप अपने कागज पत्तर लिये ऑफिस में खड़ा था हेड बाबू के सामने । लोग आते जा रहे थे अपना काम कराते जा रहे थे। मैं एक घण्टे से इंतजार कर रहा था कि अबकी मेरी बारी आएगी। पर हेड साहब मेरी तरफ देखकर नजर अंदाज कर दे रहे थे। मेरे सब्र का बांध टूट गया। मैंने कहा,'' साहब, मैं एक घण्टे से खड़ा हूँ मेरा ये फार्म जमा कर लीजिए।''

''मैंने तो नहीं कहा, तुम खड़े रहो, देख रहे हो फुर्सत नहीं हैं। जाओ एक घण्टे बाद आना।''

मैं वापस बाहर जाकर बैठ गया। सोचने लगा, क्या जमाना आ गया। कोई किसी को समझता ही नहीं, सोचता रहा। फिर गया ऑफिस । और कहा ,'' साहब ये फार्म जमा कर लीजिए ।''

उसने मुझे ऊपर से नीचे देखा और बोला,'' ऐसे ही फार्म जमा हो जाएंगे। कुछ सुविधा शुल्क दीजिए। वरना आठ दिन बाद शाम को पाँच बजे आइएगा।''

मैं अवाक् रह गया- सुविधा शुल्क।

---------

सफेद झूठ

 

मैं बगल वाली सीट पर बैठा हुआ था तभी सामने वाली सीट पर बैठे सज्जन का फोन बज उठा । मोबाइल फोन की रिंगिंग बेल की ट्यूनिंग पर कबीर की 'साखी' बज रही थी। भला किसी का कर न सके, तो बुरा किसी का मत करना।

पुष्प नहीं बन सकते तो कांटे बनने की कोशिश मत करना।

मैं उस ट्यूनिंग 'साखी' को ध्यानपूर्वक सुन रहा था। उस सज्जन ने मोबाइल फोन रिसीव किया।

''मैं इस समय दिल्ली में हूँ। आठ दिन बाद आऊँगा।'' जबकि महोदय लखनऊ में थे। फोन करने वाले ने मान भी लिया सचमुच लखनऊ में होगा। उसने पुष्टि की।

''नहीं, यार मैं वाकई दिल्ली में हूँ।''

सभी लोग उस सज्जन की बातों को गौर से सुन रहे थे। कुछ लोग अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया भी कर रहे थे। मेरा मन बरबस कह उठा- पता नहीं लोगों को सफेद झूठ बोलने में क्या मिलता है

 

-------------

भुतही पंचायत

 

आज मेघन की बिटिया सोमवतिया बीमार हो गयी थी। उसकी दवा दरमत के बाद सुबह उसके दोनों पुत्रों को जूड़ी ने पकड़ लिया था बचे थे मात्र मेघन और उनकी दोनों बहुएं। घर का दशा ठीक न होने के कारण, हाथ में पैसा-कौड़ी भी न थे उस पर से निपट निरक्षर।

उसने पड़ोसी गाँव के ओझा को दिखाया तो उसने बताया।

'' तुम्हारे घर को तहस-नहस करने के लिए तुम्हारे पड़ोसी ने बहुत ताकतवर भूत को भेजा है।''

''पर हमने उसका क्या बिगाड़ा है।''

वापस लौटने के बाद मेघन ने रामचरन से कहाँ सुनी कर दी। यहाँ तक की हाथा पाई होने से बची। अब रामचरन भी अपने ओझा के पास गया।

मेघन ने कहा, '' अब अइसे काम नाइ चली। पंचायत बुलावैक पड़ी।''

उसने आस-पास गाँव के लोगों को एकत्रित किया । दोनों तरफ से ओझा भी बुलाये गये। दोनों तरफ ओझा आमने-सामने थे। सारा गाँव से लेकर पड़ोसी गाँव के लोग भी तमाशा देख रहे थे आश्चर्य से सब लबरेज थे। दोनों ओझाओं ने आपस में तंत्र-मंत्र की गुप्त भाषा में बात-चीत की। सारी जनता ने जब दबाव बनाया तो राम चरन ने हामी भर दी।

''हाँ, मैंने भूत भेजा था। मैं अपने भेजे गये भूत को वापस बुला लूँगा, लेकिन एक शर्त पर तत्काल पाँच बोतल दारू, पाँच नींबू की बलि और सात मेर के फूल लाइये।''

तुरंत की सारी चीजों की व्यवस्था हो गयी। दोनों ओझाओं ने पाँचों नींबूओं की बलि चढ़ा दी न समझ पाने वाले मंत्रों का उच्चारण किया। भूत चला गया ओझाओं ने अपनी ढाई-ढाई हजार रूपये फीस ली, और कहा भूत वापस चला गया है। 'भूतही पंचायत' समाप्त हो गयी थी और लोगों ने अपने-अपने घरों की राह पकड़ ली।

--------------

 

हरिजन

 

दिन के तीन बज चुके थे। मैं भी अपनी केबिन से निकलकर सभी के साथ कामन रूम में बैठ गया था। सामने देखता हूँ कि मेरे परिचारक के साथ, एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आ रहा है। वह हाथ में एक प्लास्टिक का झोला, कंधे पर एक अंगौझा डाले हुए था। जैसे ही वह हमारे पास आए हमारे सीनियर ऑफीसर ने पूछा, '' काम हो गया वर्मा।''

परिचारक ने भी कहा,'' हाँ, साहब सब काम हो गया। इसीलिए इतनी देर लग गयी।''

कुछ समय सभी मौन रहे। मैंने आगंतुक व्यक्ति से पूछा, '' बताइए कैसे आना हुआ।''

''साहब रसीद चाहिए।'' मैंने पूछा, '' किसकी रसीद चाहिए। छात्रा कहाँ हैं। आपको नहीं मिलेगी, ऊपर से सख्त निर्देश हैं।''

''साहब दूर है बिटिया काका आना ठीक नहीं।''

''कितनी दूर है ?''

''साहब, डेढ़ किलोमीटर।''

''डेढ़ किलोमीटर नहीं भेज सकते। उसी भी समझने बूझने दीजिए। आप ही सब करते रहेंगे तो वह जाने समझेगी कैसे ?''

''साहब जमाना बहुत खराब है।''

तब तक मेरे सीनियर सर ने कहा,'' आप कल रसीद ले लीजिएगा। आफिस बंद हो गया है। यही सर आपको कल रसीद देंगे।

मैंने सर से कहा, '' सर, मैं चलता हूँ कुछ जरूरी काम है।''

तब आगुंतक ने फिर कहा,'' साहब मुझे कल फिर छुट्टी लेनी पड़ेगी, पैंतालिस-छियालिस किमी से फिर आना पड़ेगा।''

मैं उसके चेहरे को गौर से देख रहा था। दुबला-पतला सा चेहरा, चेहरे पर छुर्रिया, असमय सफेद बाल, हल्की बढ़ी हुई दाढ़ी ने समय से पहले ही उसे बूढ़ा कर दिया था। मैं अब ठिठक गया था।

''क्यों, आपकी लड़की कहाँ है ?आप क्यों परेशान होते हैं, वह कल आके ले जाए।''

'' साहब समय को देखकर चलना पड़ता है। जमाना बहुत खराब आ गया है।''

''ऐसा क्यों बोल रहें हैं ? जमाना तो बहुत अच्छा है।''

''नहीं, साहब। बिटिया नहीं आ पाएगी।''

''अरे कितनी सारी लड़कियां वहाँ से आती हैं , भेज दीजिए। ले जाये आ के।''

''अपनी ससुराल में है साहब। साहब समय को देखते हुए ही इस साल ही मैंने बिटिया की शादी कर दी।''

''इतनी जल्दी शादी कर दी ?''

वह मेरे तरफ देखने लगा। शायद मेरे प्रश्न से आहत हो चुका था। जहाँ तक मैं समझ रहा था आए दिन लड़कियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार से पीड़ित था एक पिता का अपनी पुत्री के प्रति चिंतित होना स्वाभाविक था। अब वह रह न सका बोल ही पड़ा।

''साहब, पिछले साल मेरे रिश्तेदार की लड़की ने एक हरिजन के साथ भाग गयी और विवाह कर लिया। अब वह उसी गाँव में रह भी रही है।''

''अरे, उसने विवाह ही तो किया है, कुछ और तो नहीं किया । 'हरिजन' समझते हो किसे कहते हैं।

वह सहम गया।

''साहब हरिजन तो हरिजन..... हरिजन के साथ........। बिरादरी स्वीकार नहीं करती।''

मेरा स्वाभिमान जाग उठा। वह अपनी बात को मनवाना चाहता था। लेकिन मैं उससे भिड़ गया।

''हरिजन'' का अर्थ समझते हो। हरिजन का अर्थ है भगवान का सेवक अथवा भगवान का हितैषी। यहाँ तक की सभी नर-नारी भगवान के सेवक ही है।

'' जी, साहब ?''

'' जी, साहब क्या ? उसने एक इंसान के साथ विवाह किया है फिर जाति कहाँ से आ गयी। तुम भी इंसान हो । बोलो हो कि नहीं।''

'' हाँ, साहब, लेकिन ---।''

''लेकिन क्या ?भगवान के मंदिर जाते हो। भगवान आपसे पूछता है तुम ठाकुर, ब्राह्मण, पासी, चमार, धोबी, धानुक, अहीर, गड़रिया इत्यादि हो। उसकी नजर में सब समान होते हैं।''

''साहब, समाज को देखना पड़ता है ?''

''समाज जाये भाड़ में, समाज को लेकर बैठो, दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी। तुम वहीं-के-वहीं बैठे हुए हो।''

''अब कोई भी उनके यहाँ, खाना-पीना, उठना-बैठना, यहाँ तक की हुक्का पानी तक नहीं--।''

मेरे तेवरों को देखकर मेरे सीनियर सर ने उसे समझाना चाहा।

''लड़की-लड़का एक दूसरे का खाना खाते हैं कि नहीं।''

'' हाँ खाते हैं।''

''तो फिर ठीक है।''

वह चुपचाप कुर्सी पर बैठ गये। लेकिन मैंने उससे फिर कहा, '' इस दुनिया में इंसानों के जाति बना दी। भगवान ने कभी - किसी से कहा, तुम फला जाति के हो तुम मंदिर आओ, तुम फला जाति के नहीं हो, तो मंदिर मत आओ। कहा भी किसी से। तुम अपने आप को क्या मानते हो ?''

''इंसान।''

'' तो फिर गलत कैसे बोल गए। एक पिता के मुख ये किसी भी लड़की के लिए ऐसे शब्द नहीं निकलने चाहिए। तुम्हारी लड़की, उसकी लड़की बराबर है, अरे, उसने विवाह ही तो किया गलत तो नहीं किया।''

''लेकिन समाज के अनुसार हम तो तिवारी लिखते हैं एक पिता हूँ चिंता तो होगी ही।''

''फिर गलत बोल गए। हर कोई हरिजन है हम भी हरिजन है। तुम भी हरिजन हो।''

मेरे हरिजन कहने से वह मेरा मुँह ताकने लगा।

 

संप्रतिः असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, हिंदी

रा0 म0 महावि0 ढिंढुई, पट्टी,

प्रतापगढ़, उ0प्र0

 

drdivyanshu.kumar6@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अरविंद कुमार की लघुकथाएँ - सड़ी हुई मछली, सुविधा शुल्क, सफेद झूट तथा अन्य
अरविंद कुमार की लघुकथाएँ - सड़ी हुई मछली, सुविधा शुल्क, सफेद झूट तथा अन्य
http://lh4.ggpht.com/-Rc5wAiWJ_rY/VSADLRMSNEI/AAAAAAAAhDc/L1vmXp1Gjac/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-Rc5wAiWJ_rY/VSADLRMSNEI/AAAAAAAAhDc/L1vmXp1Gjac/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/04/aravind-kumaar-kee-laghukathaen-sadee.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/04/aravind-kumaar-kee-laghukathaen-sadee.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content