प्रमोद यादव का हास्य-व्यंग्य : अप्रैल फूल कार्ड

SHARE:

अप्रैल फूल कार्ड / प्रमोद यादव जब भी एक अप्रैल आता है तो सबसे पहले बचपन के दोस्त बब्बू का ख्याल आता है..हर मूर्ख दिवस पर इस मूर्ख को जरू...

अप्रैल फूल कार्ड /

प्रमोद यादव

जब भी एक अप्रैल आता है तो सबसे पहले बचपन के दोस्त बब्बू का ख्याल आता है..हर मूर्ख दिवस पर इस मूर्ख को जरूर याद करता हूँ..याद क्या करता हूँ बरबस ही उसकी याद आ जाती है...भगवान् जाने पश्चिम के किस मूर्ख ने पहली अप्रैल को “ मूर्ख-दिवस” मनाने का ऐलान या आग़ाज किया..और कैसे इन देशों के लोग इस दिवस को मूर्ख बनने-बनाने मान भी गए..इन देशों का बड़ा चोचला रहता है..अरे ये भी कोई बात हुई कि एक अप्रैल को ही मूर्ख बनेंगे-बनायेंगे..हमारे यहाँ देखो..लोग बारहों महीने बनते - बनाते रहते है..फिर भी किसी को कोई टेंशन नहीं, सब हंसते-हंसाते खुशहाल रहते हैं.. जिसे जो जब जहाँ मिला बना दिया.. टोपी पहना दिया..अब एकाध टोपी के लिए कोई एक अप्रैल का क्यूँ इन्तजार करे ? इसलिए हमने कोई एक डेट नियत नहीं किया..हम पूरे साल मूर्ख-दिवस मनाते हैं.. पर चूंकि पश्चिम की नक़ल करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है..इसलिए एक अप्रैल को न चाहते हुए भी हम उनसे कुछ ज्यादा ही स्मार्ट दिखने की कोशिश में पगलाए रहते हैं..प्रयत्न करते हैं कि “फूल” न बनें ..बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को “फूल” बनाये..अब बड़े-बूढ़े उम्रदराज लोग क्या किसी को बेवकूफ बनायेंगे वे बेचारे तो जमाने भर से बने बैठे रहते हैं..और बच्चे तो बच्चे ही होते हैं..बड़े ही डेमफुल तो भला दूसरों को क्या बनाएं फ़ूल ? बस इस “ आल फूल्स डे “ में जलवा केवल जवां लड़के-लड़कियों का रहता है..ये ही ज्यादा सक्रिय होते हैं मूर्खों के इस त्यौहार में..पश्चिम वालों से भी बेहतर मनाने के चक्कर में कुछ ज्यादा ही धमाल कर डालते हैं..ऐसा ही एक धमाल आज से बारह-तेरह साल पहले किया था बब्बू ने.....लेकिन यह धमाल बाद में उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ..

तब हम नए-नए ही कालेज पहुंचे थे और वहां की आजादी देख पगला गए थे..ऊपर से और पागल करने के लिए तरह-तरह की गोरी-काली-सांवली तितलियाँ थी जो पढ़ती कम और कालेज के कैम्पस में मंडराती ज्यादा थीं.. रोज एक से एक फैशन से सजी-धजी सुन्दर ( और उटपटांग ) लडकियां दिखती.. लगता कि कालेज नहीं किसी फैशन-शो में आ गए..किसे देखें और किसे न देखें,समझ ही नहीं आता.. हम भौंचक रह जाते..आखिर में तय हुआ कि इधर-उधर देखने से आँखों का खराब होना निश्चित अतः अपने सेक्शन की लड़कियों पर ही ध्यान केन्द्रित रखें क्योंकि यही लड़कियां थी जो स्कूल के जमाने से साथ पढ़ती आ रही थी..और इन्हीं से “ हेलो-हाय “ करना स्वास्थय के लिए बेहतर लगा.. सेक्शन में केवल यही छः लडकियां थी और हम तीस लड़के..इन तीसों में एक अकेले मैं ही तीसमारखां टाईप था..तितलियों के मामले में सब मुझे डाक्टर समझते..पर ऐसा कुछ न था..मैं केवल “रायचंद” ही था..दोस्तों को संकट की घडी में फ़ोकट में राय देकर उनका मार्गदर्शन करता..

तो किस्सा यूं है कि उन्हीं दिनों मार्च महीने के अंतिम दिनों एक शाम को बब्बू आया और कालेज के लैला-मजनुओं की बातें करने लगा.. उनकी गिनती करने लगा..उसकी बातों में एक अफ़सोस टपकता दिखा कि सबकी जोडियाँ बन रही केवल वही चूक रहा.. बातचीत के आखिर में वह अप्रैल-फ़ूल के बाबत चर्चा करने लगा कि इस साल किसे और कैसे बनाएं अप्रैल फ़ूल ? तब बात ही बात में मैंने कहा कि देखो-कालेज में आये छः महीने हो गए और तुम्हें अब तक एक अदद लड़की को प्रपोज नहीं कर पाने का अपार दुःख है..पर ऐसे काम के लिए हिम्मत चाहिए यार.. तुम तो कालेज आकर भी स्कूल की तरह लड़कियों से डरते हो तो ऐसे में उन्नति कैसे करोगे ? लडकियां तो कभी कहेगी नहीं कि आय लव यू..ये काम तो मर्दों को ही करना है..तो थोडा मर्द बनो और बक डालो दिल की बात..अब एक अप्रैल से बढ़िया दिन कोई होता नहीं लड़कियों को प्रपोज करने का...चलो एक अप्रैल को किसी एक को प्रपोज कर ही डालो..कोई मान जाए तो ठीक वरना कह दो-अप्रैल फ़ूल बनाया...

मेरी बातें उसे जंच गई..उसने पूछा किसको करूं ? मैं खूब हंसा..फिर पूछा कि तुम्हें अच्छी कौन लगती है तो उसने कहा – “छहों की छहों अच्छी लगती हैं..” मैंने आदेश दिया- “ सबको लिख डालो एक-एक पत्र..कोई न कोई तो मान ही जायेगी.. “ उसने बचकाना सवाल किया-“ अगर सभी मान गई तो ?” मैंने मजाक से जवाब दिया – “तो समझ ले कि तेरा जीते-जागते पोस्टमार्टम हो गया.. “ वह समझा नहीं और आगे की कार्यवाही की बात करने लगा..कहने लगा- “ आप ही सबको लेटर लिख दो..मुझे तो आता नहीं..“ मैंने कहा-“यार..छः-छः ख़त कहाँ लिखता रहूँगा,केवल एक लिख देता हूँ तुम जेराक्स करके सबको दे देना.. “ वह मान गया..एक अप्रैल की सुबह सात बजे ही घर आ धमका..मैंने एक रेडीमेड लेटर उसे थमा दिया और ताकीद किया कि ओरिजनल मत देना..सबको कापी ही देना ताकि मुसीबत से बचा जा सके..वह लेटर लिए तुरंत चला गया और आनन्-फानन में कापी करा छहों को डेलिवर भी कर आया..वह बहुत खुश भी था और बहुत डरा हुआ भी..खुश इसलिए कि कोई न कोई तो मानेगी ही..और डर इस बात का कि कोई उसे तिल का ताड़ बना सरेआम इज्जत न उतार दे..पर अप्रैल फ़ूल जैसे हथियार को याद कर आश्वस्त था कि मैनेज हो जाएगा..ऐसी नौबत नहीं आएगी..

दूसरे दिन दोपहर बब्बू आया तो बहुत ही उदास और पिटा हुआ सा दिखा..पूछा तो बताया कि तीनों लड़कियों के भाईयों ने आकर उसकी धुनाई कर दी..वे तो पुलिस में देने उतारू थे पर हाथ जोड़ उनसे माफ़ी मांगी तब छुट्टी मिली..मैंने कहा कि तुमने अप्रैल फ़ूल वाली बात कही कि नहीं कही तो उसने बताया कि लडकियां मिलती तो कहता ..उनके भाईयों को कहा तो कहने लगे- चल बेटा..अब हम तुझे बताते हैं कि अप्रैल फ़ूल कैसे बनाते हैं....और वे सीधे हाथ घुमाने लगे..बब्बू बड़ा दुखी था कि क्या से क्या हो गया..अब ये भी डर समां गया कि शेष तीन प्रपोजलों का क्या होगा ? डर के मारे वह शहर से बाहर जाने की सोचने लगा..उसे काफी समझाया कि “बड़े धोके हैं इस राह में”..साहस के साथ सामना करो..सफलता जरुर मिलेगी..आज नहीं तो कल..

वह चला गया..तीन दिनों तक नहीं आया तो चिंता हुई कि कहीं भाग तो नहीं गया ? उसके घर जाने को निकल ही रहा था कि सामने से वह आता दिख गया..बड़ा ही खुश नजर आ रहा था..आते ही बाहों में भर लिया..मैं समझ नहीं पाया कि क्या हुआ..फिर उसने बताया कि खुशखबरी ये है कि बाकी की तीन कन्याओं का पासिटिव जवाब आ गया..जेब से ख़त निकाल वह दिखाने लगा..मैं हतप्रभ रह गया..तीनों ही ख़त जेराक्स कापी में एक जैसे थे.. मैंने तुरंत ताड़ लिया कि पासा उल्टा पड गया.. अप्रैल फ़ूल बब्बू नहीं वो तीनों बना रही..मैंने उसे इस खतरे से आगाह किया तो वह पूछने लगा कि अब क्या करूं? मैंने कहा कि अब छाया,माया,रेखा में से किसी एक को खत लिखकर प्रपोज करो..देखते हैं- क्या कहती है ?

उसने वैसा ही किया..छाया को प्रपोज कर दिया..उसने तुरंत ही जवाब भेजा कि ये रांग नंबर है..मैं तो किसी और को चाहती हूँ..हाँ..माया तुम्हें पसंद करती है..अलबत्ता ये खत तुम्हें उसे लिखनी चाहिए..तब उसने माया को ख़त लिखा..उसने भी तत्परता दिखाते अविलम्ब जवाब लिखा कि छाया से गलती हो गई..उसे नहीं मालुम ..तुम्हें पसंद तो करती हूँ पर उस तरह नहीं जिस तरह कि “उसे” पसंद करती हूँ..दरअसल रेखा शायद तुम्हें पसंद करती है..तभी तो तुम्हारी तारीफ़ करती रहती है.. उसे ख़त लिखो और मुझे क्षमा करो.. उसने तत्परता के साथ रेखा को लिखा.. तब जवाब में उसने लिखा -“ बुद्धू कहीं के..कहाँ तुम छाया-माया की बातों में आ गए..मैं इन चक्करों में नहीं पड़ती..मेरी तो परसों ही सगाई है..अच्छा होगा कि घर आकर उस दिन मेरे बाबूजी का थोडा हाथ बंटा दो..आभारी रहूँगी..तो आ रहे हो न ? “

आखिरी ख़त पढ़कर वह आखिरी सांस लेने जैसी स्थिति में आ गया..काटो तो खून नहीं..मैं भी आहत हुआ कि अब क्या किया जाए ? इतना लम्बा अप्रैल फूल न कभी देखा न कभी सुना.. पूरे पंद्रह दिन निकल गए इस लेने-देने की प्रक्रिया में..उसने हताशा में कालेज छोड़ अपने बड़े भाई के पास चेन्नई चला गया और वहीं पढने लगा..फिर मुलाक़ात कम होने लगी और पत्राचार भी नहीं के बराबर..चार वर्ष बाद अचानक उसका एक पत्र मिला कि एक अप्रैल को उसकी शादी है..अतः जरुर आये..पर तब मैं नौकरी में था और किसी अर्जेंट मीटिंग के कारण नहीं जा सका..सोचता रहा कि कहीं अप्रैल फ़ूल तो नहीं बना रहा ? साल भर बाद एक दिन चेन्नई के दौरे पर था तो उसके घर जाना हुआ ..दरवाजा खुलते ही मैं चकरा गया..दरवाजे पर कांजीवरम साडी में लिपटी रेखा खड़ी थी..बब्बू ने मिलते ही गले लगा लिया फिर मेरी आशंकाओं का निवारण करते बताया कि रेखा और उसकी शादी महज एक इत्तफाक है..मेरे भैया ने इन्हें पसंद किया और मुझे देख आने को कहा तो मैंने साफ़ कह दिया कि उनकी पसंद मेरी पसंद..मुझे न देखने जाना.. न ये जानना कि कौन है,कैसी है....और ठीक यही किस्सा रेखा के साथ भी हुआ..हमने तो एक दूजे को सुहागरात में ही देखा..और देखते ही खिलखिलाकर हंस पड़े.. रात भर पुरानी बातों को याद कर हंसते रहे..इन्होंने तो उन दिनों अप्रैल फ़ूल बनाते ये भी कह दिया था कि दो दिन बाद सगाई है.. छाया-माया से भी ज्यादा निराश इसी ने किया था ..

मैंने कहां- “ यार..मुझे तो ये लगा था कि तुम कहीं अप्रैल फ़ूल तो नहीं बना रहे..ये एक अप्रैल को शादी की बात कैसे सूझी ?” तब उसने बताया कि ये भी इत्तफाकन ही हुआ..यही शुभदिन था शादी का.. न इसके पीछे कोई अच्छा डेट था न ही इसके बाद..जब रेखा से पूछा कि उसे सुहागरात में बब्बू को देख कैसे लगा तो शर्माते हुए बोली- “अच्छा लगा..बहुत अच्छा लगा ..लगा कि जिंदगी अब सार्थक हो गई..पुराने दोस्त अगर रिश्तेदारी में आ जाये..वो भी रिश्तेदारी अगर पति के रूप में हो तो बात ही क्या ? मैं तो निहाल ही हो गई इन्हें देखकर..मैंने इन्हें अपनी सगाई की झूठी बात कह अप्रैल फ़ूल बनाया था..अब इन्होने तो शादी ही इसी दिन की है..लगता है अब गिन-गिन कर बदला लेंगे..”

उन दोनों से मिल मैं निहाल हो गया..हम पुराने दिनों को याद कर पूरी रात खूब हँसे और छाया-माया से मिलने का प्लान बनाते रहे..रेखा ने बताया कि छाया मुंबई के किसी कालेज में लेक्चरार है और अब तक उसने भी मेरी तरह शादी नहीं की...रेखा कहने लगी कि मैं उससे विवाह कर लूँ..मैंने कहा कि जिस छाया को आपके बुद्धू ने प्रपोज किया उससे मैं कैसे विवाह कर सकता हूँ ? तो वह जोरों से हंसी और बोली- “ एक अप्रैल बिलकुल ही करीब है भई ..हर हाल में अब आपको विवाह-सूत्र में बंधना है.. हम लड़कीवालों की ओर से ये रिश्ता पक्का..आपको कुछ कहना हो तो कहो..” इसके पहले कि मैं कुछ बोलता, बब्बू ने कहा..- ‘ हमारी ओर से भी पक्का..चलो.. एक बार फिर “अप्रैल फूल “ का ( शादी का ) कार्ड छपवायें..’

वो दिन थे और आज का ये दिन है..छाया मेरी हमसफ़र है.. हर एक अप्रैल को हम सब एक-दूसरे की बेवकूफियों को याद कर नए सिरे से तरो-ताजा हो लेते हैं..

xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx

प्रमोद यादव

गया नगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रमोद यादव का हास्य-व्यंग्य : अप्रैल फूल कार्ड
प्रमोद यादव का हास्य-व्यंग्य : अप्रैल फूल कार्ड
http://lh3.ggpht.com/-it07IN4Vxig/UfoOz3NhHzI/AAAAAAAAVYo/wa0o9XIc6cw/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=200
http://lh3.ggpht.com/-it07IN4Vxig/UfoOz3NhHzI/AAAAAAAAVYo/wa0o9XIc6cw/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/04/blog-post_10.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/04/blog-post_10.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content