क्लैर हचिट बिशप एवं कुर्ट वाईज़ अनुवाद - अरविंद गुप्ता बहुत पुराने जमाने की बात है। चीन में पांच भाई रहते थे। उनकी एक खास बात थी। पांचों ...
क्लैर हचिट बिशप एवं कुर्ट वाईज़
अनुवाद - अरविंद गुप्ता
बहुत पुराने जमाने की बात है।
चीन में पांच भाई रहते थे।
उनकी एक खास बात थी।
पांचों भाई देखने में बिलकुल एक जैसे लगते थे।
' वे सभी अपनी मां के साथ रहते थे। उनका छोटा सा घर समुद्र के पास था।
पहला चीनी भाई पूरे समुद्र को निगल सकता था। दूसरे चीनी भाई की गर्दन लोहे की बनी थी। तीसरा चीनी भाई अपनी टांगों को खींचकर लंबा और लंबा बना सकता था। चौथे चीनी भाई को आग नहीं जला सकती थी। और पांचवां चीनी भाई अपनी सांस को जितनी देर तक चाहे रोके रख सकता था।
हर सुबह ' पहला चीनी भाई मछली पकड़ने के लिए समुद्र के किनारे जाता था। चाहें मौसम कितना भी खराब क्यों न हो वो हमेशा ही सुंदर और बेशकीमती मछलियां पकड़ कर लाता था।
इन मछलियों को वो गांव की हाट में बडे ऊंचे दामों पर बेचता था।
एक दिन जब वो बाजार से वापिस आ रहा था तो एक छोटे लड़के ने उसे रोक कर पूछा ' ' 'क्या आप मुझे अपने साथ मछली पकड़ने के लिए ले चलेंगे?'.
'' नहीं. यह संभव नहीं है पहले चीनी भाई ने जवाब दिया। परंतु छोटे लड़के ने बहुत जिद्द करी और हार नहीं मानी। उसने बड़ी आरजू-मिन्नत की। अंत में पहला चीनी भाई राजी हो गया।
'' एक शर्त पर उसने कहा ' 'तुम्हें मेरी बात को फौरन मानना होगा। '' ' 'हां! हां! जरूर छोटे लड़के ने वादा किया। अगले दिन सुबह को पहला चीनी भाई और छोटा लड़का दोनों समुद्र के तट पर गए।
'' याद रखना पहले चीनी भाई ने कहा '' तुम मेरे आदेश का तुरंत पालन करना।
मैं जैसे ही इशारा करूं तुम फौरन वापिस चले आना। ''
'' हां! हां!'' कहकर छोटे लड़के ने अपना सिर हिलाया।
उसके बाद पहले चीनी भाई ने समुद्र के पूरे पानी को पी लिया।
पानी खत्म हो जाने से सारी मछलियां समुद्र की तलहटी पर सुखी रेत में फंस गयीं और छटपटाने लगीं। समुद्र का अनमोल खजाना साफ दिखाई देने लगा। इतनी सुंदर चीजें देखकर छोटे लड़के की खुशी का ठिकाना न रहा। वो इधर से उधर दौड़ने लगा और अपनी जेबों में खूबसूरत सीपियाँ, अद्भुत शंख नायाब चीजें भरने लगा।
इतनी. देर में समुद्र के किनारे पर पहले चीनी भाई ने कुछ मछलियां इकट्ठी करीं। अभी तक उसने समुद्र को कसकर अपने में करके रखा था। अब वो समुद्र को पकड़े-पकड़े एकदम थक गया था। समुद्र को इस तरह मुंह में पकड़े रखना कोई आसान काम नहीं था। इसलिए उसने अपने हाथ से छोटे लड़के को तुरंत वापिस आने का इशारा किया। छोटे लड़के ने इशारा देखने के बाद भी उसका पालन नहीं किया।
उसके बाद पहले चीनी भाई ने बड़े जोर से अपने हाथ- पैर हिला-हिलाकर छोटे लड़के को तट के पास आने का इशारा किया। परंतु क्या उस छोटे लड़के ने उसकी बात मानी? बिकुल नहीं। छोटा लड़का अपनी मस्ती में किनारे से और दूर दौड़ने लगा। तब पहले चीनी भाई से नहीं रहा गया। उसे अपने मुंह के अंदर समुद्र उफनता हुआ महसूस हुआ। उसने छोटे लड़के को वापिस बुलाने की भरसक कोशिश करी। परंतु छोटे लड़के ने उसका बस मुंह चिढ़ाया और तेजी से और दूर भागने लगा।
पहले चीनी भाई ने समुद्र को अपने मुंह के अंदर पकड़े रखने की पूरी कोशिश करी।
परंतु अंत में दर्द से उसका मुंह फटने लगा।
और अगले ही क्षण सारा समुद्र एक झटके के साथ उसके मुंह से बाहर निकल आया।
सूखा समुद्र अब पानी से लबालब भर गया और उसमें वो छोटा लड़का डूब गया।
जब पहला चीनी भाई अकेला ही गांव लौटा तो उसे गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया।
कचहरी के जज ने उसका गला काट देने का आदेश दिया।
फांसी वाले दिन पहले चीनी भाई ने जज साहिब से विनती की।
'' महाशय कृपा करके मुझे अपनी मां से आखिरी बार मिलने का मौका दें जिससे कि मैं उनसे अलविदा कह सकूं। '' '' यह तो हर मुजरिम का हक है जज साहिब ने कहा और उसे अपनी मां से मिलने की इजाजत दे दी।
अनुमति मिलने के बाद पहला चीनी भाई घर गया और उसकी जगह पर दूसरा चीनी भाई वापिस आ गया।
सिर कटने की घटना को देखने के लिए पूरा का पूरा गांव ही चौपाल पर उमड़ पड़ा।
जल्लाद ने अपनी तलवार से मुजरिम की गर्दन पर जोर का वार किया।
परंतु दूसरा चीनी भाई हंसते हुए उठ खड़ा हुआ जैसे उसे कुछ हुआ ही न हो।
दूसरे चीनी भाई की गर्दन लोहे की बनी थी और उसे कोई भी काट नहीं सकता था।
उसे जिंदा देखकर गांववालों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसे समुद्र में डुबोने का निर्णय लिया।
सजा वाले दिन दूसरे चीनी भाई ने जज साहिब से प्रार्थना की '' क्या आप मुझे अंतिम बार अपनी मां से नहीं मिलने देंगे? मैं उनसे आखिरी अलविदा कहना चाहता हूं। ''
'' अवश्य यह तो तुम्हारा हक है जज साहिब ने कहा।
अनुमति मिलने के बाद दूसरा चीनी भाई घर गया और उसकी जगह पर तीसरा चीनी भाई वापिस आया। क्योंकि सभी भाई देखने में बिल्कुल एक-समान थे इसलिए किसी को भी शक नहीं हुआ।
तीसरे भाई को एक बड़ी नाव में समुद्र के बीच ले जाया गया।
समुद्र के बीचों-बीच पहुंचने के बाद तीसरे चीनी भाई को नाव से उठाकर समुद्र में फेंक दिया गया।
परंतु उसने अपनी टांगों की लंबाई को बढ़ाना शुरू किया। उसकी टांगें लंबी और लंबी होती चली गयीं।
अंत में वो समुद्र की तलहटी को छूने लगीं।
लोग उसे देख कर हैरान थे। वो मुस्कुरा रहा था।
उसका चेहरा अभी भी लहरों के ऊपर था। उसे कोई भी डुबो नहीं सकता था।
इस नजारे को देखकर सभी गांववाले गुस्से से झल्ला गए और उन्होंने उसे जिंदा जला डालने का निश्चय किया। जिस दिन उसे जलाया जाना था उस दिन तीसरे चीनी भाई ने जज साहिब से जाकर प्रार्थना की
'' सर मरने से पहले मुझे एक बार तो अपनी मां से मिलने और उनसे अलविदा कहने का मौका दें?''
'' अवश्य जज साहिब ने उसे मां से मिलने की इजाजत दे दी।
तीसरा चीनी भाई घर गया परंतु उसकी जगह चौथा चीनी भाई वापिस आया।
चौथे चीनी भाई को एक मजबूत लकड़ी के खंबे से बांधा गया।
फिर खंबे को आग लगा दी गई। इस नजारे को देखने के लिए सारा गांव उमड़ पड़ा। कुछ समय बाद चारों ओर ऊंची-ऊंची लपटे उठने लगीं।
उस समय चौथे चीनी भाई ने कहा ' '' यहां तो मुझे बड़ा मजा आ रहा है। ''
उसकी बात सुनकर लोग चिल्लाए '' और लकड़ी लाओ!''
धीरे- धीरे करके आग की लपटें आसमान को छूने लगीं।
'' अब तो मुझे जन्नत का मजा आ रहा है!'' चौथे चीनी भाई ने कहा।
असल में उसे जलाया ही नहीं जा सकता था।
गांववाले यह सब देखकर गुस्से से आग-बबूले हो गए।
सबने चौथे चीनी भाई को भट्टी में झोंक कर खत्म करने का निर्णय लिया।
गांववाले पूरी रात भट्टी के सामने खड़े रहे। उन्हें डर था कि मुजरिम
उन्हें चकमा देकर कहीं भाग न जाए।
सुबह होने पर लोगों ने भट्टी का दरवाजा खोला और चीनी भाई को बाहर निकाला।
बाहर निकलते ही चौथे चीनी भाई ने अपनी आखों को मला और कहा।
'' वाह! रात को मुझे बहुत मजेदार नींद आई। ''
भट्टी में से वो सकुशल निकल आएगा इस बात पर किसी को यकीन नहीं हुअ।
सब लोग आश्चर्यचकित होकर चीनी भाई को टकटकी लगाए देखते रहे।
इतनी देर में जज साहिब भी आ गए और उन्होंने कहा ' 'हमने तुम्हें मौत के घाट उतारने की पूरी कोशिश करी। परंतु तुम्हें खत्म करना हमारे लिए संभव नहीं हुआ। हो सकता है. तुमने जुर्म किया ही न हो और तुम बेगुनाह हो ''। '' हां! हां!'' सभी गांववाले एक साथ चिल्लाए।
उसके बाद चीनी भाई को रिहा कर दिया गया और वो अपने घर वापिस चला गया।
उसके बाद पांचों चीनी भाईयों ने बाकी जीवन अपनी मां के साथ आराम से गुजारा।
(अनुमति से साभार प्रकाशित)
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