सरस्वतीः भूगर्भ में अंगड़ाई लेती नदी

SHARE:

प्रमोद भार्गव क्या वाकई भारतवर्ष में कभी सरस्वती नदी बहती थी? या फिर सरस्वती नदी महज एक मिथक है? एक विस्तृत पड़ताल.     वैदिक कालीन नदी सरस...


प्रमोद भार्गव

क्या वाकई भारतवर्ष में कभी सरस्वती नदी बहती थी? या फिर सरस्वती नदी महज एक मिथक है? एक विस्तृत पड़ताल.
    वैदिक कालीन नदी सरस्वती के अस्तित्व और उसकी भूगर्भ में अंगड़ाई ले रही जलधारा को लेकर भूगर्भशास्त्री,पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकारों में लंबे समय से मतभेद बना है। यह मतभेद सैटेलाइट मैंपिग के बावजूद कायम रहा। यहां तक कि 6 दिसंबर 2004 को भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री ने संसद में भी यह घोषणा कर दी थी कि सरस्वती का कोई मूर्त प्रमाण नहीं है। यह मिथकीय है। दरअसल ये साक्ष्य किसी विरोधाभास शोध के निष्कर्ष से कहीं ज्यादा वामपंथी सोच को पुख्ता करने के नजरिए से सामने आते रहे हैं,जिससे भारत की प्राचीन ज्ञान-परंपरा को नकारा जा सके। किंतु अब न केवल हरियाणा के यमुनानगर जिले के आदिबद्री में सरस्वती का उद्गम स्थल खोज लिया गया है,बल्कि मुगलवाली गांव में धरातल से सात फीट नीचे तक खुदाई करके नदी की जलधारा भी फूट पड़ी है। इस धारा का रेखामय प्रवाह तीन किमी की लंबाई में नदी के रूप में सामने आया है और आगे खुदाई का सिलसिला जारी है। एक मृत पड़ी नदी के इस पुनर्जीवन से उन सब अटकलों पर विराम लगा है,जो वेद-पुरणों में वार्णित इस नदी को या तो मिथकीय ठहराते थे या इसका अस्तित्व अफगानिस्तान की 'हेलमंद' नदी के रूप में मानते थे।


    सरस्वती की भौगोलिक स्थिति का बखान ऋग्वेद,महाभारत,ऐतरेय ब्राह्मण,भागवत और विष्णु पुराणों में है। ऋग्वेद में सप्तसिंधु क्षेत्र की महिमा को प्रस्तुत करते हुए जिन सात नदियों का वर्णन किया गया है,उनमें से एक सरस्वती है। अन्य छह शतद्रु (सतलुज),  विपासा (व्यास),  असिकिनी (चिनाब),  परुष्णी (रावी), वितस्ता और सिंधु नदियां हैं। इनमें सरस्वती और सिंधु बड़ी नदियां थीं। सतलुज और यमुना सरस्वती  की सहायक नदियां रही हैं। सरस्वती का प्रवाह पूरब से पश्चिम की ओर था,लेकिन हजारों साल पहले आए भयंकर भूकंप के कारण यमुना और सतुलज सरस्वती से अलग हो गईं। इन दोनों नदियों के मार्ग बदलने के बाद सरस्वती धीरे-धीरे अस्तिव खोती हुई भूगर्भ में विलीन हो गई। कुछ भूगर्भशास्त्रियों का ऐसा मानना है कि 12 हजार साल पहले तक यह नदी स्वच्छ जलधारा के रूप में प्रवहमान थी। लेकिन ऋग्वेद और अन्य प्राचीन ग्रंथों में सरस्वती की महत्ता का गुणगान है,उससे लगता है पांच से सात हजार साल पहले तक यह नदी धरा पर बहती थी। क्योंकि नदी के धरती की कोख में समा जाने का वर्णन ऋग्वेद में नहीं है। जबकि ऋग्वेद की 60 ॠचाओं में सरस्वती का उल्लेख है। इनमें कहा गया है,सरस्वती हिमालयी पर्वतों से निकलकर,सप्तसिंधु क्षेत्र में बहती हुई कच्छ के रण में जाकर समुद्र में गिरती है। यह क्षेत्र वर्तमान में पाकिस्तान और भारत के पंजाब व हरियाणा में है।


आगे चलकर सरस्वती का जो वर्णन महाभारत में है,उसमें इस नदी के विलोप होने के संकेत मिलते हैं। महाभारत के अनुसार सरस्वती समुद्र में समाने से पहले राजस्थान के रेगिस्तान विनसन में ही लुप्त हो जाती है। विष्णु पुराण में नदी के सिमटने के संकेत कवष नाम के एक मल्लाह द्वारा सरस्वती की वंदना करने की कथा के रूप में मिलते हैं। इस कथा के अनुसार पृथु द्वारा कराए जा रहे यज्ञ में जब कवष ने हिस्सा लेने की कोशिश की तो ॠषियों ने उसे बाहर कर दिया। निराश कवष ने मरूस्थल में जाकर सरस्वती की स्तुति की। फलतः सरस्वती की जलधार उसके चारों और फूट पड़ी। इस चमत्कार से प्रभावित होकर ॠषियों ने कवष को यज्ञ में भागीदारी करने की अनुमति दे दी। यही कथा ऐतरेय ब्रह्मण और भागवत पुराण में भी कही गई है।


    कॉर्बन डेटिंग भी इस तथ्य की पुष्टि करती हैं कि 2000 से 1800 वर्ष ईसा पूर्व यह नदी विलुप्त हुई। महाभारत,विष्णु पुराण,भागवत पुराण और ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथों की रचना लगभग इसी समय हुई बताई जाती है। साफ है,प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में सरस्वती का जो वर्णन है,वह कपोल कल्पित न होते हुए,वास्तिवक है। नदी के सूखने के बाद हड़प्पा संस्कृति के उपासक गंगा यमुना के मैदानों की और पलायन कर गए। चूंकि इन लोगों की स्मृति में सरस्वती जीवंत थी,इसलिए इन्होंने प्रयाग में त्रिवेणी स्थल पर गंगा और यमुना के साथ सरस्वती के अंतसलिला होने की कथा गढ़ ली। सिंधु घाटी सभ्यता का नाम,हालांकि सिंधु नदी के नाम पर पड़ा था,किंतु इसे ही सरस्वती संस्कृति,सरस्वती सभ्यता और सिंधु सरस्वती सभ्यता के नामों से जाना जाता रहा है। इसी सभ्यता में हड़प्पा संस्कृति फली-फूली थी।


    प्राचीन ग्रंथों में दर्ज सरस्वती के अस्तित्व को लेकर देशी-विदेशी भूविज्ञानी और भारतीय संस्कृति के अध्येता इसकी शोध और जमीनी खोज में जुटे रहे हैं। फ्रांस के भूविज्ञानी विवियेन सेंट मार्टिन ने 'वैदिक भूगोल' की रचना की थी। 1860 में लिखी इस पुस्तक में सरस्वती के साथ घग्गर और हाकड़ा की भी पहचान की गई थी। इसके बाद 1886 में अंगेजी हुकूमत ने भारत का भौगोलिक सर्वेक्षण कराया था। इसके अधीक्षक आरडी ओल्ढ़म की रिपोर्ट बगंाल के एशियाटिक सोसायटी जर्नल में छपी है। इस रिपोर्ट में सरस्वती के नदी तल और इसकी सहायक नदियों सतुलज व यमुना के पथ रेखांकित किए गए हैं। 1893 में इस रिपोर्ट ने प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक सीएफ ओल्ढ़म को प्रभावित किया। ओल्ढ़म ने इसी जर्नल में सरस्वती के भूगर्भ में उपस्थित होने की पुष्टि की है। साथ ही घग्धर और हाकड़ा के सूखे पथों का भी ब्यौरा दिया है। ये नदियां पंजाब में बहती थीं। पंजाब की लोकश्रुतियों में आज भी ये नदियां विद्यमान हैं। इन्हीं नदियों के पथ पर एक समय सरस्वती बहती थी। इसके बाद 1918 में टैसीटोरी,1940-41 में औरेल स्टाइन और 1951-53 में अमलानंद घोष ने सरस्वती की खोज में अह्म भूमिका निभाई। इन सब विद्वानों ने अपने निष्कर्षों में सिद्ध किया कि सरस्वती के विलोपन का मुख्य कारण सतलुज और यमुना की धार बदलना था। सतलुज की धार सरस्वती से अलग होकर सिंधु में जा मिली। लगभग इसी समय यमुना ने भी अपनी धारा का प्रवाह बदल दिया और वह पश्चिम में अपने बहने का रुख बदलकर,पूर्व में बहकर गंगा में जा मिली। नतीजतन सरस्वती सूखती चली गई।
    जर्मन विद्वान हर्बट विलहेमी ने भी सरस्वती के अस्त्तिव और इसके पथ का गूढ़ अध्ययन किया। 1969 में इस शोध की रिपोर्ट 'जेड जियोमोर्फोलॉजी' में प्रकाशित हुई। इसमें सरस्वती नदी पर 1892 से 1942 तक अध्ययनों का सिलसिलेवार ब्यौरा व संदर्भ देते हुए हर्बट ने साबित किया कि सिंधु नदी की जो धारा उत्तर-दक्षिण में बहती है,उसके पूर्व में 40 से 110 किमी लंबाई में एक प्राचीन सूखा नदीतल है,जो हकीकत में सरस्वती का ही है। एक समय वजूद में रहे इन्हीं नदीतलों को हाकड़ा,घग्घर,सागर,संकरा और वार्हिद नामों से जाना जाता था।


    सरस्वती की खोज में पाकिस्तान के पुराशास्त्री भी लगे रहे हैं। रफीक मुगल ने 414 पुरातात्त्विक स्थलों की खोज की है। ये स्थल बहावलपुर के रेगिस्तान और चोलिस्तान में फैले हुए हैं। इसी क्षेत्र में हाकड़ा का करीब 300 मील लंबा नदी तल है। इन नदी तलों का अस्तित्व ईसापूर्व 99 से लेकर तीसरी और चौथी शताब्दि तक माना गया। इस शोध की पुष्टि हावर्ड विश्व विद्यालय के प्राध्यापक बायंट ने भी की है। रफीक ने जो नदीतल खोजे हैं,उन्हीं के समीप भारत के बीकानेर इलाके के उत्तर में अमलानंद घोष ने भी 100 छोटे नदी तलों को सरस्वती के रूप में चिन्हित किया है।
    इन विद्वानों के अलावा 19वीं और 20वीं सदी में कई पुरावेत्तओ ने प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के आधार पर इसकी खोज की। इनमें क्रिश्चियन लेसन,मैक्समूलर,जेन माकिनटोस और माइकल डेनिनो जैसे विद्वान शामिल हैं। इन सभी के निष्कर्षों में घग्घर-हाकड़ा नदियों को वैदिककालीन नदी माना है। यहां तक कि इन विद्वानों ने 19वीं सदी में 1500 किमी लंबी नदी की धारा का प्रवाह भी खोज लिया था। सरस्वती और घग्घर-हाकड़ा नदी प्रवाह तंत्र एक जैसा होने के कारण ये विद्वान एकमत थे। इन्होंने सरस्वती का उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश में शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली जलधाराओं को माना है।


    इन सब निर्विवाद शोधों के बावजूद भारत के वामपंथी सरस्वती नदी के अस्त्तिव का होना पूरी तरह नहीं स्वीकारते ? स्वीकारते भी हैं तो इसे अफगानिस्तान की हेलमंड या हरक्सवती के रूप में चिन्हित करते हैं। इसे 'अवेस्ता' में हरखवती कहा गया है। प्रसिद्ध वामपंथी इतिहासकार रामशरण शर्मा ने अपनी पुस्तक 'एडमेंट ऑफ दी आर्यंस इन इंडिया' में इसी धारणा की पुष्टि की है। कमोवेश ऐसे ही दावे इरफान हबीब और रोमिला थॉपर के हैं। जबकि ऋग्वैद के सूक्तों में स्पष्ट उल्लेख है कि सरस्वती हिमालयी पर्वतों से निकलकर कच्छ में जाकर सागर में विलीन होती है। दरअसल संस्कृत ग्रंथों के तथ्यों को वामपंथी इसलिए नकारते रहे है,जिससे इनमें दर्ज भारतीय गौरव-गाथा को झुठलाया जा सके। इसीलिए वामपंथी इतिहासकार हड़प्पा सभ्यता को आर्यों की पूर्ववर्ती सभ्यता मानते हैं और आर्यों को बाहर से आया हुआ मानते है। दरअसल आर्य संस्कृति का इतिहास लेखन औपनिवेशिक सोच के आधार पर हुआ है। अंग्रेजी इतिहासकारों ने एक खास वार्ग को बाहरी बताकर समाज को बांटने की कोशिश की है। यह अवधारणा अंग्रेजी इतिहासकारों ने हड़प्पाकालीन बहुत कम स्थलों की खोज के आधार पर गढ़े थे किंतु अब अब तक 2700 से भी अधिक हड़प्पाई स्थलों की खोज हो चुकी है, जिनके आधार पर निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि हड़प्पा और आर्यों की सभ्यता एक ही थी,वह प्रथक-प्रथक नहीं थी। राष्ट्रीय संग्रहालय के पुरातत्त्ववेत्ता संजीव कुमार सिंह की पुस्तक 'ग्लौरी दैट वाज हड़प्पन सिविलाइजेशन' में इन सभी स्थलों की सूची दी गई है। वैसे भी अब सरस्वती नदी के प्रवाह के साक्ष्य मिलने के बाद सिद्ध हो गया है कि ऋग्वैद आदि ग्रंथों में उल्लेखित सरस्वती का भूगोल आधारहीन कल्पना नहीं है।

 
     बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इस विलुप्त नदी को खोजने की पहल की। 15 जून 2002 को केंद्रीय संस्कृति मंत्री जगमोहन ने सरस्वती के नदीतलों का पता लगाने के लिए खुदाई की घोषणा की। इस खोज को संपूर्ण वैज्ञानिक धरातल देने की दृष्टि से इसमें इसरो के वैज्ञानिक बलदेव साहनी,पुरातत्त्वविद् एस कल्याण रमन,हिमशिला विशेषज्ञ वाईके पुरी और जल सलाहकार माधव चितले को शामिल किया गया। हरियाणा में आदिबद्री से लेकर भगवान पुरा तक पहले चरण में और दूसरे चरण में भगवान पुरा से लेकर राजस्थान सीमा पर स्थित कालीबंगन की खुदाई प्रस्तावित थी। यह खोज कोई ठोस परिणाम दे पाती इससे पहले राजग सरकार गिर गई और डॉ मनमोहन के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 6 दिसंबर 2004 को संसद में यह बयान देकर कि इस नदी का कोई मूर्त रूप नहीं है,इसे मिथकीय नदी ठहराकर,खोज की नई संभावनाओं पर विराम लगा दिया। नतीजतन वाजपेयी सरकार की पहल अधूरी रह गई।
    लेकिन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के दर्शन लाल जैन 'सरस्वती शोध संस्थान' की अगुवाई में नदी की खोज की सार्थक पहल करते रहे। उन्होंने अपनी खोज के दो प्रमुख आधार बनाए। एक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में प्राचीन इतिहास विभाग के प्राध्यापक रहे डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर की सरस्वती खोज पदयात्रा और दूसरा 2006 में आए तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग के सर्वे और खुदाई को। वाकणकर की यात्रा आदिबद्री से शुरू होकर गुजरात के कच्छ के रण पर जाकर समाप्त हुई थी। ओएनजीसी ने डॉ एमआर राव के नेतृत्व में सरस्वती के पथ व नदीतलों के पहले तो उपग्रह-मानचित्र तैयार किए,फिर धरातलीय साक्ष्य जुटाए। हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के काला अंब के पास 'सरस्वती टियर फाल्ट' का गंभीर अध्ययन किया। अध्ययन के परिणाम में पाया कि हजारों साल पहले आए भूकंप के कारण यमुना और सतलुज ने अपने मार्ग बदल दिए थे। यमुना पूरब में बहती हुई दिल्ली पहुंच गई और सतलुज पश्चिम होते हुए सिंधु नदी में जा मिली। जबकि पहले इन दोनों नदियों का पानी सरस्वती में मिलकर हरियाणा,राजस्थान व गुजरात होते हुए कच्छ में मिलता था।
    अवशेषीय अध्ययन के बाद ओएनजीसी ने राजस्थान के जैसलमेर से सात किलोमीटर दूर जमीन में करीब 550 मीटर तक गहरा छेद किया। यहां 7600 लीटर प्रति घंटे की दर से स्वच्छ जल निकला। इस प्रमाण के बाद ओएनजीसी ने भारत विभाजन के बाद भारतीय पुरातत्व संस्थान द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का भी अध्ययन किया। इससे पता चला कि हरियाणा व राजस्थान में करीब 200 स्थलों पर सरस्वती के पानी के निशान हैं। उपग्रह से चित्र लेकर नदी का मार्ग तलाशने के काम में अर्से से प्रसिद्ध वैज्ञानिक यशपाल और राजेश कोचर भी लगे हुए हैं। इन्होंने इस वैदिक कालीन नदी के अस्त्तिव की भू-गर्भ में होने की पुष्टि की है।
ओएनजीसी के अध्ययन से पहले ऋग्वैद के आधार पर 1995 में सरस्वती की प्रामाणिक खोज अमेरिका की नेशनल ज्योग्राफिक सोसायटी और ज्योग्राफिक इंफोरमेशन सरस्वती के उपगृह मानचित्र भी लिए हैं। इनके निष्कर्ष में उल्लेख है कि सरस्वती और सिंधु दो अलग-अलग नदियां थीं। इन चित्रों का सूक्ष्म निरीक्षण करने से पता चलता है कि जैसलमेर क्षेत्र में बड़ी मात्रा में भूजल के स्त्रोत हैं। ये वही सा्रेत या जलधाराएं हैं,जिनका बाखान ऋग्वैद में सरस्वती नदी के पथ के रूप में किया गया है। लगभग यही निष्कर्ष भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र द्वारा 1998 में शुरू किए शोधों में सामने आए हैं। गोयाकि ऐतिहासिक साक्ष्यों की पुष्टि इतिहास सम्मत प्रमाणों से करने की जरूरत है,न कि किसी वाद या विचार के आधार पर ?  अब आदिबद्री से ही इस लुप्त नदी के पुनर्जन्म की शुरूआत हुई है,जो तय है कच्छ के रण तक सरस्वती नदी के रूप में साकार दिखार्ई देगी

--

 

संदर्भ- ॠग्वैद,महाभारत,भागवत पुराण,विष्णु पुराण,ऐतरेय ब्राहमण
-साहित्य अमृत,दिल्ली,नवबंर 2009 ;विशन टंडन का आलेखद्ध
-जनसत्ता,दिल्ली 18.9.2011 ;विशन टंडन का आलेखद्ध
-एवेंट ऑफ दि आर्यंस इन इंडिया-डॉ रामशरण शर्मा
-ग्लोरी दैट वाज हड़प्पन सिविलाइजेशन- संजीव कुमार सिंह
प्रमोद भार्गव
शब्दार्थ 49,श्रीराम कॉलोनी
शिवपुरी म.प्र.
मो. 09425488224
फोन 07492 232007
   
लेखक प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार है।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सरस्वतीः भूगर्भ में अंगड़ाई लेती नदी
सरस्वतीः भूगर्भ में अंगड़ाई लेती नदी
http://lh3.ggpht.com/-H15PPViPEnY/VLCZ8BlC8MI/AAAAAAAAc4Y/ihAosGGNEvo/image_thumb%25255B3%25255D.png?imgmax=200
http://lh3.ggpht.com/-H15PPViPEnY/VLCZ8BlC8MI/AAAAAAAAc4Y/ihAosGGNEvo/s72-c/image_thumb%25255B3%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_17.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/05/blog-post_17.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content