खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी

SHARE:

  सुधीर मौर्य ____________________________________________ बहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते है। क्या लड़के , क्या ...

image 

सुधीर मौर्य

____________________________________________

बहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में।

लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते है। क्या लड़के , क्या लड़कियां। पर वो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी। वो लड़की जो थी।

लड़कियां हर हाल में लड़कों से ज्यादा खूबसूरत होती है। ये मैंने सुना था। लोगों से, कई लोगों से। कुछ माना, कुछ नहीं माना। फिर लड़कियों की लड़कों से ज्यादा खूबसूरत होने की बात कहानियों में पढ़ी। उपन्यासों में भी। बस मैंने ये ये बात मान ली कि लडकियां हम लड़कों से कहीं ज्यादा सुन्दर होती है। आखिर क्यों न मानता वो सारी कहानियां और सारे उपन्यास साहित्यकारों ने लिखे थे। साहित्यकार तो समाज के दर्पण होते है। जो होता है वही दिखाते हैं। फिर लड़कियां, लड़कों से ज्यादा खूबसूरत होती है ये बात मैं न मानूं इसकी कोई वजह न रही।

वो लड़की थी। खूबसूरत लड़की। मेरी हमउम्र या मुझसे साल - छै महीने छोटी। जब लोग बोलते देखो कितनी सुन्दर बच्ची है मैं सुनता और फिर उसे देखता, उसकी सुंदरता देखता। पर मुझे निराशा हाथ लगती। वो मुझे सुन्दर नज़र नहीं आती।

मैं भी लड़कपन में था। खेलते - खिलाते मैं अक्सर उसके घर पहुँच जाता। कभी - कभी उसके साथ उसके खेल में भागीदार हो जाता। वो हर खेल में जितना चाहती। किसी भी तरीके से।

उस दिन वो खेल , खेल रही थी। गुड्डे - गुड़ियों। उनकी शादी - ब्याह का। अचानक वो भाग कर अपनी मुम्मी के पास गई और फ्राक लहराकर बोली 'मुम्मी - मुम्मी ये पति क्या होता है ?'

'जो अच्छी लड़कियां होती है उन्हें बड़े होकर एक पति मिलता है।' उसकी मुम्मी ने उसे समझाया था।

'और जो बुरी लड़कियां होती है ?' लड़कपन की उस सुन्दर लड़की ने अपनी मुम्मी के सामने जिज्ञासा रखी।

--माँ न जाने किस ख्याल में थी। शायद किसी बात पर गुस्सा भी। लड़कपन की उस सुन्दर लड़की पे या किसी ओर पे। तनिक गुस्से से बोली 'जो बुरी लड़कियां होती है उन्हें तो कई मिलते है। '

लड़की ने सुना। न जाने क्या समझा ? और भाग कर वापस रचाने लगी गुड्डे - गुड़ियों का ब्याह।

०००

लड़की अचानक मुझे सुन्दर लगने लगी।

पता नहीं मैं समझदार हो गया था और मुझे सुंदरता की पहचान करने की अक़्ल आ गई थी। या फिर वो लड़की थी ही सुन्दर। अब उस लड़की के घर के आस - पास लड़के मंडराने लगे थे। जो अपनी बातों में उसे बेहद सुन्दर बताते थे। मैं सुनता और खुद की कमअक्ली के लिए खुद को कोसता की कि मैंने एक सुन्दर लड़की को सुन्दर नहीं समझा।

लड़की अब लड़कपन को जीतकर टीन एज बन चुकी थी। अब वो फ्राक कभी - कभार ही पहनती। शर्ट और स्कर्ट उसके पसंदीदा लिबास थे। इस लिबास में वो जिस गली से गुज़रती उस गली के लड़कों को न जाने कितने दिन और कितनी रात बातें करने का मसाला मिल जाता। लड़की की तिरछी नज़र और होठों पे लरज़ती हंसी उन लड़कों की बातों के मसाले में इज़ाफ़ा करती रहती रहती।

कंधे पे स्कूल बेग टाँगे वो बतख चाल से गाँव से वो निकल कर पास के कसबे के स्कूल में पढने जाने लगी थी। फूल पे भंवरे मंडराते हैं और कली भंवरों की नींद उडा देती है। अब कली खुद अपनी खुशबू पर इतरा रही थी और अपने ख्वाबों - ख्यालों में उसे तलाशती जो उसकी खुश्बू को महके और उसकी खुश्बू में सराबोर हो कर उसे भी सराबोर कर दे।

उस महकती कली की खुशबू को सबसे पहले महका था हमारे ही गांव के एक भंवरे ने। नाम प्रशांत। लड़की और लड़के मिले। बातें हुई। हाथ पकडे। कलाईयाँ थामी। चुम्बन लिए। गले मिले। पति - पत्नी बनने के कस्मे - वादे हुए। अब जब पति - पत्नी बनने की सोच ली तो फिर पति - पत्नी की तरह हक़ मांगे गए। ऊपरी मन से लड़की ने न - नुकुर की। फिर लजाते - शरमाते मान गई। कैसे न मानती उसकी बात जिसे पति बनाने का वादा किया हो। लड़की की रज़ामंदी उसकी न - नुकुर में रहती ही है ये बात शायद लड़का जनता था। कपडे उतरे। लड़की पे लड़के का रंग पड़ा और लड़की चटख कर कली से अधखिला फूल बन गई।

अधखिला फूल बनते ही उस लड़की की चाल मोरनी सी हो गई। और अधखिले फूल पे मंडराने वाले भंवरों की संख्यां भी बढ़ गई। उन्हीं में से एक भंवरे ने पहले भंवरे से मार पीट कर दी। मारपीट के वक़्त वो भंवरा कह रहा था कि अधखिले फूल ने खुद उसे निमंत्रण दिया था अपना रस पीने के लिए।

पहला भंवरा जब तक दूसरे भंवरे की बात समझ पाता अधखिला फूल गांव से चला गया अपनी बुआ के पास गोरखपुर। लोगों ने कहा लड़की पढ़ाई के लिए गई है। मैंने लोगों की बात मान ली ठीक उस तरह जैसे लड़की के सुन्दर होने की बात मान ली थी।

000

लड़की को लोग ओर ज्यादा खूबसूरत कहने लगे थे। यकीनन वो सच कहते होगें। उनके पास झूठ बोलने की वजह भी कहाँ थी।

पर लड़की जानती थी वो अभी पूरी तरह खूबसूरत कहाँ। अभी तो उसकी खूबसूरती का चरम आना शेष है कहीं अधखिला फूल भी पूर्णतया सुन्दर होता है ? पूर्णतया सुन्दर होने के लिए फूल का पूर्णतया खिलना जरुरी जो है।

कमल की मोटरसाइकिल पर कमल की पीठ पर जब वो अपने वक्ष दबा कर बैठती तो उसे लगता कि अब की बसंत उसे पूरी तरह खिला कर ही मानेगा। बसंत में फूलों का खिलना तय है। सो इस अधखिले फूल की भी बारी आई।

फूल खिल चुका था। अब अगर फूल खिला है तो उसकी महक का भी बिखरना लाज़मी है। महक भी बिखरी। अब महक बिखरेगी तो शहद पीने वाले भी आएंगे। सो वो आये। फूल गुलज़ार होने लगा। महकने लगा। और खूबसूरत हो गया । ये शहद के पीने की ललक लिए लोगों ने कहा मैंने मान लिया। मेरा मानना लाज़िमी भी था।

लड़की जानती थी। उसने जानना, समझना तो तभी जान लिया था जब गुड्डे - गुड़ियों का ब्याह रचाती थी। कि केवल सुन्दर होना पर्याप्त नहीं है। सुंदरता तब तक अधूरी है जब तक उसके साथ उच्च शिक्षा का प्रमाण पत्र सगलंग्न न हो।

उच्च शिक्षा के लिए पैसा जरुरी है। और पैसा पाने के लिए उसके पास उसका गठीला - गुदाज़ जिस्म और मोहक मुस्कान उसके साथ थी। लड़की ने कोशिश की। और कहते हैं भगवान भी कोशिश करने वालो का साथ देते हैं। सो भगवान ने उसका साथ दिया।

एक बड़ी कंपनी का बड़ा इंजीनियर था वो। चटखते फूल की किस्मत यूँ बुलंद थी कि उस इंजीनियर ने उसी केम्पस में ठिकाना किया जहाँ वो तथाकथित वो खूबसूरत लड़की रहती थी।

लड़की ने जांचा - परखा और उस धीरज नाम के इंजीनियर पे अपना पैंतरा चला दिया। धीरज जवान था। उसके पास पैसा था। अच्छी नौकरी थी। बस कमी थी तो एक अदद सुन्दर प्रेमिका की। लड़की और लड़के के नैन मिले। होठं मिले। और फिर गोरखपुर के होटल में जिस्म मिले। लड़का खूबसूरत प्रेयसी पाके निहाल हो गया। और लड़की पैसे वाला प्रेमी पाके मचल उठी।

०००

कहते हैं, लड़की जब मचलती है तो मनचलों के मन भी मचलने लगते हैं।

उस लड़की के साथ भी ऐसा हुआ। लड़की ठहरी खिलता फूल वो भी महक से तरबतर। उसे अपनी महक लुटाने में कोई कमी नज़र नहीं आई। जितना लुटाती वो उतना ही महक उठती।

मनचलों में एक था 'सौम्या के सर'। सौम्या उसके कज़िन की लड़की थी जिसे ट्यूशन पढ़ाने 'सौम्या के सर' आते थे। दूसरा मनचला था एक कालेज का प्रौढ़ प्रिनिसिपल। आखिर लड़की किसी अनुभवी के साथ का अनुभव भी बटोर लेना चाहती थी।

और भी मनचलों के मन लड़की की बतख चाल पे लट्टू हुए होंगे। नाचे होंगे। पर हमारे ज्ञान के दायरे से वो परे की चीज़ रहे।

लड़की जब कमल से मिलती तो धीरज से बहाने बाजी। और जब धीरज से मिलती तो कमल से बहाने बाजी। कहते हैं लड़कियों के पास आंसू नाम के वो हथियार हैं जिससे वो संसार के सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति को भी हरा सकती हैं। लड़की ने अपनी ताक़त को पहचाना और विजय पे विजय हासिल करती रही।

०००

कहते हैं, वक़्त राज खोल देता है।

धीरज ने कहा वो कमल से न मिले। लड़की ने न नुकुर के बाद मान लिया। आखिर उसे उच्चशिक्षा के लिए मार्ग पे जो चलना था। लड़की ने धीरज से कहा उसका एडमिशन M.B.A. में करा दो दिल्ली में। मैं खुद - ब - खुद कमल से दूर हो हो जाउंगी।

धीरज प्यार करता था लड़की से। फिर क्योंकर न मानता वो अपनी प्रेयसी की बात। लड़की दिल्ली पहुँच गई। बड़ा शहर। बड़ा कालेज। लड़की के पंख लग गए। वो आसमान में उड़ चली।

धीरज मुंबई चला गया। कंपनी ने तबादला कर दिया। वैसे भी वो गोरखपुर में अब क्या करता। उसकी प्रेयसी तो अब दिल्ली में थी उच्च शिक्षा के लिए। धीरज अपनी प्रेयसी की पढ़ाई डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था सो वो दिल्ली कभी - कभी ही गया। हाँ फोन पर वो अपनी प्रेयसी से जरूर रोज बात करता। धीरज बिना किसी व्यवधान के लड़की के लिए पैसा भेजता। लड़की की जरुरत से कहीं ज्यादा। वो लड़की से प्यार जो करता था। सच्चा प्यार ।

000

लड़की M.B.A. कर चुकी थी। जॉब भी लगी थी।

अब शायद उसे धीरज की जरुरत नहीं थी। उसे जय नाम का मनचला मिल चूका था। अच्छा - खासा जॉब। बड़ा घर। लड़की उस से मिली और उसपे अपनी महक लुटा दी । जय उसका दीवाना बन गया । बात शादी तक पहुंची । लड़की फट से राज़ी हो गई। आखिर उसे बचपन में अपनी माँ की कही वो बात - 'तूँ बड़ी होकर जो अच्छी लड़की बनोगी तो तुम्हें भी एक पति मिलेगा' - सच जो करनी थी।

पर एक दिन जय ने लड़की के मोबाईल में धीरज का मेसेज देख लिया। प्यार के शब्दों का मेसेज। लड़की तो अब उच्च शिक्षित थी। आंसू के हथियार तो साथ थे ही। दोनों का इस्तेमाल किया। और उसने जय के सामने धीरज का वो खाका खींचा कि जय का प्यार उस लड़की पे और गाढ़ा हो गया।

लड़की ने धीरज का जो खाका खींचा वो कुछ यूँ था -- धीरज उसे तंग करता है। फोन करके परेशान करता है। उसकी ज़िन्दगी नरक बना चूका है। से गाली देता है। और उसे मरता - पीटता है।

जय ने लड़की लड़की से कहा - 'ठीक है यही एक बार मेरे सामने धीरज से कहो। उसे ज़लील करो।' लड़की ने सोचा उसे अब धीरज की जरुरत तो नहीं। सो वो जय की बात मान गई।

लड़की ने धीरज को जी भर जय के सामने ज़लील किया। धीरज चुचाप सुनता रहा। और वहां से चला गया। बिना कुछ कहे। वो लड़की से प्यार जो करता था। सच्चा प्यार।

धीरज को लड़की के मम्मी और भाई भी जानते थे। धीरज ने उन्हें अपना माना था। उनकी मदद की थी। लड़की के भाई को पढ़ाया था। B.C.A.करवाया था।

लड़की की मम्मी ने खुश होकर धीरज को फोन किया। लड़की की शादी की बात बताई। और दहेज़ के लिए उसकी सहयता मांगी। धीरज तयार हो गया। वो लड़की से प्यार जो करता था। सच्चा प्यार।

धीरज ने एक बड़ी रक़म लड़की की मम्मी के एकाउंट में डाल दी। लड़की की शादी के दहेज़ के लिए। वो उसे प्यार जो करता था।

000

लड़की की इंगेजमेंट हो चुकी थी। शादी की डेट भी फिक्स हो गई। लड़की ने धीरज को इन्फॉर्म नहीं किया। जरुरत ही नहीं थी उसे।

शादी के दो दिन पहले लड़की और उसके करीबी सफर पे निकले। शादी का सफर। बोकारो का रास्ता। जय का शहर जो यही था।

मैं भी सफर में था। मैं लड़की का करीबी जो था। उसके लड़कपन का दोस्त। लड़की ने मुझे देखा। और मुस्करा कर बोली - 'देखो मेरे पास सब कुछ है। एक पति भी मिलने जा रहा है। मैं अच्छी लड़की जो हूँ। और खूबसूरत भी।'

मैंने देखा तो लड़की मुझे खूबसूरत लगी। मैंने उसकी बात मान जो ली थी।

000

लड़की की शादी हो गई।

मुझे अचानक एक लेखक मिल गया। मैंने उसे लड़की की कहानी सुनाई। लेखक ने एक कहानी लिखी। शीर्षक था - 'खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की।'

मैं मान गया लड़की खूबसूरत नहीं थी। ये एक साहित्यकार ने जो कहा था।

लड़की का नाम अंजलि था।

0000

कहानीकार परिचय

नाम---------------सुधीर मौर्य 'सुधीर' 

जन्म---------------०१/११/१९७९, कानपुर

माता - श्रीमती शकुंतला मौर्या

पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्या

पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्या

राज्य---------------उत्तर प्रदेश

तालीम-------------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा.

सम्प्रति------------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन.

कृतियाँ------------                                                 

                         1) 'हो न हो" (नज़्म संग्रह)

                        2) 'अधूरे पंख" (कहानी संग्रह)

                        3) 'एक गली कानपुर की' (उपन्यास)

4)किस्से संकट प्रसाद के  (व्यंग्य उपन्यास)

5)अमलताश के फूल  (उपन्यास)

6) देवलदेवी: एक संघर्षगाथा (ऐतहासिक उपन्यास )

7) क़र्ज़ और अन्य कहानिया (कहानी संग्रह )

8) माई लास्ट अफेयर (उपन्यास)

पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे आदि में.

वेब प्रकाशन - गद्यकोश, स्वर्गविभा, काव्यांचल, इंस्टेंट खबर, बोलो जी, भड़ास, हिमधारा, जनहित इंडिया, परफेक्ट खबर, वटवृक्ष, देशबंधु, अखिल विश्व पत्रिका, प्रवक्ता, नाव्या, प्रवासी दुनिआ, रचनाकार, अपनी माटी, जनज्वार, आधी आबादी, अविराम आदि में.

संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव,

पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश

ईमेल ---------------sudheermaurya1979@rediffmail.com

Sudheermaurya2010@gmail.com

blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी
खूबसूरत अंजलि उर्फ़ बदसूरत लड़की की कहानी
http://lh3.googleusercontent.com/-G7As8GSRq7Y/VVMbc-AzjxI/AAAAAAAAitc/HY-DaGqMQ2I/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-G7As8GSRq7Y/VVMbc-AzjxI/AAAAAAAAitc/HY-DaGqMQ2I/s72-c/image_thumb%25255B1%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/05/khoobasoorat-anjali-urph-badasoorat.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/05/khoobasoorat-anjali-urph-badasoorat.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content