हास्य-व्यंग्य - चोचं चरित्र

SHARE:

  - कुबेर एक सहकर्मी मित्र हैं, चोचं जी। चोचं जी बड़े सत्कर्मी, सद्धर्मी और संस्कृतिधर्मी हैं। उनका व्यक्तित्व आकर्षक है। उनकी बातें बड़ी ...

image

 

- कुबेर

एक सहकर्मी मित्र हैं, चोचं जी।

चोचं जी बड़े सत्कर्मी, सद्धर्मी और संस्कृतिधर्मी हैं। उनका व्यक्तित्व आकर्षक है। उनकी बातें बड़ी मीठी लगती हैं। जिन चीजों में धर्म और संस्कृति की महक न हो, उन्हें वे हाथ भी नहीं लगाते हैं। जहाँ धर्म और संस्कृति की छाँव न हो, वहाँ वे रुकना तो क्या, थूकना भी पसंद नहीं करते हैं। धर्म और संस्कृति की बातों के अलावा वे और कुछ भी बोलना, सुनना, पढ़ना-लिखना पसंद नहीं करते हैं। उनका हर आचरण धर्म के अनुकूल होता है। जाहिर है, वेशभूषा भी वे धर्म और संस्कृति के अनुरूप ही धारण करते हैं। माथे पर सिंदूरी तिलक और सिर पर लंबी चुटैया उनकी खास पहचान हैं। विश्वप्रसिद्ध संत 'जी महराज' उनके गुरू और आदर्श हैं।

एक दिन उन्होंने तिलक और चुटैया की महिमा का वर्णन कुछ इस प्रकार किया था - 'पूज्य गुरूवर कहते हैं कि हिन्दू संस्कृति और हिन्दू धर्म मानने वालों को तिलक और चुटैया अवश्य धारण करना चहिए। इससे चेहरे पर तेज आती है। यश और संपत्ति की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख और शांति आती है। चुटैया के संबंध में वे बताते हैं कि यह ज्ञान और सूचनाएँ एकत्रित-अर्जित करने का केन्द्र होती है। इसी के रास्ते ब्रह्माण्ड की दिव्य ईश्वरीय ऊर्जाएँ मस्तिष्क में प्रवेश करती हैं। पूज्य गुरूवर का कहना है कि आजकल के इलेक्ट्रानिक उपकरणों के एन्टिना इसी की प्रेरणा से विकसित किये गये हैं।'

आगे वे कहते हैं - 'पूज्य गुरूवर के अनुसार तिलक और चुटैया को शक्तिक्षम बनाने के लिए इसे विभिन्न मंत्रों से सिद्ध करना आवश्यक है। यह प्रक्रिया इलेक्ट्रानिक यंत्रों में बैटरी डालने अथवा बैटरी को रिचार्ज करने के समान है।'

गुरू के विधानों और आदेशों की अवहेलना भला कोई कैसे कर सकता है? रौरव नर्क में जाना है क्या? लिहाजा अपना तिलक और अपनी चुटैया सिद्ध किये बिना वे घर से कदापि नहीं निकलते हैं। तिलक और चुटैया जब तक शक्तिक्षम न हो जायें, चेहरे पर दिव्यता और तेज जब तक न आ जायें, ईश्वरीय सत्ता से सीधा संपर्क जब तक न स्थापित हो जाय घर से भला कोई कैसे बाहर निकले? तिलक और चुटैया को सिद्ध करने की उनकी प्रक्रिया कुछ लंबी है, समय लेती है। उनका समय पर स्कूल नहीं पहुँच पाने का यही एकमात्र कारण है।

वे कहते हैं - 'धर्म के कायरें में लगा समय व्यर्थ नहीं जाता। यह समय अगले जन्म में हमारे उम्र का निर्धारण करता है अतः इस प्रक्रिया में जितना अधिक समय लगे उतना ही अच्छा है।'

समय पर स्कूल नहीं पहुँच पाने का उन्हें कोई मलाल नहीं है। स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए वे तर्क देते हैं - 'देश की संविधान ने सभी नागरिकों को अपना धर्म पालन और तदनुरूप धार्मिक आचरण करने की स्वतंत्रता और अधिकार दिया है। सरकार पूजा-पाठ के समय में स्कूल लगाती है। यह हमारे संविधानिक अधिकारों का हनन है। हम तो अपना धार्मिक क्रियाकलाप करेंगे ही। गलती सरकार की है, हमारी नहीं। हम तो अपना धर्म निभायेंगे ही, कोई माई का लाल हमें अपने संविधानिक अधिकारों के उपयोग करने से नहीं रोक सकताय स्कूल जाय भांड़ में।'

हमारे एक मित्र और हैं। वे भी देर से स्कूल आते हैं। स्कूल देर से पहुँचने का उनका कारण नितांत मानवीय है। उन्हें प्रातःकालीन नित्यक्रिया से निपटनें के लिए सार्वजनिक सुविधाओं पर आश्रित रहना पड़ता है। वे कहते हैं - ''ऐसे में है कोई माई का लाल तो सात बजे स्कूल पहुँच कर बता दे? सरकार को अकल नहीं है तो हम क्या करें। स्कूल जाय भांड़ में।''

सूची कुछ लंबी है।

चोचं जी एक दिन काफी देर से स्कूल आये। अन्य दिनों की अपेक्षा उसके चेहरे पर अधिक तेज थी। वाणी में अधिक ओज था। मैं समझ गया कि महोदय जी को उनकी संस्था ने कुछ अधिक महत्वपूर्ण और भारी-भरकम जिम्मेदारी सौंपा  होगा। मेरा अनुमान सही निकला। आते ही उन्होंने हमें एक-एक प्रपत्र दिया।

मैंने पूछा - ''क्या है?''

उन्होंने आदेश वाले लहजे में कहा - ''नीचे साईन कीजिए और लौटाइए।''

मेरे विवेक ने कहा, हस्ताक्षर करने से पहले पढ़ लिया जाय। पता चला, देश भर में गौ-हत्याएँ बन्द करने के लिए देश के राष्ट्रपति के नाम यह ज्ञापन है। इसे उनके गुरू विश्वप्रसिद्ध संत 'जी महराज' की सत्प्रेरणा सह आदेश के परिपालन में एक अभियान के रूप में उनके संगठन द्वारा देश भर में चलाया जा रहा था। देश में हिन्दुओं की आबादी के अनुपात में उनके गुरू विश्वप्रसिद्ध संत 'जी महराज' ने एक अरब ज्ञापनों का लक्ष्य निर्धारित किया था। ज्ञापन पत्र में गो वंश महात्मय के अलावा भी अनेक दिव्यवाणियाँ और अमृतवाणियाँ लिखी हुई थी। यदि आप सच्चे हिन्दू हैं और भारतीय संस्कृति को सच्चे मन से मानते हैं तो इस ज्ञापन में लिखी हुई समस्त दिव्यवाणियों और अमृतवाणियों का सहजतापूर्वक अनुमान लगा सकते हैं।

मुझे इस बात की कोई उलझन नहीं थी कि इनके संगठन द्वारा प्रेषित एक अरब ज्ञापन पत्रों को राष्ट्रपति भवन में किस तरह सहेजा जायेगा। मुझे इस बात की भी कोई उलझन नहीं थी कि अपने कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व माननीय राष्ट्रपति महोदय इन्हें पढ भी पायेंगे? मेरी उलझन अलग थी। मैंने चोचं जी से कहा - ''महोदय जी! सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों के लिए आपकी संस्था की कोई योजना नहीं है क्या?''

''क्यों, इससे आपको क्या परेशानी है?'' चोचं जी ने धमकी वाले अंदाज में जवाब दिया। 'नेकु कही बैननि, अनेक कही नैनन सौं। रही-सही सोऊ कही दीन्हीं हिचकीनि सौं।' रत्नाकर की इन पँक्तियों की तर्ज पर बाकी जवाब उनके तमतमाये हुए चेहरे ने दे दिया था।

सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों से उत्पन्न परेशानियों वाले सारे दृश्य मेरी नजरों के आगे साकार होने लगे। यदि मेरी तरह आप भी भ्रष्ट हिन्दू होंगे तो ये सारे दृश्य आप भी साकार रूप में देख सकते हैं।

उस दिन अखबार में एक समाचार छपा था। इस समाचार ने मेरी हिम्मत को तार-तार कर दिया। समाचार का सार कुछ इस प्रकार था - 'सरकार ने एक विश्व प्रसिद्ध संत को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। किसी अज्ञानी और मूढ़ व्यक्ति ने इस पर कोई टिप्पणी कर दिया था। उसे क्या पता था कि उस विश्व प्रसिद्ध संत के दो परम भक्त पास ही खड़े हैं। उस संत के अनुयायिओं से यह टिप्पणी सुनी नहीं गई। अचानक उनके अंदर से विकराल क्रोधाग्नि प्रगट होने लगी। इस क्रोधाग्नि से झुलसकर टिप्पणी करने वाला वह बेचारा मूढ़ अब अस्पताल में अपनी अज्ञानता और मूढ़ता को कोसते हुए तड़प रहा है।'

इस समाचार को पढ़कर मेरे मस्तिष्क में जो दृश्य बना वह मुझे बुरी तरह डराने लगा था। सड़क पर घूम रहे आवारा मवेशियों से होने वाली परेशानियों का बखान करने का परिणाम इससे भी भयंकर हो सकता था। लिहाजा मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा।

सभी साथी ज्ञापन पत्र में हस्ताक्षर करके लौटा चुके थे। चोचं जी ने मुझे घुड़काते हुए कहा - ''क्या सोच रहे हो साहब, हमें और भी जगह जाना है। साइन कीजिए और दीजिए।''

मैंने कहा - ''क्षमा करे महोदय जी! मुझसे साइन नहीं हो सकेगा।''

सुनते ही चोचं जी के अंदर छिपकर बैठा धर्म-संस्कृति उत्पादित बम फट पड़ा। मेरा चीथड़ा उड़ाते हुए उन्होंने कहा - ''वाह! क्या भारतीय संस्कृति है आपकी? धर्म पर आपकी आस्था कितनी महान है? मान गये।''

उन्होंने मेरे हाथ से वह ज्ञापन छीन लिया।

उन्होंने मेरी धार्मिकता और संस्कृति पर चोट किया था। मेरे लिए आत्मावलोकन जरूरी था। मैंने अपनी धार्मिकता और सांस्कृतिक आस्था पर गहन सोच-विचार किया। मुझे भी अपनी धार्मिकता और सांस्कृतिक आस्था को सिद्ध करना चाहिए। इसके लिए मुझे चोचं जी का मार्ग ही उपयुक्त लगा। गो वंश की रक्षा के लिए मुझे भी कोई नेक काम करना ही चाहिए। लौटते वक्त मैंने फूटपाथ पर सजी बाजार से रोली चंदन खरीदा। रुद्राक्ष की माला खरीदी। एक फर्जी संस्था बनाया। महामहीम के नाम एक ज्ञापन पत्र तैयार किया। ज्ञापन की विषय वस्तु कुछ इस प्रकार थी -

माननीय महाहीम,
हमारी महान सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवश्यक है कि देश में गो वंश की सुरक्षा और संवर्धन हो। सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर स्थायी रूप से निवास करने वाली इनकी पीढ़ियाँ आये दिन किसी न किसी दुर्घटना का शिकार होती रहती हैं। ये पूर्णतः असुरक्षित और उपेक्षित हैं। निवेदन है कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर इनके स्थायी निवास स्थलों पर केटल शेड का निर्माण हो ताकि इन्हें सुरक्षा और संरक्षण प्राप्त हो सके।
निवेदक
अध्यक्ष
अखिल विश्व गो वंश संरक्षण-संवर्धन मंच
भरतगाँव (ध. प्र.)

अपने इस पवित्र अभियान के प्रति मेरे अतिउत्साह ने निंदिया रानी को रात भर मेरे नजदीक फटकने नहीं दिया। ब्रह्ममुहूर्त में मैंने अपने इस अधम शरीर को पवित्र किया। माथे पर टीका लगाया। गले में रूद्राक्ष की माला धारण किया। चोटी वाले स्थान के बालों में गांठ लगाई ताकि उसे चुटैया का स्वरूप मिल सके। इन्हें चार्जिंग करने के लिए घंटे भर का ध्यान लगाया। अपनी महान संस्कृति के अनुरूप वस्त्र धारण किया और स्कूल के लिए निकल पड़ा। मेरे अंदर प्रगट हुए महान धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था की दिव्य तरंगों ने मुझे चेतावनी दिया कि समय पर स्कूल पहुँचना हमारी महान धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के विरूद्ध है। आपने जिस पवित्र अभियान का जिम्मा लिया है यह उसके प्रति विश्वासघात है। सावधान।

मैंने सोचा, इस पवित्र अभियान की शुरुआत क्यों न ठेलू राम के पान ठेले से किया जाय। वहाँ पर एकत्रित धर्मप्रेमियों को मैंने अपने महान धर्म और संस्कृति की कुछ अनमोल बातें बताई और हस्ताक्षर की प्रत्याशा में वह ज्ञापन  पत्र उन्हें सौंप दिया। पढ़कर लोगों ने मुझ पर व्यंग्य किया - ''आपको भी व्यंग्य लेखक बनने का चस्का लग गया है क्या सर?''

ठेलू राम बार-बार घड़ी की ओर देख रहा था। कहा - ''सर! आज सण्डे है क्या?''

रास्ते में एक मंदिर पड़ता है। मैंने सोचा, क्यों न अपने इस पवित्र अभियान की सूचना प्रभु को भी देते चलूँ। प्रभु के समक्ष ध्यानस्थ हुए कुछ ही पल बीते होंगे। मुझे लगा, प्रभु प्रगट होकर मुझसे कह रहे हैं - ''मूर्ख! तेरे मंदिर के पट तो कब के खुल चुके हैं। तेरे पाँच सौ प्रगट ईश्वर कब से तेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं। तू यहाँ स्वांग किये खड़ा है। दूर हो जा मेरी नजरों से।''
0
(टीप :- चोचं जी का यह नाम उनकी चोटी और चंदन से प्रेरित होने वाले विद्यार्थियों का दिया हुआ है। 'चोटी-चंदन' नाम ही सिंकुड़कर अब 'चोचं' हो गया है।)
000


कुबेर
मो. 9407685557
ई मेल .

kubersinghsahu@gmail.com
ब्लाग- storybykuber.blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हास्य-व्यंग्य - चोचं चरित्र
हास्य-व्यंग्य - चोचं चरित्र
http://lh3.googleusercontent.com/-9hWDORlhGTM/VaeWwQOMCpI/AAAAAAAAlEY/wNKpOdBfwr4/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-9hWDORlhGTM/VaeWwQOMCpI/AAAAAAAAlEY/wNKpOdBfwr4/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_28.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_28.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content