भारतीय सिनेमा और हिन्दी

SHARE:

- गोवर्धन यादव भारत विश्व का एक अद्भुत देश है, जहां बहुजातीय, बहुभा‍षीय, बहुनस्लीय और बहुधर्मी मानव-समुदाय परस्पर प्रेम-मिलाप और सौहार्द स...

bhartiya indian cinema hindi

- गोवर्धन यादव

भारत विश्व का एक अद्भुत देश है, जहां बहुजातीय, बहुभा‍षीय, बहुनस्लीय और बहुधर्मी मानव-समुदाय परस्पर प्रेम-मिलाप और सौहार्द से मिलजुल कर रहते हुए एक गौरवशाली रा‍ष्ट्र का निर्माण करते हैं. मिली-जुली सामाजिक संस्कृति ही भारत की आन्तरिक शक्ति है. हमारी भा‍षाएं न केवल हमारी अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि वे हमारी संस्कृति की संवाहक भी है. अनेक भा‍षाएं होने के बावजूद भी हर भारतवासी, प्रत्येक भा‍षा का सम्मान करता है,जितना सम्मान वह अपनी मातृभा‍षा से करता है. सभी भा‍षाओं में हिन्दी ही एकमात्र ऎसी भा‍षा है, जो उत्तर से लेकर कश्मीर तक, सुदूर दक्षिण में कन्याकुमारी तक, पूर्व में कामाख्या से लेकर पश्चिम में कच्छ तक बोली और समझी जाती है. यह गौरव का विषय है कि हिन्दी आज भारत की सीमा लांघकर विश्व के हर कोने तक जा पहुँची है. विश्व के करीब 192 देशों में हिन्दी न केवल पढाई जा रही है,बल्कि शान से बोली भी जा रही है. इस व्यापकता के पीछॆ अन्य कारकों के अलावा सिनेमा भी एक कारक है,जिसके माध्यम से हिन्दी विश्व में सिरमौर बन पायी है.

भारत की गौरवशाली परम्परा, उसका स्वर्णिम इतिहास और सामाजिक संस्कृति की अनुगूंज, विश्व के कोने-कोने में हिन्दी के माध्यम से प्रसारित-प्रचारित करने में भारतीय सिनेमा के योगदान को कैसे विस्मृत किया जा सकता है ?. भारत के पहले प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरु के परामर्श को शिरोधार्य करते हुए उस दशक के जादुई करिशमा के धनी और अपने समय के सबसे बडॆ स्टार, निदेशक राजकपूर ने “श्री 420” का निर्माण किया था. उस फ़िल्म में एक गाना था “ मेरा जूता है जापानी, पतलून इंग्लिशतानी, सिर पर लाल टॊपी रूसी, फ़िर भी दिल है हिन्दुस्थानी” आज भी रूस में लोग बडॆ चाव के साथ गाते-नाचते देखे जा सकते है.

सिनेमा अपनी प्रारम्भिक अवस्था से ही भारतीय समाज का आइना रहा है. भारतीय सिनेमा ने पिछले पांच-सात दशक पूर्व से ही शहरी दर्शकों के साथ-साथ सुदूर ग्रामीण अंचलों तक गहरे तक प्रभावित किया और आज भी अपना प्रभाव बनाए हुए है. टेलिविजन के आश्चर्यजनक खोज के साथ ही उसने समूचे विश्व में अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है. इसी क्रम में आज भारत के गांव-कस्बों तक के सामान्य परिवारों के बीच इसकी पहुँच हो गई है. बुद्धिबक्सा कहलाए जाने वाले इस टेलीविजन के माध्यम से हिन्दी फ़िल्में तथा हिन्दी गाने धमाल मचा रहे हैं, आज हिन्दी की व्यापक लोकप्रियता और इसे संप्रेषण के माध्यम के रूप में मिली आत्म-स्वीकृति किसी संवैधानिक प्रावधान या सरकारी दवाब का परिणाम नहीं है. मनोरंजन और फ़िल्म की दुनिया ने इसे व्यापार और आर्थिक लाभ की भाषा के रूप में जिस विस्मयकारी ढंग से स्थापित किया है, वह लाजवाब है. अपने सामर्थय से जन-जन को जोडने वाली हिन्दी की स्वीकारिता जहाँ एक ओर बढी है, वही वह संचार माध्यम की भाषा के रूप में प्रयुक्त होने वाले समस्त ज्ञान-विज्ञान और आधुनिक विषयों से सहज ही जुड गयी है. वह अदालतों में और प्रशासन से जुडती हुई बुद्धिजीवियों और जनता के विचारों के प्रकटीकरण और प्रसारण का आधार भी बनती है..सच्चाई का बयान कर समाज को अफ़वाहॊं से बचाती है, विकास योजनाओं के संबंध में जन शिक्षण का दायित्व भी भली-भांति निभाती है. घटनाचक्रों और समाचारों का जहाँ वह गहन विश्लेषण करती है,तथा वस्तु की प्रकृति के अनुकूल विज्ञापन की रचना करके उपभोक्ताओं कॊ उसकी अपनी भाषा में बाजार से चुनाव की सुविधा मुहैया कराती है. आज हिन्दी इन्हीं संचार माध्यमों के सहारे अपनी संप्रेषण क्षमता का बहुमुखी विकास कर रही है..

भाषा प्रचार की संस्कृति और जातीय प्रश्नों के साथ सिनेमा हमेशा से गतिमान रहा है. उसकी यह प्रक्रिया अत्यंत सहज, बोधगम्य, रोचक, संप्रेषणीय और ग्राह्य है. जब हम भारतीय सिनेमा का मूल्यांकन करते हैं तो पाते हैं कि भाषा का प्रचार-प्रसार, सहित्यिक कृतियों का फ़िल्मी रूपान्तरण, हिन्दी गीतों की लोकप्रियता, हिन्दी की अन्य उपभाषाएं/बोलियों का सिनेमा और सांस्कृतिक एवं जातीय प्रश्नों को उभारने में भारतीय सिनेमा का योगदान जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण ढंग से हमारे सामने आते हैं. सिनेमा ने हिन्दी भाषा की संचारात्मकता, शैली, कथन- बिंब धर्मिता, प्रतीकात्मकता, दृष्य विधान आदि मानकॊं कॊ गढा है. आज भारतीय सिनेमा हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति का लोकदूत बनकर चहुं ओर पहुंचने की दिशा में अग्रसर है.

भारतीय सिनेमा के अपने शैशवकाल में जितनी भी फ़िल्में बनी उनमें भारतीय संस्कृति की महक रची-बसी होती थी. उन्नीसवीं सदी के पांचवे-छटवें दशक में अपने समय के सबसे चर्चित कलाकार साहू मोडक, मनोहर देसाई ,पृथ्वीराज, भगवान, भारतभूषण, सप्रु, रज्जन, के.एन.सिंह, गुरुदत्त, जीवन, अशोककुमार, राजकपूर, दिलीपकुमार, देवानंद, बलराज साहनी, शम्मीकपूर, शशि कपूर, गुलजार. पी.कैलाश,(हमारे गांव मुलताई के ही रहने वाले थे) आदि. महिला कलाकारॊं में सुरैया, निरूपा राय, कामिनी कौशल, मधुबाला, नरगिस, नूतन, वैजंतीमाला, सरोजादेवी, पद्मिनी, मालासिन्हा, आशा पारेख, सायरा बानू, शर्मिला टैगोर, राखी,आदि का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. .इन कलाकारों ने अपने जानदार अभिनय के बल पर अनेकानेक पारिवारिक, राजनीतिक, ऎतिहासिक, धार्मिक फ़िल्में कीं. और इन्हें यादगार फ़िल्मीं की श्रेणी में ला खडा किया. कवि प्रदीप, कमाल अमरोही, शैलेन्द्र,आदि जैसे सिद्ध-हस्त कवियों ने देशभक्ति सहित अनेकानेक गीतों की रचनाएं की, जिसे सी,रामचन्द्र, नौशाद, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, एस.डी.बर्मन, पंकज मलिक, अनिल विश्वास, रविशंकर, रोशन, के.सी.डॆ, आदि जैसे प्रख्यात संगीतकारों ने अपनी संगीतरचना के जरिए फ़िल्मों में जान फ़ूकीं, वहीं स्वरकोकिला लता मंगेशकर, आशा भोंसले, रफ़ी, किशोरकुमार, मधुबाला जैसी गायिकाओं ने अपनी खनकती आवाज से दुनिया को दिवाना बना दिया था. भले ही आज वे फ़िल्में इतिहास की वस्तु बन कर रह गई हों, लेकिन उन फ़िल्मों के नायक-नायिकाओं को आज भी याद किया जाता है और उन तमाम गानों को लोग आज भी भूले नहीं हैं. भूले-बिसरे गीत के माध्यम से आकाशवाणी आज भी इन गीतों को प्राथमिकता के आधार पर रोज प्रस्तुति दे रहा है. ये सारे कलाकार/ संगीतकार/लेखक/कवि ,जिसे आज की पीढी भले ही न जानती हो, लेकिन पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से उन्हें पढती और याद करती है.

हिन्दी के अलावा और भी अन्य भारतीय भाषाओं में फ़िल्में बनाई गई,,लेकिन हिन्दी की लोकप्रियता का ग्राफ़ इन सबसे ऊपर रहा. जिसकी प्रसिद्धि विश्व के कोने-कोने में फ़ैलती चली गई. पाकिस्तान की फ़िरकापरस्ती के चलते वहां हिन्दुस्थानी फ़िल्मों को न तो वहां दिखाया जाता है और न ही उनके गानों को सुनने दिया जाता है. दृष्य़ और श्राव दोनो पर प्रतिबंध है, बावजूद इसके लोग भारतीय सिनेमा और फ़िल्मी गानो के दिवाने बडी संख्या में देखे जा सकते हैं.

 

स्व.श्री धुंडीराज गोविंद फ़ालके.(1870-1944)

image

(बात फ़िल्मों की हो और फ़िल्म के संस्थापक की बात न की जाए, तो बात अधूरी रहेगी. इस छॊटॆ से आलेख के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि)

भारतीय दृष्य कला की शुरूआत स्व.श्री फ़ालकेजी ने की थी. 1870 में एक महाराष्ट्रीय ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने वाले और मुंबई के जे.जे.स्कूल आफ़ आर्ट्स और वडौदरा के कला भवन से शिक्षा ग्रहण करने वाले फ़ालके ने लोनावाला में राजा रवि वर्मा के प्रेस से जुडने से पहले ड्राइंग, फ़ोटोग्राफ़ी, लिथोग्राफ़ी और ड्रामा का अध्ययन किया, उन्होंने जादू भी सिखा और बाद में इसे फ़िल्मकारों के लिए जरूरी शिक्षा भी बताया. जन्मजात उद्यमी होने के नाते उन्होंने जल्द ही छपाई और नक्काशी का छापाखाना खोला और क्रोमोलिथोग्राफ़ और चित्रमय बुकलेट प्रकाशित की जो कि उनकी शुरुवाती मिथकीय फ़िल्मों के आधार बने.

फ़िल्मी निर्माण का अध्ययन करने के बाद फ़ालके उपकरण खरीदने और फ़िल्म निर्माण से रू-ब-रू होने के लिए इंगलैंड गए थे. मुंबई लौटने के बाद उन्होंने अपनी फ़ालके फ़िल्म कंपनी शुरू की और राजा हरिश्चन्द्र बनाई जो 1913 में रिलीज हुई. उसे भारत की पहली फ़िचर फ़िल्म माना जाता है. लंका दहन (1917) की महान सफ़लता के साथ 19 वीं सदी के आखिर की यह अवधारणा एक दार्शनिक ताकत बन गई.

आज भारतीय सिनेमा में जीवन भर की उपलब्धियों पर जो सबसे बडा पुरस्कार है वह दादा साहेब फ़ालके पुरस्कार ही है और यह भारत रत्न जैसा है. संस्कृति के इतिहासविदों के लिए यह फ़ालके की अंतिम विरासत है, तो अन्य लोगो के लिए लोकप्रिय भारतीय दृष्य कला की शुरूआत.

फ़िल्में तो आज भी बडी संख्या में बन रही हैं लेकिन उनमें पारिवारिकता, सह्विष्णुता, देशभक्ति के जज्बात आदि का दूर-दूर तक वास्ता नहीं रहा. पूरी फ़िल्मी दुनिया पश्चिमी रंग में रंगी नजर आती हैं. संगीत में न तो वह मिठास नजर आती है, जैसे की कभी पुराने संगीतकार संगीत की रचना किया करते थे. उस जमाने में हिन्दी-उर्दू के नामी-गिरामी रचनाकार पहले गीत लिखते थे. उसमे अपनी आत्मा तक उतार कर रख देते थे, बाद में संगीतकार उस रचना के आधार पर मनमोहक संगीत की रचना किया करते थे. अब धुन तैयार रहती है और गीत बाद में लिखा जाता है. आधुनिक समय में फ़िल्मों में बडी चकाचौंध है. अरबों-खरबों का खर्च इन पर होता है. और उस फ़िल्म ने कितने करोड कमाये, इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. खैर. समय परिवर्तनशील है. अतः इसमें आश्चर्य नहीं देखा जाना चाहिए.

जो भी हो ,लेकिन इतना तो तय है कि आज फ़िल्मों के माध्यम से हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सम्मान प्राप्त हो रहा है. हमारे फ़िल्मकार भारत ही नहीं युरोप, अमेरिका और खाडी देखों के अपने दर्शकों को ध्यान में रखकर फ़िल्मों का निर्माण कर रहे हैं. यह गौरव का विषय है कि हमारी फ़िल्में आस्कर-अवार्ड तक अपनी पहुँच बना रही है. समूचे विश्व को और ज्यादा निकट लाने के लिए, निश्चित ही इस क्षेत्र में आज भी बेहतर ढंग से काम किए जाने की आवश्यक्ता है. संचार माध्यम का योगदान इसमें लिया जा सकता है. फ़िल्मों में मनोरंजन और अर्थ उत्पादन के साथ-साथ इनकी सार्थकता का भी ध्यान रखा जाए तो हिन्दी सिनेमा सर्वाधिक प्रभावशाली माध्यम सिद्ध हो सकता है. इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि सिनेमा ने हिन्दी की लोकप्रियता में जहाँ चार चांद लगाए हैं, वहीं उसकी व्यवहारिकता को भी बढाया है.

ग्लोबल होती इस दुनिया में मोबाईल और कंप्युटर की संचार क्रान्ति ने हिन्दी को विश्व की सिरमौर भाषा बना दिया है. शायद आपको याद होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ओबाना ने अमेरिकी नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा था कि वे जितनी जल्दी हो सके हिन्दी सीखें, अन्यथा सारे कामकाज हिन्दुस्थानी हथिया लेंगे. लेकिन दुर्भाग्य कि हम हिन्दी के बढते महत्त्व को भली-भांति समझ नहीं पा रहे हैं. यह भूल कोई छॊटी सी भूल नहीं है. अगर यह क्रम जारी रहा तो संभव है कि हमें इसकी बडी कीमत चुकानी पड सकती है. लेकिन यह ध्यान में जरूर रखा जाना चाहिए कि हिन्दी आज विश्व की अन्य भाषाऒं को पीछॆ छॊडते हुए दूसरे पादान पर खडी है. पहले नम्बर पर चीन की भाषा मन्दारिन है. बहरआल ,हिन्दी आज भले ही भारत की राष्ट्रभाषा न भी बन पायी हो,लेकिन यह विश्व-भाषा जरूर बन गई है.

गोवर्धन यादव
103,कावेरी नगर,छिन्दवाडा (म.प्र.) 480001
07162-246651,9424356400

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. अच्छा लेख है। हिंदी भाषा को मारने वाले तथाकथित भाषा के पैरोकार ही सबसे जिम्मेदार हैं।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: भारतीय सिनेमा और हिन्दी
भारतीय सिनेमा और हिन्दी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhpeCCmSxYC-Om9heAV_UfZ9wrEOSoDiXkOW-qTjFUt_MG37HxT-DepinGI6lq511_ZfONChyv0w2N3rEDxiYDlHhexqBcPP4PfWM6YuyOHO5e8wZBCCE0MuFzrNHGmr4VgQtpp/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhpeCCmSxYC-Om9heAV_UfZ9wrEOSoDiXkOW-qTjFUt_MG37HxT-DepinGI6lq511_ZfONChyv0w2N3rEDxiYDlHhexqBcPP4PfWM6YuyOHO5e8wZBCCE0MuFzrNHGmr4VgQtpp/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_81.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_81.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content