ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - कहानी - अंकल केन के साथ साइकिल की सवारी

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  अंकल केन के साथ साइकिल की सवारी रस्किन बॉण्ड   सा इकिल पर किसी लड़की के साथ चलते हुए उसे चूम लेना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मैंने इस...

 

अंकल केन के साथ साइकिल की सवारी

रस्किन बॉण्ड

 

साइकिल पर किसी लड़की के साथ चलते हुए उसे चूम लेना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मैंने इसे उस समय कर लिया था, जब मैं मात्र तेरह साल का था और मेरी ममेरी बहन इलिसा चौदह साल की थी. यह अलग बात है कि इस प्रक्रिया में हम दोनों गिरकर नानी के उद्यान की फूलों की क्यारियों में पहुंच गए थे, जहां हमें जलकुंभी का गद्देदार आसन मिला था.

मैं एकदम अनाड़ी लड़का था. हमेशा साइकिल से गिर पड़ता था. मेरी ममेरी बहिन इलिसा मुझे ठीक तरह से साइकिल चलाना सिखाती थी. वह मुझे आगे की सीट पर बैठा देती थी और खुद पीछे बैठकर जटिल मशीन के बारे में मुझे बताती रहती थी. मैंने उसे सिर्फ प्रयोग के तौर पर चूमा था. इसके पहले मैंने किसी और लड़की को नहीं चूमा था और ममेरी बहन इलिसा चूंकि चूमने लायक लग रही थी, इसलिए मैंने उसी से शुरुआत करने की सोच ली. मैं एकटक उसे निहारता रहा, तभी मैंने उसके गाल को चूम लिया, जब वह मुझे साइकिल चेन की जटिलताओं के बारे में बता रही थी. वह मेरी करतूत से इस कदर चौंकी कि साइकिल और मुझे लिये-दिए नीचे गिर पड़ी.

 

बाद में उसने नानी के सामने पेशी करवाई. नानी ने उससे कहा,

‘इस लड़के पर ध्यान रखो. इसके लक्षण लंपट किस्म के हैं.’

मैंने अपने प्यारे अंकल से पूछा, ‘इस लंपट का मतलब क्या हुआ, अंकल केन?’

‘इसका मतलब हुआ कि तुम कुत्ते के रास्ते जा रहे हो. तुम्हें अपनी ममेरी बहन को नहीं चूमना चाहिए था.’

‘क्या मैं दूसरी लड़कियों को चूम सकता हूं?’

‘सिर्फ उस हालत में ही, जब उन्हें यह मंजूर हो.’

 

‘क्या आपने कभी किसी लड़की को चूमा है, अंकल केन?’

शरमाते हुए अंकल केन बोले-‘अरे...बहुत...बहुत...पहले.’

‘मुझे इसके बारे में बताएं.’

‘फिर कभी.’

‘नहीं, मुझे अभी बताएं. उस समय आपकी उम्र क्या रही होगी?’

‘करीब बीस साल.’

‘और उसकी उम्र क्या थी?’

‘थोड़ी कम.’

‘तो फिर क्या हुआ?’

 

‘हम साथ-साथ साइकिल चलाते थे. मैं आगरा में रह रहा था. तुम्हारे नाना वहां रेलवे में काम करते थे. डेजी के पिता इंजन ड्राइवर थे. लेकिन उसे इंजन अच्छा नहीं लगता था. इंजन उसे कालिख से पोत देते थे. उन दिनों हर किसी के पास साइकिल होती थी. सिर्फ बहुत अमीर लोग कार रखते थे. और साइकिल की बराबरी कार नहीं कर सकती थी. डेजी और मैं साइकिल से फतेहपुर सीकरी और सिकंदराबाद तक जाते थे. ताजमहल तक भी जाते थे. एक बार हमने ताजमहल चांदनी रात में देखा और हम बहुत ही रोमांटिक हो गए. जब मैं उसे घर छोड़ने जा रहा था, तो रास्ते में अशोक के पेड़ के नीचे उसे चूम लिया.’

‘मैं नहीं जानता था कि आप इतने रोमांटिक भी थे, अंकल केन. तो फिर आपने डेजी से शादी क्यों नहीं की?’

‘मैं नौकरी नहीं करता था. मुझे नौकरी मिल जाने तक उससे इंतजार करने को कहा था, लेकिन दो साल बाद वह इंतजार करते-करते थक गई. उसने एक टिकट निरीक्षक से शादी कर ली.’

मैंने कहा, ‘ओह, इतनी दुखद कहानी है. और आपके पास आज भी नौकरी नहीं है.’

 

अंकल केन ने कई तरह की नौकरी की-प्राइवेट ट्यूटर, सेल्समैन, शॉप असिस्टेंट, होटल मैनेजर (जब तक होटल को बंद नहीं करा दिया), और क्रिकेट कोच. क्रिकेट कोच की नौकरी उन्हें सिर्फ इस कारण मिल गई थी, क्योंकि उनकी शक्ल ज्यॉफ बायकॉट से मिलती जुलती थी. लेकिन फिलहाल वे बेरोजगार थे और अपने जीवन के अनुभवों को मुझे सुनाने में लगे हुए थे.

उन्होंने मुझे न सिर्फ साइकिल चलाना सिखाया, बल्कि साइकिल से पूरे देहरादून और शहर के बाहर की गलियों व सड़कों के चक्कर काटने में भी मेरा साथ दिया.

साइकिल अपने सवार को कई तरह की आजादी देती है. कार भी आपको आगे ले जाएगी लेकिन चूंकि आप अंदर में सीमित जगह में बैठे होते हैं, इसलिए आपके पास खुली जगहों और अपरिचित सड़कों को देखने की आजादी नहीं रहती. साइकिल पर आप अपने चेहरे पर पड़नेवाले हवा के झोंके को महसूस कर सकते हैं, आम के पेड़ों की सुगंध ले सकते हैं, साइकिल को धीमी कर तालाब में लोट रही भैंसों को निहार सकते हैं या फिर कहीं भी साइकिल को रोककर उस पर से उतरकर चाय गन्ने का रस पी सकते हैं. पांव घसीटकर कहीं पहुंचने में समय लगता है और कारें बहुत तेज चलती हैं-आप ठीक से कुछ देख सकें, इसके पहले ही वह सनसनाकर पीछे छूट जाता है-और कार ड्राइवर को गाड़ी खड़ी करने से चिढ़ होती है, वे सिर्फ कम-से-कम समय में गंतव्य स्थान पर पहुंच जाना चाहते हैं. लेकिन जो लोग आराम से दुनिया को देखना चाहते हैं और साथ-ही-साथ चाहते हैं कि दुनिया भी उन्हें देखे, उनके लिए साइकिल सबसे अच्छी सवारी है.

 

मैंने अंकल केन के साथ जाड़े की छुट्टियों में मजेदार साइकिल-सवारी की थी. इसमें सबसे यादगार शहर के बाहरी छोर पर स्थित रेस्टहोम की अनियोजित यात्रा थी. अब वह रेस्टहोम वहां नहीं है, इसलिए उसे देखने नहीं जाइएगा. उस दिन हम दोनों ने बहुत अधिक साइकिल चलाई थी, इसलिए हम बहुत थके हुए थे. प्यास भी बहुत जोर से लगी हुई थी. उस रोड पर कहीं किसी चाय की दुकान का कोई अता-पता नहीं था, लेकिन ज्योंही हम एक मोहक भवन के खुले गेट के पास पहुंचे तो वहां एक साइनबोर्ड मिला. साइनबोर्ड पर लिखा हुआ था-रेस्ट एंड रिक्यूपिरेशन सेंटर. हमने सोचा यह कोई होटल या हॉस्टल है और हम

सीधे परिसर के अंदर घुस गए. अंदर में एक तरफ बाड़ों तथा फूलों से घिरा एक बड़ा-सा लॉन था. लॉन में बहुत से लोग टहल रहे थे. कुछ लोग बेंच पर बैठे हुए थे. एक आदमी बिना किसी श्रोता के गा रहा था. इनमें कुछ लोग यूरोपियन और कुछ भारतीय थे.

बरसाती में अपनी साइकिल छोड़कर हम नाश्ते की तलाश में निकले. सफेद साड़ी पहनी हुई एक महिला ने ही सुराही से ठंडा पानी दिया और अपने दफ्तर के बाहर पड़ी बेंच पर बैठ जाने को कहा. लेकिन अंकल केन ने कहा कि हमें कुछ आगंतुकों से मिलना चाहिए. हम लॉन में उस गायक के पास चले गए, जो अकेले में ही अभ्यास कर रहा था. वह आलंकारिक भद्र पुरुष था-बहुत ही मोटा-तगड़ा.

 

जब हम उसके पास पहुंचे तो उसने सवाल किया, ‘क्या आपको मेरा गाना पसंद है?’

अंकल केन ने कहा, ‘अद्भुत. आप करूजो की तरह गाते हैं.’

गायक ने दृढ़ता के साथ कहा, ‘मैं करूजो ही हूं.’ इतना कहने के साथ ही वह एक संगीतीय लय की शुरुआती पंक्तियों को गाने लगा.

हम जल्दी से आगे बढे. हमारी मुलाकात एक सुशिष्ट जोड़े से हुई. यह जोड़ा लॉन के चारों ओर टहल रहा था और अदृश्य भीड़ की ओर हाथ हिलाए जा रहा था.

एक भड़कीले सज्जन ने हमारी ओर मुखातिब हो कहा, ‘गुड डे टू यू जेंटलमैन. आप तो स्वीडन के एंबेसडर हैं न?’

अंकल केन ने जोशपूर्ण अंदाज में जवाब दिया, ‘इफ यू सो विश. और आप...?

‘इंपेरर नेपोलियन, ऑफकोर्स.’

उस सज्जन के बगल में खड़ी महिला की ओर मुखातिब होकर अंकल केन ने कहा, ‘ऑफकोर्स! और यह तो इमप्रेस जॉसफिन ही होंगी?’

नेपोलियन ने कहा, ‘दरअसल, ये मेरी वालेस्का हैं. जॉसफिन आज बीमार हैं.’

मैं खुद को ‘मैड हेटर’ की ‘टी पार्टी’ के एलाइस की तरह महसूस करने लगा था और अंकल केन के कोट की बांह को रगड़ते हुए उनके कान में बुदबुदाया कि हम लोगों को लंच में देरी हो रही है.

इसी बीच पगड़ी बांधे लंबी-लंबी मूंछोंवाला एक व्यक्ति हमारे सामने दिखाई दिया. उसने बड़़े ताव से कहा, ‘मैं पृथ्वीराज चौहान हूं. आप हमारे राजमहल में डिनर के लिए आमंत्रित हैं.’

अंकल केन ने जवाब दिया, ‘महाराज आप यहां हैं. आपका साथ होना सचमुच हमारे लिए बड़े गौरव की बात है.’

मैंने घबराहट में कहा, ‘मेरे लिए भी.’

‘मेरे साथ आओ बालक, मैं और लेागों का परिचय कराता हूं.’ पृथ्वीराज चौहान ने मेरा हाथ पकड़ लिया और लॉन में गाइड करते हुए आगे बढ़ता रहा-‘यहां कई नामी-गिरामी पुरुष और महिलाएं हैं. यहां मार्को पोलो हैं. वे अभी चीन से लौटे हैं. और अगर तुम्हें करूजो का गायन पसंद नहीं है तो फिर उस इमली के पेड़ उस इमली के पेड़ के नीचे तानसेन हैं. शायद तुम्हें मालूम होगा कि सुरीली आवाज के लिए इमली का पत्ता बहुत अच्छा होता है. और जो ये सज्जन हैं, वे लॉर्ड कर्जन हैं, जो वायसराय हैं. वे मारकेश के सुलतान के हैं...ये डेनमार्क के राजकुमार हैं, यही हो न?’

मैं इसका खंडन करता हूं, इसके पहले ही सफेद कोट पहने एक सज्जन ने हमे बीच में ही रोका. उनके साथ सफेद कोट में ही उनका असिस्टेंट भी था. वे इंचार्ज जैसे दिख रहे थे.

 

इन दोनों में से बड़े ने पूछा, ‘और तुम यहां क्या कर रहे हो, बच्चे?’

अकंल केन की ओर इशारा करते हुए मैंने जवाब दिया, ‘मैं अपने अंकल के साथ आया हूं.’ अंकल केन ने आगे बढ़कर गर्मजोशी के साथ इंचार्ज से हाथ मिलाया.

अंकल केन ने कहा, ‘और आप तो डॉ. फ्रायड हैं न! बहुत ही अनंददायक जगह है, यह.’

‘दरअसल, मैं डॉ. गोयल हूं. तुम हमारे नए रोगी हो, जिसका हमें इंतजार था. लेकिन उन लोगों ने तुम्हें एक बालक के साथ यहां भेज दिया है. कोई बात नहीं, हमारे साथ ऑफिस चलो. हम तुम्हें भरती कर लेंगे.’

अंकल केन और मैंने प्रतिरोध किया कि हम लोग संभाव्य रोगी नहीं हैं. इसे साबित करने के लिए हमारे पास अपनी साइकिल है. फिर भी डॉ. गोयल और उनका असिस्टेंट अंकल केन को अपनी बांहों में टांगकर अपने दफ्तर तक ले गए. मैं उनके पीछे-पीछे चलता गया. और यह सोचता रहा कि अच्छा रहेगा कि मैं अपनी साइकिल लेकर यहां से भाग जाऊं और जाकर नानी को यह दुःखद खबर दूं कि अंकल केन को पागलखाने में बंदी बना लिया गया है.

 

ठीक उसी समय एक एंबुलेंस वास्तविक रोगी, उत्पीड़न मनोग्रंथि से ग्रस्त एक प्रिंसिपल को लेकर पहुंची. वह पक्के तौर पर संतुलित व्यक्ति की तरह चिल्ला रहा था कि उनके संपूर्ण स्टॉफ ने उन्हें निकालने की साजिश रच रखी है. यह सही ही लग रहा था, क्योेंकि स्टॉफ यहां यह सुनिश्चित करने में जुटे हुए थे कि प्रिंसिपल किसी तरह यहां से भाग सकें.

डॉ. गोयल ने अंकल केन से और अंकल केन ने डॉ. गोयल से माफी मांगी. सज्जन डॉक्टर हमारे साथ गेट तक भी आए. उन्होंने अंकल केन से हाथ मिलाया और कहा, ‘मुझे लग रहा है कि आप यहां फिर आएंगे.’ मेरे अंकल को निहारते हुए उन्होंने कहा, ‘लगता है, आपको कहीं पहले भी देखा है, सर. आपने अपना नाम क्या बताया था?’

 

अंकल केन ने शरारत के साथ कहा, ‘ज्यॉफ बायकाट’ और फिर वे उनके बारे में दूसरी राय बनाते, इससे पहले ही हम वहां से निकल गए.

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