ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - आलेख व साहित्यिक गतिविधियां

SHARE:

  मतलबी मीडिया की बिगड़ती पीढ़ियां राजेश कुमार शर्मा विभिन्न समाचार चैनलों पर, अमुक खबर सुनकर अत्यंत निराशा हुई जिसमें, प्रदेश के सर्वप्...

 

मतलबी मीडिया की बिगड़ती पीढ़ियां

राजेश कुमार शर्मा

विभिन्न समाचार चैनलों पर, अमुक खबर सुनकर अत्यंत निराशा हुई जिसमें, प्रदेश के सर्वप्रिय अध्यक्ष (सम्माननीय मुख्यमंत्री)श्री अरविंद केजरीवाल जी के एक पत्र, जिसमें उन्होंने मीडिया पर अंकुश लगाने की बात कही थी, के संबंध में, दिल्ली प्रदेश की ढाई करोड़ जनसंख्या में से 96 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली सिफारिश को ‘सुप्रीम कोर्ट’ ने फटकार लगाई और कारण भी पूछा है. यदि जनसंख्या के बहुमत की मांग को, बिना कारण सुने सर्वोच्च न्याय व्यवस्था फटकार लगाएगी तो, आम आदमी के लिए फिर कौन सी राह बचेगी?

लोकतंत्र में मीडिया के महत्वपूर्ण माध्यम-समाचार चैनल और समाचार पत्र का कार्य समाज की विभिन्न गतिविधियों और घटनाओं को जनहित में, सीधे और साफ तरीके से, वृहत दृश्यपटल तक पहुंचाना होता है. इसीलिए संविधान उन्हें

अधिक अधिकार प्रदान करता है; परंतु आजकल ज्यादातर न्यूज चैनल और समाचार पत्र, निजी और कमाऊं उद्योग बन चुके हैं. इनकी प्रमुख कमियां, जो सामाजिक लाभ को कम करती हैं अथवा समाज की शक्ति और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं, वे निम्नलिखित हैंः-

1. सूचनाओं में स्वतंत्रता और सहभागिता का अभाव रहता है. सूचनाएं अब सीधे और सरल रूप में समाज के समक्ष नहीं आ पातीं; बल्कि अब समाचार प्रदाता उसे अपने-अपने द्वष्टिकोणों से प्रस्तुत करते हैं. इसमें सामान्य नागरिक केवल मूक दर्शक बन कर रह जाते हैं; क्योंकि उनका द्वष्टिकोण समाचारों में औपचारिकता के लिए कभी-कभी ही शामिल किया जाता है.

2. सूचना प्रदाता समाचारोें को अपने-अपने विश्लेषण के साथ प्रस्तुत करते हैं और इनके मन्तव्यों में परस्पर भिन्नता होती है. अतः संदेह होने लगता है कि समाचार मीडिया जन-भावना की अभिव्यक्ति करता है या अपनी भावना की. और यह अभिव्यक्ति किसी प्र्रकार के लालच से तो नहीं है.

3. मीडिया अपूर्ण और संकुचित खबर दिखा कर समाज को दिगभ्रमित करती है, जबकि नागरिकों के पास गलत खबर पर प्रतिक्रिया देने का कोई सरल मार्ग नहीं छोड़ा गया है.

4. समाज के हित के लिए बने मीडिया को अपने

अधिकारों का खूब पता होता है, परंतु समाज का प्रत्येक वर्ग-स्वयं मीडिया, मीडिया से अपने संबंधों और मीडिया के ऊपर समाज को दिए गए किसी प्रकार के अघिकार से परिचित नहीं होता है.

5. समाचार कार्यालय में साक्षात्कार हेतु आया कोई भी विषेश व्यक्ति एडिटर से क्या बात करता है, यह किसी को पता नहीं होता. फिर कोई न्याय, मीडिया की पारदर्षिता पर विश्वास करने को मजबूर क्यों कर सकता है?

6. समाचारों में सीधी खबरें कम होती हैं, वैचारिक टीका-टिप्पणियां अधिक होती हैं. यथा-दो व्यक्ति यदि साथ खड़े हों तो ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ की छाया में यह कहा जा सकता है कि शायद वे प्यार करते हैं, शायद इनके शारीरिक संबंध है या शायद इनका ‘बच्चा’ भी है. अगर उन्होंने मुंह फेर लिया हो तो- यह कहना कि शायद इनका तलाक हो गया हो, सर्वदा ठीक माना जा रहा है. यदि किसी महिला ने किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत की हो तो- किसी निर्णय या जांच से पहले ही व्यक्ति को व्यभिचारी या भ्रष्टाचारी कहना किसी की जीवन भर की मेहनत करके कमाई गई प्रतिष्ठा के साथ बलात्कार करना है.

7. एक नागरिक होते हुए मुझे ऐसा लगता है कि मीडिया अब नागरिकों की जुबान नहीं रह गया है, मीडिया की ताकत अब नागरिकों की ताकत नहीं रह गई है. इसलिए इस पर नैतिक अंकुश लगना सख्त जरूरी है.

8. चुनाव के समय मैंने स्वयं चुनाव आयोग से शिकायत की तथा सभी प्रमुख चैनलों से आग्रह किया था कि वे इस समाचार को चलाएं कि- सत्तारूढ़ पार्टी का प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या कोई भी केन्द्रीय मंत्री यदि किसी प्रदेश में जाकर कहेगा कि ‘‘यदि जनता ने अलग पार्टी को वोट दिया तो विकास नहीं हो सकेगा’’ तो यह सभी छोटे दलों के प्रति पक्षपात होगा. अतः इस पर चुनाव आयोग को प्रतिबंध लगाना चाहिए. तब मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मैं प्रजातंत्र का हिस्सा ही नही हूं और मेरी शिकायत को अमल में लाने के लिए कोई नहीं है.

9. न्यूज चैनल आजकल ध्वनि और द्वश्य प्रदूषण भी बहुत ज्यादा करते हैं. समाचारों को सही और स्पष्ट ना दिखा कर, जोरदार बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ 3-4 बार चलाकर उसे इच्छानुसार अधिक हृदयविदारक या उत्तेजक कर दिया जाता है.

10. समाचारों को साधारण तरीके से ना दिखा कर, कमाई के नाम पर अत्यधिक विजुअल इफेक्ट, कलर और फ्लैश का उपयोग किया जाता है. एक ही समय पर स्क्रीन पर चार अलग-अलग पटिृयों पर चार अलग-अलग समाचार प्रस्तुत किए जाते हैं और समाचार वक्ता उसी समय किसी और समाचार की व्याख्या करता है; जबकि दूसरी साइड पर दो अलग-अलग विज्ञापन चल रहे होते हैं. इस प्रकार आर्थिक कमाई का रोना रोकर व्यापक तौर से सामाजिक क्षमता की बर्बादी की जा रही है.

11. मीडिया को सामाजिक हित के लिए संविधान से विषेशाधिकार प्राप्त है. जब मीडिया की कमाई जनता के द्वारा होती है तब क्या समाज को मीडिया की कमाई से कोई रॉयल्टी नही मिलनी चाहिए? इनके पास जनसम्पर्क के लिए कोई टॉल फ्री नम्बर नहीं होता, जिस पर आधिकारिक तौर से कोई सूचना विस्तृत रूप में मांगी जा सके अथवा किसी पिछले दिन के समाचार का निशुल्क रिकार्ड मांगा जा सके.

12. एक और सरासर धोखेबाजी का काम जो समाचार मीडिया अधिक कमाई से मिथ्या दिखने वाले, लम्बे समय के विज्ञापन, विभिन्न समयों पर प्रसारित किए जाते है, जैसे- बाबा जी का लॉकेट, लॉटरी ड्रा, यौनवर्धक दवाइयां, आदि. ऐसा करते समय मीडिया के मालिक मूर्ख बन जाते हैं और

सावधानी के लिए पहले ही लिख देते हैं कि ‘उनकी जिम्मेदारी नही है’. क्या ऐसा लिख देने से कोई दोषमुक्त हो सकता है? ये खोजी चैनल ऐसे लोगों के पते, संपर्क और स्वयं अपनी भूमिका क्यों उजागर नही करते? शायद इन्हें भविष्य मे और अधिक कमाई की सम्भावना दिखे तो ये समाज को आग लगाने से भी नहीं चूकेंगे. दरसल यह हमारा ही दुर्र्भाग्य है कि आजादी के बाद हमारी न्याय व्यवस्था जल्दीबाजी में बनाई गई थी इसलिए न्याय की देवी अंधी रह गई. फलस्वरूप कितना भी अन्याय होता रहे बिना शिकायत के कार्यवाही नहीं होती.

13. प्रजातंत्र में क्या मीडिया अपने अधिकारों के कारण सर्वोपरी होता है? क्या हमारे जीवन भर की कमाई हमारा स्वाभिमान और प्रतिष्ठा मीडिया के थूकने के लिए है? जब हमारे देश में तत्काल न्याय देने की व्यवस्था नहीं है तब किसी न्यायिक आदेश के मिलने तक कम-से-कम व्यक्ति के सम्मान की रक्षा की व्यवस्था तो न्यायालय को करनी ही चाहिए, अन्यथा सम्मान कमाने की लालसा ही किसे रहेगी? मीडियाकर्मी क्या प्रजातंत्र में भगवान होते हैं जो कोई भी अनर्गल बात कर सकते हैं. उनके ऊपर कोई प्रतिक्रिया देना या टिप्पणी करना पाप है?

मीड़िया को सामाजिक समन्वय के लिए अपने वर्तमान प्रारूप में शीघ्र परिवर्तन करना पड़ेगा. हमारा समाज जिन परिवर्तनों की अपेक्षा समाचार मीडिया से करता है, वे इस प्रकार हैः-

1. मीडिया पर समाज और नागरिक के अधिकारों की सीमा स्पष्ट हो.

2. मीडिया की कमाई के स्र्रोत नियमित किये जाएं यथा इनका प्रसारण निःशुल्क होना चाहिए और इनकी कमाई केवल विज्ञापनों से होनी चाहिए जिसका समय भी निश्चित एवं नियमित होना चाहिये.

3. मीडिया का समाज से व्यापक परिचय और संबंध होना चाहिए, यथा कुल कितने समाचार चैनल और पत्र हैं, इनके नियामक कौन हैं, समाचार वाचक कौन हैं तथा उनकी उपलब्धियां क्या हैं, वे उसी प्रदेश के हैं या बाहर के, समाचार संकलित किए गए हैं या खरीदे गए हैं आदि.

4. सभी मीडिया सेंटर को अनिवार्य रूप से अपने

निर्बाध केन्द्रीय कॉल सेंटर का प्रबंध करना चाहिए जिस पर जनता द्वारा किसी भी सूचना के संबध में जानकारी और रिकार्ड मांगे और दिए जा सकें.

5. समाचार चैनल और पत्र में किसी भी मिथ्या प्रचार की जिम्मेदारी स्वयं उस चैनल और पत्र की होनी चहिए.

6. नागरिकों द्वारा दी गई किसी भी ठोस सूचना को ना दिखाने का कारण देने की बाध्यता होनी चाहिए.

7. समाचार चैनलों पर ध्वनि तीव्रता के नियामक होने चाहिए.

8. समाचार चैनल मनोरंजन चैनल ना बनें, बल्कि खबरों को केवल खबर की तरह ही दिखाएं. खबरों पर रोचकता का मसाला लगाने का काम समाज पर ही छोड़ दें.

9. न्यूज एजेंसी को अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को कभी नहीं भूलना चाहिए तथा बैकग्राउंड म्यूजिक और विजुअल इफेक्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

10. किसी को भी हुए नुकसान की जिम्मेदारी न्यूज चैनल को लेनी पड़े और उसकी भरपाई भी करनी पड़े.

समाजवाद में जब हर वर्ग आत्मनिर्भर एवं मतलबी हो जाए, तो समाजवाद की अवधारणा मर जाती है और आपसी टकराव बढ़ जाते हैं. परस्पर निर्भरता समाजवाद की पहचान है. मीडिया सबसे अलग सर्वोपरि नहीं हो सकता. दिल्ली प्रदेश के 96 प्रतिशत समाज ने जिस नेतृत्व को स्वीकार किया था, उसी के काम में बाधा डालना, उसी के आदेशों का तिरस्कार करना, गलत संदेश का प्रचार करना- सामाजिक असहयोग के लक्षण नहीं तो और क्या है? आशा है कि भविष्य में मीडिया स्वयं को समाज का सेवक मानेगा और सम्मान देगा; अन्यथा इतने बडे एकजुट समाज के आदेश की ताकत सारी दुनिया देखेगी.

 

संपर्कः आर.जेड.बी.124-ए, गलीनं.-7,

गुरुद्वारा रोड़, महावीर एन्कलेव,

पालम, नई दिल्ली- 110045

------

 

 

image[2]

लंदन में जारी हुई ‘इश्क कोई न्यूज नहीं’

लंदनः ‘लप्रेस : फेसबुक फिक्शन श्रृंखला’ की दूसरी किताब ‘इश्क कोई न्यूज नहीं’ को पाठकों के बीच लाने की तैयारियां जब जोरों पर हैं, इसी बीच इसका प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के उपरान्त अनौपचारिक रूप में लांच किया गया.

एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन में 27-28 मई, 2015 को ‘हिंग्लिश’ को लेकर हुई दो दिवसीय कार्यशाला के समापन-सत्र के बाद ‘लप्रेस’ श्रृंखला की इस दूसरी कड़ी की प्रोमो पुस्तिका जारी तो की ही गई, साथ ही, इस कार्यक्रय में लप्रेककार विनीत कुामर ने दुनिया के अलग-अलग शैक्षणिक संस्थानों से आए लोगों के बीच लप्रेक लिखे जाने के पीछे की पूरी प्रक्रिया की विस्तार से चर्चा करते हुए अपनी पुस्तक की थीम को भी सामने रखा.

यह सच है कि जो न्यूज चैनल और मीडिया दुनिया भर की खबरों को अपनी जरूरत और मिजाज के हिसाब से पेश करता है, उसके माध्यम से ऐसी कई कहानियां, इमोशनल मोमेंट्स न्यूजरूम की चौखट नहीं लांघ पाते जो खुद मीडियाकर्मियों के बीच के होते हैं. इश्क और इमोशन के नाम पर मीडिया भले ही लव, सेक्स, धोखा से लेकर ऑनर किलिंग तक के मामले को लगातार प्रसारित करता रहे, लेकिन क्या सचमुच वह इश्क के इलाके में घुसने और रचनात्मक हस्तक्षेप का माद्दा रखता है. इसी परिप्रेक्ष्य के अंतर्गत प्रोमो में शामिल कुल पांच कहानियों में से तीन कहानियों का पाठ करते हुए लेखक ने लप्रेक लिखे जाने की इस पूरी प्रक्रिया की चर्चा की.

ट्रैफिक जाम, मैट्रो की खचाखच भीड़, डीटीसी बसों के इंतजार के बीच लिखी जानेवाली इन फेसबुक कहानियों के बारे में प्रो. फ्रेचेस्का ओरसिनी (हिन्दी और दक्षिण एशियाई साहित्य, एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन) ने कहा कि इस तरह के लेखन से हिन्दी एक नए पाठक वर्ग के बीच पहुंच सकेगी और जो कहानियां अब तक सोशल मीडिया के भरोसे रह गई थीं, उनके हिन्दी पाठकों के बीच किताब की शक्ल में आने से विचार-विमर्श में नया आयाम जुड़ सकेगा.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन कर रहे ऐश्वर्य पंडित ने कहा कि ये कहानियां बताती हैं कि हिन्दी में अलग तरह की सामग्री आने की गुंजाइश बनी हुई है और यह अच्छा ही है कि इस तरह से अलग-अलग रूपों में हिन्दी का विस्तार हो.

साभारः प्रकाशन समाचार, नई दिल्ली

---

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - आलेख व साहित्यिक गतिविधियां
ई-बुक : प्राची, जुलाई 2015 - आलेख व साहित्यिक गतिविधियां
http://lh3.googleusercontent.com/-PxHXAra215E/VbYxdJHeD3I/AAAAAAAAlbM/UFrpuRoDh9U/image%25255B11%25255D.png?imgmax=400
http://lh3.googleusercontent.com/-PxHXAra215E/VbYxdJHeD3I/AAAAAAAAlbM/UFrpuRoDh9U/s72-c/image%25255B11%25255D.png?imgmax=400
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/08/2015_60.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/08/2015_60.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content