सुदर्शन कुमार सोनी की कहानी 'सेदुरत्नम की रीटा'

SHARE:

पचपन की वय में बचपन बहुत याद आता है , मुझे इसके पहले ही आ रहा है ! हमारा बचपन जबलपुर में 'नेपियर टाऊन' में जहां हम रहते थे बीता । न...

image

पचपन की वय में बचपन बहुत याद आता है , मुझे इसके पहले ही आ रहा है ! हमारा बचपन जबलपुर में 'नेपियर टाऊन' में जहां हम रहते थे बीता । नाम से ही लगता है कि किसी अंग्रेज अधिकारी पर इसका नामकरण हुआ होगा । एक राईट टाऊन भी है जबलपुर में । काफी अंग्रेज यहां देश के आजाद होने के पहले रहते थे । बचपन में एंग्लो इंडियनस् बहुत इस इलाके में देखा करता था। जबलपुर की पांच आयुध निर्माणी द्वितीय विश्व युद्व के समय शुरू हुयी थी ।

नेपियर टाऊन में स्टेशन रोड पर एक बंगला हमारी दादी की जिद पर पिताजी व ताऊ ने एक अंग्रेज गार्ड से खरीदा था। हमारी दादी ने आगे और अपनी दूरदर्शिता का परिचय देते हुये यहां पांच दुकानें सड़क की ओर के हिस्से में बनवा कर किराये पर उठा दी । इनमें एक दुकान 'रामचन्द्र टेलर' , एक 'भाईजान की सेलून', एक 'सफी टेलर्स , और एक जनरल स्टोर्स 'नवीन स्टोर्स' के नाम से तथा आखिरी में 'भूरेलाल रजक' प्रेस वाला था। भूरेलाल यों तो केवल कपड़े इस्त्री करता था वैसे उससे ज्यादा उसका यह काम उसकी स्त्री करती थी । उसे एक दूसरा शौक था बात करने का जिन घरों में वह कपड़े प्रेस के लेने जाता था वहां की महिलाओ से बहुत मुंह जबरई करता था ! इसमें उसे असीम आनंद मिलता था वह उनको भौजी , भाभी या मैडम कहकर जो जैसा उसे लगे संबोधित करता था । वैसे उसका मन बिल्कुल साफ रहता था , गले की खुजली दूर करना उसका उद्देश्य रहता था। लेकिन दुकान में भूरेलाल रजक ड्राय क्लीनर्स व डाइनर्स लिखा था ! इन पांच दुकानों के लघु बाजार में ही एक अलग तरह की दुनिया बसती थी। वैसे सेलून की दुकान ही हमारे देश में अकेले काफी है एक अलग दुनिया के लिये !

रामचन्द्र टेलर्स की दुकान हमारे घर के लोहे के सुंदर डिजाईन के गेट , जो कि सड़क को खुलता था से लगी पहली दुकान थी । रामचन्द्र चेन्नई का था उसके यहां तीन चार सिलाई मशीनों पर दक्षिण भारतीय टेलर्स काम करते थे । इनमें एक का नाम 'देवी' था , दूसरा 'लक्ष्मी' था व एक 'सेदुरत्नम' नाम का था। हम रामचन्द्र को मदा्रसी कहते थे। उस जमाने में आम लोग किसी भी दक्षिण भारतीय को ज्यादा करके मद्रासी के नाम से संबोधित करते थे । सेदुरत्नम सामान्य ऊंचाई का , गेंहुआ रंग व गोल चेहरे , घुंघराले बालो , अच्छी तंदरूस्ती वाला , एक लगनशील व मेहनती युवा कारीगर था। हम लोग बचपन में घर के गेट से बिल्कुल सटी होने के कारण रामचन्द्र की दुकान में अक्सर आते जाते रहते थे। इस दुकान के ठीक पीछे ही हमारा बैठक कक्ष था। यह घर एक सात हजार वर्ग फीट पर बना सुंदर व न्यारा बंगला था । एक सेवानिवृत अंग्रेज गार्ड से सन बासठ में बासठ हजार में क्रय किया गया था। दुकानों का किराया उस समय बमुश्किल तीस चालीस रूपये महीना था। बाद में बढा़कर इसे साठ रूपये जब किया गया तो दुकानदारों ने गहन आपत्ति दर्ज करवायी थी। एक दुकानदार तो दुकान छोड़ कर ही विरोधस्वरूप चला गया । पहले के दुकानदार इतने नैतिक बल वाले होते थे कि विरोध में स्थायी रूप से बर्हिगमन कर जाते थे !

'सेदुरत्नम' के हंसमुख स्वभाव के कारण हम भाई बहिन उससे काफी हिलमिल गये थे । वह कभी कभी हमें टॉफी , बिस्किट या आईसक्रीम के ठेले से आईसक्रीम खरीद कर भी दिलवाता रहता था , उससे हो गयी नजदीकी का यह भी एक कारण रहा होगा। गर्मी की छुटिटयो में प्रायः हमारी बुआ व उनके बच्चे बिलासपुर से हमारे घर आ जाते थे , तब घर का माहौल देखने लायक रहता था। दिनभर हम बच्चे धमाचौकड़ी मचाये रहते थे। हमारी बुआ की एक नन्ही प्यारी सी 'रीटा' नाम की बिटिया थी । बिल्कुल जापानी गुड़िया जैसी लगती थी । सफेद दूध सी फक्क मोटे मोटे गाल , पैरो में पहनी पायल जब चलते में छन छन कर बजती तो अजीब सा आकर्षण उसके प्रति हो जाता । हर कोई उसे गोद में उठाना चाहता , वह दिन भर हंसती मुस्कराती रहती । हमारे साथ ही वह सेदुरत्नम के पास भी आ जाया करती । सेदुरत्नम मशीन पर अपना काम करता जाता और रीटा को भी खिलाता प्यार करता जाता। हम किन्हीं भी भाई बहिनों से ज्यादा सेदुरत्नम को 'रीटा' प्यारी लगती । रीटा भी धीरे धीरे इतनी ज्यादा सेदुरत्नम से हिलमिल गयी कि उसके बिना एक पल भी नहीं रह पाती । सुबह से रात तक कई बार वह यहां आ जाती। धीरे धीरे बुआ व घर के अन्य लोग भी आश्वस्त हो गये कि यह एक परदेशी का स्नेह है एक नन्ही प्यारी सी गुड़िया के लिये।

अब तो सुबह होते ही रीटा सेदुरत्नम के यहां दौड़ लगाने उतावली हो उठती । उसे तो नहलाने या खाने के समय खींच कर सेदुरत्नम के पास से लाना पड़ता । रामचन्द्र जिसकी यह दुकान थी , वह भी इस बात को अन्यथा नहीं लेता था वैसे रामचन्द्र वास्तव में टेलर मास्टर था , वह दुकान ही बारह बजे आता , सात बजे तक चला भी जाता , दुकान कारीगरों के भरोसे ही रहती थी। ये सब बेचारे दूर दक्षिण से अपनी आजीविका के लिये जबलपुर जैसे शहर में अपने घर परिवार को छोड़कर आये थे। मैंने बचपन में एक बार रामचन्द्रन से यों ही भोलेपन में पूंछ लिया था कि तुम अपने घर से इतनी दूर हो ये काम वहीं क्यों नहीं करते ? तो उसका जवाब था कि उसके देश में दर्जी की दुकान नहीं चलती है। वहां तो दो लुंगी में लोग साल भर का काम चला लेते है।

हमारे ताऊ जी को शास्त्रीय संगीत का बहुत शौक था। वह प्रायः सुबह के समय चाहे जब बैठक कक्ष में हारमोनियम लेकर सुर लगाते। उनकी आवाज रामचन्द्रन की दुकान तक जाती । वह जब तुकबंदी सुनता तो उसे अजीब सा लगता , वह हम बच्चों से हंसते हुये कहता कि दादी मतलब ताऊ जी की मां उन्हें नाश्ता नहीं देती है , तो वे गा गाकर नाश्ता खाने की अर्ज करते है !

सेदुरत्नम का स्नेह महीने भर में रीटा के प्रति अंदर ही अंदर इतना ज्यादा बढ़ गया कि , वह रोज जब तक रीटा को दिन में दो तीन बार गोद में उठा कर प्यार दुलार न कर ले उसका मन ही नहीं भरता था। सुबह ,, दोपहर , शाम उसे बस रीटा की चुलबुली शरारतों का इंतजार रहता। वह रोज ही उसके लिये कुछ न कुछ बाजार से खरीद कर रख लेता कभी टॉफी , कभी बेकरी से बिस्किट , तो कभी आईसक्रीम हीरा आईसक्रीम वाले सरदार जी के ठेले से जो रोजीना कई बार जेठ की भरी दोपहरी में बार बार पसीना पोंछते हुये हमारे मोहल्ले के कई चक्कर लगाता था। उसने एक दिन रीटा के आने पर एक नयी गिफ्ट के रूप में फ्राक हाथ में थमा दी जो उसने पिछली रात देर तक जागकर अपना काम करने के बाद सिली थी । जब बुआ को पता चला तो बे खुश हुयी लेकिन नाराज भी और पैसे लेकर रामचन्द्रन की दुकान में पंहुच गयी । लेकिन सेदुरत्नम ने उस समय पैसे लेने से इंकार कर दिया। उसने कपड़े के पैसे अपनी तनख्वाह से रामचन्द्रन को काटने कहा। रामचन्द्रन को इस समय यह जरूर लगा था कि यह सेदुरत्नम का बच्चा उसके द्वारा दी गयी मशीन व कैंची उसी के पेट पर चला रहा है !

दो महीने की गर्मी की छुटिटयों में रीटा सेदुरत्नम से इतनी हिलमिल गयी कि उसके लिये सेदुरत्नम ने चार फ्राकें व सोलह रूमाल व कुछ बिब भी एक से एक सुंदर इस बीच बना डाले। रीटा के प्यार दुलार में उसके हुनर में भी गजब का निखार आ रहा था। रीटा मुश्किल से उस समय तीन साल की रही होगी । बुआ अपनी इस सबसे छोटी लड़की को सम्हालने के किसी भी काम से दो महीने के लिये बिल्कुल बेफिक्र रही थी। सेदुरत्नम जो कि उत्तर भारत की ओर पहली बार आया था तथा हिन्दी टूटी फूटी ही बोल पाता था लेकिन , रीटा की तोतली आवाज में सारी बाते तुरन्त समझ जाता था व रीटा उसके सारे इशारे व बातें। वह सेदुरत्नम को उस समय के प्रचलित फिल्मी गानों की चंद लाईनें तोतली आवाज में सुनाती।

ग्रीष्म की छुटटी कोई साल भर की कौन होती है , एक दिन ऐसा आ गया कि केवल दो दिन शेष थे , जब कि बुआ को वापिस बिलासपुर 'इंदौर बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस' से जाना था । सेदुरत्नम को जब यह पता चला तो वह मायूस हो गया उसका गला रूंध आया । उसने जाने के एक दिन पहले खाना ही ठीक से नहीं खाया। मुझे याद है कि जब मैं उसके पास यों ही गया था , तो उसकी आंखें गीली हो गयी थी । मेरे पूछने पर उसने बहाना बना दिया कि देश की याद आ रही है।

और दूसरे दिन सुबह सुबह बुआ बिलासपुर को रवाना हो गयी । सेदुरत्नम का बुरा हाल था। वह दो दिन तक काम करने ही नहीं आया , अपने कमरे में बंद रहा । मैने दोनों दिन जाकर पूछा तो पता चला कि वह बहुत दुखी है , दुकान के ही दूसरे देवी नाम के टेलर ने बताया कि वह बहुत याद कर रहा है रीटा की।

समय किसी के लिये नहीं रूकता , यह हमें कभी अच्छा तो कभी बुरा महसूस होता है। सेदुरत्नम मुश्किल से पन्द्रह दिन में सामान्य हुआ । लेकिन उसकी रीटा के प्रति चाहत रूकी नहीं , अब वह उसके लिये एक से एक सुंदर रूमाल बनाकर बारह बारह के बंडल में पैक कर पार्सल से बिलासपुर के पते पर भेजता । उसने पता हमारे घर से ले लिया था । वह रूमालों के बंडल के साथ प्रायः स्नेह भरी पाती भी भेजता। कई बार हम लोगों से हिन्दी में चिट्ठी लिखवाता और आखिरी में लिखवाता सेदु की ओर से बहुत बहुत प्यार अगली छुटटियों में रीटा जरूर आना । वह चाहे जब हमारे सामने रीटा की नकल कर उसकी याद कर लेता । कहता कि 'सेदु मुझे पान खिलाओ ' सेदु हमको आइसक्रीम खाना है'। सेुदरत्नम रूमाल वगैरह के लिये उस कपड़े का इस्तेमाल करता था जो कि दूसरे ग्राहकों के कपड़े सिलने से बच जाया करते थे । वह दुकान के अन्य कारीगरों से भी बचे कपड़े ले लेता था । यह सिलसिला काफी दिन तक चला कई बार सेदुरत्नम ने पार्सल से रीटा को रूमाल भेजे । एक बार किसी ने इसकी शिकायत रामचन्द्रन को कर दी। रामचन्द्रन सेदुरत्नम पर बहुत नाराज हुआ । दोनो में आधे घंटे तक तमिल में जोर शोर से बहस चलती रही , बाद में सेदुरत्नम उठ कर दुकान से 'सिल्वर ओक कंपाऊंड' में स्थित अपने कमरे को चला गया ।

वह दो दिन तक दुकान नहीं आया । बाद में हमें देवी ने बताया कि रामचन्द्रन ने उसका पूरा हिसाब कर दिया है , और अब वह देश चला गया है इधर को कभी न आने के लिये।

बाद में देवी ने ही मुझे बताया , कि सेदुरत्नम उसके गांव के पास के एक गांव का रहने वाला था , उसके दो छोटे लड़के थे , लेकिन उसे एक लड़की और होने की बहुत चाहत थी , और रीटा में वह अपने ख्वाहिशों की बिटिया रानी की तस्वीर देखा करता था !

मुझे याद है कि अगली गर्मी में सेदुरत्नम की चिट्ठी हमारे यहां आयी जिसमें उसने रीटा को ढेर सारा प्यार लिखा और रीटा को किसी गर्मी में जबलपुर आकर देखने की ख्वाहिश जाहिर की

sudarshan kumar soni

D-37 , Char Imli , bhopal

462016 , mob. 9425638352

Email: sudarshanksoni2004@yahoo.co.in <mailto:sudarshanksoni2004@yahoo.co.in>

Blog: meethadank.blogspot.in

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सुदर्शन कुमार सोनी की कहानी 'सेदुरत्नम की रीटा'
सुदर्शन कुमार सोनी की कहानी 'सेदुरत्नम की रीटा'
http://lh3.googleusercontent.com/-WaIsMynAo_8/VjhhkQLv5pI/AAAAAAAAoTs/oadPT-lzqWE/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-WaIsMynAo_8/VjhhkQLv5pI/AAAAAAAAoTs/oadPT-lzqWE/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/11/blog-post_13.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/11/blog-post_13.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content