प्राची - जनवरी 2016 - कहानी / अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म / सुधीर मौर्य ‘सुधीर’

SHARE:

  कहानी सुधीर मौर्य ‘सुधीर’ जन्म 1 नवम्बर 1979, कानपुर शिक्षाः अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पो...

image_thumb[1]_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb

 

कहानी

सुधीर मौर्य ‘सुधीर’

जन्म 1 नवम्बर 1979, कानपुर

शिक्षाः अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रतिः इंजिनियर और स्वतंत्र लेखन.

कृतियांः हो न हो (नज्म संग्रह), अधूरे पंख और कर्र्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह), एक गली कानपुर की, अमलताश के फूल और माई लास्ट अफेयर (उपन्यास), किस्से संकट प्रसाद के (व्यंग्य उपन्यास) देवलदेवीः एक संघर्षगाथा (ऐतिहासिक उपन्यास)

सम्पर्कः ग्राम और पोस्ट- गंज जलालाबाद, जनपद- उन्नाव-209869

(उ. प्र.)

मोः 09145176548

 

कहानी

अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म

सुधीर मौर्य ‘सुधीर’

 

कितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में. जब भी पढ़ती है वो उसकी कोई भी रचना, न जाने क्यों एक सिहरन सी मच जाती है उसकी नवविकसित देह में, उसके अल्हड़ मन में, उसकी पवित्र अंतरात्मा में.

ढेर सारी कहानियां और नज्में पढ़ी है उसने उस मशहूर लेखक की, कुछ उपन्यास भी. उसे जानकार आश्चर्य हुआ था कि उसकी मां भी पढ़ती हैं उसके उपन्यास. एक दिन उसे मिल जो जाते हैं मां के एक पुराने संदूक में उस लेखक के बरसों पहले लिखे कुछ लव लेटर.

उलझ जाती है वह उपन्यास के पृष्ठों में, पृष्ठों पर अंकित स्याही में. न जाने क्यों उसे लगता है कि उपन्यास में वर्णित नायिका और कोई नहीं, उसकी मां ही है. हां, उसने कभी किसी प्रकाशक के मुंह से सुना भी था कि उसकी मां नीलम का कभी अफेयर रहा था उस लेखक से.

उस समय के नवोदित लेखक रिशी और कालेज गर्ल नीलम के अफेयर के चर्चे काफी मशहूर हुए थे. वह पलटती है उपन्यास का बैक पेज, जिस पर अंकित है लेखक के उस समय का चित्र. बेहद सुन्दर और आकर्षक. कोई बीस-इक्कीस साल से ज्यादा नहीं दिखता वो उस चित्र में.

अचानक वह आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है. कभी खुद को तो कभी लेखक के उस पुराने चित्र को देखते हुए.

अचानक ही चौंकती है वो, क्या....?

हां, मिलते तो हैं नैन-नक्श उसके, उस लेखक से.

तो क्या....?

हां, हो सकता है. अफेयर में अंतरंग सम्बन्ध बनना कोई बड़ी बात तो नहीं. तो क्या वह अपनी मां के अफेयर की निशानी है? क्या मशहूर लेखक रिशी उसका पिता...?

नहीं, ये नहीं हो सकता. वह अपनी जिज्ञासा का खुद ही समाधान करती है. अगर ऐसा होता तो उसका दिल रिशी की कहानियां पढ़कर धड़कता नहीं. उसके रोयें रिशी की कविताएं पढ़कर सिहरते नहीं.

‘‘ये कौन सी किताब है तुम्हारे हाथ में वर्तिका? कहां से मिली तुम्हें?’’ मां की आवाज उसके विचारों की श्रृंखला तोड़ देती है.

वर्तिका चौंककर हाथ में पकड़े उपन्यास को देखकर कहती है ‘‘मां मां, रिशी का ये उपन्यास आपके पुराने बॉक्स से मिला है मुझे. क्या आप भी उनकी फैन है?’’

अपनी बेटी वर्तिका के सवाल पर नीलम तनिक झेंपती है, फिर बात बनाते हुए बोली- ‘‘हां, एक-दो उपन्यास पढ़े थे मैंने कॉलेज लाइफ में. ठीक-ठाक लिखता था. इधर हाल में तो मैंने उसका कोई उपन्यास नहीं पढ़ा. क्या कोई नया रिलीज हुआ है?’’

‘‘हां, हुए तो हैं.’’ वर्तिका अपनी मां की बात से उत्साहित है.

‘‘ठीक है देना. फुरसत मिली तो पढूंगी.’’ कह कर नीलम चली जाती है, और वर्तिका सोचने लगती है...सच इतना अच्छा लिखने वाले लेखक को बॉयफ्रेंड के रूप में उसकी खूबसूरत मां जरूर डिजर्व करती होंगी.

दो-तीन दिन बाद वर्तिका को चांस मिलता है. वह अपनी सहेली सोनम के साथ पहुंच जाती है रिशी का कहानी पाठ सुनने.

पूरा हाल खचाखच भरा है. सोनम को पहले से ही अंदेशा था इतनी भीड़ का. तभी तो वह वर्तिका को लेकर समय से काफी पहले आ गई थी. टिकट तो उसने दो दिन पहले ही ले लिए थे. सोनम भी प्रशंषक है वर्तिका की तरह रिशी के लेखन की. दोनों सहेलियां जमी हैं आगे की दो कुर्सियों पर, बिल्कुल मंच के सामने जहां रिशी को कहानी पाठ करना है. रिशी आता है. आकर बैठ जाता है उस सोफे पर जिसके सामने माईक लगा है. उतना ही खूबसूरत, उतना ही स्मार्ट...जितना बीस-इक्कीस की उम्र में था. जबकि अब तो लगभग चालीस का है.

उद्घोषक रिशी के कहानी पाठ से पहले उसका परिचय कराते हुए कहता है, ‘‘ये है मशहूर लेखक रिशी जो पिछले बीस सालों से युवा दिलों की धड़कन हैं.’’ फिर वो तनिक रुककर मुस्कराते हुए बोला, ‘‘खासकर युवा लड़कियों के.’’

उद्घोषक की बात सुनकर वर्तिका का दिल धड़क उठता है. अपने दिल को यूं धड़कने की वजह वर्तिका नहीं जानती. पूरी रौ में कहानी पाठ करता है रिशी. रिशी और उसकी कहानी में डूबी वर्तिका बार-बार खुद को रिशी की नायिका समझती है और हर बार अपनी इस सोच पे लजाती है.

‘‘तुम में एक पहचानी सी खुशबू है.’’ वर्तिका को ऑटोग्राफ देते हुए रिशी कहता है. रिशी की बात सुनकर वर्तिका लरज जाती है. तो क्या रिशी ने पहचान लिया है उसे? तो क्या वह जान गया है कि वर्तिका उसकी प्रेमिका रही नीलम की बेटी है?

रिशी और लोगों को ऑटोग्राफ देने में व्यस्त हो जाता है और वर्तिका के दिमाग में अंधड़ दौड़ते रहते हैं. ये अंधड़ उससे कहते कि प्यार अंधा होता है और वह रिशी से प्यार करने लगी है. यह जानते हुए भी कि कभी उसकी मां भी रिशी की प्रेमिका रही है.

‘‘तो रिशी उसका पिता हुआ?’’ लरज जाती है वर्तिका अपने दिल में उठे इस विचार के ख्याल भर से.

नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता. जिसके ख्याल भर से उसके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं, उसे उसका पिता बनाकर भगवान उससे इतना बड़ा मजाक नहीं कर सकते. पर रिशी...उसके नैन-नक्श मिलते हैं उससे. फिर आज रिशी ने उसे देखते ही कहा, ‘‘वर्तिका तुम्हारी खुशबू जानी-पहचानी सी लगती है’’

बार-बार करवटें बदलती है वर्तिका. नींद उसकी आंखों से कोसों दूर है. करवटें बदल-बदल कर वह थक जाती है. थक कर वह कमरे से बाहर आ जाती है. टैरेस पर ठंडी हवा में जाने के लिए. मम्मी के कमरे के सामने से गुजरते हुए वह देखती है, मम्मी के कमरे की लाईट जल रही है. इतनी रात गए मम्मी के कमरे में लाईट? वर्तिका सोचकर खिड़की के पास जाती है. पापा वापस लम्बे ऑफिस टूर पे निकल गए हैं. बस इसलिए वर्तिका की हिम्मत पड़ जाती है मम्मी के कमरे में खिड़की से झांकने की.

तकिये के सहारे अधलेटी है नीलम. हाथ में कोई किताब लेकर उसे पढ़ते हुए. वर्तिका देखती है यह वही किताब है जो उसने रिशी के कहानी पाठ वाले हाल से खरीदी थी और उस पर उसने रिशी का ऑटोग्राफ लिया था.

वर्तिका वापस कमरे में आ जाती है. अपनी मम्मी और रिशी के बारे में सोचते हुए.

न जाने कितनी बार वह कागज के उस टुकड़े को चूम कर अपनी आंखों से लगाती है.

आज वर्तिका को रिशी का खत आता है. उसके पहले खत का ही रिशी ने जवाब दिया है. उससे पूछा है, क्या वह वही लड़की है जो उसे कहानी पाठ वाले दिन मिली थी. रिशी ने अपने इस खत में अपनी इस बात की वजह भी लिखी है, ‘‘इस खत से वही खुशबू आ रही है जो उसने उस दिन महसूस की थी.’’

वर्तिका कोशिश करती है अपनी देह की खुशबू महसूस करने की. वह महसूस करती है खुशबू, अपनी नहीं, अपनी देह से उठती रिशी की खुशबू को.

रिशी से मिलने की इच्छा जताती है वह खत लिखकर, जिसे रिशी कबूल कर लेता है.

सामने बैठा रिशी उसे उसका बायफ्रेंड लगता है. वर्तिका सोचती है- जैसे आज वह रिशी के सामने बैठी है वैसे ही उसकी मम्मी रिशी के सामने बैठती होंगी. रिशी बातें करता रहता है. वह भी करती है.

‘‘आजकल क्या लिख रहे हो?’’ वर्तिका पूछ लेती है.

‘‘उपन्यास.’’

‘‘टाईटल क्या है?’’

‘‘अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म.’’ कहकर रिशी वर्तिका की आंखों में झांकता है और वर्तिका, अपने रिशी और मम्मी के बारे में सोचने लगती है.

उसकी मम्मी रिशी का

अधूरा फसाना है. वर्तिका यह तो जानती है पर क्या वह खुद उस अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म है? वर्तिका जानना चाहती है उस मुकम्मल नज्म के बारे में. जानने के लिए रिशी से मिलती है...बार-बार मिलती है.

उस शाम रिशी उससे कहता है, ‘‘वर्तिका मैं लाख कोशिश के बाद भी यह न जान सका कि तुम्हारे जिस्म से उठती खुशबू को कैसे पहचानता हूं?’’

‘‘नीलम को जानते हैं आप?’’ वर्तिका अब जिंदगी की हर गुत्थी सुलझाना चाहती है.

‘‘हां, पर तुम उन्हें कैसे जानती हो?’’ रिशी चौंक कर वर्तिका की आंखों में नीलम को तलाशता है.

‘‘उन्हीं की खुशबू है मेरे बदन में.’’ वर्तिका कहकर अपनी नजरें उतार देती है रिशी की गहरी आंखों में.

खामोश रह जाता है रिशी वर्तिका को देखते हुए.

रिशी को खामोश देखकर, कुछ देर बाद वर्तिका कहती है, ‘‘कहीं इसमें आपकी खुशबू तो शामिल नहीं?’’

‘‘नहीं जानता?’’ कह कर रिशी उठ जाता है.

उसे जाता देखकर वर्तिका पूछती है, ‘‘आपका उपन्यास कब आ रहा है मम्मी पूछ रही थी.’’

‘‘शायद कभी नहीं.’’ रिशी रुक कर बिना पलटे जवाब देता है.

‘‘क्यों?’’ वर्तिका उसके सामने आ जाती है.

‘‘क्योंकि अधूरे फसाने की नज्म भी अधूरी ही रहती है.’’ रिशी वर्तिका की बगल से निकल जाता है और वर्तिका फिर से सोचने लगती है अपने, रिशी और मम्मी के बारे में.

वर्तिका की आंखें लाल हैं. रात भर उसे नींद नहीं आई है. उसकी जिंदगी की गुत्थी सुलझने की जगह और ज्यादा उलझ गई है. रिशी को खुद मालूम नहीं कि वह उसका अंश है या नहीं. अब उसे सिर्फ उसकी मम्मी बता सकती हैं कि उसकी देह की खुशबू में क्या रिशी की खुशबू शामिल है.

नीलम किचेन में नाश्ता तैयार कर रही है. वर्तिका की नजर आज के न्यूजपेपर पर पड़ती है. चौंक पड़ती है वर्तिका न्यूज पेपर में अपनी और रिशी की फोटो देख कर...आमने-सामने बैठे...एक-दूसरे की आंखों में झांकते हुए.

‘‘एनादर अफैयर ऑफ आथर रिशी’’ की हेडलाईन के साथ.

ओह यह खबर उसे कहीं का न छोड़ेगी. उसे सुलझानी ही होगी आज अपने जीवन की गुत्थी. वर्तिका भागकर अपनी मम्मी के पास जाती है.

‘‘क्या रिशी मेरे पिता हैं?’’ सीधा सवाल करती है वर्तिका अपनी मम्मी से. उसके पास अब वक्त जो नहीं है.

कुछ देर वर्तिका को देखकर कुछ सोचते हुए नीलम बोली, ‘‘अगर रिशी तेरे पिता हुए तो?’’

‘‘तो मुझे खुशी होगी.’’ वर्तिका दीवार का सहारा लेती है. न्यूज पेपर बगल में दबा हुआ है.

‘‘और अगर नहीं हुए?’’ नीलम अपनी बेटी के कंधे पकड़ कर उसे सहारा देती है.

‘‘तो मुझे ज्यादा खुशी होगी.’’ वर्तिका अपनी मम्मी की बात और हाथ से सम्हलती है.

‘‘रिशी तुम्हारे पिता नहीं हैं...’’ अभी नीलम की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वर्तिका वहां से पलट कर घर के बाहर की ओर भागी.

‘‘अरे कहां भागी जा रही है इतनी जल्दी में.’’ नीलम ने बेटी को पुकारा था.

‘‘अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म बनने.’’

वर्तिका ने उसी तरह भागते हुए बिना पलटे जवाब दिया.

..

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जनवरी 2016 - कहानी / अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म / सुधीर मौर्य ‘सुधीर’
प्राची - जनवरी 2016 - कहानी / अधूरे फसाने की मुकम्मल नज्म / सुधीर मौर्य ‘सुधीर’
https://lh3.googleusercontent.com/-oAADYvq01wk/VtqT-laZqjI/AAAAAAAAsC0/eYISTLabOJ0/image_thumb%25255B1%25255D_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-oAADYvq01wk/VtqT-laZqjI/AAAAAAAAsC0/eYISTLabOJ0/s72-c/image_thumb%25255B1%25255D_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/03/2016_47.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/03/2016_47.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content