खुद को छुपाऊँ कहाँ / कहानी / गीता दुबे

SHARE:

- उज्ज्वला, आज का अखबार पढ़ा तुमने? हरियाणा में आठ वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार वाली खबर...मुझे तो लगता है 16 दिसंबर की रेप कांड के बाद बल...

image

- उज्ज्वला, आज का अखबार पढ़ा तुमने? हरियाणा में आठ वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार वाली खबर...मुझे तो लगता है 16 दिसंबर की रेप कांड के बाद बलात्कार की घटनाएं और बढ़ गई हैं, चाय की चुस्की लेते हुए देवांशी ने उज्ज्वला से कहा.

- नहीं देवांशी, मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता, बलात्कार की घटनाएं पहले भी हुआ करती थीं लेकिन बंद दरवाजों के भीतर बंद ही रह जाती थीं, महिलाएँ शर्म के मारे कुछ बोलती न थी, चुप रह जाती थी. अब ऐसा नहीं है, जागरूकता आई है, अपने पर हो रहे अत्याचार को महिलाएँ खुलकर बोल रहीं हैं और खबर आग की तरह फैल जाती है-- उज्ज्वला ने चाय के प्याले को मेज पर रखते हुए कहा.

- मैं तुझसे सहमत नहीं हूँ उज्ज्वला, यह कलयुग है कलयुग, नहीं तो क्या आठ वर्ष की बच्ची के साथ... छी छी छी... मुझे तो घिन आती है पुरुषों से. सभी पुरुष एक जैसे होते हैं, महिलाओं को बस एक ही नजर से देखते हैं.

- नहीं देवांशी, सभी पुरुष एक जैसे नहीं होते. कुछ मुट्ठी भर लोगों  की वजह से पूरे पुरुष समाज को दोषी मानना गलत है. हमारा देश ऋषि- मुनियों का देश रहा है, बड़े-बड़े साधु संत हमारे देश में ही हुए हैं, क्या वे पुरुष नहीं थे?

- फिर तू चली गई रामायण काल में, किसने देखा है उन ऋषियों को बता? वे सब कल्पनाएँ है, यथार्थ में रहना सीख उज्ज्वला और यथार्थ यह है कि आज आठ वर्ष की बच्ची से लेकर सत्तर साल की महिला तक के साथ बलात्कार हो रहे हैं. फिर कुछ रूककर देवांशी ने कहा, अच्छा छोड़ उज्ज्वला यह टॉपिक खत्म होने वाली नहीं है, कल संडे है अतुल और बच्चों को लेकर आ जा घर पे, सारा दिन साथ बिताएंगे.

- नहीं देवांशी कल तो पॉसिबल नहीं है, इस संडे हम अपने ग्रीन अर्थ वाले फ्लैट में शिफ्ट हो रहे हैं, अतुल ने सुबह दस बजे मूवर्स एंड पैकर्स को बुलाया है. अगली संडे तू ही आ जाना भाई साहब और ऋचा को लेकर मेरे नए फ्लैट में.

- ठीक है फिर हम ही पहुँचते हैं तेरे नए फ्लैट ... कहकर देवांशी चली गई.

  उज्ज्वला अतुल और बच्चों के साथ अपने नए फ्लैट में शिफ्ट हो चुकी थी. चार बजते बजते मूवर्स एंड पैकर्स का ट्रक सारा सामान लेकर उनके फ्लैट पहुँच चुका था. वह और अतुल  सामान उतरवा रहे थे और उतनी ही जिम्मेदारी के साथ रामधन भी सामान उतरवाने और रखवाने में उनकी मदद कर रहा था.

- जरा संभाल के, इसमें नाजुक सामान है— रामधन ने सामान का बॉक्स रखवाते हुए उस व्यक्ति से कहा फिर अतुल को आवाज लगाते हुए कहा,

- साहब, यह बॉक्स बड़ा भारी है इसे किस कमरे में रखवा दू?

- हाँ, उसे मास्टर बेड रूम में रखवा दो. रामधन सारा सामान ऊपर आ चुका?

- जी साहब, ठीक है साहब चलता हूँ

- रुको, रुको रामधन यह लो ... अतुल ने रामधन को 100 रुपए देते हुए कहा, भई बहुत काम किया तुमने रामधन, यह रखो. इतने में उज्ज्वला वहां आ टपकी और रामधन से बोली-

- बाबा, एक कामवाली बाई खोज दीजिए न हमारे लिए.

- ठीक है मेमसाहब, कहकर रामधन चला गया.

उस सोसाईटी में कुल आठ ब्लाक थे, A- ब्लॉक, B- ब्लॉक, C- ब्लॉक, D…. उनका फ्लैट C- ब्लॉक के थर्ड फ्लोर पर था. रामधन वहां का सिक्यूरिटी गार्ड था. हमेशा मेन गेट पर तैनात मिलता, उम्र 56-57  के बीच होगी, पांच फीट सात या आठ इंच से ज्यादा लम्बाई नहीं होगी, थुलथुला शरीर, पैंट पर लगा बेल्ट निकली तोंद पर टिक नहीं पाता और सरक कर नाभि के नीचे आ जाता. घनी सफेद मूछें, चेहरे पर एक अजीब आध्यात्मिक शांति, देखकर ऐसा लगता मानो किसी ने जबरन उसे सिक्यूरिटी गार्ड का यूनिफार्म पहना दिया हो. उज्ज्वला के फ्लैट में दो बालकनी थे. एक आगे की ओर और एक पीछे की ओर, किचन से सटी हुई. पिछली बालकनी से मेन गेट पर साफ साफ नजर पड़ती थी जहाँ हमेशा रामधन मुस्तैद  मिलता.

- यह सिक्यूरिटी गार्ड बड़ा अच्छा लगा मुझे, इसी ने सारा सामान रखवाया, मैंने तो कुछ किया ही नहीं---- सोफे पर बैठते हुए अतुल ने उज्ज्वला से कहा.

- मुझे भी अच्छा लगा, मुझे तो इसे देखकर इसके प्रति आदर का भाव आता है, अच्छा किया तुमने उसे पैसे दे दिए, बेचारा खुश हो गया होगा.

- हूँ देखने से बड़ा शांत लगता है, अतुल ने धीरे से कहा.

अगली सुबह रामधन एक कामवाली बाई को साथ में लेकर उनके घर आया.

- मेमसाहब यह आपके यहाँ काम करना चाहती है, शान्ति नाम है इसका, रामधन ने शान्ति की ओर इशारा करते हुए उज्ज्वला से कहा.

कामवाली बाई को देखकर उज्ज्वला ने चैन की सांस ली और रामधन से बोली,

- थैंक यू सो मच बाबा, बाबा अब एक और काम कर दीजिए, एक गाड़ी धोने वाले की व्यवस्था कर दीजिए.

- ठीक है मेमसाहब हो जाएगा, कहकर रामधन चला गया और अगले दिन एक गाड़ी धोने वाले को लेकर हाजिर हुआ.

   उज्ज्वला और अतुल को अपने नए फ्लैट में आए हुए दो महीने से ज्यादा हो चुके थे. अब वे पूरी तरह से वहां सेट हो चुके थे. बच्चों को स्कूल और अतुल को ऑफिस भेजकर उज्ज्वला फटाफट लंच तैयार कर लेती और फिर अपनी फेवरेट पुस्तक लेकर पिछली बालकनी में बैठ पति और बच्चों के आने का इन्तजार करती रहती. उस दिन भी वह अपनी पुस्तक में खोई हुई थी कि यकायक मधुर आवाज ने उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया....

‘ हंसी हंसी पनवा खीयल  ...

उज्ज्वला ने नजरे दौड़ाई तो देखा, रामधन राग छेड़े हुए है. उज्ज्वला को देखते ही वह चुप हो गया. उज्ज्वला ने वहीँ से आवाज लगाई,

- बाबा एक बार और .. बाबा एक बार और..

रामधन फिर शुरू हो गया,

‘हंसी हंसी पनवा खीयल बेइमनवा….

और उज्ज्वला खड़ी हो गाने का आनंद लेती रही. फिर तो रामधन जब भी उज्ज्वला को बालकनी में देखता, कुछ न कुछ राग छेड़ ही देता. उज्ज्वला कभी तो रूककर सुनती और कभी व्यस्त होने के कारण न भी सुन पाती.

  आज शांति काम खत्म कर जब जाने लगी तो उसने उज्ज्वला से कह दिया था कि किचन का नल खराब है, बहुत मुश्किल से उसे उसने बंद किया है, प्लंबर से दिखवा ले लेकिन यह बात उज्ज्वला के दिमाग से उतर चुका था और जैसे ही किसी काम से उसने किचन का नल खोला पानी हरहरा कर गिरने लगा और बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था. उज्ज्वला ने तुरंत पलम्बर को फोन लगाया लेकिन पलम्बर ने फोन नहीं उठाया. उज्ज्वला दौड़ी दौड़ी रामधन के पास गई. रामधन उस समय खाना खा रहा था, उज्ज्वला ने एक नजर उसके टिफिन पर डाला तो देखा उसकी टिफिन में सिर्फ सादी रोटी और आम का अचार था जिसे रामधन बड़े प्रेम से खा रहा था. रामधन बीच में ही खाना छोड़कर उज्ज्वला के साथ चल पड़ा, और फिर उसने नल को कुछ इस तरह घुमाया कि नल बंद हो गया. रामधन जाने लगा तो उज्ज्वला उसे एक कटोरी सब्जी थमाते हुए बोली,

- बाबा इसे लेते जाइए, यह आपके लिए है, फिर उसने कहा बाबा आप तो बड़ा अच्छा गाते हैं, बड़ा मधुर कंठ है आपका.

रामधन मुस्कुराते हुए चला गया. अगले दिन उज्ज्वला ने फिर रामधन को बुलाकर सब्जी  दी और उससे कहा कि वह हर रोज आकर सब्जी ले लिया करे. उज्ज्वला हर रोज उसे सब्जी  या दाल या कढ़ी, कुछ न कुछ उसे दे दिया करती.

उस रोज रामधन को देखते ही उज्ज्वला ने हैरान होकर कहा,

- यह क्या बाबा आप ने मूछें कलर करवा ली? काली मूंछे तो बिलकुल अच्छी नहीं लग रहीं है, सादी मूंछें ही अच्छी लगती थीं.

- ठीक है, आप कहती हैं तो अब नही कलर करूँगा.   

- अरे नहीं नहीं बाबा आप कलर करना चाहें तो कर सकते है, मैंने तो बस यूँ ही कह दिया, रामधन को दाल की कटोरी देते हुए उज्ज्वला ने कहा. कटोरी लेते समय रामधन की निगाह उज्ज्वला के बाएं हाथ के अंगूठे पर पड़ी जिसपर उज्ज्वला ने पट्टी बाँध रखी थी. रामधन ने चिंता जताते हुए उज्ज्वला से पूछा,

- मेमसाहब यह क्या हो गया आपको?

- कुछ नहीं, सब्जी काटते वक्त चाकू से अंगूठा कट गया.

- गहरी कटी है मेमसाहब?

- नहीं, नहीं बस थोड़ी सी

- बहुत खून निकला होगा?

- अरे नहीं बाबा,

- शान्ति से क्यूँ नहीं कहती सब्जी काटने के लिए... अपना ख्याल रखियेगा मेमसाहब

- हा हा हा हा अरे बाबा जरा सा अंगूठा ही तो कटा है... कौन सी बड़ी बात हो गई....हा हा हा

रामधन के चले जाने के बाद उज्ज्वला काफी देर तक रामधन की बातें याद कर हंसती रही, मुस्कुराती रही, रामधन ने मुझे ऐसा क्यूँ कहा... क्या जरुरत थी उसे मुझे सलाह देने की... रोज उसका हाल-चाल पूछ लेती हूँ तो क्या वह मुझे अपनी बराबरी का समझने लगा है... नहीं ऐसा तो नहीं लगता... वह अपनी औकात जानता है...मेमसाहब, मेमसाहब कहकर ही पुकारता है... बड़ा स्वाभिमानी है, कुछ लेना नहीं चाहता...वो तो मैं उसे बुलाकर देती हूँ...अरे क्या हुआ उसने सलाह दे दी तो ... बुजुर्ग है ... मन में आया कह दिया ... कौन सी बड़ी बात हो गई ... मैं भी न बस यूँ ही फालतू बातें सोचती रहती हूँ.

      अगले महीने अतुल के भाई विपुल की शादी है, उज्ज्वला परिवार सहित दस दिनों के लिए शादी               में शरीक होने चली गई. रामधन ने जब घर पर ताला देखा तो बेचैन हो चला. हर रोज उनकी कामवाली बाई शान्ति, जो उस सोसाइटी में दूसरे के घर काम करने आया करती थी, उसे रोककर पूछता – कहाँ गई है तेरी मालकिन? कब वापस आएगी? और उनके फ्लैट की ओर ताकता रहता. दस दिनों बाद विवाह समारोह में शामिल होकर वे लोग वापस लौट आए. शान्ति ने उज्ज्वला से कहा कि,

- मालकिन आप लोग नहीं थीं न तो ये सिक्यूरीटी गार्ड तो मुझे आपलोगों के बारे में पूछ- पूछकर परेशान कर देता था.

- अच्छा! क्या पूछता था बाबा? उज्ज्वला ने हँसते हुए कहा.

- कब आएगी, तुम्हारी मालकिन कब आएगी?

- वो इसलिए शान्ति कि मैं हर रोज उसे सब्जी या दाल दिया करती थी, इतने दिन तो उसे  रुखा खाना ही खाना पड़ता होगा न, इसलिए मुझे याद कर रहा होगा, मैंने ही उसकी आदत खराब कर दी है.

- बड़ा लालची है बुड्ढा -- शान्ति ने हँसते हुए कहा.

- शान्ति जाते समय कुछ मिठाइयाँ, दालमोठ और फल लेती जाना घर के लिए, अम्मा ने इतनी सारी मिठाइयाँ और फल रखवा दी हैं कि न बाटूँ तो दो दिन में सारे खराब हो जाएँगे. और हाँ वो रामधन को भी भेज देना, उसे भी कुछ दे दूंगी.

- ठीक है मालकिन – कहकर शान्ति चली गई.

कुछ ही देर में रामधन थैला लेकर हाजिर हो गया. उज्ज्वला को देखते ही बोल उठा

- मेमसाहब आपलोग नहीं थीं न तो बड़ा सन्नाटा लग रहा था.

- हाँ बाबा घर में शादी थी, यह लीजिए शादी की मिठाइयाँ, दालमोठ और कुछ फल. आप भी खाइए और अपने परिवार को भी खिलाइए, फिर उज्ज्वला ने रामधन से कहा,

- जरा थैला को खोलिए बाबा मैं सारी चीजें उसमें डाल देती हूँ.

रामधन ने दोनों हाथों से थैला पकड़ा था और उज्ज्वला थैले में एक –एक कर मिठाइयाँ, दालमोठ और फल डाल रही थी. रामधन की मुस्कुराती निगाहें उज्ज्वला के चेहरे से हटकर गले से उतरते हुए उसके सीने पर जा टिकीं. उज्ज्वला ने रामधन की भेदती नजरों को भाप लिया ... क्या करूँ...खुद को कहाँ छुपा लूँ... क्या करूँ... क्रोध और अपमान की ज्वाला में जलती उज्ज्वला ने जोर के झटके से दरवाजा बंद कर लिया ... सभी मर्द एक जैसे होते हैं...पर स्त्री को बस एक ही नजर से देखते हैं.

मामूली सा सिक्यूरिटी गार्ड रामधन, जिस बेचारे के प्रति उज्ज्वला के मन में सहानुभूति और श्रद्धा का भाव था, आज उसने उज्ज्वला को अपने मर्द होने का परिचय दे दिया.

--

गीता दुबे

जमशेदपुर, झारखंड         

--

रचनाकार आपको पसंद है?  फ़ेसबुक पर रचनाकार को पसंद करें. यहाँ क्लिक करें!

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: खुद को छुपाऊँ कहाँ / कहानी / गीता दुबे
खुद को छुपाऊँ कहाँ / कहानी / गीता दुबे
https://lh3.googleusercontent.com/-0pl2sgLMU_A/VtVg7JqHEyI/AAAAAAAAr3Y/6y_MF136lCg/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-0pl2sgLMU_A/VtVg7JqHEyI/AAAAAAAAr3Y/6y_MF136lCg/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_1.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_1.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content