हिंदी में हाइकु (८) सामाजिक सरोकार / डा. सुरेन्द्र वर्मा

SHARE:

हाइकु की विषय-वस्तु हमेशा से ही दार्शनिक अनुभूतियाँ और विचार रहे हैं. दार्शनिक सोच की गंभीरतम बातों को हाइकु ने कम से कम शब्दों में प्रस्तु...

हाइकु की विषय-वस्तु हमेशा से ही दार्शनिक अनुभूतियाँ और विचार रहे हैं. दार्शनिक सोच की गंभीरतम बातों को हाइकु ने कम से कम शब्दों में प्रस्तुत करना अपना लक्ष्य बनाया. जापान में हाइकु रचनाओं के अंतर्गत बौद्ध, ज़ेन, तथा चीनी दर्शन की गूढ़तम अनुभूतियों को स्थान दिया गया. किन्तु धीरे-धीरे हाइकु की विषय-वस्तु में परिवर्तन आया और हाइकु प्रकृति से प्राप्त सूक्ष्म मानवी संवेदनाओं से जुड़ गया. इस दौर में हाइकु मुख्यत: प्राकृतिक सम्वृत्तियों का चित्रण और उनका मानवीकरण हो गया. इसमें प्रकृति के बहाने मानव उच्छवासों, इच्छाओं और यहां तक कि मानवी दुर्बलताओं का चित्रण होने लगा. ऋतुओं से एकाकार होना, उनसे एक आँतरिक सम्बन्ध स्थापित करना और उनमें अपने अस्तित्व को विलीन कर हाइकु रचनाओं का सृजन कवियों का अभीष्ट हो गया. किन्तु समय बदला और वक्त के साथ-साथ हाइकु की विषय-सामग्री में भी परिवर्तन आने लगा. हाइकु जो अभी तक मुख्यत: व्यक्ति के सोच और मार्मिक अनुभूतियों का वाहक था, अधिक ‘सामाजिक’ होने लगा. यह जीवन के यथार्थ से, जनभावनाओं से और व्यक्ति के सामाजिक परिवेश से भी जुड़ने लगा.

जापान में ‘हाइकु’ और ‘सेंर्यु’ (सेनरियु) में एक स्पष्ट भेद किया गया है. जब हाइकु के कलेवर में कवि सामाजिक विडंबनाओं और विरोधाभासों पर छींटाकशी करता है, व्यंग्य कसते हुए उनकी हंसी उड़ाता है, ऐसी रचनाओं को ‘हाइकु’ नाम न देकर जापान में ‘सेंर्यु’ कहा गया है. स्पष्ट ही कथ्य की दृष्टि से ‘हाइकु’ और ‘सेंर्यु’ में एक ऐसा भेद है जो एक ही कलेवर की रचनाओं को दो प्रारूपों में विभाजित करता है. हिन्दी में इस विभाजन को आमतौर पर स्वीकार नहीं किया गया है. सामाजिक सन्दर्भ से युक्त हाइकु कलेवर की हल्की-फुल्की रचनाओं को भी “हाइकु” ही कहा गया है, और यह उचित भी लगता है. केवल कथ्य की दृष्टि से ऐसी रचनाओं का एक वर्ग तो हो सकता है लेकिन उन्हें एक अलग नाम देकर उनकी एक स्वतन्त्र पहचान के लिए जिद करना हिन्दी की उदार वृत्ति को गवारा नहीं. एक व्यापक दृष्टि से यदि देखा जाए तो तथाकथित सेंर्यु हाइकु से अलग नहीं है.

हाइकु रचनाओं की उस संकुचित समझ को जिसके अनुसार हाइकु की विषय-वस्तु केवल दार्शनिक अनुभूतियाँ और प्रकृति की मार्मिक अभिव्यक्ति ही होना चाहिए, आज बहुत तंगख्याली लगती है. आज हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जिसमे राजनैतिक और सामाजिक परिवेश बहुत महत्वपूर्ण हो गया है और उससे यदि कोई बचना भी चाहे तो बच नहीं सकता. कविता और साहित्य भी कोई अपवाद नहीं है. आखिर कवि भी एक सामाजिक परिवेश में रहता है और अपने आर्थिक-राजनैतिक वातावरण से उसकी एक सतत क्रिया-प्रतिक्रिया संपन्न होती रहती है. ऐसे में यह सोचना कि हाइकुकार कोरी कल्पना के हाथी-दांत मह्ल में बंद होकर सूक्ष्म दार्शनिक सोच या अपनी नितांत व्यक्तिगत अनुभूतियों को ही परोसेगा, गलत होगा. हिन्दी के हाइकुकार की आँखें खुली हुई हैं और वह अपने सामाजिक परिवेश के प्रति सजग है. अत: यह कोई अचम्भा नहीं कि वह अपने हाइकु काव्य में भी अपने परिवेश की विसंगतियों, विमूल्यों, राजनैतिक पतन और दुमुहेपन तथा सामाजिक-राजनैतिक विषमताओं को लगातार अभिव्यक्ति दे रहा है. ज़ाहिर है, इसका कारण उसकी परिवेश के प्रति संवेदनशीलता है.

भारत एक ऐसा देश है जिसमें आर्थिक और सामाजिक विषमता का बोल-बाला है. कवि का कोमल ह्रदय यहाँ की दरिद्रता और सामाजिक गैर-बराबरी देखकर सहज ही करुणा से भर आता है.यों तो, हिन्दी के आरंभिक हाइकुकारों में से एक, डा. रमेश कुमार त्रिपाठी मूलत: अपने दार्शनिक सोच के लिए जाने जाते हैं लेकिन वे भी देश की आर्थिक विषमता और गरीबी को देखकर विचलित हो जाते हैं

ईंटें उसके सिर पर, नंगे पाँव तपती भू पर

इतनी तकलीफ के बावजूद भी गरीब को भला क्या मिलता है? –

हंसता रहा /

अभावों में अभाव /

रोया गरीब (मुकेश रावल)

गरीब मरा /

जन्म से ही मरा था /

जिया ही कब? (र. च. शर्मा ‘चन्द्र’)

बहुत सी तकलीफें हैं जिनका कारण प्रकृति का विकराल रूप होता है. उन पर हमारा वश नहीं होता. लेकिन जो सामाजिक असमानता, लापरवाही और दुष्टता से उत्पन्न होते हैं वे दु:ख तो मानव निर्मित हैं और कोई वजह नहीं है कि हम उनका निवारण न कर सकें. अधिकतर धर्म के नाम पर होने वाले दंगे प्रायोजित होते हैं और वे न जाने कितने घरों को बरबाद कर देते हैं. एक दु:खिया कहती है, ‘सब कुछ तो/

भस्म किया दंगों ने /

जाऊं कहाँ मैं’ (डा. उर्मिला अग्रवाल). आज सारा समाजिक माहौल दहशत और डर से भरा हुआ है. कहीं आतंकवादियों का डर है, कहीं फिरकापरस्ती का भय है. और तो और आज सामान्य आदमी सुरक्षा देने वाली पुलिस तक से डर रहा है. परिस्थितियों को नियंत्रित करने के बाद भी वास्तविक शान्ति स्थापित नहीं हो पाती. –

चीखती रही हादसे के बाद भी घायल शान्ति (प्रदीप श्रीवास्तव)

स्त्रियों के दु:ख भी कुछ कम नहीं हैं. पुरुष उसपर इतना हावी हो गया है कि नारी न केवल अत्याचार की पात्र बन के रह गई है बल्कि उस अत्याचार में भागीदार भी उसे बना दिया गया है. उसने अपनी स्थिति को मानो स्वीकार ही कर लिया है. वह, जैसा कि डा. सुधा गुप्ता कहती हैं, सोचती है,

लहर पर छोड़ दो अपने को बनेगी नाव

लेकिन परिस्थितियों से समर्पण कर लेना नारी को उसकी कारा से मुक्त नहीं करा सकता. उसे यदि कोई भी उसका साथ न दे तो अकेले ही आगे बढ़ना होगा. सुधाजी आश्वस्त हैं-

आगे जो बढे वे अकेले ही चले गए न छले

अपने आसपास के राजनैतिक और सामाजिक विरोधाभासों को और राज-नेताओं की कारगुजारियों देखकर कवि के मन में इतना क्रोध आता है की वह उनपर व्यंग्य और कटाक्ष करने से भी बाज़ नहीं आता –

दु:शासन में/

चीनी हड़पे आदमी /

डकार न ले (भगवानदास एजाज़) पेड़ तो यहाँ /

कतारबद्ध खड़े हैं /

छाँव है कहाँ (डा. गोपाल बाबू शर्मा) राजनीति में /

सोलह दूनी आठ /

कुर्सी का पाठ (सूरज सिंह सरल)

हिन्दी हाइकू में सामाजिक और राजनैतिक विषमतओं पर ऐसे कटाक्षों की भरमार है. ये कटाक्ष मार भी करते हैं, और जैसी कि कहावत है, रोने भी नहीं देते –

नेता की बात अच्छे सलीखे भीड़ तंत्र में गूलर के फूल सी संसद के छिलके सोचो समझो नहीं अता न पता मूंगफली के बजाओ ताली

(बालकृष्ण धोलाम्बिया) (डा. ॐ प्रकाश शर्मा) (डा. रामप्रसाद मिश्र)

सारे के सारे सामाजिक मूल्य धरे के धरे रह गए हैं. आज आदमी को केवल एक ही चीज़ मूल्य – वान लगती है और वह है, पैसा. डा. उर्मिला अग्रवाल अपने नव प्रकाशित संग्रह ’भोर आसपास है’ में कहती हैं ‘लुभाते जब/

खनखनाते सिक्के/

छूटता धर्म’ . सुधीर कुशवाह आश्चर्य करते हैं, “यह कैसे हुआ /

आदमी से भी बड़े/

हो गए पैसे?” आर्थिक भ्रष्टाचार का यह हाल है कि प्राकृतिक विपदा के समय भी लोग पीड़ितों की मदद का पैसा खाने से परहेज़ नहीं करते.

आ गई बाड़ खुल गया विभाग बहा पैसा (राजेन्द्र पांडे)

पूरा का पूरा जनतंत्र तो भीड़ तंत्र में परिवर्तित हो ही गया है सामाजिक रिश्ते भी तहस नहस हो गए हैं. आदमी भीड़ में अपने को अकेला पाता है. संवाद अनुपस्थित है. आपसी सम्बन्ध भी अब केवल आर्थिक रह गए हैं. अशोक आनन कहते हैं, ‘खूँटी लटके/

संबंध परिधान/

घर बाज़ार”. उर्मिला जी भी यही तो कह रही हैं –

स्वार्थ ही स्वार्थ रिश्तों की दुनिया में जुड़ाव नहीं

किन्तु इन भयावह परिस्थितियों में भी उम्मीद की किरण अभी बाकी है. कवि अच्छी तरह जानता है ‘हर अंधेरा /

पालता है गर्भ में /

प्रकाश रेख.’ (श्रीगोपाल जैन), और यह प्रकाश रेख केवल युवा प्रयत्न में ही देखी जा सकती है.

तू जवान है भागीरथ भी है तू चल ला गंगा

--

 

-(डा.सुरेन्द्र वर्मा)

१०, एच आई जी /

१, सर्कुलर रोड, इलाहाबाद

(मो) ०९६२१२२२७७८ ई मेल surendraverma389@gmail.com

Blog – www.dr-surendra-verma .blogspot.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हिंदी में हाइकु (८) सामाजिक सरोकार / डा. सुरेन्द्र वर्मा
हिंदी में हाइकु (८) सामाजिक सरोकार / डा. सुरेन्द्र वर्मा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEih47ZXG_VFuuK9mkuclM81GimSu5G-9L7fo01KNw06e0-nr9mJV0h8dP9BDr-ufR6sl__MILxMtZaLkJ0ZXo_SnQUc4gnxd6Vzp4TjysfqZW9BW6tZNlQWxXuZTbaEEktkqlBA/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEih47ZXG_VFuuK9mkuclM81GimSu5G-9L7fo01KNw06e0-nr9mJV0h8dP9BDr-ufR6sl__MILxMtZaLkJ0ZXo_SnQUc4gnxd6Vzp4TjysfqZW9BW6tZNlQWxXuZTbaEEktkqlBA/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_18.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_18.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content