हिंदी में हाइकु (१८) / भारतीय भाषाओं में हाइकु रचनाएं / डॉ. सुरेन्द्र वर्मा

SHARE:

हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की अब एक सौ से अधिक पत्रिकाओं में हाइकु छपने लगे हैं. हिंदी में कम से कम पांच पत्रिकाएं केवल हाइकु लेखन को समर्...

हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं की अब एक सौ से अधिक पत्रिकाओं में हाइकु छपने लगे हैं. हिंदी में कम से कम पांच पत्रिकाएं केवल हाइकु लेखन को समर्पित हैं. लगभग हर मास, कभी कभी एक मास में एक से अधिक, हाइकु-संग्रह आ रहे हैं. एक शब्द में कहें तो भारत में हाइकु लेखन ने एक आंदोलन की शक्ल ले ली है. किंतु, जैसा हर विधा के साहित्यिक आंदोलन में होता है, रचनाएं तो बहुत लिखी जाती हैं लेकिन अधिकतर सृजन उच्च कोटि का नहीं होता. फिर भी बेशक बहुतकुछ ऐसा लिखा जाता है जिससे आश्वस्ति होती है.

केवल भाषाओं में ही नहीं, भारत में अनेकानेक बोलियों में भी हाइकु रचनाएं की जा रही हैं. उदाहरण के लिए ब्रज, भोजपुरी, बघेली, मगही, नीमाड़ी, सम्बलपुरी, मालवी, राजस्थानी, अंगिका, कच्छी आदि, बोलियों में भी स्थानीय साहित्यकार हाइकु कविताएं लिख रहे हैं.यदि हम थोड़ी देर के लिए इन बोलियों को नज़र अंदाज़ भी कर दें तो भी लगभग हर राज्य के कवि अपनी मुख्य भाषा में हाइकु लेखन में काफी रुचि लेनें लगे हैं.

भारत को हाइकु साहित्य से परिचय करानेवाले कविवर रवींद्रनाथ ठाकुर थे. लेकिन बांग्ला में हाइकु लेखन अभी तक बहुत ज़ोर नहीं पकड़ पाया है. कुछ कवियों ने बांग्ला में 3-3 पंक्तियों की अच्छी रचनाएं तो की हैं किंतु हाइकु में जो अक्षरों की गिनती, 5-7-5, का अनुशासन है उसे प्रायः अनदेखा किया है. राजीव चटोपाध्याय के कुछ बांग्ला हाइकु काफी काव्य-गुण-युक्त रहे हैं और वे अधिकतर हाइकु छंद का अनुशासन भी पालन करते हैं. उनका एक ऋतु-संकेत-युक्त सुंदर हाइकु इस प्रकार है –

माटिर गंध

आमरे डाक छे जे

जेतई हवे

क्षिप्रा मुखोपाध्याय बांग्ला की एक प्रतिष्ठित महिला हाइकुकार हैं. उन्होंने भी कई प्रकृति- चित्रण हाइकु विधा में किए हैं. उनमें से एक इस प्रकार है –

दीप्त आलोके

जागे शुभ प्रेरणा

शुभ हृदये

कुछ ग़ैर-बांग्ला भाषी कवियों ने भी बांग्ला में हाइकु रचनाओं के लिए अपनी क़लम चलाई है. इनमें से एक दरोग़ा शर्मा शैलशिखर हैं उनका पक्षियों के सौंदर्य और उनकी गतिशीलता को रेखांकित करता एक हाइकु दृष्टव्य है –

ई रुख छेड़े

कोथाय जांवे पांखी

दूर गगने

गोपी कृष्ण भक्त एक जाने माने हिंदी हाइकु रचनाकार हैं लेकिन बांग्ला में भी उन्होंने कुछ रचनाएं की हैं. बांग्ला के हाइकु कवि प्रमुख रूप से प्रकृति चित्रण और ऋतु संकेत को वरीयता देते हैं और इस अर्थ में वे हाइकु काव्य की मूल प्रवृत्ति से जुड़ने की कोशिश करते हैं. किंतु गोपी कृष्ण भक्त का हाइकु-संसार प्रकृति के इतर विचार को भी प्रधानता देता प्रतीत होता है. उनके निम्नलिखित हाइकु में भारतीय दर्शन का आलोक है -

मिथ्या आकाश

मिथ्या ना ही जगोत

मिथ्या तृष्णा है.

इसी प्रकार एक अन्य हाइकु में पुरुषार्थ को प्रणाम करते हुए वे कहते हैं कि मेरे सामने धूल से भरा जो दृश्य है उसे मै पोंछ डालूंगा ‌‌‌-

धुले ते भरा

सामने ते दृश्यो

पुंछे केलवो.

उड़ीसा में बोली जाने वाली ओड़िया भाषा में हाइकु कविताओं के लिए जिन दो महिला रचनाकारों ने अपनी पहचान बनाई है ,वे हैं- सुज्ञानी मंजरी नेमा तथा आनंती शत्पथी बिंदु. ओड़िया बहुत कुछ बांग्ला के क़रीब है. इसमें बांग्ला की सम्वेदनशीलता भी है. इसके अतिरिक्त उड़ीसा एक ऐसा राज्य है जिसमें ग़रीबी अपने चरम पर है. अपने राज्य की दरिद्रता से द्रवित सुज्ञानी मंजरी नेमा कहती हैं कि हाय रे विश्व तूने मुझे केवल ऐसी रेतीली धरती की ही अनुभूति कराई है जो मुझे धीरे धीरे सेंकती है –

हाय रे विश्व

देखाइलु तू मोते

मरु साहारा.

आनंती शत्पथी बिंदु स्त्रियों की दुःखी दशा को देखकर विह्वल हैं. उन्हें अफसोस है कि एक स्त्री अपने सिंदूर के लिए कुछ टकों में अपनी पूरी आयु बिता देती है. –

तुम सिंदूर

युक्ति किच्छी टंकार

ओ आयुष र.

और फिर भी उसे विरह में दिन काटने पड़ते हैं, यह कैसा प्रेम है? –

विच्छेद घांटे

तुम पाखेर थाई

एई की प्रेम

सम्पर्क छूट जाता है, आंखें बरसने लगती हैं और कोख गुमसुम हो जाती है –

संपर्क हुड़े

बरसी जाये आखी

गर्भ गुमुटे

पंजाबी भाषा हिंदी के काफी नजदीक है और इसमें भी हाइकु लेखन खूब हुआ है कश्मीरी लाल चावला अपनी "अदबी परिक्रमा" और "अदबी माला" जैसी पत्रिकाओं में हाइकु लेखन को खूब प्रोत्साहित कर रहे हैं. चावलाजी ने अपनी हाइकु कविताओं में राजनैतिक स्थितियों पर अच्छे कटाक्ष किए हैं. उनका इसी तरह का एक हाइकु है जिसमें वे कहते हैं भारत में चुनाव ख़त्म हो जाने के बाद जिंसों के भाव बढ जाते हैं और इसी का नाम प्रगति है -

चैना खत्म

जिंसा दे भाउ बघे

प्रगति होई.

डॉ ओ पी गुप्ता और सत्यानंद जावा ने भी पंजाबी भाषा में हाइकु के अच्छे नमूने प्रस्तुत किए हैं. रात्रि के समय आकाश देखकर गुप्ता जी के उद्गार कुछ इस प्रकार हैं –

नभ भरिमा

तारिआं दे नाल ही

गल चां दी

इसी प्रकार सत्यानंद जावा भी कहते हैं कि वसंत ऋतु के समय जब आमों पर बौर आ जाता है तो ऐसे में स्त्रियां अनायास ही नाचने लगती है और आंगन जगमगाने लगता है.

नच्चन नारां

अम्मी ते पया बूर

बेडेच नूर

उर्मिला कौल हिंदी की एक जानी-मानी हाइकुकार हैं लेकिन केवल हिंदी में ही नहीं पंजाबी और अंगरेज़ी में भी उन्होंने हाइकु कविताएं रची हैं. उनकी कविताओं में प्रकृति चित्रण तो है ही उनके कई हाइकु ऋतु संकेत से भी युक्त हैं. वे अपने आस-पास के दुःख-दर्द के प्रति भी सम्वेदनशील हैं वे अपनी सखी से कहती हैं आओ हम-तुम मिल-जुलकर रो लें –

आनी अडिए

रल मिल बहिए

हंजू बंडिए

इसी प्रकार अपने एक अन्य हाइकु में वे कामना करती हैं कि फूल खिलते रहें और तवों पर रोटियां नाचती रहे. जीवन हंसता रहे.

फुल्ल खिड़दे

तवे ते नच्चे रोटी

जिंदड़ी हस्से

मराठी भाषा में हाइकु का प्रारम्भ शिरीष पै ने किया. आज वे मराठी की सर्वश्रेष्ठ हाइकुकार मानी जाती हैं. मराठी-हाइकु त्रिपंक्तिक तो बेशक है किंतु अधिकतर उनमें अक्षरों की संख्या आदि, का बंधन स्वीकार नहीं किया गया है. मराठी के प्रथम पंक्ति के कुछ अन्य हाइकुकारों में शिरीष पै के अतिरिक्त पूजा मलुष्टे, मनोहर तोड्णकर, बाल राणे, ऋचा गोडबोले, मेघना साने, वृन्दा लिमये, राजन पोल तथा महमूद सारंग आदि हैं. शीरीष पै और मनोहर तोडकर की हाइकु रचनाओं में एक उदासी का स्वर है किंतु इस दुःखमय संसार से फिर भी उन्हें नैराश्य नहीं है. शिरीष पै सभी प्राणियों को उदास देखती हैं और यह समझ नहीं पातीं कि यह उदासी आखिर क्यों है?

सगले प्राणी

उदास का दिसतात

कोणते दुःख गिलतात

इसी प्रकार मनोहर तोडकर नीले पक्षी को ग्रीष्म में तपता देखते हैं,पर वह गाना गा रहा है –

ग्रीष्म तापल्यावर

ऊन रखर खतंय

तरीही निला पक्षी गातोय

पूजा मलुष्टे ने कुछ बहुत ही सुंदर प्रकृति के चित्र प्रस्तुत किए हैं. उनकी एक रचना है-

चंद्र का बिम्ब

जैसा साफ नभ में

वैसा जल में

श्याम खरे जिन्होंने पूजा मलुष्टे के उपरोक्त हाइकु का हिंदी अनुवाद किया है, स्वयं मराठी भाषी हैं किंतु हिंदी में हाइकु कविताएं लिखते हैं, मराठी में तो खैर लिखते ही हैं. वे हाइकु लिखने के लिए छंद-अनुशासन के पालन को आवश्यक मानते हैं और उनकी सभी रचनाएं हाइकु छंद की अक्षर-गणना में खरी उतरती हैं, बल्कि मराठी हाइकु कविताओं के उनके अनुवाद में भी उन्हों ने ५-७-५ का ख्याल रखा है.

जो रचनाकार गुजराती भाषा में हाइकु लिख रहे हैं उनमें कुछ महत्वपूर्ण नाम इस प्रकार हैं – झीना भाई देसाई, स्नेहरश्मि, कमल पुंजाणी, डॉ. धीरू मोदी, रवींदर यादव, प्रियंका कल्पित और ईश्वरभाई पटेल.

स्नेहरश्मि का एक हाइकु है कि जिसमें वे कहते हैं, फूलों ने तो सारी रात अपनी महक लुटाई और इस प्रकार वे अपनी बात करते रहे किंतु भंवरा चुप रहा.

रजनी आखी

फुलडे की थी बात

भमरो मूंगो

भगवत शरण अग्रवाल ने इसके अनुवाद में “रजनी” के लिए “शर्वरी” शब्द का उपयोग किया है जिससे रात ने एक नायिका का रूप धारणकर लिया है जो मिलन के लिए आतुर है किंतु उसका प्रेमी ध्यान नहीं देता.

सारी शर्वरी

फूल ने तो बात की

भंवरा चुप.

ऐसे में कमल पुंजाणी ठीक ही यह प्रश्न करते हैं कि ये खुशबू के जाम आखिर किसके लिए खुशियां छलका रहे हैं,

कोना नामे आ

खुशियों छलकावे

खुशुबूना जाम?

धीरू मोदी, रवींदर यादव, और प्रियंका कल्पित ने भी प्रकृति को अपना विषय बना कर कुछ सुंदर हाइकु रचे हैं. किंतु ईश्वरभाई पटेल के प्रकृति-चित्रण में एक दार्शनिक और चिंतनपरक आयाम भी जुड़ जाता है –

(1‌) खीलतां पुष्प

भमता पतंगिता

चूसातुं रस

(खिलते पुष्प /मंडराती तितली/ चुसाते रस)

(२) तृषातुर कंठ

अफाट सरोवर

नैने मृगजल

(त्रिशातुर कंठ /अपार सरोवर / दीदे मृगजल)

उर्दू और हिंदी भारत की दो ऐसी जुड़वां भाषा-भगनियां हैं जिनमें कभी कभी अंतर कर पाना कठिन हो जाता है. फिर भी दोनों का अस्तित्व अलग है और उनकी स्वतंत्र अस्मिता भी बचा कर रखी गई है. हिंदी के कई हाइकुकारों ने उर्दू में भी लिखा है और तथाकथित उर्दू हाइकु-रचनाओं की गणना यदि हिंदी में कर ली जाए तो संख्या और भी बढ़ जाएगी.

राधेश्याम हिंदी, अंगरेज़ी और उर्दू . तीनों ही भाषाओ में हाइकु रचते हैं. उनके उर्दू के कुछ हाइकु इतने नफीस हैं कि बिना दाद दिए रहा नहीं जाता.

तेरी बाहों में

सर्द तन्हाई गाती

आतिशी नगमें

किया दीदार,

तो खो गए दीदा ही

डरे दीदा पे *

फिरोजा हुए

जले दिल के दाग

चश्में तर से *

उर्दू की अधिकतर हाइकु रचनाएं प्रेम कविताएं हैं. ये उर्दू साहित्य के मिज़ाज के माफिक है. डॉ. जीवन प्रकाश जोशी की उर्दू रचनाएं भी इसी मुख्य धारा में हैं

उम्र की खिज़ां

बेवफा नहीं, सदा

हम सफर

लेकिन ज़ाहिर है इसमें एक दार्शनिक टिप्पणी भी है.

हरी दिलगीर ने सिंधी-भाषा में कुछ सुंदर हाइकु लिखे हैं. उनकी रचनाओं में हाइकु को एक त्रिपदी के रूप में स्वीकारा गया है किंतु हाइकु छंद के अक्षर अनुशासन 5-7-5 को अनदेखा किया गया है. हरी दिलगीर की रचनाएं बहुत नाज़ुक मिज़ाज और कोमल अनुभूतियों से युक्त होती हैं. आपने एक हाइकु में एक ऐसे पौधे का ज़िक्र किया है जिसके सब पत्ते झर चुके हैं और जो आकाश की ओर शिकायत भरे लहज़े में ताक रहा है

ठोड़हो ठोड़हो वणु

खणी अखियूं आकास डे

करे शिकायत जणु.

दक्षिण भारत में तमिल, तेलगू, मलयालम और कन्नण भाषाएं बोली जाती हैं. किंतु यहां तेलगू में विशेषकर हाइकु रचनाएं हुई हैं. दो नाम उल्लेखनीय हैं, नालि नासर रेड्डि और पिडपर्ति वैंकटराम शास्त्री. नालि नासर रेड्डि अधिकतर हाइकुकारों की तरह अपनी रचनाओं में प्रकृति का सम्वेदनशील चित्रण करते हैं. अपने एक हाइकु में उन्होंने प्रकृति में सागर और आकाश के क्रमशः शोर और मौन का एक सुंदर विरोधाभास प्रस्तुत किया है –

कदलि हूरू

दूरंगा गगननं लो

तारल मौन.

इसका हिंदी अनुवाद हुछ इस प्रकार किया जा सकता है,

सागर घोष

पर दूर गगन

मौन हैं तारे

पिडपर्ति वैंकटराम शास्त्री के हाइकु सामाजिक चेतना से युक्त हैं और उनमें सामाजिक असामानता के विरुद्ध स्वर स्पष्ट है.

वरि वेन्नुलु

पिपस्तायि रैतुनी

अप्पुला ललनी

(पकी बालियाँ / बुलाती किसान को / महाजनों को )

भारत की सभी भाषाओं का उद्गम संस्कृत भाषा में ही माना गया है. आज यद्यपि संस्कृत भाषा किसी भी राज्य में सामान्यजन द्वारा बोली नहीं लाती लेकिन भारत का कोई भी प्रांत ऐसा नहीं है जहां संस्कृत प्रेमी विद्वान न हों. आज संस्कृत में इतना साहित्य रचा जा रहा है जितना शायद भारत में पहले कभी नहीं रचा गया हो. नाटक, कहानियां और कविताएं तो लिखी ही जा रहीं हैं, हाइकु भी रचे जा रहे हैं .डॉ. हर्षदेव माधव तथा पिडपर्ति वैंकटराम शास्त्री कुछेक अच्छे संस्कृत हाइकुकार हैं. इनकी कविताएं चिंतन परक होते हुए भी अत्यंत सम्वेदनशील हैं. –

नग्न पादेन

धावति में विषाद

तप्ते हृदय * (डा. हर्षदेव पाठक)

महादाकाश

अकाल ज़रा शीर्ण

पालित केशा * (डा. पि.वें.शास्त्री)

कुछ मूलतः हिंदी हाइकु कवियों ने संस्कृत में भी हाइकु रचनाएं की हैं. सूर्यदेव पाठक और रामनिवास पंथी ने अपने संस्कृत हाइकुओं का स्वयं ही हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत किया है और दोनो ने ही हाइकु अनुशासन का भी पूरा-पूरा पालन किया है –

चपल चपलया

अहो, विकीर्ण उरो

विस्तृत नभो (रामनिवास पंथी)

(बिजी कौंधी / फट गई छाती / पूरे नभ की )

इसी प्रकार सूर्यदेव प्रकाश के हाइकुओं में सम्वेदना तो है ही, पर उनमें व्यंग्य का स्वर भी देखा जा सकता है,

श्रोतारः काकाः

पराजिता काकेन

अद्य कोकिला

(श्रोता हैं कौवे / कौवे से पराजित / आज कोयल ) -------------------------------------------------------------------------------------------------------------

डा. सुरेन्द्र वर्मा

१०,एच आई जी / १,सर्कुलर रोड इलाहाबाद -२११००१

मो. ९६२१२२२७७८

ब्लॉग – surendraverma.blogspot.in

Mail – surendraverma389@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हिंदी में हाइकु (१८) / भारतीय भाषाओं में हाइकु रचनाएं / डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
हिंदी में हाइकु (१८) / भारतीय भाषाओं में हाइकु रचनाएं / डॉ. सुरेन्द्र वर्मा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEih47ZXG_VFuuK9mkuclM81GimSu5G-9L7fo01KNw06e0-nr9mJV0h8dP9BDr-ufR6sl__MILxMtZaLkJ0ZXo_SnQUc4gnxd6Vzp4TjysfqZW9BW6tZNlQWxXuZTbaEEktkqlBA/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEih47ZXG_VFuuK9mkuclM81GimSu5G-9L7fo01KNw06e0-nr9mJV0h8dP9BDr-ufR6sl__MILxMtZaLkJ0ZXo_SnQUc4gnxd6Vzp4TjysfqZW9BW6tZNlQWxXuZTbaEEktkqlBA/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_866.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/05/blog-post_866.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content