प्राची - जून 2016 / व्यंग्य / राजा राज करे / फिक्र तौंसवी

SHARE:

व्यंग्य राजा राज करे फिक्र तौंसवी   आ ज हमारा हेड खजांची भूकमदास कदमबोसी को हाजिर हुआ और बोला, ''हजूर! खजाने की चाभियां संभाल ले...

व्यंग्य

राजा राज करे

फिक्र तौंसवी

 

ज हमारा हेड खजांची भूकमदास कदमबोसी को हाजिर हुआ और बोला, ''हजूर! खजाने की चाभियां संभाल लें, मैं तो कैलाश पर्वत पर जाकर तपस्या करूंगी.'' हम सन्न रह गये. हमें पता था कि भूकमदास और उसके कुटूंब का डेढ़ सौ वर्ष पूर्व भगवान से संबंध विच्छेद हो चुका था, अतः कारण पूछने पर मालूम हुआ कि खजाना खाली हो चुका है, रिआया टैक्स देने से इंकार कर रही है, वेतन न मिलने की वजह से सेनापति कहीं भाग गया है और सिपाही अपने हथियार बेचकर गुजारा कर रहे हैं.

हालत ऐसे थे कि हमने भी कैलाश पर्वत पर जाने का निश्चय किया और कार तैयार करने के लिए कहा, किंतु ड्राइवर ने बतलाया कि गाड़ी में पेट्रोल नहीं है और पेट्रोल-पंप वाला पिछले बिलों की अदायगी के बिना पेट्रोल देने से मना कर रहा है. हमें तैश आ गया, किंतु भूकमदास ने समझाया कि तैश से मोटर नहीं चल सकती, तैश और पेट्रोल में एक टैक्निकल फर्क है.

चार रानियां हमारे साथ कैलाश पर्वत पर चलने के लिए राजी हो गयीं, किंतु छोटी रानी भरतबाला ने कहा कि मेरा तो हुजूर के साथ विधिवत् विवाह नहीं हुआ हैं, मैं हरण की हुई स्त्री हूं, एक किसान की बेटी होने के नाते मैं तो रिआया में ही मिलकर रहूंगी. हमें छोटी रानी की बेवफाई पर दुःख हुआ और हमने एक कविता लिख डाली.

भूकमदास फिर हाजिर हुआ. उसने एक दस्तावेज पर हमसे हस्ताक्षर करवाये और कहने लगा कि यह नयी सरकार का आज्ञा पत्र है. परदे के पीछे से दो व्यक्ति प्रकट हुए और उन्होंने पेट्रोल के दो टीन हमें समर्पित कर दिये. भूकमदास ने बतलाया कि आज्ञा पत्र से देश में बादशाहत खत्म हो गयी है और लोकतंत्र स्थापित हो चुका है. यानी शासन हमारा ही रहेगा, किंतु हम उसे जनता-जनार्दन पार्टी के नाम से चलायेंगे, पेट्रोल लाने वाले व्यक्ति थेगीदड़ जंग और उजाड़ू सिंह. गीदड़ जंग हमारे नये मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बना और उजाड़ू सिंह को रक्षा मंत्री का पद दिया गया.

हमारे द्वारा राज्याधिकारों का त्याग करते ही प्रजा में खुशी छा गयी. हमने छोटी रानी के साथ झरोखे में आकर रिआया को दर्शन दिये. भीड़ 'चौपट राजा, जिंदाबाद!' के नारे लगाती रही. रात को हम गणतंत्र समारोह में शामिल हुए. भूकमदास ने जी भरकर शराब पी. छोटी रानी ने हारमोनियम गर्दन में डालकर कुछ फिल्मी गीत सुनाये, जिनमें लोकतंत्र आदि का उल्लेख था.

दूसरे दिन सुबह गीदड़ जंग एक खूबसूरत कार में बैठकर हमारे पास आया. इससे पहले वह साइकिल पर आया करता था. हमने पूछा, ''यह गाड़ी कहां से ले आये?'' वह बोला, ''हुजूर! गश्ह मंत्री बनने के सम्मान में मुझे जनता ने कार भेंट की है.'' हमें ताज्जूब हुआ, जनता बड़ी नालायक है. खुद तो बसों में धक्के खाती है, और अपने नेता को कार भेंट करती है. गीदड़ जंग ने जवाहरात भेंट करने के बजाय हमें एक किताब नजराने में दी'लोकतंत्र क्यों और कैसे?' उसने कहा, ''हुजूर, अब आपको लोकतांत्रिक तरीके से हुकूमत करनी है, इसलिए यह पुस्तक पढ़ लें. हमने पुस्तक पढ़ने की चेष्टा की, पर कुछ समझ में नहीं आया, तब छोटी रानी ने कहा कि मैं आपके लिए ट्यूशन का प्रबंध कर दूंगी. शिक्षा चाहे लोकतंत्र की हो या तानाशाही की, दोनों के लिए बहुत सस्ते प्रोफेसर मिल जाते हैं.''

हमारे राजमहल का झंडा उतार दिया गया और उसका नाम भी बदलकर जनता भवन रख दिया गया. अब उस पर जनता-जनार्दन पार्टी का झंडा लहराने लगा. हमें गुस्सा आया तो भूकमदास ने सांत्वना दी कि महल भी आपका है और झंडा भी, किंतु चीजों का नाम बदलना लोकतंत्र में जरूरी है. प्रोफेसर निष्फलदास को हमारी ट्यूशन पर नियुक्त कर दिया गया. लोकतंत्र की शिक्षा लेने पर हमें यही पता चला कि हम तो व्यर्थ ही उससे डर रहे थे, लोकतंत्र असाधारण चीज नहीं है.

हमारी कैबिनेट की मीटिंग

लोकतंत्री मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई. मंत्री इतनी बहुमूल्य पोशाकें पहनकर आये कि हमें शक हुआ, वे शाही तोपखाने से चुरायी हुई हैं. गृह मंत्री गीदड़ जंग ने हमें हुक्म दिया कि हम एक-एक कर मंत्रियों के लिबास चूमें, तभी डेमोक्रेसी का मकसद पूरा होगा. अब तक कई व्यक्ति मंत्री बन चुके थे. भूकमदास ने महामंत्री होने के साथ-साथ वित्त मंत्री का पद भी संभाल लिया था. मीटिंग के बाद उसने एक लाख रुपये के खर्च हो जाने पर हमारी मंजूरी मांगी. हमने आश्चर्य व्यक्त किया कि मीटिंग पर इतना धन कैसे खर्च हो गया. भूकमदास ने एक लंबा भाषण देते हुए हमें धमकाया कि दस्तखत कर दीजिए, वरना शाही तख्त की बजाय भुने चने नजर आयेंगे. रिआया का रुपया रिआया पर खर्च हो रहा है, हमने सहमकर मंजूरी दे दी.

कई दिन ऐसी व्यस्तता में बीते कि हमें डायरी लिखने का भी वक्त नहीं मिला. सुबह जो गुलफाम बांदी अपने सुरीले कंठ से गाकर हमें जगाया करती थी, सुना है कि उसे भूकम्पदास के बंगले पर तैनात कर दिया गया है. हमें एक रेडियो सेट दे दिया गया है, जिससे प्रातः भक्ति गान सुनायी देता है. नाश्ते की मेज पर हमारा रोजाना का प्रोग्राम टाइप कर ट्रे में रख दिया जाता है. यह प्रोग्राम मंत्रिमंडल तय करता है. हमें क्या भोजन दिया जाये, यह एक कमेटी तय करती है. खाना बेशकीमती और बहुत अधिक मात्रा में होता है. हमने खाद्यमंत्री को बुलवाकर इस संबंध में कहना चाहा तो ज्ञात हुआ कि वह हवाई जहाज पर अकालग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने गये हैं. यह अजीब लोकतंत्री शासन है कि जनता खुराक की कमी से भूखों मर रही है और हम खुराक की ज्यादती से परेशान हैं.

हमसे एक ऐसा फरमान निकलवाया गया है कि मुल्क में जो भी स्मगलर और चोर बंदी हैं, उन्हें रिहा किया जाये और उन्हें वोट देने के हक में महरूम न किया जाये. कारण पूछने पर बतलाया गया कि वोटरों की तादाद कम हो रही है, इसलिए यह कदम उठाया गया है.

महामंत्री की महबूबा

भूकमदास के बारे में चिंताजनक रिपोर्टें आ रही हैं. कानाफूसी हो रही है कि उसने अपनी स्टेनोग्राफर मिस रंभा को हरम में डाल लिया है. गीदड़ जंग ने बतलाया है कि भूकमदास ताकत का भूखा है और किसी भी दिन हमें जेल में डाल सकता है. सेनापति का कहना है कि गश्ह मंत्री ही महामंत्री को 'डेमज' खराब कर रहा है और अफवाहें फैला रहा है. मिस रंभा एक स्मगलर की बेटी है. किंतु लोकतंत्री संविधान में स्मगलर की बेटी होना कोई जुर्म नहीं है. काफी सोचकर हमने भूकमदास को पद से हटा देने का फरमान जारी कर दिया और गीदड़ जंग को महामंत्री बना दिया.

राजधानी में उथल-पुथल मच गयी. एक ही रात में गीदड़ जंग के ढाई सौ भूकमदास के तीन सौ हिमायती आपस में लड़ मरे. हमने उन बेगुनाहों की मौत पर हमदर्दी जाहिर कर दी. गीदड़ जंग ने मश्तकों के परिवारों को पांच-पांच सौ रुपये की सहायता देने का ऐलान किया. यह मदद गीदड़ जंग के लोगों को ही दी गयी. भूकमदास के समर्थकों के बारे में एक हाई पॉवर कमीशन गठित किया गया कि वह उनकी मौत की पुष्टि करे. एक जलसे में भूकमदास ने हमारे खिलाफ जहरीला भाषण दिया तो हमने उसकी गिरफ्तारी का वारंट निकाल दिया.

एक रोज भूकमदास पांच सौदागरजादों को लेकर गिड़गिड़ाता हुआ हमारे सामने पेश हुआ. उसने हमारे राजकुमार का जन्मोत्सव मनाने के लिए पांच लाख की थैली भेंट करते हुए कहा कि मैं आपका पुराना नमकख्वार हूं. गीदड़ जंग आपको कत्ल करने की साजिश रच रहा है. भूकमदास का गला भर आया तो हमने उसे गले से लगा लिया. भूकमदास ने कहा, ये सौदागरजादे राजकुमार के जश्न का पूरा खर्चा अदा करेंगे, हमने खुश होकर गीदड़ जंग को मुअत्तल कर दिया और भूकमदास को फिर महामंत्री बना दिया.

राजकुमार का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया. निजी खजांची ने हमें इत्तला दी कि जश्न पर पांच लाख रुपये खर्च हुए, किंतु पंद्रह लाख के उपहार आये, छोटी रानी ने हिसाब लगाया कि उपहार सोलह लाख के थे, एक लाख की चीजें खजांची डकार गया है. हमने छोटी रानी को समझाया कि लोकतंत्र में एक लाख की हेराफेरी न केवल मामूली है, बल्कि लाजमी भी.

हम नौशेरवां बने

हमने नौशेरवां का नाम बचपन में सुना था. प्रोफेसर निष्फलदास ने हमसे कहा कि हम भेस बदलकर रिआया के दुःख-सुख जानें. आखिर हम गुमराह हो गये और नौशेरवां की तरह एक माली का भेस बनाकर बाहर निकले. पैदल चलते-चलते थक गये तो हमें ख्याल आया कि हमारी जेब तो नोटों से भरी पड़ी है, क्यों न हम टैक्सी कर लें, किंतु टैक्सीवाले ने शक्ल-सूरत की वजह से हमें अपमानित किया.

पीपल के पेड़ के नीचे एक बुढ़िया पोटली में खाना खा रही थी. शायद वह पेड़ उसका डाइनिंग रूम था. हमने उससे पूछा कि क्या तुम रिआया हो? अगर हो तो हमें महाराज चौपटनाथ जी के राज-काज के बारे में जानकारी दो. यह सुनते ही उसने चौपटनाथ को सैकड़ों गालियां दे डालीं. तब मुझे अपना राजा होना स्वीकार करना पड़ा. इस पर बुढ़िया ने हमें संदेह से देखा और चिल्लाने लगीबचाओ, यह लुटेरा है!

कई पहलवान किस्म के लोगों ने हमें घेर लिया. मुश्टंडे मारपीट करने लगे. पच्चीसवां थप्पड़ पड़ते ही हमें अक्ल आयी. हमने कुछ नोट जेब से निकाले और हवा में उछाल दिये. अब वे लोग हमें भूल गये और नोटों के लिए सिर-फुटौव्वल करने लगे.

इस हादसे से हमें नसीहत मिली कि रिआया से संपर्क पैदा करने में वक्त और पैसे की बरबादी होती है.

इधर हमें बतलाया जा रहा है कि 'भ्रष्टाचार' बढ़ रहा है. यह शब्द हमने पहली बार सुना है, कदाचित लोकतंत्र की देन है.

रिआया में फिर बेचैनी

अखबार का संपादक और कोठे की तवायफ, दोनों पेशेवर डांसर होते हैं. पैसा दो और जिस तरह का चाहो, नाच नचवा लो. निष्फलदास हमें अखबार पढ़कर सुनाता है. एक पश्ष्ठ पर हमारे विरुद्ध विषवमन, दूसरे पर प्रशंसा के पुल. शायद यही आजाद जर्नलिज्म है. अखबारों ने छाप दिया कि महाराज अपनी जान पर खेल जायेंगे, किंतु प्रजा को भ्रष्टाचार से जरूर बचायेंगे, यह खबर पढ़ते ही जनता महल के बाहर जमा हो गयी और 'लोकतंत्री राजा चौपटनाथ जिंदाबाद!' के नारे लगाने लगी. निष्फलदास की विनती पर हमने रिआया को दर्शन दिये, ज्योंहि हमने लोगों पर गुलाब का एक फूल फेंका, वे नाचने लगे.

तभी मजनू की तरह बाल बिखराये हुए भूकमदास हाजिर हुआ. बोला, ''महाराज! लोकतंत्र के शुरू में 'करप्शन' अनिवार्य है. उसके बिना शासन नहीं चल सकता है. निष्फलदास ने ही हमें बहकाया था, इसलिए हमने उसकी ट्यूशन बंद कर दी.''

बड़े जोर-शोर से हमारी प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू हुई और हमारे भीतर यह विश्वास पैदा हुआ कि हम कई पीढ़ियों तक हुकूमत कर सकते हैं. सवाल''क्या हम महाराज चौपटनाथ जी से यह पूछने का साहस कर सकते हैं कि उनके राज्य का क्षेत्र कितना है?'' जवाब''हमारे राज्य का क्षेत्र बदलता रहता है. यह हमारी फौज पर निर्भर है कि वह कितने क्षेत्र पर कब्जा करती है और कितने को दुश्मन के हवाले कर भाग आती है.'' सवाल''हुजूर ने विदेशी जासूसों को दबाने के लिए कौन से कदम उठाये हैं?'' जवाब''अभी तक नहीं उठाये, जब फुरसत मिलेगी, उठायेंगे.'' सवाल''इसका अर्थ है कि विदेशी जासूस हमारे यहां मौजूद है?'' जवाब ''दुनिया का कौन-सा देश है, जहां विदेशी जासूस नहीं होते. हमारे अपने देश के जासूस भी कहीं न कहीं विदेश में जरूर होंगे.''

एक महिला पत्रकार ने हमारे साथ चार फोटो खिंचवाये. दूसरे पत्रकार ने बताया कि वइ इन फोटुओं की बदौलत बड़े-बड़े साहुकारों से ब्लैकमेल करेगी. प्रेस कॉन्फ्रेस से पहले ह्निस्की और बाद में पत्रकारों को चाय पिलायी गयी. पार्टी के बाद कई कीमती चम्मच गायब पाये गये.

अहमक कौन है?

छोटी रानी ने बताया कि अकाल की वजह से लोग वश्क्षों की जड़ें खा रहे हैं. हमने समझाया, आयुर्वेद के अनुसार ऐसी जड़ों में कई बीमारियां दूर करने की शक्ति होती है. विटामिन भी होते हैं और आदमी सौ-डेढ़ सौ साल तक जिंदा रह सकता है. सुबह-सुबह रेडियो पर हमने सुना कि निष्फलदास को गिरफ्तार कर लिया गया है. वह अकालग्रस्त क्षेत्र का दौरा कर रहा था और भूखों को हमारे खिलाफ भड़का रहा था.

छोटी रानी के पर्स से हमें निष्फलदास का एक पत्र मिला. उसमें कहा गया था कि आप महाराज को सही रास्ते पर लाएं. इस तरह प्रेमपत्र को पाकर हमको छोटी रानी पर तैश आ गया और हमने उसे गिरफ्तार करने का हुक्म दिया. सिपाही ने कहा,

''महाराज, मेरी ड्यूटी खत्म होने में सिर्फ डेढ़ मिनट बाकी है. दूसरा सिपाही आयेगा और वही आपके हुक्म की तामील करेगा.''

हम इस गुस्ताखी पर उबल पड़े-''जाओ, हम तुम्हें बर्खास्त करते हैं!''

वह बोला-''मैं आपका नौकर नहीं हूं, लोकतंत्री सरकार का सेवक हूं. मेरे विरुद्ध कोई शिकायत हो तो लिखित चार्जशीट बनाकर गश्हमंत्रालय को भेजें. मंत्रालय जांच करेगा और निर्णय लेगा.''

गश्हमंत्री ने बाद में उस सिपाही को मुअत्तल कर दिया. हमें कुछ संतोष हुआ. किंतु अकाल की खबरें बराबर भयानक होती जा रही थीं. अखबारों में भूखे, मरियल लोगों की तस्वीरें छप रही थीं. हमने भूकमदास को बुलाया और लकड़ी का टुकड़ा चबाते हुए एक नंग-धड़ंग लड़के का फोटो दिखलाया. वह हंसकर बोला-''हजूर, यह तो एक फिल्म की शूटिंग का दश्श्य है. जो लड़का बना है, वह एक धन्ना सेठ का पुत्र है और मेक-अप करके उसे गरीब दिखलाया गया है.''

हमने छोटी रानी के पास संदेश भेजा कि आकर हमारे साथ प्रेम करो. किंतु सूचना यह मिली कि छोटी रानी महल से गायब हो गयी है और अकालग्रस्त क्षेत्र का दौरा कर रही है.

धींगामुश्तीपुर प्रवेश की खुशहाली से संबंधित चित्र-प्रदर्शनी का जब हम उद्घाटन कर रहे थे, तो गोली चलने की आवाज आयी. भूकमदास ने कहा- ''उद्घाटन की खुशी में यह गोली चलायी गयी है'' लेकिन तभी धड़ाधड़ गोलियां चलने लगीं. मंत्रिमंडल भाग छूटा. हमने झरोखे से देखा कि अस्थिपंजर जैसे इंसानों की एक भीड़ महल को घेरे हुए थी. छोटी रानी और निष्फलदास उसका नेतश्त्व कर रहे थे. उन दोनों ने हमें देखते ही हाथ जोड़कर प्रणाम किया. किंतु तभी हजारों फौजी जवान ट्रकों पर प्रकट हो गये और मशीनगनों के मुंह खोल दिये गये. अंगरक्षक ने हमें अंदर खींचकर झरोखा बंद कर दिया. हमें सदमा लगा और हम दो घंटे तक रोते रहे. शाम को रेडियो ने खबर दी कि शाही महल पर बागियों के हमले को नाकाम कर दिया गया. यह नहीं बतलाया गया कि कितने भूखों को भून दिया गया.

मंत्रिमंडल मुअत्तल

सुबह अखबारों से पता चला कि पंद्रह सौ लोग गोलियों के शिकार बने थे. हमने तुरंत भूकमदास को बुलाया. उसने एक सौ एक बार हमारे चरण-कमल चूमे और आंसू टपकाने लगा. हमने शाही जलाल में फरमाया- ''मक्कार, दुष्ट, भ्रष्टाचारी! हमारे बाकी मंत्री कहां मर गये?'' उसने कहा-''हुजूर के बाग में खड़े कांप रहे हैं!'' मंत्रियों के कांपने की कल्पना से हमें संतुष्टि हुई. उसे दफा कर हमने सेनापति को याद फरमाया. वह बोला-''आप खुद ही शासन संभाल लें, नहीं तो फौज हुकूमत पर कब्जा कर लेगी.'' उसने यह भी स्पष्ट कर दिया कि संविधान के अनुसार हम ही सर्वोच्च कमांडर हैं. खाद्यमंत्री को अनाज के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उसने इतना ही कहा कि मंत्रिमंडल में शामिल होने से पूर्व वह भूकमदास के साथ मिलकर घड़ियों की तस्करी करता था.

हमने मंत्रिमंडल भंग कर दिया. इस पर अखबारों ने हमें जनता का मित्र, मानवतावादी, सर्वश्रेष्ठ प्रशासक और देवताओं की संतान तक कह डाला. हमने अफसरों की मीटिंग बुलायी और कहा, कि खानदानी तौर पर ऊंचे और योग्य अधिकारी ही हुकूमत चला सकते हैं. लोकतंत्री शासन प्रजा को नोंचकर खाने के लिए नहीं है. इस पर अफसर बड़े जोश के साथ मुस्कराये और शाही दावत उड़ाकर विदा हुए. अकाल की आड़ में हमें फिर सत्ता संभालने का दुर्लभ अवसर मिल गया. दुबारा गद्दी मिलने पर हमारी इच्छा हो रही थी कि छोटी रानी के साथ दुबारा हनीमून मनाएं, किंतु वह तो वहां थी ही नहीं!

नया लोकतंत्र

मंत्रिमंडल बरखास्त करने के बाद हमने लोकतंत्री राजा की सलाहकार परिषद गठित की. सेहत और अक्ल से दुरुस्त लोग ही शामिल किये. गृह मंत्रालय से संबंधित मामलों का सलाहकार फटकारचंद को बनाया. उसका बड़ा भाई दुत्कारचंद एक करोड़पति सूदखोर महाजन है. वह जनता का खून चूसने और जनता के लिए मंदिर बनवाने में कुशल समझा जाता है. हमने आदेश जारी कर दिया है कि जो भी व्यक्ति भूखा-नंगा दिखलाई दे, उसे गिरफ्तार कर हमारे पास लाया जाये. इस फरमान ने जादू का-सा असर किया. हमें पता चला है कि छोटी रानी और निष्फलदास किसी पहाड़ी गांव में छुप गये हैं. हमने उनको बंदी बनाने का वारंट भी जारी कर दिया है.

फटकारचंद ने हमसे कहा है कि हमारा संविधान अब इतना पवित्र मान लिया गया है कि ईश्वरीय वाक्यों की भांति उसकी व्याख्या करना घोर पाप है. यह सुनते ही हमने लोकतंत्री चुनावों की घोषणा कर दी. हमने चौपटराज पार्टी का गठन किया है. अब हमें राजा की बनिस्बत महामंत्री बनना अधिक अच्छा लग रहा है. निष्पक्ष लोकतंत्री चुनाव के लिए हमने फटकारचंद के भाई दुत्कार चंद को चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया है. वह इतना योग्य है कि उस पर जालसाजी के ग्यारह मुकदमे बन चुके हैं, किंतु हर बार उसे बाइज्जत बरी किया गया है.

पिछले दिनों हमें सैकड़ों तार और पत्र प्राप्त हुए. जिनमें कहा गया कि यदि राजनीतिक बंदी रिहा नहीं किये गये तो चुनाव फ्रॉड समझे जायेंगे. हमने दरियादिली दिखलाते हुए ऐसे कैदियों को रिहा करने का हुक्म दे दिया. छोटी रानी और निष्फलदास के वारंट भी वापस के लिये.

पार्टी की उपलब्धि

पार्टी के चुनाव फंड में नजराना देने के लिए कई दौलत-मंद लोग हाजिर हुए- फैक्ट्रियों, फिल्म कंपनियों और सिनेमाघरों के मालिक, उन्हें हमारी पार्टी के सोशलिस्ट सिद्धांत पसंद थे, इसलिए हमने उनकी तोंद का बुरा नहीं माना. एक आठवीं पास और लखपति अभिनेत्री भी आयी और पार्टी की सदस्या बन गयी. वह बला की नाजुक थी, किंतु उसने एक फिल्म में किसान कन्या का पार्ट किया था. सट्टेबाज, जुआरी, तस्कर, हलवाई, यूनियन के लीडर और धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तो आये ही, डाकुओं का एक सरदार भी आया. उसने थैली भेंट करते हुए कहा- ''आपकी पार्टी का कार्यक्रम पढ़कर मैंने डाकेजनी छोड़ दी है.'' डाके का धन सोशलिज्म के काम आ रहा था, यह हमारी पार्टी की पहली जीत थी.

किसान-मजदूरों की पार्टी के अध्यक्ष की हैसियत से हमने शाही लिबास उतार दिया और साधारण कपड़े पहन लिये. फटकारचंद ने हमारे लिए एक भाषण तैयार किया, जिसमें दो बार लोकतंत्र, तीन बार समानाधिकार और चार बार जन साधारण शब्द आते थे. हमारी पार्टी के झंडे पर शेर और बकरी की तस्वीर थी, जो एक घाट पर पानी पी रहे थे. किंतु चिंताजनक स्थिति यह हुई कि हमारी पार्टी के जन्म के बाद अनेक लांकतंत्री दल पैदा हो गये. भूकमदास, गीदड़ जंग आदि सभी ने पार्टियां बना लीं. निष्फलदास और छोटी रानी ने अपनी पार्टी का नाम 'जय-जय जनता पार्टी' रखा.

चुनार का बुखार

ज्यों-ज्यों चुनाव पास आ रहा है, सारे मुल्क में शादियों की-सी तैयारियां हो रही हैं. छोटा बच्चा मां के स्तनों से दूध पीते हुए पूछता है- ''मम्मी किसको वोट दोगी?'' सारी रिआया को वोट के अधिकार ने पागल कर दिया है. हमारी पार्टी का इश्तहार औरों से बड़ा और रंगीन है. हमने एक पोस्टर को देखकर पार्टी के सेक्रेटरी से पूछा- ''शेर को हमारा चेहरा क्यों लगा दिया गया है?'' उसने कहा, ''हजूर आप शेर हैं और जनता बकरी.'' हम मुस्कराये, ''अगर शेर झपटकर बकरी को खा गया तो?'' जवाब मिला, ''कोई हर्ज नहीं, दूसरी बकरी आ जायेगी.''

जब हम यह डायरी लिख रहे हैं, दूत ने आकर सूचना दी है कि आज दिन भर में 122 चुनाव सभाएं हुईं, 95 सभाओं में भारी दंगे-फसाद हुए, 600 वोटर घायल हुए, 15 कार्यकर्ता मारे गये. दूकानें लूट ली गयीं, किंतु किसी उम्मीदवार की उंगली तक जख्मी नहीं हुई. पार्टी सेक्रेटरी ने हमें फोन पर बतलाया है कि चुनाव में कत्ल बगैरह मामूली बात है. शहीदों के लहू से ही लोकतंत्र परवान चढ़ेगा.

टिकटों के भूखे

राष्ट्रीय एसेंबली में एक सौ मैंबर की जगह थी, किंतु चार सौ बीस अर्जियां आयीं. हमने तय किया कि हमारी पार्टी का टिकट उसी को मिलेगा, जो पांच लाख रुपया देगा. बड़ी रानी ने टिकट मांगा तो हमने पांच लाख के लिए हाथ फैला दिया. मंझली रानी ने भी सौतिया डाह में टिकट चाहा था, किंतु खून-खराबे की खबरें सुनकर अर्जी वापस ले ली. सुनने में आया है कि 'जय-जय जनता पार्टी' ज्यादा लोकप्रिय होती जा रही है. हम आराम फरमा रहे थे कि छोटी रानी और निष्फलदास चुपचाप आये. उन्होंने हमसे कहा कि आप चुनाव में खड़े न हों. यह तय है कि हमारी पार्टी जीतेगी. किंतु हम आपको उसकी ओर से महामंत्री बना देंगे.

तभी फटकारचंद और दुत्कारचंद पुलिस का दस्ता लेकर आ पहुंचे और उन दोनों को गिरफ्तार करने लगे. हम गरजे, ''यह नहीं हो सकता!'' फटकारचंद हमसे भी गरजा, ''यह जरूर होगा!'' लेकिन इससे पहले कि कोई दुर्घटना होती, छोटी रानी और निष्फलदास ने एक लाल-लाल सा पाउडर निकालकर उनकी आंखों में झोंक दिया और पिस्तौल से ठांय-ठांय करते हुए बाहर निकल गये.

कशमकश

हमारे मुकाबले पर छोटी रानी उम्मीदवार बनकर चुनाव लड़ रही थीं, किंतु फटकारचंद ने वोटों की हेरा-फेरी का इंतजाम कर लिया था. हमें वोटों की खातिर कई नीच हरकतें करनी पड़ीं. हमने गुंडों, जेबकतरों, नालायकों, ढोंगियों, शराबियों, दलालों और लफंगों की खुशामद की कि आप हमें वोट दीजिए, हम आपके भले के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. चुनाव परिणाम निकले तो हम भारी बहुमत से जीत गये और छोटी रानी की जमानत जब्त हो गयी. फटकारचंद के सभी नुमांइदे हार गये. दुत्कारचंद ने आत्महत्या कर ली. निष्फलदास निर्विरोध जीत गया. यह बिना विरोध का लोकतंत्र हमारी समझ में नहीं आया.

फौज किसके साथ

हमने फौजों के कमांडर-इन-चीफ पर यह शक जाहिर किया कि तुम सत्ता उलटने पर तुले हुए हो! वह हमारे पांवों पर गिर पड़ा, ''हुजूर के आदरणीय पिता की भांजी मेरे महल की शोभा है. मैं तो सदा आपके प्रति वफादार रहूंगा.'' छोटी रानी और निष्फल ने फिर पेशकश की कि हम उनकी पार्टी की तरफ से महामंत्री का पद स्वीकार कर लें. हमने इंकार कर दिया और ताजपोशी का दरबार लगाया. फटकार चंद का दावा था कि चौदह निर्दलीय उम्मीदवारों के शामिल हो जाने से चौपटराज पार्टी का बहुमत हो गया है. अतः उसे हुकूमत बनाने दी जाये. आठ निर्दलीय मेंबरों का समर्थन जोड़कर छोटी रानी भी बहुमत का दावा कर रही थी और 'जय-जय जनता पार्टी' के मेंबरों की संख्या चौवन बतला रही थी. न्याय करने के लिए हमने कहा, ''निर्दलीय सदस्य हमारे कान में कह दें कि वे किसका समर्थन करते हैं?''

फिर क्या हुआ

और यहां चौपट राजा की डायरी खत्म होती है. लोकतंत्र का ताज पहनकर उसने डायरी लिखना बंद कर दिया. बाद की स्थितियां एक इतिहासकार ने लिखीं, जो इस प्रकार है- ''सिंहासन पर बैठकर यह इंकलाबी ऐलान किया गया कि राजा शब्द का प्रयोग करने वाले को फांसी दी जायेगी. जनता यह सुनकर पागल हो उठी. उसने सस्ती और जहरीली शराब पीकर जश्न मनाया, कई हजार व्यक्ति मर गये. एक प्रकाशक ने चौपट की पांच लाख तस्वीरें छापकर बेच डालीं. वह चौपट का ममेरा भाई था. राजा चौपटनाथ नागरिक चौपटनाथ कहलाने लगा. उसने जनता के लिए सड़कें बनवायीं, ताकि जनता आसानी से अपने प्रिय नेता के दर्शनार्थ पहुंच सके और चौपट की मोटर भी गांव-गांव तक जा सकें. वह झोंपड़ी में रहने लगा, जिसमें टेलिविजन आदि सब सुविधाएं थीं. महीने में एक बार वह हल चलाने का प्रदर्शन करता, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते. उसने ऐसा लोकतंत्री विधान बनाया कि एक कानून से सजा होती थी और दूसरे से मुजरिम बच निकलता था. उसने सारी व्यक्तिगत जायदाद शासन को दान में दे दी, जिसका वह सर्वेसर्वा था.

फिर चौपटनाथ का अंतिम समय आ पहुंचा और वह चल बसा. जनता के लोकतंत्र की मशाल उसके बेटे के हाथों में दे दी, और यह साबित कर दिया कि राजा का बेटा ही गद्दी का

उत्तराधिकारी होता है, चाहे वह राजा खुदमुख्तार हो या लोकतंत्र का अनुयायी.''

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जून 2016 / व्यंग्य / राजा राज करे / फिक्र तौंसवी
प्राची - जून 2016 / व्यंग्य / राजा राज करे / फिक्र तौंसवी
https://lh3.googleusercontent.com/-QU-2D1EwFYU/V3JKGcoBOYI/AAAAAAAAuno/4p4NN2duU50/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-QU-2D1EwFYU/V3JKGcoBOYI/AAAAAAAAuno/4p4NN2duU50/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_57.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/2016_57.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content