साहित्य समाचार 'रोशनी है मगर अंधेरा है' का भव्य लोकार्पण रायबरेलीः चर्चित कवि, संपादक, आलोचक रमाकांत के सद्यः प्रकाशित गजल ...
साहित्य समाचार
'रोशनी है मगर अंधेरा है' का भव्य लोकार्पण
रायबरेलीः चर्चित कवि, संपादक, आलोचक रमाकांत के सद्यः प्रकाशित गजल संग्रह 'रोशनी है मगर अंधेरा है' का भव्य लोकार्पण सदर तहसील के लेखपालसंघ सभागार में रविवार, मार्च 28, 2016 को संपन्न हुआ. कार्यक्रम का शुभारम्भ सुप्रसिद्ध शायर नाज प्रतापगढ़ी, प्रबुद्ध साहित्यकार रामनारायण रमण, वयोवृद्ध संत स्वामी गीतानंद एवं युवा साहित्यकार डॉ. अवनीश सिंह चौहान द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्पण से हुआ.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नाज प्रतापगढ़ी ने कृतिकार को उसके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं और कहा कि आम रविश से अलग और लीक से हटकर चिन्तन करना रमाकांत की पहचान है. यह बात मैं नहीं उनकी गजलें कहती हैं. मुख्य अतिथि डॉ अवनीश सिंह चौहान ने कहा कि अच्छे और सच्चे रचनाकार रमाकांत अपनी गजलों में न केवल जीवन के महत्वपूर्ण सवालों को बड़ी संजीदगी से उठाते हैं, बल्कि उनके प्रभावशाली एवं स्थायी हल भी खोजते हैं- 'प्रश्न होता नहीं सरल कोई, खोजिए तो मिलेगा हल कोई' इससे पता चलता है कि वह समकालीन समस्याओं को हल्के में नहीं लेते और न ही उनके निदान को असम्भव समझते हैं. शायद इसीलिये उनके दार्शनिक एवं समाजोपयोगी चिंतन का सहज शब्दों में अर्थपूर्ण रूपांतरण उनकी गजलों को विशिष्ट बनाता है. अति विशिष्ट अतिथि स्वामी गीतानंद ने वर्तमान में आये बदलावों को रेखांकित करतीं गजलों को महत्वपूर्ण मानते हुए कवि की साफगोई की मुक्त कंठ से सराहना की. विशिष्ट अतिथि रामनारायण रमण ने स्वाभिमानी और स्वतंत्रचेत्ता साहित्यकार रमाकांत को मानवतावादी विचारों का पोषक एवं जन-मन की बात कहने वाला कवि बताते हुए उन्हें अपना स्नेहाशीष प्रदान किया.
चर्चित गीतकार डॉ. विनय भदौरिया ने रमाकांत के गजल संग्रह का शीर्षक आध्यात्मिक चिंतन से लबरेज बताया. प्रिय शायर शमसुद्दीन अजहर ने रमाकांत जी को सशक्त गजलकार मानते हुए कहा कि उनकी गजलों का शिल्प और कथ्य समकालीन है. इप्टा के संतोष डे ने कहा कि रमाकांत अपनी गजलों में मकसद खोजते हैं और यह मकसद उन्हें अंदाज-ए-बयां का हुनर प्रदान करता है.
कृतिकार रमाकांत ने अपनी सृजनयात्रा के उद्देश्य को बड़ी सहजता से स्पष्ट करते हुए कहा कि मेरी गजलें आम आदमी के सरोकारों को व्यंजित करती हैं- 'जाना चारों धाम व्यर्थ है, है ही चारों धाम आदमी' और 'आदमीयत है तो आदमी है, आदमी से कहा आदमी ने' तदुपरांत उन्होंने अपनी दो गजलों का तरन्नुम में पाठ किया, जिसे सुन श्रोता भाव-विभोर हो गए.
इस अवसर पर राजाराम भारती, राम निवास पंथी, राजेश चंद्रा, प्रमोद प्रखर, राधेरमण त्रिपाठी, रामबाबू रस्तोगी, राजेन्द्र यादव, दुर्गाशंकर वर्मा, राममिलन, हरिकेश, शैलेश, राघवेन्द्र, अरविंद द्विवेदी, विनोद सिंह, राम सिंह, कामिल नजर, राम सेवक सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षक, प्रबुद्धजन आदि उपस्थित रहे. मंच का सफल संचालन चर्चित साहित्यकार जय चक्रवर्ती ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रमोद प्रखर ने किया.
प्रस्तुति डॉ. अवनीश सिंह चौहान, रायबरेली
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अशोक अंजुम की पुस्तक 'कहां हो तुम?' का भव्य लोकार्पण
अलीगढ़ः गत् दिवस चर्चित कवि अशोक 'अंजुम' के नवीनतम गीत संग्रह 'कहां हो तुम' का लोकार्पण समारोह संत फिदेलिस स्कूल जूनियर विंग के सभागार में सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्री संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त, श्री विवेक बंसल, फादर जार्ज पॉल, डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ, डॉ. प्रेम कुमार, डॉ. महेन्द्र कुमार मिश्र के द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ.
तत्पश्चात् श्री अशोक अंजुम द्वारा रचित व कम्पोज किया हुआ भजन 'ऐ प्रभू, ऐ प्रभू...हर तरफ तू ही तू' का संत फिदेलिस स्कूल के संगीत शिक्षक श्री जितेन्द्र कुमार ने गायन किया. इसके बाद डॉ.महेन्द्र कमार मिश्र, डॉ. वेदप्रकाश अमिताभ, डॉ. प्रेमकुमार, फादर जार्ज पॉल, श्री विवेक बंसल, श्री संतोष कुमार शर्मा के कर कमलों द्वारा पुस्तक का लोकार्पण किया गया. तत्पश्चात् श्री अशोक अंजुम ने पुस्तक के बारे में बताते हुए पुस्तक से अपने कुछ गीतों का सस्वर पाठ किया. उनके सभी गीतों को श्रोताओं की भरपूर सराहना मिली. शीर्षक गीत-
हो रहा है मन बहुत व्याकुल, कहां हो तुम?
जी नहीं लगता कहीं बिलकुल, कहां हो तुम?
सांझ के तन पर धुंधलके छा गए हैं
लौटकर पंछी सभी घर आ गए हैं
चांदनी में दर्द जाते घुल, कहां हो तुम?
उपस्थित विद्वानों ने श्री अशोक अंजुम की रचनाधर्मिता की प्रशंसा करते हुए अपने विचार व्यक्त किए. डॉ. महेन्द्र कुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में श्री अशोक अंजुम को श्रमशील व प्रयोगधर्मी रचनाकार कहा. डॉ. राजेश कुमार ने पुस्तक के गीतों के बारे में कहा कि ये बहुत सारगर्भित गीत हैं. इनमें अतीत का गौरवगान है, भविष्य का स्वप्न है और वर्तमान की त्रासदी भी है. डॉ. प्रेमकुमार ने कहा कि वर्तमान समय खतरनाक है, मौकापरस्त लोगों का बोलबाला है. ऐसे मौसम में कवि अशोक अंजुम जीवन-मूल्यों के लिए सतर्क रचनाकार का नाम है. नगर आयुक्त श्री संतोष कुमार शर्मा ने बताया कि निश्चित रूप से अशोक अंजुम समर्थ गीतकार हैं. गजलकार श्री सुरेश कुमार ने कहा कि अशोक अंजुम ने साहित्य की बहुत सारी रचनाओं में सृजन किया है. वे जब गीत लिखते हैं तो पूरी तरह गीतकार लगते हैं, दोहा रचते समय पूर्णतया दोहाकार हो जाते हैं, और गजल लेखन के समय गजलकार. श्री विवेक बंसल ने कहा कि अशोक अंजुम की कविताएं ताजा हवा के झोंके की तरह से होती हैं. टी.आर. डिग्री कॉलेज की प्रवक्ता डॉ. मंजू शर्मा ने भी अशोक अंजुम की रचनाधर्मिता की प्रशंसा की. प्रसिद्द शिक्षाविद फादर जॉर्ज पॉल ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संत फिदेलिस के हर कार्यक्रम में अशोक अंजुम की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, यह बहुत प्रतिभावान व्यक्ति हैं.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वेद प्रकाश अमिताभ ने अशोक अंजुम को जुझारू चेतना का संवाहक कवि बताया और कहा कि चाहे गंभीर साहित्य हो अथवा लोकप्रिय मंचीय रचनाधर्मिता, अशोक अंजुम दोनों ही क्षेत्रों में हमेशा अपनी विशिष्ट पहचान बनाये हुए हैं.
कार्यक्रम का सरस संचाालन डॉ. पूनम शर्मा द्वारा किया गया. कार्यक्रम में फादर प्रवीन, फादर लॉरेंस, श्री विद्यार्णव शर्मा, प्रसिद्ध नृत्यांगना श्रीमती पूनम सारस्वत, कवि श्री हरीश बेताब, आर्यावर्त बैंक के प्रबन्धक श्री राजेश सक्सेना, कथाकार श्री योगेन्द्र शर्मा, डॉ. प्रभात दास गुप्ता, श्रीमती भारती शर्मा, श्रीमती संतोष शर्मा, श्री रोनित राज, श्री अजय चौहान, सुश्री अंजना सेठ, श्रीमती रीटा सिंह, श्रीमती वंदना शर्मा, श्रीमती मंजू गुप्ता, डॉ. शरद तिवारी, डॉ. एन.पी.एस राना, श्री राजेश कुमार, श्रीमती सुल्ताना, श्रीमती अजी टॉम, श्री टॉम के मेथ्यू, श्री हरीश भाटिया, श्री मैथ्यू चाको, श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव, श्री आशीष श्रीवास्तव, उमंग भास्कर, श्रीमती पूनम चांदला, श्रीमती अंजली सिंह, श्रीमती रिचा, श्री रितेश बुड्डन, अमन शर्मा आदि शताधिक बुद्धिजीवियों की विशिष्ट उपस्थिति रही.
प्रस्तुतिः अशोक अंजुम, अलीगढ़
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मोइउद्दीन अतहर को श्रद्धांजलि
जबलपुरः पिछले दिनों जबलपुर के लघुकथा लेखन के सशक्त हस्ताक्षर मुइनुद्दीन अतहर का दुःखद निधन हो गया. दिवंगत आत्मा को श्रद्धाजंलि देने के लिए कई संस्थाओं ने शोकसभायें आयोजित कीं. पाथेय, गुंजन कला सदन, वर्तिका, म.प्र. लेखिका संघ, जागरण साहित्य समिति आदि अनेकांत संस्थाओं द्वारा जनाब मोइउद्दीन अतहर को श्रद्धांजलि दी गई. वक्ताओं ने कहा ''अतहर जी ने अपने सृजन से हिंदी उर्दू का मान बढ़ाया. वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने सर्व धर्म का सम्मान किया. समारोह में डॉ. राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' ओंकार श्रीवास्तव, राजेश पाठक प्रवीण, प्रतुल श्रीवास्तव, विजय तिवारी किसलय, राजीव गुप्ता, यूनुस अदीब, अर्चना मलैया, छाया त्रिवेदी, राजकुमारी नायक, प्रभा विश्वकर्मा ने श्रद्धांजलि अर्पित की. प्राची परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि.
प्रस्तुतिः डॉ. भावना शुक्ल
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डॉ. सुमित्र को बुंदेल भूषण अलंकरण
जबलपुरः गुंजन कला सदन के तत्वाधान में बुन्देली मर्मज्ञ प्रख्यात साहित्यकार शिक्षाविद डॉ पूरनचंद श्रीवास्तव की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित बुंदेली गोष्ठी की तृतीय श्रृंखला के अंतर्गत वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. राजकुमार सुमित्र को उनकी बुन्देली सेवाओं के परिप्रेक्ष्य में बुंदेलखंड का प्रसिद्ध बुंदेलभूषण अलंकरण का सम्मान पगड़ी बांधकर प्रदान किया गया. इस अवसर पर डॉ. सुमित्र ने कहा- ''बुन्देलखंड की माटी में स्नेह, प्रेम, रीति-रिवाज रचे बसे हैं. परम्पराओं के निर्वहन व संस्कृति के संरक्षण में बुन्देली संस्कृति का विशिष्ट योगदान है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संदीप सपन ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भजनलाल महोबिया रहे. विशिष्ट अतिथि आचार्य भगवत दुबे, कांति रावत मिश्रा, मनोरमा तिवारी, ओंकार श्रीवास्तव, कामता सागर उपस्थित रहे. अतिथियों का स्वागत सलमा जमाल और प्रभा विश्वकर्मा ने किया. कार्यक्रम के दूसरे चरण में बुन्देली काव्य गोष्ठी भी हुई जिसमे सुनीता मिश्रा, कृष्णा राजपूत, सुभाष शलभ, संध्या शुक्ला, रजनी श्रीवास्तव, कुशा दुबे, के.पी. पांडे, सुशील श्रीवास्तव ने काव्यरस की वर्षा की.
कार्यक्रम का कुशल संचालन राजेश पाठक 'प्रवीण' व प्रभा विश्वकर्मा ने किया. आयोजन को सफल बनाने में प्रतुल श्रीवास्तव, गुप्तेश्वर द्वारिका गुप्त, अभय तिवारी, विजय तिवारी 'किसलय', अर्चना मलैया, छाया त्रिवेदी, गीता 'गीत', अर्चना गोस्वामी व राजीव गुप्ता का सहयोग रहा.
डॉ. भावना शुक्ल, (सह संपादक-प्राची)
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वरिष्ठ नागरिक संरक्षण संस्थान की पत्रिका 'आधारशिला' का विमोचन
मीरजापुरः 20 मार्च 2016 को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण संस्थान, मीरजापुर की वार्षिक पत्रिका, ''आधारशिला'' का विमोचन प्रो. पंजाब सिंह, कुलाधिपति, लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी द्वारा महन्थ शिवाला, मीरजापुर स्थित वरिष्ठ, नागरिक कल्याण केंद्र, अमृत सभागार में किया गया.
इस अवसर पर प्रो. पंजाब सिंह ने कहा कि आज जीवन से कोई संतुष्ट नहीं है. जहां शांति है वहीं सुख है. अरबपति भी आज अशांत है तो वहीं एक गरीब व्यक्ति भी शांति से रहता है. आज के व्यस्त जीवन में अमेरिका में रह रहे पुत्र द्वारा शाम तक 20 लाख रुपये की व्यवस्था तो की जा सकती है, पर वह अपने माता-पिता को समय नहीं दे सकता. उसके पास 2 घंटे का समय भी देने के लिए नहीं है. दुनिया की आधी दवा अमेरिका खाता है. उसके यहां दवा खा-खा कर वृद्धों की संख्या बहुत है. सभी दुखी हैं पर मर नहीं रहे हैं. इसलिए जीवन में शांति चाहिए. बरकछा में एक बूंद पानी नहीं था. वहां प्रयास से बी.एच.यू. के साउथ कैम्पस की स्थापना हुई, जो कि वाराणसी के बी.एच.यू. से दुगने क्षेत्रफल में है.
वरिष्ठ साहित्यकार बृजदेव पांडेय ने कहा कि मीरजापुर ऋषियों की, बौद्धिकों की धरती रही है. यहां भारतेन्दु हरिशचंद्र, निराला, प्रेमचंद आदि आते थे. इस अवसर पर चन्द्रभूषण पांडेय, बाबू राजकुमार सिंह, सिद्धनाथ सिंह ने भी सभा को संबोधित किया. अंत में मोहन लाल आर्य ने सबकी ओर से आभार व
धन्यवाद ज्ञापित किया. सभा का संचालन राम गोपाल गोयल ने किया.
इस अवसर पर प्रभुनारायण श्रीवास्तव, राजेश्वर लाल श्रीवास्तव, लालव्रत सिंह, सुगम, केदारनाथ 'सविता,' विभूति प्रसाद यादव, सीताराम मेहरोत्रा, राजमोहन सेठ, ओम प्रकाश, उमेशचंद्र मालवीय, मुहिब मिर्जापुरी, किशन बुधिया, कमल प्रसाद अग्रवाल, संगम लाल जायसवाल आदि उपस्थिति थे.
प्रस्तुतिः केदारनाथ सविता, मीरजापुर
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मीरजापुर की कवयित्री डॉ. अनुराधा 'ओस' सम्मानित
मीरजापुरः 8 मार्च को 2016 को मीरजापुर की कवयित्री डॉ. अनुराधा चंदेल 'ओस' को इलाहाबाद विश्वविद्यालय कैंम्पस के निराला आर्ट गैलरी में 'सुभद्रा कुमारी चौहान' सम्मान प्रदान किया गया.
इस अवसर पर गुफ्तगू परिवार की ओर से उनको सम्मान पत्र, शील्ड व शॉल प्रदान किया गया. गुफ्तगू पत्रिका के महिला विशेषांक का विमोचन श्रीमती अभिलाषा गुप्ता, मेयर ने किया.
इस अवसर पर गुफ्तगू त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक मंडल के सदस्यों के अतिरिक्त लखनऊ साहित्य अकादमी के सुधारक अदीप, अमृत प्रभात के पूर्व समाचार सम्पादक मुनेश्वर मिश्र, इम्तियाज अहमद गाजी, लाल बहादुर वर्मा, यश मालवीय, केदारनाथ 'सविता' और भोलानाथ कुशवाहा आदि उपस्थित थे.
इस अवसर पर देश भर की रचनाकारों में से कुल ग्यारह महिलाओं को सम्मानित किया गया- चित्रा देसाई (मुम्बई), अर्चना पांडेय (मुम्बई), तलत परवीन (पटना), निवेदिता श्रीवास्तव (टाटा नगर), सुधा आदेश (लखनऊ), तारा गुप्ता (गाजियाबाद), तनु श्रीवास्तव (गोंडा), स्नेहा पांडेय (बस्ती), शबीहा खातून (बस्ती), रुचि श्रीवास्तव (इलाहाबाद) और डॉ. अनुराधा चंदेल 'ओस' (मीरजापुर).
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी कवयित्रियों का काव्य-पाठ भी हुआ.
प्रस्तुतिः केदारनाथ सविता, मीरजापुर (उ.प्र.)
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सुश्री सुषमा गाजीपुर को विद्या वाचस्पति सम्मानोपाधि
मध्यप्रदेशः मध्यप्रदेश, भोपाल की प्रमुख साहित्यिक पत्रिका 'अक्षर-शिल्पी' की संपादिका एवम् वरिष्ठ लेखिका सुश्री सुषमा गजापुरे को उनकी सुदीर्घ हिंदी सेवा, सारस्वत साधना, कला क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां, शिक्षा क्षेत्र में विशेष कार्य-सेवा, एवं उनके महनीय शोधकार्य हेतु राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर से विद्या वाचस्पति (पी.एच.डी.) की उपाधि से विभूषित-अलंकृत किया है. गौर तलब है कि सुश्री सुषमा गजापुरे गंभीर साहित्यकारा और एक सु-ख्यात चित्रकार हैं. सुषमा संस्कार निकेतन विद्यालय भोपाल की प्राचार्य हैं और सामाजिक सरोकारों की विधुषी चिंतक हैं.
प्रस्तुतिः उपदेश कुमार चतुर्वेदी
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गोइन्का पुरस्कार एवं सम्मान समारोह सम्पन्न
बेगलूरुः दक्षिण भारत के जाने-माने पत्रकार एवं 'दक्षिण भारत राष्ट्रमत समूह' के प्रमुख संपादक श्रीयुत् श्रीकांत पाराशर जी की अध्यक्षता में उडुपि की सुप्रसिद्ध साहित्यकारा डॉ. माधवी भंडारी जी को कमला गोइन्का फाउण्डेशन द्वारा घोषित इकतीस हजार राशि का 'पिताश्री गोपीराम गोइन्का हिन्दी कन्नड़ अनुवाद पुरस्कार' से उनकी अनुसजित कति 'खुदी को किया बुलंद' के लिए पुरस्कत किया गया. साथ ही इकतीस हजार राशि का 'बाबूलाल गोइन्का हिन्दी साहित्य पुरस्कार' इस वर्ष हैदराबाद के श्री विजय कुमार सम्पत्ति जी को उनकी मूल हिन्दी कति 'एक थी माया' के लिए पुरस्कत किया गया.
इस समारोह के मुख्य अतिथि 'भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संस्थान' के अध्यक्ष डॉ. किरण कुमार जी थे.
संग-संग दक्षिण भारत की वरिष्ठ हिन्दी सेवी सुश्री शांताबाई जी 'गोइन्का हिन्दी साहित्य सम्मान' से सम्मानित किया गया. साहित्येतर क्षेत्र के लिए 'दक्षिण ध्वजधारी सम्मान' से कर्नाटक के सिरमौर प्रतिष्ठित नेत्र-विशेषज्ञ डॉ. नरपत सोलंकी जी को सम्मानित किया गया.
पुरस्कार समारोह रविवार दिनांक 10 अप्रैल को 'भारतीय विद्या भवन' बेंगलूरु में आयोजित था. इस अवसर कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने स्वागत भाषण एवं संस्था का संक्षिप्त परिचय दिया. समारोह का संचालन डॉ. आदित्य शुक्ल जी ने किया.
पुरस्कार समारोह के अंत में एक अखिल भारतीय महामूर्ख हास्य कवि-सम्मेलन का भी आयोजन किया गया. जिसमें कवि सम्राट श्री सुभाष काबरा जी के संग-संग महेश दुबे, श्री श्याम गोइन्का, श्री घनश्याम अग्रवाल तथा कवियित्री सुमिता केशवा ने अपनी कविताओं से बेंगलुरु के साहित्य-रसिकों को मंत्र-मुग्ध किया.
प्रस्तुतिः कमला कोइन्का फाउण्डेशन
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बुंदेल खंड की साहित्यिक परंपरा (संगोष्ठी)
झांसीः विगत दिवस बुंदेलखंड की धरती ने संस्कत और हिंदी साहित्य को समद्ध बनाया. महर्षि वाल्मीकि और गोस्वामी तुलसी दास से लेकर जगनिक और राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जैसे महान कवि बुंदेलंखड ने ही देश को दिए हैं. एक तरह से यह कहा जा सकता है कि अगर संस्कृत और हिंदी साहित्य में से बुंदेलखंड के कवियों और साहित्यकारों के योगदान को हटा दिया जाए, तो यह निःस्सार सा लगेगा. यह बातें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के सभागार में बुंदेलखंड में साहित्य परंपरा विषय पर आयोजित सेमिनार में कही गईं.
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बुंदेलखंड के साहित्यकारों और कवियों को याद किया गया. इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष आचार्य विश्वनाथ तिवारी मौजूद रहे. इस दौरान बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे समेत अनेक वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए. इसके बाद पहला सत्र काव्य की परंपरा पर हुआ. इस सत्र में पूर्व मंत्री और कवि रवींद्र शुक्ल, रीवा विश्वविद्यालय के दिनेश कुशवाहा, लखनऊ विश्वविद्यालय के पवन अग्रवाल, सदानंद गुप्त ने विचार व्यक्त किए तथा मैत्रेयी पुष्पा, विवेक मिश्र (दिल्ली) त्रिभुवन नाथ शुक्ल (जबलपुर) लक्ष्मी पान्डे (सागर) आदि ने विचार सत्र में व्यक्त किये. साकेत सुमन चतुर्वेदी, ब्रजमोहन, दिनेश बैस, डॉ. भावना शुक्ल (दिल्ली), प्रदीप कुमार आदि ने इस संगोष्ठी में भाग लिया. संचालन सत्यवान शुक्ला ने किया. इस समारोह में मौजूद वक्ताओं ने वीरगाथा काल से लेकर आधुनिक काल तक के बुंदेली कवियों के बारे में चर्चा की. इसमें महर्षि वाल्मीकि, वेद व्यास, गोस्वामी तुलसीदास, जगनिक, केशवदास, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, विजय बहादुर सिंह, केदारनाथ अग्रवाल, भगवत रावत, ईसुरी, संतोष सिंह बुंदेला, रामकुमारी चौहान, सुभद्रा कुमारी चौहान, डॉ.वृंदावनलाल वर्मा व सियाराम शरण चतुर्वेदी समेत अनेक कवियों और साहित्यकारों के योगदान के बारे में बताया गया.
डॉ. भावना शुक्ल
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बाल साहित्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
अजमेरः विगत दिवस अजमेर में इंडियन सोसायटी ऑफ आथर्स (दिल्ली) तथा राट्रीय पुस्तक न्यास भारत द्वारा सूचना केन्द्र में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई. इसका उद्घाटन एन.बी.टी. की निदेशक डॉ. रीता चौधरी ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि म.द.स. विश्वविद्यालय, अजमेर के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी तथा विशिष्ट अतिथि महापौर धर्मेन्द्र गहलोत उपस्थित थे. इन्डियन सोसायटी के अध्यक्ष लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने स्वागत भाषण में कहा, "सेमिनार का प्रमुख उद्देश्य यही है कि सभी भाषाओं के लेखक मिलकर यह विचार करें कि ऐसा रुचिकर बालसाहित्य सजित हो, जिससे बच्चों में पढने की प्रवत्ति विकसित हो." कार्यक्रम का संयोजन अनिल वर्मा 'मीत' ने विविध सत्रों की जानकारी दी. डॉ. पूनम पांडे ने सुमधुर शारदे स्तुति प्रस्तुत की.
प्रथम सत्र में बालसाहित्य की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और भविष्य पर चर्चा हुई. इस सत्र की अध्यक्षता उड़िया भाषा की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मनोरमा विस्वाल महापात्र, विशिष्ट वक्ता अशोक मैत्रेयी रहे.
डॉ. भावना शुक्ल, उषा महाजन, डॉ. चेतना उपाध्याय, तेलंगाना की पुली जमुना व रायपुर के ईजी. अमरनाथ त्यागी ने अपने प्रपत्रों का वाचन किया.
द्वितीय सत्र में भारतीय भाषाओं में बाल साहित्य विषय पर चर्चा हुई. अध्यक्षता कथाकार सुरेश उनियाल ने की तथा विशिष्ट वक्ता सुरेश चन्द्रा व एसवी कष्णा ने अपने विचार व्यक्त किये. डॉ. भीमपल्ली श्रीकांत, मोहम्मद ख्वाजा व डॉ. विद्या केशव चिटको ने हिन्दी, मराठी व तेलुगू भाषा में सारगर्भित आलेख पत्र पढ़े. संचालन डॉ. भावना शुक्ल ने किया.
ततीय सत्र में फिल्मों में बाल विमर्श पर चर्चा हुई. सत्र में डॉ. पूनम पांडे ने कई फिल्मों का जिक्र करते हुए फिल्मों में मनोभाव के गहरे प्रभाव को बताया. डॉ सुरेश उनियाल ने भी बाल फिल्म की कहानी का रोचक चित्रण किया. डॉ. प्रमिला भारती ने "चंदा मामा आ रे आवा", "धीरे से आजा री अंखियन में" जैसी मन को छू लेने वाली फिल्मी लोरियों को सस्वर गाकर सुनाया. डॉ. शकुंतला तिवारी ने भी "बच्चे मन के सच्चे" गीत के माध्यम से बाल मन को समझाया. सत्र के अध्यक्ष यूके के मानद प्रो. एन.एन. मूर्ति थे तथा संचालन शोभना मित्तल ने किया.
डॉ. भावना शुक्ल
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