व्यंग्य / मीटिंग का मतलब / अरविन्द कुमार खेड़े

SHARE:

दो-तीन दिन की छुट्टियां बीताकर देर रात को यह सोचकर लौटा था कि मैं तो सरकारी मुलाज़िम हूँ. कहीं हड्डी-तोड़ काम पर जाना तो है नहीं. सुबह देर तक...

दो-तीन दिन की छुट्टियां बीताकर देर रात को यह सोचकर लौटा था कि मैं तो सरकारी मुलाज़िम हूँ. कहीं हड्डी-तोड़ काम पर जाना तो है नहीं. सुबह देर तक सोना है और सफ़र की थकान मिटाना है.लेकिन अलसुबह ही फोन घनघना उठा. बॉस का फोन था. मेरी मॉर्निंग ख़राब होने के बाद भी मेरी गुड मॉर्निंग का जवाब दिए बिना वे उधर से कह रहे थे कि उन्हें ज़रूरी काम से बाहर जाना है. और आज की मीटिंग  मुझे लेना है.

एकाएक मैं चौंक उठा.जान हाज़िर है,कहने में क्या हर्ज है. यह सभी कहते भी आए है. माना कि यही परम्परा है. लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि दे ही दो. ऐसी स्थिति में हर सयाना आदमी इसी तरह सोचता है. यदि न सोचे तो लानत है उसके सयानेपन पर. यदि मैं भी ऐसा सोच रहा हूँ तो क्या गुनाह कर लिया ? मैं बड़ी मुश्किल से हाँ कह पाया था. क्योंकि मैं नया-नया रंगरूट था. इसलिए मेरे रूट की सारी लाइनें बंद पड़ी थी. इसलिए डर रहा था.अपने संक्षिप्त निर्देश के बाद ही उन्होंने तुरंत फ़ोन रख दिया था.यह बात बॉस भी जानते थे. इसलिए कि  कहीं मैं रोने-गाने न लग जाऊं ?अब मैं बड़ी उलझन में फंस गया था.मुझे  बिलकुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं मीटिंग कैसे ले सकूँगा ?अब तक मैंने बैठकें तो कई अटेंड की थी.लेकिन आज तक ली नहीं थी. क्योंकि  आज  तक मौका ही नहीं मिला.या यूं कह ले कि मौका ही नहीं दिया. मेरे लिए मुश्किल हो गई.अब क्या होगा ?मेरे हाथ-पांव फूलने लगे थे.सोचा, बॉस को साफ़-साफ़ बता दूँ कि मैंने अभी तक मीटिंग नहीं ली है,इसलिए मुझे मुश्किल होगी.लेकिन कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

पता नहीं, बॉस को कुछ महसूस हुआ होगा.मेरी परेशानी को भांपते हुए थोड़ी देर बाद ही उन्होंने मुझसे पूछा था कि कोई परेशानी है क्या ?कोई दिक्कत है ?मैंने यह सोचकर कि अब मैदान में बिना अस्त्र-शस्त्र के उतार ही दिया है,जो भी होगा देखा जायेगा,अपनी परेशानी बता दी.बॉस नाराज होकर भी नाराज नहीं हुए. जो बॉस नाराज न हो, वो बॉस ही कैसा ? काहे का बॉस ? बॉस की मज़बूरी थी. एन वक्त पर किसे कहा जाए ? कही नाराज  होने से यह जो घोडा-गधा बिचक गया...बिदक गया तो...किसे  इतनी आसानी बेवकूफ़ बना कर बिठा कर जाऊंगा. नाराज न होने का उपक्रम करते हुए थोडा दुलारनुमा नाराज होते हुए बोले,’’अरे, कैसे अधिकारी हो ? ऐसे ही अधिकारी बने फिरते हो ?” फ़िर संयत होकर कुछ पल रुककर बोले,’’ यदि पांच मिनिट में मेरे पास आ सकते हो तो आ जाओ.मीटिंग लेने के मैं कुछ बेसिक फंडे बता दूंगा.तुम्हें भविष्य में मीटिंग लेने में कभी कोई दिक्कत नहीं होगी.”

यह तो छप्पर फाड़कर मिलने वाली कहावत चरितार्थ हो गई.खुदा, ख़ुद पूछ रहा है बन्दे से, बोल तेरी रजा  क्या है ? ‘ मत चूके चौहान’ की तरह की तरह लपका भागा . अगले पांच मिनिट में बंदा बॉस के दरबार में हाज़िर.अंदाज यूँ कि...भर दे झोली मेरी या मुहम्मद....

चूँकि बॉस को तुरंत निकलना था.इसलिए बिना किसी औपचारिकता और भूमिका के कहने लगे,’आईएएस अधिकारियों को देखो. सरकार उन्हें कितनी सुविधाएं दे रही है. आलीशान दफ़्तर,आलीशान बंगले.दफ़्तर के  लिए चमचमाती गाड़ी,और बंगले के लिए चमचमाती अलग गाड़ी.दफ़्तर के लिए अलग दफ़्तरी,अर्दली,और बंगले के लिए अलग.सुख़-सुविधाओं में पगलाए हुए.ये इतना सब कुछ भोग भी नहीं पाते हैं, कि सरकार  उनकी सुख-सुविधाओं में और इजाफ़ा कर देती है. वे अपना सर पीट लेते हैं कि ये लो...पहले ही इतना कुछ भोगा नहीं जा रहा है ,सरकार ने और सुख़-सुविधाएं लाद दी.परेशानी यह कि अब इनका क्या करें  ? इतनी सुविधाएं भोगने से फुर्सत मिले तो सरकार पर ध्यान दें.जनता पर ध्यान दें ? देखो, फिर भी जब चाहे वे किसी भी विभाग की, जैसा चाहे वैसी पुंगी बजा देते है. जानते हो कैसे ?

यहाँ तो मेरी पुंगी बज रही थी. इसलिए दूसरे की पुंगी पर ध्यान नैतिक रूप से मुझे अनुचित लगा.  मेरी गर्दन स्वतः ही नकारात्मक रूप से हिल गई.

अब वे किसी कुशल प्रशासक की तरह बता रहे थे.......

हर विभाग में पचासों तरह की गतिविधियाँ चलती है. चाहे उपलब्धि के बेहद क़रीब हो,चाहे उपलब्धियां शत-प्रतिशत पूर्ण कर ली गई हो,तब भी आप चिंता व्यक्त करे.और कहे कि थोड़े प्रयासों की और गुंजाईश है.वेल...थोडा और ध्यान देना होगा.

कोई कितना भी अच्छा प्रस्तुत क्यों न कर रहा हो,आप केवल ठीक है..कहते हुए आगे बढ़ते जाएँ.आप उधर बिलकुल न ध्यान दें.आप उसके नेगेटिव पॉइंटस की ओर ध्यान दें. उधर ही सोचें.भले ही आपको नेगेटिव पॉइंट की रत्तीभर भी गुंजाईश  न दिखे,लेकिन आपको  किसी तरह से नेगेटिव पॉइंट्स ढूढ़ने होगे.चाहे वे दो कौड़ी का मूल्य क्यों न रखे ?आप उनको लेकर ऐसे गरजे-बरसे कि असमान टूट पड़े. ध्यान रहे..जो जितना नेगेटिव पॉइंट ढूढता है, उतना सफल नौकरशाह  माना जाता है.

आप  सोच रहे होंगे,कि इससे तो उनको दिक्कत होगी.वे कहेंगे,जरा इनसे  मिलो.पोजिटिव पॉइंट्स की ओर इनका ध्यान ही नहीं. ताक पर रख दिए.और जिन पॉइंट्स का कोई अर्थ नहीं, कोई मतलब नहीं ,उन्हें लेकर इतनी दंडपेल की जा रही है ?

ऐसा आपका सोचना है.बल्कि इसका जादुई इफेक्ट होगा.वे सोचेंगे कि देखो..बंदा बहुत डीप नॉलेज रखता है.हमनें कभी सोचा भी नहीं कि इनका भी कोई मूल्य होगा, महत्व होगा ? वे अपने को यहीं नाकाम मानेंगे और अफ़सोस जाहिर करते हुए आपकी गहरी पकड़ और पैठ  की दाद देंगे.

आपके सामने टॉप टू बॉटम आंकडे डिस्प्ले होंगे.आपको सिर्फ टॉप तक तक ही रहना है.बॉटम तक बिलकुल नहीं जाना है.भूलकर भी नहीं.आपको केवल बॉटम वालों को खड़े रखना है.सवाल टॉपवालों से पूछना है.और देखना है बॉटम वालों की ओर.आपको बोलना है बॉटम वालों को,

लेकिन सुनाना है टॉप वालों को.मतलब आपको येन-केन प्रकारेण टॉप वालों को ही घुड़काना है .टॉप वालों को ही हडकाना है.

आप सोच रहे होंगे, इससे तो फ़िर दिक्कत खड़ी हो जाएगी.टॉप वाले सोचेंगे,इतना करने के बाद भी हम पर ही भौंका जा रहा है. और बॉटम वालो को जरा-सी भी दुत्कार-फटकार तक नहीं ?

ख़ुद ही प्रश्न किया, ख़ुद ही उत्तर देने लगे. बोले, ऐसा आपका सोचना है.ऐसा बिल्कुल नहीं होगा.क्यों कि वे भी जानते हैं कि जो प्रयास कर रहा है,उम्मीदें भी उसी से की जा सकती है. चूँकि उसे मालूम है कि उससे अपेक्षाएं हैं,इसलिए वह और बेहतर करने की कोशिश करेगा.और बॉटम वाले सोचेंगे कि जब इतना काम करने वालों का यह हाल है तो हमारा क्या होगा ?वे इस चिन्ता में डूब जायेंगे और  मन ही मन संकल्पित होकर कूद पड़ेंगे.

एजेंडे में जो बिंदु शामिल हैं, उन पर कम से कम बात की  जाए.उन पर कम से कम चर्चा की जाए.और ज्यादा समय उन बिन्दुओं पर चर्चा की जाए जो एजेंडे से बाहर की हैं.

आप सोच रहे होंगे,ये क्या बात हुई ? ऐसा इसलिए कि आपको एजेंडे कि एबीसीडी भी नहीं मालूम है.और वे पूरी तैयारी करके आए  हैं. सुनो, इससे क्या होगा ?इससे यह होगा कि जो आए हैं वे सिर्फ एजेंडे की तैयारी के गुणा-भाग के  हिसाब से आए हैं.एजेंडे के बाहर की चीज़ें उनके लिए कूड़ा-कर्कट है.और यही कचरा आपके लिए श्रेष्ठ साबित होगा. एजेंडे से बाहर जितना फ़ेंक सकते हो, फेंकों.क्योंकि वे यहीं अज्ञानी सिद्ध होंगे, असफल सिद्ध होंगे, और आपकी धमक-धाक जमेगी. क्योंकि यह तो रेत में से तेल निकालने का हुनर हुआ.

और अंत में आपने जिनको प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जमकर लताड़ा है,उनकी पहचान करनी होगी. यह आपको सूंघकर पहचानना होगा. उनको पुचकारना होगा. क्योंकि पुचकार ही हिंसक को पालतू  बनाती है.और जो पहले से ही पालतू है,वे निश्चित रूप से वफ़ादार होंगे ही. उनकी चिंता नहीं.

सुनकर मन प्रसन्न हुआ.मैंने उसी गर्दन को....जो केवल रेतने के, या केवल दबाने-घोटने के काम आती है, बच जाने की ख़ुशी में हिला-हिला कर कहा, ‘समझ गया सर. बस..थोडा और बता दीजिए सर कि, जब कोई जानकारी लेना चाहे,कोई प्रश्न पूछना चाहे, कोई जिज्ञासा व्यक्त करना चाहे और उसकी हमें कोई जानकारी न हो, तब क्या किया जाए ? क्या कहा जाए ?”

वे उत्साहित होकर बोले थे कि बस..यही वह अवसर है, जो आपको काबिल साबित करेगा.बस...यह समझ लीजिये कि आपको अपनी काबिलियत साबित करने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा. अव्वल तो आपको उस ओर धयान ही नहीं देना है.और देना भी पड़े तो, चौंककर इस अंदाज में देखना है कि पूछने वाला ख़ुद यह महसूस करे कि कहीं मैंने कोई बचकाना सवाल तो नहीं पूछ लिया है ? फ़िर आप पूछे कि और किसी को इसके अलावा कुछ पूछना तो नहीं है ? यकीन मानो, कोई बेवकूफ़ हो होगा, जो सार्वजनिक तौर पर अपने आप को बेवकूफ़ सिद्ध करेगा. ऐसे ख़ास मौक़ों-अवसरों के लिए अपनी पोटली में दो-चार ब्रम्हास्त्र रखा करें ऐसी स्थिति में आप कहे कि ,इस तरह की जानकारी या निर्देश, शासन से हमें प्राप्त नहीं हुए हैं.इन बिन्दुओं पर हमने भी शासन से मार्गदर्शन / निर्दश चाहे हैं.मैं लगातार हॉट लाइन पर हूँ.जैसे ही मिलेंगे, यथासमय शेयर किये जायेंगे. या कहो कि ये पालिसी मेटर है.सरकार तय करेगी.जब भी तय करे. वे थोडा-सा कन्फ्यूज हैं, आप उन्हें थोडा कन्फ्यूज और कर दें.

लेकिन सर....

वे कुछ बताते कि, अन्दर से बॉस की बॉस...यानी सुपर बॉस ने इशारा किया था.बॉस इशारा समझ गए थे. कहा,’ अच्छा, मैं समझता हूँ, अब तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.” विजयीभव के भाव से आशीर्वाद देते हुए मुझे मुक्त  करते हुए  मुझ जैसे अनाड़ी से मुक्ति पायी.

अब आप ही अंदाजा लगा लीजिये, मीटिंग कैसी रही होगी ?

पहले मैं मीटिंग के दो-तीन पहले से ही मीटिंग की  तैयारी करता था. जानकारियां संकलित करता, अपडेट होता,प्रजेंटेंशन बनवाता और फ़ोल्डर तैयार करता था.लेकिन जिस दिन से बॉस से दीक्षित हुआ हूँ,उस दिन से मैं मीटिंग का फ़ोल्डर, मीटिंग प्रारंभ होने के आधा घंटे पहले लेता हूँ.यह भी संभव न हो तो अब फ़ोल्डर की परवाह नहीं पालता. जिसने प्रजेन्ट किया है,वो फसेगा ही.और जिसने न किया, वह तो पहले से ही फसा है.बचाकर कहाँ जायेंगे ?

_व्यंग्यकार-अरविन्द कुमार खेड़े.

मो-०९९२६५२७६५४

------------------------------------------------------------------------

परिचय-

नाम- अरविन्द कुमार खेड़े (Arvind Kumar Khede)

वर्तमान पता- २०३ सरस्वती नगर, धार, जिला-धार, मध्य प्रदेश-४५४००१ (भारत)

मोबाइल नंबर-९९२६५२७६५४

ईमेल- arvind.khede@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य / मीटिंग का मतलब / अरविन्द कुमार खेड़े
व्यंग्य / मीटिंग का मतलब / अरविन्द कुमार खेड़े
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjx30WvldasruHPrf2xgUlpKsqw1pit_D6EpgLALHW65pPwkf0hKzBFUL14Ahv9l3exlOroadsHu0bnBeILEtmaTcAtB848xss_2KXmdg2IyO9KQEesw847ojMWzDCVG54Rk_oq/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjx30WvldasruHPrf2xgUlpKsqw1pit_D6EpgLALHW65pPwkf0hKzBFUL14Ahv9l3exlOroadsHu0bnBeILEtmaTcAtB848xss_2KXmdg2IyO9KQEesw847ojMWzDCVG54Rk_oq/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/06/blog-post_65.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/06/blog-post_65.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content