संजय दुबे के 2 लघु आलेख

SHARE:

चलो फिर जाग जाएं उस रात हम सभी भाई-बहन सो रहे थे। आधी रात के बाद अचानक मेरे सिर की तरफ से किसी के टक-टक करने की आवाज आई। मैं कुछ नींद और क...

image

चलो फिर जाग जाएं

उस रात हम सभी भाई-बहन सो रहे थे। आधी रात के बाद अचानक मेरे सिर की तरफ से किसी के टक-टक करने की आवाज आई। मैं कुछ नींद और कुछ जागी अवस्था में थी, इसलिए समझ नहीं पाई। आवाज कई बार आने पर मेरी नींद खुल गई। मैं एकदम से उठकर बैठ गई। देखा तो मां खड़ी थी।

मैं चौंकी, बोल पड़ी, यह क्या मां, तुम खड़ी क्यों हो, सोई क्यों नहीं, तबियत तो ठीक है ना? कुछ बात है क्या, बोलो-बोलो, क्या बात है?

मां चुप रही, बहुत जोर देने पर बोली, कुछ नहीं बेटा, बस यूं ही नींद नहीं आ रही थी, तो कमरे में टहलने लगी।

पर हुआ क्या? मैंने पूछा। मां बोली, कुछ नहीं बेटा। मैंने कहा, कुछ तो है, बताओ ना, मां, मैं रोने लगूंगी।

यह सुनकर मां बोली, बेटा तुझे बास्केटबाल का खिलाड़ी बनना है ना?

मैं बोली-हां मां। ठीक है, तू मेहनत कर, मैं तेरी पूरी मदद करूंगी, मां बोली।

लेकिन मां-तुम इतनी रात गए इस तरह क्यों पूछ रही हो, मैंने पूछा।

वह बोली, कुछ नहीं, मैं सोच रही थी कि वह दिन कब आएगा, जब मेरी रानी बेटी नेशनल गेम्स में हिस्सा लेगी और मैं टीवी के स्क्रीन पर उसे खेलते हुए देखूंगी।

बस इतनी सी बात है मां।

हां बेटी, वह बोली।

पर मां, अभी तुम सो जाओ, सुबह हम अपने कालेज के बास्केटबाल के कोच से बात करूंगी और उनसे कहूंगी वो मुझे कोचिंग दें। सच वो कोचिंग देंगे तो मैं तुम्हारे सपने सच कर सकूंगी, पर अभी तुम सो जाओ।

मां बोली, बेटा सपने सच करने के लिए सोना जरूरी नहीं है, सपने तो सोने में आते हैं, लेकिन पूरे करने के लिए जगना पड़ता है। क्यों न हम अभी से जागें। मां-मां, मैं बोल पड़ी, प्लीज सो जाओ।

मां ने कहा, नहीं बेटा, मैं नहीं सोऊंगी। तुम्हें भी उठना पड़ेगा। मेरे लिए, मेरे सपनों के लिए, अपने लिए और अपनी ख्वाहिशों के लिए। मां ने कहा, बेटा-तू बड़ी होनहार है। एक दिन तू अपनी मंजिल को जरूर पा लेगी, पर बेटी मंजिल के रास्ते थोड़े गड्ढेदार हैं, उन्हें पार करने के लिए अपने को मजबूत बनाना पड़ता है। क्यों न हम अपनी नींद से जागें और गड्ढों को पाट दें।

ये क्या कह रही हो मां, मैंने पूछा।

बेटा हम सब लोग सपने देखते हैं, सपने देखते हैं और फिर सपने देखते हैं। सपने देखते-देखते उम्र निकल जाती है, लेकिन सपना सच नहीं होता है। क्योंकि हम सिर्फ देखते हैं, उसको पाने की कोशिश नहीं करते हैं। क्यों न हम इसे बदल दें। यूं तो कई लोग बदलने की भी कोशिश करते हैं, लेकिन वे खुद को नहीं, कठिनाइयां देखकर सपने को ही बदल देते हैं।

मां की बातें अब रोचक लगने लगी थीं। मैंने कहा, हां मां तुम ठीक कहती हो।

वह बोलीं ये बातें तुमको हम दिन में भी बता सकते थे, लेकिन तुम दिन में सपने नहीं, कई दूसरी चीजें भी देखती रहती हो। इसलिए मैंने निर्णय लिया कि तुम्हें रात में बताऊंगी, सच रात में, जब तुम सो रही हो, सपने देख रही हो। यानि कि उस समय जब तुम जिंदगी को कुछ बनाने के लिए सपने देखती हो।

लेकिन मां, मैंने पूछा, तुम कैसे जानती हो कि मैं इस समय क्या सपना देख रही थी। हां मैं नहीं जानती कि तुम क्या सपना देख रही थी। लेकिन ये जानती हूं कि तुम कुछ न कुछ देख रही हो।

मां बोलीं, सपने तो रात में सोकर ही देखे जाते हैं, लेकिन उस पर अमल तो दिन में जागकर करते हैं। रात के अंधेरे में सपने आते हैं, लेकिन दिन के उजाले में वह हकीकत में बदलते हैं। मैं सिर्फ इतना बताना चाहती हूं कि तुम खूब सोओ, पूरी नींद लो, भरपूर सपने देखो, लेकिन जब तुम जागो तो सपना सिर्फ सपना न रहे वह अपना होना चाहिए। आज की रात तुम संकल्प लो कि कल तुम वह करोगी, जो तुम अभी चाहोगी। मेरी रानी बेटी, हमें सपने के लिए सोना पड़ता है लेकिन उसे पाने के लिए जागना भी पड़ता है। जब तुम सोओ तो हर पल, हर क्षण सपने देखो, लेकिन जब तुम जागो तो हर पल, हर क्षण उसे पाओ, पाओ और तब तक पाती रहो जब तक कि तुम उसे सच में न पा लो, यानि उसी में डूबी रहो। 

------------------------------------------------------
अजूबों से भरी दुनिया की सच्चाई है विविधता 

प्रकृति का खेल भी निराला है। रहस्यमयी दुनिया में सब कुछ बदलाव के दौर में है। अलग-अलग रूप, रंग, भाषा, संस्कृति, पहनावा, नदी, पहाड़, हवा, पानी आदि अजीबोगरीब इस दुनिया में सब कुछ अजूबा है।

इन दिनों दुनिया भर में व्यवस्था बदलने को लेकर एक अघोषित आंदोलन चल रहा है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। यह पहले भी होता रहा है और आगे भी होता रहेगा। बस उसका रूप, रंग, व्यवहार और प्रकृति बदलता रहेगा। सृष्टि अपने आरंभ से ही सापेक्षिक रही है। कुछ भी एकांगी या इकहरा नहीं हो सकता है।

अगर दिन है तो रात भी है, धूप है तो छांव भी है, पहाड़ है तो खाई भी है, नदी है तो स्थल भी है, समंदर है तो रेगिस्तान भी है, हवा है तो पानी भी है, सूखा है तो गीला भी है; अच्छा है तो बुरा भी होगा, सुख है तो दुख भी है, समस्या है तो समाधान भी है; भाषा है तो लिखावट भी है, वाचाल है तो मूक भी है, सुंदरता है तो कुरूपता भी है; पुरुष है तो महिला भी है, बच्चे हैं तो बूढ़े भी हैं, पशु हैं तो पक्षी भी हैं। कोई भी एक अकेले का अस्तित्व नहीं है। वैसे भी इकहरापन अपने आप में नीरस होता है।

दुनिया के सभी सुखों से आबाद लोग भी उस सुख से ऊब जाते हैं और ऐसी जगह और स्थिति की तलाश में रहते हैं, जहां वह सुख और उसका संसार न रहे। विविधता हमेशा अच्छी लगती है, आकर्षित करती है और भावनाओं को बढ़ावा देती है। एकरूपता टिकाऊ नहीं होती है। वह अपने आप में ही बोझिल लगती है। ऐसे में क्या इस बात की कल्पना की जा सकती है कि कभी दुनिया से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सकता है या सभी दुखों का निवारण हो सकता है। मुझे ऐसा नहीं लगता है।

वजह साफ है कि सदाचार है इसीलिए भष्टाचार भी है। वह दिन कैसा होगा जब सभी लोग ईमानदार होंगे। कहीं भी कुछ गलत नहीं होगा। तब कहीं लड़ाई-झगड़ा नहीं होगा। कोई विवाद नहीं होगा। तब न तो न्यायालय की जरूरत पड़ेगी और न ही सरकार और व्यवस्थापिका की।

व्यवस्थापिका तो कानून बनाने के लिए है, सरकार उसको लागू कराने के लिए और न्यायालय उसकी अवहेलना करने पर सजा देने के लिए है, पन्तु जब कहीं भ्रष्टाचार होगा ही नहीं तो कानून की अवहेलना की स्थिति ही कहां से आएगी। तब न्यायालय क्या करेंगे। जब यह स्थिति होगी तो सरकार को कानून पालन कराने की जरूरत ही क्यों पड़ेगी और जब उसकी जरूरत ही नहीं रहेगी तब व्यवस्थापिका को उसे बनाने में अपना समय नष्ट करने की आवश्यकता ही कहां रहेगी। इस व्यवस्था में तीनों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। जब ऐसा होगा तब क्या वह स्थिति सामाजिक रहेगी।


मेडिकल साइंस में बताया जाता है कि इंसान को कभी-कभी बीमार भी पड़ना चाहिए। इससे बॉडी के सभी दूषित चीजें बाहर हो जाती हैं। इसको बताकर हम गलत चीजों को बढ़ावा देने की मंशा नहीं रखते हैं। हम तो सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि दुनिया बहुरंगी, वैविध्यपूर्ण, तमाम सभ्यताओं, संस्कृतियों को अपने में समेटे हुए है। वही अच्छा है। एकरूपता नीरस लगती है। इस प्रवचन के बाद जो मौलिक सवाल है, वह यह है कि क्या इसको इसी रूप में चलते देते रहना चाहिए। यानी भ्रष्टाचार, दुख, संकट, परेशानी का हल नहीं खोजना चाहिए। बिल्कुल खोजना चाहिए, पर यह तथ्यतः सच है कि समस्या का निदान होगा तो नई समस्याएं भी जन्म लेती रहेंगी। इसका यही अजूबापन दुनिया की सच्चाई है।

संजय दुबे
इलाहाबाद।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: संजय दुबे के 2 लघु आलेख
संजय दुबे के 2 लघु आलेख
https://lh3.googleusercontent.com/-oLaSvoq9ihk/V7Riag5fzbI/AAAAAAAAvgE/G_8st3jb4Ls/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-oLaSvoq9ihk/V7Riag5fzbI/AAAAAAAAvgE/G_8st3jb4Ls/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/08/2_17.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/08/2_17.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content