दीपावली विशेष व्यंग्य - शापित प्रगतिशील -योगेश अग्रवाल

SHARE:

दीपावली विशेष - योगेश अग्रवाल , राजनांदगांव छ० ग० शापित  प्रगतिशील ... मैं हैरान था जबरदस्त। जड़वत निहार रहा था उन्हें। वे साक्षात् मेरे स...

image

दीपावली विशेष - योगेश अग्रवाल, राजनांदगांव छ० ग०

शापित  प्रगतिशील ...
मैं हैरान था जबरदस्त। जड़वत निहार रहा था उन्हें। वे साक्षात् मेरे सामने थी। वैसा ही आभा मंडल, तेज़ प्रकाश पुंज और ग्लैमर से लबरेज़ जैसा कि भारतीय कलेण्डरों में प्रिंट होता हैं। माँ लक्ष्मी थी मेरे सामने। दीपावली की रात, ठीक पूजा निपटते ही वे दन्न  से मेरे सामने थी और मैं भौचक्क था। वे मुझसे बहुत खुश थी। वे मुझसे वरदान मांगने कह रही थी। एक नहीं बल्कि तीन - तीन वरदान एक साथ। मैंने कहा भी उनसे - हे माता ! मैंने ऐसा क्या कर दिया है कि आप मुझसे इस कदर प्रसन्न हैं ? मैंने तो कोई तपस्या - वपस्या भी नहीं की है फिर भी आप... बीच में ही टोककर,कलेण्डरों वाली उसी रहस्यमयी मुस्कान के साथ, लगभग फुसफुसाते हुए मुझसे वे बोली - सोशल मीडिया में तुम्हारी देशभक्ति,समाजसेवा और रचनाशीलता के बयानों से मैं अति प्रसन्न हूँ।

फेसबुक, टुवीटर और ब्लॉग तीनों में बस तुम ही तुम हो, इसलिए तीन - तीन वरदान एक साथ। परन्तु मैं कन्फ्यूज़ था कि... पक्का था...पता नहीं। वरना घोर कलियुग में, कंदराओ - गुफाओ में बिना तप - तपस्या किये भी क्या कोई देवी या देवता ऐसे प्रकट हो जायेंगे ? पर कन्फ्यूज़ मैं कुछ ज्यादा था, यह सोंचकर कि जब ए ० सी ० में बैठकर, गद्दे और गोल - गोल तकियों में सफ़ेद कव्हर के साथ सफ़ेद चादर बिछाये ,केवल फोन पर बतियाते... आई मीन बिज़ीनेस ( दलाली ?) करने वालों के घर, इन पाईल्स और बदहजमी के शिकारों के घर, अरबों के सरकारी बैंक-लोन को डुबाने वालों के घर, ऐसे सरगनाओं को रातो-रात देश के बाहर भागने में सरकारी मदद पहुँचाने वालों के घर लक्ष्मी जब लबालब रहती हैं तो अपन जैसो के घर...आई मीन बुद्धिजीवी के घर क्यों नहीं ? वह कोई बहिरुपिया है कि वही पेंटिंग या कलेण्डरों वाली माता ही है का बहस मैं उनसे आरम्भ करता कि उससे पहले ही वे मेरे भीतर चल रहे विचारों को पढ़कर, मुझे सुनाई और ये समझायी कि ये कलियुग है, यहाँ हंस चुगेगा दाना - दुनका,कव्वा मोती खायेगा... यह सटीक तर्क सुनकर मेरा भ्रम दूर हो गया।

अब मैं कन्फर्म था कि वे सचमुच देवी ही हैं। वही देवी ! मेरी आँखें चमकी और सेकण्ड के अरबवें पल में मेरा चतुर-दिमाग सक्रिय हो गया। ठीक वैसे ही सक्रिय जैसे राज्य पुरुस्कार के बाद पद्म पुरूस्कार को हथियाने के लिए अपनी प्रोफाइल तैयार करते हुए हुआ था। ठीक वैसे ही जैसे एक आयोग का मेम्बर बनने के लिए,पेट्रोल पम्प का लायसेंस पाने के किये, सामूहिक बलात्कार की शिकार उस बच्ची को न्याय दिलाने के बहाने उसके साथ सेल्फी लेते समय सक्रिय हुआ था...और बस तिकड़मी हो उठा मेरा दिमाग...फिर परिणाम सामने था।

मेरे केवल एक वरदान ने माता की खोपड़ी हिला दी। मुझे सुनकर माता सन्न थीं। तीन वरदानों की जगह मेरी केवल एक मांग को सुनकर मेरी तरह अब माता जड़ थीं। मैं जरूरत से ज्यादा चालाक बन चुका था,ठीक वैसे ही जैसे मैं अक्सर हो जाया करता हूँ... और हर बार की तरह इस बार भी परिणाम सामने था। माता को मेरे सामने पस्त देख सारा देवलोक दौड़ पड़ा मुझे मनाने। ठीक वैसे ही जैसे मेरा कोई टेण्डर या प्रोजेक्ट पास नहीं होने पर फिर मेरे द्वारा मीडिया से लेकर धरना प्रदर्शन करते हुए हड़कंप मचाने पर अधिकारी -कर्मचारी -जनप्रतिनिधिगण मुझे सेट करने दौड़ पड़ते हैं।

देवताओं के कायर-किंग इन्द्र सहित मंथन में निकले कलश के पूरे अमृत को हथियाने के लिए सुरा-सुंदरी का रूप धरने वाले और वामन के वेश में बलि को ठगने वाला दिमाग रखने वाले विष्णु जी भी खड़े थे हाँथ जोड़े मेरे सामने। वे मुझसे गिड़गिड़ा रहे थे -- इंद्रासन ले लो या मोदी जी का सिंहासन ले लो। अमेरिकी प्रशासन ले लो या फिर 'सुदर्शन' ही  ले लो। कहीं का राष्ट्रपति बना दें या ठाकरे श्री का उत्तराधिकार बना दें। कहो तो 'ए.बी.सी.' तुम्हारे नाम करा दें। हे युग पुरुष! माता लक्ष्मी को इस धर्म संकट से मुक्त करो और अपने इस 'एक वरदान' को छोड़कर कोई भी दूसरा वरदान माँग लो प्लीज़ !

घंटों से चल रहा था यही सीन। मुझे मनाने का सीन । पर मैं तटस्थ था अपनी ज़िद्द पर। मेरे एक ही वरदान ने चकरा दिया था धनदेवी को। देवी-देवताओं का 'संयुक्त मोर्चा' बन गया मुझे मोहपाश में जकड़ने के लिए। अंततः नारद की सलाह से ज्ञानदायिनी को पुकारा गया। पर कुंभकर्ण और मंथरा की मति को फेर देने वाली देवी भी सोच में पड़ गई मेरी ज़िद देखकर। भयानक राक्षसों की भी कंपकपी छुड़ा देने वाली देवी दुर्गा सहित दिमाग की देवी माता सरस्वती का दिमाग भी शून्य हो चुका था। सब जबरदस्त परेशान थे मेरी मांगपूर्ति के बाद के भयंकर परिणामों को सोच-सोचकर। वे सब सोच रहे थे--कितना चालाक है ये बालक ? माँगा भी तो क्या ? उल्लू ?? उल्लू का वरदान ??? तीन-तीन वरदान के बदले केवल एक वरदान 'लक्ष्मी' के दिशा निर्देशक 'उल्लू' का वरदान !!!

इस एक वरदान के मिलते ही सारे आसन इसे यों ही मिल जाएँगे। प्रशासनों की दिशा-दशा यही तय करेगा भविष्य में। कितना गंभीर रहस्य है इसकी माँग के पीछे ? बवंडर की गति से उठ रहे थे ये विचार देव मस्तिष्कों में। सभी जड़वत थे। पर मैं... अडिग था। समय अधिक होते देखकर कुछ पल के लिए सोचा मैंने- -कि किसी प्रजातांत्रिक देश का 'महान तांत्रिक' हो जाने का वरदान माँगू ! कि निरीह गायों का टनों चारा हजम करने वाले 'सांड' हो जाने का वरदान माँगू ! वरदान माँगू कि 'खजुराहो' हो जाऊँ मैं भी। भोरमदेव या फिर 'अजंता-एलोरा' हो जाऊँ मैं भी ताकि हर एंगल से लोग झाँके मुझे। ताकि सभ्यता-संस्कृति की ज़िंदा मिसाल कहलाऊँ मैं, ताकि शोध का विषय बन जाऊँ मैं...और जब लोग बिसरने लगे मुझे तो किसी 'अंतर्राष्ट्रीय पेंटर' की 'प्रगतिशील कृति' बन जाऊँ मैं ! या 'उस' फॉरेनर की तरह समुद्र के किनारे बिना कपड़ों के दौड़कर, फिर अजगर लपेटकर जूतों का विज्ञापन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार हो जाऊ मैं !या मोनालिसा की अबूझ मुस्कान बन जाऊँ मैं ? या तमिलियन दीदी सा भगवान् हो जाऊँ मैं ?

पर इन सबसे अलग-थलग मैंने देवी से माँगा था उनके प्रिय वाहन उल्लू को !!! एकाएक बिजली-सी तड़की मेरे दिमाग में और लगा कहीं मैं टँगिया अपनी ही डाली पर तो नहीं चला रहा हूँ ? 'देव उल्लू' को हैंडल करना क्या इतना आसान है ? उल्लू माँगने से अच्छा क्यों न अपने ही भीतर के 'उल्लू' को जगाऊँ मैं। वैसे भी विराने गुलिस्ताँ की ख़ातिर बस एक ही उल्लू काफी है।

अपने अस्तित्व की सुरक्षा के डर से हड़बड़ाकर मैंने देरी का बहाना बताकर तत्काल एक दूसरा वरदान माँग लिया-"हे माते ! मैं भीड़ से अलग हो जाऊँ!" और इसके पहले कि मैं दो वरदान और माँगता, पिछले कई घंटों से पस्त माता सहित समस्त देवलोक तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए, शायद ये सोचकर कि मैं पलट न जाऊँ अपनी जुबान से और उस तथास्तु का हश्र ये हुआ... कि हम लेखक हो गए। हम हो गए एक प्रगतिशील विचारक! इसलिए अब दलित साहित्य के नाम पर अपने भीतर का सारा दलित परोस देता हूँ, सरेआम !! इतना दलित कि अपने ही लिखे को अपनी बेटी को पढ़ाने से डरता हूँ। प्रगतिशील हो जाने के बाद सर्वाधिक अच्छी मुझे अब 'नंगी तस्वीरें' लगती हैं। कला-संस्कृति की जीवतंता 'निहारने' आए दिन बस्तर का दौरा किया करता हूँ।

वरदान पा लेने के बाद लगता है, सर्वाधिक प्रगतिशील मैं ही हूँ। सीधी सपाट सामाजिक आवश्यकताओं को नकारकर, ग़ैरज़रूरी तथ्यों को ज़बरदस्त ज़रूरी सिद्ध करने में बड़ा मज़ा आता है। हादसों पर बंद कमरे में कलम चलाने और कुत्तों  की छींक पर गंभीर नाटक खेलने में मज़ा आता है। गोष्ठियों में, बुद्धिजीवियों-गणमान्यों के बीच अपना माल्यार्पण करवाने में मज़ा आता है। प्रगतिशीलता ही ओढ़ता हूँ, प्रगतिशीलता ही  बिछाता हूँ। उसी का खाता हूँ, उसी का पीता हूँ। कुल्ला भी...प्रगतिशीलता का ही करता हूँ।

आए दिन सुर्खियों में रहता हूँ। भीड़ चलती है मेरे पीछे। बहुत खुश हूँ मैं वरदान पा लेने के बाद। बावजूद इनके...क्यों बहुत बेचैन  रहता हूँ दिन-रात मैं ?आखिर किस बात की छटपटाहट रहती है हर पल मेरे भीतर ? पुरुस्कारों, सम्मानों और अपने नाम पर बजती तालियों के शोर से भी ज्यादा मेरे भीतर के शोर का सन्नाटा मुझे खाये जा रहा है रोज़ !

कदाचित ज्ञानदायिनी को भी नकारने का दुष्परिणाम भुगत रहा हूँ, मैं 'प्रगतिशील' होकर !!!

---योगेश अग्रवाल, सृष्टि कॉलोनी राजनांदगांव mitrindia@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. योगेश जी, बिलकुल सही कहा आपने! प्रगतिशिल शापित ही होते है। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: दीपावली विशेष व्यंग्य - शापित प्रगतिशील -योगेश अग्रवाल
दीपावली विशेष व्यंग्य - शापित प्रगतिशील -योगेश अग्रवाल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilFlDP8qRSzyNbC-6scUxAhln7sF8UsTuwxR3f6jSlxabEV0S4jEo6CmEqN0RX_vxX6ScjPlDL8qfa5oVAl8k0dOPrTxg_0TeR4FgvxeAp2KwPysn04n2B_ae44yccHV0_3c6K/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilFlDP8qRSzyNbC-6scUxAhln7sF8UsTuwxR3f6jSlxabEV0S4jEo6CmEqN0RX_vxX6ScjPlDL8qfa5oVAl8k0dOPrTxg_0TeR4FgvxeAp2KwPysn04n2B_ae44yccHV0_3c6K/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_13.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_13.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content