भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आलोचनात्मक अध्ययन / मनीष कुमार सिंह

SHARE:

कहानी में हमेशा तीन पक्ष होते है – पक्ष , विपक्ष और सत्य ! इतिहास मनाव को अतीत की वास्तविकताओं का दर्शन कराता है , वैसे भी इतिहास का शाब्दि...

कहानी में हमेशा तीन पक्ष होते है – पक्ष , विपक्ष और सत्य ! इतिहास मनाव को अतीत की वास्तविकताओं का दर्शन कराता है , वैसे भी इतिहास का शाब्दिक अर्थ भी है – “ऐसा ही था ” या “ऐसा ही हुआ ”! भारतीय शिक्षा के इतिहास को मुख्यतः हम पांच भागों में बाँट सकते है !

1- वैदिक काल/Vedic Period - छह सौ ईसा पूर्व

2- बुद्ध काल/Buddhist Period  - सन 600 से 1200 तक

3- मुस्लिम काल/Muslim Period – सन 1200 से 1800 तक

4- ब्रिटिश काल/British Period – सन 1800 से 1947 तक

5- स्वतंत्रोतर काल/After Independence Period – सन 1947 से अबतक

वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो इसमें व्यक्ति के अध्यात्मिक उन्नति पर ज्यादा जोर दिया जाता था ! शिक्षण काल में छात्र को  सामाजिकता , विनम्रता , भद्रता , सहन-शीलता , सहकारिता आदि का पाठ काफी बेहतर ढंग से सिखाया जाता था ! “भिक्षाटन द्वारा छात्रों को विनय का पाठ पढ़ाना” , संभवतः विश्व इतिहास का एकमात्र दुर्लभतम उदहारण है !  

उसके बाद आयी बुद्ध काल की शिक्षा प्रणाली वैदिक काल से मात्र इतना भिन्न थी कि इसमें अध्यात्मिक उन्नति पर ज्यादा जोर न देकर नैतिकता तथा शील पर ज्यादा जोर दिया गया ! नैतिक चरित्र के साथ दैनिक जीवन में मधुर व्यवहार , अच्छा आचरण , निष्ठा छात्रों को ढंग से सिखया जाता था ! नालंदा (सन 425  से सन 1205 ) बुद्ध काल की शिक्षा का गौरव रहा !

फिर उसके बाद मुस्लिम काल में मुस्लिम संस्कृति के आधार पर अरबी , फारसी और बाद में उर्दू की शिक्षा दी गयी ! यह काल medieval period के नाम से भी जाना गया !

मुग़ल वंश का अंत होते – होते अंग्रेजी हुकूमत चलने लगी ! और भारतीय शिक्षा अब अंग्रेजो के हाथ में चली गयी ! 1835 में लार्ड टी . बी . मैकाले साहब आये और उन्होंने कहा की – 

"A single shelf of a good European library was worth of the whole native literature of India & Arabia ”

अब चूंकि हम भारतीयों के लिए अंग्रेजी में लिखा परचून की दूकान का हिसाब भी बड़ा साहित्य होता है ! अच्छा अंग्रेजी से हम सबका रिश्ता भी हमेशा सौतेली माँ वाला रहा ! प्यार पाना चाहा तो बहुत , मगर मिला नहीं ! लेकिन फिर भी मैकाले साहब का स्टेटमेंट सुनते ही हम सब , अपने भारतीय ज्ञान को गंवार , निष्कृष्ट और विज्ञान विहीन बताकर/समझकर हम वैज्ञानिक बनने चल पड़े !

साफ़ शब्दों में कहूँ तो उनकी फैक्ट्री में मजदूर बनने भर की शिक्षा लेने लगे ! और यही से एक अजीब सी मानसिक गुलामी का दौर शुरू हो गया ! खैर , काफी संघर्षों के बाद 1947 में हमें अंग्रेजों की हुकूमत से तो आजादी मिली , पर मानसिक गुलामी से आजादी नहीं मिली !

शिक्षा व्यवस्था में ताबड़तोड़ बदलाव किये गए ! जहाँ लिखना था  –  

नवगति , नवलय , ताल छन्द नव

नवल कंठ , नव जलद मंद्र रव

नव नभ के नव विहंग वृन्द को

नव पर , नव स्वर दे ! ( - महाप्राण निराला )

वहां – jhony – jhony ! yes papa , eating sugar no papa !” लिखा गया ! यह आँख मूंदकर दूसरों को ही सही मानने और अपने / अपनों पर भरोसा न होने का नायाब नमूना था (है) !

नतीजा , यह हुआ की शिक्षा व्यवस्था जन-मानस से कटती गयी ! नकली ज्ञान केंद्र (कोचिंग – सेण्टर ) , हरेक नुक्कड़ पर पान की ढाबली की तरह खुले निजी पब्लिक/कान्वेंट स्कूल , जिनमे न अच्छे अध्यापक है न अच्छी सुविधाएँ शिक्षा व्यवस्था का बेडा-गर्क करने  पर तुलें है ! एक बात यह भी है की जो लोग “हाई-मोस्ट” फीस लेने के बाद अपने ही नन्हें बच्चों के यूनिफार्म सेलेकर कॉपी-पेंसिल में भी कमीशन खाते हो ! वह भला कौन सी शिक्षा देंगे आप बेहतर समझ सकतें है (?)!

सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है ! मध्यान्ह भोजन , फंडामेंटल राईट ऑफ़ एजुकेशन , फ्री एजुकेशन , छात्रवृत्ति  जैसी सुविधाएँ यहाँ बस मजाक बनकर रह गयी है ! और सही भी प्रत्येक छात्र को सिर्फ चार रुपयें में कोई अध्यापक कैसे २०० मिली . मिल्क और तहरी उपलब्ध कराएँ ? अध्यापक को सरकार हमेशा गैर – शैक्षणिक कार्यों में ही जोते रहेगी तो वह पढ़ाएंगे कब ? महिला अध्यापिकाओं की जरूरतें और सुरक्षा पूरी करने में प्रदेश / देश की सरकार बिलकुल ही असमर्थ है ! महिला अध्यापिका की कमी के कारण ही 11 वर्ष से 17 वर्ष की अधिकांश लड़कियां घर पर रोक ली जाती है ! इस तरह सेकेंडरी/हायर एजुकेशन में बहुत कम लड़कियां ही पहुच पाती है , खासकर , गाँव की बच्चियों की शिक्षा तो रुक ही जाती है ! तो कुल मिलकर टोटल गेन यहाँ भी  “निल-बटे-सन्नाटा” ही है !

देश में लगभग 16000 अध्यापक प्रशिक्षण संस्थान है जिनकी स्थिति दयनीय है ! सरकारी विद्यालयों में 25% से भी अधिक अध्यापक प्रतिदिन अनुपस्थित रहते है ! यह भी ख़राब शिक्षा का एक प्रमुख कारण है ! शिक्षक को भी अपना मूल्यांकन करने की जरुरत है ! महाभारत में कहा गया है कि –“गुरुगुर्रुत्मो धाम:” यानी गुरु मनुष्यत्व से देवत्व की ओर ले जाता है ! तो महज ‘छात्र सुनते ही नहीं’ कहने से आपके कर्तव्यों की इतिश्री नहीं हो जाएगी ! हमारी संस्कृति में सम्मान किराना की दुकान पर नहीं मिलता , उसे कमाना पड़ता है ! शिक्षक को छात्र से सम्मान चाहिए तो पहले उसे अपनी आचरण की शुद्धता का उदहारण रखना होगा ! समय के पाबंद , विद्वान , विनम्र और अनुशासित शिक्षक की अवहेलना छात्र कर ही नहीं सकता है !

चिली(96.2% लिटरेसी-रेट),मलेशिया (95%),श्रीलंका (91%) जैसे छोटे विकासशील देश जब अपने शिक्षा बजट को बढ़ाकर अपनी शिक्षा व्यवस्था सुधार सकतें है ! तो आखिर हमारी सरकारें क्यूँ इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है ? और समाज भी जो हरेक मुद्दें पर सड़क पर उतर आता है ! आखिर कब गुणवत्ता वाली शिक्षा , समान शिक्षा के लिए एकजूट और जागरूक होकर आवाज उठाएगा ! हमें(समाज) खुद भी अपने चरित्र पर सोचने की जरुरत है ! एक छोटा सा ईमानदारी से किया गया प्रयास (टीचर + गवर्नमेंट + पेरेंट्स द्वारा ) प्राइमरी / सेकेंडरी एजुकेशन सिस्टम को सुधार सकता है ! हायर एजुकेशन में तो कॉलेज अपने बलबूते पर ही बहुत कुछ अच्छा कर सकता है ! बस इनके प्रोफेसर को डिपार्टमेंटल पॉलिटिक्स और स्टूडेंट्स को क्लास पॉलिटिक्स कम करना होगा ! लेकिन इनके लिए बस इतना ही कहना चाहूँगा –“खुद को जख्मी कर रहें है , गैर के धोखे में लोग .....!”

यहाँ हमें शिक्षा में भौतिक उन्नति के साथ – साथ अध्यात्मिक उन्नति पर भी बल देना होगा ! जिससे छात्र चरित्रवान , स्वस्थ्य और धैर्यवान बने ! छात्र नफरत , घृणा , बैर , अहंकार , और आत्महत्या की तरफ जाने के बजाय प्रेम , सृजन , कल्याण का चयन करें !

एक ऐसी शिक्षा प्रणाली जिसमे छात्र को टारगेट अचीव करने वाला निर्जीव रोबोट न बनाकर ! मेहनत , प्रेम और करुणा रखने वाली मानवीय आत्मा समझा जाये ! जहां केवल उनकी उपलब्धियों से नहीं , उनकी मानवता से भी उनकी क़द्र हो !

आँख मूंदकर विदेशी विचारों को छात्रों पर आरोपित न किया जाये ! हमें अपनी आंतरिक स्थिथि का ठीक से जायजा लेकर अपनी पुस्तकों को समाज से जोड़ना होगा ! कुछ याथार्थ चिंतन शामिल करने होंगे अपने पाठ्यक्रम में ! जिससे छात्र अपने अतीत , वर्तमान और भविष्य से जुड़ सकें उनको जान सकें ! बापू ने कहा है - “संवेदना विहीन विज्ञान सामाजिक पाप है !” और विनोवा ने भी कहा है की –“वह ज्ञान जिसमे आप अपनों के साथ हंस न सकें , उनके दुखों को न महसूस न कर पाए ! अज्ञान से भी बदतर होता है !”

बिना तर्क की कसौटी पर कसे ही अपने भारतीय ज्ञान ,विचार ,पद्धति को नकार देना कोई होशियारी नहीं है ! एनसीआर  में रह रहे आपके भाई के बच्चें या आपका ही बेटा / बेटी  आपको गाँव से आया आश्रित और पुराने ख्यालात का आदमी समझे ! पोस्ट – ग्रेजुएशन कर रहे लोग एक-दुसरें के लिए अथाह नफरत लेकर जीते हों ! और जब प्यार , सवेंदानाएं , अपनापन  सब कुछ “सेलेक्टिव ” हो जाये , साधारण शब्दों में कहूं तो बनावटी और फर्जी हो जाये !  तो शिक्षा का फायदा क्या है ? और आप लोग ज्ञान के विकास का दंभ पाले बैठे रहो !

कथा है की – एक बार , एक शिष्य ने अपने गुरु से पूंछा की – गुरुवर आप सारे संसार को मेहनत का सन्देश देते है ! करुणा का सन्देश देते है ! प्रेम का सन्देश देते है ! इससे क्या लाभ है ?  गुरु ने शिष्य के प्रश्न का उत्तर नहीं दिया ,बल्कि शिष्य का हाथ थामा और एक ऐसी जगह ले गया जहा दूर – दूर तक केवल रेत ही रेत बिखरी पड़ी थी !

गुरु ने शिष्य से कहा – पुत्र , आज शाम तक तुम इस रेत से एक प्रतिमा (मूर्ति) बनाकर आश्रम ले आना फिर मै बताऊंगा की मै पूरी दुनिया को मेहनत , प्रेम और करुणा का सन्देश क्यूँ देता हूँ ?  शिष्य प्रतिमा बनाने में जुट गया ! वह बार – बार रेत को इक्कठा करके प्रतिमा बनाने की कोशिश करता पर रेत बार – बार बिखर जाती ! ऐसा करते – करते उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदे आ गयी ! आज्ञाकारी शिष्य था , सोचा की गुरुवर के आदेश का पालन नहीं कर पाया हूँ ! तो आँखों में आँसू  भी आ गये ! पसीने की बूँद और आँखों के आँसू जब हथेली पर गिरे तो हाथों में लगी रेत कुछ गीली हो गयी !

शिष्य समझदार था वह गुरु के पास अपने प्रश्न का उत्तर जानने नहीं गया , बल्कि दुनिया वालों के पास गया और कहा की – हमारा जीवन एक सूखी मिट्टी की तरह है ! अगर इसमें माथे पर मेहनत के पसीने की बूंदे नहीं , आँखों में करुणा के आँसू नहीं , ह्रदय में प्यार की छलकन नहीं तो बाकी सब कुछ होते हुए भी यह बेकार है ! आप भी इस कथा का मर्म समझिये और अपने बच्चो को भी समझिए ! यही असली शिक्षा के मायने है और शिक्षित-जीवन का सत्य !

आखिर में –

लोहे का स्वाद !

लोहार से मत पूछो !

उस घोड़े से पूछो !

जिसके मुँह में लगाम है !(धूमिल)

--

 

लेख़क परिचय :

मनीष कुमार सिंह

जन्मस्थली बहराइच,उत्तर-प्रदेश ! कंप्यूटर साइंस परास्नातक में अध्यनरत ! शिक्षा,साहित्य,दर्शन और तकनीकी में रूचि ! संपर्क-8115343011

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आलोचनात्मक अध्ययन / मनीष कुमार सिंह
भारतीय शिक्षा व्यवस्था का आलोचनात्मक अध्ययन / मनीष कुमार सिंह
https://lh3.googleusercontent.com/-g6JZDwviYGA/WCQ3c4aNpGI/AAAAAAAAxA0/cJMd9Mbr9ZQ/image_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-g6JZDwviYGA/WCQ3c4aNpGI/AAAAAAAAxA0/cJMd9Mbr9ZQ/s72-c/image_thumb%25255B4%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_51.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/11/blog-post_51.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content