व्यंग्य में सावधानियां / नरेंद्र कोहली

SHARE:

मैं श्रीगंगानगर पहली बार आया हूं । ट्रेन में मेरे साथ वाली सीटों पर एक परिवार बैठा था जिसे बीच में कहीं उतरना था । जब भी कोई स्टेशन आता वो...

image

मैं श्रीगंगानगर पहली बार आया हूं । ट्रेन में मेरे साथ वाली सीटों पर एक परिवार बैठा था जिसे बीच में कहीं उतरना था । जब भी कोई स्टेशन आता वो एक दूसरे को सूचना देते कि अमुक स्टेशन आ गया । जिन स्टेशनों के नाम वे ले रहे थे वे सारे पंजाब के थे- संगरूर धुरी बरनाला भटिंडा आदि । मैं राजस्थान के एक नगर में जा रहा हूं । मैं सावधान हो गया । व्यंग्य में सावधानियों पर तो अब कुछ बोल रहा हूं वस्तुतः मेरी सावधानी तो कल रात से चल रही है । एक सावधानी आशु के लिए और संभवत : आशु को पता नहीं कि मैं कितना बोल सकता हूं इसलिए जितना चाहे बोले जैसी स्वतंत्रता मत दें खैर अपना समय मैं स्वयं ही तय कर लेता हूं ।

हास्य व्यंग्य लेखन से पहले नए रचनाकार को यह जान लेना बहुत आवश्यक है कि वह अपने अंदर झांके कि उसके अपने भीतर कटाक्ष परिहास आदि है कि नहीं । उसकी समझ है कि नहीं । आप में उसे सहने की क्षमता नहीं है, समझ नहीं और आप उसे लिखने बैठ गए । आरंभ में मैंने कविता लिखा । लगभग हर रचनाकार अपना लेखन कविता से आरंभ करता है । पर मुझे बहुत जल्दी समझ आ गया कि मुझमें कविता लिखने की क्षमता नहीं है । ऐसे ही व्यंग्य पाठ की क्षमता को लेकर भी है । मंच पर व्यंग्य पाठ करना एक कला की मांग करता है । किसी भी चीज को रोचक ढंग से सुनाया जाए वह लोकप्रिय होता है । वास्तव में यह परफोर्मेंस है । शरद जोशी लिखते दूसरे ढंग से थे और सुनाते किसी और ढंग से थे । सुनाने के लिए वे रचनाओं का सम्पादन करते थे । मैं स्वयं से पूछता हूं मैं मंच पर क्यों नहीं गया? मैं समझता हूं कि सामने वाले.. .को प्रसन्न करने के लिए स्वयं नीचे गिरना पड़ता है । लोकप्रियता के लिए स्तर से गिरना मुझे पसंद नहीं है । यदि बात मंच के कवियों की हो उनकी आजीविका इसी से चलती है । '

[ads-post]

मेरे आलोचक मुझसे प्रश्न करते हैं कि आपने व्यंग्य लिखना क्यों बंद कर दिया आप पुराकथाओं में ही क्यों सीमित हो गए । व अज्ञानी हैं क्योंकि व मेरे व्यंग्य का नहीं पढ़ते । इस बीच मेरा एक व्यंग्य उपन्यास आया है और चार व्यंग्य संकलन पर वे उस ओर देखने ही नहीं है । दृष्टिकोण आपका सीमित है और दोषारोपण मुझपर कर रहे हैं । और फिर में जौ रामकथा में राक्षसों के कुल का वर्णन करना है क्या वह आज प्रासंगिक नहीं हैं । आजकल के समाचार पत्र पढ़ लें क्या उनमें चार से अधिक पृष्ठ राक्षसों के कृत्यों से नहीं भरे होते हैं ।

मैंने जब व्यंग्य लेखन आरंभ किया तो मर सबसे पहले लक्ष्य मर अपन आसपास के लोग थे । यह भी समझ लें कि जब भी आप पाप के विरुद्ध गांडीव उठाएंगे आपके समक्ष आपके अपने ही खड़े होंगे । व्यंग्य बाण जब चलते हैं तो उसका लक्ष्य उसके अपने ही होते हैं । सबको कृष्ण नहीं मिलते जौ पार्थ को गीता ज्ञान दें । ऐसे में आपको तय करना है कि आपको संबंधों का निर्वाह करना है या फिर कड़वा सच कहना है ।

व्यंग्य के बाण शब्दों के बाण के माध्यम से अपनों को आहत करते हैं। क्या आप अपनों को आहत करने के लिए तैयार हैं? वैसे स्पष्टवादी होने के खतरे भी हैं । मैंने यह खतरे बहुत उठाए हैं । इसके कारण .अनेक कार्यक्रमों मेँ मुझे बुलाया भी नहीं जाता ।

व्यंग्य मेरे लेखन का एक हिस्सा है । मैं बड़े उपन्यास भी लिखता हूं छोटी व्यंग्य रचनाएं भी । दोनों में कटु सत्य अभिव्यक्त करने से घबराता नहीं हूं । जैसे एक सज्जन ने शिकायत की कि आपने व्यंग्य लिखना क्यों छोड़ दिया, व्यंग्य में हैं ही कितने लोग इसमें तो आप जमे हुए थे । वे मुझे सीमित करना चाहते थे । ऐसे ही एक व्यंग्यकार मित्र मिले और बोले -हम बेकार ही व्यंग्य लेखन में छिद्रान्वेषण करते रहे कोई बड़ी रचना नहीं लिख पाए ।

लेखक के लिए लेखन कोई भी विधा सरल नहीं होती है । बशर्ते लेखक विषय की बारीकियां जानता हो । जो व्यंग्य रचना पढ़ने वाले को आक्रोशित न कर दे वह सफल व्यंग्य नहीं है । कोई व्यंग्य रचना अपनी कथ्य अपनी वस्तु के कारण महत्वपूर्ण हो जाती है । कई बार ऐसा होता है कि वस्तु को वैसा का वैसा उठाकर सीधी भाषा में कह दिया जाए तो भी बहुत अच्छा व्यंग्य बन जाता है और कई बार यह होता है कि वस्तु में उतनी जान हो या ना हो शिल्प भी उसका अच्छी और श्रेष्ठ रचना बना देती है । तो ये किसी एक रचना को देखकर बताया जा सकता है कि उसमें वस्तु महत्वपूर्ण है तो कहना ही क्या ।

यह मानकर चलें कि कमियां निरंतर रहती हैं। वो कौन-सा युग है जिसमें कमियां नहीं रहीं । यदि सारी कमियां हम ही सुधार कर चले जाएंगे तो आने वाली पीढ़ियां क्या करेंगी? सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है । एक महत्वपूर्ण बात और कि जितना लिखें कम से कम उतना पढ़ें भी । अधिकांश युवा रचनाकार लेखक बनते ही अपने अंदर के पाठक को मार देते हैं । पढ़ने में अपने को सीमित न करें । जितना व्यापक आप पढ़ेंगे उतना ही व्यापक आपका दृष्टिकोण भी होगा । वैसे तो हर लेखक को एक व्यापक फलक से जुड़ना चाहिए, व्यंग्यकार के लिए तो यह बहुत आवश्यक है । उसे अपने आपसपास की घटना-दुर्घटना के प्रति सजग होना चाहिए । इधर हिंदी व्यंग्य में बहस चल रही है कि रचना में गालियों का प्रयोग हो कि नहीं । वैसे यह बहुत पुरानी बहस है । इससे पूर्व भी हिंदी साहित्य में अनेक रचनाएं गालियों के प्रयोग के कारण विशेष चर्चित रहीं । कुछ ने तो इसी कारण अपनी रचना को विवादित किया । मेरा मानना है कि आज जो व्यंग्यकार अपने लेखन में गालियों का इस्तेमाल कर रहे हैं वह व्यंग्य रचना नहीं है । ऐसे लेखकों को अपना .आत्मचिंतन करना होगा कि वे अपनी भावी पीढ़ी को आखिर क्या परोसना चाहते है । क्या इनका प्रयोग वे अपने परिवार में कर सकते हैं?

व्यंग्यकार के रूप में जितना सजग अपने विषय के चुनाव में होना चाहिए, उतना ही इस बारे में भी कि किसपर व्यंग्य करना है और किसपर नहीं । मजबूर पर कभी व्यंग्य न करें । मारे हुए को मारना कोई बहादुरी नहीं है । किसको निशाना बना रहे हैं, जितना जानना यह आवश्यक है, उतना ही यह ज्ञान भी आवश्यक है किसलिए निशाना बना रहे हैं । आपमें वह क्षमता है आप किसी पर भी प्रहार कर सकते हैं, आपकी दृष्टि को पैना होना पड़ेगा, यह दृष्टि आपमें विकसित हो, ऐसे प्रयास जारी रखने की आज बेहद आवश्यकता है ।

लेखक के साथ विचार के साथ उसकी प्रतिबद्धता की बात की जाती है। मैं व्यंग्यकार के लिए ही नहीं किसी भी लेखक के लिए किसी भी मनुष्य के लिए वैचारिक प्रतिबद्धता को जरूरी मानता है व्यंग्यकार साहित्यकार से अलग कुछ नहीं वो साहित्य की एक विधा है इसलिए जो दायित्व साहित्यकार का है और सामाजिक दायित्व के बिना तो कोई प्रबुद्ध व्यक्ति हो ही नहीं सकता इसलिए यह कैसे कहा जाए कि उसका कोई सामाजिक बोध नहीं होता । सच्चा इंसान होगा तो भी उसकी वैचारिक प्रतिबद्धता होगी सच्चा लेखक होगा तो भी उसकी प्रतिबद्धता होगी पर ये प्रतिबद्धता जो है किसी विचारधारा के प्रति ना होकर सत्य के प्रति होना चाहिए । इसलिए कई बार यह भी देखा जा सकता है कि अपनी आस्थाओं मान्यताओं को बदल करके लेखक किसी ओर दिशा में चल पड़ता है, उसका विकास हैँ और यदि वह लोभ और लालच के कारण किसी ओर झुकता है तो यह उसका हास है । यदि आपका अर्थ वैचारिक प्रतिबद्धता से किसी पार्टी किसी राजनीतिक दल किसी विशेष साम्प्रदायिक विचारधारा से है तो मैं यह मानता हूं कि लेखक उन सबसे ऊपर उठ करके सत्य और मानवता के प्रति होनी चाहिए । इसलिए छोटी-मोटी चीजों के प्रति प्रतिबद्धता नहीं होती वह एक प्रकार का मोह होता है जो हमारे अज्ञान के कारण होता है । लेखक को अपने मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए । जो किसी पार्टी या दल की विचारधारा के लिए उपयोग करते हैं वे लेखक के रूप में अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं । ऐसी रचना व्यंग्य रचना नहीं होती है घोषणापत्र होती है । मुझे याद है कि एक समय मेरी व्यंग्य रचनाएं मार्क्सवादी वाम विचारधारा से जुड़े ' जनयुग ' मैं छपा करती थीं तो तथाकथित दक्षिणपंथी विचारधारा के ' पांचजन्य ' में भी छपा करती थीं । एक दिन विष्णुकांत शास्त्री मिले और उन्होंने कहा- नरेंद्र तुम्हारी रचनाएं ' जनयुग ' और ' पांचजन्य ' में, दोनों जगह कैसे छपती है?' मैंने कहा- जो मैं लिख रहा हूं यदि वह दोनों को ही पसंद है तो यह मेरी शक्ति हुई । ' मेरा मानना है कि लेखक को निडर होकर अपनी बात कहनी चाहिए । रचना लिखना पहली बात है, छपना दूसरी बात । पत्रिका को लक्ष्य करके रचना लिखना उचित नहीं ।

साहित्यकार का लक्ष्य स्वयं और अपने माध्यम से मानव समाज को को सात्विक एवं निर्मल करना है । चाहे कोई विधा हो, मेरे लिए मेरे लेखन का उद्देश्य यही है और यही होना भी चाहिए ।

मैं आभारी हूं आयोजकों का कि उन्होंने मुझे निमंत्रित किया और आपका कि आपने मेरी बातों को धैर्य से सुना ।

( राष्ट्रीय कला मंदिर श्रीगंगानगर, सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर एवं ' व्यंग्य यात्रा ' दिल्ली द्वारा व्यंग्य पर आयोजित दो दिवसीय अनुष्ठान में दिया उद्घाटन भाषण । प्रस्तुति: प्रेम जनमेजय)

(व्यंग्य यात्रा अंक अक्तूबर दिसंबर 2016 से साभार)

COMMENTS

BLOGGER: 2
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य में सावधानियां / नरेंद्र कोहली
व्यंग्य में सावधानियां / नरेंद्र कोहली
https://lh3.googleusercontent.com/-dr4UCROK0aM/WJHIfqV7ClI/AAAAAAAA2UQ/XLp4D-lCx7Q/image_thumb.png?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-dr4UCROK0aM/WJHIfqV7ClI/AAAAAAAA2UQ/XLp4D-lCx7Q/s72-c/image_thumb.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/02/blog-post_1.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/02/blog-post_1.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content