व्यंग्य / ठगी प्रशिक्षण संस्थान / वीरेन्द्र ‘सरल‘

SHARE:

  सुबह-सुबह अखबार के पन्ने पलटते हुए मेरी नजर आवश्यकता है वाले कॉलम पर जाकर टिक गई जिस पर लिखा था कि आवश्यकता है सुयोग्य युवकों की जो दूसरो...

 

सुबह-सुबह अखबार के पन्ने पलटते हुए मेरी नजर आवश्यकता है वाले कॉलम पर जाकर टिक गई जिस पर लिखा था कि आवश्यकता है सुयोग्य युवकों की जो दूसरों को कुशलता पूर्वक मूर्ख बना सके। आकर्षक वेतन के साथ-साथ निःशुल्क आवास और भोजन सुविधा सहित साल भर की स्पेशल ट्रेनिंग बिल्कुल फ्री। सम्पर्क करें-मूर्ख भवन, भ्रष्ट सरोवर के निकट, भ्रष्टाचार पुरम्। निःशुल्क भोजन और आवास का नाम पढ़ते ही मेरे भीतर खलबली मच गई। मेरी अब तक अर्जित अनुभव के अनुसार जो निःशुल्क सुविधा और वह भी भोजन की सुविधा का लाभ उठाने में कोताही बरते वह इस देश का नागरिक हो ही नहीं सकता। तभी तो निःशुल्क, मुफ्त, माफ जैसे शब्दों के तीर से ही चुनाव में विरोधियों को परास्त किया जाता है। वैसे तो लोग मुझे बचपन से बेरोजगार समझते हैं। लगे हाथ मुझे रोजगार मिलने का एक सुनहरा अवसर मिल रहा है तो क्यों न इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा लूँ। मन में यह विचार आते ही मैं दूसरे दिन निर्धारित स्थान पर पहुँच गया। एक विशालकाय भवन के मुख्य द्वार पर मूर्ख भवन लिखा हुआ एक बड़ा-सा फ्लेक्स लगा हुआ था। मैं सीधे भवन में स्थित कार्यालय में पहुँच गया और कार्यालय प्रभारी से अखबार में छपे विज्ञापन की बातें बतलाई। उन्होंने मुस्कुराते हुए स्वागत किया और बैठने के लिए इशारा किया। मैं अपना स्थान ग्रहण कर बातचीत का शुभांरभ किया। उन्होंने सबसे पहले मुझसे प्रश्न किया आप किस तरह से लोगों को मूर्ख बनाना पसंद करेंगे? मतलब किस डिपार्टमेंन्ट में प्रवेश लेना चाहेंगे? फिर वे एक चार्ट निकालकर अलग-अलग विभाग की जानकारी देते हुए उनकी विशेषता और प्रवेश शुल्क के बारे में बतलाने लगे। मूर्ख बनाने के लिए भी इतने अधिक कोर्स संचालित है यह तो मैं पहली बार ही सुन रहा था। मैं राजनीतिक विभाग में प्रवेश लेना चाह रहा था पर इसमें अपेक्षित फीस और निर्धारित अर्हता नहीं होने के कारण प्रवेश लेना संभव नहीं दिख रहा था। मुझे असमंजस में देखकर उन्होंने समझाया-‘‘देखो बबुआ। तरक्की धीरे-धीरे ही होती है। अभी इस ब्रांच में प्रवेश लेने का सामर्थ्य नहीं है तो कोई दूसरा ब्रांच चुन लो। मैंने कहा-‘‘पर विज्ञापन में तो पहले निःशुल्क ट्रेनिंग की बातें लिखी हुई है और आप यहाँ भारी फीस का प्रावधान बता रहे है। उन्होंने कहा-‘‘भाई ट्रेनिंग तो निःशुल्क ही है पर प्रवेश शुल्क तो देना ही पड़ेगा, आगे आपकी मर्जी?

मैं दुविधा में पड़ गया। आखिर क्या किया जाय? विचार आया भाग्य आजमाने में क्या हर्ज है? कई लोग तो बुरी आदतों का शिकार होकर ही बर्बाद हो रहे है। इसमें आबाद नहीं तो बर्बाद होने की भी संभावना नहीं है। कम-से-कम लागत मूल्य तो वसूल होने की गुंजाइश तो रहेगी। मैं एक छोटे ब्रांच में प्रवेश के लिए फार्म भर दिया और निर्धारित ‘शुल्क भी चुका दिया।

कार्यालय प्रभारी ने ये हुई न बात के अंदाज में मुझे देखा और जोरदार ठहाका लगाते हुए कहा- आपकी ट्रेनिंग ‘शुरू हो गई और आपको पता भी नहीं चला है ना? ध्यान से सुनो बबुआ, मूर्ख बनाने का सबसे पहला सूत्र है आकर्षक प्रलोभन और होशियारी के साथ झूठ बोलने की कला, समझ गये। दूसरा सूत्र है हमेशा अपने आप को इतना अप-टू-डेट रखना कि देखने वाला आपको एक सभ्य, सज्जन, उच्चशिक्षित और मालदार आसामी समझे। भले ही जेब में फूटी कौड़ी न रहे पर हमेशा अपने आप को करोड़पति ‘शो करना। किसी को नौकरी लगाने के नाम पर मूर्ख बनाना है तो स्वयं को किसी अफसर से कम नहीं समझना। आज के लिए इतना सूत्र काफी है। ये तो बस थ्योरी ही है। प्रेक्ट्रिकल कल ‘शुरू हो जायेगी, ठीक है। अभी अब अपने कमरे में जाओ और आराम फरमाओ। उन्होंने एक कमरे की चाबी देते हुए एक हॉस्टल नुमा भवन की ओर इशारा किया। मैं अपना सामान लिए अपने कमरे में चला आया।

जैसे-तैसे दिन तो ढल गया पर रात होते ही मन में तरह-तरह के विचार आने लगे। कभी सोचता कहीं मैं किसी फर्जी विश्वविद्यालय के चक्कर में तो नहीं फँस गया क्योंकि आजकल इसका गोरखधंधा भी जोरों पर है। कभी सोचता कहीं किसी फर्जी कोचिंग सेन्टर के झांसे में तो नहीं आ गया। कभी सोचता कि ये स्थान मनुष्यता की गला घोटने का कोई कारखाना तो नहीं जहाँ आदमी के हृदय की संवेदना को खतम करके इतना निर्मम बना दिया जाता है कि आदमी सच्चे-सीधे और निःच्छल लोगों को जिन्दगी भर मूर्ख बनाकर मौज उड़ाता रहे। जी चाह चाह रहा था कि सुबह होते ही यहाँ से निकल भागूं। मैं इसी उधेड़बुन में खोया था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैं दरवाजा खोला तो एक अजनबी को सामने पाया वह मुस्करा रहा था। मैंने उन्हें अन्दर आने के लिए कहा। वे आकर एक कुर्सी पर बैठ गये। अपना परिचय दिया और मुझसे हालचाल पूछने लगे। कुछ सामान्य बात चीत के बाद उन्होंने पूछा-‘‘यहाँ अकेले बैठे-बैठे आपको बोर नहीं लग रहा है। पहले दिन मैं भी एकदम बोर हो गया था। धीरे-धीरे अब मन लग रहा है। चलो कहीं घूमते है यार, आपका मन बहल जायेगा।‘‘ मैं फटाफट तैयार होकर उस अजनबी के साथ कमरे से बाहर निकल आया।

वह अजनबी परिसर में स्थित विभिन्न भवनों में मुझे घुमाते हुए सबकी विशेषता बतलाने लगा। मैंने देखा एक भवन में बहुत से लोग डेस्कटाप, लैपटाप, स्मार्टफोन लेकर काम कर रहे थे। उनके आसपास बहुत सारे सिमकार्ड रखे हुए थे और कुछ एटीएम कार्ड बिखरे पड़े थे। एक होशियार टाइप का मूर्ख आदमी उन सबको कुछ सिखा रहा था। मैंने अजनबी को प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो उन्होंने बताया-‘‘ देखो जो आदमी प्रशिक्षण दे रहा है वह साइबर ठगी का मास्टर माइंड है बाकी सब प्रशिक्षु है। यही लोग आगे चलकर साइबर ठगी में इस संस्थान का नाम रोशन करेंगे। भोले-भाले लोगों को लाटरी लगने का झांसा देकर अपने खाते में उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई का पैसा जमा करवा लेंगे और नौ-दो ग्यारह हो जायेंगे। कभी अपने आपको बैंक अधिकारी बताकर लोगों से उनका पासवर्ड पूछ लेंगे और उनके खाते का पैसा साफ कर देंगे। इस ब्रांच में प्रवेश लेने के लिए पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है, समझ गये?

फिर वह मुझे दूसरे भवन में ले आया। वहाँ भजन-कीर्तन का स्वर गूँज रहा था। एक भव्य हाल में बड़ा-सा मंच बना था। मंच के बाजू में संगीत मंडली बैठी थी। मंच पर एक दिव्यटाइप का आदमी प्रवचन झाड़ रहा था। दस मिनट बाद वह आदमी मंच से उतर गया और दर्शक दीर्घा में आकर बैठ गया। फिर दर्शक दीर्घा से एक दूसरा दिव्य मंच पर चढ़कर प्रवचन झाड़ने लगा। यह क्रम लगातार चल रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इनमें से वक्ता कौन है और श्रोता कौन? श्रोता ही वक्ता बन जाता और वक्ता ही श्रोता। श्रोता बीच वक्ता है या वक्ता बीच श्रोता है। ये कौन सा-चक्कर है जो बार-बार होता है। मैं अपने साथी अजनबी की ओर देखा तो उन्होंने समझाया-‘‘भाई जिसे धर्मभीरू लोग आज तक नहीं समझ पाये उसे आप एक ही दिन में कैसे समझ जायेंगे? इन्हें अपने आप को दिव्यदृष्टि और दिव्यदृष्टि सम्पन्न समझने की कला सिखाई जा रही है। यही सब आगे चलकर सबकी समस्याओं का समाधान आशीर्वाद पद्धति से करेंगे। बिना नाव के स्वयं नदी भी पार नहीं कर सकते पर सबको इस भवसागर से पार कराने का दावा करेंगे। लौकिक दुनिया की समस्याओं से ‘शुतुरमुर्ग की तरह आँख मूँद लेंगे और पारलौकिक दुनिया की रंगीन सपनों में सबको सैर कराते हुए मौज करेंगे। सबको संतोषी सदा सुखी का संदेश देंगे पर अपेक्षित दक्षिणा नहीं मिलने पर क्रोधित हो जायेंगे और श्राप दे देने का भय दिखायेंगे। यदि आपने ध्यान दिया हो तो देखा होगा कि संगीत बजते ही दर्शक दीर्घा मे से एक आदमी उठकर नाचने लगता है। इसका आशय है कि जब ये प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कहीं खुले मंच में अपना कार्यक्रम दे तब इन्हीं के चेले-चपाटे में से कोई भीड़ से उठकर नाचने लगे जिसे देखकर बाकी लोग भी वही हरकत दोहरायेंगे।

फिर हम एक दूसरे बड़े भवन के विशाल हाल पर आ गये। वहाँ इकट्ठे सभी लोग एकदम स्मार्ट लग रहे थे। मुझे लगा कि ये सभी इस संस्थान के बड़े अधिकारी होंगे। पर उस अजनबी मित्र ने बताया कि ये सब भी प्रशिक्षु ही हैं। वहाँ एक अप-टू-डेट आदमी सबको समझाते हुए कह रहा था कि पहले पैसा, पैसे को खींचता था पर अब प्रलोभन पैसे को खींचता है। यदि साल भर में जमा राशि को दो या तीन गुणा होने का लालच दे दो तो मक्खीचूस भी अपनी अंटी से रकम निकालकर आपके हथेली में रखते हुए कहेगा, भैया मेरे पास जितना धन है सब ले जाओ और सालभर में इसे तीन गुणा कर लौटा देना। कहने में अपने बाप का क्या जाता है, तीन गुणा क्या दस गुण लौटाने की गारंटी दे दो और सब रकम इकट्ठा करके चंपत हो जाओ। मगर यह जरा जोखिम भरा काम है इसमें सावधानी आवश्यक है। इस क्षेत्र में ‘शासन-प्रशासन के नाक के नीचे यह सब करना होता है। इसलिए इस क्षेत्र में काम करते समय सेटिंग की कला को साधना बहुत आवश्यक है। अपना काम करके निकल जाओ, उनकी आदत साँप निकल जाने के बाद लकीर पीटने की तो है ही।

मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह विभाग चिटफंड कम्पनी खोलने वाले ठगों को प्रशिक्षण देती है। यहीं से प्रशिक्षित ठग जगह-जगह चिटफंड कम्पनी खोलकर गाँव-गाँव में ऊँची कमीशन का लालच देकर अपना एजेन्ट बनाते हैं। उनसे पैसा वसूल कराते हैं और करोड़ों रूपये इकट्ठा कर गधे की सींग की तरह गायब हो जाते है। ‘शासन केवल ठोस कदम उठाकर रह जाता है।

मेरा मन खिन्न हो गया। मैंने उस मित्र से विदा मांगी और अपने कमरे में आकर अपना सामान समेटते हुए सोचने लगा- अपनी शिक्षा और प्रतिभा का इससे ज्यादा दुरूपयोग और क्या हो सकता है कि हम अपनी मनुष्यता का गला घोंटकर दूसरों को धोखा दें और हराम की कमाई पर मौज करें। धिक्कार है ऐसे जीवन पर। अपनी मेहनत की कमाई से दो-जून की रोटी व्यवस्था हो जाय ,यही पर्याप्त है। सुबह की पहली किरण फूटने से पहले ही उस प्रशिक्षण केन्द्र के चौखट पर थूकते हुए मैं बाहर निकल आया।

वीरेन्द्र सरल

बोड़रा (मगरलोड़)

जिला-धमतरी(छत्तीसगढ़)

पिन कोड-493662

मो-07828243377

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य / ठगी प्रशिक्षण संस्थान / वीरेन्द्र ‘सरल‘
व्यंग्य / ठगी प्रशिक्षण संस्थान / वीरेन्द्र ‘सरल‘
http://lh4.ggpht.com/-YKzcZ0lUqDM/Uw2xMAqmFsI/AAAAAAAAXhk/1_G55Y3vEBA/image%25255B3%25255D.png?imgmax=200
http://lh4.ggpht.com/-YKzcZ0lUqDM/Uw2xMAqmFsI/AAAAAAAAXhk/1_G55Y3vEBA/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_0.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/04/blog-post_0.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content