प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : व्यंग्य / सेल्फी का भूत / वीरेन्द्र ‘सरल’

SHARE:

ना रायण-नारायण की आवाज सुनकर प्रभु की तन्द्रा भंग हुई. वे शेषसैया से उठकर बैठते हुए स्वागत की मुद्रा में बोले- ‘‘आइये देवर्षि, आइये. बहुत दि...

नारायण-नारायण की आवाज सुनकर प्रभु की तन्द्रा भंग हुई. वे शेषसैया से उठकर बैठते हुए स्वागत की मुद्रा में बोले- ‘‘आइये देवर्षि, आइये. बहुत दिनों के बाद भ्रष्टाचारियों के बीच किसी ईमानदार ऑफिसर की तरह नजर आ रहे हो. हम तो समझ रहे थे कि आपका भाव भी अरहर दाल की तरह बढ़ गया है. तभी नजर नहीं आ रहे हैं. मगर आज हमारा भ्रम टूट गया है. बहुत अच्छा लगा आपके आने पर हमें. क्या बात है आपका चेहरा तो नेताओं के भाग्य की तरह चमक रहा है. सिर पर काले घुंघराले बालों की चोटी देखकर तो ऐसा लग रहा है मानो काले धन का खजाना तो यहीं पर है. लगता है आजकल आप कांति सीरीज के सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल कर रहे है?’’

[ads-post]

देवर्षि जोरदार ठहाका लगाते हुए बोले- ‘‘प्रभु! मैं तो डर रहा था कि कहीं आप मेरी चोटी को स्विस बैंक ही न कह बैठें. हम तो वैरागी हैं. हमें सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल करने की क्या आवश्यकता है. एक बार आपके मायाजाल में फँसकर आपसे सुन्दर सूरत जरूर मांग बैठे थे. और आपने हमारा मुँह बन्दर का बनाकर भरी सभा में जो दुर्गति कराई थी उसे याद करके ही कलेजा धक से रह जाता है. हमने तो उसी दिन से कान पकड़कर कसम खा ली है कि अब कभी भी चेहरा सुन्दर बनाने के लोभ में नहीं पड़ेंगे. ये सब तो सांसारिक लोगों के चोंचले हैं. अपने काले कारनामों से दिल पर कालिख पोतते जा रहे हैं और चेहरे पर गोरेपन की क्रीम लगा रहे हैं. लोगों को कौन समझाये, गोरेपन की क्रीम से यदि त्वचा का रंग गोरा हो जाता है तो फिर संसार में किसी को काला ही नहीं होना चाहिए. लोग अपने भैसों पर या काले कुत्ते पर कोई गोरेपन की क्रीम लगाकर स्वयं देख लें तो सारी असलियत सामने आ जायेगी. पता नहीं श्वेत-अश्वेत का चक्कर किस सिरफिरे की दिमाग की उपज है. मानवता के नाम पर कलंक यह रंग भेद का समाप्त होना मनुष्यता के लिए बहुत ही आवश्यक है. प्रभु! आप तो व्यंग्य बाण चलाने में दक्ष हैं. आज मैं भी आपके चपेट आ गया. मैं जानता था, बहुत दिनों के बाद आपके पास जाने पर इस तरह के व्यंग्य बाणों का सामना मुुझे करना ही पड़ेगा. आपकी सौम्य मुस्कराहट और शालीन व्यंग्य विनोद से हृदय आह्लादित हो जाता है. प्रभु, अब आप सुनाइये आप कैसे हैं?

प्रभु उसी सौम्य मुस्कराहट के साथ बोले- ‘‘हमारा क्या है देवर्षि! हम तो बस ‘देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान’ का भजन सुनते हुए मूक दर्शक बने बैठे हैं. इंसान सफलता का सेहरा तो अपने सिर पर बाँधता है और विफलता का ठीकरा हमारे सिर पर फोड़कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है. अब आप ही बताइये ऐसी स्थिति में मूकदर्शक बने रहने के सिवाय और क्या किया जा सकता है. हमने इंसान को बुद्धि दी, विवेक दिया, सुनहरा संसार दिया. अपने पास जो कुछ भी था सब दे दिया. इस उम्मीद के साथ कि यह मानव नाम का प्राणी हमारा ही प्रतिरूप सिद्ध होगा. लेकिन आज तो सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो रहा है. लोग हमारे ही नाम पर आपस में लड़ मर रहे हैं. मानव
धर्म को छोड़कर सब अपने-अपने धर्मों की ध्वजा उठाये अपने आप को ही सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने पर तुले हुए हैं. बड़ी पीड़ा होती है यह सब देखकर, पर क्या करें? अरे! मैं तो अपनी ही व्यथा कहने लगा. अब आप अपनी कथा भी तो सुनाइये. आखिर बहुत दिनों के बाद आपके पावन चरणों की धूल से मेरा यह आँगन पवित्र हुआ है.’’

देवर्षि बोले- ‘‘प्रभु आप तो जानते हैं. मेरे यह शापित कदम कभी एक जगह ठहरते नहीं हैं. जब तब नेताओं की जुबान की तरह इधर-उधर फिसलते ही रहते हैं. बाद में मुझे भी उनके जैसा ही यू-टर्न लेते हुए कहना पड़ता कि मेरा यहाँ आने का उद्देश्य यह नहीं था. अभी-अभी मैं मृत्यु लोक से भ्रमण करके लौटा हूँ. मैंने लोगों को बात करते सुना कि एक भूत ने आजकल वहाँ आतंक मचा रखा है. लोग लगातार उस भूत बाधा के चपेट में आ रहे हैं. उस भूत के डर से मैं भी वहाँ से भागा हुआ सीधे आपके पास चला आ रहा था पर रास्ते में कुछ यमदूतों के साथ यमराज जी से भी मुलाकात हो गई. यमराज ने बताया कि उस भूत के कारण उसके विभाग पर वर्क लोड काफी बढ़ गया है. बेचारे स्टॉफ की कमी से पहले ही जूझ रहे हैं. ऊपर से यह भूत मुसीबत बनकर उनके पीछे पड़ गया है. यमराज और यमदूतों की हालत बड़ी दयनीय हो गई है प्रभु! मैंने पूछा तो यमराज ने रोते हुए अपनी पीड़ा मुझसे कही. वे कह रहे थे कि देवर्षि आज बड़ी मुश्किल से समय निकाल कर स्थल निरीक्षण हेतु गया था. मुझे शक है कि आबादी नियंत्रण विभाग कहीं ने इस भूत को भारी धनराशि देकर अपने मिशन में तो नहीं लगा लिया है. अब आप ही से आसरा रह गया है यमराज को. यदि आप समय रहते यमराज का उस भूत से पीछा नहीं छुड़ा पाये तो उनका पूरा विभाग सामूहिक इस्तीफा देने का मन बना चुका है.’’

अब प्रभु गंभीर होते हुए बोले- ‘‘मुझे आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी देवर्षि. आप जैसे विवेकी वैरागी भी ऐसी दकियानूसी बातों पर विश्वास करने लगे. धिक्कार है आपके विवेक को. कहीं आपने कभी कुत्ता भूत, बिल्ली प्रेत या शेर पिशाच का नाम सुना है, नहीं ना? जब हम मानते हैं कि संसार के सभी जीवों में आत्मा का निवास है तब केवल मनुष्य की आत्मा ही देह छोड़कर भूत बनती होगी. ऐसा सोचना मूर्खता और अंधविश्वास के सिवाय और क्या कहा जा सकता है, आप विवेकी हैं स्वयं सोचिए. इस अंधविश्वास के कारण निर्दोषों पर कितना अत्याचार होता है, यह आप भली-भांति जानते हैं. इन दकियानूसी बातों को जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी अपने दिमाग से निकाल दीजिए देवर्षि, इसी में सबका भला है.’’

देवर्षि सिर झुकाकर बोले- ‘‘प्रभु! आज्ञा हो तो एक बात कहूँ? आपकी बात बिलकुल सही है. मगर मैं एक अजीब उलझन में फँसा हुआ हूँ. लोग जिस भूत-प्रेत की बातें करते हैं उसे आपकी तरह मैं भी अंधविश्वास मानता हूँ और मैं जिस भूत की बात करता हूँ लोग उसे अंधविश्वास मानते हैं. प्रभु! आपको तो पता ही है, मैं प्रसिद्धि के भूत को ही सभी भूतों का सरगना मानता हूँ. प्रसिद्धि का यह भूत जब सिर पर सवार होता है तो मनुष्य के विवेक को खा जाता है. इसी भूत के वशीभूत हो लोग ऊल-जुलूल बयान देते हैं. ऊटपटांग हरकत करते हैं. सार्वजनिक धन को काला बनाकर उस पर सफेद साँप की तरह कुण्डली मारे बैठ जाते हैं. स्वस्थ प्रतियोगिता या खिलाड़ी भावना को दरकिनार करके साम, दाम, दंड, भेद की नीति अपनाकर प्रतियोगिता में विजय प्राप्त कर लेते हैं. ज्यादा कुछ नहीं तो आजकल एक यंत्र आया है, क्या कहते हैं उसे, हाँ याद आया स्मार्टफोन. उस पर इंटरनेट नामक कोई चीज चलाते हैं और व्हाट्सप, फेसबुक पर क्षण-प्रतिक्षण अपना प्रोफाइल फोटो अपडेट करते रहते हैं. ये सब प्रसिद्धि के भूत का कमाल नहीं तो क्या है मृत्यु लोक में लोग शायद किसी सेल्फी...’’

देवर्षि की बातें पूर्ण होने से पहले ही प्रभु कहने लगे, ‘‘सल्फी एक शीतल और मादक पेय होता है देवर्षि जी, जिसे वनवासी लोग सदियों से पीते आ रहे हैं. नशा कोई भूत नहीं होता, यह तो जिस पर चढ़ता है, उसे ही भूत बना देता है. हो सकता है आपने इसी से मिलता-जुलता एक और शब्द सेल फ्री सुन लिया हो. कुछ चीजें विक्रय हेतु नहीं बनायी जातीं, इसे ही सेल फ्री कहते हैं. ये मुफ्त बांटने के लिए होती हैं, जैसे सलाह, आश्वासन, कोई दावा या वादा. इसमें पैसे का लेन-देन नहीं होता, समझ गये.’’

देवर्षि अपनी झल्लाहट दबाकर अपने माथे को सहलाते हुए बोले- ‘‘प्रभु! पहले आप मेरी बात तो पूरी सुन लीजिए, उसके बाद ही चर्चा को आगे बढ़ायें तो बड़ी कृपा होगी. मैं आपको बता रहा था कि मृत्युलोक में लोग किसी सेल्फी नामक भयानक भूत की चर्चा कर रहे थे.’’

प्रभु बोले- ‘‘आप फिर घूम-फिर कर भूत की बात पर आ गये. लगता है आज आपको भूत पर ही बात करने का भूत सवार है. आप पहले ही सेल्फी का भूत कह देते तो मैं आपकी सारी बातें समझ गया होता. मुझे समझाने के लिए आपको इतनी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती. सेल्फी का यह भूत भी प्रसिद्धि के भूत का पॉकेट संस्करण है देवर्षि जी. अब आप इसे पॉकेट संस्करण कहो या आधुनिक अवतरण, एक ही बात है. ज्यादातर लोगों में मानवता के कल्याण के लिए अच्छे कार्य करने की कूवत तो रही नहीं. इसीलिए ऐसे लोग ओछे हथकंडे अपनाकर प्रसिद्धि पाने के चक्कर में इस भूत का शिकार होते हैं. मौत के मुहाने पर खड़े होकर सेल्फी लेने वाले महानुभाव लोग शायद सोचते होंगे कि इस सेल्फी के चक्कर में यदि वे वीरगति को प्राप्त हो गये तो शायद उन्हें स्वर्ग लोक में वीरता पदक से सम्मानित किया जायेगा. आखिर अपना चन्द्रमुख दिखाने के लिए ज्वालामुखी के सामने खड़े होने की क्या आवश्यकता है. चित्र को सुन्दर दिखाने के बजाय यदि ये चरित्र को सुन्दर बनाने के लिए कुछ प्रयास करते तो दुनिया ही स्वर्ग बन चुकी होती. पर इन मतिमूढ़ों को कौन समझाये?

सम्पर्कः बोड़रा (मगरलोड)

जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)

मोः 7828243377

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : व्यंग्य / सेल्फी का भूत / वीरेन्द्र ‘सरल’
प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : व्यंग्य / सेल्फी का भूत / वीरेन्द्र ‘सरल’
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPgg4z_mri9HrCrWJ3DClxY4c-bR2QoXn_7Gfus20_ml7MYtcmjZhpz3Oy6PCX3pnkeeVFjEjTAC8-cQz9Uc8zohJZJcaDoT1rCUzeO6uzQptSJW0Eg15iAwKOVhRT4sTBrcTu/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPgg4z_mri9HrCrWJ3DClxY4c-bR2QoXn_7Gfus20_ml7MYtcmjZhpz3Oy6PCX3pnkeeVFjEjTAC8-cQz9Uc8zohJZJcaDoT1rCUzeO6uzQptSJW0Eg15iAwKOVhRT4sTBrcTu/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/05/2017_51.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/05/2017_51.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content