प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : कविताएँ

SHARE:

सर्वजीत कुमार सिंह की कविता डेली की भागदौड़ थी, बस का सफर था. मौसम सुहाना था, बस अफसोस था कि खिड़की वाली सीट किसी और के पास थी. फोन म...

सर्वजीत कुमार सिंह की कविता
डेली की भागदौड़ थी,
बस का सफर था.
मौसम सुहाना था,
बस अफसोस था कि खिड़की वाली सीट
किसी और के पास थी.
फोन में गाना था,
दिल को रिझाना था,
बगल वाले से छिपाना था,
मौसम सुहाना था.

[ads-post]
  
मेरे बगल में बैठे
बीती उम्र के एक आदमी ने बोलना शुरू किया,
‘‘भीड़ बढ़ती ही जा रही है,
जाने क्या होगा देश का आने वाले सालों में.’’
मैंने आज के फेमस शब्द का इस्तेमाल किया,
और ‘हम्म’ में जवाब दिया.
फिर सिलसिला कुछ यूँ शुरू हुआ,
‘‘तुम यूथ हो इस देश का, तुम्हें कुछ तो करना होगा.
बदल कर कुछ नीतियों को,
लोकतंत्र को साबित करना होगा.’’
‘‘कैसे?’’
‘‘मैं राजनीति नहीं जानता.’’
‘‘पर आपको भी तो साथ चलना होगा,
वरना हम क्या कर पाएंगे..’’
‘‘नहीं, मैं भी तो देखूं आखिर,
कब तक देश संभालता है.’’
‘‘ये देखो सड़कों पर कितने कचरे दिखाई देते हैं,
स्वच्छ भारत के अधिकारी जाने कहाँ पर रहते हैं.
एक बार की बात है,
मैं कचरे के आगे से गुजरने वाला था.
सोचा आज मैं कुछ करके रहूँगा.
वहां पर रोजाना ऐसा होता था.
लेकिन फिर दिल न किया
और कल पर छोड़ कर आगे बढ़ गया.
‘‘आपने कुछ किया क्यों नहीं,
एमसीडी में शिकायत करवाते.’’
‘‘मेरा काम था वोट देना, दे दिया,
अब देखूं आखिर,
कब तक देश संभालता है.’’
‘‘वैसे तुम यूथ हो, कुछ करो.’’
‘‘दिल्ली की सड़कों का बुरा हाल है,
ट्रैफिक ने सबकी जान खा रखी है.
ऑड-इवन तो फेल हुआ,
तुम्हारे पास कोई आइडिया है क्या?’’
‘‘फिलहाल तो कुछ नहीं,
आप ही कुछ बता दीजिये.’’
‘‘बेटा समय ही नहीं मिलता,
काम के अलावा कुछ और सोच सकें.”
‘‘आप करते क्या हैं?’’
‘‘सरकारी मुलाजिम हूँ.’’
  
डेली की भागदौड़ थी,
बस का सफर था.
मौसम सुहाना था,
बस अफसोस था कि खिड़की वाली सीट...

-----------


व्यंग्य कवितायें


डॉ. हरेश्वर राय
1.
मेरे गाँव का पप्पू
  
असरदार हो गया
मेरे गाँव का पप्पू.
मुश्किल से इंटर किया
बी.ए. हो गया फेल
रमकलिया के रेप केस में
चला गया फिर जेल
  
रंगदार हो गया
मेरे गाँव का पप्पू.
  
नेताकट कुर्ता पाजामा
माथे पगड़ी लाल
मुँह में मीठा पान दबाये
चले गजब की चाल
  
ठेकेदार हो गया
मेरे गाँव का पप्पू.
  
पंचायत चुनाव में
काम हो गया टंच
जोड़ तोड़ का माहिर पप्पू
चुना गया सरपंच
  
सरकार हो गया
मेरे गाँव का पप्पू.
2.
फागुन में आया चुनाव
  
फागुन में आया चुनाव
भजो रे मन हरे हरे
कौए करें काँव काँव
भजो रे मन हरे हरे.
  
पाँच साल पर साजन आये
गेंद फूल गले लटकाये
इनके गजब हावभाव
भजो रे मन हरे हरे.
  
मुंह उठाये भटक रहे हैं
हर दर माथा पटक रहे हैं
सूज गए मुंह पाँव
भजो रे मन हरे हरे.
  
बालम वादे बाँट रहे हैं
थूक रहे हैं, चाट रहे हैं
पउवा बँटाये हर गाँव
भजो रे मन हरे हरे.
  
अबकी हम पहचान करेंगे
सोच समझ मतदान करेंगे
मारेंगे ठाँव कुठाँव
भजो रे मन हरे हरे.
  
संप्रतिः प्राध्यापक (अंग्रेजी) शासकीय पी.जी. महाविद्यालय सतना, मध्यप्रदेश.
पत्राचारः पांचजन्य, बी-37, सिटी होम्स कॉलोनी, जवाहर नगर, सतना, मध्यप्रदेश-485001
मो. 09425887079, 07672296198
  
ईमेल royhareshwarroy@gmail.com
   ------

आधुनिक नेता


जयप्रकाश विलक्षण
  
मेहनत की रोटी खाते हैं.
अपने हाथों से काटकर,
जनता की बोटी खाते हैं..
  
नल में पानी साफ नहीं है,
मिनरल वाटर मंहगा है.
इसलिए,
जनता का खून पीते हैं,
बेचारे बड़ी मुश्किल में जीते हैं.
  
रोटी से कब्ज हो जाती है,
दूध से दस्त लग जाते हैं,
बस यही मजबूरी है,
कि रिश्वत खाते हैं.
  
किसी का खून करवाते हैं,
भतीजे को नौकरी लगवाते हैं.
तो क्या बुरा करते हैं?
अरे इस तरह तो वे,
बेकारी और आबादी की समस्या
हल करते हैं?.
   --------

व्यंग्य कविता


जाँच के आदेश
रामकिशोर उपाध्याय

कौन
खड़े हो क्यों मौन
हुजूर मैं एक मजदूर
पैसे से हूँ मजबूर
कभी किसी की बाई
कभी किसी की रसोई की सफाई
बेटा और कभी बेटी बीमार
कभी बूढ़ी माँ को पैसे की दरकार
बहुत महंगाई है
दाल भी सौ रुपये में एक किलो आई है
प्याज का दाम न पूछो
किसकी कुर्सी का बाप है, न पूछो
किस-किस का भाव बताऊँ
कौन-कौन सा दुखड़ा सुनाऊं
नौकरी से भी आपने निकाल दिया...
सरकार कुछ मदद हो जाये
दूंगा दुआ
मिलेगी अगर बीमार को दवा
साहब खैरात नहीं
उधार चाहिए
हर महीने की मजदूरी से कटना चाहिए 
अब यह कैसे कहूँ...
  
न जाने कहाँ से आ जाते हैं
खुद को खुद्दार बताते हैं
पर मजदूर
और मजबूर
होने का नाटक दिखाते हैं
कहाँ से दें तुम्हें?
पिछले साल साढ़े चार फीसदी बढ़ा व्यापार
घाटे ने किया चौपट है और लाचार
पेट्रोल और डीजल के दाम में आग लगी
तो मजदूरों की छटनी करनी पड़ी
बीबी और बच्चों का जेबखर्च
नहीं कर सकते कम
वे तो कर देते हैं नाक में दम
  
होटल में जाना कर दिया कम
रोज नहीं, बस तीसरे दिन में गए थम
  
सुनकर
मजदूर पत्रकार की ओर मुड़ा
पत्रकार भी भूख से रहा था लड़खड़ा
बोला मजदूर...
मित्र, तुम तो हमारे सच्चे हितैषी हो
यहीं के और देशी हो
कैसे चलेगा जीवन...
कुछ तो लिख डालो, चलो दो कलम
और कुछ लोन ही दिला दो
  
साहेब ने पत्रकार को देखा
और कहा यह मेरा छटनी किया मजदूर है
फिर उसे कागज का टुकड़ा दिया थमा
मजदूर समझा नहीं
पत्रकार बोला...
मजदूर मित्र तुम्हारे विषय में ही लिखूंगा
अगले दिन खबर छपी
छटनी किये मजदूर ने
उधार न देने पर
मालिक से बदसलूकी की
और बाद में खुदकुशी कर ली...
मजदूरों का एक धड़ा
इसे साजिश मानने पर अड़ा 
सरकार ने जाँच के आदेश दे दिए हैं...

-----------

काव्य जगत


डॉ. राजकुमार ‘सुमित्र’ 
  
दोहे
अवमूल्यन नेतृत्व का, बौने सब श्रीमान.
निहित स्वार्थ की भट्ठियां, जलता हिन्दुस्तान.
  
इंसानी कमजोरियां, सहज और स्वीकार.
लेकिन वो तो खड़े हैं, सीमाओं के पार.
  
तिरियाओं के ‘चरित’ का, काफी हुआ बखान.
नेताओं के चरित्तर, काटें उनके कान.
  
प्रतिपल मन पर घन चलें, चलें पीर पर तीर.
गधे पंजीरी खा रहे, सांड़ों को जागीर.
  
नियम-धरम सब ढह गया, राजनीति तूफान.
बुद्धि न्याय सहमे डरे, टुच्चों का सम्मान.
  
मेहनतकश भूखा मरे, अवमूल्यित विद्वान.
हर लठैत ने खोल ली, भैंसों की दुकान.
  
नेता अंधी भेड़ है, सत्ता है दीवार.
राजनीति अब हो गई, वेश्या का व्यवहार.
  
सम्पर्कः 112, सराफा, जबलपुर (म.प्र.)
मोः 9300121702
  
  
  
  
बुन्देली गीत
आचार्य भगवत दुबे

  
सैंया न जइयो कलारी
सैंया न जइयो कलारी, बिनती है हमारी.
मिट गई गिरस्ती सारी, जइयो न कलारी.
     
      ये दारू ने घर फुंकवा दओ
      गहना-गुरिया सब बिकवा दओ
बिक गये हैं घर-बाड़ी, जइयो न कलारी.
     
      खाबे के लाले पड़ गये हैं
      अंग-अंग पीरे पर गये हैं
कर दओ हमें भिखारी, जइयो न कलारी.
     
      बच्चों के भी छूटे मदरसा
      आबारा घमूत हैं लरका
कर रये चोरी-चपारी, जइयो न कलारी.
     
      हो रइ गली-गली बदनामी
      अनब्याही है बिटिया स्यानी
नइया कछू तैयारी, जइयो न कलारी,
सैंया न जइयो कलारी, बिनती है हमारी.
  
सम्पर्कः पिसनहारी मढ़िया के पास,
जबलपुर-482003 (म.प्र.)
मोः 9300613975
  
रघुबीर ‘अम्बर’
  
ग़ज़ल

दवा हूं गम की खुशी बेमिसाल देता हूं.
मैं कर के नेकियां दरिया में डाल देता हूं.
  
डरा नहीं मैं किसी दौर में सितमगर से,
जो बात सच है वो मुंह पर उछाल देता हूं.
  
खुदा अगर है तू मेरा निज़ाम भी सुन ले,
जरा हो शक़ तो समुन्दर खंगाल देता हूं.
  
नहीं कुबूलते बच्चे हराम की दौलत,
उन्हें हमेशा मैं रिज्के-हलाल देता हूं.
  
मैं अपने घर की फजा खुशगवार करने को,
अहम से लड़ता हूं रिश्ते सम्हाल देता हूं.
  
नहीं जवाब मिला मुझको जिन सवालों का,
उन्हें मैं मजहबी सांचों में ढाल देता हूं.
  
वो अपनी सोच को ‘अम्बर’ जुबां न दे पाये,
मैं अपने शेर लहू में उबाल देता हूं.
  
सम्पर्कः इयू. नं. 7, कचनार सिटी,
विजय नगर, जबलपुर-482002 (म.प्र.)
मोः 8349855808


श्रीश पारिक
बदलाव

किसी झूले को सिसकते हुए देखा
उस अंधेरे में चांद की रोशनी में
झांक रहा था चर मर की आवाजों के बीच
सिसकियां दब रही थीं जब बच्चे आ जाते थे पार्क में
खेला करते थे धूल उड़ जाती थी
और घाव भर जाते थे झट से किलकारी के बीच
जब सब होते थे उसके चारों ओर
शहंशाह सा महसूस करता था वो
और सबके जाते ही लगता था
गरीबी का दौर चालू हो जाता था
ना आटा ना दाल ना चावल
सब होते हुए भी बिरयानी बनती नहीं थी
बना लेते थे कभी बेमन से तो भी
हलक से निवाला नहीं उतरता था अकेलेपन में
लगता था मानो रूह निकल गई हो शरीर से
क्यों खुशियां हर पल साथ नहीं होती
सब वहीं होते हुए भी वक्त क्यों करवट लेता है
कातर आंखें आज भी सिसकी सुनती हैं
जब जब उस झूले में चर चर की आवाज होती है.
  
सम्पर्कः सुनार मोहल्ला, बदनौर,
भीलवाड़ा (राजस्थान)
  
एम. पी. मेहता
हम इंसान हैं

सृष्टि में सर्वश्रेष्ठ हैं हम,
क्योंकि इंसान हैं हम
स्वच्छंद भ्रमण हमारी आदत है,
दूसरों को गुलाम बनाना हमारी ताकत है.
  
झूठ बोलना हमारी मजबूरी है
दूसरों का मुंह बंद करना हमारी कमजोरी है.
  
दोषी को निर्दोष साबित करना
निर्दोष को फांसी पर चढ़ा देना,
हमारे बाएं हाथ का खेल है
क्योंकि हम रखते सबसे मेल हैं.
  
नर-पशु में फर्क समझता नहीं
पशु पक्षी और सर्प, मछली
सबकुछ खा सकता हूं मैं
तभी तो सर्वभक्षी कहलाता हूं मैं.
  
मांस-मांस में फर्क करता नहीं
इंसानी रिश्तों को जानता नहीं
क्या बहु और क्या बेटी,
क्या छोटी और क्या बड़ी
सभी को शिकार बनाता हूं मैं.
  
मेरा पेट कभी भरता नहीं
खुद को भूखा रख सकता नहीं
भूखे को खाना देता नहीं
  
दूसरे को खाते देख सकता नहीं
नंगे को कपड़ा पहनाता नहीं,
  
दूसरे का खाना छीन सकता हूं मैं
पशुओं का चारा खा सकता हूं मैं
  
गरीबों को हक मारकर धन का ढेर लगाता हूं मैं
अपनों का खून बहाकर, अपनी संपत्ति बढ़ाता हूं मैं
  
मां-बाप की सेवा भाता नहीं
मेरा अपमान करे, सुहाता नहीं
मां-बाप का सहारा बनूं अच्छा लगता नहीं
औरत का सम्मान बर्दाश्त होता नहीं
  
मैं हूं ऐसा मदारी,
नाचते मेरे इशारे पर सभी
दारोगा, पेशकार और पटवारी
सरकार हो या सरकारी कर्मचारी
  
मैं हूं एक बलात्कारी,
करता हूं मैं रोज बलात्कार
मुझे नहीं कोई सरोकार,
अपने घर की हो या परायी नारी.
  
जिस्म का धंधा है मेरा कारोबार
करता हूं मानव अंग का व्यापार
मैं हूं ऐसा भिखारी
मुझे ही टैक्स देते सभी भिखारी
क्या मंदिर और क्या मजार
हर जगह करता मैं सख्त निगरानी
बच नहीं सकता मुझसे कोई,
लेता हूं मैं सबसे रंगदारी
  
हर घृणित काम करता हूं
घृणा और नफरत फैलाता हूं
धर्म के नाम पर दंगा फैलाता हूं
फिर भी रामनाम का जाप करता हूं
  
समाज को बांटने का काम करता हूं
भाइयों को आपस में लड़ाता हूं.
देशद्रोहियों से हाथ मिलाता हूं,
फिर भी देशभक्त कहलाता हूं.
  
हम हैं मौत के सौदागर
सस्ते दामों में करते हैं
चोरी, डकैती, अपहरण और बलात्कार
हर किस्म की मौत देते हैं
ग्राहक हो यदि खरीदने को तैयार.
  
हम हैं सृष्टि के घृणित प्राणी
हम करते हैं हर वो काम
मानवता होती है जिससे बदनाम
शर्म आती नहीं हमें
मुर्दों का कफ़न छीनने में
लाज लगती नहीं हमें
दूध मुंहे बच्चे का दूध पीने में.
  
सम्पर्कः मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (या. से.)
पश्चिम मध्य रेल, जबलपुर
मोः 9752415951

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : कविताएँ
प्राची-अप्रैल 2017–हास्य-व्यंग्य विशेषांक : कविताएँ
https://lh3.googleusercontent.com/-Ld2x5JERWcc/WSpomc1kRtI/AAAAAAAA4s4/T2CHX3erRx8yN7ni5CvRwFXajOZKl7EQQCHM/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-Ld2x5JERWcc/WSpomc1kRtI/AAAAAAAA4s4/T2CHX3erRx8yN7ni5CvRwFXajOZKl7EQQCHM/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/05/2017_85.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/05/2017_85.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content