मुखौटों का जादुई संसार - सोनम सिकरवार एवं रेखा श्रीवास्तव

SHARE:

शोधार्थी - कु. सोनम सिकरवार निर्देशिका - डॉ. रेखा श्रीवास्तव सहायक प्रध्यापक शास.म.ल.बा. कन्या महा. भोपाल मुखौटों का जादुई संसार मु...

शोधार्थी- कु. सोनम सिकरवार

निर्देशिका- डॉ. रेखा श्रीवास्तव

सहायक प्रध्यापक

शास.म.ल.बा. कन्या महा. भोपाल

clip_image002

मुखौटों का जादुई संसार

मुखौटा, मुखटा भतरा, भुरिया, यातुक

सम्पूर्ण विष्व में आदि काल से मुखोटे का प्रचलन रहा है। आज भी अनेक अवसरों पर कुछ जाति विषेष में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है। आदिवासियों में मुखौटे के लिये मुखटा शब्द प्रचलित है। मुखौटे मुख का प्रतिरूप भी होते हैं मुखौटे का अर्थ जिससे मुख को ओट करे,। मुखौटे का प्रथम प्रयोग यातु मूलक रहा है जिसमें तंत्र मंत्र और जादुई प्रभाव की केन्द्रियता रही है। देवीलाल पाटीदार का मानना है कि किसी का भी चेहरा दो तरह का होता है एक-जो हम सबके सामने रखते हैं। दूसरा-वो जो हमारे भीतर होता है और विभिन्न भाव लिए रहता है। उन्होंने चित्रों में मानवों के मुख पर आने वाले हर भाव को प्रस्तुत करने का प्रयास किया हैं। जिसमें स्नेह, क्रोध, दुख, खुशी आदि शामिल हैं।

प्रागैतिहासिक काल से ही आदिमानव कला के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति करते आये हैं। पाषाण पर निर्मित भित्ति अलंकरण इसके प्रबल साक्ष्य हैं। इसी तरह आदिमानव जब विकास के पथ पर था तभी से उसने मुखौटें का रहस्य समझ लिया था इसलिए उसने अपने अनुष्ठान और कला में मुखौटों को स्थान दिया लगभग सभी संस्कृतियों में संचार के प्रयोजनों में किसी न किसी रूप में मुखौटे रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रकट करते रहे हैं।

मुखौटों का प्रचलन लोक एवं आदिवासी समुदायों में भी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, नृत्यों, महामारियों बीमारियों, दुष्टात्माओं, विपदाओं से मुक्ति मनोरंजन इत्यादि के लिये आदिकाल से ही रहा है। यह कहा जा सकता है कि मुखौटों के माध्यम से आदिमानव ने''सौन्दर्यबोध और रचनात्मकता को कला प्रतिभाओं के माध्यम से अभिव्यक्तियाँ दी है, मुखौटों का उपयोग उत्सवों में नृत्यों के दौरान करने से लेकर नाटकीय प्रस्तुतियों में चरित्रों के निर्वहन में बखूबी होता है।''(1) संभवत मुखौटे आदिम युग से मनुष्य की कल्पनाशीलता एवं रचनात्मक का दोहन किया है। मनुष्यता के संबंध में भी शिकारियों के मुखौटों को शैलचित्र कला में देखकर आज भी अभिव्यक्ति से संबंधित सटीक अनुमान लगाये जा सकते हैं।

मुखौटों का प्रचलन न केवल भारत में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में प्रचलित होने के प्रमाण उपलब्ध होते हैं। जो अत्यधिक कल्पनाशील बहुआयामी, जादुई धार्मिक और वैविध्यपूर्ण होते हैं।

मुखौटों के प्रयोजन, निर्माण एवं उपयोग से संबंधित तथ्यों को समझने से पूर्व मुखौटों के अर्थ को समझना समीचीन होगा। मुखौटे का अर्थ ''मुख की ओट से कहा जाए वह मुखौटा कहलाता है।'' मुखौटा मुख का प्रतिरूप भी होता है। प्रतिरूप बदला भी जा सकता है मुखौटा मनुष्य के आंतरिक और बाह्य भाव विचार का दर्पण होता है। मुखौटा मुख का प्रतिबिम्ब भी होता है। चेहरे पर भाव और विचार के हजारो रंग और रूप देखे जा सकते है। फलस्वरूप मुखौटे भी हजारों तरह के हो सकते हैं। मुखौटे का प्रथम प्रयोग यातु मूलक है जिसमें तंत्र मंत्र और जादुई प्रभाव की केन्द्रियता रही है।

मुखौटा यानी मुख की ओट करे अर्थात चेहरे पर चढ़ाया गया नकली चेहरा आँख कान ओंठ नाक और शरीर के सभी अंगों के माध्यम से बनायी जाने वाली विविध भंगिमाओं के द्वारा एक अकल्पित व्यक्तित्व को धारण करना।(2) आदिवासियों में मुखौटे के लिये मुखटा शब्द प्रचलित है जो मूर्ति और मुखाकृति की अभिव्यंजना से साम्यता रखता है।

देवीलाल पाटीदार का मानना है कि किसी का भी चेहरा दो तरह का होता है एक-जो हम सबके सामने रखते हैं। दूसरा-वो जो हमारे भीतर होता है और विभिन्न भाव लिए रहता है। उन्होंने चित्रों में मानवों के मुख पर आने वाले हर भाव को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। जिसमें स्नेह, क्रोध, दुख, खुशी आदि शामिल हैं।(3) अधिकतर मुखौटे उपयोगकर्ताओं द्वारा स्वयं तैयार किये जाते हैं किन्तु भवाड़ा से सम्बधित मुखौटे सभी उपयोगकर्ताओं द्वारा नहीं बल्कि उनमें से ही कुछ विशेषज्ञों द्वारा बनाये जाते हैं और उनके लकड़ी के आकार बहुत बड़े होने के कारण इसमे लगने वाली लकड़ी सामुदायिक प्रयास से एकत्रित कर पहुँचायी जाती है। कलाकार का घर नाटकघर के वर्कशाप जैसा दृश्य उपस्थित करता है। जिसमें अनेक मुखौटे एक साथ बनने होते है जिन्हें दूर-दूर के गाँव के लोग आकर ले जाते हैं।

''सामान्यतः व्यक्ति के अंदर भी एक अदृश्य मुखौटा होता है एक तो वह जो वह दिखता है और एक वह जो वास्तव में होता है सामान्यतः व्यक्ति अपनी मुखाभिव्यक्ति को छुपाने के लिये मुखौटे का प्रयोग करते हैं जबकि कलाकार अपनी अनुभूतियों की बाह्य अभिव्यक्ति हेतु विभिन्न रूपाकारों में मुखौटे का निर्माण करता है। विभिन्न माध्यमों में निर्मित मुखौटों से व्यक्ति उसके वातावरण और यथार्थ की प्रस्तुति सशक्त तरीको से कर सकता है।''(4)

प्रागैतिहासिक काल के गुहा चित्रों में मुखौटे का अंकन इस बात के प्रमाण हे कि आदिम मानव मुखौटे का प्रयोग करना जानता था। मुखौटे के लिए पहला साधन पत्ता रहा होगा फिर मिट्टी के मुखौटे बने होंगे। विकास के साथ-साथ कपड़े लुगदी आदि के मुखौटों का निर्माण होता चला गया और वर्तमान में भी आदिवासी समुदाय मुखौटों का प्रयोग विभिन्न संस्कारों में करता आ रहा है।

वैश्विक परिदृश्य पर भी नजर डाले तो प्रत्येक देश के अपने अलग-अलग रंग एवं रूपाकारों के मुखौटों की परम्परा मिलती है मुखौटों की दुनिया ही अलग है जो मनुष्य को एक चमत्कारी रहस्यमयी माहौल में ले जाते है विश्व में कई देशों में मुखौटों की परम्परा विभिन्न संस्कारों में प्रचलित है जिसमें अलग-अलग माध्यमों में एवं रूपाकारों में निर्मित मनोहारी आकर्षक मनमोहक एवं यातुक मुखौटों के उदाहरण उपलब्ध है।

जिसमें अफ्रीका के आदिम मुखौटे विशाल आकार के होते हैं। पितरों के प्रतीक रूप में इनकी पूजा होती है। मिश्र के ममी मुखौटे विश्व भर में प्रसिद्ध है यहाँ के भित्ति चित्रों में भी देवताओं के मुखौटों का अंकन मिलता है।

यूरोप के अनेक स्थानों पर शव को मुखौटा लगाकर दफनाने की परम्परा रही है। कम्बोदिया में शव को व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुरूप सोने, चाँदी, पीतल या मिट्टी के मुखौटे पहनाकर दफन करने की प्रथा प्रचलित थी।

चीन में चानवंश के पीतल के मुखौटे मिलते हैं, जापान में नोह नाटक के तथा मलेशिया सिक्किम भूटान के लकड़ी के मुखौटे, कांगो में लकड़ी पर खरादे गये मुखौटे प्रसिद्ध है। श्रीलंका में भी भारत के अनेक प्रांतों के सदृश्य भूत-प्रेत भगाने के लिए, पशुओं को निरोगी रखने, रक्षा, आवासीय स्थल को दुष्टात्माओं से बचाने के लिए मुखौटे लगाये जाते हैं। तिब्वत मुखौटो के अद्वितीय संसार के लिये जाना जाता है।

एशिया के देशो में धार्मिक कर्मकाण्डों के अलावा नाटकों और नृत्यो में मुखाटों का उपयोग होता है भारत में कथकली, यक्षगान, छाऊ नृत्य और विभिन्न रामलीला शैलियों में मुखौटों का प्रयोग होता है। महाराष्ट्र, गुजरात और दादर नगर हवेली में रहने वाली कुछ जनजातियों के भवाड़ा नृत्य मुखौटे पहनकर करते हैं। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की जनजाजियाँ मुखौटों को विवाह और अन्य पर्वों पर उपयोग करती है।

कुछ गैर आदिवासी समाजों में मुखौटे का उपयोग धार्मिक न होकर नाटकों में चरित्र के प्रकार के अनुसार उसके चेहरे को एक भिन्न शक्ल देने के लिये ही किया जाता है। म.प्र. के आदिवासियों में नृत्य, नाट्य, उत्सव आदि अवसरों पर मुखौटे धारण करने की परम्परा रही है। माण्डला जिले के गोण्ड और सरगुजा के पण्डों, कॅवर और उराँव आदिवासी मुखौटों को विभिन्न रूप से प्रयोग में लेते है। बस्तर की भतरा जनजाति में भरता नाट में विभिन्न मुखौटों का चलन है जैसे गणेश, जामवन्त, हनुमान आदि। मुखौटों का बाह्य स्वरूप न केवल आदिवासियों को वरन दर्शकों को भी प्रभावित एवं आकर्षित करता है। (5)

मुखौटों ने म.प्र. के समकालीन कलाकारों को भी विषय बनाकर कृति निर्माण की ओर प्रेरित किया। ऐसे ही कलाकारो में देवीलाल पाटीदार का नाम भी जाना जाता है। जिन्होंने मुखोटे विषय पर अनेक कृतियों का निर्माण किया है। इस कार्य की प्रेरणा उन्हें बचपन से गाँव में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों से मिली जिसमें वे स्वयं गाँव में नृत्य, तीज, त्यौहारों आदि अवसरों पर होने वाले कार्यक्रमों में मुखौटे तैयार करते थे। वहीं से उन्हें इन विषयों को लेकर चित्र बनाने की असीम लालसा उठी थी जिसे उन्होंने कालान्तर में कार्य रूप में परिणित किया और इन्ही विषयों पर अनेक चित्रों की श्रृंखला तैयार की।

आज देवीलाल पाटीदार ने कला में अपना एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है उनकी कला ने उन्हें भारत में ही नही विदेशों में भी सम्मान दिलाया है आज पाटीदार अपने गुणों के कारण काम में बहुत सिद्धहस्त हो चुके हैं।

किसी भी व्यक्ति को समझने में उन्हें वक्त नहीं लगता और जब वह अपना काम करते हैं तो जीवन के कई पहलुओं को अपने काम में शामिल करते हैं। पाटीदार उन सफल कलाकारों की श्रेणी में आते हैं जो अपनी मिट्टी से गहराई से जुड़े हैं।

 

clip_image004

 सम्पूर्ण विष्व में आदि काल से मुखोटे का प्रचलन रहा है। आज भी अनेक अवसरों पर कुछ जाति विषेष में मुखौटे का प्रयोग किया जाता है। आदिवासियों में मुखौटे के लिये मुखटा शब्द प्रचलित है। मुखौटे मुख का प्रतिरूप भी होते हैं मुखौटे का अर्थ जिससे मुख को ओट करे,। मुखौटे का प्रथम प्रयोग यातु मूलक रहा है जिसमें तंत्र मंत्र और जादुई प्रभाव की केन्द्रियता रही है।

देवीलाल पाटीदार का मानना है कि किसी का भी चेहरा दो तरह का होता है एक-जो हम सबके सामने रखते हैं। दूसरा-वो जो हमारे भीतर होता है और विभिन्न भाव लिए रहता है। उन्होंने चित्रों में मानवों के मुख पर आने वाले हर भाव को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। जिसमें स्नेह, क्रोध, दुख, खुशी आदि शामिल हैं। वैश्विक परिदृश्य पर भी नजर डाले तो प्रत्येक देश के अपने अलग-अलग रंग एवं रूपाकारों के मुखौटों की परम्परा मिलती है मुखौटों की दुनिया ही अलग है जो मनुष्य को एक चमत्कारी रहस्यमयी माहौल में ले जाते हैं विश्व में कई देशों में मुखौटों की परम्परा आज भी विभिन्न संस्कारों में प्रचलित है जिसमें अलग-अलग माध्यमों में एवं विभिन्न पशुओं पक्षियों एवं काल्पनिक रूपाकारों में निर्मित मनोहारी आकर्षक मनमोहक एवं यातुक मुखौटों के उदाहरण उपलब्ध है।

मुखौटों ने म.प्र. के समकालीन कलाकारों को भी विषय बनाकर कृति निर्माण की ओर प्रेरित किया। ऐसे ही कलाकारो में देवीलाल पाटीदार का नाम भी जाना जाता है। जिन्होंने मुखोटे विषय पर अनेक कृतियों का निर्माण किया है। इस कार्य की प्रेरणा उन्हें बचपन से गाँव में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों से मिली जिसमें वे स्वयं गाँव में नृत्य, तीज, त्यौहारों आदि अवसरों पर होने वाले कार्यक्रमों में मुखौटे तैयार करते थे। वहीं से उन्हें इन विषयों को लेकर चित्र बनाने की असीम लालसा उठी थी जिसे उन्होंने कालान्तर में कार्य रूप में परिणित किया और इन्ही विषयों पर अनेक चित्रों की श्रृंखला तैयार की।

आज देवीलाल पाटीदार ने कला में अपना एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है उनकी कला ने उन्हें भारत में ही नही विदेशों में भी सम्मान दिलाया है।

संदर्भ -

1. तिवारी कपिल संपादक, प्रतिरूप (म.प्र. के जनजातिय मुखौटे) प. पक्रिया

2. तिवारी कपिल संपादक, प्रतिरूप ''(म.प्र. के जनजातिय) मुखौटे

3. साक्षात्कार, पाटीदार देवीलाल भारत भवन 4 जुलाई 2014

4. ब्रोशर अन्तराष्ट्रीय मास्क प्रदर्शनी दिल्ली नव सिद्धार्थ आर्ठ ग्रुप दिनांक 2012

5. मुखौटा गैलरी, इंद्रगाँधी मानव संग्राहलय भोपाल में प्रदर्शित

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मुखौटों का जादुई संसार - सोनम सिकरवार एवं रेखा श्रीवास्तव
मुखौटों का जादुई संसार - सोनम सिकरवार एवं रेखा श्रीवास्तव
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj2J-rKr3UuY7ARCDyet01EJ-CzblekEwXKFh7hHyTG_3NPIzum0a5wgUXDxb2GtYkj1oaZHub5EwpTmKRhZChEPiX9eGc9LqZwegQ54UvHeT8Vi9K2lK-sntkufAnIDdLd8bh/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjj2J-rKr3UuY7ARCDyet01EJ-CzblekEwXKFh7hHyTG_3NPIzum0a5wgUXDxb2GtYkj1oaZHub5EwpTmKRhZChEPiX9eGc9LqZwegQ54UvHeT8Vi9K2lK-sntkufAnIDdLd8bh/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/05/blog-post.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/05/blog-post.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content