अनूदित कहानी (गुजराती) // बेचारी चम्पूड़ी // मूल कहानी लेखिका : वर्षा अडालजा // अनुवाद : डॉ. रोशन जी शहानी

SHARE:

  जयहिंद कॉलेज के अंग्रेजी विभाग से अवकाश प्राप्त। केनेडियन विमेन्स फिक्शन' पर (कनाडा) से पीएच. डी. के लिए शोध अध्येता की वृत्ति प्राप्त...

image

जयहिंद कॉलेज के अंग्रेजी विभाग से अवकाश प्राप्त। केनेडियन विमेन्स फिक्शन' पर (कनाडा) से पीएच. डी. के लिए शोध अध्येता की वृत्ति प्राप्त। शोध की उपाधि एस.एन. डी. टी. से। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित। संप्रति: हिन्दी भाषा व साहित्य का अध्ययन। देश-विदेश में भ्रमण की रुचि।

दरसनिया ने जोर से तबले पर थाप मारी। उसके हाथो पर बँधे हुए घुँघरू और गले की बुलंद आवाज ने मकान की, अठहत्तर माले की ऊँचाई तक पहुँचने की कोशिश की भाई ने नई फिल्म का प्रसिद्ध गाना शुरू किया और चम्पूड़ी खुश होकर, अपना शरीर ज्यों- त्यों मोड़कर नाचने लगी। अब तक कोई खास लोग जमा न होने के कारण, उसने अपनी नजर कंपाउंड के कोने में बैठी हुई माँ पर दौड़ाई। दो गलियों में नाचने के बाद आज इतनी शानदार बिल्डिंग के कंपाउंड में वे लोग पहली बार आए थे। नाचते-नाचते चम्पूड़ी ने एक बार फिर से मकान की ओर नजर उठाई। आज वह खुश थी। ऐसे बड़े-बड़े मकानों पर जाने के लिए चम्पूड़ी ने माँ और भाई से बहुत बार विनती की थी और आज तो रो-रोकर, जिद करके वालकेश्वर आ पहुँची थी। जब से यह मकान बन रहा था, तब से वह चाहती थी कि वह यहाँ पर आकर नाचे। इसीलिए, आज सुबह- सुबह घर से निकलते ही वह दरसनिया का दिमाग चाटने लगी।

' ए ' भईला' आज तो वालकेस्वर' जाना ही पडेगा। '

रोज की तरह आज भी दरसनिया चिढ़ गया। ' 'तुझे कितनी बार मना किया है। इन बड़े लोगों के दिल तो एकदम छोटे होते हैं। तू अभी छोटी है समझेगी नहीं। ' ' पीछे-पीछे, चलती हुई जीवली क्रोधित होकर बोली ' ' तुझे तो हर रोज नए-नए सपने सूझते हैं। घर  के हंडे खाली पड़े हैं, तुम लोगों को क्या खिलाऊंगी? रात से तेरे बाप को दमा चढ़ रहा है और कानिया को बुखार चढ़रहा है। दोनों के लिए हमें पैसे फूँकने पड़ेंगे। हमे पड़ोस में ही जाना है, वही ठीक होगा। ' '

चम्पूड़ी की गुस्से- भरी आँखे माँ की गोद में बैठे हुए भाई को घूरती रही। जब भी सुनो तब बाप का दमा और भाई का बुखार। छोटा भाई था तो उसको प्यारा पर जब-तब वह बीमार पड जाता था। और गए सब पैसे दवाई के लाल पानी मे। एक जमाना था जब माँ उसे आइसक्रीम खिलाती थी, कभी-कभी पिपरमिंट खाने को मिलती थी। पर जबसे यह कानिया घर में आया है, तबसे... ' 'चलो-चलो पैर उठाओ' '। सिर हिलाते निराशा भरी साँस लेते हुए, भागकर चम्पूड़ी दरसनिया के पास जा पहुँची। रेलवेलाइन की झोपडियों के पास जब वह पहुँची तब उसका मन कड़वाहट से भर उठा, मानो वह पहली बार यहाँ पर आ पहुँची हो। गंदे पानी की धाराएँ यहाँ-वहाँ बह रही थीं। सड़े हुए कचरे की बदबू से उसका जी घबराने लगा। उसने तुरंत अपने फटे हुए घाघरे की किनारी नाक में घुसाई।

काले, गंदे बच्चे व बाल खुजलाती हुई औरतें, सूखी हुई छाती पर अपने बच्चों को रखते हुए उनकी ओर आ पहुँची। बीडी के हूँठ फूँकते हुए या मंजन करते हुए या कंघी करते हुए थोडे-बहुत पुरुष भी वहाँ पर जमने लगे।

दरसनिया का गाना शुरू होते ही, चम्पूड़ी ज्यों- त्यों शरीर को मोड़कर नाचने लगी। मुँह बिगाड़कर उसने आसपास नजर दौड़ाई। मगर जो भी हो ये भले लोग थे। उसका नाच देखकर खुश हो जाते थे। कई बार उसको खाना-पीना देते थे और थोडे-बहुत सिक्के भी मिल जाते थे।

लेकिन आज तो चम्पूड़ी बहुत ही जिद करती रही ' ' चले वालकेस्वर उस बडे मकान की ओर' '। अंत में, परेशान होकर जीवली ने उसकी बात मान ली।

करीब एक घंटे तक चलने के बाद जब वे वालकेश्वर पहुँचे तब बेचारी जीवली तो थककर बेहोश-सी हो गई थी। कानिया भी बुखार की बेहोशी में पड़ा था। इन सब को तेज प्यास लगी थी, पर यहाँ पर पानी मिलना कठिन-सा था। जीवली जाकर गैरेज की छाया में बैठ गई।

' झट-पट करो बच्चे यहाँ पर तो सब बड़े लोग रहते हैं। ''

नए पेट किए हुए मकान पर सूर्य की सुनहरी किरणें गिर रही थी, अत. वह अधिक शानदार लग रहा था। चम्पूड़ी थकान, प्यास, सब भूल गई। उछलते हुए वह बोली, ' भायला, देखते रहना पैसे गिरेंगे टपाटप इतने कि तेरी जेब में समा भी नहीं सकेंगे। '

कंपाउंड की चमकीली मोटरें और अनोखी बिल्डिंग की शान-शोभा देखकर अब दरसनिया भी रंग में आ गया। ' ' देख चम्पूड़ी, अगर काफी पैसे कमाएँगे तो मैं तुझे फाटा पिलाऊँगा। शुरू कर दे अब दम लगाके। ' ' चम्पूड़ी कंपाउंड के बीच खड़ी हो गई। दरसनिया की मधुर टीपदार 'ये. दोस्ती. .हम नहीं तोड़ेंगे. ' ऊँची बिल्डिंग की बद खिड़कियों पर जा टकरायी। हीरोईन की एक्टिंग ध्यान में रखकर चम्पूड़ी नाचने लगी।

एक के बाद एक टपाटप खिड़कियों पर चेहरे दिखाई पड़े। बहन- भाई खुश-खुश होकर एक दूसरे के चेहरे देखने लगे। चम्पूड़ी ने माँ की ओर नजर दौड़ाई। आज तो मिल जाएँगे, फाटा और कानिया की दवाई के पैसे। एक के बाद एक टपाटप ।

चम्पूड़ी ने एक बार फिर से खिड़कियों की ओर नजर दौड़ाई। सूर्य के प्रकाश में हीरे की तरह वे चमक रही थी। बालकनियो में उगाए हुए फूल-पत्ते कितने मनोहर लग रहे थे पर अब देखो तो सब चेहरे गायब हो गए थे।

अपनी थकी हुई गर्दन को चम्पूड़ी ने नीचे किया। कुछ थोड़े से आदमी कंपाऊंड में घेरा-सा बनाकर जमा हुए थे, पर अब तक कुछ पैसे की टनटनाहट नहीं सुनाई दी थी। चम्पूड़ी की आँखों में पानी तैरने लगा। एक के बाद एक दरसनिया गीत गाता रहा पर अब उसके तबले की थाप भी धीमी हो गई थी। अचानक चम्पूड़ी ने एक सीटी सुनी। उसका ध्यान उस आवाज की ओर खिंचा। सामने की गाड़ी में एक ड्राईवर दरवाजा खोलकर गाड़ी की सीट पर बैठा था। उसके हाथों में कुछ चमक रहा था चम्पूड़ी का मन उछल पड़ा। खुश होकर वहाँ दौड़कर पहुँची और हाथ लंबा बढ़ाया। ड्राईवर ने तुरंत हाथ खींच लिया। चम्पूड़ी निराश हो गई।

हँसकर ड़ाईवर ने हथेली खोल दी। चमकता हुआ एक रुपया चम्पूड़ी के सामने मानो हँस रहा था। 'ले लो' ड्रायवर बोला। हाथ बढ़ाते ही उसने चम्पूड़ी का हाथ पकड लिया। फिर चम्पूड़ी की हथेली में सिक्का रखकर हाथ दबाकर बंद कर लिया।

दौड़कर, माँ की गोद में पैसे फेंक कर, वह फिर से नाचने लगी। वाह! क्या नसीब था। एक पूरा रुपया तो आज उसने पहली बार देखा। उत्साहित होकर जोश से अपना शरीर वह घुमाती फिराती, नाचती रही। अब तो एक भीड़ उसके आसपास हो गई थी

एक बार और उसकी नजरें मकान की ऊँची दीवारों पर ऊपर-नीचे सरकी। एक भी मेमसाहेब नहीं खडी थी उसका नाच देखने के लिए। सुबह से वह सपना देख रही थी कि आज तो माला-माल हो जाएँगे। यहाँ के रहवासी तो सब बडे लोग थे शायद कोई ऊपर से पुरानी रेशमी साड़ी फेंकेंगे या कोई रंगीला छोटा पड़ गया हुआ काक. लेकिन अब तो उसके पैर थक गए थे और उसको एक सिक्के के सिवा कुछ भी तो नहीं मिला।

बिल्डिंग से एक जवान जोड़ा आ निकला और एक बडी-सी, नई-सी लाल मोटर में वे जा बैठे। नाचती- नाचती, चम्पूड़ी वहाँ जा पहुँची। कितनी सुंदर थी वह युवती। चम्पूड़ी को तो वह बहुत ही पसंद आई। नसीब में होगा तो एक नोट तो जरूर दे देगी। लड़की के गुलाबी होठों पर एक हल्की-सी मुस्कान थी। झुककर, चम्पूड़ी ने अपना हाथ बढाया।

'चल हट' लड़के ने चिढ़ कर गाड़ी शुरू की। 'वाचमैन भी इतना स्टुपिड' है। '

फौरन गाड़ी कंम्पाउड के बाहर निकल गई। फेटा की बोतल भी चम्पूड़ी की दुखभरी आँखो के सामने से गायब हो गई। दरसनिया के थापने की गति की तरह चम्पूड़ी के भी पैरो की गति धीमी हो गई। सूरज भी मानो अपने दाँत पीसकर धूप फूँकने लगा था। इतने में उसने एक बार फिर से सीटी सुनी। सुनते ही उसका दिल आनंद से भर उठा। ड़ाईवर मंडली में खडा था और उसकी हथेली में कुछ चमक रहा था।

चमकते हुए सिक्के पर उसकी नजर थम गई और पैर नाचते रहे। पर सिक्के की खनक न सुन पाई। फिर सिक्केवाला हाथ थोड़ा सा ऊँचा हुआ और चम्पूड़ी के सामने हिलने लगा। उत्सुक होकर वह हाथ की ओर भागी। लेकिन सिक्का मानो हाथ में चिपक गया हो, वह हाथ में से उखाड़ नहीं सकी।

चम्पूड़ी को महसूस हुआ कि भीड़ शायद बढ़ रही थी क्योंकि उसका शरीर अब कुचलने लगा। पर सिक्के की खातिर वह अधिक जोश से नाचने लगी। और भी दो-चार छोटे-बड़े सिक्के मिले, उसके जी में जी आ गया। भाग्य साथ दे रहा था सो वह और भी दम लगाकर नाचने लगी। वह कौन-सी फिल्म थी, जहाँ उसका भाई उसे ले गया था? उसमे वह लड़की वैसी ही नाचती थी। एक के बाद एक के पास जाकर मुस्कुराती थी, नाचती थी। अब चम्पूड़ी भी एक के बाद एक के पास जाकर मुस्कुराने लगी लगातार नाचती रही। उस ऐक्ट्रेस की तरह वह भी अपना शरीर लटक-मटक करके मोड़ती रही अखियाँ मिलाने लगी, इशारे करने लगी। दो-चार नोट गंदी, फटी हुई चोली में जा खुस गये अब चम्पूड़ी को क्या परवाह थी अगर ऊपर से सेठानी पुराना फ्राक फेंके या नहीं उसकी कोमल छाती नोटों से ढंक गई थी। वह दरसनिया के पास गई ' लो भाइला '। खिलखिला कर हँसकर भाई के पास मसले हुए नोट रख दिये।

'माँ को दे' दरसनिया ने आँखे तरेरकर, ऐसी कठोर आवाज में कहा कि वह घबरा गई। भाई खुश क्यों नहीं था। जीवली की गोद में पैसे फेंकते ही उसको वह सीटी सुनाई दी। माँ का परेशान चेहरा देखे बिना वह दौड़ी। सूर्य प्रकाश की वजह से सिक्के की चमक और भी चमकीली लगी। पैसे पाने के लिए वह भीड़ के चक्कर में जा गिरी। ऊँचाई पर होने के कारण, उसने ऊँची छलाँग मारी। भीड़ के कारण उसकी छाती पर दबाव पड़ने लगा और दम घुटने लगा। थोड़ी देर तक वह भीड़ के चक्कर में फँस गई और बाहर निकल न सकी।

ड्राईवर बगल में ही खड़ा था। ' काईकु गबराती है? ' ' कहकर उसने चम्पूड़ी को आलिंगन करते हुए उसे भीड़ से बाहर निकाला राहत की साँस लेकर चम्पूड़ी उसके सामने मुस्कुराई। बेचारा कितना भला आदमी है। फिर से जोश में आकर वह नाचने लगी।

गोल-गोल चक्कर घूमने लगी पायल छन-छन बजने लगी, बिलकुल उस फिल्म एक्ट्रेस की तरह। वैसे ही उनको भी सब लोग पैसे देते थे। थकान प्यास, भूख सब कुछ वह भूल गई। बस, सब के सामने मुस्कुराकर नाचती रही। भीड़ बढती रही और उसको कुचलती रही। हर वक्त ड्राईवर उसे बचा लेता।

अचानक दस पैसे लेने के लिए बढ़ाए हुए हाथ को किसी ने झटक के खींचा। वह चौंक गई, दरसनिया का क्रोधित चेहरा देखकर वह घबरा गई।

' ' चल अभी, बहुत पैसे मिले, नहीं नाचना है। घर चल। ' 'पर भाइला थोड़ी ही देर के लिए। कल सिनेमा जाएँगे और आइसक्रीम भी खाएँगे। ' '

' 'एक बार कह दिया, सुना नहीं? एक थप्पड़ खाना है? चम्पूड़ी की कलाई पकड़कर वहाँ से वह फौरन निकल पड़ा। कानिया को कमर पर बैठाकर, जीवली भी साथ-साथ चलने लगी।

' 'जीते रहो भाई-बहन, जीते रहो। अब तो हमगंदी झोपड़ियों से दूर ही रहेंगे! ऐसे ही मकान की तरफ जाएँगे। ' ' चम्पूड़ी ने भाई की ओर नजर दौड़ाई, जो अब भी उसकी कलाई पकड़कर, उसे खींच रहा था। हिचकिचाकर वह बोली " माँ, वह फिल्म का नाच था न, जब मैं वह नाची तो सब राजी हो गए। सबको पसंद आ गया।

'' दरसनिया तुम दोनों आज जरूर फिल्म देखने जाना। ' भाई सिर झुकाकर, कब से चुपचाप चल रहा था, अब वह बिफरकर चिल्लाने लगा '' खबरदार, यहाँ पर आने का नाम भी लिया तो। टाँग ही तोड़ दूँगा। ''

बेचारी चम्पूड़ी को कुछ भी समझ में नहीं आया। भाई का हाथ पकड़कर, उदास चेहरा लेकर, वह कंपाउंड से बाहर निकल पड़ी।

---

पता: 21, सोविनियर, -ली पास्ता लेन कोलाबा, मुबई – 4००००5

---

(हिन्दुस्तानी ज़बान - अप्रैल-जून 2017 से साभार)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अनूदित कहानी (गुजराती) // बेचारी चम्पूड़ी // मूल कहानी लेखिका : वर्षा अडालजा // अनुवाद : डॉ. रोशन जी शहानी
अनूदित कहानी (गुजराती) // बेचारी चम्पूड़ी // मूल कहानी लेखिका : वर्षा अडालजा // अनुवाद : डॉ. रोशन जी शहानी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghVkiPKnGqubr2mNZ5JhCYL1Yj8AeKht4HX52013Q73RdM92afVZCLJJLulSnI6q2JPSGqiuqV8KyQlV22pDxR-O4p-YEylxC0ODxkL7-FfMO2_2kmEe16uAxw9pElgu8ZZRS9/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghVkiPKnGqubr2mNZ5JhCYL1Yj8AeKht4HX52013Q73RdM92afVZCLJJLulSnI6q2JPSGqiuqV8KyQlV22pDxR-O4p-YEylxC0ODxkL7-FfMO2_2kmEe16uAxw9pElgu8ZZRS9/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/09/blog-post_92.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/09/blog-post_92.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content