लघुकथा का बढ़ता कद एवं लघुकथा : क्यों और किसलिए? संपादकीय : प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक

SHARE:

इ समें कोई दो मत नहीं है कि लघुकथा का कद दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है. चिर यौवनकाल है लघुकथा का, इक्का-दुक्का ही पत्रिकाएं होंगी जिन्हें लघुकथ...

image


समें कोई दो मत नहीं है कि लघुकथा का कद दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है. चिर यौवनकाल है लघुकथा का, इक्का-दुक्का ही पत्रिकाएं होंगी जिन्हें लघुकथा से परहेज होगा. उस पर भी सभी की पसंदीदी है लघुकथा.

‘आयुष्मान भवः’ का आशीर्वाद इकतरफा लघुकथाकारों का ही नहीं है. इसे पाठकों ने भी दिल से चाहा. सबसे बड़ा काम लघुकथा ने यह किया है कि इसने ‘सत्य कथा’ के पाठक चुरा लिए हैं और वे सब मिलकर लघुकथा की भक्ति करने लगे हैं. महिलाएं दोपहरी में आराम करते समय अब ‘लघुकथा’ पढ़ते-पढ़ते विश्राम करने लगी हैं. बच्चे/बुजुर्ग/दूकानदार/बस/रेल के पर्यटक सभी पहले लघुकथा पढ़कर दूसरे विषय पर जाते हैं. यह है लघुकथा का इकतरफा बढ़ता कद/विश्वास/श्रद्धा आदि.

वर्तमान में सैकड़ों, हजारों लघुकथाएं हर महीने लिखी/प्रकाशित हो रही हैं. मजे की बात यह है कि ये पत्रिकाएं लघुकथाकारों को पारिश्रमिक भी दे रही हैं. इनमें अखबार/पत्रिकाएं सभी मिलकर लघुकथा के प्रति अपने रागात्मक प्रेम को प्रदर्शित कर रही हैं.

सोचना यह है कि ऐसा क्यों हुआ? यह जादू क्योंकर हुआ? पहले लोग कहानी पढ़ा करते थे. उपन्यास में अपने कुछ ढूंढ़ा करते थे. किराए से जासूसी/सामाजिक/राजनैतिक/ऐतिहासिक उपन्यासों के पढ़ने की होड़ मची रहती थी. वे कवि सम्मेलन भी गए गुजरे जमाने के हो गए जिसमें बच्चनजी अपनी ‘मधुशाला’ तो नीरज जी अपना ‘कारवां गुजर गया...’ पढ़ते थे. सवेरे तक कवि सम्मेलन/मुशायरा चलते थे. ये सब गुजरे जमाने के क्यों हो गए?

सबसे बाद में आए टी.वी. जी. इनसे भी ऊबकर दर्शक इधर-उधर देखने लगे जी. ऐसा क्यों हुआ जी. ये प्रश्न मैं, आप सबके ऊपर छोड़ता हूं जी. और यह भी कि लघुकथा से जुड़ने से पाठकों को क्या मिलता है जी. ये खुलासा करना निहायत जरूरी है जी. वरना जरूर देर हो गई होगी जी. हमें यानी लघुकथाकारों/पाठकों सभी को मिलकर यह मंत्रणा करना परमाश्यक हो गया है जी. भले ही लघुकथा छोटी है, लघु है पर इसका विस्तार इतना कैसे और क्यों हो गया है जी.

मेरे ख्याल से लघुकथा किलिष्टता एवं दुरूहता से परहेज करती आगे बढ़ती है. ये दोनों लघुकथा को आगे बढ़ने में पूर्ण रूप से सहयोगी हैं. यह सहज ही जुबान से पढ़ी जाकर दिमाग तक पहुंच बनाती है. दूसरे लघुकथा संवदेनहीनता के भ्रमजाल को तोड़ती है. मारक शक्ति को सहेजकर चलती है. वर्तमान में बाजारवाद/उपनिवेशवाद/उदारवाद के चलते लघुकथा में पारिवारिक/आंचलिक शब्द जुड़कर पाठकों में आत्मीयता का सृजन करते हैं.

इसमें भी कोई शक नहीं है कि वर्तमान में व्यक्ति की बौद्धिक सीमा का विस्तार हुआ है. वह पठन-पाठन में से भी अपना समय बचाकर दूसरे विकल्पों में जुड़ना चाहता है. इसमें लघुकथा अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करती नजर आती है. हरीश पंड्या स्वीकार करते हैं- "लघुकथा आम आदमी के जीवन से जुड़ी संवदेना, आघात-प्रतिघात, अकल्प परिणाम व अन्त, नफरत की अपेक्षा में स्नेह या आनंद से आश्चर्यचकित कर देनेवाला मानवीय व्यवहार ये सब निश्चित रूप से पाया जाता है. आम या अमीर आदमी की संवेदना का चित्रण लघुकथा में होता है तथा साथ में राजकीय, सामाजिक परिस्थितियों में प्रगट होती करुणा, व्यंग्य और कटाक्ष का उल्लेख भी लघुकथा में अक्सर होता रहता है."

वस्तुतः- "लघुकथा को पारदर्शी रचना कह सकते हैं जिसमें कुछ छुपा-छुपाया नहीं जा सकता. बिना किसी संकोच के हम यह कह सकते हैं कि मानव मन की जितनी संकोच के हम यह कह सकते हैं कि मानव मन की जितनी भी भाव-भंगिमाएं हो सकती है. उन सबमें लघुकथा का प्रवेश है."

बलराम अग्रवाल ने एक बहुत ही स्पष्ट और अनुकरणीय व्याख्या कुछ इस प्रकार की है- "मनोविश्लेषण की दृष्टि से समकालीन हिंदी लघुकथा में व्यापकता व पूर्णता के दर्शन होते हैं. अपने उत्तरदायित्व का अनेकायामी करने के कारण ही समकालीन लघुकथाकारों की लघुकथाओं में असामान्यताएं आई हैं. वह अन्तस के उद्घाटन की इच्छा भी रखता है और मानस के विश्लेषण की भी. वह यह जानता है कि उस पर एक बड़ी सामाजिक जवाबदेही है.

सच्चाई यह है कि आज व्यक्ति और समाज के बीच तालमेल समाप्त प्रायः है. व्यक्ति का व्यक्तित्व खंडित हो गया है. समाज में व्यक्ति तभी तक ग्राह्य है जब तक वह उसके काम का है. जीने के लिए दमन और बलात् समायोजन का विकल्प व्यक्ति के सामने है. समकालीन हिंदी लघुकथाकार ने इसका कुशलता के साथ अपनी रचनाओं में निर्वाह किया है."

संस्कारधानी जबलपुर में लघुकथा के बढ़ते कदम

संपादित लघुकथा संग्रह/संबंधित पत्रिकाएं

बंधनों की रक्षा- आनंदमोहन अवस्थी- वर्ष 1950

लघुकथा अभिव्यक्ति- मो. मुइनुद्दीन अतहर- अनवरत (उनके स्वर्गवासी होने तक)

प्रतिनिधि लघुकथाएं/वार्षिकी- संपादक डॉ. कुंवर प्रेमिल- 2009 से अभी तक प्रकाशित

ककुभ (अनियतकालीन)- संपादक : डॉ. कुंवर प्रेमिल (चार अंक)

शृंखला- मणि मुकुल

दो धाराएं- डॉ. आदर्श

गीत पराग- डॉ. गीता गीत

एकल संकलन

अभिमन्यु का सत्ता व्यूह- श्रीराम ठाकुर दादा

कांटे ही कांटे एवं अन्य- कुल सात- मो. मुइनुद्दीन अतहर

दृष्टि- रवीन्द्र खरे अकेला

अनुवांशिकी, अंततः, कुंवर प्रेमिल की इकसठ लघुकथायें एवं हरीराम हंसा (कुल चार) : डॉ. कुंवर प्रेमिल

तलाश- गुरूनाम सिंह रीहल

वह अजनबी- डॉ. प्रदीप शशांक

जामुन का पेड़- डॉ. गीता गीत

आमने-सामने- अविनाश दत्तात्रेय कस्तूरे

उसके आंसू- राकेश भ्रमर

मकड़जाल- मनोहर शर्मा माया

अंदर एक समंदर- सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

यगाना- राजकुमारी नाइक

मुखौटे- लक्ष्मी शर्मा

एक सच यह भी- मधुकर पराग

जुबैदा खाला की खीर- छाया त्रिवेदी

लघुकथा साहित्य की एक अनुपम धरोहर विधा है और एक अनमोल खजाना भी. इसे संभालकर रखना, हमारा एक नैतिक कर्त्तव्य भी है. आज लघुकथा जन-जन में बसी है. रुचिकर होकर चहेती भी बन गई है.

डॉ. राजकुमार घोटड़ ने प्रतिनिधि लघुकथाएं के संपादन को लिखे पत्र में कहा था- "जबलपुर नगरी में लगभग 40 लघुकथाकारों का होना एवं लगभग 22 पुस्तकों का प्रकाशित होना अपने आप में गौरव की बात है. ऐसे साथियों व साहित्य नगरी को मैं नमन करता हूं. समय निकालकर कभी आप सबके दर्शन करूंगा."

डॉ. रामनिवास ‘मानव’ ने लिखा था- "सुखद संयोग है कि अब जबलपुर इस विधा का केन्द्र बन गया है."

(अतहर जी के साथ मिलकर मैंने एक सपना देखा था. उनके इंतकाल के बाद जरूर यह सपना टूट गया प्रतीत होता है)

विशेषः प्राची (संपादक- राकेश भ्रमर) के प्रत्येक अंक में लघुकथायें प्रकाशित होती हैं. लघुकथाओं के क्षेत्र में इस पत्रिका की कोई सानी नहीं है. पत्रिका के विशेष योगदान का सम्मान करना चाहिए. पत्रिका एक लघुकथा विशेषांक पहले भी निकाल चुकी है.

मैंने कभी अपने संपादकीय में लिखा था- "लघुकथा के बढ़ते कदम संस्कारधानी को लघुकथाधानी में बदलने में प्रयासरत हैं." कितना सच है, यह समय ही बताएगा.

लघुकथा का बढ़ता काफिला कहां जाकर रुकेगा, अकल्पनीय है. हम सब उसकी बढ़ती कीर्ति से वाकिफ हैं. आदरेय भ्रमर जी ने मुझे अतिथि संपादक का महत्त्वपूर्ण स्थान देकर मेरी कार्यक्षमता का ही सम्मान किया है- समझिए. पाठकों से अनुरोध है कि ‘प्राची’ के इस दूसरे लघुकथा विशेषांक का रसास्वादन करें. यदि इसमें कुछ विशेष पाएं तो अपने पत्र पत्रिका में लिखकर मुझे प्रोत्साहन देने की कृपा जरूर करें. अस्तु!

लघुकथा क्यों और किसलिए?

लघुकथा इसलिये चाहिये कि आकार-प्रकार में इसका प्रारूप लघु अवश्य है पर बहुत ही असरदार, वक्तव्य छोटा-सा, परंतु है बहुत ही सारगर्भित. ये वे छोटे-छोटे दीप हैं जो दीपमालिके का निर्माण करते हैं.

ये मानो तो छोटे-छोटे झरने जो मिलकर नदी बने, नदियां मिलकर समुन्दर, समुन्दर उतना ही बड़ा जितना आकाश, जैसे लघुकथा के वैराट्य का यकीनन आभास.

लघुकथा की उपयोगिता सर्वविदित है. इसे सबसे ज्यादा पाठक मिलें. इन पाठकों में बुद्धिजीवियों के अलावा आम पाठक भी शामिल हुए चलते-चलते, ट्रेनों, बुक स्टॉलों पर उन लोगों ने लघुकथा का रसास्वादन किया. कम समय में ज्यादा पढ़ा, ज्यादा समझा.

हर आदमी ने इसे पढ़कर अपनी सोच पैनी की. उसे चोट की पहचान हुई. बुलंदी का अहसास हुआ, आम आदमी की पहचान बढ़ी. उसमें लोकप्रियता का विशेषण लगा.

प्रजातंत्र में कहने का हक सभी को है, लेकिन कब, क्या और कैसे कहा जाये- सवाल यह है. लघुकथा ने हमें यह सब सिखाया. हक और हल दिया. सूक्ष्मता के साथ विवेचना की शक्ति प्रदान की.

इसे मीठी गोली समझकर चूसने वाले भी मिले. रातों-रात लेखक, प्रकाशक बनने की लालसा वाले भी साथ हो लिये. छपास. महत्त्वाकांक्षा भी साथ-साथ हो लिये. आरंभिक लघुकथायें भी मिलीं. फिर भी किसी के प्रयास को अनदेखा नहीं किया गया.

अच्छे और वरिष्ठों ने अपने खून से इस बिरवे को सींचा, पनपाया और बड़ा बनाया. तब कहीं यह लघुकथा रूपी विशाल वटवृक्ष के आकार में सामने है. पत्ते, जड़, पीड़ तक उसकी प्रसिद्धि ही प्रसिद्धि है.

यह आदमी की सोच है, तर्क है, चोट है, सहनशीलता है. आभास और अहसास है. सूक्ष्म है तो व्यापक भी. कम समय में पढ़ी, सोची-समझी गई विधा है. इससे पाठकों को फायदा ही हुआ है.

इसने तर्क और फर्क करना सिखाया. इसने निरक्षरों में भी प्राण फूंके. उन्हें क्रमशः पढ़ने को तैयार किया. सहज-सुलभ होने से इसे हिज्जे कर-कर पढ़ा गया.

इधर जब दूरदर्शन जैसे मीडिया ने आदमी की सोच को संकुचित किया. नौकरी-गृहस्थी-दूरदर्शन के बीच में लेखन, पठन-पाठन ठिठुरकर रह गया. ऐसे में लघुकथा काम आई. अति व्यस्तता में भी इसे पढ़ा गया.

लघुकथा इसलिये भी पढ़ी गई कि इसके नन्हें से कलेवर में कुछ बहुत ज्यादा छिपा-छिपा रहा. गहरे पानी पैठ वाली बात इसके साथ रही.

आज का हर दूसरा आदमी लघुकथा का फैन है. इसलिए यह आज की जरूरत है. इसका संबंध चिंतन से है, प्रहारक क्षमता से है अतएव-

लघुकथा बिन्दु-बिन्दु विचार है.

एक तथ्य है, एक आइना है.

पुरजोर असर करती है.

लाग-लपेट से दूर रहती है.

इसका भीतर-बाहर सब खुला है.

कृत्रिमता से दूर है.

विसंगतियों पर प्रहार करती है, तिलमिला देती है.

चेतना प्रधान है, बोधगम्य है.

लघुकथा पहले भी थी, आगे भी इसकी चाहत बनी रहेगी.

इसका मार्ग प्रशस्त था, प्रशस्त है और भविष्य में भी प्रशस्त रहेगा.

धन्यवाद!

कुंवर प्रेमिल,

एम.आई.जी-8, विजय नगर,

जबलपुर-482002 (म.प्र.)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: लघुकथा का बढ़ता कद एवं लघुकथा : क्यों और किसलिए? संपादकीय : प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक
लघुकथा का बढ़ता कद एवं लघुकथा : क्यों और किसलिए? संपादकीय : प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक
https://lh3.googleusercontent.com/-qbgo5hUyDVs/WkIyR0ImpsI/AAAAAAAA908/2CVJ8m4eSbgkGkIfbPFYVr7ioAkh0rMIwCHMYCw/image_thumb1?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-qbgo5hUyDVs/WkIyR0ImpsI/AAAAAAAA908/2CVJ8m4eSbgkGkIfbPFYVr7ioAkh0rMIwCHMYCw/s72-c/image_thumb1?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/12/2017.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/12/2017.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content