लघुकथाएँ : डॉ. कुंवर प्रेमिल // प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक

SHARE:

जन्म - 31-03-1947 उपलब्धियां - कहानी संग्रह-3, लघुकथा संग्रह-4 बाल साहित्य - व्यंग्य संग्रह-1 संपादन - ककुभ एवं प्रतिनिधि लघुकथाएँ, 3 कहान...

clip_image002

जन्म- 31-03-1947

उपलब्धियां- कहानी संग्रह-3, लघुकथा संग्रह-4

बाल साहित्य- व्यंग्य संग्रह-1

संपादन- ककुभ एवं प्रतिनिधि लघुकथाएँ, 3 कहानी संग्रह- घर आंगन और गिरगिटान, शैलपर्ण की शैला, स्वप्न झरे फूल से

अनुवाद- लघुकथाओं का मराठी सिंधी और पंजाबी में अनुवाद. जंगल कथा- गुजराती में अनुवाद

सम्पर्क : एम.आई. जी-8, विजयनगर, जबलपुर-482002 (म.प्र.),

डॉ. कुंवर प्रेमिल

पहाड़ा

चिड़िया एकम चिड़िया

चिड़िया दूनी दो चिड़ियां

चिड़िया तिया तीन चिड़ियां

चिड़िया चौके चार चिड़ियां

चिड़िया पंजे पांच चिड़ियां.

चिड़िया छक्के छः चिड़ियां.

चिड़िया सत्ते सात चिड़ियां.

चिड़िया अट्ठे आठ चिड़ियां.

चिड़िया नवें नौ चिड़ियां.

चिड़िया दसम दस चिड़ियां.

हम सबने बचपन में पहाड़े रटे पर इम्तहान पास करने के लिए ही पहाड़े रटे गए, ताकि गणित के सवाल हल किए जा सकें.

इम्तिहान पास करने की धुन में हम पहाड़े का मतलब नहीं समझे. इसका मतलब है वृद्धि अभिवृद्धि. चिड़िया के मामले में यही पहाड़ा लागू होगा, तभी न उसकी वंश बेल आगे बढ़ेगी. तभी वह हमारे आंगन में फुदकती दिखेगी, तभी वह हमारे बच्चों की आंखों में रंग-बिरंगे रंग भरेगी. आसमान से धरती तक की उड़ान भरकर चिड़ियों का इन्द्रधनुष निर्मित करेगी.

चिड़िया और बच्ची एक हैं. बच्ची की भी वंश बेल की रक्षा संदिग्ध है. आंगन दोनों से ही सजता है. आंगन सूना न रहे, इसके लिए आदमी को दोनों की रक्षा करनी होगी. तभी यह पहाड़ा सार्थक होगा. वरना कैसी गिनती, कैसा पहाड़ा, इन दोनों की रक्षा के लिए कमर कसनी होगी, वरना प्रकृति हमें कभी माफ नहीं करेगी.

पैसा...पैसा...पैसा...

‘पैसा, पैसा, पैसा!’ पैसा बड़ी बुरी चीज है. हर कोई इसका ख्वाहिशमंद है. हर कोई येन-केन-प्रकारेण पैसा हथियाना चाहता है. यह भाई-भाई में तकरार पैदा करता है. मां-बेटा, पति-पत्नी के संबंधों को मटियामेट कर देता है.

‘यह बिना फन का नाग है. इसके काटे की न कोई दवा है और न कोई मंत्र ही है.’

शास्त्री जी, आसंदी पर बैठकर प्रवचन कर रहे थे. उनकी वाणी में साक्षात सरस्वती विराज रही थी. ऐसे-ऐसे उदाहरण देकर पैसे की लानत-मलामत कर रहे थे कि पूर्णमत एक बार तो सभी के दिलों में पैसे के लिए वैराग्य ही पैदा हो गया था, मानो.

शास्त्री जी आगे बोले, ‘जग मिथ्या है. हानि-लाभ का जखीरा है. आदमी स्वार्थ की चक्की में पिसता रहता है और लोभी की चासनी में डूबकर अपना लोक-परलोक दोनों बिगाड़ लेता है. पैसा आदमी का ईमान खराब कर रहा है.’

‘वाह!’ जन समूह शास्त्री जी की तारीफ करने से अपने आपको रोक नहीं पा रहा था.

अगले दिन शास्त्री जी और यजमान के बीच पैसे को लेकर नोंक-झोंक हो गई. यजमान के पास कुछ पैसे कम पड़ गए, तो शास्त्री जी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. वह अपने तय पारिश्रमिक से एक पैसा भी कम करने के लिए तैयार नहीं थे. यजमान हाथ जोड़कर बोला, ‘महाराज, आपका एक दिन का पारिश्रामिक भगवान की सेवा में लगा दिया है. आपको इसका पुण्य भी मिलेगा महाराज.’

‘भाड़ में गया पुण्य और पुण्य लाभ. पूरा पैसा नहीं मिला तो मैं आज भोजन नहीं करूंगा, तुम्हें बद्दुआ भी खूब दूंगा. तुम्हारे इस आयोजन की मिट्टी पलीद हो जाएगी.’

यजमान बोला, ‘महाराज, आप ही तो कह रहे थे कि पैसा बड़ी बुरी चीज है. ईमान खराब करता है. ऐसे पैसे के लिए आप हाय-तौबा मचा रहे हैं. ताज्जुब है महाराज!’

अब शास्त्री जी अपने ही जाल में फंसकर छटपटा रहे थे. पैसे के मोह ने उनके प्रवचन पर पानी फेर दिया था मानो.

(अहा! जिंदगी के साभार)

डमी शेर

महावत गज्जू आजकल बहुत खुश-खुश चल रहा था. विदेशी पर्यटक उसके हाथी को बहुत पसंद करते थे. वह भी अपनी सवारियों से बड़ी विनम्रता से पेश आता था. शेर दर्शन कराने के बाद उसे सौ रुपया का एक नोट बख्शीश में जो मिल जाता था.

कुछ दिनों बाद शेर साहेब बदमाशियां करने लगे. दर्शन देने से कतराने जो लगे. उसके दिन मायूसी में कटने लगे. महावत मायूस हुआ तो बेचारा हाथी भी मायूस हो गया. महावत उसे कभी-कभी बेकसूर लोहे की डंडी चुभा देता. हाथी फुंफकारने लगता. कई बार तो सवारियां भी गिरते-गिरते बचीं.

एक दिन एकाएक उसे एक उपाय सूझ आया. उसने एक आदमी से सौदा कर लिया. देखो जी- ‘तुम फलां-फलां जगह शेर की खाल ओढ़ कर झुरमुटों में खड़े रहना. मैं दूर से पर्यटकों को डमी शेर दिखा दूंगा. बख्शीश का आधा तुम्हें भी मिलेगा.’

चाल चल निकली. उस पर रुपयों की बरसात होने लगी. डमी शेर का भी अच्छा धंधा चलने लगा. महावत के खुश होने पर हाथी भी खुश रहने लगा. उसे अच्छा चारा खाने को मिलने लगा.

(अहा! जिंदगी के साभार)

बीमारी

काले मुंह के बंदरों का एक झुंड शहर के बाग में चहलकदमी करते-करते सवेरे-सवेरे आ घुसा. कुछ कुत्ते भौंके तो वे सब चहारदीवारी पर चढ़कर मजे-मजे कैट वाक करते, बाकायदा कुत्तों का मजाक उड़ाते हुए एक छोर से दूसरे छोर की ओर बढ़ने लगे.

उनकी मस्तानी चाल को देखकर एक आदमी बोला- ‘अरे काका, ये सब तो मेल हैं, इनमें एक भी फीमेल नहीं है- ऐसा क्यों?’

उसके बगल में खड़े दूसरे आदमी ने असमंजस जताते हुए कहा- ‘कहीं इन्हें भी तो लड़कियां पैदा न करने की आदमियों की बीमारी नहीं जा लगी. आखिर ये भी तो आदमी के पूर्वज ही हैं न.’

लो वह रहा जामुन का पेड़

"लो वह रहा जामुन का पेड़." मेरी पोती दूर से ही जामुन के पेड़ को देखकर तालियां बजाने लगती है.

ऊंचे टीले का ऊंचा पेड़ है यह. मेरे गांव के खलिहान की एक शोभा. भव्यता में कहीं कोई उसका सानी नहीं है. मैं अब गांव में नहीं रहता हूं. शहरवासी हो गया. पर यह पेड़ मेरे समूचे परिवार की आई.डी. बनकर रह गया है. गांव की जमीन पितृदेव ने औने-पौने बेच दी थी. बस मेरे अनुरोध पर यह एक खलिहान भर रहने दिया था. हम सब बच्चों को गर्मी की छुट्टियां उसी पेड़ पर छुआ-छू खेलते व्यतीत होती थीं. सारी दोपहरी हम लोग उसी जामुन के नीचे के जामुन बीन-बीन कर खाते. पेड़ पर नदी पार के सैकड़ों तोते आ जाते. जमकर फल खाते और टूं...टां....टां... से पूरा वातावरण गुंजरित कर जाते.

आपको पता है, मैं अपनी छुट्टियों का उपयोग गांव आने के लिए ही करता हूं. मैं कभी कोई तीर्थ स्थल नहीं जाता. मेरा तीर्थ तो यही एकमात्र जामुन का पेड़ है. जिसे दूर से ही देखकर मेरी पोती तालियां बजाने लगती है. उसके चेहरे पर की लालिमा देखते ही बनती है.

गांव में माता-पिता दोनों ही नहीं हैं. घर भी नहीं है. बस यही एक पेड़ है जो मेरे माता-पिता दोनों की भूमिका निर्वाह करता है. जैसे माता-पिता के रहने पर मैं स्कूल की छुट्टियों में घर आना नहीं भूलता था. वैसे ही आज भी मैं इस पेड़ को देखने की लालसा लिए हर गर्मी में गांव चला आता हूं.

गांववालों ने मेरा पूरा खलिहान लील लिया है. बस यह एक पेड़ और उसके नीचे की झोंपड़ी को बख्श दिया है. सच पूछा जाए तो यह मेरे ऊपर उपकार ही है उनका, वरना मैं आकर कहां ठहरता और क्यों आता भला?

एक दिन पोती तोता पकड़कर देने की जिद करने लगी. मैं कहता हूं. न...न...बेटी, तोते इस पेड़ की जान हैं. यदि इनकी पकड़-धकड़ की गयी तो ये फिर कभी इस पेड़ पर नहीं आएंगे. सूना पेड़ किसी दिन यूं ही खड़ा-खड़ा मर जाएगा. इसकी हरियाली, इसके फल, इसके ऊपर बैठे परिन्दों को देखने के लिए ही तो हम यहां आते हैं. यह हमारी आस्था का प्रतीक जो बन गया.

पोती मान जाती है. उसी पेड़ के नीचे गुड्डा-गुड्डी खेलने लगती है. मैं सोचता हूं क्यों न मैं किसी दिन आकर इसी पेड़ के नीचे अपनी पोती का ब्याह रचाऊं...मजा आ जाएगा.

यदि ऐसा संभव नहीं हुआ तो मैं इसी जामुन के पेड़ की पत्तियां शहर मंगाऊंगा. उसी से शादी का मंडप सजाऊंगा. जामुन की हरी-हरी नई कोमल पत्तियां मंडप में जान फूंक देंगी. चार चांद लगा देंगीं.

मैं भावातिरेक में पेड़ से लिपट जाता हूं. लिपटकर हिचकियां लेने लगता हूं. अचानक मुझे यह लगता है कि यह गांव में बिछड़ा मेरा ही छोटा भाई है. मेरा बाल सखा है. मेरे आने तक यह यहीं खड़ा मिलेगा मेरे स्वागत में...मेरी पोती इसी तरह दूर से ही चिल्लाकर कहेगी- "लो वह रहा जामुन का पेड़...वह रहा अपना पेड़." हे भगवान, अपनेपन से ओत-प्रोत इस पेड़ को कोई काटे न, कोई नुकसान न पहुंचाए.

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: लघुकथाएँ : डॉ. कुंवर प्रेमिल // प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक
लघुकथाएँ : डॉ. कुंवर प्रेमिल // प्राची - दिसंबर 2017 : लघुकथा विशेषांक
https://lh3.googleusercontent.com/-tqMWoTS4PE4/WkNvrfWHE0I/AAAAAAAA93I/si3BvLVKZV8JBtruG-0vv3q_ZZgqN-X9wCHMYCw/clip_image002_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-tqMWoTS4PE4/WkNvrfWHE0I/AAAAAAAA93I/si3BvLVKZV8JBtruG-0vv3q_ZZgqN-X9wCHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/12/2017_66.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/12/2017_66.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content